व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व का Means And परिभाषा
ए. दास गुप्ता के According, ‘‘सामाजिक उत्तरदायित्व का क्षेत्र कुशलतापूर्वक व्यवसाय का संचालन करके लाभ अर्जित करना है And कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, समुदाय तथा सरकार के प्रति दायित्वों का निर्वाह करना है।’’ इसी प्रकार कूण्ट्ज And ओ’ डोनेल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘‘सामाजिक उत्तरदायित्व निजी हित में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का ऐसा दायित्व है जिससे वह स्वयं आश्वस्त होता हो कि उसके द्वारा अन्य व्यक्तियों के न्यायोचित अधिकारों तथा हितों को कोर्इ क्षति नहीं पहुँचती है।’’
इस प्रकार हम कह सकते है कि व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय है फर्म द्वारा उन नीतियों को अपनाना और उन कार्यों को करना जो समाज की आशाओं और उसके हित की दृष्टि से वाँछनीय हो।
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के विचार का विकास
अठारहवीं And उन्नीसवीं शताब्दी के उपनिवेशी काल में व्यवसाय बहुत छोटे स्तर पर किये जाते थे तथा व्यवसायी मितव्ययिता व किफायत से कार्य करते थे। इसके बावजूद वे समय-समय पर स्कूलों, गिरजाघरों तथा गरीबों के उत्थान हेतु अंशदान Reseller करते थे। इसके अतिरिक्त, प्राचीनकाल में किसी प्राकृतिक विपदा के समय व्यवसायी जरूरतंद लोगों के लिए अपने गोदाम खोल दिया करते थे तथा निर्धनों की Needओं को पूरा करते थे। इस प्रकार व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व का विचार कोर्इ नवीन विचार नहीं है। प्राचीन काल से ही व्यवसायी अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को समझता रहा है तथा उनका निर्वाह करता रहा है। व्यवसाय का संचालित रहना, पूँजी की उपलब्धता, श्रम की प्राप्ति, लाभ इत्यादि समाज पर ही निर्भर है। व्यवसाय समाज में, समाज के लिए तथा समाज के लोगों द्वारा Reseller जाता है।
पिछले 40-50 वर्षों में व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में निरंतर वृद्धि हुर्इ है। इसके क्षेत्र में शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कर्मचारी कल्याण, आवास, पर्यावरण संरक्षण, संसाधनों का संरक्षण इत्यादि से सम्बन्धित कार्यक्रमों को शामिल Reseller जाता है। यहाँ Single आधारभूत प्रश्न सामने आता है कि सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा And क्षेत्र में वृद्धि क्यो हुर्इ है। इसका सीधा जवाब है कि बढ़ती हुर्इ औद्योगिक क्रियाओं से समाज में अनेक परिवर्तन आये हैं तथा Single व्यवसायी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को किस तरीके से निभाता है।
सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में तर्क
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में अनेक तर्क दिये जा सकते है। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण तर्क हैं –
- व्यवसाय से सार्वजनिक अपेक्षाओं में परिवर्तन – सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में Single महत्वपूर्ण तर्क यह है कि व्यवसाय से की जाने वाली सार्वजनिक अपेक्षाओं में काफी परिवर्तन हो चुका है। अब उन्हीं व्यवसायिक संस्थाओं का अस्तित्व बना रह सकता है जो समाज की Needओं को संतुष्ट करती हैं। व्यवसाय दीर्घकाल में भी जीवित रहे इस हेतु उसे समाज की न केवल Needएँ पूरी करनी होगी बल्कि समाज को वह भी देना होगा जो समाज चाहता है।
