उपभोक्ता व्यवहार का Means, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकृति And घटक

उपभोक्ता व्यवहार विश्व की समस्त विपणन क्रियाओं का केन्द्र बिन्दु उपभोक्ता है। आज विपणन के क्षैत्र में जो कुछ भी Reseller जा रहा है उसके केन्द्र में कही न कही उपभोक्ता विद्यमान है। इसलिए उपभोक्ता को बाजार का King या बाजार का मालिक कहा गया है। All विपणन संस्थाए उपभोक्ता की Needओं इच्छाओं, उसकी पंसद And नापंसद आदि पर पर्याप्त ध्यान देने लगी है। इतना ही नहीं विपणनकर्ता उपभोक्ता के व्यवहार को जानने And समझने में लगे हुए है। उपभोक्ता व्यवहार से आशय उपभोक्ता की उन क्रियाओं And प्रतिक्रियाओं से है जो वह किसी उत्पाद को क्रय करने And उपयोग के दौरान उससे First या बाद में करता है।

  1. वाल्टर तथा पॉल के According-’’उपभोक्ता व्यवहार वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत लोग यह निर्णय लेते है कि कौन सा माल तथा सेवाए कब, कहॉ से, किस प्रकार तथा किससे खरीदनी है अथवा नहीं।’’ 
  2. कुर्ज तथा बून के According –’’’’उपभोक्ता व्यवहार में लोगों की वे क्रियाएं सम्मिलित है जो वे माल तथा सेवाओं को प्राप्त करने And उनका उपयोग करने हेतु करते है तथा इनमें वे निर्णयन प्रक्रियाए भी सम्मिलित है जो उन क्रियाओं को निर्धारित करने तथा निर्धारित करने से First की जाती है।’’
  3. वेबस्टर के According -’’क्रेता व्यवहार भावी ग्राहकों का वह सम्पूर्ण मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा शारीरिक व्यवहार है जो वे उत्पादों तथा सेवाओं से अवगत होने, उनका मूल्यांकन करने, क्रय करने, उपभोग करने तथा उनके बारे में दूसरों को बताने में करते हैं।

निष्कर्ष के Reseller में कहा जा सकता है कि उपभोक्ता व्यवहार उपभोक्ताओं का वह व्यवहार है जो वे किसी उत्पाद या सेवा के क्रय या उपयोग से पूर्व, पश्चात And क्रय निर्णय प्रReseller के दौरान करते हैं।

उपभोक्ता व्यवहार की विशेषताएँ/प्रकृति

उपभोक्तावहा व्यर की विशेषताओं And उसकी प्रकृति का अध्ययन इन बिन्दुओं के आधार पर Reseller जा सकता है।

