प्रत्यक्ष And अप्रत्यक्ष कर में अंतर

सामान्य तौर पर प्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जिनका भुगतान Single ही बार में कर दिया जाता है तथा इन करों का वे ही व्यक्ति भुगतान करते हैं जिन पर वह लगया जाता है Meansात् उन के भार को दूसरों पर टाला नहीं जा सकता। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर वे होते हैं जिनका भुगतान First तो उत्पादकों द्वारा Reseller जाता है किन्तु जिन्हें बाद में उपभोक्ताओं पर टाल दिया जाता है। इस प्रकार प्रत्यक्ष करों में कर का दबाव And कर-भार (कराघात और करापात) Single ही व्यक्ति पर पड़ता है, जैसे आय-कर- जबकि अप्रत्यक्ष करों में कराघात और करापात भिन्न-भिन्न व्यक्तियों पर पड़ता है, जैसे, बिक्री-कर।

डाल्टन के According, प्रत्यक्ष कर वह कर है जो कि उसी व्यक्ति द्वारा अदा Reseller जाता है जिस पर कि वह कानूनी Reseller से लगाया जाता है, किन्तु अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो कि उस व्यक्ति द्वारा अदा नहीं Reseller जाता पर कि वह लगाया जाता है बल्कि परस्पर हुए किसी समझौते के अधीन आंशिक Reseller से अथवा पूर्णतया किसी अन्य द्वारा अदा Reseller जाता है।

प्रो. जे. एस. मिल (J. S. Mill) के According, प्रत्यक्ष कर वह कर है जो उसी व्यक्ति से माँगा जाता है जिससे उसे भुगतान करने की आशा की जाती है और परोक्ष कर वह है जो व्यक्ति से इस आशा के साथ माँगा जाता है कि वह दूसरों पर बोझ डालकर अपनी क्षतिपूर्ति कर लेगा। उपर्युक्त परिभाषा सरकार की प्रत्याशा अथवा इच्छा पर आधारित है किन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि जो सरकार की इच्छा है उसी के According करों के सम्बन्ध में व्यवहार Reseller जायेगा।

बैस्टेबल (Bastable) के According, प्रत्यक्ष कर वे है जो स्थाई और बार-बार उपस्थित होने वाले अवसरों पर लगाए जाते हैं जबकि अप्रत्यक्ष कर विशेष घटनाओं पर लगाए जाते हैं जो कभी-कभी उपस्थित होते हैं। किन्तु बैस्टेबल का प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के सम्बन्ध में उपर्युक्त भेद वैज्ञानिक नहीं है।

आर्मिटेज स्मिथ (Armitage Smith) के According, प्रत्यक्ष कर से तात्पर्य यह है कि यह कर हस्तान्तरित And विवख्रतत नहीं Reseller जा सकता वरन् उसी व्यक्ति पर लगाया जाता है जिससे भार सहन करने की आशा की जाती है। आय-कर प्रत्यक्ष कर का श्रेष्ठ उदाहरण है। परोक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं पर ऐसे कर होते हैं जिन्हें अन्य व्यक्तियों पर विवख्रतत Reseller जा सकता है। उपर्युक्त परिभाषा से यह स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष कर का भार अन्तिम Reseller से उसी व्यक्ति पर रहता है जो इसे सरकारी कोष में जमा करता है Meansात् प्रत्यक्ष कर के भार को विवख्रतत करना सम्भव नहीं होता।

फिण्डले शिराज के Wordों में, प्रत्यक्ष कर वे होते हैं जो व्यक्तियों की सम्पत्ति और आय पर तत्काल लगाए जाते हैं और करदाताओं द्वारा सीधे सरकार को भुगतान किए जाते हैं जैसे, आय-कर, सम्पत्ति कर, मृत्यु कर इत्यादि। इन के अतिरिक्त अन्य कर परोक्ष कर समूह में आते हैं जो उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं के उपभोग और आनन्द से उनकी आय को प्रभावित करते हैं जैसे, व्यापार पर कर, मनोरंजन कर इत्यादि।

