कार्य विश्लेषण क्या है ?

Humanीय संसाधनों की अधिप्राप्ति, Human संसांधन प्रबन्धन का First संचालनात्मक कार्य है, जिसे विभिन्न उप-कार्यों, जैसे-Human संसाधन नियोजन, भर्ती तथा चयन में उप-विभाजित Reseller जा सकता है। प्रबन्धतन्त्र को Single कार्य के लिए अपेक्षित व्यक्ति के प्रकार तथा भविष्य में सेवायोजित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या का निर्धारण करना आवश्यक होता है। Second Wordों में, Single Humanं संसाधन प्रबन्धक के कार्यों में से Single महत्वपूर्ण कार्य, जितना सम्भव हो सके उतना यथार्थ Reseller से व्यक्तियों की संख्या तथा उनके प्रकारों का निर्धारण करना है।

इस कार्य का उद्देश्य यह ज्ञात करना है कि निर्धारित कर्तव्यों को कौन सर्वोत्तम ढंग से सम्पन्न कर सकता है? इसके साथ ही संगठन के लिए उचित समय में उचित कार्य हेतु, उचित व्यक्ति का पता लगा लेना भी आवश्यक होता है। इन कायांर् े को सम्पन्न करने के लिए कार्य का सम्पूर्ण ज्ञान अत्यन्त आवश्यक हो जाता है।

साधारण Wordों में कार्य विश्लेषण को Single काम के विषय में सूचनाओं को Singleत्र करने के लिए Single प्रक्रिया के Reseller में समझा जा सकता है।Second Wordों में, कार्य विश्लेषण, कायांर् े का Single औपचारिक And विस्तृत निरीक्षण है। यह Single कार्य के विषय में सूचनाओं के संग्रहण की Single प्रक्रिया है। इस प्रकार, कार्य विश्लेषण, कार्य की विषय-वस्तु, भौतिक परिस्थितियों जिनमें कार्य सम्पादित Reseller जाता है तथा कार्य के उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक पात्रताओं का व्यवस्थित अनुसंधान है। इसकी कुछ महत्वपूर्ण परिभाषायें निम्नलिखित प्रकार से है:

  1. र्इ.जे. मैकॉर्मिक के अनसु ार’’ कायर् विश्लेषण को कायांर् े के विषय में सूचना प्राप्त करने के Reseller में पारिभाषित Reseller जा सकता है।’’ 
  2. एम.एल.ब्लम के According, ‘‘कार्य विश्लेषण की परिभाषा Single कार्य से सम्बन्धित विभिन्न अंगभूतों, कर्तव्यों, कार्य-दशाओं तथा कर्मचारी की व्यक्तिगत पात्रताओं के समुचित अध्ययन के Reseller में की जा सकती है।’’ 
  3. एडविन बी. फिलिप्पो के According, ‘‘कार्य विश्लेषण Single कार्य विशेष की क्रियाओं And उत्तरदायित्वों के सम्बन्ध में सूचनाओं का अध्ययन करने And उन्हें Singleत्रित करने की प्रक्रिया है।’

कार्य विश्लेषण के लक्षण 

कार्य विश्लेषण की परिभाषाओं के अध्ययन से इसके जो लक्षण सामने आते हैं, उनमें से कुछ महत्वपूर्ण लक्षण है –

  1. कार्य विश्लेषण Single अत्यन्त महत्वपूर्ण Human संसाधन प्रबन्धन तकनीक है। Humanीय संसाधनों की प्राप्ति में यह First पग होता है। 
  2. कार्य विश्लेषण Single ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा प्रत्येक कार्य के विषय में तथ्यों का व्यवस्थित Reseller से अवलोकन एंव अध्ययन Reseller जाता है। 
  3. कार्य विश्लेषण के अन्तर्गत उस कार्य के विषय में तथ्यों का संकलन And अध्ययन Reseller जाता है जो अस्तित्व में होता है। 
  4. कार्य विश्लेषण कार्य के मानक निर्धारित करने की Single प्रक्रिया है। ये मानक,समुचित कार्य निष्पादन के लिए अपेक्षित न्यूनतम स्वीकार्य पात्रताओं निपुणताओं तथा योग्यताओं की शर्ते निर्दिष्ट करते है। 

कार्य विश्लेषण Single ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत Single निश्चित कार्य से सम्बन्धित क्रियाकलापों, कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों, अन्य Second कार्यों के साथ सम्बन्धों तथा उसके सफल निष्पादन हेतु अपेक्षित पात्रताओं, निपुणताओं तथा योग्यताओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन Reseller जाता है।

