अधिगम असमर्थता के प्रकार And कारण

अधिगम विकृति का संबंध सीखने में होने वाली अक्षमता से होता है यह अक्षमता कर्इ प्रकार के कौशलों And संज्ञानात्मक विकास से संबंधित हो सकती है। जब किसी बालक को अन्य हमउम्र बालकों की तुलना में पढ़ार्इ लिखार्इ अथवा गणित आदि विषयों में पिछड़ा हुआ पाया जाता है। और उसका यह पिछड़ना सामान्य नहीं होता बल्कि उसके इस पिछड़ने को सार्थक Reseller से निम्नस्तरीय प्रदर्शन की श्रेणी में रखा जा सकता है तब यह कहा जाता है कि बालक में अधिगम विकृति (लर्निंग डिस्आर्डर ) की समस्या उत्पन्न हो गयी है। और यह समस्या, समस्या के विभिन्न प्रकारों में से Single मनोवैज्ञानिक प्रकार के अन्तर्गत आती है। लर्निंग डिस्आर्डर को निर्धारित करने से पूर्व इसे कर्इ कसौटियों पर कसा जाता है जैसे कि बालक का बुद्धि परीक्षण पर प्राप्त बुद्धिलब्धि प्राप्तांक, उम्र, And शिक्षा की सुविधा And स्तर आदि। इसे Single विशिष्ट विकृति की संज्ञा दी जाती है।

अधिगम असमर्थता के अन्तर्गत अधिगम विकृति, संचार विकृति, तथा समन्वय से संबंद्ध पेशीय कौशल विकृति को Single साथ रखा जाता है क्योंकि इन तीनों में बालक अपने बौद्धिक स्तर के अनुReseller विशिष्ट शैक्षिक या भाषा अथवा पेशीय क्षेत्र में विकसित होने में असमर्थ रहता है।

अधिगम असमर्थता के प्रकार

नैदानिक मनोवैज्ञानिकों के According अधिगम असमर्थता तीन प्रकार की होती है। (1) अधिगम विकृतियॉं (2) संचार विकृतियॉं (3) पेशीय कौशल विकृतियॉं

(1) अधिगम विकृतियॉं – 

 प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक नेविड, राथुस And ग्रीन (2014) अपनी पुस्तक ‘एबनॉरमल साइकोलॉजी इन ए चैलेंजिंग वल्र्ड’ में अमेरिका के नेल्सन रॉकफेलर के बारे में लिखते हैं कि नेल्सन अमेरिका के उपराष्ट्रपति रहे हैं And उससे पूर्व वे अमेरिका के न्यूयार्क स्टेट के गवर्नर पद पर भी रहे हैं, उनके जीवन में वे बड़े ही दिलचस्प मोड़ से गुजर चुके हैं। वे बहुत ही प्रतिभाशाली थे तथा उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षकों के उपलब्ध होने के बाद भी उन्हें पाठन में बड़ी ही परेशानी होती थी। वास्तव में रॉकफेलर डिस्लेक्सिया नामक बीमारी से ग्रस्त थे जो कि Single अधिगम विकृति कहलाती थी। इसे कर्इ बार अधिगम असमर्थता भी सीधे सीधे कह दिया जाता है क्योंकि यह बहुत ही आम बीमारी है And अधिगम विकृति के 80 प्रतिशत व्यक्तियों में यह पायी जाती है। डिस्लेक्सिया के मरीजों में पढ़ने हेतु अपेक्षित बौद्धिक योग्यता होने के बावजूद उन्हें पाठ्य सामग्री का पाठन करने अथवा पाठ दोहराने में कठिनार्इ होती है। अधिगम विकृति Single ऐसी विकृति है जो कि दीर्घस्थायी होती है And व्यक्ति के विकास को उसकी वयस्कावस्था में भी अच्छे से प्रभावित करती है। अधिगम विकृति से ग्रस्त बच्चों का औसत बुद्धि And आयु होने के बावजूद स्कूल में निम्नस्तरीय प्रदर्शन रहता है। उनके माता पिता इस समस्या को समझ नहीं पाते And अधिकांशत: इसे बच्चों की असफलता माना जाता है। अतएव ऐसे बच्चों में आगे चलकर निम्न आत्मसम्मान जैसी अन्य मनोवैज्ञानिक समस्यायें जन्म ले लेती हैं। इनमें ADHD से ग्रस्त होने की संभावना भी काफी बढ़ी चढ़ी होती है। डायग्नोस्टिक स्टेटिस्टिकल मैनुअल के आधार पर अधिगम विकृति के तीन प्रकार निर्धारित किए हैं-

