सामाजिक नियंत्रण क्या है?
सामाजिक नियंत्रण की अवधारणा
मैकाइवर और पेज ने सामाजिक सम्बन्धों के जाल को समाज के Reseller में परिभााषित Reseller है। बिना समाज के किसी भी मनुष्य के अस्तित्व की कल्पना नही की जा सकती है। Human समूह में रहकर Single Second से अन्र्तक्रिया करके सामाजीकरण करता है, तथा उस समाज में रहने योग्य बनता है। जैसा कि All जानते है कि बिना नियंत्रण के किसी भी व्यवस्था को व्यवस्थित Reseller से सुचारू नही चलाया जा सकता है। अत: समाज को व्यवस्थित रखने के लिए सामाजिक नियंत्रण Single मुख्य अभिकरण के Reseller में प्रयोग होता है।
प्राचीन काल मे परम्परागत समाज छोटे And सरल होते थे तथा समाज को व्यवस्थित रखना भी सरल था। जिसमें प्रमुख Reseller से धर्म, रीति रिवाज, परम्परायें And नैतिक विचार के माध्यम से ही समाज को व्यवस्थित रखा जाता था। परन्तु धीरे-धीरे समाज जब सरल से जटिल होता गया, तो अनेक प्रकार के नियंत्रण के साधनों में भी वृद्वि होती गई। नियंत्रण के अभाव में Single व्यवस्थित And नियंत्रित समाज की कल्पना नही की जा सकती है। समाज को व्यवस्थित, संगठित And नियंत्रित रखने के लिए समाज में कुछ नियमों को लागू करना होगा जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति, उनकी अभिवृत्तियों, व्यवहार आदि पर नियंत्रण रख सके। इस प्रकार के नियमों को जो Human व्यवहार पर नियंत्रण रखकर समाज को संगठित And व्यवस्थित रखनें में अपना सहयोग देता है, सामाजिक नियंत्रण कहलाता है।
सामाजिक नियंत्रण की परिभाषा
विभिन्न समाजशास्त्रियों नें सामाजिक नियंत्रण की अलग-अलग परिभाषायें दी है। कुछ प्रमुख समाजशास्त्रियों की प्रमुख परिभाषायें है।
- मैकाइवर And पेज के According “सामाजिक नियंत्रण का Means उस ढंग से है जिससे सम्पूर्ण सामाजि व्यवस्था में Singleता बनी रहती है तथा जिसके द्वारा यह व्यवस्था Single परिवर्तनशील सन्तुलन के Resellerसे कार्य करती है।”
- गिलिन And गिलिन “सामाजिक नियंत्रण सुझाव अनुनय, प्रतिरोध, उत्पीड़न तथा बल प्रयोग जैसे साधनों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा समाज किसी समूह को मान्यता प्राप्त व्यवहार व प्रतिमानों के अनुReseller बनाता है अथवा जिसके द्वारा समूह All सदस्यों को अपने अनुReseller बना लेता है।”
- गुरविच और मूरे “सामाजिक नियंत्रण का सम्बन्ध उन All प्रक्रियाओं और प्रयत्नों से है जिनके द्वारा समूह अपने आंतरिक तनावों और संधर्षो पर नियंत्रण रखता है और इस प्रकार Creationत्मक कार्यो को और बढाता है।”
- आर्गबर्न और निमकाफ “दबाव का वह प्रतिमान जिसे समाज के द्वारा व्यवस्था बनाये रखने और नियमों को स्थापित रखने के लिए उपयोग में लाया जाता है, सामाजिक नियंत्रण कहलाता है।”
- आर्गबर्न और निमकाफ “व्यवस्था और स्थापित नियमों को बनाये रखने के लिए Single समाज जिस दबाव के प्रतिमान का प्रयोग करता है वह उसकी सामाजिक नियंत्रण व्यवस्था कहलाती है।”
- राँस “इस प्रकार सामाजिक नियंत्रण में रीति रिवाज, सामाजिक धर्म, व्यैक्तिक आदर्श, लोकमत, विधि, विश्वास, उत्सव, कला, ज्ञान, सामाजिक मूल्य आदि वे All तत्व आते है, जिनसे व्यक्ति पर समूह का अथवा समूह पर समाज का नियंत्रण रहता है। इससे समाज में व्यवस्था बनी रहती है और व्यक्तिगत व्यवहार की मर्यादायें निश्चित रहती हे। इसके बिना समाज का जीवन नही चल सकता।”
- राँस “सामाजिक नियंत्रण का तात्पर्य उन All शक्तियों से है जिनके द्वारा समुदाय व्यक्ति को अनुReseller बनाता है।”
