उत्पाद विकास क्या है ?

उत्पाद विचार को वास्तविक उत्पाद में परिवर्तित करना ही उत्पाद विकास है। अत: उत्पाद विकास से आशय नये उत्पाद के विकास से ही लगाया जाता है। अत: इसमें वे All कार्य सम्मिलित होते है जो किसी नवीन उत्पाद के विकास के लिए आवश्यक होते है। इस प्रकार उत्पाद विकास वह व्यहू Creation है जिसके अन्तर्गत विद्यमान बाजार की अपेक्षाओं के अनुReseller नये उत्पादों का विकास कर बाजार में प्रस्तुत Reseller जाता हैं।

  1. कोडवेकर के According, ‘‘उत्पाद विकास से तात्पर्य, ‘‘बाजार की सटीक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उत्पाद का आविश्कार करना है।’
  2. कोटलर तथा आर्मस्ट्रॉग के According, ‘‘उत्पाद विकास संस्था की उन्नति की वह व्यूCreation है जिसके अन्तर्गत विद्यमान बाजार संभागों में संशेधित या नये उत्पाद प्रस्तुत किये जाते है।’’
  3. विलियम जे स्टेन्टन के According, ‘‘उत्पाद विकास उत्पाद-बाजार उन्नति की वह व्यूहCreation है जिसमें संस्था अपने विद्यमान बाजारों में बेचने के लिए नये उत्पादों का विकास करती हैं।’’

उत्पाद विकास की प्रक्रिया

उत्पाद विकास करना Single जटिल कार्य है। इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि इसकी विधिवत् प्रक्रिया को अपनाया जाय। ऐसी प्रक्रिया में अनेक चरण हो सकते हैं। विभिन्न संस्थाओं की उत्पाद विकास प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है किन्तु Single आदर्श उत्पाद विकास प्रक्रिया में चरण होते है।

1. विचारों की खोज And उत्पत्ति –

यह उत्पाद विकास की प्रक्रिया का First चरण हैं। इसमें विद्यमान या चालू उत्पादों में सुधार करने And नये उत्पादों के विकास हेतु बहुत बड़ी संख्या में सृजनात्मक विचारों की खोज की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अधिक विचार होंगे, उतनी ही अधिक सम्भावना Single विचार के चुने जाने की होती है। वे संस्थाएँ जो विचारो की खोज करती है, इस कार्य के लिए Single अधिकारी नियुक्त कर देती है, जिसका कार्य विचारों की खोज करना, विचारों के लिए कर्मचारियों And अन्य को प्रोत्साहित करना तथा उन विचारों को सम्बन्धित विभागों को भेजना है। नये विचारों की खोज  इन स्त्रोतों से की जा सकती है।

  1. ग्राहक- ग्राहकों से स्वयं की इच्छाओं, Needओं, पसन्द-नापसन्द, समस्या, सुझाव, उत्पाद में सुधार आदि के सम्बन्ध में नये विचार प्राप्त किये जा सकते हैं।
  2. निर्माता के विक्रेता – निर्माता के विक्रेताओं का प्रत्यक्ष सम्बन्ध ग्राहकों से होता है। इसलिए ग्राहक द्वारा उत्पाद के सम्बन्ध में परिवर्तन बताये जाते हैं। यही नहीं, कभी-कभी विक्रेता स्वयं शिकायत करते हैं, जैसे यह पैकेट बहुत बड़ा है या हाथ में ले जाने में बहुत असुविधा होती है। ऐसी शिकायतों से नये-नये विचार मिल जाते है।
  3. प्रबन्धक And कर्मचारी – संस्था के प्रबन्धक And कर्मचारी भी नये-नये उत्पादों, वस्तुओं के निर्माण करने के लिए विचारों को प्रस्तुत करते हैं, जैसे मुख्य वस्तु के साथ पूरक वस्तुओं के निर्माण का विचार, उत्पादन सुविधाओं के उपयोग के लिए वस्तुओं के निर्माण का विचार And वितरण-माध्यमों का उचित उपयोग करने के लिए नयी वस्तुओं का निर्माण का विचार आदि।
  4. वैज्ञानिक – बड़ी बड़ी संस्थाएँ अपने यहाँ प्रयोगशालाएँ रखती हैं And उनको चलाने के लिए उच्च श्रेणी के वैज्ञानिक भी। इनके द्वारा भी नये-नये उन्नत विचार प्रस्तुत किये जाते है।
  5. प्रतियोगियो – प्रतियोगी के द्वारा भी उत्पाद के सम्बन्ध में नये-नये विचार आते है। Single अच्छी संस्था प्रतियोगी उत्पादों का विश्लेषण अपनी प्रयोगशाला में करती रहती है जिससे कि उसको नये-नये विचार मिलते रहते है। 
  6. अन्य विभाग – उत्पादों के विकास के लिए संस्था के विभिन्न विभागों, जैसे Human संसाधन विभाग, अनुसन्धान विभाग, सेवा विभाग, मरम्मत And उत्पादन विभाग आदि से विचार आमन्त्रित किये जाते है।
  7. विश्वविद्यालय And सरकारी अनुसन्धान प्रयोगशालाएँ – कभी-कभी विश्वविद्यालयों And सरकारी प्रयोगशालाओं के द्वारा भी नये विचार आते हैं जो नवीन उत्पादों के विकास में सहायक होते हैं।
  8. अन्य स्त्रोत –विचार प्राप्ति के कर्इ अन्य स्त्रोत भी है, जैसे मध्यस्थ, विनियोक्ता, विदेशी बाजार, पत्र-पत्रिकाएँ, व्यापार संघ, चैम्बर, ग्राहको के पत्र, इन्जीनियर, आविश्कारक, विभागीय प्रतिवेदन, स्वतंत्र शोधकर्ता And विचारक आदि।