कार्य विश्लेषण के उद्देश्य 

यद्यपि कार्य विश्लेषण सम्पूर्ण Human संसाधन प्रबन्धन गतिविधियों के लिए Single अत्यन्त आवश्यक आधार होता है, परन्तु इसके विशेषीकृत उद्देश्यों को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है:

  1. कर्मचारियों की अधिप्राप्ति के लिए उचित And तर्कसंगत आधार स्थापित करना। 
  2. प्रत्येक कार्य के विषय में अवलोकन And अध्ययन के माध्यम से Human संसाधन नियोजन के लिए आवश्यक सूचनायें उपलब्ध कराना। 
  3. कार्य मूल्यांकन के लिए आवश्यक तथ्यों And सूचनाओं को उपलब्ध कराना। 
  4. प्रत्येक कार्य के लिए अपेक्षित न्यनतम स्वीकार्य पात्रताओं, निपुणताओं तथा योग्यताओं सम्बन्धी मानकों को निर्दिष्ट करके कर्मचारियों की भर्ती And चयन सम्बन्धी प्रक्रिया को सुगमता प्रदान करना। 
  5. कर्मचारियों के लिए प्रभावी प्रशिक्षण And विकास के कार्यक्रमों की योजना तथा विषय-वस्तु का निर्माण करने में सहायता प्रदान करना।
  6. किसी कार्य विशेष को सम्पादित करने हेतु अपेक्षित योग्यता सम्बन्धी सूचना उपलब्ध कराकर मजदूरी And वेतन के निर्धारण में योगदान देना। 

कार्य विश्लेषण से प्राप्त होने वाली सूचनायें (विषय-क्षेत्र) 

कार्य विश्लेषण Single कार्य के विभिन्न पहलुओं की व्याख्यात्मक अध्ययन होता है, जिसके अन्तर्गत कार्य सम्बन्धी कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों, कार्य की प्रकृति And कार्य-दशाओं तथा कार्य हेतु अपेक्षित क्षमताओं And योग्यताओं का समावेश होता है। सामान्यत: कार्य विश्लेषण से प्राप्त होने वाली सूचनाओं अथवा इसके विषय क्षेत्र का description  है:-

1. कार्य परिचय

  • कार्य शीर्षक 
  • कार्य संख्या 

2. कार्य की प्रमुख विशेषतायें

  • कार्य स्थल 
  • कार्य का भौतिक पर्यावरण
  • कार्य का संगठनात्मक पर्यावरण 
  • कार्य सम्बन्धी जोखिम 

3. कार्य के अन्तर्गत क्रियाकलाप

  • कार्य की प्रक्रियायें 
  • कार्य के अंतर्गत निर्धारित कर्तव्य
  • कर्तव्यों के निष्पादन की विधि 

4. कार्य का अन्य कार्यों से सम्बन्ध

  • कार्यों के मध्य समन्वय
  • सहयोगी कर्मचारी
  • सहायक तथा अधीनस्थ 

5. कार्य की प्रौद्योगिकी

  • कार्य में प्रयुक्त यन्त्र And उपकरण
  • कार्य की तकनीकें
  • कार्य में प्रयुक्त साधन And सामग्री 

6. कार्य निष्पादन मानक

  • गुणवत्ता And मात्रा की दृष्टि से अपेक्षित उत्पादन 
  • कार्य मानक
  •  कार्य में लगने वाला समय 

7. कार्य के लिए अपेक्षायें

  • शिक्षा And प्रशिक्षण 
  • कार्य अनुभव
  • निपुणतायें
  • शारीरिक And मानसिक योग्यतायें 

कार्य विश्लेषण की सूचनाओं के स्रोत 

कार्य विश्लेषण के विषय में सूचनाओं को तीन प्रमुख स्त्रोतों से प्राप्त Reseller जा सकता है, तथा वे है:

  1. Single कार्य को वास्तव में जो कर्मचारी सम्पन्न करते है, उनसे; 
  2. अन्य कर्मचारियों जैसे- सुपरवाइजर And फोरमैन, जो Single कार्य का सम्पन्न करने के दौरान कर्मचारियों का निरीक्षण करते हैं। तथा फलस्वReseller इसके विषय में ज्ञान अर्जित करते है, उनसे; तथा 
  3. Single कार्य को कर्मचारियों द्वारा सम्पन्न करने का निरीक्षण करने के लिए विशेष Reseller से नियुक्त बाहरी अवलोकनकर्ताओं से। इस प्रकार के बाहरी व्यक्तियों को’ व्यवसाय कार्य विश्लेषक’ कहा जाता है। कभी-कभी विशेष कार्य-समीक्षा समितियाँ भी गठित की जाती हैं 