  1. पठन विकृति 
  2. गणित विकृति
  3. लेखन अभिव्यक्ति की विकृति

1. पठन विकृति (reading disorder)- 

पठन-पाठन में होने वाली विकृति को पठन विकृति की संज्ञा दी जाती है। इसे डी.एस.एम-4 में डिस्लेक्सिया कहा गया है। हालांकि डी.एस.एम.-5 में डिस्लेक्सिया Word का प्रयोग पठन विकृति हेतु नहीं Reseller गया है परन्तु यह आज भी मनोवैज्ञानिकों, क्लीनिशियन तथा शिक्षकों के बीच में अत्यधिक प्रचलित है। इस तरह की विकृति में बच्चों को पाठ पढ़ने में बड़ी ही कठिनार्इ होती है। ऐसे बच्चें प्राय: पाठ को रूक रूक कर पढ़ते हैं इससे उनके पाठन गति धीमी होती है तथा इसके साथ ही उन्हें मूल Wordों को पहचानने And पढ़े गये Wordों के Means को समझने में भी कठिनार्इ होती है। मनोवैज्ञानिक रटर And उनके सहयोगियों (2004) के According स्कूली उम्र के लगभग 4 प्रतिशत बच्चों में डिस्लेक्सिया की समस्या होती है And यह लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा पायी जाती है।

डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चे पाठ को बहुत ही कठिनता से And धीरे-धीरे पढ़ते हैं तथा जब वे जल्दी जल्दी अथवा ऊॅंची आवाज में पढ़ने की कोशिश करते हैं तो Wordों को तोड़-मरोड़कर पढ़ते हैं, इसमें कर्इ बार वाक्य के बीच के Word उनसे छूट जाते हैं And कर्इ बार वे उन्हें गलत भी पढ़ जाते हैं तथा कभी कभी तो उनकी जगह पर Second Wordों का उच्चारण कर बैठते हैं। उन्हें Wordों में बीच अक्षर विभाजन में भी समस्या हो सकती है कर्इ बार तो वे अक्षरों के संयोजन को समझने में भी दिक्कत महसूस करते हैं। परिणामस्वReseller वे Word का समुचित स्वर में पाठन नहीं कर पाते हैं। कभी कभी उनमें कुछ अक्षरों को उल्टा प्रत्यक्षित करने की समस्या भी होती है जैसे कि अंग्रेजी के अक्षर W को M के Reseller में प्रत्यक्षित करना। इसके अलावा उन्में अक्षरों की दिशा पलटने की भी समस्या होती है जैसे कि b को d के Reseller में पढ़ना। डिस्लेक्सिया अधिकांशत: 6-7 वर्ष की उम्र में पहचान में आता है। इसे बच्चों की ग्रेड 2 कक्षा से भी जोड़कर देखा जाता है। डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चों व किशोरों में डिप्रेशन, निम्नआत्ममूल्य And ADHD विकसित होने का खतरा काफी ज्यादा होता है।

ऑंचलिक And देशीय भाषाओं के According डिस्लेिक्या की दर विभिन्न देशों में क्षेत्रों में भिन्न पायी जाती है। अंग्रेजी And फ्रेंच बोलने वाले देशों में जहॉं कि भाषा में अलग अलग प्रकार की स्पेलिंग का उच्चारण Single समान प्रतीत होने वाले स्वरों से Reseller जाता है डिस्लेक्सिया के रोगियों की संख्या काफी अधिक है। वहीं इटली में इसका विपरीत होने की वजह से डिस्लेक्सिया की दर कम है।

