मुसोलिनी का परिचय And नीति

फासीवाद के सिद्धातं के प्रणेता बेनिटो मुसोलिनी का जन्म Single लुहार परिवार में सन् 1883 में हुआ था। उसका पिता समाजवादी विचारधारा का समर्थक था, इसलिए मुसोलिनी भी अपने पिता के विचारों से प्रभावित हुआ था। उसकी माता अध्यापनकार्य करती थीं। उनकी प्रेरणा से मुसोलिनी ने भी Single छोटे स्कूल में अध्यापन प्रारंभ कर दिया। कालान्तर में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह स्विट्जरलैण्ड चला गया। वहां पर उसने टे्रड यूनियन के गठन के लिए कठोर परिश्रम Reseller। उसने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कार्य Reseller था और समाजवादी पत्रों में कर्इ क्रांतिकारी लेख लिखे। उसकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उसे स्विट्जरलैण्ड से निष्कासित कर दिया। वहां से मुसोलिनी इटली वापस आ गया और इटली की जनता में अपने क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करना प्रारंभ कर दिया। सन् 1908 में सरकार ने उसे बंदी बनाकर जेल भेज दिया किन्तु कुछ समय बाद उसे जेल से छोड़ दिया गया। सन् 1912 में मुसोलिनी ने विख्यात समाजवादी पत्रिका ‘अवन्ति’ का सम्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया। इस पत्रिका में उसके अनेक लेख प्रकाशित हुए जिनके माध्यम से मुसोलिनी के राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक विचारों का ज्ञान जनता को सरलता से हो गया। उसके विचारों पर माक्र्सवाद तथा संघवाद का स्पष्ट प्रभाव था। मुसोलिनी इटली के राष्ट्रीय ध्वज And चर्च का कट्टर विरोधी था। राष्ट्रीय ध्वज को वह गाबे र की पहाड़ी पर टँगा हुआ कपड़े का टुकड़ा बताया था।

सन् 1914 में First विश्वFight प्रारंभ होने पर जब इटली की सरकार ने Fight से अलग रहने का निर्णय लिया तो मुसोलिनी ने सरकार के इस निर्णय की कटु आलाचे ना की। इस कृत्य के आरोप में उसे ‘अवन्ति’ पत्रिका के संपादन कार्य से मुक्त कर दिया गया। किन्तु साहसी मुसोलिनी निराश नहीं हुआ और अपने विचारों को निरंतर जनता में फैलता रहा। फलस्वReseller सरकार को अपना निर्णय बदलकर सन् 1915 में मित्रराष्ट्रों के पक्ष में Fight में सम्मिलित होने की घोषणा करनी पड़ी। इस घटना के कारण मुसोलिनी की लोकप्रियता में और अधिक वृद्धि हो गयी। उसने Single सैनिक के Reseller में First विश्वFight में भाग लिया था। वह कहता था- ‘‘आज का यह Fight जनता का Fight है। कालान्तर में यह Single क्रांति के Reseller में विकसित होगा।’’

फासी दल का गठन

Fight-काल में इटली की जनता रूस की बोल्शेविक क्रांति से प्रभावित हुर्इ थी। इटली के कम्यूनिस्टों ने भी अपने देश में रूस जैसी क्रांति करने की योजना बनायी। मुसोलिनी साम्यवादियों तथा बोल्शेविकों से घृणा करता था। अत: उसने बोल्शेविकों के विरूद्ध संघर्ष करने तथा सामाजिक अधिकारों को पुन: स्थापित करने के लिए नवीन दल का गठन करने का निश्चय Reseller। इसी निश्चय के आधार पर मार्च 1919 र्इ. में फासिस्ट दल की स्थापना की गयी। मुसोलिनी के नेतृत्व में इस दल ने अत्यधिक लाके प्रियता प्राप्त की तथा सेवानिवृत्त सैनिकों, समाजवादियों, विद्यार्थियों, किसानो, मजदूरों, पजूं ीपतियों तथा मध्यम वर्ग के व्यक्तियों ने बड़े उत्साह के साथ फासिस्ट दल की सदस्यता को स्वीकार Reseller। मुसोलिनी ने अपनी योग्यता व कुशलता के द्वारा दल के All सदस्यों को Singleता व संगठन के सूत्र में बांधने में सफलता प्राप्त की। फासिस्ट दल के सदस्य काली कमीज पहनते थे तथा हथियारों से सुसज्जित रहते थे। मुसोलिनी अपने दल का चीफ कमाण्डर था। वह Single महान् वक्ता था। फासिस्ट दल का अपना निजी ध्वज होता था।

