पानीपत का First Fight
तुगलक वंश के समय में भी मंगोल आक्रमण होते रहे और उन्होंने Indian Customerों को तंग Reseller। उत्तर तुगलक काल में राज्य में अव्यवस्था फैल गई थी। इसी काल में 1398 ई. में तैमूर ने भारतवर्ष पर आक्रमण Reseller। सिंधु, झेलम और रावी नदी को पार करते हुए दिसम्बर माह के First सप्ताह में वह दिल्ली पहुँचा, जहां उसने लगभग Single लाख लोगों का कत्ले आम Reseller। उसने सुल्तान महमूद और मल्लू इकबाल को Defeat Reseller। लगभग 15 दिन दिल्ली में ठहरने के बाद फिरोजाबाद, मेरठ, हरिद्वार, कांगड़ा, जम्मू और सिंधु नदी को पार करता हुआ 1399 ई. में स्वदेश लौट गया। उसने खिज्रखां सैयद को अपना प्रतिनिधि बनाया और उसे मुल्तान, लाहौर तथा दिपालपुर का गवर्नर नियुक्त Reseller। लोदी वंश के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत का पतन अवश्यम्भावी हो गया था। 21 नवम्बर, 1517 को सुल्तान सिकन्दर लोदी की मृत्यु हो गई और उसका पुत्र इब्राहीम लोदी उत्तराधिकारी नियुक्त हुआ। इब्राहीम लोदी में सैन्य कुशलता तो थी, किन्तु परिस्थितियों को समझने और तदनुसार कार्य करने की क्षमता का अभाव था जिसके कारण ही अन्ततोगत्वा उसका पतन हुआ। 1 लेफ्टिनेन्ट कर्नल गुलचरण सिंह, द बटैल ऑफ पानीपत, पृ. 22.
इब्राहीम लोदी की शक्तिशाली सामन्तों को अपने अधीन रखने तथा दमनकारी नीति के कारण शक्ति सम्पन्न And प्रभावशाली लोहानी, फारमूली और लोदी सामन्त इब्राहीम के शत्रु बन गये। सामन्तों के प्रति इब्राहीम के व्यवहार का वर्णन करते हुए बदायूंनी ने लिखा है कि उसने (इब्राहीम लोदी) अधिकाश सामन्ताें को बन्दी बना लिया अथवा कुचल दिया आरै अन्य को दूर-दराज के स्थानों पर भेज दिया। 1 अफगान सामन्तों की सैनिक शक्ति पर ही सुल्तान की सफलता निर्भर थी। अन्य Wordों में सल्तनत का आधार ही सामन्तशाही व्यवस्था थी। इब्राहीम के कृत्यों से वे ही सामन्त सल्तनत के विरूद्ध हो गये और सुल्तान के शत्रु बन गये। बिहार में दरिया खां ने अपने आपको स्वतंत्र King घोषित कर दिया। दूसरी ओर जब इब्राहीम लोदी पूर्व में विद्रोहों को दबाने में व्यस्त था तब बदला लेने के उद्देश्य से लाहौर के गवर्नर दौलत खां लोदी ने अपने पुत्र दिलावर खां को बाबर से सहायता प्राप्त करने के लिए काबुल भेजा। इब्राहीम का चाचा आलम खां भी इब्राहीम के स्थान पर सुल्तान बनना चाहता था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बाबर से सहायता लेने हेतु वह भी काबुल गया। दौलत खां को यह आशा थी कि बाबर और इब्राहीम लोदी आपस में लड़कर समाप्त हो जायेंगे और पंजाब में वह संप्रभुता ग्रहण कर लेगा। इस प्रकार अन्त में वह भारत का King बन जाएगा। लेकिन दौलत खां की यह योजना असफल रही और बाबर ने जो कि पंजाब को अपने अधीन लाने के लिए काफी समय से इच्छुक था, इसे Single सुनहरा अवसर समझा और मौके का लाभ उठाया। परिणामस्वReseller अन्त में दिल्ली सल्तनत का पतन हुआ।1 इलियट एण्ड डाउसन, द मुहम्मडन पीरियड, पृ. 10.
एर्सकिन महोदय के According जब बाबर हिन्दुस्तान विजय करने का दृढ़ निश्चय कर चुका था, तब All ओर से गुटबन्दी, अविश्वास और खुले विद्रोह दिल्ली के सिंहासन को हिला रहे थे।2 इन परिस्थितियों में बाबर जैसा साहसी, दृढ़ निश्चयी, अनुभवी और आत्म-विश्वासी व्यक्ति नि:संदेह सफल हो सकता था। भाग्य ने भी उसका पूरा-पूरा साथ दिया और वह अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए इब्राहीम लोदी के विरूद्ध Fight करने पर आमादा हो गया। पंजाब में दौलत खां की पराजय हो चुकी थी। पंजाब पर बाबर का अधिकार कायम हो गया। पंजाब पर बाबर के प्रभाव में वृद्धि दौलत खां की Single भूल का ही परिणाम था। उसकी इस भूल ने बाबर और इब्राहीम लोदी को Single निर्णायक Fight की ओर अग्रसर करने में सहयोग दिया।
पंजाब में बाबर की सफलता से उत्साहित होकर इब्राहीम के असंतुष्ट अफगान अमीरों, आराइश खां तथा मुल्ला मुहम्मद मजहब, ने उसके प्रति शुभ कामनाएं प्रकट करते हुए अपने दूत तथा पत्र भेजे। अन्य अफगान अमीरों यथा – स्माईल जिलवानी तथा बिब्बन ने भी अधीनता स्वीकार करने के प्रस्ताव प्रेषित किए। ऐसी अनुकूल परिस्थितियों ने पंजाब विजय के बाद भी बाबर को हिन्दुस्तान में और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। 1 मजूमदार, रायचौधरी एण्ड दत्त, ऐन एडवान्स हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, प्लेट प्प्, पृ. 342. 2 एर्सकिन, हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, बाबर एण्ड हुमायूँ, भाग -1, लंदन, 1854, पृ. 411. 86
जसवान दूत पहुँचने पर आलम खां और दिलावर खां भी बाबर से मिल गए। आगे बढ़ने पर बाबर को दिल्ली की ओर से इब्राहीम तथा हिसार फिरोजा की ओर से हामिद खां के उसके विरूद्ध आगे बढ़ने के समाचार प्राप्त हुए। बाबर ने हुमायूं को हामिद खां के विरूद्ध भेजा। इसी पड़ाव पर सुल्तान इब्राहीम लोदी का Single अमीर बिब्बन बाबर से आकर मिल गया। हामिद खां के विरूद्ध हुमायूं की जीत हुई तथा उसने हिसार फिरोजा पर अधिकार कर लिया। हामिद खां की पराजय के बाद इब्राहीम लोदी ने 5-6 हजार घुड़सवारों सहित हातिम खां और दाउद खां को अपने अग्रगामी दल का नेतृत्व प्रदान Reseller। बाबर ने इसके विरूद्ध चिन तैमूर सुल्तान, मैंहदी ख्वाजा, मोहम्मद सुल्तान मिर्जा, आदिल सुल्तान, सुल्तान जुनैद, शाह मीर हुसैन, कुतलुक कदम, अब्दुला और कित्ता बेग के अधीन Single सेना भेजी। दोनों सेनाओं के बीच Fight हुआ। अफगान सैनिकों ने वीरता And पौरूष का प्रदर्शन Reseller, किन्तु मुगल पक्ष की जीत हुई।
हामिद खां, दाउद खां तथा हातिम खां के नेतृत्व में इब्राहीम लोदी के दोनों अग्रगामी दलों को पराजित करने के बाद बाबर को यह स्पष्ट हो गया कि इब्राहीम लोदी के साथ Single निर्णायक Fight लड़ना आवश्यक है। बाबर को लगातार यह संदेश भी मिल रहा था कि इब्राहीम लोदी Single विशाल सेना के साथ आगे बढ़ रहा है। दायें-बायें और मध्य भागों में सेना को व्यवस्थित करके बाबर 12 अप्रैल, 1526 ई. को पानीपत पहुँचा। इब्राहीम लोदी First से ही लगभग 12 मील की दूरी पर अपना पड़ाव डाले हुए तैयार था।1 पाराशर, वन्दना, बाबर : Indian Customer संदर्भ में, पृ. 42. 2 वही, पृ. 42. 3 वही, पृ. 42.