  1. क्रय निर्णयन प्रक्रिया – कुर्ज तथा बून के According ‘‘Single व्यक्ति का क्रय व्यवहार उसकी सम्पूर्ण क्रय निर्णयन प्रक्रिया है न कि केवल क्रय प्रक्रिया का Single चरण। ‘‘ इस कथन से स्पष्ट है कि उपभोक्ता व्यवहार Single उपभोक्ता के क्रय व्यवहार की Single प्रक्रिया है जिसके द्वारा वह किसी उत्पाद या सेवा को क्रय करने का निर्णय लेता है। 
  2. प्रगटीकरण – Single उपभोक्ता के व्यवहार का प्रगटीकरण उसकी उन क्रियाओं And प्रतिक्रियाओं से होता है जिनको वह किसी उत्पाद या सेवा के क्रय पूर्व, पश्चात या क्रय करने के दौरान करता है।
  3. परिवर्तनशील -उपभोक्ता व्यवहार परिवर्तनशील होता है उपभोक्ता व्यवहार में परिवर्तन के अनेक कारण होते है। उपभोक्ता विभिन्न श्रोतों से सूचनाएं And जानकारी प्राप्त करता है। इसके अलावा उपभोक्ता की आयु, आय तथा वातावरण में परिवर्तन होने पर उसके क्रय व्यवहार में परिवर्तन होता है। अत: यह कहा जा सकता है कि उपभोक्ता व्यवहार परिवर्तनशील है। 
  4. व्यवहार में भिन्नता – All उपभोक्ता Single प्रकार के नहीं होते हैं। उनकी Needए दूसरों से भिन्न होती है तथा वे परिस्थितियॉ जिनमें उपभोक्ता जीवन यापन करता है दूसरों से भिन्न होती है। उपभोक्ता की आय, आयु, व्यवसाय व पैशा आदि में भी भिन्नता होती है अत: उपभोक्ता व्यवहार में भिन्नता पार्इ जाती है। 
  5. Single व्यापक Word – उपभोक्ता व्यवहार Single व्यापक Word है। जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ संस्थागत And औद्योगिक उपभोक्ताओं का व्यवहार भी सम्मिलित हैं घरेलू उपभोक्ता वह उपभोक्ता है जो अपने स्वयं के या परिवार के उपभोग हेतु उत्पादों को क्रय करता है जबकि औद्योगिक And स्ंस्थागत उपभोक्ता वे उपभोक्ता है जो पुन: उत्पादन या पुन: विक्रय हेतु उत्पादों को क्रय करतें है। अत: उपभोक्ता व्यवहार में All प्रकार के उपभोक्ताओं का व्यवहार सम्मिलित है। 
  6. समझने में कठिनार्इ – उपभोक्ता व्यवहार Single जटिल पहेली है। उपभोक्ता किन परिस्थितियेां में कैसा व्यवहार करेगा इसकी पूर्व जानकारी करना या पता लगाना बहुत कठिन है। उपभोक्ता की अनेक Needए होती है। अपनी इच्छाओं And Needओं का उपभोक्ता द्वारा प्रगटीकरण हो भी सकता है और नहीं भी। कर्इ उपभोक्ता शर्मीले स्वभाव के होते है उनके बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत कठिन कार्य होता है। 
  7. उपभोक्ता व्यवहार अध्ययन And विश्लेषण – उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन And विश्लेषण करने के बाद क्रय व्यवहार सम्बंधी कर्इ प्रश्नों या समस्याओं को जाना And समझा जा सकता है। उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन And विश्लेषण कर निम्न प्रश्ना ें के उत्तर प्राप्त किये जा सकते है :-
    1. वह किन उत्पादों को क्रय करना चाहता है उत्पाद का ब्रान्ड नाम And उत्पादक कौन है। 
    2. वह उन उत्पादों को क्यो क्रय करना चाहता है तथा उन उत्पादों से उसे किस प्रकार की संतुष्टि प्राप्त होती है। 
    3. वह उन का क्रय किस प्रकार करना चाहता है। 
    4. उत्पादों का क्रय कहॉ से करना चाहता है फुटकर व्यापारी, माल या डिपार्टमेन्टल स्टोर से। 
    5. उत्पादों का क्रय कब करना चाहता है? किसी भी समय या निश्चित अवसरों पर ? 
    6. वह उनका क्रय किन से करना चाहता है। 
  8. संतुष्टि की व्याख्या-उपभोक्ता व्यवहार क्रेता या उपभोक्ता की संतुष्टि की व्याख्या करता है। यदि उत्पाद के उपभोग से उसे संतुष्टि प्राप्त होती है तो वह पुन: उसी उत्पाद को खरीदने का प्रयास करता है। यदि उत्पाद का उपभोग करने के पश्चात उसे असंतुष्टि का अनुभव होता है। तो वह उस उत्पाद को पुन: क्रय नहीं करने का निर्णय लेता है।

उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित करने वाले घटक

उपभोक्ता व्यवहार अनेक घटकों द्वारा प्रभावित होता है। उपभोक्ता अनेक कारणों या बातों को ध्यान में रखकर क्रय निर्णय लेता है। उपभोक्ता व्यवहार के घटकों को इन भागों में बांटकर अध्ययन Reseller जा सकता है।
1.व्यक्तिगत घटक 2.आर्थिक घटक 3.मनोवैज्ञानिक घटक 4.सांस्कृतिक घटक 5.सामाजिक घटक 6.अन्य घटक

1.व्यक्तिगत घटक

उपभोक्ता के व्यक्तिगत जीवन के अनेक पहलू होते हैं। ये All पहलू उपभोक्ता व्यवहार को प्रत्यक्ष या परोक्ष Reseller से प्रभावित करते है। ऐसे घटकों/पहलूओं में से प्रमुख है-