कार्य विश्लेषण के अंग 

कार्य विश्लेषण के तीन महत्वपूर्ण अंग हो सकते है, जिनका वर्णन है –

  1. कार्य description 
  2. कार्य विशिष्टता
  3. कर्मचारी विशिष्टता 

1. कार्य description –

कार्य description Single महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो मूल Reseller से descriptionात्मक प्रकृति का होता है तथा जिसमें कार्य के निष्पादन हेतु अपेक्षित क्रियाकलापों, कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों, कार्य की भौतिक दशाओं तथा उसमें प्रयुक्त यन्त्रों And उपकरणों आदि का History Reseller जाता है। यह Single ऐसा लिखित वक्तव्य है, जिसमें दर्शाया जाता है कि कार्य-धारक से अपेक्षित वास्तविक क्रियायें क्या हैं? इनके निष्पादन में उसे किन साधनों की Need होगी? तथा उसके कर्तव्य And उत्तरदायित्व क्या होगें? जैसे कि एडविन बी. फिलिप्पो ने कहा है कि, ‘‘कार्य description Single कार्य विशेष के कर्तव्यों And उत्तरदायित्वों का व्यविस्थत And तथ्यपरक वर्णन है।’’

इस प्रकार हम संक्षेप में यह कह सकते है कि कार्य description यह बताता है कि क्या करना है? कैसे करना है? तथा क्यों करना है? यह प्रत्येक कार्य के मानक निर्धारित करता है। अच्छे कार्य description की विशेषतायें : कार्य description के अभिलेखन के दौरान निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए:

  1. कार्य description में कार्य की प्रकृति तथा उसके विषय-क्षेत्र का स्पष्ट History होना चाहिए। 
  2. कार्य description संक्षिप्त, तथ्यपरक And सुस्पष्ट होना चाहिये। साथ ही, इसमें कार्य का Single स्पष्ट चित्रण प्रस्तुत Reseller जाना चाहिए। 
  3. कार्य description में कार्य के कर्तव्यों And उत्तरदायित्वों का स्पष्ट History होना चाहिये। 

कार्य description की विषय वस्तु : सामान्यत: Single कार्य description के प्राReseller के अन्तर्गत विषय-वस्तु के Reseller में सूचनाओं का समावेश Reseller जाता है:

  1. कार्य परिचय: कार्य का शीर्षक, विभाग, उप-विभाग,संयन्त्र तथा कार्य संख्या आदि। 
  2. कार्य सारांश: सम्पूर्ण Reseller से कार्य क्या है? इसके विषय में Single संक्षिप्त description। 
  3. कार्य कर्तव्य: कार्य की प्रमुख And सहायकता क्रियायें, कार्य की विधि कार्य में प्रयुक्त साधान And सुविधायें तथा कार्य में लगने वाला समय आदि। 
  4. प्रदत्त पर्यवेक्षण: कार्य हेतु प्रदत्त पर्यवेक्षण का स्तर तथा जवाबदेही आदि।
  5. अन्य कार्यों से सम्बन्ध: कार्य की अन्य कार्यो के सापेक्ष स्थिति, अन्य कार्यों से लम्बवत् And क्षैतिजीय सम्बन्ध तथा कायांर् े के मध्य समन्वय की स्थिति आदि। 
  6. यन्त्र औजार तथा सामग्री: कार्य के लिए अपेक्षित यंत्र, औजार तथा सामग्री आदि। 
  7. कार्य-दशायें: कार्य का भौतिक पर्यावरण, जैसे- तापमान, प्रकाश, ध्वनि, प्रदूषण, नमी, कार्यस्थल का वातावरण तथा जोखिम आदि। 

कार्य description के लाभ : कार्य description, Human संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रकार से लाभदायक होता हैं:

  1. कार्य description के माध्यम से कार्य का वर्गीकरण तथा श्रेणीकारण सम्भव होता है। 
  2. कार्य description संगठन के Human संसाधन प्रबन्धक को चयन प्रक्रिया के लिए आवेदकों की तुलना करने तथा उनकी छँटनी करने में सहायता प्रदान करता है। 
  3. सुस्पष्ट कार्य description के उपलब्ध होने से कर्मचारी को उसके कार्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना सुविधाजनक होता है। 
  4. कार्य description के माध्यम से प्रबन्धक को कर्मचारी के औचित्य का निर्धारण करने में सुविधा होती है, जिसके फलस्वReseller कर्मचारी के स्थानान्तरण, पदोन्नतितथा पद अवनति का कार्य आसान हो जाता है। 
  5. कार्य description के होने से कर्मचारी को कार्य के प्रति समझ विकसित करने में सहायता प्राप्त होती है, जिससे उसकी कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। 
  6. कार्य description की उपस्थिति में कार्य की जटिलता And विविधता के आधार पर कर्मचारी की मजदूरी अथवा वेतन का निर्धारण आसान हो जाता है। 

2. कार्य विशिष्टता –

कार्य विशिष्टता कार्य को संतोषजनक Reseller से सम्पादित करने के लिए अपेक्षित Humanीय विशेषताओं का Single संक्षिप्त description प्रस्तुत करता है। यह कार्य को सफलता सम्पन्न करने हेतु किसी व्यक्ति में आवश्यक पात्रताओं का वर्णन करता है। कार्य विशिष्टता, Single कार्य description की Single तार्किक अपवृद्धि होती है। प्रत्येक कार्य description के लिए, कार्य विशिष्टता का होना वांछनीय होता है। यह संगठन को, Single कार्य विशेष का उत्तरदायित्व देने हेतु किस प्रकार के व्यक्ति की Need है, इसका पता लगाने में सहायता प्रदान करता है। जैसा कि एडविन बी. फिलिप्पो को कथन है कि, ‘‘कार्य विशिष्टता उन न्यूनतम स्वीकार्य Humanीय विशेषताओं का description है, जो Single कार्य को उचित ढंग से सम्पन्न करने के लिए आवश्यक है।’’

कार्य विशिष्टता की विषय-वस्तु : Single कार्य विशिष्टता के प्राReseller के अन्तर्गत विषय-वस्तु के Reseller में सामान्यत: कर्मचारी योग्यता सम्बन्धी सूचनायें सम्मिलित की जाती है

  1. शारीरिक विशिष्टतायें: आयु, लिंग, कद, वजन, स्वास्थ्य, दृष्टि, सुनने की क्षमता, शारीरिक क्षमता तथा यन्त्रों के संचालन की क्षमता आदि। 
  2. मनोवैज्ञानिक विशिष्टतायें: गणना करने की क्षमता, व्याख्या करने की क्षमता, नियोजन की क्षमता निर्णयन की क्षमता, Singleाग्रचित होने की योग्यता, व्यवस्था करने की क्षमता, मानसिक सन्तुलन, स्मरण शक्ति तथा सतर्कता आदि। 
  3. संवेगात्मक तथा सामाजिक विशिष्टतायें: संवेगात्मक स्थिरता, लोचशीलता, Humanीय सम्बन्धों में सामाजिक अनुकूलनशीलता तथा वस्त्र, हाव-भाव, सौम्यता And स्वर की विशेषताओं सहित व्यक्तिगत प्रकटन आदि। 
  4. व्यक्तिगत विशिष्टतायें: वाक् चातुर्य, उत्साह का स्तर, पहल करने की क्षमता, जानकारी ग्रहण करने की क्षमता तथा प्रस्तुतीकरण आदि। कार्य विशिष्टता, चयन प्रक्रिया में अत्यन्त उपयोगी होता है, क्योंकि यह Single कार्य विशेष के लिए नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति हेतु अपेक्षित विशेषताओं का स्पष्ट चित्रण प्रस्तुत करता है। 

3. कर्मचारी विशिष्टता –

कर्मचारी विशिष्टता, Humanीय योग्यताओं अथवा धरित विशेषताओं से सम्बन्धित होता है तथा यह उन पात्रताओं का History नहीं करता है, जो कि Humanीय योग्यताओं को सूचित करते है। पात्रता, योग्यताओं का मापन करने का Single मानक है, जो कुछ निश्चित योग्यताओं, निपुणताओं तथा ज्ञान आदि के स्वामित्व को प्रमाणित करता है। अत: कर्मचारी विशिष्टता Single कार्य के लिए Single पद-धारक की न्यूनतम अपेक्षित पात्रताओं, जैसे-शारीरिक, शैक्षणिक, मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक आदि का Single description है, जो भावी कर्मचारी से कार्य सम्पन्न करने के लिए न्यूनतम Humanीय योग्यताओं (जैसा कि कार्य विशिष्टता में उल्लिखित Reseller गया है) ये युक्त होने की अनिवार्यता का वर्णन करता है।

