उपनिवेशवाद क्या है ?
उपनिवेशवाद का Means
उपनिवेशवाद का Means है – किसी समृद्ध And शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने विभिé हितों को साधने के लिए किसी निर्बल किंतु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिé संसाधनों का शक्ति के बल पर उपभोग करना। उपनिवेशवाद में उपनिवेश की जनता Single विदेशी राष्ट्र द्वारा शासित होती है, उसे शासन में काइेर् राजनीतिक अधिकार नहीं होता। आर्गन्सकी के According, ‘‘वे All क्षत्रे उपनिवेशों के तहत आते हैं जो विदेशी सत्ता द्वारा शासित हैं And जिनके निवासियों को पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं।’’ वस्तुत: हम किसी शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा निहित स्वार्थवश किसी निर्बल राष्ट्र के शोषण को उपनिवेशवाद कह सकते हैं।
उपनिवेशवाद का आरम्भ
1453 र्इ. में तुर्कों द्वारा कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लेने के बाद स्थल मार्ग से यूरोप का एशियायी देशों के साथ व्यापार बंद हो गया। अत: अपने व्यापार को निर्बाध Reseller से चलाने हेतु नये समुद्री मार्गों की खोज प्रारंभ हुर्इ। कुतुबनुमा, गतिमापक यंत्र, वेध यंत्रों की सहायता से कोलम्बस, मैगलन And वास्काेि डगामा आदि साहसी नाविकों ने नवीन समुद्री मार्गों के साथ-साथ कुछ नवीन देशों अमेि रका आदि को खोज निकाला। इन भौगोलिक खोजो के फलस्वReseller यूरोपीय व्यापार में अभतू पूर्व वृद्धि हुर्इ। धन की बहुलता And स्वतंत्र राज्यों के उदय ने उद्योगो को बढ़ावा दिया। कर्इ नवीन उद्योग स्थापित हुए। स्पेन को अमेरिका Resellerी Single ऐसी धन की कुंजी मिली कि वह समृद्धि के चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। र्इसार्इ धर्म प्रचारक भी धर्म प्रचार हेतु नये खोजो हुए देशों में जाने लग।े इस प्रकार अपने व्यापारिक हितों को साधने And धर्म प्रचार आदि के लिए यूरोपीय देश उपनिवेशों की स्थापना की ओर अग्रसर हुए और इस प्रकार यूरोप में उपनिवेश का आरंभ हुआ।
उपनिवेशों की स्थापना के कारण
व्यापारिक क्रांति में भौगोलिक खोजों ने महत्वपूर्ण भूिमका निभार्इ। इन भौगोलिक खोजो के साथ ही उपनिवेशवाद का आरंभ हुआ। स्पने , पतुर् गाल, डच, फ्रासं And इंग्लैण्ड आदि यूरोपीय देशों ने सुदूर देशों में उपनिवेश स्थापित किये। यूरोप में उपनिवेशवाद के आरंभ के निम्नलिखित कारण थे –
- ट्रिपल G नीति- भौगोलिक खोजो के फलस्वReseller कोलम्बस द्वारा अमेि रका की खोज ने यूरोपीय देशों में स्वर्ण जैसी बहुमूल्य धातु के संग्रह की प्रतिस्पर्द्धा आरंभ की। स्वर्ण संग्रह की प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति यह थी कि समस्त यूरोप में ‘अधिक स्वर्ण, अधिक समृद्धि, अधिक कीर्ति’ का नारा बुलंद हुआ। अब समस्त यूरोपीय राष्ट्रों का प्रमुख ध्यान सोना, कीर्ति And र्इश्वर Meansात् Gold, Glory and God पर केन्द्रित हो गया। उपनिवेशों की स्थापना से यूरोपय देशों को सोना भी मिला, कीर्ति भी फैली And धर्म का प्रचार भी हुआ। अत: ट्रिपल G नीति नि:संदेह उपनिवेशों की स्थापना का Single कारण अवश्य थी।
- कच्चे माल की प्राप्ति- व्यापारिक समृद्धि के फलस्वReseller यूरोपीय देशों में कर्इ उद्योगो की स्थापना हुर्इ। यूरोप में इन उद्योगो के लिए आवश्यक कच्चे माल की कमी थी। अत: यूरोपीय देशों ने कच्चे माल की प्राप्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों And अफ्रीकी And एशियायी देशों में उपनिवेशों की स्थापना की।
- निर्मित माल की खपत- उद्योगो की स्थापना And कच्चे माल की उपलब्धता से औद्योगिक उत्पादन तीव्र गति से बढ़ा। चूँकि इस समय All यूरोपीय देश आर्थिक संरक्षण की नीति पर चल रहे थे। अत: इस निर्मित माल को खपाने के लिए भी उपनिवेशों की स्थापना की गयी।
- जनसंख्या में वृद्धि- यूरोप के विभिé देशों में औद्योगीकरण के परिणामस्वReseller नगरों की जनसंख्या में अत्याधिक वृद्धि हुर्इ। कालातं र में अतिशेष जनसंख्या को बसाने के लिए भी उपनिवेशों की स्थापना को बल मिला।
- प्रतिकूल जलवायु- यूरोपवासियों को व्यापारिक प्रगति And नवीन देशों से संपर्क के फलस्वReseller कइर् नवीन वस्तुओं का ज्ञान हुआ, आलू, तंबाकू, भुट्टा आदि का ज्ञान उन्हें पूर्वी देशों के साथ संपर्क से ही हुआ। गर्म मसाले, चीनी, कॉफी, चावल आदि के भी अब वे आदी हो गये थे। प्रतिकूल जलवायु के कारण ये All वस्तुएँ यूरोपीय देशों में उगाना संभव न था। अत: यूरोपीय विशेषज्ञ अंग्रेज चाहते थे कि उन्हें एसे प्रदेश प्राप्त हो जायें जहाँ इनकी खेती की जा सके। अत: अनुकूल जलवायु वाले स्थानों में उपनिवेश स्थापना की विचारधारा को बल मिला।
- समृद्धि की लालसा- भौगोलिक खोजों के परिणामस्वReseller प्रारंभिक उपनिवेश पुर्तगाल And स्पेन ने स्थापित किये। इससे उनकी समृद्धि में वृद्धि हुर्इ। अत: इनकी समृद्धि को देखते हुए समृद्धि की लालसा में अन्य यूरोपीय देश भी उपनिवेश स्थापित करते हुए अग्रसर हुए।