प्रो. डी मार्को ने आय के माप के आधार पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में भेद Reseller है। प्रो. मार्को का मत है कि करारोपण में किसी व्यक्ति द्वारा दिए जाने वाले कर की मात्रा का निर्धारण करने में Single व्यक्ति की आय की गणना करना सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। मार्को के According, फ्यदि किसी व्यक्ति की आय की गणना प्रत्यक्ष Reseller से की जाती है तो उस पर लगाए गए कर को प्रत्यक्ष कर कहते हैं। किन्तु यह प्रत्यक्ष गणना सदैव सम्भव नहीं होती अथवा बहुत कुछ आय गणना में नहीं आ पाती। अत: जिस आय की गणना प्रत्यक्ष तौर पर नहीं हो पाती तो उपभोक्ता द्वारा व्यय करते समय ऐसी आय की गणना की जाती है और उस पर लगाए गए कर को अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।

डी मार्को का मत है कि प्रत्यक्ष And अप्रत्यक्ष कर का उपर्युक्त भेद आर्थिक लक्षणों पर आधारित है किन्तु वास्तव में यह भेद प्रशासनिक घटकों पर है। पिफर, मात्र आय की गणना के वंचन के आधार पर, करों का वर्गीकरण उपर्युक्त नहीं है।

प्रत्यक्ष करों के गुण

  1. समता And न्यायशीलता (Equity & Justice )-प्रत्यक्ष करों में न्याय के सिद्धांत का पालन Reseller जा सकता है क्योंकि इनमें ऐसी व्यवस्था होती है कि प्रत्येक नागरिक अपनी योग्यता के According करों का भुगतान कर सके। प्रत्यक्ष करों का ढाँचा प्रगतिशील होता है Meansात् धनी व्यक्तियों से अधिक कर लिया जाता है और निर्धन व्यक्तियों से कम कर लिया जाता है यह पिफर इस वर्ग को इन करों से मुक्त कर दिया जाता है। इस प्रकार प्रत्यक्ष कर कराधान की योग्यता के अनुReseller होता है और यह करों में न्याय के सिद्धांत का अनुपालन करता है।
  2. लोचपूर्ण (Elastic)-प्रत्यक्ष कर व्यक्ति की सम्पत्ति और आय पर आधारित होते हैं। जब देश में उत्पादन और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तो लोगों की सम्पत्ति और आय में वृद्धि होती है तथा करों से आय भी बढ़ जाती है। ये कर इस Means में लोचपूर्ण होते हैं क्योंकि इन करों की दर में जरा-सी वृद्धि कर के सरकार अपनी आय बढ़ा सकती है। इस प्रकार संकटकाल में इन करों से आय बढ़ाने में सहायता मिलती है।
  3. निश्चितता (Certainty)-प्रत्यक्ष कर करारोपण के निश्चितता के सिद्धांत को भी सन्तुष्ट करते हैं क्योंकि सरकार को इस बात की निश्चितता रहती है कि करों में उसे कितनी आय प्राप्त होगी तथा करदाता भी जानते हैं कि उन्हें कर की कितनी राशि का भुगतान करना है। निश्चितता के गुण के कारण सरकार को अपना बजट बनाने में सहायता मिलती है।
  4. मितव्ययिता (Economy)-करों को Singleत्रित करने में प्रशासनिक व्यय होता है किन्तु परोक्ष करों की तुलना में, प्रत्यक्ष करों के संग्रह में कम व्यय होता है क्योंकि इसमें जो प्रशासनिक व्यय होता है, उसकी तुलना में सरकार को अधिक आय प्राप्त होती है। इन करों में इसलिए भी मितव्ययिता होती है कि अधिकांश मामलों में ये कर आय के स्रोत पर ही Singleत्रित कर लिए जाते हैं और संग्रहित कर-राशि पूर्ण Reseller से राजकोष में पहुँच जाती है।
  5. उत्पादकता (Productivity)-प्रत्यक्ष करों से सरकार को बड़ी मात्रा में आय प्राप्त होती है। विभिन्न देशों के अध्ययन से यह ज्ञात हो गया है कि वहाँ की सरकारों को करों से प्राप्त होने वाली आय में प्रत्यक्ष करों से अधिक आय प्राप्त होती है।
  6. नागरिकों में जागरूकता की भावना पैदा करना (Civic Consciousness)-प्रत्यक्ष करों में यह गुण भी होता है कि ये नागरिकों में जागरूकता की भावना पैदा करते हैं। करदाता जानता है कि वह सरकार को कर दे रहा है, उसकी अभिरूचि इस बात में रहती है कि सरकार इस आय को किस प्रकार व्यय कर रही है। इस प्रकार व्यक्ति नागरिक के Reseller में अपने कर्त्तव्य और अधिकारों के प्रति सजग रहा है।