फासिस्ट दल का First अधिवेशन मिलान नामक नगर में आयोजित Reseller गया था। इस अधिवेशन में दल के कार्यक्रम की घोषणा के साथ-साथ Single मांग-पत्र भी तैयार Reseller गया। इसमें अग्रलिखित मांगों को प्रमुखता दी गयी थी :

  1. Fight-सामग्री को बनाने वाले कारखानों का राष्ट्रीयकरण Reseller जाय। 
  2. Fight-काल में पूजीपतियों द्वारा कमाये गये धन के 85 प्रतिशत भाग को जब्त Reseller जाय। 
  3. कुछ उद्योगों पर श्रमिकों का नियंत्रण स्थापित Reseller जाय। 
  4. सार्वजनिक मताधिकार को लागू Reseller जाय।
  5. इटली को राष्ट्र-संघ की सदस्यता प्रदान की जाय। 
  6. चर्च की सम्पत्ति को जब्त Reseller जाय। 
  7. श्रमिकों को अधिकतम आठ घण्टे प्रतिदिन कार्य करने की सुविधान प्रदान की जाय। 
  8. पजूं ीवादी भावना का विरोध Reseller जाय। 
  9. देश के नवीन संविधान का निर्माण करने हेतु Single असेम्बली का गठन Reseller जाय।

मुसोलिनी की सफलता

फासिस्ट दल का कार्यक्रम और मांगपत्र इटली की जनता में शीघ्र ही लोकप्रिय हो गया और इस दल की सदस्य-संख्या तीव्र गति से बढ़ने लगी। सन् 1919 में फासिस्ट दल की सदस्य-संख्या सत्रह हजार थी, किन्तु यह संख्या सन् 1920 में बढ़कर तीस हजार तथा सन् 1922 में तीन लाख हो गयी। इस Historyनीय लाके प्रियता को प्राप्त करने के बाद फासिस्टवादियों ने इटली में समाजवादियों And साम्यवादियों के कार्यालयों पर कब्जा करना प्रारंभ कर दिया। किन्तु तत्कालीन सरकार फासिस्टवादियों की आक्रामक व आतंकवादी नीति पर काब ू पाने में सफल नहीं हो सकी। इसी मध्य अक्टूबर 1922 र्इ. में फासिस्ट दल का अधिवेशन नेपिल्स में आयोजित Reseller गया। इस अधिवेशन में लगभग पचास हजार कायर्क र्ताओं ने भाग लिया। उन्होनें सर्वसम्मति से Single मांगपत्र पारित Reseller जिसमें निम्नलिखित मागें थीं :

  1. फासी दल के कम से कम पांच सदस्यों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाय। 
  2. नवीन चुनावों की घोषणा की जाय। 
  3. सरकार प्रभावी विदेश-नीति का पालन करे।