  1. आयु- उपभोक्ता की आयु उसके क्रय निर्णय को प्रभावित करने वाला बहुत बड़ा घटक है। जैसा कि हम जानते है कि बाल्यकाल, किशोर अवस्था, युवा अवस्था And वृद्धावस्था ये चार प्रमुख आयु अवस्थाए हैं। प्रत्येक उपभोक्ता अपनी आयु And अवस्था के हिसाब से क्रय निर्णय करता है। 
  2. Need- प्रत्येक उपभोक्ता Second से भिन्न होता है तथा उसकी Needए Second से भिन्न होती है। उपभोक्ता अपनी Needओं का निर्धारण करता है And उन Needओं के According क्रय निर्णय लेता है।
  3. जीवन शैली- उपभोक्ता की जीवन शैली उसके क्रय व्यवहार को प्रभावित करती है। उपभोक्ता की जीवन शैली उसकी आधारभूत Needए, आराम की Needए तथा विलासिता की Needए तय करती है। 
  4. व्यवसाय या धंधा- उपभोक्ता का व्यवसाय या धंधा उसके क्रय व्यवहार को प्रभावित करता है Single सामान्य वेतन भोगीे कर्मचारी, उच्च अधिकारी, पैशेवर व्यक्ति And व्यवसायी अलग-अलग परिस्थितियों में अलग अलग क्रय व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं। 
  5. लिंग- उपभोक्ता व्यवहार पुरूषों And महिलाओं में भिन्न भिन्न प्रकार का पाया जाता है। पुरूषों And महिलाओं की Needए, विचार And मनोवृतियॉ तथा प्रवृतिया अलग अलग होती है अत: उत्पाद क्रय व्यवहार लिंगानुसार प्रभावित होता है। 
  6. व्यक्तित्व- प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग अलग प्रकार का होता है। अत: उसका क्रय व्यवहार उसके व्यक्तित्व के अनुReseller ही होता है। सामान्यतया All व्यक्ति अपने व्यक्तित्व से मेल खाने वाली वस्तुओं को ही क्रय करते है। 
  7. स्वधारणा- प्रत्येक व्यक्ति की अपने स्वंय के प्रति Single धारणा होती है तथा व्यक्ति अपनी उस धारणा के अनुReseller ही क्रय व्यवहार करता है। व्यक्ति समाज में अपनी छवि बनाना चाहता है तथा उसे सुधारना भी चाहता है। अत: अपनी स्वधारणा के According उत्पादों को क्रय करता है।

2. आर्थिक घटक

उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित करने वाले घटकों में आर्थिक घटक अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते है। प्रमुख आर्थिक घटकों का वर्णन Reseller जा रहा है :-