2. गणित विकृति – 

गणित विकृति की पहचान तब होती है जब बच्चों की बौद्धिक क्षमता की तुलना में बच्चों का अंकगणितीय प्रदर्शन काफी निम्नस्तरीय होता है। तथा उसकी शैक्षिक उपलबिधयॉं उससे प्रभावित होती हैं। ऐसे बच्चों में लिखित समस्याओं को गणितीय संकेतों में कूटबद्ध करने में भी परेशानी होती है जिससे उनमें भाषार्इ कौशल से संबंधित कठिनार्इ भी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे बच्चों में संख्यात्मक संकेतों (numerical symbols) को समझने में भी समस्या हो सकती है। ऐसे बच्चों में मूल गणितीय संक्रियाओं को सम्पादित करने में भी कठिनार्इ हो सकती है जैसे कि जोड़-घटा And गुणा-भाग। यह समस्या वैसे तो छ: वर्ष की आयु से ही प्रारम्भ हो सकती है परन्तु बच्चे के कक्षा दो या तीन में पहुचने पर ही इसकी समुचित पहचान हो पाती है। यह लड़के And लड़कियों में समान Reseller से पायी जाती है।

3. लेखन अभिव्यक्ति में विकृति – 

इस विकृति की पहचान बच्चों द्वारा उनके द्वारा लिखे गये कार्य में होने वाली स्पेलिंग, व्याकरण, And पन्क्चुएशन में होने वाली त्रुटियों के माध्यम से की जाती है। जब बच्चा अपनी बौद्धिक क्षमता And आयु के स्तर से कहीं निम्नस्तर पर अत्यधिक त्रुटियॉं करता है तो इसे लेखन अभिव्यक्ति में विकृति की संज्ञा दी जाती है। ऐसे बच्चे वाक्यों को लिखने में काफी त्रुटियॉं करते हैं And वाक्यों को पैराग्राफ में ठीक से समायोजित भी नहीं कर पाते हैं। अधिकांशत: Seven वर्ष की उम्र में अथवा कक्षा-2 में इस विकृति की पहचान हो जाती है। कुछ केसेज जो कि माइल्डर केसेज कहे जा सकते हैं में इनकी पहचान 10 वर्ष की उम्र अथवा पांचवी कक्षा में पहुचते पहुचते हो जाती है।

(2) संचार विकृतियॉं – 

भाषा को, समझने And इस्तेमाल करने में तथा स्पष्ट Reseller से तथा धाराप्रवाह बोलने में होने वाली विकृति को संचार विकृति कहा जाता है। दैनिक जीवन में भाषा And भाषण की अत्यधिक महत्ता होने की वजह से यह विकृति जीवन में व्यक्ति की सफलता को उसके स्कूल जीवन, कार्यस्थल And सामाजिक परिस्थितियों को काफी गंभीर Reseller से प्रभावित करती है। यह विकृति कर्इ प्रकार की होती है। आइये इनके बारे में जानें।

1. भाषा विकृति – 

भाषा विकृति में बोलचाल की भाषा को उत्पन्न कर पाने की क्षमता में विकृति And बोलचाल की भाषा को समझ पाने की क्षमता में विकृति को सम्मिलिति Reseller गया है। इसके अन्तर्गत Single बालक में उसकी उम्र विशेष के परिप्रेक्ष्य में Wordकोष के विकास का धीमा होना, वाक्य विन्यास में गड़बड़ी, Wordों के प्रत्याह्वान में कठिनार्इ And उपयुक्त लम्बार्इ तथा जटिल वाक्यों को निर्मित कर पाने में परेशानी जैसी विशिष्ट विकृतियॉं शामिल हैं। इसके अलावा इस विकृति से ग्रस्त बच्चों में Wordों के उपयुक्त उच्चारण में भी कमी पायी जाती है जिसे स्पीच साउुंड डिस्आर्डर कहा जाता है।