इस अधिवेशन में लिये गये निर्णय के According फासिस्ट दल ने सरकार को उपर्युक्त मांगें स्वीकार करने के लिए 27 अक्टूबर तक का समय दिया तथा यह चेतावनी दे दी कि उक्त तिथि तक मांगें स्वीकार न होने की स्थिति में फासिस्ट दल के स्वयंसवे क इटली की राजधानी रोम पर आक्रमण कर देगें । सरकार द्वारा उपर्युक्त मांगों को स्वीकार करने से इन्कार करने के फलस्वReseller फासिस्टवादियों ने मुसोलिनी के नेतृत्व में रामे की तरफ बढ़ना प्रारभ कर दिया। उन्होंने रेलवे स्टेशनो, डाकघरों व सरकारी कार्यालयों पर अधिकार कर लिया। सम्राट विक्टर इमन्े युअल तृतीय ने भयभीत होकर मुसोलिनी के समक्ष देश का प्रधानमंत्री पद संभालने का प्रस्ताव रख दिया। 30 अक्टूबर को मुसोलिनी ने अपने दल के पचास हजार स्वयंसेवकों सहित रोम में प्रवेश Reseller और वह देश का प्रधानमंत्री नियुक्त Reseller गया। इटली के History में यह Single रक्तहीन क्रांति थी।

मुसोलिनी-इटली का तानाशाह

मुसोलिनी जनतंत्र और बहुमत के सिद्धांतों से घृणा करता था। राज्य की सर्वोच्चता में उसे अगाध विश्वास था। राज्य के सम्मुख उसने व्यक्तिगत अधिकारों को कभी स्वीकार नहीं Reseller। अपनी स्थिति को अधिक सुदृढ़ करने के लिए मुसोलिनी ने प्रशासनिक क्षेत्र में तीन अंगों का गठन Reseller- (1) मंत्रि-परिषद, (2) फासिस्ट दल की वृहद परिषद, (3) संसद।

मंत्रि-परिषद के All सदस्य मुसोलिनी के कट्टर समर्थक थे। वृहद् परिषद फासिस्ट दल की प्रबंध समिति थी जिसका नेता मुसोलिनी था। इसकी सदस्य संख्या 25 थी। संसद के दो सदस्य बनाये गये-सीनेट तथा चेम्बर ऑफ डेपुटीज। सीनेट के सदस्यों को स्वयं मुसोलिनी मनोनीत करता था, जबकि चेम्बर ऑफ डेपुटीज के सदस्यों को मंत्रि-परिषद And वृहद् परिषद द्वारा नियुक्त Reseller जाता था। इस प्रकार नवीन व्यवस्था के द्वारा मुसोलिनी ने शासन की सम्पूर्ण शक्ति पर पूरा अधिकार कर लिया। देश की जनता ने मुसोलिनी के इन कार्यों का भी भरपूर समर्थन Reseller क्योंकि मुसोलिनी ने गणतंत्रीय सरकार के अधूरे कार्यों को पूरा करने का आश्वासन जनता को दिया था। इस प्रकार मुसोलिनी अन्तत: इटली का वास्तविक स्वामी बन गया तथा उसने देश में अपनी तानाशाही को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।

मुसोलिनी की गृह-नीति

सुदृढ़ केन्द्रीय सरकार की स्थापना

मुसोलिनी अत्यंत महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद उसने धीरे-धीरे अपनी शक्ति में वृद्धि करना प्रारंभ कर दिया था। इस संबंध में उसने दोहरी नीति को अपनाया। उसका विचार था कि केन्द्र में मजबूत सरकार के अभाव में देश उन्नति कर सकता। इस दृष्टि से मुसोलिनी ने निम्नलिखित कदम उठाये :