कार्य विशिष्टता की सूचनाओं को, कर्मचारी विशिष्टता की सूचनाओं में यह ज्ञात करने की उद्देश्य से परिवर्तित करना आवश्यक है कि Single पद को भरने के लिए किस प्रकार के व्यक्ति की Need है। कर्मचारी विशिष्टता Single लोकप्रिय उत्पादन नाम के सामन होता है, जो यह परिणाम निकालता है कि Single विशेष कर्मचारी विशिष्टता से युक्त अभ्यथ्र्ाी, कार्य विशिष्टता के अन्तर्गत उल्लिखित Humanीय योग्यताओं से प्राय: युक्त है। उदाहरण के लिए Single एम.बी.ए. की शैक्षिक योग्यता से युक्त अभ्यथ्र्ाी सामान्यत: प्रबन्धन की अवधारणाओं को जानता है तथा प्रबन्धकीय निपुणताओं, जैसे- विश्लेषण करने की निपुणता, निर्णय-निर्माण की निपुणता, व्याख्या करने की निपुणता तथा अन्तवंयै क्तिक निपुणताओं को धारण करता है। फिर भी इस मान्यता की प्रमाणिकता की जाँच चयन परीक्षा तथा अन्य प्रविधियों के माध्यम से की जा सकती है। कर्मचारी विशिष्टता, Single कार्य विशेष के लिए अभ्यर्थियों की विशेष श्रेणी के औचित्य का पता लगाने में उपयोगी होता है। 

कर्मचारी विशिष्टता की विषय-वस्तु : सामान्यत: Single कर्मचारी विशिष्टता के प्राReseller के अन्तर्गत विषय-वस्तु के Reseller में निम्नलिखित सूचनाओं का समावेश Reseller जाता है:

  1. आयु 
  2. लिंग 
  3. शैक्षिक योग्यतायें 
  4. प्राप्त प्रशिक्षण 
  5. अनुभव 
  6. शारीरिक विशिष्टतायें 
  7. सामाजिक विशिष्टताये 
  8. पारिवारिक पृष्ठभूमि
  9. पाठ्येत्तर गतिविधियाँ 
  10. रूचियाँ

कार्य विश्लेषण की सूचनायें Singleत्रित करने की विधियाँ 

कार्य विश्लेषण की सूचनाओं को Singleत्रित करने हेतु अनेक विधियाँ उपयोग में लायी जाती है फिर भी उसमें से कोर्इ भी परिपूर्ण नहीं है। इसलिए वास्तविक अभ्यास में, कार्य विश्लेषण तथ्यों को प्राप्त करने के लिए भिन्न-भिन्न विधियों के Single संयोजन का उपयोग Reseller जाता है। इनमें से प्रमुख विधियँा निम्नलिखित प्रकार से हैं: 

1. कार्य निष्पादन विधि –

इस विधि के अन्तर्गत कार्य विश्लेषक कार्य का प्रत्यक्ष Reseller में अनुभव प्राप्त करने तथा क्रियाओ And उत्तरदायित्वो से परिचित होने के उद्देश्य से स्वयं की उसक कार्य का निष्पादन करता हैख् जिसका कि विश्लेषण Reseller जाता है। यह विधि उन्ही कार्यों के विश्लेषण में उपयोगी होती हैं जिनमें कम निपुणता की Need होती है। तथा जिन्हें सरलतापूर्वक सीखा जा सकता है। यह उन कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। जो कि खतरनाक है अथवा जिनमें विस्ततृ प्रशिक्षण की Need होती है। 

2. वैयक्तिक अवलोकन विधि –

कार्य विश्लेषण की सूचनायें प्राप्त करने की यह Single लोकप्रिय And सरल विधि है। इसके अन्तर्गत कर्मचारी का कार्य-स्थल पर कार्य करते हुए अवलोकन Reseller जाता है। अवलोकन के दौरान विभिन्न प्रश्न पूछ कर क्रियाओं को समझना अत्यन्त सरल हो जाता है। परन्तु प्रKingीय कार्यों, जिसमें अधिकतर सोच-विचार करना होता है तथा मानसिक श्रम करना पड़ता है, उनमें इस विधि का उपयोग करना सम्भव नहीं है। ऐसे कार्यों में भी यह विधि उपयोगी नहीं होती है, जिनमें कार्य रुक-रुक कर तथा लम्बे समय के लिए चलता है। 

