कृषि क्रांति
इसी समय तीन खेत प्रणाली भी अस्तित्व में आयी। इससे उत्पादन में काफी वृद्धि हुर्इ। First तो Single वर्ष में दो फसलों को लेना प्रारंभ हुआ। तीन खेत प्रणाली के तहत कृषि योग्य भूिम को तीन बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता था। रार्इ अथवा गेहूँ सर्दी में First खेत में उपजाया जाता था मटर And अन्य काइेर् उपयुक्त फसल बसंत ऋतु में Second खेत में ली जाती थी And तीसरा खेत खाली छोड़ दिया जा था। अगले वर्ष Second And Third खेत का उपयोग कर First को खाली छोड़ दिया जाता था। इसी क्रम में प्रत्येक वर्ष खेतों का सिलसिला चलता रहता था, इस प्रणाली से उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुर्इ। बीज उपज का अनुपात 1:2.5 से बढ़कर 1:4 तक पहुँच गया।
कृषि तकनीक के परिवर्तनों से जहाँ उत्पादन लगभग दूना हुआ, वहीं कृषि कार्य में श्रम की निर्भरता कम हुर्इ। यूरोप के अधिकाधिक जंगलों को साफ कर कृषि योग्य बनाया गया। उत्पादन में वृद्धि के फलस्वReseller श्रम की माँग घटी और अब जमींदारों को कृषि दास की अपक्ष्े ाा खेत की बटार्इ पर उठाना अधिक लाभदायक प्रतीत हअुा। बारहवीं शताब्दी के महत्वाकाक्षी किसानों ने कृषि उत्पादन में वृद्धि And लाभ को देखते हुए उन क्षेत्रों पर दृष्टि डाली जहाँ खेती नहीं होती थी। इस समय खेती के हिसाब से देखा जाय तो फ्रासं में केवल आधे भू- भाग, जर्मनी में केवल Single-तिहार्इ ओर इंग्लैण्ड में केवल पाँचवाँ भाग खेती के काम में लाया जाता था। शेष भाग कुछ बंजर था तथा कुछ दलदल And कुछ जंगल। कृषि लाभ को देखते हुए कृषकों ने इन क्षत्रे ों को कृषि योग्य बनाने के लिए कड़ी महे नत की। दलदलों को सुखा दिया। जंगलों को साफ Reseller और बाँध बनाकर समुद्र द्वारा भूमि के अतिक्रमण को रोका। इस पक्र ार बारहवीं सदी में कृषि संबंधी तकनीकों के विकास से कृषि योग्य भूमि का विस्तार हुआ And अत्यधिक उत्पादन हुआ। अत: इसे कृषि क्रांति की संज्ञा दी गयी। कृषि क्रांति के फलस्वReseller सहस्रों Singleड़ भूिम, कृषि भूिम में परिवर्तित हो गयी। नये-नये नगरों का विकास हुआ। कृषि दास, दासता से मुक्त हुए।
16वीं से 18वीं सदी में कृषि का विकास
यद्यपि 15वीं सदी तक मध्य युग की तुलना में कृषि का विस्तार हुआ था, किंतु अभी भी कृषि तकनीक में कुछ मूलभतू कमियाँ थी। उत्पादन में वृद्धि के बावजूद भी यह गुजर-बसर करने वाली ही कृषि थी जो कि मात्र स्थानीय Need को पूर्ण करती थी। प्रत्येक वर्ष तीन खेत प्रणाली के तहत भूमि का 1/3 भाग परती छोड़ दिया जाता था, ताकि वह खोर्इ हुर्इ उर्वरा शक्ति पुन: प्राप्त कर सके। कृषि जोतें भी छोटी-छोटी And दूर-दूर थीं। इससे समय व शक्ति दोनों का अनावश्यक व्यय होता था। तीस वष्र्ाीय Fight के बाद अनाज की काफी माँग बढ़ी। 16वी शताब्दी में पशुधन की बढ़ती हुर्इ Needओं को पूरा करने के लिए चक्रानुवर्ती फसलें उगाने का परीक्षण Reseller गया। इसके तहत 1/3 भाग परती को छोड़ने के स्थान पर हर वर्ष फसल को चक्रानुवर्ती क्रम में बाये ा गया। इसके बहतु अच्छे परिणाम निकले। 17वीं शताब्दी के मध्य तक अनाजों की अंतरार्ष् ट्रीय माँग को देखते हुए एल्ब नदी से सोवियत रूस तक फैले हुए विशाल क्षेत्र में अनाज की खेती के लिए अधिक भूमि का उपयोग Reseller गया। मध्य पश्चिमी इंग्लैण्ड And उत्तरी फ्रांस मे भी अत्यधिक कृषि विस्तार हुआ। इन सबका प्रेरणा स्रोत नीदरलैण्ड द्वारा अपनायी गयी कृषि तकनीकें थी।
इस समय फ्लेमिश क्षत्रे ों And अन्य निचले देशाे में कृषि के विस्तार हेतु कर्इ परीक्षण And प्रयागे किये गये जिनमें उन्हें सफलता भी मिली। 1565 र्इ. में फ्लेमिश में आने वाले लोगों ने इंग्लैण्ड में शलजम की फसल उगायी। 16वीं शताब्दी तक पशुधन की Needओं के मद्देनजर तिपतिया घास तथा मीमा धान्य जैसी चारा फसलें उगायी गयी। चक्रनुवर्ती फसल लेने से भी उत्पादन में वृद्धि हुर्इ। इस प्रकार 16वीं से 18वीं सदी के मध्य Single बार पुन: कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।
कृषि क्रांति के शिल्पकार
(1) राबर्ट वेस्टर्न