- गुरबिच और मूरे, “सामाजिक नियंत्रण का सम्बन्ध उन All प्रक्रियाओं और प्रयत्नों से है जिनके द्वारा समूह अपने आन्तरिक तनावों और संधर्षो पर नियंत्रण रखता है और इस प्रकार Creationत्मक कार्यो की ओर बढता है।”
- ब्राइटली, “सामाजिक नियंत्रण नियोजित अथवा अनियोजित प्रक्रियाओं और ऐजेन्सियों के लिए Single सामुहिक Word है जिनके द्वारा व्यक्तियों को यह सिखाया जाता है, उनसे आग्रह Reseller जाता है अथवा उनको बाध्य Reseller जाता है कि वे अपने समूह की रीतियों तथा सामाजिक मूल्यों के According ही कार्य करे।”
- मानहीम के अनुसार, “सामाजिक नियंत्रण उन विधियों का योग है जिनके द्वारा समाज व्यवस्था को स्थिर रखने हेतु Humanीय व्यवहार को प्रभावित करने का प्रयत्न करता है।”
- लैडिंस के According, “सामाजिक नियंत्रण Single सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को समाज के प्रति उत्तरदायी बनाया जाता है And सामाजिक संगठन को निर्मित And संरक्षित Reseller जाता है।”
- रूक के According, “उन प्रक्रियाओं और अभिकरणों (नियोजित अथवा अनियोजित) जिनक द्वारा व्यक्तियों को समूह के रिति-रिवाजों And जीवन मूल्यों के समReseller व्यवहार करने हेतु प्रशिक्षित, प्रेरित अथवा बाधित Reseller जाता है वह सामाजिक नियंत्रण है।”
- किम्बाल यंग ने सामाजिक नियंत्रण को परिभाषित करते हुए कहा है कि, “किसी समूह का Second के ऊपर अथवा समूह का अपने सदस्यों के ऊपर अथवा व्यक्तियों का Second के ऊपर आचरण के निर्धारित नियमों का क्रियान्वित करने हेतु दमन, बल, बंधन, सुझाव अथवा अनुनय का प्रयोग है। इन नियमों का निर्धारण स्वंय सदस्यों द्वारा यथा आचरण की व्यवसायिक संहिता में अथवा किसी विशाल समविष्ट समूह द्वारा किसी अन्य छोटे समूह के नियंत्रण हेतू Reseller जा सकता है।”
हालाकि भिन्न-भिन्न समाजशास्त्रियों ने सामाजिक नियंत्रण की अलग-अलग परिभाषायें दी है किन्तु यह कहना कोई अतिश्योक्ति नही होगी कि लगभग All समाजशास्त्रियों ने सामाजिक नियंत्रण को समाज को व्यवस्थित And संगठित रखने की Single प्रणाली बताया है। जिससे Human समूह समाज द्वारा स्वीकृत अनेक नियमों And रीति रिवाजों के माध्यम से व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करता है तथा समाज को संधर्ष And विधटन से बचाने के लिए नियंत्रित व मर्यादित व्यवहार करने को बाध्य करता है। जिससे समाज संतुलित रहता है तथा व्यक्ति के ऊपर समूह अपेक्षाकृत अधिक नियंत्रण रख सकता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति समूह द्वारा बनाये गये नियमों के आधीन रह कर ही उचित ढंग से कार्य करने को बाध्य होता है और प्रत्येक कार्य Second व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखकर करने का प्रयत्न करता है।
सामाजिक नियंत्रण के साधन
सर्वविदित है कि समाज को संगठित रखने में सामाजिक नियंत्रण की Single प्रमुख भूमिका होती है। समाज के कई ऐसे नियम या अभिकरण है जो समाज में सामाजिक नियंत्रण को बनाये रखते है। ये ऐसे साधन है जो व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करके समूह के मूल्यों नियमों एचं रिति रिवाजों का पालन करने के लिए बाध्य करते है। सामाजशास्त्रियों ने सामाजिक नियंत्रण के अलग-अलग साधन बताये है।
- ई0 ए0 रॉस ने जनमत, कानून, प्रथा, धर्म, नैतिकता, लोकाचार तथा लोकरितीयों को सामाजिक नियंत्रण का प्रमुख साधन माना है।
- ई0 सी0 हेज ने सामाजिक नियंत्रण के Reseller में शिक्षा, परिवार, सुझाव, अनुकरण, पुरूष्कार And दण्ड प्रणाली को नियंत्रण का सबसे प्रभावी साधन And महत्वपूर्ण अभिकरण माना है।