  1. आय – कोर्इ भी उपभोक्ता अपनी आय के According ही क्रय निर्णय लेता है अत: आर्थिक घटकों में आय का महत्वपूर्ण स्थान है। आय को तीन श्रेणीयों में विभाजित Reseller जा सकता है :- 
    1. व्यक्तिगत आय –व्यक्तिगत आय से आशय व्यक्ति की स्वयं की आय से लगाया जाता है। व्यक्तिगत आय में कमी And वृद्धि उपभोक्ता की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है। 
    2. पारिवारिक आय –जब उपभोक्ता संयुक्त परिवार का सदस्य होता है तो आय से आशय उसकी पारिवारिक आय से लिया जाता है। पारिवारिक आय में वृद्धि होने पर क्रय शक्ति में वृद्धि हो जाती है, तथा खर्च के लिए अधिक धन राशि उपलब्ध हो जाती है इसके विपरीत पारिवारिक आय में कमी होने पर क्रय शक्ति मे कमी हो जाती है। तथा खर्च के लिए कम धन राशि उपलब्ध हो पाती है। 
    3. भावी आय की संभावना –भावी आय में वृद्धि होने की संभावना भी उपभोक्ता की क्रय शक्ति में वृद्धि कर देती है। भविष्य में आय बढ़ने की संभावना होने पर लोग अधिक खर्च करते है तथा बचत पर कम ध्यान देते है।यदि भविष्य में आय में कमी होने की संभावना होती हो तो लोग कम खर्च करते है तथा बचत की और ज्यादा ध्यान देते है। 
  2. साख सुविधाए –यदि उपभोक्ता को साख सुविधाए उपलब्ध है Meansात उत्पाद उधार या किराया क्रय प्रद्धति पर उपलब्ध हो जाता है तो उपभोक्ता उस उत्पाद के क्रय के लिए सकारात्मक रूख अपना लेता है इसके विपरीत यदि साख सुविधाए उपलब्ध नही है तो उपभोक्ता अपने साधनों की ओर देखकर ही क्रय निर्णय लेता है।
  3. तरल सम्पतियॉ – तरल सम्पतियों से आशय ऐसी सम्पतियों से लिया जाता है जो बहुत शीघ्र नगदी में परिवर्तित की जा सकती है। उदाहरण के लिए अंश, ऋणपत्र, बैंक में जमाराशि आदि। तरल सम्पतियॉ क्रेता के व्यवहार को सकारात्मक Reseller से प्रभावित करती है क्योंकि क्रेता इनके आधार पर तुरन्त क्रय करने का निर्णय ले सकता है। 
  4. मूल्यस्तर – बाजार में वस्तुओं का मूल्य स्तर भी क्रेता के क्रय व्यवहार को प्रभावित करता है। वस्तुओं का मूल्य अधिक होने पर उपभोक्ता कम मात्रा में वस्तु क्रय करता है या क्रय निर्णय को कुछ समय के लिए टाल देता है। इसके विपरीत स्थिति में जब मूल्य स्तर में कमी आती है तो क्रेता तुरन्त क्रय निर्णय लेता है तथा अधिक मात्रा में भी उत्पाद का क्रय कर सकता है या क्रय कर लेता है।

3. सामाजिक घटक

उपभोक्ता समाज का ही Single अंग है। समाज में रहकर प्रत्येक उपभोक्ता पलता है And बड़ा होता है। अत: सामाजिक घटक भी उसके क्रय व्यवहार को प्रभावित करते है। प्रमुख सामाजिक घटक  है-

  1. परिवार – परिवार में अनेक सदस्य होते है उनमें प्रत्येक सदस्य का क्रय निर्णय अलग होता है तथा परिवार के Single सदस्य का क्रय निर्णय Second सदस्य के क्रय निर्णय को प्रभावित करता है। परिवार के सदस्य अनेक भूमिकाओं में होते है जैसे माता-पिता, पुत्र-पुत्री, पति-पत्नि आदि की भूमिकाए। इनका क्रय निर्णय इनकी अपनी भूमिका के According प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त परिवार के सदस्यों की आयु, उनकी जीवन-चक्र अवस्था भी क्रय निर्णय को प्रभावित करती है। बचपन में परिवार के सदस्य बड़ों द्वारा अपनार्इ गर्इ क्रय निर्णय व्यवस्था से प्रभावित होते है लेकिन कभी कभी बच्चे भी अपनी पसंद, Need And रूचि बताकर बड़ों के क्रय व्यवहार को प्रभाावित कर देते है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवार का वातावरण क्रय व्यवहार को प्रभावित करता है।
  2. सम्पर्क समूह – Single उपभोक्ता सिर्फ अपने परिवार के सम्पर्क में ही नहीं आता है। वरन अन्य लोगों के सम्पर्क में भी आता है। इनमें मित्र, रिस्तेदार, धार्मिक And सामाजिक समूह, क्लब तथा सामाजिक संस्थाए प्रमुख है। ये सम्पर्क समूह उपभोक्ता के क्रय निर्णय को गम्भीर Reseller से प्रभावित करते है। लोगों में आपसी देखा-रेखी, Single दुसरे से होड़ करना इसके जीते जागते उदाहरण है। इन सब कारणों से उपभोक्ताओं के खर्च में बहुत अधिक वृद्धि हुर्इ है। अत: विपणनकर्ता को सम्पर्क समूहों का भी ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए क्योंकि ये सम्पर्क समूह उपभोक्ता के क्रय निर्णय को प्रभावित करने की स्थिति में होते है। 
  3. प्रभावित करने वाले व्यक्ति – कुछ लोग हमेशा Second लोगों के निर्णयों को प्रभावित करने की स्थिति में होते है। Second Wordों में कुछ ऐसे लोग होते है जिनकी राय क्रेता या उपभोक्ता के लिए महत्व रखती है। Single व्यक्ति जिससे प्रभावित होता है उसकी रूचि, पंसद या नापसंद को अपना लेता है तथा उसी के According क्रय निर्णय लेना पसंद करता है।
  4. सामाजिक वर्ग – प्रत्येक व्यक्ति का सामाजिक वर्ग And उसका जातीय वर्ग उसके क्रय व्यवहार को प्रभावित करता है। समाज के प्रत्येक वर्ग का रहन-सहन, खान-पान Second वर्ग के लोगों से अलग होता है। उपभोक्ता अपने समाज के बनाये रिवाजों के According खर्च करता है या क्रय व्यवहार करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि लोगों का सामाजिक वर्ग And जातीय वर्ग उनके क्रय व्यवहार को प्रभावित करता है।