पानीपत के Fight में भाग लेने वाली इब्राहीम लोदी And बाबर की सैन्य संख्या पानीपत के Fight में भाग लेने वाली इब्राहीम लोदी और बाबर की सेनाओं की संख्या के संबंध में समकालीन और आधुनिक Historyकार Singleमत नहीं है। बाबर के According इब्राहीम लोदी की सेना में Single लाख सैनिक और दस हजार हाथी थे। 1 उसने अपनी सैन्य संख्या के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। मिर्जा हैदर ने तारीखे-रशीदी में इब्राहीम की सेना Single लाख और बाबर की सेना दस हजार बताई है।2 निजामुद्दीन, बदायूंनी और अब्दुला के According इब्राहीम के पास Single लाख सवार, Single हजार हाथी तथा बाबर के पास 15 हजार सवार थे।3 अबुल फजल, फरिश्ता और तारीखे अलफी के लेखक मुल्ला अहमद का मन्तव्य है कि इब्राहीम के पास 1 लाख सैनिक तथा बाबर के पास 12 हजार सैनिक थे।4 अलाउद्दौला के According इब्राहीम के पास दो लाख और बाबर के पास 10 हजार सैनिक थे।1 बाबरनामा, पृ. 470; ब्रिग्स, दि हिस्ट्री ऑफ दि राइज ऑफ दि मुहम्मडन पावर इन इण्डिया, भाग-2, पृ. 44-45; श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल , पवूर् ोक्त कृति, पृ. 17. 2 मिर्जा हदै र (इलियस And रास), तारीखे रशीदी, पृ. 357-58. 3 निजामुद्दीन, तबकाते अकबरी, भाग -2, पृ. 214; बदायूंनी, मुन्तख्वाबुत्तवारिख, भाग-1, पृ. 334; अब्दुला, तारीखे दाऊदी, पृ. 102. 4 अबुलफजल, अकबरनामा, भाग -1, पृ. 97; फैि रश्ता, तारीखे फरिश्ता, भाग -1, पृ. 204; मुल्ला अहमद, तारीखे अल्फी (रिजवी), पृ. 635.
गुलबदन बेगम के According इब्राहीम के पास 1 लाख 80 हजार सवार तथा डेढ़ हजार हाथी And बाबर के पास 12 हजार आदमी थे, जिनमें से Fight करने के योग्य केवल 6-7 हजार आदमी ही थे। 2 खफी खां के According इब्राहीम लोदी के पास Single लाख तथा बाबर के पास दस हजार सवार थे।3 तारीखे रशीदुद्दीन खानी के According इब्राहीम के पास Single लाख सवार और Single हजार हाथी के अतिरिक्त Single बड़ा तोपखाना भी था।4 अहमद यादगार इब्राहीम की सैनिक संख्या 50 हजार और 2 हजार हाथी तथा बाबर के सैनिकों की संख्या 24 हजार लिखता है।5 कैम्ब्रिज शार्टर हिस्ट्री के According बाबर के पास Fight के योग्य केवल दस हजार सैनिक थे।6 रश्बु्रक विलियम्स ने बाबर के सैनिकों की संख्या 8 हजार तथा इब्राहीम लोदी के पास Single लाख अश्वारोहियों का होना भी असंभव नहीं माना है। उपर्युक्त described All मध्यकालीन और आधुनिक Historyकारों के वृत्तान्तों तथा तत्कालीन परिस्थिति का सूक्ष्म अध्ययन करने पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पानीपत के Fight में बाबर के पास लगभग 24-25 हजार तथा इब्राहीम लोदी के पास 50 हजार सैनिक थे। 1 Single अन्य महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि बाबर के पास प्रभावी तोपखाना था। इब्राहीम से मुकाबले में बाबर रणक्षेत्र का अधिक अनुभवी और व्यूह Creation में भी ज्यादा कुशल था।1 अलाउद्दौला, नफायसुल मआसिर, (रिजवी), पृ. 350. 2 गुलबदन बेगम, हुमायूंनामा (रिजवी), पृ. 363. 3 खफी खां, मुन्तख्वाब उल लुबाब, पृ. 51. 4 तारीखे रशीदुद्दीन खानी, पृ. 58; गुलबदन बेगम, हुमायूंनामा (अनु.), पृ. 93-94. 5 अहमद यादगार, तारीखे शाही, पृ. 95. 6 जे.एलन, डब्ल्यू. हेग, दि कैम्ब्रिज शार्टर हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, पृ. 253. 7 रश्बू्रक विलियम्स, एन एम्पायर बिल्डर ऑफ दि सिक्सटींथ सेंचुरी, पृ. 132. 89
पानीपत के रणक्षेत्र में बाबर की व्यूह Creation
पानीपत के रणक्षेत्र में 12 अप्रैल, 1526 को पहुँचने के बाद बाबर ने 8 दिन की अवधि में अपनी सेना की व्यूह Creation रक्षात्मक ढंग से की। उसने सैनिकों का जमाव ‘तुलुगमा पद्धति’ से Reseller। उसके दाहिनी ओर पानीपत का कस्बा था जो उसकी सेना की रक्षा कर सकता था। सेना के बाई ओर खाइयां खोदकर उन्हें वृक्षों की सूखी डालियों से भर दिया गया था।2 दोनों पक्षों की व्यूह Creation के सम्बन्ध में एस.आर.शर्मा का मन्तव्य है कि Single ओर निराश जनित साहस And वैज्ञानिक Fight-प्रणाली के कुछ साधन थे, दसू री ओर मध्यकालीन ढंग से सैनिकों की भीड़ थी, जो भाले And धनुष-बाण से सुसज्जित थी और मूर्खतापूर्ण ढंग से जमा हो गई थी।3 इससे स्थिति को दृढ़ और Windows Hosting कर लिया गया था। सेना के सामने लगभग 700-800 अशवा Meansात् गतिशील गाड़ियां रखी गई जिन्हें बैलों के बटे हुए चमड़े से जंजीरों के समान बांधकर Safty पंक्ति बना ली। प्रत्येक दो गाड़ियों के बीच जो फासला था, उसमें तोड़े (बचाव स्थान) रखवा दिए गए थे। यह व्यवस्था तोपखाने की Safty की दृष्टि से की गई थी। गाड़ियों के बीच काफी स्थान छोड़ दिया गया था, जहां से अश्वारोही आगे बढ़कर Fight कर सकते थे। बन्दूकची गाड़ियों और तोड़ों के पीछे खड़े होकर गोलियां चला सकते थे। इस रक्षात्मक पंक्ति के पीछे बाबर ने अपना तोपखाना, अश्वारोही तथा पैदल सैनिक रखे थे। 1 पाराशर, वन्दना, बाबर : Indian Customer संदर्भ में, पृ. 45. 2 सरकार, जे एन., मिलिट्री हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, पृ. 51. 3 नागोरी And प्रणवदेव, पूर्वोक्त कृति, पृ. 154.
तोपखाने के दाहिने पाश्र्व का संचालन उस्ताद अली के हाथों में था तथा बायें पाश्र्व का संचालन मुश्तफा के हाथ में था। मोटे Reseller से बाबर ने सेना के तीन भाग किये थे। सेना के दायें पक्ष का नेतृत्व हुमायूं को सौंपा गया और बांयें पक्ष की जिम्मेदारी मेंहदी ख्वाजा को दी गयी। सेना के मध्य भाग के दाहिने पाश्र्व को चिन तैमूर सुलतान को सुपुर्द Reseller गया तथा बांयें भाग को खलीफा ख्वाजा मीर मीरान को दिया गया। तोपखाने के पीछे मध्य भाग में सेना का आगे का जो भाग था, उसका नेतृत्व खुसरो बैकुल्ताश को सौंपा गया। इसके पीछे सेना का केन्द्र स्थान था जिसका संचालक स्वयं बाबर था। केन्द्र भी दो भागों – दाहिना केन्द्र और बांया केन्द्र में विभाजित था। केन्द्र में बाबर ने Safty के लिए आरक्षित सैनिक रखे थे। सेना के दायें भाग का जो सिरा या पाश्र्व था, उसका संचालन वली किजील तथा बायें भाग का नेतृत्व कराकूजी को सौंपा गया। वली किजील तथा कराकूजी को यह आदेश दिया गया कि ज्यों ही शत्रु की सेना आगे बढ़ कर निकट आ जाए त्यों ही सेना के ये दोनों पाश्र्व घूमकर शत्रु सेना के पीछे चले जाए और उस पर आक्रमण करें। इसी बीच शत्रु को दायें, बायें तथा सामने से घेरकर उस पर आक्रमण Reseller जाए। शत्रु पर सामने से तोपों के गोले बरसाये जाए। यदि शत्रु इस आक्रमणकारी सेना को खदेड़ दे तो, वह सेना दु्रतगति से रक्षा क्षेत्र में अपने मूल स्थान पर लौट आए तथा पुन: पूरी शक्ति के साथ शत्रु सेना पर आक्रमण करे और इस सेना की सहायतार्थ केन्द्र से नए सैनिक भेजे जाए। बाबर की यही तुलुगमा1 रण-पद्धति थी जिसका उपयोग बाबर ने मध्य एशिया में उजबेकों से संघर्ष के दौरान सीखा था। तुलुगमा वह दस्ता था, जो सेना के दायें-बायें कोनों पर रहता था और शत्रु सेना के समीप आ जाने पर पीछे से जाकर उसे घेर लेता था।
इब्राहीम की सैन्य व्यवस्था
बाबर के कथनानुसार इस Fight में इब्राहीम लोदी के सैनिकों की संख्या लगभग Single लाख थी।3 बाबर के description से ज्ञात होता है कि इब्राहीम की सेना दायें-बायें और मध्य भागों में विभाजित थी। 4 नियामतुल्ला के मतानुसार सुल्तान इब्राहीम की सेना में उपरोक्त तीनों भागों के अतिरिक्त अग्रगामी दल तथा पृष्ठभाग भी थे।5 इब्राहीम के पास तोपखाने का अभाव था। उसने अपनी सेना के All अंगों को उतनी Safty और दृढ़ता से नहीं जमाया था जिसका प्रकार बाबर ने Reseller था। वृक्षों की डालियों तथा खाइयों की Safty पंक्ति उसने खड़ी नहीं की थी। बाबर ने अपनी सेना को पानीपत के कस्बे के बांयी ओर रखा तथा अपनी सेना का दायां भाग इस प्रकार Windows Hosting Reseller कि इस कस्बे की तरफ से कोई आक्रमण नहीं कर सके। इब्राहीम लोदी ने अपनी सैन्य Safty के लिए इस प्रकार का कोई उपाय नहीं Reseller था।1 उसकी सेना के पास हथियार भी दResellerनूस पद्धति के थे, सेना अव्यवस्थित थी और उसमें अनुशासन का अभाव था।1 राधेश्याम, मुगल सम्राट् बाबर, (पटना – 1987), पृ. 271; के एसलाल, ट्वाईलाइट ऑफ दि देहली सल्तनत (एशिया), पृ. 222; मिश्रीलाल, पवूरोक्त कृति, पृ. 69. 2 पाराशर, वन्दना, बाबर : Indian Customer संदर्भ में, पृ. 46. 3 बाबर, ममैायर्स ऑफ बाबर, भाग-2, पृ. 183. 4 बाबरनामा (रिजवी), पृ. 157. 5 नियामतुल्ला, तारीखे खानजहानी, भाग-1, पृ. 257-258.