भाषा विकृति से ग्रस्त बच्चों में वाक्यों अथवा Wordों को Means को न समझ पाने की समस्यायें भी पायी जाती हैं। कुछ केसेज में ऐसे बच्चे कुछ विशेष प्रकार के Wordों को समझने में संघर्ष करते पाये जाते हैं उदाहरण के लिए ऐसे Word जो पदार्थ अथवा वस्तु की मात्रा में अन्तर को अभिव्यक्त करते हैं जैसे कि large, big or huge । या फिर ऐसे Word जो कि लम्बार्इ, चौड़ार्इ, ऊॅंचार्इ, अथवा दूरी या निकटता को अभिव्यक्त करते हैं जैसे कि दूर (far) अथवा पास (near) । ये हमेशा वाक्यों को छोटा कर देते हैं। श्रव्य सूचनाओं को संसाधित करने में भी कठिनार्इ महसूस करते हैं।

2. भाषण आवाज विकृति – 

इस विकृति को ध्वनिक विकृति (phonological disorder) भी कहा जाता है। वैसे बच्चों को जो उपयुक्त उम्र तथा संभाषण प्रक्रम में किसी प्रकार का दोष न होने के बावजूद Wordों अथवा वाक्यों को सही सही ढंग से बोल या उच्चारित नहीं कर पाते हैं उन्हें भाषण-आवाज विकृति या ध्वनिक विकृति का रोगी माना जाता है। ऐसे बच्चों की भाषा में बोले गये Wordों में अस्पष्टता होती है, ये Wordों का प्रतिस्थापन करते हैं Meansात् बोले जाने वाले Word के स्थान पर कोर्इ अन्य Word बोल देते हैं। कर्इ बार ये वाक्यों में से कुछ Wordों को छोड़कर वाक्य बोलते हैं जिससे उनकी बातचीत Single बहुत छोटे बच्चे की बातचीत के समान हो जाती है। कुछ विशेष प्रकार के Word जिनका बहुत बढ़िया उच्चारण साधारण बच्चे नर्सरी, अथवा केजी की कक्षा में पहुचने से पूर्व ही भली भॉंति कर पाते हैं इस विकृति से ग्रस्त बच्चे उन Wordों जैसे कि ch, f, l, r, sh And th की ध्वनियों का स्पष्ट उच्चारण करने में त्रुटियॉं करते हैं। जिन बच्चों में यह विकृति ज्यादा गंभीर होती है वे तो b, d, t, m, n, And h का भी उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार के बच्चों को यदि स्पीच थेरेपी प्रदान की जाती है तो सामान्यतया 8 वर्ष की उम्र से First ही यह समस्या दूर हो जाती है।

3. चाइल्डहुड-ऑनसेट-फ्लूयेन्सी विकृति – 

इस विकृति को हकलाना विकृति (Stuttering) भी कहा जाता है। डी.एस.एम.-4 में इसे हकलाना विकृति के Reseller में ही अभिव्यक्त Reseller जाता था। डी.एस.एम-5 के संस्करण में इसे चाइल्डहुड-ऑनसेट-फ्लूयेन्सी विकृति के नाम से वर्गीकृत Reseller गया है। इस विकृति से ग्रस्त बच्चे अपने बोलचाल के सामान्य प्रवाह तथा बोलने में लगने वाले समय के पैटर्निंग में परेशानी का अनुभव करते हैं। वे किसी अक्षर अथवा Word को कभी-कभी दोहरा देते हैं, या कभी उसे लम्बे समय तक खींचकर बोलते हैं, या कभी Word को बीच में ही बोल देते हैं, Single Word के भीतर Single अक्षर बोल कर रूक जाते हैं और फिर पुन: बोलते हैं, आवाज को अवरूद्ध कर देते हैं तथा अन्य कठिन Wordों की जगह पर Second Word बोलने लगते हैं, या फिर यदि मूल Wordों को बोलते समय काफी तनाव का अनुभव करते हैं। Single ही पद में पूरा Word बोल देते हैं, आदि आदि। लगभग 1 प्रतिशत बच्चों में हकलाने की विकृति पायी जाती है इनमें 75 प्रतिशत लड़के होते हैं। हकलाने की समस्या प्राय: दो से Seven वर्ष की उम्र में प्रारम्भ होती है और इनमें जसे तकरीबन 75 प्रतिशत बच्चे बिना उपचार के ही 15-16 वर्ष की उम्र तक आते आते अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