- लूम्ले ने सामाजिक नियंत्रण के साधन को दो वर्ग बल पर आधारित तथा प्रतीकों पर आधारित में विभक्त Reseller है। जिसमें शाररिक बल तथा पुरूष्कार, प्रशंसा, शिक्षा, उपहास, आलोचना, धमकी, आदेश तथा दण्ड सम्मिलित है।
- लूथर एल0 बर्नाड ने सामाजिक नियंत्रण के साधन को अचेतन And चेतन के Reseller में बाटा है। अचेतन साधनों मे प्रथा, रिति रिवाज And परम्परायें है। चेतन साधन में दण्ड, प्रतिकार तथा धमकी आदि है।
सामाजिक नियंत्रण के प्रकार
सामाजिक नियंत्रण की परिभाषा से स्पष्ट है कि, व्यक्ति की पाशविक प्रवृतियों पर अंकुश लगाकर सामाजीकरण And Humanीकरण करके समाज को व्यवस्थित And संगठित रखना ही सामाजिक नियंत्रण है। किन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों, आदतों And स्वभाव के कारण प्रत्येक Second व्यक्ति से भिन्न होता है। अत: इसी विभिन्नता के चलते सामाजिक नियंत्रण के स्वReseller में भी विभिन्नता आती जाती है। कुछ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तथा कुछ को परोक्ष Reseller से नियंत्रित करने की Need होती है। इस आधार पर प्रत्येक समाज तथा व्यक्ति की नियंत्रण की प्रकृति भी भिन्न होती है। विभिन्न समाजशास्त्रियों ने सामाजिक नियंत्रण के स्वReseller को अनेकों प्रकार से वर्गीकृत Reseller है।
कार्ल मैनहीम ने सामाजिक नियंत्रण के दो प्रकार बताये है।
- प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण।
- अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण।
प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण
प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण प्राय: प्राथमिक समूहो में पाया जाता है। जैसे परिवार, पड़ोस तथा खेल समूह। यह नियंत्रण व्यक्ति पर उन व्यक्तियों द्वारा किये गये व्यवहार तथा प्रक्रियाओं का प्रभाव है जो उसके सबसे करीबी हो। क्योंकि व्यक्ति पर समीप रहने वाले व्यक्ति के व्यवहार का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। यह नियंत्रण्स प्रशंसा, निन्दा, आलोचना, सुझाव, पुरूस्कार, आग्रह तथा सामाजिक बहिष्कार आदि के द्वारा लगाया जाता है तथा प्रत्यक्ष Reseller से लगाया गया सामाजिक नियंत्रण का प्रभाव स्थायी होता है तथा व्यक्ति इसको स्वीकार भी करता है।
अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण
अप्रत्यक्ष या परोक्ष सामाजिक नियंत्रण व्यक्ति पर द्वितियक समूहो द्वारा लगाये गये नियंत्रण से है। विभिन्न समूहो, संस्थाओं, जनमत, कानूनों तथा प्रथाओं द्वारा व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित कर Single विशेष प्रकार का व्यवहार करने को बाध्य Reseller जाता है। व्यक्ति इस नियंत्रित व्यवहार को धीरे-धीरे अपनी आदतों में शामिल कर लेता है यही अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण है। समाज And समूह को व्यवस्थित And संगठित रखने के लिए अप्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण का विशेष महत्व है तथा यह समूह के कल्याण में अपनी विशेष भूमिका का निर्वहन करते है।
चाल्र्स कूले ने सामाजिक धटनाओं के आधार पर सामाजिक नियंत्रण के प्रकारों को स्पष्ट Reseller है। कूले के According सामाजिक धटनायें दो प्रकार से समाज को नियंत्रित करती है।
चेतन नियत्रण-
मनुष्य अपने जीवन में अपने समूह के लिए कई कार्य तथा व्यवहार जागरूक अवस्था में सोच समझ कर करता है। यह चेतन अवस्था कहलाती है। जागरूक अवस्था में Reseller गया कोई भी कार्य चेतन नियंत्रण कहलाता है।
अचेतन नियंत्रण-