बाबर ने लिखा है कि मैंने अपने पांव संकल्प कर रकाब में रखे और अपने हाथ में ईश्वर के भरोसे की लगाम ली और सुल्तान इब्राहीम लोदी अफगान के विरूद्ध प्रस्थान Reseller। उस समय देहली का राज सिंहासन तथा हिन्दुस्तान का राज्य उसके अधीन था।
प्रारम्भिक संघर्ष
यद्यपि बाबर 12 अप्रैल., 1526 ई. को पानीपत के मैदान में पहुँच गया था और इब्राहीम लोदी की सेना भी सामने थी किन्तु दोनों सेनाओं के बीच Fight 20 अप्रैल., 1526 को हुआ। 12 अप्रैल. से 19 अप्रैल. तक के 7-8 दिन की अवधि बाबर ने अपनी सेना को Fight के लिए व्यवस्थित और तत्पर करने में लगायी। इस अन्तराल में बाबर की सेना ने इब्राहीम लोदी की सेना पर छुट-पुंट धावे भी किए। बाबर ने लिखा है – ‘7-8 दिन तक जब हम लोग पानीपत में रहे, हमारे आदमी थोड़ी-थोड़ी संख्या में इब्राहीम के शिविर के समीप तक पहुँच जाते थे और उसकी अपार सेना के दस्तों पर बाणों की वर्षा करके लोगों के सिर काट लाते थे। इस पर भी वह न तो आगे बढ़ा और न उसके सैनिकों ने आक्रमण Reseller। अन्ततोगत्वा हमने बहुत से हिन्दुस्तानी हितैषियों के परामर्श से 4-5 हजार आदमी उसके शिविर पर रात्रि में छापा मारने के लिए भेजे। अंधेरा होने के कारण, वे भली भांति संगठित न रह सके और इधर-उधर हो जाने के कारण वहाँ पहुँच कर कुछ न कर सके। वे प्रात:काल तक इब्राहीम के शिविर के समीप ठहरे रहे। प्रात:काल (शत्रु की सेना) में नक्कारे बजने लगे और वे सेना की पंक्तियां ठीक करके Fight हेतु निकल आए। यद्यपि हमारे आदमी कोई सफलता न प्राप्त कर सके। किन्तु वे सही सलामत लौट आये।1 19 अप्रैल., 1526 को रात्रि में बाबर के चार-पांच हजार सैनिकों ने आक्रमण Reseller किन्तु उन्हें इस अभियान में असफलता का मुंह देखना पड़ा था। इससे प्रोत्साहित होकर 20 अप्रैल., 1526 को प्रात:काल ही इब्राहीम की सेना ने First बाबर की सेना के दाहिने भाग पर आक्रमण कर दिया। शीघ्र ही उसकी सेना काफी दूर तक बाबर के सैनिक शिविरों की तरफ फैल गयी। इसके परिणामस्वReseller इब्राहीम का सैनिक मोर्चा काफी विस्तृत हो गया। फलत: जिसका बाबर ने पूरा-पूरा लाभ उठाया। उसे इस व्यापक मोर्चे में प्रवेश करने का मार्ग मिल गया। जब इब्राहीम की सेना काफी आगे बढ़ आयी तो बाबर ने उचित अवसर देखकर ‘तुलुगमा रण-प्रणाली’ अपनाने का आदेश दिया। 1 द्रष्टव्य – राधेश्याम, मुगल सम्राट् बाबर, पृ. 275; निजामुद्दीन अहमद, तबकात-ए-अकबरी (अनु ), भाग-2, पृ. 21. 2 सैयिद अतहर अब्बास रिजवी, मुगल कालीन भारत, बाबर, पृ. 148; बाबरनामा (अनु.), भाग -2, पृ. 469; तारीख-ए-अलफी, रिजवी, मुगलकालीन भारत (बाबर), पृ. 635.
इस संबंध में बाबर ने लिखा है –‘हमने तुलुगमा वालों को आदेश दे रखा था कि वे दायें तथा बायें भाग की ओर से चक्कर काट कर शत्रु के पीछे पहुँच जायें और बाणों की वर्षा करके Fight प्रारम्भ कर दें। इसी प्रकार दायें तथा बायें बाजू की सेना के लिए आदेश दिया गया था कि वे Fight छेड़ दें। तुलुगमा वालों ने चक्कर काट कर बाणों की वर्षा प्रारम्भ कर दी। बायें भाग की सेना में से First मैंहदी ख्वाजा ने Fight शुरू Reseller। उसका मुकाबला Single ऐसे दल से हुआ जिसके साथ Single हाथी था। उसके आदमियों के बाणों की वर्षा के कारण वह दल विवश होकर वापस हो गया। बायें बाजू की सेना की कुमक के लिये मैंने अहमदी परवानची, कूज बेग के (भाई) तरदी बेग तथा खलीफा के मुहिब अली को भेजा। दायीं ओर भी थोड़ा सा घोर Fight हुआ। मुहम्मद कैकुल्ताश, शाह मंसूर बरलास, यूनुस अली And अब्दुल्लाह को आदेश हुआ कि वे उन लोगों से जो मध्य भाग पर आक्रमण कर रहे थे, Fight करें। मध्य भाग ही से उस्ताद अली कुली ने फिरंगी गोलों की खूब वर्षा की। मुस्तफा तोपची ने मध्य भाग के बायीं ओर से जर्ब जन (Single प्रकार की तोप) के गोलों की खूब वर्षा की। हमारी सेना के दायें, बायें And मध्य भाग तथा तुलुगमा के दल वालों ने शत्रुओं को घेर कर बाणों की वर्षा के कारण उन्हें अपने मध्य भाग की ओर वापस होना पड़ा।1 सैयिद अतहर अब्बास रिजवी, मुगल कालीन भारत, बाबर, पृ. 155.
Fight 20 अप्रैल. की प्रात: से शाम तक चला। अन्त में बाबर की सेना ने इब्राहीम की सेना को पीछे ढकेल दिया। इब्राहीम की सेना के पांव उखड़ गये। उसके सैनिक तितर-बितर हो गये तथा Fight स्थल छोड़कर भाग खड़े हुए। इब्राहीम लोदी स्वयं इस Fight में वीर गति को प्राप्त हुआ। बाबर विजयी रहा। मध्याºनोत्तर की First नमाज के समय खलीफा का छोटा साला ताहिर तीबरी, इब्राहीम का सिर लाया। उसे उसका शरीर लाशों के Single ढेर में मिल गया था।1 बाबर ने भागती हुई लोदी सेना का पीछा Reseller और सहस्रों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया तथा अनेकों को बन्दी बना लिया गया। इस संबंध में बाबर ने लिखा है कि जब शत्रुओं की पराजय हो गई तो उनका पीछा करना And उन्हें घोड़ों से गिराना प्रारम्भ Reseller गया। हमारे आदमी प्रत्येक श्रेणी के अमीर तथा सरदार बन्दी बना कर लाये। महावतों ने हाथियों के झुण्ड प्रस्तुत किये।
यद्यपि इस Fight में बाबर की जीत हुई परन्तु यह कहना कठिन है कि बाबर इस Fight में आसानी से सफल हो गया। रश्बु्रक विलियम्स महोदय की यह मान्यता ठीक नहीं है कि बाबर की बहुत थोड़ी सी क्षति हुई।3 बाबर ने स्वयं इस बात को स्वीकार Reseller है कि वह अपनी जान की बाजी लगाकर ही इब्राहीम लोदी को Defeat कर सका था।4 अब्दुला और यादगार के मतानुसार इब्राहीम की सेना बड़ी वीरता के साथ लड़ी तथा Fight बहुत भयानक हुआ।5 इस Fight में इब्राहीम लोदी सहित लगभग 15-20 हजार अफगान सैनिक मारे गये। बाबर की सेना के हताहतों की संख्या के संबंध में Historyकारों ने कोई description नहीं दिया है। नियामतुल्ला तथा बदायूंनी के According दोनों पक्ष के काफी लोग मारे गये।1सैयिद अतहर अब्बास रिजवी, मुगल कालीन भारत, बाबर, पृ. 158; राधेश्याम, मुगल सम्राट् बाबर, पृ. 276. 2 वही, पृ. 158. 3 रश्बु्रक विलियम्स, एन एम्पायर बिल्डर आफ दि सिक्सटींथ सेंचुरी, पृ. 137. 4 बाबर (बेवरिज), बाबरनामा, पृ. 525. 5 अब्दुल्ला, तारीखे दाऊदी, पृ. 96-97. 6 नियामतुल्ला, तारीखे खानजहानी, भाग -1, पृ. 258.