2. विचारो की जाँच परख – 

उत्पाद विकास की प्रक्रिया के First चरण में जहाँ अधिकाधिक विचारों को प्राप्त करने का प्रयास Reseller जाता हैं। जबकि इस चरण से ही प्रत्येक अगले चरण में उत्पाद विचारों को कम करने का प्रयास Reseller जाता है। उत्पाद विकास प्रक्रिया के First चरण में प्राप्त या संकलित उत्पाद विचारों को इस Second चरण में जाँचा-परखा And उनका मूल्याकंन Reseller जाता है। उनकी जाँच परख And मूल्याकंन के बाद उन विचारों को त्याग दिया जाता है जो संस्था के लिए किसी भी कारण से अनुपयोगी होते हैं। समान्यत: प्रमुख मानदण्डो पर उत्पाद विचारों को जाँचा -परखा जाता है And उनका मूल्याकंन Reseller जाता है:

  1. संस्था के उद्देश्य के साथ अनुकूलता;
  2. विचारों की व्यावहारिकता;
  3. विचारों के अपनाने पर आवश्यक पूँजी;
  4. कच्चे माल And अन्य साधनों की उपलब्धता
  5. तकनीकी And प्रबन्धकीय योग्यता की उपलब्धता;
  6. उत्पाद की नवीनता;
  7. विपणन योग्यता;
  8. संस्था की ख्याति पर प्रभाव; इत्यादि।

उत्पाद विचारों की जाँच-परख, उत्पाद विकास प्रक्रिया का Single महत्त्वपूर्ण चरण है। अत: इसमें पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। इसमें थोड़ी-सी भी असावधानी से प्रतिकूल या अव्यावहारिक उत्पाद विचार छँटनी होने से रूक जाता है और प्रक्रिया के अलगे चरण में पहुँच जाता है। ऐसे में संस्था को समय, श्रम तथा धन की भारी हानि उठानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, अनुपयोगी विचार को अगले चरण में पास होने देने से कर्इ बार बहुत उपयोगी विचार से भी ध्यान हट जाता हैं। इसकी भी संस्था को कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस सन्दर्भ में शोएल तथा गुल्टीनन ने ठीक ही लिखा है कि ‘‘अच्छे विचारों को तिलांजलि देने से अवसर खोने लगते हैं तथा कमजोर विचारों को अपनाने से लागत बढ़ने लगती है।’’

3. व्यावसायिक विश्लेषण – 

जाँच-परख के बाद जो उत्पाद विचार दमदार And हितकारी नजर आते हैं, उनका व्यावसायिक विश्लेषण Reseller जाता है। Second Wordों में जाँच-परख And मूल्याकंन के बाद शेष बचे उत्पाद विचारों की व्यावसायिक उपादेयता, व्यावहारिकता And लाभदेयता का अध्ययन Reseller जाता है। सामान्यत: उत्पाद विचारों के व्यावसायिक विश्लेषण में  इन बातों का विश्लेषण Reseller जाता है :