तीन खेत प्रणाली के घाटों से उबारने में राबर्ट वेस्टर्न ने अहम भूमिका निभार्इ। इसने (1645 र्इ.) अपनी पुस्तक ‘डिस्कोर्स ऑन हसबैण्ड्री’ में यह बतलाया कि 1/3 भूमि को परती छोड़े बिना भी जमीन की खोर्इ हुर्इ शक्ति प्राप्त की जा सकती है। इस हेतु उसने शलजम आदि जड़ों वाली फसलों को बोने पर विशषेा जोर दिया। राबर्ट ने फ्लैडर्स में रहकर कृषि का ज्ञान प्राप्त Reseller था। इसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धातों से अब पूरा का पूरा खते हर वर्ष काम में लाया जाने लगा।
(2) जेथरी टुल
यह बर्कशायर का Single किसान था जिसने कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु कर्इ सिद्धांत प्रतिपादित किये। 1701 र्इ. में उसने बीज बोने के लिए ड्रिल यंत्र का आविष्कार कर प्रयोग Reseller। इस यंत्र से खेत में बीजों के बीच दूरी रखी गयी। इससे पौधों को फैलने में And गुड़ार्इ करने में मदद मिली। इसके द्वारा अच्छे बीज के प्रयोग, खाद की Need And समुचित सिंचार्इ व्यवस्था पर विशेष बल दिया गया। टुल ने अपने कृषि में विकास संबंधी अनुभवों को 1733 र्इ. में ‘हार्स होइंग इण्डस्ट्री’ नामक पुस्तक द्वारा लागे ों तक पहुँचाया। इसके अनुभवों से लाभ उठाकर कृषि के क्षत्रे में काफी लागे लाभांवित हुए।
(3) लार्ड टाउनशैण्ड
इसके According कृषि क्रांति में सबसे प्रमुख तीन फसल पद्धति के स्थान पर चार फसल पद्धति अपनाना था। इसने क्रमश: गेहूँ, शलजम, जौ And अंत में लौंग बोने की परंपरा प्रारंभ की। इससे कम समय And कम स्थान में अत्यधिक उत्पादन प्राप्त हुआ।
इस दिशा में नारकोक के जमींदार कोक ऑफ होल्खाम ने हड्डी की खाद का प्रयोग कर उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि की। जार्ज तृतीय द्वारा कृषि कार्यों में अत्यधिक रूचि लेने के कारण उसे कृषक जार्ज भी कहा जाता है। सर आर्थर यंग ने कृषि सुधार हेतु 1784 र्इ. से ‘एनाल्स ऑफ एग्रीकल्चर’ शीर्षक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ Reseller। राबर्ट बैकवेल ने पशुओं की दशा सुधारने में अभतू पूर्व योगदान दिया। इससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुर्इ। इस प्रकार राबर्ट वेस्टन, टुल, टाउनशैण्ड And कोक आूफ होल्खाम द्वारा कृषि क्षेत्र में प्रतिपादित नवीनतम तकनीकों And विचारों ने कृषि क्रांति में Historyनीय योगदान दिया। कृषि क्रांति यूरोप के History की Single दूरगामी प्रभाव वाली घटना सिद्ध हुर्इ। इनकी पद्धतियों ने विकास को बढ़ाया।
(4) आर्थर यंग
इंग्लैण्ड के Single धनवान कृषक आर्थर यंग (1742-1820 र्इ.) ने इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड And फ्रांस आदि देशां े में घूम-घमू कर तत्कालीन कृषि उत्पादन की पद्धतियों का सूक्ष्म अध्ययन Reseller। अपने अनुभवों के आधार पर उसने Single नवीन प्रकार से खेती की पद्धति का प्रचार Reseller। उसने बताया कि छोटे-छोटे क्षत्रे ों पर खते ी करने से अधिक लाभकारी बड़े कृषि फामोर् पर खेती करना है। अत: उसने छोटे-छोटे खेतों को मिलाकर बड़े- बड़े कृषि फार्मों के निर्माण पर बल दिया। चूँकि विभिé कृषि संबंधी उपकरणों का आविष्कार हो चुका था और ये यंत्र बड़े खेतों के लिए अत्यधिक उपयुक्त थे। उसने अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाने की दृष्टि से ‘एनल्स ऑफ एग्रीकल्चर’ नामक पत्रिका भी निकाली। आर्थर यंग के प्रयास अंतत: फलीभूत हुए इंग्लैण्ड में धीरे-धीरे खेतों को मिलाकर Single बड़ा कृषि फार्म बनाने And उसके चारों ओर Single बाड़ लगाने का कार्य संपé Reseller जाने लगा। इंग्लैण्ड में 1792 र्इ. से 1815 र्इ. के मध्य 956 बाड़बंदी अधिनियम बनाये गये। इस प्रकार इंग्लैण्ड में कर्इ लाख Singleड़ भूिम की बाड़बदी की गर्इ। इस बाड़बदं ी द्वारा कृषि उत्पादन में अभतू पूर्व वृद्धि हुर्इ मगर छोटे-छोटे खेतों की समाप्ति से कर्इ कृषकों को अपनी भूिम से बदे खल होना पड़ा और वे भूिमहीन मजदरू बन गये। अब ये कृषक से बने मजदूर विभिé कारखानों में मजदूर बने गये और उन कारखानों के उत्पादन में वृद्धि की। इस प्रकार Single ओर कृषि उत्पादन बढ़ा तो दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन भी बढ़ा और औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त्र हुआ।