बाबर ने लिखा है कि जब आक्रमण प्रारम्भ हुआ तो Ultra siteनारायण ऊँचे चढ़ गये थे। Fight दोपहर तक ठना रहा। मेरे सैनिक विजयी हुए और शत्रु को चकनाचूर कर दिया गया। सर्वशक्तिमान परमात्मा की अपार अनुकम्पा से यह कठिन कार्य मेरे लिए सुगम बन गया और वह विशाल सेना आधे दिन में ही मिट्टी में मिल गयी।1
इस सम्बन्ध में बाबर ने अपनी आत्म-कथा बाबरनामा में लिखा है कि सबेरे Ultra site निकलने के बाद लगभग नौ-दस बजे Fight आरम्भ हुआ था, दोपहर के बाद दोनों सेनाओं के बीच भयानक Fight होता रहा। दोपहर के बाद शत्रु कमजोर पड़ने लगे और उसके बाद वह भीषण Reseller से Defeat हुआ। उसकी पराजय को देखकर हमारे शुभचिन्तक बहुत प्रसन्न हुए। सुल्तान इब्राहीम को पराजित करने का कार्य बहुत कठिन था। फलत: ईश्वर ने उसे हम लोगों के लिए सरल बना दिया।
बाबर का दिल्ली और आगरा पर अधिकार
पानीपत के Fight में बाबर की विजय Single सीमा तक निर्णायक थी जिसका उसने पूरा-पूरा लाभ उठाया। उसने उसी दिन हुमायूं को छ: बड़े सरदारों (ख्वाजा कलां, मुहम्मदी, शाहे मनसूर बरलास, यूनुस अली, अब्दुल्लाह तथा वली खाजिन) के साथ आगरा और मैंहदी ख्वाजा को चार बड़े सामन्तों (मुहम्मद, सुल्तान मिर्जा, आदिल सुल्तान, सुल्तान जुनैद बरलास And कुतलुक कदम) के साथ दिल्ली पर अधिकार करने तथा राजकोष की Safty के लिए भेजा। कुछ समय बाद बाबर स्वयं दिल्ली पहुंच गया और यमुना नदी के तट पर अपना पड़ाव डाला। बाबर ने दिल्ली में सूफी संत निजामुद्दीन औलिया और ख्वाजा कुतुबुद्दीन की मजार का तवाफ (परिक्रमा, चारों ओर श्रद्धापूर्वक घूमना) Reseller तथा दिल्ली के भूतपूर्व सुल्तानों-गयासुद्दीन बलवन, अलाउद्दीन खिलजी, बहलोल लोदी, सिकन्दर लोदी आदि के मकबरों को देखा। इसके बाद दिल्ली में उसने वली किजील की अपना शिकदार और दोस्त बेग को दीवान नियुक्त Reseller। खजानों पर मुहर लगा कर उन्हें सौंप दिया। 27 अप्रैल., 1526 को दिल्ली में बाबर के नाम का खुत्वा पढ़ा गया।1 उद्धृत, श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल , पूर्वोक्त कृति, पृ. 18. 2 नागोरी, प्रणव देव, पूर्वोक्त कृति, पृ. 154-155.
इस विजय ने बाबर को पंजाब के अलावा दिल्ली और आगरा पर भी अधिकार प्रदान कर दिया, किन्तु दिल्ली के सुल्तान को पराजित करने का तात्पर्य दिल्ली सल्तनत पर अधिकार स्थापित होना कदापि नहीं था। दिल्ली सल्तनत अनेक शक्तिशाली अमीरों तथा जागीरदारों में विभाजित थी। ये सामन्त सुल्तान की सत्ता को स्वीकार करते हुए भी स्वतंत्र होने के इच्छुक रहते थे और इन्हें ऐसे अवसर की तलाश रहती थी। इब्राहीम की पानीपत के Fight में पराजय के बाद अन्यान्य स्थानीय जागीरदार स्वतंत्र हो गये। ‘संभल में कासिम संभली, बयाना में निजाम खां, मेवात में हसन खां मेवाती, धौलपुर में मोहम्मद जैतून, ग्वालियर में तातार खां सारंगखानी, रापड़ी में हुसैन खां नूहानी, इटावा में कुतुब खां और कालपी में आलम खां ने बाबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। गंगा के पूर्वी किनारे कन्नौज की ओर के अफगान First ही दिल्ली के सुल्तान के विरूद्ध थे। मथुरा में भी इब्राहीम के Single दास मरयूब ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया।1 उधर जब हुमायूं ने आगरा पहुँचकर दुर्ग पर कब्जा करना चाहा, तब वहां ग्वालियर नरेश विक्रमादित्य की संतान And परिवार वाले आगरा में थे।1 वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 47.
First तो उन्होंने भागने का प्रयत्न Reseller, किन्तु हुमायूं ने उन्हें भागने न दिया। उन लोगों ने हुमायूं को अपनी इच्छा से पेशकश दी जिससे अत्यधिक जवाहरात, बहुमूल्य वस्तुएं और विश्व विख्यात कोहिनूर हीरा भी था। जब सुल्तान इब्राहीम लोदी का परिवार बाबर से मिला, तब बाबर ने इब्राहीम लोदी की माता को 7 लाख के मूल्य का Single परगना तथा आगरा से Single कोस पर नदी के उतार की ओर निवास स्थान भी दिया। बाबर स्वयं 10 मई, 1526 को आगरा पहुँचा। बाबर ने लिखा है कि उसके आगरा पहुँचने पर लोगों में उसके प्रति घृणा की भावना थी। उसके सैनिकों के लिए रसद और घोड़ों के लिए चारा नहीं मिलता था। गांव के गांव खाली हो गए थे, मार्ग अWindows Hosting थे तथा यात्रा करना कठिन था।1 यद्यपि बाबर ने स्थिति को सुधारने का विशेष प्रयास Reseller, किन्तु दिल्ली और आगरा के अलावा अन्य किले विरोध पर डटे रहे। परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। इस वर्ष (1526 इर्. में) हिन्दुस्तान की मई-जून की भयंकर गर्मी से उसके सैनिक घबरा उठे और काबुल लौटने की प्रबल इच्छा प्रकट करने लगे। बाबर के सैनिकों तथा अमीरों की काबुल लौटाने की इच्छा और उनके द्वारा बाबर के हिन्दुस्तान में बसने के निर्णय की आलोचना करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे हिन्दुस्तान में लूटमार करने के प्रलोभन से ही आये थे। किन्तु बाबर ने अपनी नेतृत्व शक्ति का परिचय देते हुए उन्हें हिन्दुस्तान में रहने के लिए Agree कर लिया। केवल ख्वाजा कला ही ऐसा था जो काबुल लौट जाने के निश्चय पर अड़ा रहा। बाबर ने उसे गजनी का सूबेदार बनाकर भेज दिया। 1 बाबर (बेवरिज), बाबरनामा, पृ. 470; द्रष्टव्य – विस्तार के लिए, वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 47.
पानीपत के Fight में बाबर की विजय के कारण
पानीपत के First Fight में इब्राहीम लोदी अपनी विशाल सेना, साधनों की बाहुल्यता और इसी प्रदेश का निवास होते हुए भी Single विदेशी आक्रमणकारी बाबर जिसके पास अपेक्षाकृत सैन्य-साधनों की कमी थी, के हाथों पराजित हुआ। बाबर की विजय के कारणों का विश्लेषण इस प्रकार से Reseller जा सकता है –
इब्राहीम की अन्यायपूर्ण नीति और दुव्र्यवहार – इब्राहीम लोदी Single निर्दयी और जिद्दी प्रकृति का व्यक्ति था। उसकी नीति भी अन्यायपूर्ण थी। वह अफगान अमीरों को बहुत ही संदेह की दृष्टि से देखता था। सामन्तशाही व्यवस्था दिल्ली सल्तनत की आधारशिला थी, किन्तु उसने अनेक योग्य अमीरों को अपनी नीति And दुव्र्यवहार से असंतुष्ट कर दिया था। इब्राहीम के शासनकाल में अमीरों का असंतोष First की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ गया था। स्थान-स्थान पर विद्रोही होने लग गए थे।1 एर्सकिन के Wordों में ‘जब बार ने हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का विनिश्चय Reseller तब अमीरों की गुटबन्दी, अविश्वास और खुले विद्रोह चारों ओर से दिल्ली सल्तनत को हिला रहे थे। इब्राहीम की नीति और दुव्र्यवहार से न केवल उसके अमीर और पदाधिकारी अपितु उसके संबंधी भी असंतुष्ट थे। यही कारण था कि Need पड़ने पर अमीरों ने उसका साथ नहीं दिया बल्कि Single विदेशी आक्रमणकारी के प्रति उनकी सहानुभूति थी।
इब्राहीम के अमीरों का स्वार्थीपन और विश्वासघात – इब्राहीम के अमीरों का स्वार्थी And विश्वासघाती चरित्र बाबर की विजय में सहायक बना। अफगान अमीर इब्राहीम की बढ़ती हुई शक्ति से असंतुष्ट थे। वे सुल्तान को उनके हाथों की कठपुतली या ‘बराबरी वालों में First’ बनाये रखना चाहते थे। 1 श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल, पूर्वोक्त कृति, पृ. 19.