प्रत्यक्ष कर के दोष

  1. कर अपवंचन (Tax Evasion)-प्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा दोष यह है कि इनमें करों के अपवंचन अथवा चोरी की अधिक गुंजाइश रहती है। प्राय: लोग झूठा हिसाब प्रस्तुत कर या तो अपने आपको इन करों से पूर्ण Reseller से बचा लेते हैं अथवा करों की चोरी कर लेते हैं Meansात् कम मात्रा में करों का भुगतान करते हैं। ऐसे बहुत-से लोग भी कर देने से बच जाते हैं जिनकी आय के सम्बन्ध में सरकार के पास कुछ निश्चित जानकारी नहीं होती।
  2. असुविधाजनक (Inconvenient)-प्रत्यक्ष कर इस दृष्टिकोण से असुविधाजनक होते हैं क्योंकि करदाताओं को अपनी आय का सरकारी नियमों के According लम्बा-चौड़ा हिसाब रखना पड़ता है। जरा-सी गलती होने पर करदाताओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही करदाताओं को Single ही बार में भारी मात्रा में कर का भुगतान करना पड़ता है जिससे उन्हें बड़ा मानसिक कष्ट होता है।
  3. बचत और विनियोग पर प्रतिकुल प्रभाव (Adverse effect on Saving & Investment)-यदि प्रत्यक्ष करों की दर बहुत ऊँची होती है तो इसका बचत और विनियोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सामान्यत: प्रत्यक्ष करों का भार उसी वर्ग पर पड़ता है जो बचत और विनियोग कर सकते हैं।
  4. सीमित क्षेत्र (Limited Scope)-प्रत्यक्ष कर चूँकि सम्पत्ति और आय पर ही लगाए जाते हैं, इनका क्षेत्र सीमित हो जाता है तथा निर्धन और कम आय वाला वर्ग इनकी पहुँच के बाहर हो जाता है। Second Wordों में यदि केवल प्रत्यक्ष करों का ही आश्रय लिया जाए तो इन के द्वारा निर्धन वर्ग के लोगों तक पहुँचा जा सकता। इस प्रकार प्रत्यक्ष कर का क्षेत्र सीमित है।
  5. करों की मनमानी दर (Arbitrary Rates)-सरकार द्वारा प्रत्यक्ष करों की जो दरें निर्धारित की जाती हैं, उन के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। Single निश्चित मात्रा में सम्पत्ति और निश्चित आय के नीचे सब व्यक्तियों को कर से छूट दे दी जाती है तथा अधिक आय अर्जन करने वाले लोगों पर मनमाने ढंग से प्रगतिशील दर से कर लगाया जाता है जिससे धनी वर्ग हतोत्साहित होता है।
  6. मानसिक अशान्ति (Mental Worry)-प्रत्यक्ष कर की अदायगी द्वारा सीधे की जाती है जिसका उसे पूर्ण ज्ञान रहता है जबकि परोक्ष कर में व्यक्ति को कर देते समय कर भार का सीधे अनुमान नहीं होता। इस दृष्टि से प्रत्यक्ष कर व्यक्ति को कष्ट And मानसिक अशान्ति देता है।

