उपभोक्ता शिक्षा क्या है ?
- बाजार में उपलब्ध वस्तुओं के गुण
- मोल-भाव की शक्ति या अनुबन्ध शक्ति।
- आय के According उपभोक्ता वस्तुओं का चयन।
- हानिकारक वस्तुओं के बारे में चेतावनी।
- उपभोक्ताओं के संगठन।
- उपभोक्ता संरक्षण कानून के प्रावधान जेसे माल के क्रय-विक्रय में धोखाधड़ी, बेर्इमानी, उपभोग से हुर्इ हानि की पूर्ति के संबंध में कानूनी कार्यवाही आदि।
उपभोक्ता शिक्षा की Need या महत्व
वर्तमान युग व्यावसायिक जटिलताओं का युग है। जिसमें नित नए तकनीकी परिवर्तन होते रहते हैं। उपभोक्ता की प्रभुता सीमित होती जा रही है। विकसित तथा प्रगत देशों की तुलना में अविकसित तथा पिछड़े देशों में उपभोक्ता की प्रभुता अधिक सीमित तथा सीमाबद्ध होती है। श्रीमति बारबरा वूटन ने ठीक ही कहा है कि उसके समक्ष वस्तुओं की इतनी विभिन्नताएॅं रखी जाती हैं कि वह किंकर्तव्य-विमूढ़ बनकर ही रह जाता है तथा विवेकपूर्ण चयन नहीं कर पाता। विवेक चयन करने के लिए उसके पास न्यूनतम तकनीकी जानकारी का अभाव होता है। जब तक उपभोक्ता को भली-भॉंति शिक्षित नहीं Reseller जाता, तब तक वह शोषण का शिकार होता रहेगा। यह बात भारत जैसे देश के लिए अधिक लागू होती है। उपभोक्ता शिक्षा की Need या महत्व निम्नलिखित बातों द्वारा स्पष्ट हो जाता है-
- सही वस्तु खरीदने की क्षमता का विकास होना – उपभोक्ता शिक्षा से सही वस्तुओं या सेवाओं को खरीदने की क्षमता का विकास होता है।
- हानिकारक वस्तुओं के उपभोग पर रोक – उपभोक्ता शिक्षा से उपभोक्ताओं को यह ज्ञात हो जाता है कि कौनसी वस्तु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कौनसी वस्तु जीवन-स्तर में सुधार करने मे भी सहायक होती है। कौन सी वस्तु किस उद्देश्य केक लिए और किस उपयोग के लिए सर्वाधिक उपयोगी होगी, यह जानकारी उपभोक्ता शिक्षा के माध्यम से हो जाती है।