- सार्वजनिक छवि में सुधार – सामाजिक उत्तरदायित्व पूरा करने से व्यवसाय की सार्वजनिक छवि या प्रतिबिम्ब में सुधार होता है। प्रत्येक फर्म अपनी सार्वजनिक प्रतिरुप में वृद्धि करना चाहती है ताकि उसे अधिक ग्राहकों, श्रेष्ठ कर्मचारियों, मुद्रा बाजार से अधिक सुविधाएँ इत्यादि के Reseller में लाभ प्राप्त हो सकें। Single फर्म जो श्रेष्ठ सार्वजनिक प्रतिबिम्ब चाहती है उसे सामाजिक लक्ष्यों का समर्थन करना होता है।
- नैतिक उत्तरदायित्व –आधुनिक औद्योगिक समाज अनेक गम्भीर सामाजिक समस्याओं, मुख्य Reseller से बड़े उद्योगों या निगमों द्वारा उत्पन्न की गयी, से ग्रस्त है। अत: उद्योगों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे उन समस्याओं को दूर करने या उनकी गम्भीरता को कम करने में भरसक सहायता करे। चूँकि Meansव्यवस्था के अनेक संसाधनों पर व्यवसायिक फर्मों या उद्योगों का नियंत्रण होता है इसलिए उन्हें कुछ संसाधनों का समाज के सुधार तथा विकास हेतु उपयोग करना चाहिए।
- पर्याप्त संसाधन – कर्मचारी, योग्यता कार्यात्मक विशेषज्ञता, पूँजी इत्यादि के Reseller में Single व्यवसाय के पास संसाधनों की Single बड़ी मात्रा होती है। इन संसाधनों के प्रभुत्व से व्यवसाय सामाजिक उद्देश्यों हेतु कार्य करने के लिए Single अच्छी स्थिति में होता है।
- व्यवसाय के लिए अच्छा पर्यावरण – सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में Single महत्वपूर्ण तर्क यह है कि इससे व्यवसाय के अनुकूल Single अच्छा पर्यावरण बनता है। यह धारणा सत्य है कि अच्छे समाज से अच्छे पर्यावरण का जन्म होता है जो व्यवसायिक क्रियाओं के अनुकूल होता है। अच्छे पर्यावरण में श्रमिकों की भर्ती सरल हो जाती है, अच्छी योग्यता वाले श्रमिकों की उपलब्धि होती है तथा श्रमिकों की अनुपस्थिति दर में कमी आती है।
- सरकारी नियमन से बचाव –सरकार Single अतिविशाल संस्था होती है जिसके अनेक अधिकार होते हैं। वह सार्वजनिक हित में व्यवसाय का नियमन करती है। यह नियमन काफी महंगा होता है तथा निर्णयन में व्यवसाय को आवश्यक स्वतंत्रता प्रदान नहीं करता है। इससे First कि सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करे व्यवसाय को समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करना चाहिए।
- श्रम आन्दोलन – आज का श्रमिक अपने अधिकारों And मांगों के प्रति काफी सजग है तथा श्रम आन्दोलन व Singleता के कारण व्यवसायी भी अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक हो गये हैं। व्यवसायी भी आज इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि Single संतुष्ट कर्मचारी या श्रमिक व्यवसाय की अमूल्य पूंजी होता है। इसलिए श्रमिकों के प्रति दायित्वों को पूरा करना व्यवसाय का Single प्राथमिक कर्तव्य हो गया है।
- वैधानिक प्रावधान –व्यवसाय पर नियंत्रण रखने हेतु आज विश्व के All राष्ट्रों में वैधानिक प्रावधानों को तेजी से लागू Reseller जा रहा है। इन प्रावधानों का पालन करके व्यवसायी अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा कर लेते हैं। श्रम कल्याण And सामाजिक Safty, न्यूनतम मजदूरी, क्षतिपूर्ति बोनस, कारखाना अधिनियम आदि के कानूनी प्रावधान सामाजिक उत्तरदायित्वों को बल देते हैं।
- अन्त:निर्भरता में वृद्धि – सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था का व्यवसाय Single महत्वपूर्ण हिस्सा है। औद्योगिक विकास के साथ-साथ समाज And व्यवसाय की Single-Second पर निर्भरता में वृद्धि हुर्इ है तथा दोनों विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए Single-Second का सहयोग चाहते हैं। इस पारस्परिक निर्भरता ने सामाजिक उत्तरदायित्वों को महत्वपूर्ण बना दिया है।