अप्रत्यक्ष कर के गुण

  1. व्यापक आधार (Wide Coverage)-आज यह दृष्टिकोण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के According राज्य को कर देना चाहिए। इस दृष्टिकोण से परोक्ष करों का यह गुण है कि इनका आधार विस्तृत होता है तथा All व्यक्तियों पर इनका भार पड़ता है, क्योंकि वस्तुओं का उपयोग धनी और निर्धन All करते हैं। अत: सबको कर देना पड़ता है।
  2. कर वंचन सम्भव नहीं (Tax Evasion Impossible)-परोक्ष करों की चोरी कर पाना सम्भव नहीं होता। इसका कारण यह है कि ये कर First उत्पादकों And व्यापारियों से वसूल किए जाते हैं, पिफर कर की इस मात्रा को वस्तुओं के मूल्य में शामिल कर लिया जाता है और उपभोक्ताओं से इसे वसूल कर लिया जाता है किन्तु ऐसी स्थिति भी होती है कि कभी-कभी व्यापारी झूठा हिसाब प्रस्तुत कर इन करों की चोरी कर लेते हैं।
  3. सुविधाजनक (Convenient)-इन करों का यह गुण होता है कि करदाताओं की दृष्टि से ये बहुत सुविधाजनक होते हैं क्योंकि ये कर Single ही बार में न लिए जाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लिए जाते हैं Meansात् वस्तुओं के उपभोग की मात्रा के According। वस्तुओं के मूल्य में शामिल होने के कारण करदाताओं अथवा उपभोक्ताओं को इनका भार महसूस नहीं होता।
  4. सामाजिक कल्याण अनुReseller (Leading to Social Welfare)-इन करों से सामाजिक कल्याण में वृद्धि होती है क्योंकि ऐसी वस्तुओं पर जिन के उपभोग से सामाजिक कल्याण में कमी होती है, करों की मात्रा में वृद्धि कर उन के उपभोग को हतोत्साहित Reseller जा सकता है। यही कारण है कि शराब, सिगरेट, भांग, अपफीम आदि हानिकारक And नशीली वस्तुओं पर ऊंचा कर लगाया जाता है।
  5. लोचदार (Elastic)-अप्रत्यक्ष करों में यह गुण भी होता है कि ये लोचदार होते हैं Meansात् करों की दर में वृद्धि कर के सरकार अपनी आय बढ़ा सकती है। जिन वस्तुओं की माँग बेलोचदार होती है, उन पर कर की दर सरलता से बढ़ाई जा सकती है। किन्तु इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ऐसी वस्तुओं का मूल्य बढ़ने से गरीब उपभोक्ताओं पर अधिक भार पड़ता है।
  6. लोकप्रिय (Popular)-अप्रत्यक्ष कर देते समय व्यक्ति को प्राय: इन करों का बोध नहीं होता और व्यक्ति इनकी अदायगी में कोई कष्ट अनुभव नहीं करता।

अप्रत्यक्ष कर के दोष

  1. न्याय की कमी (Lack of Justice)-परोक्ष करों का सबसे बड़ा दोष यह है कि ये न्यायपूर्ण नहीं होते क्योंकि ये अमीर और गरीब दोनों पर समान दर से लगाए जाते हैं। अत: स्पष्ट है कि गरीब व्यक्ति पर इनका भार अपेक्षाकृत अधिक होता है।
  2. अनिश्चित (Uncertain)-सरकार स्पष्ट कर से यह First से नहीं जान सकती कि इन करों से उसे कितनी आय प्राप्त होगी क्योंकि यह उपभोक्ताओं की माँग की लोच पर निर्भर रहता है उपभोक्ताओं को भी यह ज्ञान नहीं हो पाता कि उन्हें कितनी मात्रा में परोक्ष कर देने पड़ेगे क्योंकि चाहे तब इन करों की दर बढ़ती रहती है। विक्रेता भी वस्तुओं पर मनमानी दर से वसूल करता रहता है।
  3. अवरोही (Regressive)-अप्रत्यक्ष कर धनी And निर्धन दोनों वर्गों द्वारा समान Reseller से अदा किए जाते हैं। परिणामस्वReseller धनी वर्ग की तुलना में निर्धन वर्ग पर इन करों का अधिक बोझ पड़ता है Meansात् अप्रत्यक्ष कर प्रकृति से अवरोही होते है।
  4. मितव्ययिता का अभाव (Lack of Economy)-अप्रत्यक्ष करों को वसूल करने में Single बड़ी प्रशासनिक मशीनरी की Need होती है जिस पर सरकार को बहुत व्यय करना पड़ता है। इन करों की वसूली में भ्रष्टाचार भी होता है और सरकार को जितनी आय प्राप्त नहीं होनी चाहिए, उतनी आय प्राप्त नहीं हो पाती।
  5. उपभोग और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse effect on Consumption & Production)-परोक्ष करों के फलस्वReseller वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है जिससे उनका उपभोग कम जो जाता है। उपभोग कम हो जाने से वस्तुओं की माँग कम हो जाती है जिससे उत्पादन भी कम हो जाता है।
  6. नागरिक चेतना का अभाव (Lack of Civic Consciousness)-प्रत्यक्ष करों में उपभोक्ता यह नहीं जान पाते कि करों का भुगतान कर रहे हैं और कितनी मात्रा में कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि करों को मूल्य में शामिल कर लिया जाता है। अत: करदाताओं में यह नागरिक चेतना पैदा नहीं हो पाती हक उन के द्वारा भुगतान की गई करों की राशि को सरकार द्वारा किस प्रकार व्यय Reseller जा रहा है।
  7. कर वंचन (Tax Evasion)-यद्यपि हमने परोक्ष करों के गुणों में यह देखा है कि कर वंचन सम्भव नहीं हो पाता किन्तु यह पूर्णReseller से सत्य नहीं है। यह सही है कि उपभोक्ता करों से नहीं बच पाते किन्तु विवे्रफता प्राय: झूठे हिसाब पेश कर देते हैं और बिक्री राशि कम दिखाते हैं तथा इस प्रकार अप्रत्यक्ष करों की चोरी करने में सफल हो जाते हैं।
  8. बचतें हतोत्साहित (Savings Discouraged)-अप्रत्यक्ष कर कीमतों में सम्मिलित होता है अत: व्यक्ति को अपने उपभोग के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है। इस दशा में बढ़ता उपभोग व्यय व्यक्ति की बचतों को कम कर देता है।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर : Single तुलनात्मक विवेचन