4. सामाजिक संचार विकृति – 

सामाजिक संचार विकृति डी.एस.एम-5 में संचार विकृति के अन्तर्गत सम्मिलित की गयी Single नये प्रकार की विकृति है जो कि इससे पूर्व डी.एस.एम. के किसी अन्य पूर्व संस्करण में वर्गीकृत नहीं की गयी थी। इस विकृति की डायग्नोसिस किसी बालक के संबंध में तब की जाती है जब कि कोर्इ बच्चा जीवन की स्वाभाविक परिस्थितियों जैसे कि, स्कूल, घर, खेल आदि में अन्य व्यक्तियों के साथ शाब्दिक अथवा अशाब्दिक Reseller से Second लोगों के साथ बातचीत नहीं कर पाता है And यह लम्बे समय से And स्पष्ट Reseller में चल रहा होता है। इन बच्चों में बातचीत को लम्बे समय तक करने में कठिनार्इ होती है तथा वे कभी कभी बच्चों के समूह में होने पर अपनी इस कठिनार्इ के चलते चुप रह जाते हैं। उन्हें बोलचाल And लिखने वाली भाषा दोनों को ही सीखने में कठिनार्इ होती है। इस प्रकार की समस्या होने के बावजूद उनकी अन्य भाषार्इ And मानसिक योग्यता में औसत Reseller से कोर्इ भी कमी दृष्टिगोचर नहीं होती है जिससे कि कहा जा सके कि भाषा के ज्ञान के औसत से निम्नस्तर का होने And मानसिक योग्यता का औसत से निम्नस्तर होने की कमी के कारण वे बोलचाल में पिछड़े हुए हैं। हालॉंकि बोलचाल की यह सामाजिक अक्षमता जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सफलता And उन्नति को गंभीर Reseller से प्रभावित अवश्य करती है।

(3) पेशीय कौशल विकृतियॉं –

इसे विकाSeven्मक समन्वय विकृति (developmental coordination disordrer) भी कहा जाता है। इस प्रकार की डायग्नोसिस तब की जाती है जब कि बच्चों में पेशीय समन्वय (motor coordination) में कोर्इ ऐसा दोष हो जिसकी व्याख्या मानसिक दुर्बलता या किसी ज्ञात फिजियोलॉजिकल डिस्आर्डर के Reseller में नहीं की जा सकती है। इस प्रकार की विकृति होने पर बच्चे को अपनी कमीज के बटन लगाने में परेशानी हो सकती है, क्रिकेट खेलने, कैरम खेलने, निशानेबाजी, हाथ से लिखने, जूते का फीता बॉंधने आदि में कठिनार्इ हो सकती है। इस विकृति की डायग्नोसिस तभी की जाती है जब कि इस प्रकार की समस्याओं से बच्चे की शैक्षिक उपलब्धि या दैनिक क्रियायें गंभीर Reseller से प्रभावित हो रही हों।

अधिगम असमर्थता के कारण

वैसे तो कारण And कारक कर्इ हो सकते हैं परन्तु जो प्रमुख हैं And जिनकी आपको जानकारी होनी चाहिए – अधिगम असमर्थता के अंतर्गत अधिगम विकृति पर किये गये शोध अनुसंधानों And सिद्धान्तों के According इस विकृति के कारकों में जैविक (genetic), न्यूरोबायलॉजिकल (neurobiological), And वातावरणीय (environmental) कारक प्रमुख हैं। इनका समवेत विवेचन इस प्रकार है।