  1. प्रधानमंत्री बनने के बाद उसने संसद-सदस्य को डरा-धमकाकर संसदीय अधिकारों को Single वर्ष के लिए अपने हाथों में ले लिया। 
  2. सन् 1923 में Single कानून बनाकर यह व्यवस्था कर दी गयी कि चुनावों में स्पष्ट बहुमत अथवा सर्वाधिक स्थानों पर विजय प्राप्त करने वाले दल को संसद में दो- तिहार्इ बहुमत प्राप्त करने का अधिकार होगा। इस व्यवस्था के According सन् 1924 में फासिस्ट दल को संसद में दा-े तिहार्इ बहुमत प्राप्त करने में सफलता मिल गयी। 
  3. सन् 1926 में All विरोधी दलों को अवैध घोषित कर दिया गया। प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करके अनिश्चित काल के लिए जेल में बंद कर दिया गया। 
  4. सरकार की आलोचना करना राजनीतिक अपराध घोषित कर दिया गया। 
  5. प्रेस पर कठोर सरकारी नियंत्रण स्थापित Reseller गया। समाचार-पत्रों की संख्या कम कर दी गयी। 
  6. जनता की स्वतंत्रता को समाप्त करने के लिए विभिन्न कदम उठाये गय।े राजनीतिक अपराधियों के मामलों को निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन Reseller गया। स्थानीय निकायों को समाप्त कर दिया गया। 
  7. सन् 1928 में चुनाव प्रणाली में पुन: परिवर्तन Reseller गया। मतदाता सूची को फासिस्ट दल द्वारा तैयार Reseller गया। जिसके फलस्वReseller संसद पर फासिस्ट दल का Singleाधिकार स्थापित हो गया। 

इस प्रकार मुसोलिनी ने सुदृढ़ केन्द्रीय सरकार की स्थापना की जिसमें कोर्इ विपक्ष नहीं था, कोर्इ प्रजातांत्रिक संस्था नहीं थी, कोर्इ स्थानीय स्वशासी संस्था नहीं थी, कोर्इ जनमत नहीं था तथा बहुमत का कोर्इ प्रश्न ही नहीं था।

इटली का आर्थिक विकास

इटली के आर्थिक ढांचे में फासिस्ट दल के सिद्धांतों व कायर्क्र मों ने क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया। देश के आर्थिक विकास की दृष्टि से निम्नलिखित कदम उठाये गये :

  1. जिस समय मुसोलिनी ने सत्ता संभाली, उस समय जनता की आर्थिक दशा शोचनीय थी। राष्ट्रीय बजट पिछले कर्इ वर्षों से घाटे में चल रहा था। मुद्रा का मूल्य दिन-प्रतिदिन गिर रहा था। जबकि वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही थी। इस समस्या को हल करने के लिए मुसोलिनी ने राज्य के व्यय को कम Reseller तथा धनवानों पर अधिक ;ज्ंगद्ध कर लगाय।े इस व्यवस्था के फलस्वReseller सन् 1925 में मुसोलिनी ने देश के बजट को संतुलित कर दिया। बजट का घाटा पूरा हो गया तथा वस्तुओं की बढ़ती हुर्इ कीमतों पर भी काबू पा लिया गया।
  2. First विश्वFight के बाद इटली में बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुर्इ थी। मुसोलिनी ने इस समस्या को अत्यंत गंभीर मानकर इसका समाधान करने के उद्देश्य से सार्वजनिक निर्माण कार्यों तथा स्कूल-कॉलेजों के भवनों के निर्माण को प्रोत्साहित Reseller। देश में विभिन्न सड़कों, पुलों व विश्रामघरों का निमार्ण् ा कराया गया। पुरानी इमारतों की मरम्मत करायी गयी। कुछ बंदरगाहों का भी निर्माण हुआ। इस निर्माण कार्य के फलस्वReseller हजारों बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हुआ। 
  3. उस समय देश की रेल व्यवस्था भी निरंतर पतन की ओर अग्रसर हो रही थी। इसका बजट भी घाटे में चल रहा था। मुसोलिनी ने रेलवे की आर्थिक स्थिति को सुधारने की ओर अपना पूरा ध्यान लगा दिया। उसके प्रयत्नों से रेलवे बजट के घाटे को शीघ्र ही पूरा कर दिया गया। 
  4. खजिन पदार्थ And कच्चे माल की दृष्टि से इटली Single गरीब देश था। इटली का लगभग दा-े तिहार्इ भाग पहाड़ियों से घिरा हुआ था। कोयला, लोहा तांबा, तेल आदि के अभाव के कारण देश के औद्योगिक विकास And आर्थिक उत्थान में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न हो गयी थी। किन्तु मुसोलिनी अपने देश को साधन-सम्पन्न And स्वावलम्बी बनाने के लिए कृत-संकल्प था। उसने देश में कच्चे माल And खनिज पदार्थों के संसाधनों का पता लगाने के लिए योग्य वैज्ञानिकों And इंजीनियरों से परामर्श Reseller तथा इस दिशा में उसे काफी सीमा तक सफलता भी प्राप्त हो गयी किन्तु कच्चे माल And खनिज पदार्थो के क्षेत्र में इटली को स्वावलम्बी बनाने का मुसोलिनी का स्वप्न पूरा नहीं हो सका।
  5. मुसोलिनी की गृह-नीति का मुख्य उद्देश्य उत्पादन में वृद्धि करना था। उस समय कृषि की दशा चिन्ताजनक थी। अत: मुसोलिनी ने कृषि की स्थिति को सुधारने की ओर पूरा ध्यान लगाया। बंजर भूमि को कृषि-योग्य बनाया गया। कृषकों को सरकार की ओर से पुरस्कार देने की व्यवस्था की गयी ताकि उनमें अधिकतम उत्पादन करने की प्रतियोगी भावना उत्पन्न हो सके। किसानों को कृषि करने के नवीन और वैज्ञानिक तरीकों की शिक्षा दी गयी। मुसोलिनी के इन कार्यों के फलस्वReseller कृषि-क्षेत्र में उत्पादन First की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ गया।