प्रत्यक्ष And अप्रत्यक्ष करों का तुलनात्मक विवेचन करते हुए प्रो. डी मार्को ने यह मत व्यक्त Reseller कि ‘प्रत्यक्ष कर And अप्रत्यक्ष कर Single-Second के पूरक हैं। प्रो. डी मार्को के According धनी व्यक्तियों की सम्पूर्ण आय का सही माप नहीं Reseller जा सकता। यह तो स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष करों का भार उन्हीं व्यक्तियों पर अधिक पड़ता है जिनकी आय की गणना की जा सकती है, जैसे, वेतन पाने वाले कर्मचारी। इसके विपरीत, कुछ ऐसे अधिक आय वाले लोग होते हैं जिनकी आय जो अधिक होती है किन्तु उनकी आय की सही गणना नहीं की जा सकती, जैसे, डॉक्टर, वकील इत्यादि। अत: ये लोग आय कर से बच जाते हैं। इस प्रकार इन करों का वितरण असमान हो जाता है। किन्तु अप्रत्यक्ष करों से इस असमानता को ठीक Reseller जा सकता है। जिन लोगों की आय की गणना नहीं हो पाती और इस प्रकार करों से बच जाते हैं, उन के पास काफी आय बची रहती है जिसे वे वस्तुओं के क्रय करने पर खर्च करते हैं। ऐसी आय पर अप्रत्यक्ष कर लगाए जा सकते हैं। इस प्रकार करों के भार को विभिन्न वर्गों में समान Reseller से वितरित Reseller जा सकता है। इस प्रकार अप्रत्यक्ष कर, प्रत्यक्ष करों के पूरक होते हैं क्योंकि वे ऐसी आय पर लगाए जा सकते हैं जो प्रत्यक्ष आय के अन्तर्गत नहीं आ पाते।

Single अन्य दृष्टि से भी अप्रत्यक्ष कर, प्रत्यक्ष करों के पूरक होते हैं। Single व्यक्ति की आय में आय में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। किन्तु प्रत्यक्ष करों में इनकी पूर्ण गणना नहीं हो पाती और लोग प्रत्यक्ष करों से बच जाते हैं। किन्तु व्यक्ति की आय बढ़ने से उसके उपभोग में वृद्धि हो जाती है, अप्रत्यक्ष करों के Reseller में अधिक राशि का भुगतान करना होता है।

प्रो. डी मार्को के According, प्रत्यक्ष कर कई Resellerों में अप्रत्यक्ष करों के पूरक होते हैं-First, ऐसी वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर नहीं लगाए जा सकते जिनका उपभोग स्वयं उत्पादकों द्वारा कर लिया जाता है, जैसे, कृषि। ऐसे मामलों में प्रत्यक्ष करों की Need होती है। Second, अप्रत्यक्ष कर, सब प्रकार की वस्तुओं And सेवाओं पर नहीं लगाए जा सकते अत: Single व्यक्ति की आय पर अप्रत्यक्ष कर लगाना ही पर्याप्त नहीं है, वरन् उस आय पर प्रत्यक्ष कर भी लगाया जाना चाहिए। Third, प्रत्यक्ष करों के समान, अप्रत्यक्ष करों का भी अपवंचन Reseller जा सकता हैं। अत: इस दृष्टि से, केवल अप्रत्यक्ष करों के द्वारा ही व्यक्तियों की आय की सही गणना करों के लिए नहीं की जा सकती और पूरक के Reseller में अप्रत्यक्ष कर लगाए जाने चाहिए।

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