किन्तु इब्राहीम लोदी ने अमीरों की शक्ति पर अंकुश लगाने और राजपद की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का प्रयास Reseller। इससे अमीरों की महत्त्वाकांक्षा को आघात लगा। अमीरों ने अपने स्वार्थों के वशीभूत दिल्ली सल्तनत के हितों को आघात पहुंचाना प्रारम्भ कर दिया। पंजाब के सूबेदार दौलत खां व अन्य अमीरों ने इब्राहीम से विद्रोह कर उसके विरूद्ध आक्रमण करने के लिए बाबर को आमंत्रित Reseller था। इब्राहीम का चाचा आलम खां भी बाबर से जा मिला। अन्य अमीरों यथा अराइश खां और मुल्ला मुहम्मद मजहब ने Fight के पूर्व ही बाबर के पास अपने दूत भेजे थे, इसलिए Fight के समय उनका नैतिक समर्थन भी बाबर को प्राप्त रहा। इनके अलावा भी अन्य अफगान अमीर बाबर से मिलने लगे थे।1 इब्राहीम के पास पानीपत के Fight में बाबर के मुकाबले में लगभग दुगुनी सेना थी, किन्तु उसके बहुत से सैनिक Fight प्रारम्भ होने पर Fight में भाग लिए बिना ही जंगलों में चले गये। अफगान अमीर पानीपत के Fight की संभावना से सुपरिचित थे। किन्तु इतना होते हुए भी उन्होंने इस संकट की घड़ी में इब्राहीम को सहयोग देने के बजाय Fight के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिससे कि वे अपना स्वार्थ पूरा कर सके। 2 उनकी आपसी फूट इब्राहीम लोदी And सल्तनत के पतन का कारण बनी। 1 हसन अली खां (निगम), ‘तवारीखे दौलते शेरशाही’ सूरवंश का History भाग -1, पृ. 16 के According नसीर खां भी इब्राहीम के दरबार में बाबर के गुप्तचर का काम करता था। संदर्भ, वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 53; श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल, पवूर् ोक्त कृति, पृ. 19. 2 अब्दुल्ला, तारीखे दाऊदी, पृ. 110; नियामतुल्ला, तारीखे खानजहानी, भाग-1, पृ. 27.
इब्राहीम की अदूरदर्शिता और कूटनीतिज्ञता में कमी – सुल्तान इब्राहीम अदूरदर्शी था तथा उसमें कूटनीजिज्ञता की कमी थी। वह परिस्थितियों को समझने, उन्हें अपने पक्ष में करने तथा स्थिति का मुकाबला करने में अक्षम था। यही कारण था कि जब बाबर जैसे शत्रु से उसका संघर्ष अवश्यम्भावी था तब वह दौलत खां, आलम खां, मुहम्मद शाह तथा मेवाड के राणा सांगा को बाबर के विरूद्ध अपनी ओर नही मिला सका और उससे धन तथा सेना की सहायता प्राप्त नहीं कर सका। इसके विपरीत बाबर Fight, कूटनीति और उच्च आदर्शवाद की दृष्टि से इब्राहीम की तुलना में बहुत मझा हुआ था।1 उसमें उच्च कोटि की नेतृत्व शक्ति थी जिसका उसने भरपूर लाभ उठाया और इब्राहीम को पानीपत के Fight में पराजित कर दिया।
इब्राहीम के सैनिक अयोग्य, अनुभवहीन तथा अनुशासित नहीं थे –पानीपत के Fight में बाबर के मुकाबले इब्राहीम की सैनिक संख्या लगभग दुगुनी थी किंतु उसके अधिकांश सैनिक अयोग्य, अनुभवहीन और अनुशासनहीन थे। सेना का मुख्य आधार सामन्तवादी व्यवस्था थी। सैनिकों में कबीलों का दृष्टिकोण था Meansात् वे सुल्तान की अपेक्षा अपने कबीले अथवा सामन्त के प्रति अधिक स्वामिभक्ति रखते थे। इब्राहीम की सेना में अधिकांश नए और अनुभवहीन सैनिक भर्ती किए गए थे। वे Fight के संगठन और व्यवस्था के बारे में कोई ज्ञान नहीं रखते थे। उनमें अनुशासन का अभाव था। सेना में अधिकांश भाड़े के टट्टू थे जिनमें राष्ट्र प्रेम की भावना नहीं थी। उन्हें अपने स्वार्थों की पूर्ति की अधिक चिन्ता थी। उनमें Singleता, अनुशासन, संगठन और राष्ट्रीयता की भावना का अभाव था1 शर्मा, जी.एन., मेवाड़ एण्ड द मुगल एम्पायर्स, पृ. 17; श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल, पूर्वोक्त कृति, पृ. 19.
आवश्यक सैनिक गुणों के विपरीत उनमें क्षेत्रीयता, जातीयता, साम्प्रदायिकता, संकीर्ण स्वार्थ की भावना उत्पन्न हो गई थी। ऐसे सैनिक बाबर जैसे अनुभवी सैनिक, योग्य, सेनानायक और दृढ़ इच्छा शक्ति वाले के विरूद्ध टिक पाने में सर्वथा असफल रहे। इस संबंध में वन्दना पाराशर का मन्तव्य है कि – इब्राहीम पर यह आरोप लगाया जाता है कि उसकी सेना में जल्दी में धन देकर भर्ती किए रंगरूट अधिक थे और कुशल योद्धा कम, किन्तु निजामुद्दीन, फरिश्ता, अबुलफजल और गुलबदन आदि किसी भी वृत्तांतकार ने बाबर के इस कथन की पुष्टि नहीं की है। Second, यद्यपि यह सत्य है कि सुल्तान की सेना में जितने व्यक्ति थे वे All सैनिक नहीं थे और उसमें अनेक व्यापारी, मजदूर आदि भी थे, फिर भी यह सेना पर्याप्त शक्तिशाली थी। स्वयं बाबर के According इब्राहीम के पास Single लाख स्थायी सेना थी।1 इस प्रकार यह माना जा सकता है कि इब्राहीम के पास Single शक्तिशाली और स्थायी सेना थी, यद्यपि वह Single लाख नहीं थी। 2 यद्यपि वन्दना पाराशर द्वारा दिया गया तर्क कुछ अंशों में ठीक है, किन्तु यह तो स्पष्ट है कि इब्राहीम अपनी इस शक्तिशाली सेना का बाबर के विरूद्ध लाभ नहीं उठा सका और कई सैनिक तो Fight में भाग लिए बिना ही जंगलों में भाग खड़े हुए थे, अस्तु जो नि:संदेह इब्राहीम की नेतृत्वशक्ति में कमी का परिचायक है।
इब्राहीम बाबर की क्षमता का उचित मूल्यांकन करने में अक्षम –बाबर की क्षमता का उचित मूल्यांकन करने में इब्राहीम असफल रहा। यही कारण था कि इब्राहीम बाबर के विरूद्ध कारगर कदम नहीं उठा सका। इब्राहीम ने यह सोचा कि बाबर भी तेरहवीं-Fourteenवीं शताब्दी के मंगोल आक्रमणकारियों की भांति हिन्दुस्तान पर लूटमार करने के उद्देश्य से आक्रमण कर रहा है। बाबर ने पंजाब पर आक्रमण करके उसे विजय Reseller तथा उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया तब भी आक्रमण की आंख नहीं खुली और उसने बाबर जैसे प्रतिद्वन्द्वी के विरूद्ध Fight करने के लिए कोई विशेष तैयारी नहीं की। इब्राहीम ने काबुल तथा पंजाब से उसकी रसद बन्द करने तथा सम्पर्क सूत्र तोड़ने के लिए भी कोई उपाय नहीं Reseller। इब्राहीम की यह लापरवाही उसके लिए घातक सिद्ध हुई और फलत: वह पानीपत के Fight में पराजित हुआ।1 बाबर (बेवरिज), बाबरनामा, पृ. 463; श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल , पवूर् ोक्त कृति, पृ. 19. 2 वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 49.
