इटली में फासीवाद के उदय के कारण

1. इटली की जनता में असंतोष

First विश्वFight प्रारंभ होने के समय इटली की सरकार ने तटस्थ रहने का निश्चय Reseller था, किन्तु कालान्तर में उसने अपनी नीति में परिवर्तन करके मित्रराष्ट्रों के पक्ष में Fight में भाग लिया। Fight में सम्मिलित होने से पूर्व सन् 1915 में इटली ने मित्रराष्ट्रों के साथ लंदन की संधि की थी जिसमें मित्रराष्ट्रों ने Fight के बाद इटली को टिराले , ट्राइटिनो, डलमेि शया, इस्ट्रिया तथा अल्बानिया का विशाल भाग प्रदान करने का आश्वासन दिया था। इसके अतिरिक्त इटली को आस्ट्रिया, जर्मनी व टर्की के कुछ क्षेत्र प्राप्त होने के लिए भी आश्वस्त कर दिया गया था। इन्हीं आश्वासनों के आधार पर इटली ने First विश्वFight में भाग लिया था। किन्तु Fight के बाद पेरिस के शांति-सम्मेलन में इटली के प्रतिनिधि ऑरलेण्डो ने मित्रराष्ट्रों के समक्ष अपनी मांगें प्रस्तुत कीं तो अमेरिका के राष्ट्रपति बिल्सन ने लंदन की संधि को मानने तथा इटली की मांगों को स्वीकार करने से स्पष्ट इंकार कर दिया। इस प्रकार इटली को पेरिस शांति-सम्मेलन में कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। इस घटना से इटली की जनता में तीव्र असंतोष व्याप्त हो गया। वे यह अनुभव करने लगे कि मित्रराष्ट्रों ने उनके देश के साथ विश्वासघात Reseller था। अतएव वहां के युवा मध्यम वर्ग में संगठन व Singleता की भावना जाग्रत हुर्इ और उन्होंने इस राष्ट्रीय अपमान व विश्वासघात का प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से Single नवीन संगठन स्थापित करने का निश्चय Reseller।

2. आर्थिक दुर्दशा

Fight की अवधि में इटली की सरकार ने सेना तथा Fight-सामग्री पर अपनी वित्तीय क्षमता से बहुत अधिक धन व्यय Reseller था, जिसके कारण Fightोत्तरकाल में इटली की आर्थिक स्थिति शाचे नीय हो गयी। राष्ट्रीय ऋण का भार बढ़ गया। मुद्रा का मूल्य दिन-प्रतिदिन गिरने से व्यापार, उद्योग तथा सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में अभूतपूर्व अव्यवस्था उत्पन्न हो गयी। बेरोजगारी बढ़ने से लोग भूखों मरने लगे। उनके पास न धन था, न व्यवसाय, न रोजगार और न भविष्य के लिए कोर्इ योजना थी। इस देशव्यापी असंतोष व आर्थिक दुर्दशा के कारण लोगों ने तत्कालीन सरकार की नीतियों की कटु आलोचना की, तथा उन्होंने देश के राजनीतिक क्षेत्र में आमूल परिवर्तन करने का निश्चय Reseller। फ्रासिस्ट दल का उदय भी इसी असंतोष का परिणाम था।

3. समाजवाद का प्रचार

इटली की शाचे नीय आर्थिक स्थिति तथा देशव्यापी असंतोष का लाभ उठाकर कुछ विरोधी दलों ने जनता में अपने कायर्क्रम व सिद्धातो का प्रचार करना प्रारंभ कर दिया। उनमें से सर्वाधिक प्रसिद्ध व लोकप्रिय समाजवादी प्रजातांत्रिक दल था जिसके सदस्य माक्र्सवाद के समर्थक थे। वे समस्याओं के समाधान के लिए संवैधानिक उपायों की अपेक्षा सीधी कार्रवार्इ में अधिक विश्वास रखते थे। इस दल के कार्यकर्ताओं में अधिकतर बेरोजगार श्रमिक, कृषक तथा निम्न मध्यम वर्ग के लोग थे जो रूस की बोल्शेविक पार्टी की विचारधारा से अत्यधिक प्रभावित हुए। सन् 1919 में इटली में सम्पन्न हुए संसदीय चुनावों में समाजवादी दल को महान् विफलता मिली और 574 स्थानों में से 156 स्थानों पर इस दल के उम्मीदवार विजयी हुए। फासिस्ट दल भी राष्ट्रीयता के सिद्धांत से प्रेरित था। अस्तु, समाजवादी दल तथा उसके समर्थकों ने फासिस्ट दल को पूर्ण समर्थन प्रदान Reseller।

4. राजनीतिक दलों में Singleता का अभाव

उस समय इटली में विभिन्न राजनीतिक दल थे किन्तु उनमें परस्पर Singleता नहीं थी। इस मतभदे के कारण संसद में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता था। फासिस्ट दल ने अन्य दलों की पारस्परिक फूट का लाभ उठाया और अपने सिद्धातं ों का जनता में खूब प्रचार Reseller।

5. सरकार की अयोग्यता And अकर्मण्यता

इस प्रकार Fightोत्तरकाल में इटली की आंतरिक स्थिति शोचनीय थी। पेरिस शांति-सम्मेलन के निर्णयों के प्रति सम्पूर्ण इटली में असंतोष व्याप्त था। देश का आर्थिक ढांचा अव्यवस्थित हो गया था। किन्तु इटली की तत्कालीन सरकार ने जनता की समस्याओं को हल करने तथा अव्यवस्था, अराजकता और असंतोष को दूर करने के लिए कोर्इ प्रभावी कदम नहीं उठाया। सरकार की अकर्मण्यता के विरोध में 1920 र्इ. में समाजवादी दल के सहयागे से देश के श्रमिकों व कृषकों ने विद्रोह कर दिया और उन्होंने लगभग Single सौ कारखानों पर अधिकार कर लिया। इतना ही नहीं, उन्हें चैम्बर ऑफ डेपुटीज की कुल सीटों के Single-तिहार्इ भाग पर अधिकार करने में भी सफलता प्राप्त हो गयी। किन्तु सरकार ने समाजवादियों की बढ़ती हइुर् शक्ति का दमन करने का कोर्इ पय्र ास नहीं Reseller। फासिस्टवादियों ने इटली की अयोग्य व अकर्मण्य सरकार की अनुचित, जन-विरोधी व उदासीन नीतियों का पूरा लाभ उठाया। जनता के मध्य मुसोलिनी की शक्ति व लोकप्रियता निरंतर बढ़ती गयी और शीघ्र ही उसने इटली की सत्ता पर अधिकार कर लिया।

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