इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अवधारणा
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अवधारणा
इलेक्ट्रानिक मीडिया अपने स्वReseller में प्रिंट मीडिया से Single दम अलग है। भले ही इसका विकास पिंट्र मीडिया से ही हुआ है और पिंट्र मीडिया के ही आर्दशों और परम्पराओं की छाया में यह फलफूल रहा है। लेकिन इसका स्वReseller इसे कर्इ मायनों में प्रिंट मीडिया से Singleदम अलग बना देता है। बचपन में एब बोध कथा हममें से कइयों ने सुनी होगी जिसमें Single गुरू के चार शिष्य ज्ञान प्राप्त कर वापस जा रहे होते हैं तो उन्हें वन में Single शेर का अस्थिपिंजर मिलता है। Single उसे अपने मंत्र बल से जोड़कर उसका ढॉचा खड़ा कर देता है। दूसरा उसमें मांस और खाल चढ़ा देता है और तीसरा उसमें जान फूंक देता है। इस बोध कथा के शेर की तरह ही प्रिंट मीडिया जहां खबरों का ढांचा खड़ा करता रहा है, उन्हे सजाता-संवारता रहा है, वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया ने खबरों में जान फूंक दी है। अखबार में Single रोमांचक फुटबाल मैच का चौथार्इ पृष्ठ का description छपता है, उसके चित्र छपते हैं, उसकी हाइलाइटस् छपती है पाठक उसे पढ़ कर सारी जानकारी हासिल कर लेता है। लेकिन वही बात जब रेडियो की खबर में उस रोमांचक मैच के कुछ लम्हों की कैमेंटरी के जरिए सुनार्इ जाती है या टीवी न्यूज में मैच के सबसे सनसनीखेज गोल के 10 सैकेंड के वीडियो फुटेज के जरिए दिखार्इ जाती है तो मैच का असली रोमांच सजीव होकर श्रोता या दर्शक के पास तक पहुंच जाता है। इलेक्ट्रानिक मीडिया की यह स्वResellerगत खूबी उसे अलग पहचान देती है। हालांकि अब अखबारों के भी इंटरनेट संस्करण आने लगे हैं और वे खबरों को अधिक तेजी से पाठक तक पहुंंचाने लगे हैं लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया के पास यह ताकत अपने जन्म से ही है। विश्व के किसी Single भाग में हो रहे किसी आयोजन, घटना या किसी संवाददाता सम्मेलन के सजीव प्रसारण को उसी वक्त साथ-साथ सारे विश्व में उसे दिखाया या सुनाया जा सकता है।
वस्तुत: इलेक्ट्रानिक मीडिया की अवधारणा ही खबरों के तेज, सजीव, वास्तविक और व्यापक प्रसारण से जुड़ी है। खबरों को सबसे तेज अथवा सजीव दिखा सुनाकर, जैसा हो रहा है वैसा ही दिखा/सुनाकर इलेक्ट्रानिक मीडिया चमत्कारपूर्ण प्रभाव पैदा कर देता है। हमारे देश में Single दौर में बीबीसी की खबरें घर-घर सुनी जाती थीं। अफ्रीका के गृह युद्वों, अमेरिका के चाँद पर जा पहंचु ने और जवाहर लाल नेहरू की मौत जैसी खबरें बीबीसी रेडियो ने क्षण भर में पूरी दुनिया में पहुंच दी थीं। भारत में टेलीविजन में भी निजी क्षेत्र के आगमन के बाद की कर्इ घटनाएं जैसे गुजरात का भूकंप, कारगिल का युद्व, लोकसभा चुनाव और सुनामी आदि ऐसे मौके थे जब इलेक्ट्रानिक मीडिया के बादशाह टेलीविजन ने दर्शकों को घर बैठे-बैठे इन जगहों तक पहुंचा दिया था । यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस तरह की घटनाओं के कवरेज ने देश में टेलीविजन न्यूज को Single व्यापक पहचान भी दी और विश्वसनीयता भी । घटनास्थल को सीधे टीवी स्क्रीन तक पहुंचा पाने की इसी ताकत में टेलीविजन की लोकप्रियता का राज छिपा हुआ है।
अमेरिका में वल्र्ड टे्रड टावर पर हुए हवार्इ हमलों को दुनिया ने टेलीविजन के जरिए देखा और जिसने भी उन दृश्यों को देखा है, उन सबके मन में वो पूरी घटना इस तरह अंकित हो गर्इ है कि मानो उन्होंने खुद अपनी आखों से उसे देखा हो । घटना को वास्तविक या सजीव Reseller में दिखा पाने की क्षमता इलेक्ट्रानिक मीडिया की Single बड़ी ताकत है तो इसकी पहंचु , इसकी दूसरी बड़ी ताकत । Single मुद्रित अखबार या पत्रिका का सीमित प्रसार क्षेत्र होता है लेकिन इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए विस्तार और प्रसार की कोर्इ सीमाएं नहीं हैं। अमेरिका की 26/11 की घटनाएं पूरी दुनिया ने लगभग Single साथ देखीं। बीजिंग ओलाम्पिक का उद्घाटन हो या दक्षिण अफ्रीका में विश्वकप फुटबाल के खेल । पूरा विश्व अपनी आंखों से इनका सजीव प्रसारण होते हुए देख पाता है। घटना को सजीव होते देखना अपने आप में Single रोमांचक अनुभव है। दर्शक उस घटना के Single पात्र की तरह उससे जुड़ जाता है। ऐसा कर पाना किसी Second संचार माध्यम के लिए सम्भव नहीं है। इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रभावशाली बनाने वाली Single और बड़ी ताकत इसकी भाषा है। अखबार पढ़ने के लिए आदमी का साक्षर होना जरूरी है।
दूसरी भाषा का अखबार पढ़ने के लिए उस भाषा का ज्ञान होना जरूरी है लेकिन सजीव चित्रों की भाषा इनमें से किसी की भी मोहताज नहीं । 26/11 की घटना में ट्विन टावर्स से अज्ञात विमानों का टकराना, टावर्स में आग लग जाना और उसके बाद का विध्वंस, सजीव चित्रों ने इसकी जो कहानी दिखार्इ उसके लिए किसी भाषा या Wordों की जरूरत नहीं थी। सम्प्रेषण की यह खूबी भी इलेक्ट्रानिक मीडिया की Single बड़ी ताकत है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि दृश्य-श्रव्य स्वReseller वाला इलेक्ट्रानिक मीडिया अपने प्रसार के विस्तार, घटना स्थल से सीधे घटना को दिखा सकने की ताकत और Wordों तथा भाषा से उपर उठकर किए जाने वाले वाले सम्प्रेषण के कारण आज सबसे सशक्त जन संचार माध्यम बन चुका है।