- हितों में Singleता – व्यवसायिक के संचालन में व्यवसायी के अतिरिक्त समाज के विभिन्न पक्षों का योगदान रहता है। यदि इन पक्षों के हित में टकराहट होती रहे तो व्यवसाय अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकेगा। सामाजिक उत्तरदायित्व को निभा कर विभिन्न पक्षों के हितों में Singleता स्थापित की जा सकती है।
- कृतज्ञता का कर्तव्य –व्यवसायिक इकाइयाँ समाज से विभिन्न प्रकार से लाभान्वित होती हैं। यह सर्वमान्य सिद्धान्त है कि जिससे हम लाभ प्राप्त करते हैं, उसके प्रति हम कृतज्ञता प्रकट करते हैं। सामाजिक दायित्वों को पूरा कर इस कृतज्ञता को सुविधा से चुकाया जा सकता है।
- सामाजिक चेतना – शिक्षा के प्रसार तथा संदेशवाहन के साधनों (अखबार, पत्रिकायें, टेलीविजन, रेडियो आदि) ने सामाजिक चेतना में Single क्रान्ति-सी उत्पन्न कर दी है। आज समाज का प्रत्येक वर्ग सामाजिक दायित्वों को पूरा किये जाने की आशा करने लगा है। इस चेतना के पर्यावरण में व्यवसायी को अपने दायित्वों का निर्वाह करना आवश्यक हो जाता है।
सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में तर्क
- अतिरिक्त लागत – व्यवसायी द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व की लागतों को समाज पर हस्तान्तरित कर दिया जाता है। इस प्रकार इन लागतों का सम्पूर्ण भार समाज पर पड़ता है। व्यवसायी स्वयं इन लागतों को नहीं वहन करता बल्कि वस्तुओं के मूल्य बढ़ाकर इन्हें समाज से वसूल कर लेता है। सामाजिक उत्तरदायित्वों के विपक्ष में यह Single महत्वपूर्ण तर्क है।
- सामाजिक दक्षता का अभाव –व्यवसायिक प्रबंधक व्यवसायिक मामलों में निपटने में सिद्धहस्त होते हैं, न कि सामाजिक समस्याओं के मामले में। उनका दृष्टिकोण आर्थिक होता है तथा सामाजिक मामलों में वे अपने को असहज महसूस करते हैं। यह स्थिति सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में जाती है।
- समर्थन न मिलना –बहुत से व्यवसायी समाजिक दायित्वों को पूरा करना चाहते हैं, लेकिन व्यवहार में कुछ अन्य व्यवसायी इसका विरोध करते हैं। समर्थन के अभाव में इच्छुक व्यवसायी भी अपने हाथ खींच लेते हैं। सामान्य जनता के अतिरिक्त सरकार, व्यवसायी And बुद्धिजीवी वर्ग में भी इस मुद्दे पर Agreeि का अभाव पाया जाता है।
- लाभ अधिकतम करना –सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में जाने वाला Single शक्तिशाली तर्क व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना है। प्रबंधक जो स्कंधधारियों (Stockholders) के एजेन्ट होते हैं, उनके सारे निर्णय लाभ को ध्यान में रखकर किये जाते हैं न कि सामाजिक दायित्व को ध्यान में रखकर।
- जबावदेयता की कमी – Single मतानुसार व्यवसायी की जनता के प्रति प्रत्यक्ष जबावदेयता नहीं होती है, इसलिए ऐसे क्षेत्र में उन्हें उत्तरदायित्व देना जिसमें वे जबावदेय नहीं है, अनुचित होगा।
- शक्ति का केन्द्रीयकरण – व्यवसाय का प्रभाव सम्पूर्ण समाज में महसूस Reseller जाता है। चाहे शिक्षा हो, घर हो, बाजार हो या सरकार, यह All जगह विद्यमान होता है। यह सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन करता है। सामाजिक क्रियाओं को व्यवसाय की आर्थिक क्रियाओं के साथ जोड़कर हम व्यवसाय में शक्ति का अत्य- धिक केन्द्रीयकरण कर देंगें। अत: व्यवसाय को अधिक शक्ति देना किसी भी दृष्टि से उपयुक्त नहीं होगा।