मुसोलिनी की शिक्षा संबंधी नीति

अपने दल को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से मुसोलिनी ने इटली की शिक्षा-प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किये। देश के युवा वगर् को फासिस्ट दल के सिद्धांतों से होने वाले लाभों की शिक्षा देने के लिए Single ‘फासिस्ट युवा फेडरेशन’ का गठन Reseller गया। प्राइमरी तथा माध्यमिक स्तर तक फासिज्म के सिद्धांतों की शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया। नवीन शिक्षा-नीति के अंतर्गत शिक्षण-संस्थाओं को विद्यार्थियों की आयु के आधार पर पांच विभिन्न वर्गों में विभाजित Reseller गया। All शिक्षण-संस्थाओं को फासिज्म के सिद्धांतों के साथ सम्बद्ध कर दिया गया। इसके अतिरिक्त लड़कियों को फासिज्म की शिक्षा देने की भी पृथक व्यवस्था की गयी।

पोप के साथ समझौता- मुसोलिनी के प्रयासों से 11 फरवरी, 1929 को Single समझौता सम्पन्न हुआ। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित निर्णय लिये गये :

  1. पोप ने रोम से अपना अधिकार त्याग दिया और रोम को इटली की राजनीतिक के Reseller में स्वीकार कर लिया। 
  2. मुसोलिनी ने पोप को कैथोलिक जगत का सार्वभौमिक स्वामी स्वीकार Reseller। 
  3. पापे को विदेशों के साथ संबंध स्थापित करने, विदेशों में अपने राजदतू नियुक्त करने तथा विदेशी राजदूतों का स्वागत करने का अधिकार दे दिया गया। वह अपनी निजी डाक टिकट And मुद्रा जारी कर सकता था। 
  4. सरकार ने पोप को प्रति वर्ष दस करोड़ डालर की धनराशि देने का वचन दिया।
  5. रोमन कैथोलिक धर्म को इटली का राजधर्म घोषित Reseller गया।
  6. रोमन कैथोलिकों द्वारा संचालित शिक्षण-संस्थाओं को मुसोलिनी ने फासिस्ट दल के विद्यालयों में विलीन कर दिया। Fourteen वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक रोमन कैथोलिक को फासिस्ट दल के नेता के प्रति स्वामिभक्त रहने की घोषणा करना अनिवार्य कर दिया गया। मुसोलिनी ने धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में चर्च के प्रभाव को बिल्कुल समाप्त कर दिया।