3. निर्णायक घटना विधि –

निर्णायक घटना विधि, कार्य विश्लेषण का Single गुणात्मक दृष्टिकोण है, जो कार्य अथवा क्रियाओं के व्यावहारिक Reseller से संकेन्द्रित विशेष descriptionों को प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस विधि के अन्तर्गत केवल उन्हीं घटनाओं का अध्ययन Reseller जाता हैं। जो कि कार्य के सफल अथवा असफल निष्पादन को प्रदर्शित करती है। पद-धारकों से असामान्य घटनाओं तथा प्रसंगों आदि का वर्णन करने के लिए कहा जाता है। जो कि पूर्व में घटित हो चुके हैं तथा जो कार्य की प्रकृति पर प्रकाश डालते हों। ये घटनायें And प्रसंग प्रभावी अथवा अप्रभावी कार्य व्यवहार को दर्शाते है। ये All कठिन निर्णय लेने के अवसर होती हैं, जिनसे यह ज्ञात Reseller जा सकता हैं। कि कार्य के लिए किन योग्यताओं, सूचनाओं, गुणों तथा मानसिक चेतना की Need होती है। 

4. साक्षात्कार विधि – 

साक्षात्कार विधि के अन्तर्गत कार्य विश्लेषक कर्मचारी से प्रत्यक्ष सम्पर्क स्थापित करते हुए कार्य के सम्बन्घ में सूचनाओं को Singleत्रित करता है। ये सूचनायें कर्मचारी से प्रश्न पूछकर तथा विश्लेषक द्वारा स्वयं अवलोकन करके Singleत्रित की जाती है। इसके लिए प्रश्नों की Single अनुसूची का निर्माण करके उसका प्रयोग करना उत्तम होता है इस विधि के द्वारा कार्य के सम्बन्ध में कर्मचारी तथा पर्यवेक्षक दोनों के विचार प्राप्त किये जा सकते हैं। 

यद्यपि कि साक्षात्कार विधि छिपी हुर्इ सूचनाओं को प्राप्त करने के अवसर प्रदान करती है, जो कि कभी-कभी अन्य विधियों के माध्यम से उपलब्ध नहीं होती हैं, परन्तु फिर भी इसकी कुछ सीमायें हैं, जैसे (1) यह समय And धन के हिसाबसे खर्चीली विधि है; (2)सूचनाओं की विश्वसनीयता कार्य विश्लेषक की निपुणताओं पर निर्भर करती है तथा यदि वह कर्मचारी से संदिग्ध प्रश्न पूछता है तो वे गलत हो सकती है; तथा (3) कर्मचारी की कार्य विश्लेषक के प्रति शंका के कारण वह महत्वपूर्ण सूचनायें छिपा सकता है। साक्षात्कार विधि का प्रयोग करते समय कार्य विश्लेषक को इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए- (1) कर्मचारी को साक्षात्कार का उद्देश्य स्पष्ट करना चाहिए; (2) कर्मचारी के विचारों को अच्छी तरह समझना चाहिए (3) सोच विचार कर उपयुक्त And समयानुकूल प्रश्न पूछने चाहिये (4) कर्मचारी की कार्य रूचि प्रकट करनी चाहिए तथा (5) कर्मचारी से प्राप्त सूचनाओं को अवलोकन करते हुए जाँच भी करते रहना चाहिये। इस प्रकार उपरिलिखित सुझावों को ध्यानमें रखते हुए इस विधि का प्रयोग द्वारा कार्य के सम्बन्ध मे विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

5. प्रश्नावली विधि –

प्रश्नावली विभिन्न प्रश्नों से युक्त ऐसा प्रपत्र है, जो कर्मचारी को भरने के लिए दिया जाता हैं। इसमें कार्य से सम्बन्धित क्रियाओं, उत्तरदायित्वों तथा निष्पादन मानकों आदि के विषय में अनेक प्रश्न होते हैं। समान्यत; यह प्रश्नावली कार्य विश्लेषक द्वारा सम्बन्धित कर्मचारियों के अधिकारी को दे दी जाती है। जो उन्हे कार्य के समय कर्मचारियों से भरवाता है तथा तत्बाद उन्हें कार्य विश्लेषक के विभाग को भेज देता है यह विधि साक्षात्कार विधि की अपेक्षा कम खर्चीली होती है। तथा इसमें सूचनायें Singleत्रित करने में समय भी कम लगता है। साथ ही, इसमें अधिक संख्या में कर्मचारी भाग ले सकते है। कुछ प्रमाणिक प्रश्नावलियों का भी प्रयोग Reseller जाता है। इनमें से कुछ निम्नलिखित प्रकार से है 