- फ्रीडमैन And लेविट के विचार- सामाजिक उत्तरदायित्व की अकाट्य आलोचना प्रसिद्ध Meansशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन द्वारा की गयी है। उनकी आलोचना दो धारणाओं पर आधारित है आर्थिक And कानूनी। आर्थिक परिप्रेक्ष्य में उनका कहना है कि यदि प्रबंधक कोषों को लाभ अधिकतम करने हेतु व्यय नहीं करता है तो बाजार तंत्र की कुशलता Destroy हो जायेगी तथा Meansव्यवस्था में संसाधनों का गलत आंबटन हो जायेगा। जहां तक कानूनी परिप्रेक्ष्य का प्रश्न है, फ्रीडमैन का विचार है कि चूंकि प्रबंधक स्कंधधारियों के कानूनी एजेन्ट होते हैं, अत: उनका Only कर्तव्य स्कंधाधारियों के वित्तीय लाभ को अधिकतम करना होता है। इस प्रकार यदि वे कोषों को सामाजिक उद्देश्यों पर व्यय करते हैं तो इसका मतलब होगा- स्कंधधारियों के हितों को चोट पहुंचाना। यहाँ फ्रीडमैन का सुझाव है कि यदि स्कंधधारी सामाजिक उद्देश्यों पर व्यय करना चाहते हैं तो वे व्यक्तिगत Reseller से अपने लाभांश में से ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेविट का कहना है कि इससे व्यवसायिक मूल्य समाज पर प्रभुत्व जमा सकते हैं। इसलिए उन्होंने भी सामाजिक उत्तरदायित्व के विरूद्ध अपने विचार व्यक्त किये।
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्वों का क्षेत्र
(Scope of Social Responsibilities of Business) व्यवसाय के संचालन And सफलता में विभिन्न वर्गों का योगदान होता है। उन All वर्गों के प्रति व्यवसाय के कुछ न कुछ उत्तरदायित्व होते हैं। प्रमुख वर्गों के प्रति व्यवसाय के उत्तरदायित्वों का विवेचन हैं :-
1. स्वामियों या अंशधारियों के प्रति उत्तरदायित्व –
Single व्यवसाय या कम्पनी का अपने अंशधारियों के प्रति जो कम्पनी के स्वामी भी होते हैं, बुनियादी उत्तरदायित्व होता है। वास्तविकता तो यह होती है कि अंशधारी कम्पनी में अपनी पूंजी का विनियोजन करके Single बड़ा जोखिम वहन करते हैं। कम्पनी के स्वामियों के प्रति Single व्यवसायी के प्रमुख उत्तरदायित्वों का History निम्न प्रकार है-
- अंशधारियों के हितों की Safty (To safeguard the Interests of the shareholders) व्यवसायी का यह मूल उत्तरदायित्व है कि वह अंशधारियों के हितों की पूर्णReseller से Safty करे। अंशधारियों की पूंजी Windows Hosting रहे तथा उन्हें पर्याप्त लाभांश मिलता रहे, इस हेतु आवश्यक है कि व्यवसायी अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाये रखे। व्यवसायी को अपने व्यवसाय का विकास तथा उसमें आवश्यक सुधार करने चाहिए तथा वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करनी चाहिए। अंशधारियों को लाभांश प्रदान करने के लिए व्यवसाय को लाभ अर्जित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त Single कोष बनाया जाना चाहिए ताकि व्यवसाय की खराब स्थिति में भी उस कोष से स्वामियों को Single उचित लाभांश प्रदान Reseller जा सके।
- कम्पनी की सार्वजनिक छवि में सुधार (Improvement in the public image of the company)कम्पनी में Reseller गया विनियोग Windows Hosting रहे और उस पर पर्याप्त प्रतिफल मिलता रहे, इसी से अंशधारी संतुष्ट नहीं होते बल्कि वे कम्पनी की सार्वजनिक छवि में भी रूचि रखते हैं। अत: व्यवसायी का यह उत्तरदायित्व है कि वह कम्पनी की छवि में सुधार को सुनिश्चित करे ताकि उसकी सार्वजनिक छवि ऐसी बने जिससे अंशधारी अपनी कम्पनी पर अभिमान कर सके।
- अन्य उत्तरदायित्व (Other Responsibilities)व्यवसायी के अपने स्वामियों के प्रति अन्य प्रमुख उत्तरदायित्व इस प्रकार से हैं- (i) उसे अपने स्वामियों को उचित आदर व सम्मान देना चाहिए। (ii) लाभांश का समय से भुगतान करना चाहिए। (iii) व्यवसाय की प्रत्येक गतिविधि से स्वामियों को अवगत कराते रहना चाहिए (iv) स्वामियों के निर्देशों का पालन करना चाहिए। (v) अंशधारियों द्वारा मांगे जाने पर आवश्यक प्रलेखों की प्रतिलिपियां उपलब्ध कराना चाहिए। (vi) अंशों की बिक्री के बाद उन्हें अंश बाजार में सूचीबद्ध करा देना चाहिए।
2. कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व –
किसी भी संगठन की, Single बहुत बड़ी सीमा तक, सफलता उसके कर्मचारियों के हार्दिक सहयोग And मनोबल पर निर्भर करती है। कर्मचारियों का मनोबल नियोक्ता And कर्मचारी के सम्बन्ध तथा कर्मचारियों के प्रति पूरे किये गये उत्तरदायित्वों पर निर्भर करता है। संगठन के कर्मचारियों के प्रति महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व निम्नलिखित हैं :
- कर्मचारियों को समय से उचित पारिश्रमिक का भुगतान करना।
- कर्मचारियों को हरसम्भव श्रेष्ठ कार्यदशाएं उपलब्ध करना।
- कार्य के उचित मानदण्ड का निर्माण करना।
- कर्मचारियों And श्रमिकों को हरसम्भव कल्याण सुविधायें प्रदान करना।
- कर्मचारियों हेतु उचित प्रशिक्षण And शिक्षा की व्यवस्था करना।
- पदोन्नति के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना।
- कुशल परिवेदना निवारण पद्धति (Efficient Grievance Handling System) की स्थापना करना।
- कार्य के समय दुर्घटनाग्रस्त होने पर क्षतिपूर्ति करना।
- कर्मचारी संगठन And श्रम संघ का उचित सम्मान करना।
- कर्मचारियों को लाभ में से उचित हिस्सा प्रदान करना।
- प्रबन्ध में उन्हें आवश्यक प्रतिनिधित्व देना।
- कर्मचारियों की विशेष योग्यताओं And क्षमताओं की प्रशंसा करना तथा मान्यता प्रदान करना।
- मधुर औद्योगिक सम्बन्धों की स्थापना हेतु हरसम्भव प्रयास करना।
- कर्मचारी मनोबल को बढ़ाना, अच्छे कार्य की प्रशंसा करना तथा उपयोगी सुझाव देने हेतु कर्मचारी को प्रोत्साहित करना, इत्यादि।
3. उपभोक्ताओं के प्रति उत्तरदायित्व –
पीटर एफ ड्रकर (Peter F. Drucker) के According, ‘‘व्यवसायिक उद्देश्य की सिर्फ Single उचित परिभाषा है- ग्राहक (उपभोक्ता) का सृजन करना।’’ (There is only one valid definition of business purpose to create a customer) उपभोक्ता व्यवसाय की नींव होता है तथा उसके अस्तित्व को बनाये रखता है। वह अकेला रोजगार प्रदान करता है। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण उपभोक्ता को बाजार का King कहा जाता है। उपभोक्ताओं के प्रति व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त ब्यौरा निम्न प्रकार से है :
- व्यवसाय की कार्यकुशलता में सुधार करना ताकि उसकी उत्पादकता में वृद्धि हो तथा उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर वस्तुएं प्राप्त हो सके।
- उपभोक्ताओं को अच्छी किस्म की तथा स्वास्थ्यपूर्वक वस्तुएं उपलब्ध कराना।
- वितरण प्रणाली को सरल And सहज बनाना ताकि उपभोक्ताओं को वस्तुएं आसानी से मिल सके।
- शोध And विकास पर ध्यान देना जिससे उपभोक्ताओं को श्रेष्ठ And नये उत्पाद मिल सके।
- वितरण प्रणाली में पायी जाने वाली कमियों को दूर करने हेतु आवश्यक कदम उठाना जिससे मध्यस्थों या असमाजिक तत्वों द्वारा की जाने वाली मुनाफाखोरी हतोत्साहित हो।
- वस्तु के विज्ञापन में मिथ्यावर्णन न करना जिससे उपभोक्ता को धोखा न हो।
- विक्रय के बाद आवश्यक सेवाएं (required after-sales services)उपलब्ध कराना।
- उत्पाद के बारे में उपभोक्ता को आवश्यक जानकारी देना, जैसे-उस वस्तु के प्रतिकूल प्रभाव, जोखिम, प्रयोग करते समय ली जाने वाली सावधानी, इत्यादि।
- उपभोक्ताओं की रूचि, Need आदि का ध्यान रखना तथा उसी के According वस्तुओं का उत्पादन करना।
- उपभोक्ता की शिकायतों को सुनना तथा उचित शिकायतों को अतिशीघ्र दूर करने का प्रयास करना।