उपरोक्त तीनों प्रकार के कारकों में आनुवॉंशिक कारकों का विश्लेषण सर्वाधिक जटिल है। यद्यपि वैज्ञानिक फ्लेचर And उनके सहयोगियों के According जुड़वॉं युग्मों तथा उन्नत परिवारों पर किये गये अध्ययन स्पष्ट करते हैं कि अधिगम विकृति परिवारों में वृक्ष की शाखाओं के समान फैलती है And पायी जाती है तथापि इस विकृति के लिए जिम्मेदार जीन्स का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि अलग अलग प्रकार के अधिगम विकृति के लिए अलग अलग प्रकार के कौन से जीन्स इसके विकसित होने के लिए उत्तरदायी हैं उनका विशिष्ट Reseller से अभी तक प्रकाशन नहीं हो पाया है। उदाहरण के लिए पठन विकृति (reading disorder) या गणित विकृति (mathematics disorder) के लिए विशिष्ट Reseller से जिम्मेदार जीन्स की पहचान वैज्ञानिक अभी तक नहीं कर पाये हैं। हालॉंकि यह अधिगम विकृति के लिए जिम्मेदार जीन्स की पहचान अवश्य हो गयी है जो कि पठन विकृति आदि अन्य All प्रकार की अधिगम विकृति के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

मनोवैज्ञानिकों के According अधिगम विकृति से जुड़ी हुर्इ अलग-अलग प्रकार की समस्याओं के लिए अलग अलग कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए बच्चों में पठन विकृति से संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे कि Word पहचान (word recognition), Word प्रवाह (fluency) And समझ (comprehension) के लिए अलग अलग कारक हो सकते हैं। टैनोक (2009) के According Word पहचान से संबंधित विकृति के लिए अभी तक हुए अनुसंधानों से दो प्रकार के प्रमाण मिलते हैं Single प्रकार के प्रमाण इस विकृति के लिए आनुवांशिक कारकों यानि कि जीन्स को इसके लिए प्रमुख कारक सिद्ध करते हैं वही Second तरह के प्रमाण इसमें वातावरणीय असर को प्रदर्शित करते हैं। टैनोक यह भी कहते हैं कि इस प्रकार की विकृति के लिए क्रोमोसोम्स में स्थित जीन संख्या 1, 2, 3, 6, 11, 12, 15 And 18 को विभिन्न अनुसंधानों में बार-बार संबंधित पाया गया है। वहीं पेट्रिल And उनके सहयोगी (2006) ने अपने शोध अनुसंधानों में वातावरणीय प्रभावों को इस विकृति से सहसंबंधित पाया है। उनके According परिवारों में पढ़ने का वातावरण बच्चों की पठन आदत को महत्वपूर्ण Reseller में प्रभावित करता है उनके According जिन परिवारों में पठन विकृति होने के बावजूद रीडिंग आदत को कुशलतापूर्वक बच्चों में स्थापित Reseller गया है उन परिवारों में अन्य परिवारों के बच्चों की अपेक्षा पठन विकृति की समस्या सार्थक Reseller से कम विद्यमान होती है। यहॉं तक कि यदि योजनाबद्ध रीति से यदि पठन विकृति से ग्रस्त बच्चों में घर के स्नेहिल वातावरण में पठन-पाठन का अभ्यास कराया जाये And उनमें इस आदत को विकसित Reseller जाये तो विशेष Reseller से उनके Word पहचान की समस्या के खतरे को कम Reseller जा सकता है।

सूक्ष्म मस्तिष्कीय विघटन अथवा क्षति को भी अधिगम विकृति से जोड़ा जाता रहा है। And वैज्ञानिक हिन्सेलवुड (1996) जैसे पूर्ववर्ती विद्वान इसकी न्यूरोलॉजिकल व्याख्या भी करते रहे हैं। शेविट्ज And उनके सहयोगियों (2006) के According अधिगम असमर्थता से ग्रस्त रोगियों के मस्तिष्क में संCreationत्मक (structural) And प्रकार्यात्मक (functional) विभिन्नताओं के प्रमाण उपलब्ध हैं खासतौर पर Word पहचान समस्या यानि की डिस्लेक्सिया की व्याख्या हेतु बॉंये हिमेस्फियर के तीन प्रमुख हिस्सों के माध्यम से की जाती है। इन तीन हिस्सों में पहला है ब्रोका एरिया (Broca’s area) जो कि शाब्दिक अभिव्यंजना And Word विश्लेषण को प्रभावित करता है, तथा दूसरा एरिया बॉंया पैराइटोटेम्पोरल (left- parietotemporal) एरिया है जो कि Word विश्लेषण को प्रभावित करता है तथा तीसरा एरिया बॉंया ऑक्सीटिपोटेम्पोरल (left- occitipotemporal) एरिया है जो कि Word के स्वReseller की पहचान (recognition of word form) को प्रभावित करता है।