  1. वस्तुस्थिति विश्लेषण प्रश्नावली: यह Single मानकीकृत प्रश्नावली है, जो कार्य उन्मुख घटकों को परिमाणात्म Reseller से परखने के लिए विकसित की गयी है। 
  2. प्रबन्ध वस्तुस्थिति description प्रश्नावली : यह Single मानकीकृत संयन्त्र है , जो विशेष Reseller में प्रबन्धकीय कार्यों के विश्लेषण करने में उपयोग के लिए अभिकल्पित की गयी है। 
प्रश्नावली विधि में भी कुछ कठिनाइयाँ उपस्थित होती है जैसे-(1) इसमें अलग-अलग प्रश्न पूछना सम्भव नहीं है (2) इसमें विभिन्न कर्मचारियों द्वारा Single ही प्रश्न को भिन्न-भिन्न अथांर् े में लिया जा सकता है (3) कर्इ बार भरी हइुर् प्रश्नावलियाँ भी अपूर्ण अपर्याप्त तथा असंगतियों से युक्त होती है।

कार्य विश्लेषण की प्रक्रिया 

कार्यो को Single सुव्यस्थित प्रक्रिया के माध्यम से विश्लेषित Reseller जा सकता है, जिसके कुछ निश्चित चरण होते है। इन चरणों के माध्यम से कार्य विश्लेषण की प्रक्रिया को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है।

  1. संगठनात्मक सूचनाओं का संग्रहण कार्य विश्लेषण की प्रक्रिया के First चरण में संगठन के All कार्यों का व्यापक अवलोकन Reseller जाता है, ताकि विभिन्न कार्यों के बीच सम्बन्धों, संगठनात्मक लक्ष्यों तथा विभिन्न कार्यों के महत्व के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सके। इस हेतु संगठनात्मक चार्ट, कार्य-श्रेणी descriptionों तथा कार्य-प्रवाह descriptionों आदि का अध्ययन Reseller जाता हैं। इसमें विभिन्न कार्यों के पारस्परिक सम्बन्धों, कार्य-समूह की सामान्य Needओं तथा कार्य मे ंसम्मिलित विभिन्न क्रियाओं के प्रवाह का ज्ञान हो जाता है।
  2. कार्य विश्लेषण कार्यक्रम का निर्माण: इसके पश्चात कार्य विश्लेषण का कार्यक्रम तैयार Reseller जाता है। इसके अन्तर्गत विश्लेषण के लिए इसके उपयोग के विशिष्ट क्षेत्रों तथा उद्देश्यों का निर्धारण Reseller जाता है। साथ ही, कार्य विश्लेषण के लिए प्रभारी अधिकारी, समय अनसु ूची तथा बजट आदि के विषय में निर्णय लिये जाते हैं।
  3. विश्लेषित किये जाने वाले प्रतिनिधि कार्यों का चयन: संगठन के All कार्यों का विश्लेषण करना अत्यन्त ही खर्चीला तथा समय Destroy करने वाला कार्य है। इसलिए कार्य विश्लेषक कुछ प्रतिनिधिक कार्यों का चयन कर लेता है, जो कि अपनी-अपनी श्रेणी के कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विभिन्न चयनित कायांर् े के मध्य प्राथमिकता का निर्धारण कर लेना भी उचित होता है।
  4. कार्य विश्लेषण तथ्यों का संग्रहण: इस चरण के अन्तर्गत कार्य विश्लेषण के लिए तथ्य Singleत्रित किये जाते हे। तथ्यों को Singleत्रित करने के लिए अनेक विधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं। इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सूचनाओं के Singleत्रीकरण के लिए केवल उसी विधि का उपयोग Reseller जाये, जो कि दी गयी परिस्थिति में स्वीकार्य And विश्वनीय हो।
  5. कार्य description तैयार करना : इस चरण के अन्तर्गत कार्य की विषय-वस्तु के Reseller मं क्रियाओं, कर्तव्यों उत्तरदायित्वों तथा संचालनों आदि का वर्णन Reseller जाता है। कार्य-धारक से कर्तव्यों And उत्तरदायित्वों का पालन करना तथा कार्य description के अन्तर्गत अनुसूचित क्रियाओं तथा संचालनों का निष्पादन करना अपेक्षित होता है।
  6. कर्मचारी विशिष्टता तैयार करना : इस अन्तिम चरण के अन्तर्गत कार्य विशिष्टता की Humanीय योग्यताओं को Single कर्मचारी विशिष्टता में परिवर्तित Reseller जाता है। कर्मचारी विशिष्टता, शारीरिक पात्रताओं, शैक्षिक योग्यताओं तथा अनुभव आदि का वर्णन करता है, जो कि यह बताता है कि इन योग्यताओं से युक्त अभ्यथ्र्ाी कार्य विशिष्टता में अनुसूचित न्यूनतम Humanीय योग्यताओं को धारण करता है।