- वस्तुओं को प्रमापित करवाना। भारत में ‘Indian Customer मानक संस्था’ (Indian Standards Institution) यह कार्य करती है। वस्तुओं को प्रमापित करवाके उपभोक्ताओं का विश्वास जीता जा सकता है।
- उपभोक्ताओं से सुझाव मांगना तथा उनसे अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयत्न करना। (iv) सरकार के प्रति उत्तरदायित्व ;Responsibilities towards the Government) Single व्यवसाय का अपने आस-पास के समुदाय के प्रति काफी अधिक उत्तरदायित्व होता है। इन उत्तरदायित्वों में निम्नलिखित को शामिल Reseller जाता है :
- पर्यावरण प्रदूषण को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिए तथा पारिस्थितिकी संतुलन (Ecological Balance) को बनाये रखना चाहिए।
- व्यवसायिक क्रियाओं के परिणामस्वReseller विस्थापितों का पुनर्वास करना (Rehabilitate) चाहिए।
- लघु उद्योगों तथा आनुषंगिक (ancillaries) उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
- शोध And विकास में योगदान करना चाहिए।
- पिछले क्षेत्रों का विकास तथा गन्दी बस्तियों के उन्मूलन हेतु यथासम्भव प्रयास करना चाहिए।
- स्थानीय समुदाय के पूर्णResellerेण विकास हेतु सहायता करना चाहिए।
- व्यवसायिक क्रियाओं की कुशलता में सुधार करना चाहिए।
- दुर्लभ संसाधनों को Windows Hosting रखने का प्रयास करना चाहिए तथा वैकल्पिक साधनों का, जहाँ तक सम्भव हो, विकास करना चाहिए।
- विभिन्न सामाजिक कार्यों जैसे शिक्षा प्रसार, जनसंख्या नियंत्रण इत्यादि में यथासम्भव योगदान देना चाहिए।
- समुदाय के लाभार्थ पाठशालाएँ, चिकित्सालय, धर्मशालाएँ, पुस्तकालय इत्यादि का निर्माण कराना अपना उत्तरदायित्व समझना चाहिए।
- समान योग्यता व कुशलता वाले कर्मचारी व श्रमिक हों तो स्थानीय व्यक्ति को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- अच्छे And स्वस्थ समाज के निर्माण में किये जा रहे राष्ट्रीय प्रयासों में योगदान करना चाहिए।
Indian Customer व्यवसायी And सामाजिक उत्तरदायित्व
सामाजिक उत्तरदायित्व का विचार हमारे देश में बहुत पुराना है। व्यवसायियों द्वारा समाज के हित के लिए अपनी सम्पदा में से हिस्सा देने की अवधारणा हमारे देश के लिए न तो आधुनिक है, और न ही पश्चिमी देशों से आयातित। प्राचीन Indian Customer समाज में व्यवसायी का महत्वपूर्ण सम्मानित स्थान था तथा वे समाज के हित के लिए मूल तंत्र की भांति कार्य करते थे। बाढ़, सूखा, महामारी आदि प्राकृतिक विपत्तियों के समय वे अपने खाद्यान्न के गोदाम सामान्य जनता के लिए खोल देते थे तथा अपने धन से राहत कार्यों में सहायता करते थे। धर्मशालाओं तथा मंदिरों का निर्माण, रात्रि शरणस्थल (Night Shelters), जगह-जगह पीने के पानी की व्यवस्था, नदियों के किनारे घाटों का निर्माण, कुऐं बनवाना, इत्यादि व्यवसायियों के लिए आम बात थी। इसी प्रकार विद्यालयों में शिक्षा के लिए दान देना तथा गरीब लड़कियों के दहेज की व्यवस्था करना उनके लिए सामान्य कार्य था। स्वतंत्रता के बाद व्यवसायी वर्ग ने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निम्न प्रकार से पूरा Reseller :
1. स्वयं के प्रति
व्यवसायी वर्ग ने अपने प्रति उत्तरदायित्व को अच्छी तरह से निभाया है। व्यवसायी वर्ग (मुख्य Reseller से निजी क्षेत्र) का प्रमुख उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है। व्यवसायियों ने लाभ का अर्जन कर तथा उसका पुनर्विनियोग कर अपने व्यवसाय का बहुमुखी विकास Reseller है। निजी क्षेत्र में समस्त आर्थिक क्रियाएं न केन्द्रित हो जाएं, इस हेतु सरकार ने विभिन्न स्तर पर कदम उठाये हैं। व्यवसायियों ने नये-नये उत्पाद बनाकर नये बाजारों में प्रवेश Reseller है। अनुसंधान तथा आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है।