प्रत्येक समाज या समूह की अपनी संस्कृति, प्रथायें, रीति रिवाज, लोकाचार, परम्परायें तथा संस्कारों से निरन्तर प्रभावित होकर उनके अनुReseller ही समाज व समूह के प्रति व्यवहार करता है, इन प्रथाओं रीति रिवाजों या धार्मिक संस्कारों के प्रति व्यक्ति अचेतन Reseller से Added रहता है और जीवन पर्यन्त वह उसकी अवहेलना नहीं कर पाता जो समाज व समूह को नियंत्रित करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते है। यह अचेतन नियंत्रण कहलाता है।
किम्बाल यंग ने सामाजिक नियंत्रण को सकारात्मक नियंत्रण And नकारात्मक नियंत्रण दो भागों में विभाजित Reseller है।
सकारात्मक नियंत्रण-
सकारात्मक नियंत्रण में पुरूस्कारों के माध्यम से व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित Reseller जाता है। प्रोत्साहन या पुरूस्कार व्यक्ति की कार्यक्षमता को तो बढाता ही है साथ ही अच्छे कार्यो के लिए प्रेरित भी करता है। प्रथाओं और परम्पराओं का पालन करने की कोशिश करता है जो समाज उसे Single सम्मानजनक स्थिति प्रदान करता है। उदाहरण के लिए स्कूल कालेजों में विद्यार्थियों को तथा समाज में उत्कृष्ट कार्य करने के व्यक्ति को पुरूस्कार द्वारा सम्मानित करना।
नकारात्मक नियंत्रण-
जहां Single ओर समाज में प्रोत्साहन या पुरूस्कारों द्वारा व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित Reseller जाता है वही दूसरी ओर दण्ड के माध्यम से भी व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित Reseller जाता है। समाज द्वारा स्वीकृत नियमों, आदर्शो, मूल्यों तथा प्रथाओं का उल्लधंन करने पर व्यक्ति को अपराध के स्वReseller के आधार पर सामान्य से मृत्यु दण्ड तक दिया जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति आदर्शो के विपरीत आचरण नही करते या करने से डरतें है। इस प्रकार के नियंत्रण को नकारात्मक नियंत्रण कहते है। जैसे कि जाति के नियमों के विरूद्व आचरण करने वाले व्यक्ति को जाति से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
गुरविच और मूरे ने सामाजिक नियंत्रण को संगठित, असंगठित, सहज नियंत्रण तीन भागों में विभाजित Reseller है।
संगठित नियंत्रण-
इस प्रकार के निंयंत्रण में लिखित नियमों के द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों को नियंत्रित करReseller जाता है। जैसे- राज्य के कानून इसके उदाहरण है। असंगठित नियंत्रण-
विभिन्न प्रकार के संस्कारों, प्रथाओं, लोकरीतियां तथा जनरीतियों द्वारा स्थापित नियंत्रण असंगठित नियंत्रण कहलाता है।
सहज नियंत्रण-
प्रत्येक व्यक्ति की अपनी Needयें, नियम, मूल्य, विचार And आदर्श होते है अपनी Needओं की पूर्ति के लिए समय पर निर्भर रहना पड़ता है और इन Needओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति स्वीकृत नियमों के अन्दर रहकर ही करता है। इस प्रकार का नियंत्रण सहज सामाजिक नियंत्रण कहलाता है। जैसे- धार्मिक रीति रिवाजों का पालन सहज सामाजिक नियंत्रण का उदाहरण है।
औपचारिक नियंत्रण-
औपचारिक नियंत्रण के अन्तर्गत समाज में स्थापित Single ऐसी व्यवस्था जिसकी स्थापना राज्य तथा समाज मे व्याप्त औपचारिक संगठनों द्वारा बनाये गये स्वीकृत नियमों के आधार पर समूह के व्यक्तियों के व्यवहार पर नियंत्रण रखना होता है। इस प्रकार के नियमों का उल्लधंन करने पर दण्ड व्यवस्था का भी प्राविधान रखा जाता है। जैसे – कानून, न्यायपालिका, पुलिस, प्रचार प्रसार संगठन आदि।
अनौपचारिक नियंत्रण-
अनौपचारिक नियंत्रण में किसी प्रकार के लिखित कानूनों की Need नही होती बल्कि समाज में व्याप्त स्वीकृत नियम, आर्दश,मूल्य, जनरीतियां, प्रथायें, लोकाचार तथा नैतिक नियमों के आधार पर नियंत्रण रखा जाता है।