कार्य विश्लेषण की उपयोगिता 

कार्य विश्लेषण, Human संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत Single अत्यन्त महत्वपूण्र कार्य होता है। यह संगठन के Humanीय संसाधनों के विषय में अनेकों आवश्यक सूचनायें प्रदान करता है। जिनसे कर्मचारियों के सेवायोजन, पदोन्नति, प्रशिक्षण, निष्पादन मूल्यांकन, कार्य मापन तथा वृत्ति नियोजन आदि के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाते है। कार्य विश्लेषण, Human संसाधन प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित कार्यों में उपयोगी होता है:

  1. Human संसाधन नियोजन में उपयोग : कार्य विश्लेषण, Humanीय संसाधन Need का ज्ञान And निपुणताओं के Reseller में पूर्वानुमान में सहायता प्रदान करता है। यह कार्यों के बीच पािश्र्वक तथा उध्र्व सम्बन्धों को व्यक्त करते हुए Single सुव्यवस्थित पदोन्नति तथा स्थानान्तरण नीति के निर्माण को सहज बनाता है। यह Single संगठन के अन्तर्गत आवश्यक Humanीय संसाधन योग्यता के निर्धारण में भी सहायता प्रदान करता है।
  2. भर्ती And चयन में उपयोग : कार्य विश्लेषण के द्वारा कार्य सम्बन्धी, कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों तथा योग्यताओ का निर्धारण कर लिया जाता हैं। साथ ही कर्मचारियों की योग्यताओं, रूचियों तथा व्यक्तिगत का भी निर्धारण कर लिये जाने में कर्मचारियों के प्रकार तथा चयन की विधियों के विषय में निर्णय लेना आसान हो जाता है।
  3. प्रशिक्षण And विकास में उपयोग : कार्य विश्लेषण के माध्यम से यह स्पष्ट हो जाता हैं। कि प्रत्येक कर्मचारी से किस प्रकार के कार्य And योग्यतायें अपेक्षित हैं तथा अन्य कार्यों के सम्बन्ध में उसके उत्तरदायित्व क्या है। इससे प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने, प्रशिक्षण हेतु कर्मचारियों का चुनाव करने तथा विकास योजनायें तैयार करने में सहायता प्राप्त होती है।
  4. कार्य वर्गीकरण And कार्य मूल्यांकन में उपयोग : कार्य विश्लेषण से प्राप्त सूचनायें कार्य समूहों के गठन के माध्यम से कार्य वर्गीकरण में सहायता होती हैं। साथ ही इनसे विभिन्न कार्यों में सम्बन्ध स्थापित Reseller जाता है इसके अतिरिक्त, कार्य विश्लेषण, कार्य मूल्यांकन का भी आधार है, जिसके द्वारा संगठन के अन्तर्गत कार्यों का तुलनात्मक मूल्य निर्धारित Reseller जाता है।
  5. निष्पादन मूल्यांकन में उपयोग : कार्य विश्लेषण के आधार पर कर्मचारियों के कार्य निष्पादन के मानक निर्धारित किये जाते है। इन मानकों के द्वारा कर्मचारियों का निष्पादन मल्यांकन करना अत्यन्त सहज हो जाता हैं।
  6. मजदूरी And वेतन प्रशासन में उपयोग : कार्य विश्लेषण के द्वारा कार्यों का तुलनात्मक अध्ययन हो जाता है, जिससे कि श्रेष्ठ मजदूरी पद्धतियों And वेतन दरों का विकास Reseller जाता है। इससे मजदूरी की असमानताओं को दूर करने तथा अन्य संगठनों में प्रचलित मजदूरी की दरों के साथ तुलना करने में सहायता प्राप्त होती है।
  7. Safty And स्वास्थ्य में उपयोग : कार्य विश्लेषण से कार्यों के सम्बन्ध में जोखिमों तथा अस्वास्थ्यकर परिणामों की जानकारी प्राप्त हो जाती है। जिसके फलस्वReseller प्रबन्धकगण इन जोखिमों से Safty प्रदान करने तथा कार्य सम्बन्धी अस्वास्थ्यकर दशाओं को दूर करने में उपाय करते है।

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