मुसोलिनी की विदेश नीति

इटली यद्यपि विश्वFight में विजयी हुआ था किंतु मित्रराष्ट्रों ने उससे जो भी वायदे किये थे, पूरने नहीं किये थे। मुसोलिनी का विचार था कि यह इटली का अपमान है। वह चाहता था कि इस अपमान का बदला मित्र राष्ट्रों पर भरोसे की नीति छोड़ कर साम्राज्यवादिता की नीति अपनाकर लिया जा सकता है। उसका मानना था कि मित्र राष्ट्रों द्वारा बनार्इ गर्इ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ किसी देश के निवासियों की भावुकता And सिद्धांतों से धराशायी हो जाती है। इनका अस्तित्व देशवासियों की भावनाओं तक ही सीमित है।

1. डोडिकानीज तथा रोड्स द्वीपों का सैन्यीकरण

1920 र्इ. में हुर्इ सेव संधि के According डोडिकानीज और रोड्स इन दोनों द्वीपों पर यूनाने ने अधिकार लिया जबकि ये पूर्व में इटली के अधीन थे। इटली की निगाह अभी भी इन दोनों द्वीपों पर लगी थी। टर्की के सुल्तान कलामपाशा द्वारा यूनान को पराजित करने के उपरांत स्रेत की संधि तोड़े जाने से इटली को अप्रत्याशित लाभ हो गया। 24 जुलार्इ, 1923 र्इ .को हुर्इ लोजान की संधि में सेव्र को संशांधित Reseller और ये दोनों द्वीप इटली को प्राप्त हो गये। वास्तव में मुसोलिनी भूमध्य सागर को इटैलियन झील बनाना चाहता था। अत: उसने पूर्वी भमू ध्य सागर में स्थित इन दोनों द्वीपों का सैन्यीकरण शुरू कर दिया। इस उसकी विदेशी नीति का First अभियान था।

2. टाइरोल के प्रति नीति

पेरिस की संधि के According ठाअरोल का टे्रण्टिनो नामक क्षेत्र इटली को सौंप दिया गया था। टाइरोल का यह भाग जो कि जर्मन बहुल था, इटली के क्षेत्र में आ गया। इटली ने अपने इस वायदे को कि उनके साथ समानता का व्यवहार करेगा, भुलाकर कोर्इ परवाह नहीं की। मुसोलिनी ने गैर इटैलियन को इटैलियन प्रभाव में लाना शुरू कर दिया। उसने यह भी स्पष्टतया घोषित Reseller कि वह इटली के मालों में कोर्इ विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता है। इस प्रकार मुसोलिनी के हौसले बढ़ते चले गये।

3. करफू पर बम बर्षा

यूनान तथा अल्बानिया के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए ‘डीलिमिटेशन कमीशन’ कार्य कर रहा था कि यूनान में अगस्त 1923 र्इ. की कुछ इटैलियन अधिकारियों की हत्या कर दी गर्इ। मुसोलिनी ने जो यूनान को चते ावनी दी कि 5 दिन के भीतर यूनान मामले की जाँच कराकर आपराधियों को दण्ड दे तथा इटली को 5 करोड़ थोरा Fight का हर्जाना दे। यूनान ने इस बात को राष्ट्र संघ के सम्मुख रखा मुसोलिनी ने यूनान के करफू टापू पर बम वर्षा की और उस पर अधिकार कर लिया किंतु इंग्लैण्ड के दबाव के कारण उसे टापू खाली करना पड़ा परंतु उसने क्षतिपूर्ति की रकम वसूल कर ही ली, यह मुसोनिली Single महत्वपूर्ण सफलता थी। इससे राष्ट्र संघ की निर्बलता सिद्ध हुर्इ और मुसोलिनी को अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रोत्साहन मिला।