2. स्वामियों के प्रति
व्यवसायियों ने स्वामियों या अंशधारियों के प्रति पूर्णReseller से उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं Reseller है। अंशधारियों का हित इसमें होता है कि उन्हें समय से पर्याप्त मात्रा में लाभांश मिलता रहे। चूंकि अंशधारी बिखरे हुए होते हैं, अत: वे संचालक मण्डल पर विश्वास करके उसे अपना ट्रस्टी बना देते हैं। व्यवहार में अंशधारियों को कभी-कभी लाभांश मिलता ही नहीं है या मिलता भी है तो बहुत थोड़ी मात्रा में इससे अंशधारियों के हित कुप्रभावित होते हैं। सरकार ने अंशधारियों के हितों की रक्षा के लिए कर्इ कदम उठाये हैं। ‘सेबी’ की स्थापना इन्हीं कदमों में से Single है।
3. कर्मचारियों के प्रति
कुछ व्यवसायिक संगठनों को छोड़कर अधिकांश संगठनों ने कर्मचारियों के प्रति अपने सामाजिक उत्तरदायित्व की अवहेलना ही की है। टाटा, बिड़ला, जे0के0, रिलायन्स, मफतलाल, हिन्दुस्तान लीवर, डालमिया, इत्यादि कुछ गिने-चुने संगठन कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व को प्रभावी तरीके से सम्पादित करते हैं। अधिकांश व्यवसायी अपने कर्मचारियेां का अधिकाधिक शोषण करते हैं। न तो इन व्यवसायियों के पास कार्य मापन हेतु उचित पैमाना होता है और न ही कर्मचारियों को कार्य करने के लिए उचित पर्यावरण ये व्यवसायी प्रदान करते हैं। गुलामों की भांति इन कर्मचारियों का भी क्रय-विक्रय Reseller जाता है।
4. उपभोक्ताओं के प्रति
उपभोक्ताओं को अच्छी किस्म की तथा स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं उचित मूल्य पर प्राप्त करने का अधिकार है। परन्तु इस उत्तरदायित्व का निर्वहन करने में Indian Customer व्यवसायी असफल रहा है। आज व्यवसायी नकली वस्तुओं को बेचकर, मिलावटी सामान बेचकर या अन्य किसी अनैतिक या अवैधानिक तरीके से थोड़े से समय में अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहता है। किन्तु विगत कुछ वर्षों से व्यवसायी वर्ग में अपने उपभोक्ताओं के प्रति जागरूकता आयी है। अब व्यवसायी उपभोक्ताओं की रूचि तथा Need, विज्ञापन में मिथ्यावर्णन न करना, अच्छी व सस्ती वस्तुएं उपलब्ध कराना, विक्रय के बाद सेवा, वितरण प्रणाली को सरल बनाना, वस्तुओं को प्रमापित करवाना, उपभोक्ता की शिकायतों को सुनना तथा उनका उचित तरीके से समाधान करना, इत्यादि पर ध्यान देने लगा है।
4. सरकार के प्रति
जहाँ तक Indian Customer व्यवसायियों द्वारा सरकार के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाने का प्रश्न है, इसमें वे Single बड़ी सीमा तक असफल रहे हैं। व्यवसायियों के लिए करों की चोरी, रिश्वत देकर अधिकारियों को भ्रष्ट करना, राजनैतिक सम्बन्धों का अपने तुच्छ हितों हेतु दुResellerयोग करना, इत्यादि सामान्य बातें हैं। व्यवसायी काला बाजारी, मिलावट आदि करके विभिन्न सरकारी नियमों- अधिनियमों का खुला उल्लंघन करते हैं।
5. समुदाय के प्रति
व्यवसायी ने अपने आस-पास के समुदाय तथा राष्ट्र के लिए Single सीमा तक अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन Reseller है। समुदाय के लाभार्थ उन्होंने विद्यालयों, चिकित्सालयों, धर्मशालाओं, पुस्तकालयों इत्यादि के निर्माण में योगदान दिया है। शिक्षा का प्रसार तथा जनसंख्या पर नियंत्रण जैसे कार्यों में भी वे पीछे नहीं रहे हैं। व्यवसायिक क्रियाओं के माध्यम से विस्थापितों का पुनर्वास, लघु उद्योगों तथा आनुषंगिक उद्योगों को प्रोत्साहन, शोध And विकास के कार्यों को विशेष महत्व दिया है।