4. मनोवैज्ञानिक घटक – 

उपभोक्ता का क्रय व्यवहार अनेक प्रकार के मनोवैज्ञानिक घटकों से प्रभावित होता है। मनोवैज्ञानिक घटकों में प्रमुख घटक इस प्रकार है:-

  1. अवबोधन – जब Single व्यक्ति अपनी ज्ञानेन्दियों की सहायता से किसी वस्तु, सेवा, घटना, या विचार मे सम्बंध में कोर्इ धारणा बनाता है या कोर्इ निष्कर्ष निकालता है या किसी निर्णय पर पहुचता है तो उसे अवबोधन कहते है। अवबोधन की प्रक्रिया के द्वारा ही कोर्इ उपभोक्ता किसी उत्पाद या सेवा के बारे में अपनी धारणा बनाता है। क्रेता किसी उत्पाद या सेवा के बारे मे जिस प्रकार की धारणा बनाता है ठीक उसी प्रकार की विशेषताए उत्पाद में होनी चाहिए ताकि क्रेता उस उत्पाद या सेवा को क्रय करने के बाद संतुष्टि का अनुभव कर सके। 
  2. अनुभव द्वारा सीखना – क्रेता व्यवहार का दुसरा महत्वपूर्ण घटक है अनुभव द्वारा ज्ञानार्जन अथवा सीखना। उपभोक्ता या क्रेता अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में अनेक बाते सीखता है तथा अभ्यास और अनुभव से ज्ञान प्राप्त करता है। धीरे-धीरे उसका यह व्यवहार उसकी आदत में आ जाता है। उदाहरण के लिए Single क्रेता जब किसी विशेष ब्रान्ड के उत्पाद को क्रय करता है और वह उत्पाद बार-बार खराब हो जाता है। ऐसे अनुभव के बाद क्रेता के मन मे उस विशेष ब्रान्ड के उत्पाद के प्रति धारणा खराब हो जाती है। क्रेता भविष्य में इस प्रकार के उत्पादों को क्रय करना पसंद नही करता है।
  3. छवि – Single क्रेता के मस्तिष्क में किसी उत्पाद या सेवा के बारे में जो छाप होती है उसे छवि कहते है। उदाहरण के लिए Single क्रेता की सोच में मंहगे उत्पाद ही अच्छे होते है, ब्रान्डेड वस्तुओं का कोर्इ मुकाबला नही इस प्रकार की बाते आ जाती है तो क्रेता अपनी सोच के According ही उत्पादों को क्रय करना पसंद करेगा। विपणनकर्ता को चाहिए कि क्रेता के मस्तिष्क में उत्पाद के बारे में जो सकारात्मक छवि बनी है उसे बनाये रखने में मदद करे Meansात उत्पादों का स्तर उसके ब्रान्ड नाम के अनुReseller बनाये रखे
  4. अभिप्रेरणा या प्रेरक तत्व – उपभोक्ता किसी न किसी कारण से प्रेरित होकर किसी उत्पाद को क्रय करने का निर्णय लेता है। क्रेता की यही क्रय प्रेरणा उस उत्पाद को क्रय करने का कारण बनती है। हम यह जानते है कि प्रत्येक व्यक्ति की अनेक इच्छाए And Needए होती है। जब व्यक्ति इन इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता है तो यही इच्छाए उसकी क्रय पे्ररणा बन जाती है। इसके पश्चात वह उस क्रय-प्रेरणा के प्रति जो प्रति क्रिया करता है। वही उसका उसका क्रय व्यवहार होता है। अब्राइम मास्लों ने व्यक्तियों की Needओं को समझकर Needओं का Single क्रम तैयार Reseller है जो इस प्रकार है:-
    1. शारीरिक Needए- रोटी, कपड़ा, मकान आदि व्यक्ति की शारीरिक Needए होती है और Single व्यक्ति इन Needओं को सबसे First पूरा करना चाहता है। प्प्ण् Safty Needए- शारीरिक Needओं की पूर्ति हो जाने के बाद Safty की Needए आती है। व्यक्ति खतरों And आकस्मिक घटनाओं से Safty चाहता है।
    2. सामाजिक Needए- शारीरिक And Safty सम्बंधी Needओं की संतुष्टि के बाद सामाजिक Needए आती है। व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से प्रेम, स्नैह, अपनत्व और सहानुभूति चाहता है। सामाजिक समूहों में भागीदारी चाहता है।
    3. अहंकारी या आत्मसम्मान की Needए- जब उपरोक्त तीनो Needओं की संतुष्टि हो जाती है तो व्यक्ति में आत्मसम्मान या अंहाकार जागृत होता है। व्यक्ति अधिकार सत्ता, ऊंचा पद या स्वायतता प्राप्त करना चहता है। सामान्य व्यक्तियों की भीड़ से अलग दिखना चाहता है। 
    4. आत्मविकास की Needए- Needओं के क्रम में सर्वोच्चय शिखर पर आत्मविश्वास की Need आती है। व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग करना चाहता है तथा वह जो कुछ बन सकता है, बनना चाहता है।