4. यूगोस्लाविया से संधि 27 जनवरी 1924 इटली

और यूगोस्लाविया के संबंध बहुत अच्छे नहीं थे। इटली वार्साय की संधि में परिवर्तन का इच्छुक था जबकि यूगोस्लाविया वार्साय की संधि को यथावत् रखना चाहता था। एड्रियाटिक सागर में दोनों के हित आपस में टकराते थे। किंतु मुसोलिनी फ्यूम पर अधिकार कर भूमध्य सागर में अपनी स्थिति को दृढ़ करना चाहता था। अत: उसने यूगोस्लाविया से 27 जनवरी, 1924 र्इ. की संधि की। इस संधि से जारा का बंदरगाह और डालमेशिया का समुद्र तट यूगोस्लाविया को दिया गया। इटली का फ्यूम पर अधिकार हो गया। परंतु फ्यूम का बंदरगाह यूगोस्लाविया के पास ही रहा। फ्यूम का नगर प्राप्त करना मुसोलिनी की विदेशी नीति के संदर्भ में Single महत्वपूर्ण  सफलता थी।

5. रूस से 1924 र्इ. की संधि

मुसोलिनी यूरोप की राजनीति में किसी शक्तिशाली मित्र का साथ ढूँढ रहा था। उसने देखा कि रूस वासार्य संधि का विरोधी है और परिवर्तन का इच्छुक है। अत: मुसोलिनी ने फरवरी 1924 र्इ. में रूस के साथ व्यापारिक संधि की और साथ ही रूसी सरकार को मान्रूता प्रदान की। इस संधि से हालांकि इटली को कुछ प्राप्त नहीं हुआ किंतु उसने यूरोपीय राजनीति में रूस सा मित्र बना लिया जिससे राजनैतिक मंच पर इटली का सम्मान बढ़ गया।

6. रोम पैक्ट 1935 इटली

के साथ फ्रांस के व्यापारिक संबंध अच्छे नहीं थे। जहाँ ट्यूनिस, कार्सिका और सेवाय पर मुसोलिनी अधिकार करना चाहता था, वहीं इन पर फ्रांस का अधिकार था। भूमध्यसागर में भी दोनों के हित टकराते थे। परंतु हिटलर के उत्कर्ष में दोनों को करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभार्इ। हिटलर And मुसोलिनी दोनों आस्ट्रिया संबंधी विचारों ने रोम पैक्ट को जन्म दे दिया। इसके According –

  1. फ्रांस के 44500 वर्ग मील अफ्रीकी क्षेत्र इटली को प्राप्त हो गये। 
  2. दोनों देशों में प्रतिद्विन्द्वता समाप्त हो गर्इ। 
  3. आस्ट्रिया पर संकट आने पर दोनों देश परस्पर विचार-विमर्श करेगेंं 
  4. यूरोप की स्थिति यथावत् रहेगी। 

7. स्ट्रेसा की संधि

यह संधि भी हिटलर के भय से 1935 र्इ. में स्ट्रेसा नामक स्थान पर इंग्लैण्ड से की गर्इ। इसका महत्व इस बात से है कि इंग्लैण्ड इटली और फ्रांस के गठबंधन ने हिटलर के विरोध में Single मोर्चे का कार्य Reseller।

8. अन्य देशों से संधियाँ

मुसोलिनी ने अपनी स्थिति दृढ़ करने के लिए 1926 र्इ. में रूमानिया और स्पेन से, 1927 र्इ. में हंगरी से, 1928 र्इ. में यूनान व टर्की से 1932 र्इ. में रूस से संधियाँ कीं। इन संधियों से यूरोपीय जगत में इटली ने अपना सम्मानित स्थान बना लिया। वेन्स महोदय ने तो यहाँ तक कहा है कि 1930 र्इ. तक मुसोलिनी व्यावसायिक And कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाने में सफल रहा।