इब्राहीम लोदी की सैनिक दुर्बलता – इब्राहीम लोदी Single अयोग्य, अनुभवहीन सेनापति था। उसे रण क्षेत्र में सैनिकों के कुशल संचालन और संगठन का अधिक ज्ञान नहीं था। वह Fight संचालन की कला में भी निपुण नहीं था। उसमें अपने सैनिकों का विश्वास अर्जित करने की क्षमता नहीं थी।1 इब्राहीम के मुकाबले में सैन्य प्रतिभा की दृष्टि से बाबर काफी बढ़ा-चढ़ा था। इब्राहीम के अन्य सेनानायक और सामन्त भी दंभी और विलासी प्रकृति के थ े तथा अधिक अनुभवी भी नहीें थे। उसकी सेना में निर्दिष्ट व्यवस्था का अभाव था। परिणामस्वReseller पानीपत के Fight में जब इब्राहीम का अग्रगामी दल तीव्र गति से आगे बढ़ रहा था, किन्तु बाबर की Safty पंक्ति और तोपों की मार से वह अवरूद्ध हो गया, तब पीछे से आने वाली सेना अपने वेग को रोक नहीं पाई जिससे सेना में अव्यवस्था उत्पन्न हो गई। सैन्य संचालन की दक्षता और व्यवस्था के अभाव में इतनी बड़ी सेना को अनुशासित रख पाना इब्राहीम के लिए दुष्कर कार्य था। इस संबंध में बाबर ने लिखा है – वह बड़ा अनुभव शून्य जवान था। उसने सेना को किसी प्रकार का अनुभव न कराया था – ‘न बढ़ने का, न खड़े रहने का और न Fight करने का।’1 मुनि लाल, बाबर लाइफ एण्ड टाइम्स, पृ. 84.
इस संबंध में वन्दना पाराशर का कथन है कि वीरता, अनुभव और सैन्य संचालन की क्षमता का अभाव पानीपत के Fight में इब्राहीम की पराजय का कारण नहीं थे क्योंकि इस Fight के पूर्व भी आलम खां और दिलावर खां के चालीस हजार सैनिकों के साथ दिल्ली घेर लेने पर इब्राहीम ने अपनी सूझ बूझ व चातुर्य से आलम खां को पराजित कर दोआब भागने को विवश कर दिया था।2 इब्राहीम को बाबर की Saftyत्मक व्यूह Creation की पूर्ण जानकारी थी तथा उसने Fight तभी प्रारम्भ Reseller जब 19 अप्रैल., 1526 की रात्रि को बाबर के छापामार दस्ते के हमले को बाबर का आक्रमण समझ लिया।
इब्राहीम द्वारा Fight में हाथियों का प्रयोग – बाबर के According इब्राहीम की सेना में Single हजार हाथी थे। बाबर के पास घुड़सवार थे जो हस्थि सेना की तुलना में अधिक फुर्तीले थे। इब्राहीम द्वारा Fight में हाथियों का प्रयोग स्वयं की सेना के लिए घातक साबित हुआ। रण क्षेत्र में बन्दूकों And तोपों द्वारा आग उगलने से हाथी अपना संतुलन खो बैठे तथा उन्मत्त और विक्षिप्त अवस्था में उन्होंने स्वयं की सेना को कुचल दिया।
इब्राहीम की अकुशल गुप्तचर व्यवस्था – कुछ Historyकारों की मान्यता है कि इब्राहीम की गुप्तचर व्यवस्था अच्छी नहीं थी। अकुशल गुप्तचर व्यवस्था के अभाव में इब्राहीम को बाबर के ससैन्य आगे बढ़ने, उसके द्वारा सैनिकों के जमाव, व्यूह Creation आदि की जानकारी प्राप्त न हो सकी और न ही वह रसद और संचार-व्यवस्था को काट सका। परिणाम यह हुआ कि Single व्यवस्थित शत्रु के मुकाबले में वह नहीं टिक सका और पानीपत के Fight में पराजित हुआ।1 रिजवी, मुगल कालीन भारत-बाबर, पृ. 154. 2 वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 49;
पानीपत के Fight में Single ओर हजारों की संख्या में सैनिक थे और दूसरी ओर सैनिक और तोपें दोनों। फलत: इब्राहीम लोदी तथा बाबर के बीच जो संघर्ष हुआ वह बराबरी का न था। कुछ भी हो, इस Fight ने यह सिद्ध कर दिया कि बाबर Single कुशल सेनाध्यक्ष था। उसने यह Fight अपनाई गई नई Fight प्रणाली, तोपखाने, अश्वारोहियों, अच्छी गुप्तचर व्यवस्था तथा अपने सैनिकों के अदम्य उत्साह के फलस्वReseller जीता।
Indian Customerों की उदासीन मनोवृत्ति – वन्दना पाराशर ने ‘औसत Indian Customer की देश And शासन के प्रति उदासीन मनोवृत्ति’ को इब्राहीम लोदी की पराजय का मुख्य कारण माना है।1 आम हिन्दुस्तानी की यह मान्यता थी कि King कोई भी हो, अफगान अथवा मुगल, वह उसका शोषक ही हो सकता है, संरक्षक नहीं। Indian Customerों की इस उदासीन मनोवृत्ति ने समाज में ‘कोई भी King हो, हमें क्या हानि है’ की विचारधारा को पनपाया। इसका नतीजा यह हुआ कि इब्राहीम लोदी सुल्तान बना रहे अथवा बाबर की विजय हो, इसमें उन्हें कोई रूचि नहीं रही। यद्यपि जनसाधारण ने बाबर की विजय के बाद उसका विरोध भी Reseller, किन्तु यह विरोध क्षणिक था और इसका कारण मात्र भय था, न कि देश प्रेम की भावना। Indian Customer जनता की इस उदासीन मनोवृत्ति ने बाबर की सेना के नैतिक बल में वृद्धि की।1 वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 49.
बाबर का तोपखाना – यद्यपि इब्राहीम की अफगान सेना तोपखाने से अपरिचित नहीं थी, किन्तु यह सत्य है कि उसकी सेना में तोपखाने को उतना महत्त्व प्राप्त नहीं था, जितना बाबर की सेना में तोपखाने को प्राप्त था। इब्राहीम का तोपखाना बाबर के मुकाबले में अधिक कुशल और उपयोगी नहीं था। बाबर को पानीपत के Fight में विजय दिलाने में तोपखाने की भूमिका विशेष महत्त्वपूर्ण रही। उस्ताद अली आरै मुस्तफा ने Fight के दिन शत्रु सेना पर लगातार पांच घण्टों तक गोलाबारी की। 1 फलत: जिससे Fight का परिणाम बाबर के पक्ष में रहा। रश्बु्रक विलियम्स का मन्तव्य है कि बाबर के शक्तिशाली तोपखाने ने भी उसे सफल होने में बहुमूल्य सहायता दी।
इब्राहीम को Indian Customer Kingों का सहयोग न मिलना – Single विदेशी आक्रमणकारी के विरूद्ध इब्राहीम को Indian Customer Kingों का सहयोग प्राप्त नहीं हुआ अन्यथा परिणाम कुछ दूसरा ही होता। मेवाड़ के राणा सांगा, बंगाल के King नुसरत शाह, मालवा के King महमूद द्वितीय तथा गुजरात के King मुजफ्फर शाह आदि ने इब्राहीम की धन और सेना से कोई सहायता नहीं की। यदि इब्राहीम को इनका समुचित सहयोग मिल जाता तो वह बाबर को भारत से अवश्य खदेड़ देता।
बाबर की दक्षता, रण कुशलता और सुयोग्य सैन्य संचालन – बाबर Single जन्मजात सैनिक था। बचपन से ही उसे निरन्तर संकटों और संघर्षों में जुझना पड़ा 1 तथा अनवरत Fight में भाग लेने से वह अनुभवी सैनिक, कुशल योद्धा बन गया था। उसमें अद्भुत साहस था। वह लिखता है, ‘क्योंकि मुझे राज्य पर अधिकार करने तथा बादशाह बनने की आकांक्षा थी अत: मैं Single या दो बार की असफलता से निराश होकर बैठा नहीं रह सकता था।’2 सेना के प्रस्थान के समय वह बड़ा सतर्क रहता था। Single कुशल सैनिक होने के कारण वह अन्य सैनिकों की कठिनाइयों को भली-भांति समझ लेता था। Historyनीय है कि पानीपत के Fight के समय बाबर की सेना के कुछ लोग बहुत ही भयभीत और चिंतित थे। किंतु उसने स्थिति को संभाल लिया। बाबर के According हमारा मुकाबला Single अपरिचित कौम And लोगों से था। न तो हम उनकी भाषा समझते थे और न वे हमारी।’3 किन्तु बाबर ने अफगानों की शक्ति And उनके सैन्य संचालन की योग्यता को भली प्रकार समझ लिया था। वस्तुत: अफगानों की कमजोरी ने ही उसे हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित Reseller था।1 मुनि लाल, बाबर लाइफ एण्ड टाइम्स, पृ. 83. 2 रश्बू्रक, विलियम्स, ऐन एम्पायर बिल्डर्स ऑफ द सिक्सटीन सेंचुरी, पृ. 137.