मैस्लों का मानना है कि जब Single स्तर की Need पुरी हो जाती है तो अलग स्तर की Needओं का जन्म होता है। परिणामस्वReseller अगले स्तर की Needए क्रय प्रेरणाए उत्पन्न करती है।

5. सांस्कृतिक घटक- 

किसी समाज के आचरण And व्यवहार को नियमन करने वाले घटकों को हम सांस्कृतिक घटकों की श्रेणी में लेते है। इसमें समाज के रीति-रिवाज, आस्थाए, And धारणाए आदि सम्मिलित की जाती हैं। समाज के सदस्य अपने पूर्वजों द्वारा प्रदत्त इन रीतिरिवाजों, आस्थाओं And धारणाओं का पालन करते रहते है। समाज के सदस्यों का रहन-सहन, खानपान, पहनावा, आचरण आदि इन सांस्कृतिक घटकों से प्रभावित होता रहता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि क्रेता का क्रय व्यवहार इन सांस्कृतिक घटकों से प्रभावित होता रहता है।

6. अन्य घटक – 

क्रेता का क्रय व्यवहार कुछ अन्य घटकों से भी प्रभावित होता है जिसमें सूचना And जानकारी Single प्रमुख घटक है। जब क्रेता प्रर्याप्त सूचना And जानकारी रखता है तो उस सूचना And जानकारी से उसका क्रय व्यवहार प्रभावित होता है। जिस ग्राहक की सूचना And जानकारी का स्तर ऊंचा होता है उसे भ्रमित करना काफी कठिन होता है। विपणन कर्ता को चाहिए कि ऐसे ग्राहकों को प्रर्याप्त जानकारी देकर ही क्रय हेतु प्रेरित करें। जिन ग्राहकों को प्रर्याप्त जानकारी नहीं है उन्हें अन्य लोग सुझाव व सलाह देते हैं जिसके आधार पर वे क्रय निर्णय लेते हैं। सूचना And जानकारी घटक में इन घटकों का अध्ययन Reseller जा सकता है :-

  1. सूचना के विभिन्न माध्यम- विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, प्रचार And जनसम्पर्क के साधन 
  2. ग्राहक के ज्ञान का स्तर 
  3. अन्य क्रेताओं द्वारा दिये गये सुझाव And सलाह 
  4. ग्राहकों की सुझ बूझ बढ़ाने के उपाय

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