9. राष्ट्र संघ का परित्याग

इसके तुरंब बाद इटली ने राष्ट्र संघ की सदस्यता से हाथ खींच लिये।

10. रोम-बर्लिन धुरी की स्थापना 

हिटलर इस बात कसे पूर्णतया भिज्ञ था कि मुसोलिनी को अपनी और करके ही आस्ट्रिया पर अधिकार पाया जा सकता है। अबीसीनिया के प्रति इटली के रवैये ने फ्रांस, इंग्लैण्ड And रूस को चौकन्ना कर दिया था। फ्रांस, इंग्लैण्ड And रूस के व्यवहार से भी इटली खिन्न था कष्ट के समय हिटलर ने इटली की पर्याप्त मदद की। मुसोलिनी समझ गया था कि हिटलर सच्चा मित्र है। अत: इटली व जर्मनी के बीच 26 अक्टूबर, 1936 र्इ. को Single समझौता हुआ जो History में रोम-बर्लिन धुरी के नाम से प्रख्यात है, इस समझौते की शर्ते इस प्रकार थी –

  1. दोनों देश समाजवादी व्यवस्था का विरोध करेगेंं 
  2. स्पने की रक्षा की जायगे ी। 
  3. दोनों देश समय-समय पर वार्ता करेगें। 
  4. जर्मनी का आस्ट्रिया तथा चेकस्लोवाReseller पर मौन अधिकार स्वीकार कर लिया गया। शीघ्र ही इस संधि में जापान को शामिल कर लिया गया और रोम-बर्लिन टोक्यो धुरी का निर्माण हो गया।

12. अल्बानिया पर अधिकार

इटली का अल्बानिया के लिए विशेष महत्व था। अल्बानिया आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा था। अत: 27 नवम्बर, 1926 र्इ. को अल्बानिया ने इटली की संधि की। इस संधि की धाराएँ निम्नवत थीं –

  1. अल्बानिया के सैनिकों को इटलीके सैनिक पदाधिकारी प्रशिक्षित करेगेंं
  2. अल्बानिया इटली के अहित में किसी अन्य देश से संधि नहीं करेगा। 
  3. दोनों देश बाह्य आक्रमणकारी का सामना मिलकर करेगेंं यह शर्त 20 वर्ष तक रहगे ी। तत्पश्चात मुसोलिनी ने अल्बानिया में उसकी सहायता के बहाने अपनी सेनाएँ भेज दीं और 1936 र्इ. में आक्रमण कर इटली में मिला लिया। 

13. इटली व जर्मनी का समझौता 22 मर्इ, 1939 र्इ. 

22 मर्इ, 1939 र्इ. को इटली ने जर्मनी के साथ राजनैतिक समझौता Reseller। इस समझौते को फौलादी समझौते भी कहा जाता है। इसके According दोनों Single-Second की सैन्य सहायता करेगेंं

14. द्वितीय विश्वFight व इटली

हिटलर ने 1 सितम्बर, 1939 र्इ. को पोलैण्ड पर आक्रमण करके द्वितीय विश्वFight को जन्म दे दिया। स्अील पैक्ट के According इस समय मुसोलिनी को हिटलर का साथ देना चाहिए था। किंतु जैसा कि हेजन ने लिखा है, ‘‘Single कारण इटली अशक्त था, जर्मनी के हित में उसका तटस्थ रहना ठीक था। स्पने के गृहFight में वह पूर्णतया थक चुका था – वह Fight का विचार भी नहीं कर सकता था। कुछ भी हो अंतत: 11 जून, 1940 र्इ. की मुसोलिनी ने हिटलर की ओर से मित्र राष्ट्रों के विरोध में Fight की घोषणा कर दी। प्रारंभ में उन्हें विजय मिली किंतु बाद में उसे असफलता मिली और Single दिन ऐसा भी आया जब 25 जुलार्इ, 1943 र्इ. को उसे बंदी बना लिया गया और 18 अपै्रल, 1945 र्इ. को देश की जनता ने उसे उसकी प्रेयसी के साथ मृत्यु-दण्ड दे दिया गया।

इस प्रकार अंतत: कहा जा सकता है मुसोलिनी ने इटली को चरम उत्कर्ष तक तो उठाया किंतु उसके फासीवाद की संवर्धन की महत्वकांक्षा उसके वध का कारण बनी।

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