  1. माँग विष्लेशण, जिसमें All उत्पाद विचार से निर्मित माल की सम्भावित माँग का विश्लेषण And अनुमान Reseller जाता है।
  2. लागत विष्लेशण, जिसमें उत्पाद निर्माण के लिए आवश्यक पूँजी, उत्पाद निर्माण And विपणन की लागतें आदि का अनुमान And विश्लेषण Reseller जाता है। 
  3. लाभदेयता विश्लेषण, जिसमें उत्पाद की लाभदेयता का अनुमान लगाया जाता है। इस हेतु उत्पाद का ‘‘बे्रक-इवन विश्लेषण’’ तथा इससे सम्बन्धित कर्इ अनुपात विश्लेषण किये जाते हैं।

इसके अतिरिक्त, उत्पाद विचार का व्यावसायिक विश्लेषण के समय सम्पूर्ण व्यावसायिक वातावरण के घटकों, Meansव्यवस्था की स्थिति, उत्पाद का सम्भावित जीवन चक्र आदि का भी विश्लेषण Reseller जाता है।

4. उत्पाद विकास –

इस अवस्था में उत्पाद विचार को उत्पाद में परिवर्तित Reseller जाता है। इस चरण में उत्पाद को वास्तविक Reseller से बनाया जाता है तथा उसका परीक्षण Reseller जाता है। इस प्रक्रिया में उत्पाद के रंग, Reseller, गुण, आकार, किस्म, पैंकेजिंग, नाम आदि का भी निर्धारण Reseller जाता है। उत्पाद विकास के इस चरण में इस प्रकार की क्रियाएँ की जाती है –

  1. लक्षण निर्धारण क्रियाएँ, जिनके अन्तर्गत विपणन विभाग ग्राहकों की इच्छाओं, Needओं, पसन्दगी, वरीयता आदि के आधार पर उत्पाद के लक्षणों को निर्धारित करता हैं। इसमें उत्पाद की किस्म, रंग, Reseller, आकार, डिजाइन, आदि को निर्धारित Reseller जाता है।
  2. वैज्ञानिक And इंजीनियरी क्रियाएँ, जिनके अन्तर्गत उत्पाद को भौतिक स्वReseller या मूर्त Reseller में तैयार Reseller जाता है। विपणन विभाग द्वारा निर्धारित उत्पाद के लक्षणों के अनुReseller ही उत्पाद को तैयार Reseller जाता है।
  3. क्रियात्मक परीक्षण, जिसमें उत्पाद की क्रियाशीलता/संचालन की जाँच की जाती है।
  4. उपभोक्ता वरीयता परीक्षण, जिसमें उपभोक्ताओं की वरीयता की जाँच की जाती है। इस हेतु कुछ उपभोक्ताओं से उत्पाद का परीक्षण भी कराया जाता है।
  5. विपणन मिश्रण का निर्धारण – जिसमें उत्पाद के विपणन कार्यो के मिश्रण को निर्धारित Reseller जाता है। इसमें उत्पाद का नाम, पैकेजिंग, लेबलिंग वितरण विधियों, संवर्द्धनात्मक साधनों आदि का निर्धारण सम्मिलित है।

5. जाँच विपणन –

उत्पाद विकास के पिछले चरण में उत्पाद को वास्तविक स्वReseller में लाया जाता है तथा उसकी कुछ उपभोक्ताओं से जाँच भी करायी जाती है। किन्तु इस अवस्था या चरण में उत्पाद की उपभोक्ताओं से जाँच कराने तथा उनकी प्रतिक्रियाएँ जानने हेतु उसे वास्तविक बाजार में ही प्रस्तुत कर दिया जाता है। यद्यपि यह बाजार बहुत सीमित क्षेत्र का ही होता है। जाँच विपणन वस्तुत: Single प्रकार का विपणन अनुसंधान ही है। जाँच विपणन के प्रमुख उद्देश्य And लाभ है –

  1. भावी उत्पाद का विक्रय सम्भाव्यता को ज्ञात करना। ;पपद्ध उत्पाद के सम्बन्ध में उपभोक्ताओं And व्यापारियों के विचारों And प्रतिक्रियाओं को जानना।
  2. उत्पाद विपणन कार्यक्रम की प्रभावशीलता का मूल्याकंन करना।
  3. उत्पाद के दोषों का पता लगाना।
  4. प्रतिस्पर्धियों की प्रतिक्रियाओं को जानना।
  5. उत्पाद का उचित मूल्य निर्धारित करना।
  6. वैकल्पिक उत्पाद के विपणन कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को जाँचना।