उपर्युक्त विवेचन से ज्ञात होता है कि बाबर Single महान् सेनापति था तथा इब्राहीम लोदी की तुलना में उसकी सैन्य संचालन की योग्यता कहीं अधिक श्रेष्ठ थी। इब्राहीम लोदी के सैन्य संचालन के बारे में बाबर ने लिखा है – ‘इब्राहीम ने अभी तक कोई भी अनुशासनयुक्त Fight नहीं Reseller है।’4 बाबर के अतिरिक्त उसके अन्य सेना नायक And Fight संचालक भी 1 बाबर ने बाबरनामा, पृ. 66 में लिखा है कि भाग्य का कोई ऐसा कष्ट अथवा हानि नहीं है जिसे मैंने न भोगा हो, इस टूटे हुए हृदय ने All को सहन Reseller है। हाय! कोई ऐसा कष्ट भी है, जिसे मैंने न भोगा हो बड़े कुशल और अनुभवी थे। यही कारण था कि इब्राहीम लोदी ऐसे अनुभवी And कुशल सेनानायक को पराजित नहीं कर सका। वन्दना पाराशर के According, ‘बाबर में शत्रु की कमजोरी को भांपने और उसकी विशेषताओं को आत्मSeven करने की अद्भुत क्षमता थी। इसके अतिरिक्त मध्य एशिया में अनेक जातियों से Fight करने का अवसर भी बाबर को मिला था, उससे लाभ उठाकर उसने अपनी सेना में अनेक Fight प्रणालियों का सही समन्वय Reseller था, जिसका उचित परिणाम उसे मिला।’
बाबर द्वारा Fight में नवीनतम Fight तकनीक And हथियारों का प्रयोग – बाबर ने मध्य एशिया में कई जातियों से Fight करके पर्याप्त अनुभव अर्जित कर लिया था। उसने सेना में कई Fight प्रणालियों का उचित समन्वय Reseller था। बाबर के पास दृढ़ तोपखाना था जिसका संचालन उस्ताद अली और मुस्तफा जैसे सुयोग्य And अनुभवी सेनानायकों के सुपुर्द था। बाबर के पास अश्वारोही सेना थी। बाबर की सेना ने इब्राहीम के विरूद्ध बारूद, गोले, बन्दूक And तोपों का उपयोग Reseller था जबकि अफगान सैनिकों ने दResellerनूस प्रणाली के हथियारों And हाथियों का प्रयोग Reseller था। ऐसी स्थिति में इब्राहीम की सेना बाबर की सेना के मुकाबले में नहीं टिक सकी और पांच घण्टे की अवधि में ही उखड़ गई।
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि बाबर ने अपनी सेना का जमाव रक्षात्मक ढंग से Reseller और ‘तुलुगमा Fight-प्रणाली’ को अपनाया। बाबर ने तुलुगमा दस्तों ने भी उसकी विजय को अधिक आसान बना दिया। बाबर ने सुल्तान इब्राहीम को First प्रहार करने का मौका दिया किन्तु Fight शुरू होते ही बाबर की सेना के दक्षिण और वाम पाश्र्व की सैनिक टुकड़ियों ने बहुत ही नियमित तरीके से घूमकर इब्राहीम की सेना पर पीछे से आक्रमण कर दिया जिसके कारण उसकी सेना में भगदड़ मच गई। अब इब्राहीम के सैनिक न आगे बढ़ सकते थे और न ही पीछे लौट सकते थे। इस प्रकार इब्राहीम लोदी Defeat हो गया तथा Fight में लगभग 15-20 हजार अफगान मारे गये।1 वन्दना, पाराशर, बाबर, Indian Customer संदर्भ में, पृ. 51.
ईश्वरीय कृपा – पानीपत के Fight में बाबर ने अपनी विजय का कारण ईश्वरीय कृपा बताया है। बाबर ने लिखा है कि हमारे शत्रु की सेना और साधन अधिक थे, किन्तु ईश्वर में हमारी दृढ़ आस्था थी। उसने शक्तिशाली शत्रु के विरूद्ध हमारी सहायता की और हमें कामयाबी मिली।2 यद्यपि पानीपत के Fight में अपनी जीत को बाबर ने ईश्वर का अनुग्रह माना है किन्तु वास्तविकता यह है कि ईश्वर के प्रति उसका अटूट विश्वास था जिससे बाबर का मनोबल ऊँचा रहा तथा उसने जीत के लिए अथक प्रयास Reseller, परिस्थितियाँ उसके अनुकूल रहीं, विगत अनुभव और योग्यता के समन्वय ने उसे विजय दिलाने में सहायता दी जिसे बाबर ने ईश्वरीय कृपा माना।
पानीपत के Fight के परिणाम
पानीपत का First Fight मध्यकालीन Indian Customer History की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण घटना है इससे भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई। डॉईश्वरी प्रसाद के According लोदीवंश की सत्ता टूट कर Destroy हो गई और हिन्दुस्तान का प्रभुत्व चुगताई तुर्कों के हाथों में चला गया। इस Fight के प्रमुख परिणाम इस प्रकार थे –
इब्राहीम लोदी की मृत्यु And लोदी वंश की समाप्ति – पानीपत के First Fight में लोदी वंश का अंतिम सुल्तान इब्राहीम लोदी अपने 15-20 हजार अफगान सैनिकों सहित मारा गया। इस प्रकार लोदी वंश का अन्त हो गया तथा पंजाब के अतिरिक्त दिल्ली और आगरा पर भी बाबर का अधिकार कायम हो गया।
लेनपूल के According अफगानो के लिए पानीपत का First Fight बडा़ भयंकर सिद्ध हुआ। इससे उनका साम्राज्य समाप्त हो गया और उनकी शक्ति का अंत हो गया।2 डॉ. ए.एल. श्रीवास्तव का मन्तव्य है कि लोदियों की सैन्य शक्ति पूर्णत: छिन्न-भिन्न हो गई और उनका King Fight भूमि में मारा गया। हिन्दुस्तान की सर्वोच्च सत्ता कुछ काल के लिए अफगान जाति के हाथों से निकल कर मुगलों के हाथों में चली गयी।
अफगान शक्ति और शासन का अन्त – पानीपत के First Fight के बाद भारत में अफगानों की शक्ति, सत्ता और शासन का व्यावहारिक Reseller से अन्त हो गया था। पानीपत का First Fight दिल्ली के अफगानों के लिए कब्र साबित हुआ। इब्राहीम अपने हजारों सैनिकों सहित मारा गया था। उसकी मृत्यु के साथ आलम खां और महमूद खां जैसे कुछ अफगान सरदार अब भी बचे थे जिन्हें बाद में बाबर ने पददलित Reseller था, किन्तु इन अफगान सरदारों में इतनी योग्यता, साहस और बल नहीं था कि वे लोदी वंश के खोये हुए गौरव And शक्ति को पुन: स्थापित कर पाते। लेनपूल के According, ‘पानीपत का Fight दिल्ली के अफगानों के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ। इससे उनका राज्य और शक्ति सर्वथा Destroy-भ्रष्ट हो गई।1 नागोरी, प्रणव देव, पूर्वोक्त कृति, पृ. 146; राधेश्याम, मुगल सम्राट्
मुगल राजवंश की स्थापना – पानीपत के First Fight के कारण लोदी राजवंश का अन्त हो गया तथा बाबर ‘सोलहवीं शती का साम्राज्य निर्माता’ बन गया। 27 अप्रैल., 1526 ई. को दिल्ली में बाबर के नाम का खुत्बा पढ़ा गया और उसे हिन्दुस्तान का King घोषित Reseller गया। प्रा.े एस.एम. जाफर ने इस सम्बन्ध में लिखा है – ‘इस Fight से Indian Customer History में Single नए युग की शुरूआत हुई। लोदी वंश के स्थान पर मुगल राजवंश की स्थापना हुई। इस नए वंश ने समय आने पर प्रतिभा सम्पन्न तथा महान् बादशाहों को जन्म दिया, जिनकी छत्र छाया में भारत ने असाधारण उन्नति And महान्ता अर्जित की। 2 आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव का मन्तव्य है कि पानीपत की विजय ने बाबर के दावे को वैधानिकता का जामा पहना दिया। अत: उसकी भविष्य की योजनाएं तथा प्रयत्न उसी के दावे को कार्य Reseller में परिणत करने के प्रयास-मात्र थे।3 Historyनीय है कि अकबर और शाहजहां जैसे सम्राट् जिनके शासनकाल को Indian Customer History में Single विशिष्ट स्थान प्राप्त है, इसी राजवंश के सदस्य थे।
बाबर के दुर्भाग्यपूर्ण जीवन की समाप्ति – बाबर के व्यक्तिगत जीवन के लिए भी पानीपत की विजय विशेष महत्त्वपूणर् साबित हुई। इस युग ने बाबर को Single महान् विजेता के Reseller में प्रसिद्ध कर दिया। बाबर के साहस, वीरता, दृढ़ निश्चय, उत्साह, रणकुशलता, वैज्ञानिक-Fight-प्रणाली आदि गुणों के कारण उसके दुर्भाग्यपूर्ण And संघर्षपूर्ण जीवन का अन्त हो गया। इसके द्वारा उसे उत्तरी भारत पर बहुमूल्य अधिकार मिल गया। उसकी भारत-विजय का यह दूसरा महत्त्वपूणर् भाग था। Fight के तात्कालिक लाभ भी बाबर के लिए कुछ कम महत्त्व के नहीं थे। बाबर को दिल्ली, आगरा And अन्य स्थानों से अपार धन-सम्पदा प्राप्त हुई। कोहिनूर हीरा भी उसके हाथ लगा। उसने परवर्ती Fight अब अधिकार प्राप्ति के लिए नहीं अपितु अधिकारों की पुष्टि के लिए लड़े थे।1 लेनपूल, स्टेनली, बाबर, पृ. 166; राधेश्याम, मुगल सम्राट् बाबर, पृ. 277. 2 जाफर, एस.एम., मुगल इम्पायर, पृ. 12. 3 श्रीवास्तव, आशीर्वादी लाल , पूर्वोक्त कृति, पृ. 19.