फ्लेचर And उनके सहयोगियों (2007) के According संख्या ज्ञान के विकसित होने में मस्तिष्क के बॉंये हिमेस्फियर का इन्ट्रापैराइटल सलकस (intra-parietal sulcus) Single ऐसा एरिया है जो कि इसमें महत्वपूर्ण Reseller से Added हुआ है तथा इसकी गणित विकृति में अहम् भूमिका होती है।

उपरोक्त All प्रकार की अधिगम विकृति की तुलना में लेखन अभिव्यक्ति विकृति के संबंध में अभी तक कोर्इ भी विशिष्ट कारक संबंधी प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा संचार विकृति के प्रमुख प्रकार चाइल्ड-ऑनसेट-फ्लूयेन्सी विकृति (हकलाना विकृति) के संबंध में फिबिगर And उनके सहयोगियों (2010) का कहना है कि इसका प्रमुख कारण आनुवांशिक है। उनके According अनुमानत: कहा जा सकता है कि इस विकृति के लिए संभाषण करने के लिए जो मांसपेशियॉं सम्मिलित होती हैं उन्हें नियंत्रित करने वाले जीन्स ही इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। वैज्ञानिक कांग And उनके सहयोगियों (2010) के According Single विशेष प्रकार के जीन के म्यूटेशन को हकलाने वाले बच्चों में विभिन्न वैज्ञानिकों के शोध अनुसंधानों में रिपोर्ट Reseller गया है संभवतया वह म्यूटेशन भी हकलाने की विकृति से संबंधित हो सकता है। हालॉंकि इसकी वैधता के संबंध में अनुसंधान जारी हकलाने की इस विकृति के कारण कर्इ सांवेगिक प्रभाव And परिणाम भी इससे ग्रस्त बच्चों में अधिकांशत: देखने को मिलते हैं। करास And उनके सहयोगियों के According इस विकृति से ग्रस्त बच्चे जब तनाव अथवा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में फंस जाते हैं या उनसे उनका सामना होता है तब वे सामान्य बच्चों के तुलना में कहीं अधिक उत्तेजित And क्षुब्ध हो जाते हैं। इसके अलावा इनमें नहीं हकलाने वाले बच्चों के अपेक्षा सांवेगिक प्रतिक्रिया वृत्ति भी काफी अधिक होती है। क्राइमात And उनके सहयोगियों (2002) के According हकलाने वाले बच्चों में इस विचार को लेकर कि उनके हकलाने को देखकर Second लोग क्या कहेंगे अथवा उनकी हंसी उड़ायेंगे सोचकर, सामाजिक चिंता (social anxiety) की संमस्या भी काफी मात्रा में उत्पन्न हो जाती है। हकलाने वाले बच्चों में प्राय: उनकी इस समस्या के साथ बोलने के संबंध में चिंता की समस्या, वैसी परिस्थितियॉं जहॉं बोलने की Need पड़ती है का परिहार करने की प्रवृत्ति भी पायी जाती है। यह प्रवृत्ति प्राय: व्याकुलता से उत्पन्न होती है।

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट होती है कि अधिगम असमर्थता अथवा अधिगम विकृति, संचार विकृति आदि के कर्इ कारण होते हैं अभी इस क्षेत्र में पर्याप्त शोध अनुसंधान नहीं हो पायें है जिन्हें किये जाने की महती Need है।

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