6. उत्पाद का व्यवसायीकरण – 

जब जाँच विपणन के परिणाम उत्साहजनक आ जाते हैं, तो उत्पाद का व्यवसायीकरण Reseller जाता है। उत्पाद व्यवसायीकरण से तात्पर्य उत्पाद को वास्तव में पूरे बाजार में प्रस्तुत करने से है। उत्पाद के व्यवसायीकरण से पूर्व Single व्यापक विपणन योजना तैयार की जाती है। इस योजना में इन बातों की व्यवस्था की जाती है –

  1.  नये उत्पाद के उत्पादन हेतु आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना, जिनमें पूँजी, यंत्र, उपकरण, कच्चा माल आदि प्रमुख है।
  2. बाजार क्षेत्रों का निर्धारण करना।
  3. लक्ष्य बाजारों के लिए विपणन रणनीति बनाना।
  4. मूल्य नीति, उधार नीति आदि का निर्धारण करना।
  5. वितरण मध्यस्थों की व्यवस्था करना।
  6. संवर्द्धनात्मक निर्णय And व्यवस्था करना।
  7. विक्रय दल की Appointment And प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  8. उत्पाद की सतत् किस्म नियन्त्रण की व्यवस्था करना।
  9. अन्य विभागों से समन्वय करना।
  10. नवीन उत्पाद के नाम, ब्राण्ड, पेटेन्ट, पैंकेजिंग आदि के पंजीयन And Safty की व्यवस्था करना।
  11. उत्पादों के परिवहन And भण्डारण की व्यवस्था करना।

उत्पाद का व्यवसायीकरण करने के बाद उसका निरन्तर अनुगमन भी करना पड़ता है। इससे उत्पाद विपणन में समस्याएँ नही आती है तथा माल के छोटे-मोटे दोषों को यथासमय दूर Reseller जा सकता है। इस प्रकार उपर्युक्त प्रक्रिया का पालन करके कोर्इ भी संस्था अपने उत्पाद को बाजार में प्रस्तुत कर सकती है।

उत्पाद विकास के लाभ

आज के युग में उत्पाद विकास प्रत्येक संस्था के लिए अनिवार्य है क्योंकि इसमें व्यावसायिक फर्मों, समाज And राष्ट्र को अनेक लाभ होते है, जैसे –

  1. उत्पाद विकास के माध्यम से उपभोक्ताओं को अधिकतम सन्तुष्टि होती हैं।
  2. निर्माताओं के बजाार में वृद्धि होती है, फलस्वReseller उत्पादों का बाजार विस्तृत हो जाता है।
  3. उत्पाद विकास से जीवन-चक्र की आयु बढ़ जाती है। 
  4. उत्पाद विकास कार्यक्रम से उत्पाद रेखाओं का विस्तार And संकुचन Reseller जाता है। जिससे Meansव्यवस्था में माँग-पूर्ति सन्तुलित रहती है, रोजगार के अवसरों में कमी नहीं होने पाती है। परिणामस्वReseller आर्थिक प्रगति में स्थायित्व आता है। 
  5. उत्पाद विकास ग्राहकों को स्थायी बनाता है और नये बाजारों का विकास करता है। 
  6. उत्पाद विकास के माध्यम से प्रतियोगियों का सामना करना सरल हो जाता है। 
  7. नवाचार नये उत्पादों के विकास को सम्भव बनाता है And सरलीकरण उत्पाद रेखाओं की अनावश्यक जटिलता को दूर करके ग्राहको के उत्पाद चयन को विवेकपूर्ण सुगमता उपलब्ध करता है।
  8. उत्पाद सुधार And संवेष्ठन सुधार ग्राहकों को सामाजिक प्रतिष्ठा And मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि उपलब्ध करते है।
  9. उत्पाद विकास कार्यक्रम संस्था के लाभों में वृद्धि करते है।
  10. उत्पाद विकास, विक्रय संवर्द्धन, सेवाओं And आश्वासनों आदि पर उत्पादों के प्रभावों को प्रदर्शित करता है और उत्पादों के सुधार तथा निष्पादित-मूल्याकंन के आधारों के विकास को समझाता है।

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