बाबर को आगरा And दिल्ली से अपार धन मिला था। फलत: उसे विख्यात कोहिनूर हीरा मिला। अब उसकी आर्थिक दशा सुधर गई। डॉआर. पी. त्रिपाठी का मन्तव्य है कि बाबर ने जो धन दिल्ली And आगरा में प्राप्त Reseller था, उसमें से बहुत सा धन अपने सैनिकों को दे दिया। वह समरकन्द, इराक, खुरासान व काश्गर में स्थित सम्बन्धियों को तथा समरकन्द, मक्का व मदीना तथा खुरासान के पवित्र आदमियों को भी भेंट भेजना न भूला।
बाबर के प्रभुत्व और शक्ति में वृद्धि – पानीपत के Fight में बाबर की विजय ने उसके प्रभुत्व And शक्ति में भी पर्याप्त वृद्धि की। उसने ‘पादशाह’ की उपाधि धारण की जो उसके वंश के लिए नवीन प्रभुत्व और गौरव की बात थी। इस Fight में विजय के बाद बाबर की सत्ता और शक्ति बढ़ती ही गई। 1 त्रिपाठी, आर.पी., मुगल साम्राज्य का उत्थान व पतन, पृ. 35. 113
हिन्दुओं में निराशा की भावना का संचार – औसत हिन्दुस्तानी आदमी का यह विचार था कि बाबर भी तैमूर की भांति लूटमार करके लौट जाएगा तथा बाबर के आक्रमण से इब्राहीम लोदी की शक्ति और राज्य का अन्त हो जाएगा। भारत से मुस्लिम सत्ता समाप्त हो जाएगी और Single बार पुन: हिन्दुओं को अपनी शक्ति और राज्य बढ़ाने का अवसर प्राप्त हो जाएगा। परन्तु जब बाबर ने हिन्दुस्तान में रहने और अपना राज्य कायम करने का निश्चय Reseller तो, हिन्दुओं की आशाओं पर तुषारापात हो गया और उनमें निराशा व्याप्त हो गई।
Indian Customer History का निर्णायक मोड़ – बाबर में अवसर को पहचानने तथा उससे लाभ उठाने की असीम क्षमता थी। इसी क्षमता ने पानीपत की विजय को महत्त्व प्रदान Reseller। बाबर ने इस Fight में विजय के बाद भारत में रहने का दृढ़ निश्चय Reseller। यद्यपि उसके इस निर्णय के मार्ग में कई बाधायें आयीं। किंतु वह अपनी क्षमता के कारण सब को पार कर गया। परिणामस्वReseller पानीपत का First Fight मध्ययुगीन Indian Customer History का मोड़ बन गया और यह मुगल साम्राजय की नींव का पत्थर साबित हुआ। बाबर की Single लम्बे अर्से से चली आ रही मनोकामना पूर्ण हुई। Indian Customer संस्कृति पर प्रभाव – इस Fight का सभ्यता And संस्कृति पर भी प्रभाव पड़ा। डॉ. आर.पी. त्रिपाठी के According भारत में मुगल संस्कृति व सभ्यता के समन्वय से भारत में नवीन सभ्यता का सूत्रपात हुआ। 1 इरिस्कान, हिस्ट्री ऑफ इण्डिया अण्डर बाबर एण्ड हुमायूं, पृ. 438; राधेश्याम, मुगल सम्राट् बाबर, पृ. 277.
मुगलों के ठाट-बाट ने Indian Customerों के जनजीवन में महान् परिवर्तन Reseller। इरान की कला व साहित्य ने भारत पर अपना प्रभाव जमाना आरम्भ कर दिया।1 बाबर की सफलता के कारण – बाबर ने इब्राहीम की विशाल सेना को Defeat Reseller था। बाबर की विजय के मुख्य कारण इस प्रकार थे –
- बाबर Single अनुभवी तथा योग्य सेनानायक था। डॉ. आर.पीत्रि पाठी के According, वास्तव में उत्कृष्ट नेतृत्व, वैज्ञानिक रण कला, श्रेष्ठ शस्त्रास्त्र तथा सौभाग्य के कारण बाबर की विजय हुई। 2 विलक्षण सैन्य प्रतिभा वाले बाबर के समक्ष इब्राहीम पूर्णत: अयोग्य था। लेनपूल के According, पानीपत के रणक्षेत्र में मुगल सेनाओं ने घबराकर Fight आरम्भ Reseller, परंतु उनके नेता की वैज्ञानिक योजना तथा अनोखी चालों ने उन्हें आत्म-विश्वास और विजय प्रदान की।
- बाबर ने कुशल तोपखाने की मदद से इब्राहीम को Defeat Reseller। आर.वी. विलियम्स के According, बाबर के शक्तिशाली तोपखाने ने भी उसे सफल होने में बहुमूल्य सहायता दी। 3. इब्राहीम की सेना में Singleता तथा अनुशासन नहीं था। इब्राहीम के अविवेकपूर्ण कार्यों से जनता तथा सरदारों में उसके विरूद्ध असंतोष था। उसकी सेना के अधिकांश सैनिक किराये के थे, जिनके बारे में बाबर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि हिन्दुस्तान के सैनिक मरना जानते हैं, लड़ना नहीं।1 त्रिपाठी, आर.पी., मुगल साम्राज्य का उत्थान व पतन, पृ. 35. 2 वही, पृ. 31; जाफर, एस.एम., मुगल एम्पायर, पृ. 12. 3 लेनपलू , बाबर, पृ. 56.
- इब्राहीम Single अयोग्य सेनापति था। जे.एन. सरकार के According, इब्राहीम ने भारत के राजसी तरीके से लड़ाई के लिए कूच Reseller था Meansात् दो तीन मील तक कूच करता था और तदुपरान्त दो दिन तक अपनी सेनाओं के साथ आराम करता था। उसका फौजी खेमा Single चलते-फिरते अव्यवस्थित शहर की तरह था।2 बाबर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, कि इब्राहीम Single योग्य सेनापति नहीं था। वह बिना किसी सूचना के कूच कर देता था और बिना सोचे-समझे पीछे हट जाता था। इसके अतिरिक्त वह बिना दूरदर्शिता के Fight में कूद पड़ता था। अत: बाबर ने उसे आसानी से Defeat Reseller।
- मुगल सैन्य-संगठन अफगान सैन्य संगठन से बहुत उत्तम था। मुगल सैनिक वीर, अनुभवी, साहसी तथा कुशल योद्धा थे, जबकि इब्राहीम के अधिकतर सैनिक किराये के थे और उनमें Singleता, अनुशासन, संगठन And राष्ट्रीय हित की भावना नहीं थी।
पानीपत के Fight के बाद बाबर की कठिनाइयाँ
पानीपत के Fight के बाद बाबर को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा –
- यद्यपि पानीपत के मैदान में विजय प्राप्त करने से बाबर दिल्ली का King बन गया था, किन्तु उसका अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित था। लेनपूल के According, भारत कहाँ, उसे तो अभी उत्तरी भारत का भी King नहीं कहा जा सकता था। अत: बाबर के लिए साम्राज्य विस्तार करना अनिवार्य था।
- उसे अपने सिंहासन की Safty के लिए मध्यवर्ती भारत के विद्रोही सरदारों का दमन करना था तथा राजपूतों को Defeat करना था।
- भारत की जनता बाबर को विदेशी समझकर उससे नफरत करती थी। लेनपूल के According, भारत का प्रत्येक गांव मुगलों के लिए Single शत्रु शिविर था।1 अत: बाबर को Indian Customerों का विश्वास जीतना था।
- इब्राहीम की मृत्यु के बाद कासिम खां ने सम्भल, निजाम खां ने बयाना तथा हसन खां ने मेवात पर अधिकार कर लिया था। बाबर को इन सरदारों को अपनी अधीनता में लाना था।
- बाबर के सैनिक तथा सरदार अपने घर लौटाने के लिए व्यग्र थे तथा वे भारत की गर्मी सहन नहीं कर पा रहे थे। अत: बाबर को उन्हें अगले आक्रमण के लिए तैयार करना था। बाबर ने बड़े साहस तथा धैर्य से इन कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की। बाबर ने सैनिकों तथा सरदारों को यह कहकर समझा लिया कि ‘वर्षों के परिश्रम से, कठिनाइयों का सामना करके, लम्बी यात्राएँ करके, अपने वीर सैनिकों को Fight में झोंककर और भीषण हत्याकाण्ड करके हमने खुदा की कृपा से दुश्मनों के झुण्ड को हराया है, ताकि हम उनकी लम्बी-चौड़ी विशाल भूमि को प्राप्त कर सकें। अब ऐसी कौन-सी शक्ति है, जो हमें विवश कर रही है और ऐसी कौन सी Need है, जिसके कारण हम उन प्रदेशों को छोड़ दें, जिन्हें हमने जीवन को संकट में डालकर जीता है।.मध्यवर्ती भारत के विद्रोहियों को कुचलना -महमूद, फीरोज खां, शेख बयाजीद आदि अफगान सरदारों ने Fight लड़े बिना ही बाबर का आधिपत्य स्वीकार कर लिया। बाबर ने अन्य विद्रोही अफगान सरकार को कुचल दिया तथा सम्भल, बयाना, इटावा, धौलपुर, कन्नौज, ग्वालियर तथा जौनपुर पर अधिकार कर लिया।1 लेनपलू , बाबर, पृ. 21