मगध साम्राज्य का उदय
मगध साम्राज्य का उदय का कारण
- मगध उत्तर भारत के विशाल तटवर्ती मैदानों के उपरी And निचले भागों के मध्य अति Windows Hosting स्थान पर था पांच पहाडियों के मध्य Single दुर्गम स्थान पर स्थित होने के कारण वहां तक शत्रुओं का पहुंचना प्राय: असम्भव था ।
- गंगा नदी के कारण भी मगध में व्यापारी सुविधाये बढ़ी और आर्थिक दृष्टि से मगध के महत्व में वृद्धि हुर्इ । मगध साम्राज्य की भूमि अत्यधिक उपजाऊ थी अत: आर्थिक दृष्टि से मगध सम्पन्न राज्य था । मगध साम्राज्य उत्कर्ष में हाथियों के बाहुल्य ने भी मगध साम्राज्य के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण योगदान था ।
- मगध साम्राज्य में लोहा बहुतायत और सरलता से मिलता था । मगध की शक्ति का यह महत्वपूर्ण स्त्रोत था । इससे जंगल साफ करके खेती के लिये भूमि निकाली जा सकती थी और उपज बढ़ार्इ जा सकती थी ।
मगध साम्राज्य का उदय
काफी समय तक इस काल का राजनीतिक History मुख्यत: उपरोक्त राज्यों में सर्वोच्चता के संघर्ष का लेखा-जोखा है । समय के साथ, मगध सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य के Reseller में उदित हुआ और Single विशाल साम्राज्य के Reseller में फैला । मगध, King बिम्बसार (544 492-र्इ.पू.) के शासन काल में शक्तिशाली बना । वह भगवान् बुद्ध का समकालीन था और हरयंक राजकुल से संबंधित था । शुरू से ही बिम्बसार ने विस्तार की नीति अपनार्इ । अपनी स्थिति को शक्तिशाली बनाने के लिए उसके पास कुछ सुविधाएं थी । उसका साम्राज्य चारों ओर नदियों और पहाडियों के द्वारा Windows Hosting था । उसकी राजधानी राजगीर पहाड़ियों के साथ थी । उसके साम्राज्य की समृद्ध और उपजाऊ मिट्टी में बहुत अधिक उपज होती थी । हिरण्यवता या सोन नदी ने व्यापार को बढ़ावा दिया । इस तरह व्यापारिक और भूमि कर राज्य की आमदनी के पमुख स्त्रोत थे ।
मगध और आस-पास के क्षेत्रों की लोहे की समृद्ध खानों ने लोहे के हथियार बनाने में मदद की । अंग का अपन े राज्य में शामिल करना बिम्बसार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से था। अंग की राजधानी चंपा व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र थी । बिम्बसार ने अपने पुत्र अजातशत्रु को इस राज्य का राज्यपाल बनाया । मगध का सबसे मुख्य शत्रु अवंती था । बिम्बसार का इसके शासन प्रद्योत महासेन के साथ लंबा Fight चला, जो हालांकि अंतत: मित्रता में तबदील हुआ । बौद्ध ग्रंथो में हमें पता चलता है कि गंभीर रोग से पीड़ित प्रद्योत महासेन के इलाज के लिए बिम्बसार ने अपने चिकित्सक जीवक को भेजा था । बिम्बसार ने कोसल, वैशाली और भद्र के महत्वपूर्ण राज्य-परिवारों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किए । कोसल नरेश प्रसेनजित की बहन से विवाह में बिम्बसार को काफी गांव दहेज में प्राप्त हुआ । इन विवाहों ने उसकी स्थिति को मजबूत Reseller और सम्मान को बढ़या । इस तरह वैवाहिक संबंधों और विजयों से बिम्बसार ने मगध को अत्यधिक शक्तिशाली राज्य बना दिया ।
बिम्बसार ने कार्यकुशल प्रशासन व्यवस्थित Reseller । महावीर और बुद्ध दोनों इसके शासन काल के दौरान अपने सिद्धांतो के उपदेश दिए और ऐसा बताया जाता है कि उसने दोनों से ही करीबी संबंध रखे । संभवत: वह अजातशत्रु के हाथों मारा गया जिसने राजगद्दी पर कब्जा Reseller ।
अजातशत्रु ने स्वयं को अनेक शत्रुओं से घिरा पाया । King प्रसेनजित ने उसके खिलाफ Fight घोषित कर दिया और लिच्छवियों तथा विज्जियों के साथ भी उनके लंबे Fight हुए । काशी और अवंती साम्राज्य भी उसके शत्रु हो गए । अजातशत्रु ने इन चुनौतियों का सामना साहस और सफलता के साथ Reseller तथा उसने मगध को और बड़ा राज्य बना दिया । उसके पुत्र उदयन (460 र्इ.पू.- 444 र्इ.पू.) ने पाटलिपुत्र शहर का निर्माण Reseller, जो मगध की नर्इ राजधानी बनी । बिबिसार के राजवंश के बाद शिशुनागों का शासन आया और अंतत: मगध की राजगद्दी की महापद्म नंद ने हथिया लिया ।
पुराणों के According नंद-नीची जाति के थे और क्षत्रिय नहीं थे । लेकिन उन्होंने स्वयं को सर्वाधिक शक्तिशाली King साबित Reseller और संभवत: उन्होंने कलिंग को अपने साम्राज्य में मिला लिया । सिकंदर के आक्रमण के समय (326 र्इ.पू.) नंद मगध पर शासन कर रहे थे । कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों के According नंदों की शक्ति ने सिंकदर को भारत में और आगे बढ़ने से हतोत्साहित Reseller और उसे घर लौटने को विवश Reseller । यूनानी descriptionों के According धननंद के पास 20,000 घोड़ों, 2,00,000 पदाति, 2,000 रथों और कम से कम 3,000 हाथियों की विशाल सेना थी । नंद विभिन्न कारणों से अलोकप्रिय हो गए । विशाल सेना के रख-रखाव के लिए उन्होंने लोगों पर भारी कर लगाए और वे दमनकारी और साथ ही बहुत अहंकारी भी हो गए । परंपरा के According, नंदों के निरंकुश शासन को चन्द्रगुप्त मौर्य ने लगभग 323 र्इ.पू. में उखाड़ फेका । ऐसा भी विश्वास है कि इस उपलब्धि में चाणक्य नामक ब्राम्हण ने चन्द्रगुप्त की बहुत मदद की । महाजनपदों में से कुछ तो साम्राज्यवादी थे और कुछ लोकतंत्रात्म । बिम्बसार और अजातशत्रु के शासन काल में मगध अत्यधिक शक्तिशाली राज्य के Reseller में उभरा । नंद Kingओं के शासनकाल के दौरान सिंकदर ने पंजाब में तो प्रवेश कर लिया, लेकिन नंद की सेना के डर से और आगे नहीं बदला । चन्द्रगुप्त मौर्य ने King नंद को हरा कर मगध का शासन प्राप्त Reseller । अपने पिता की मृत्यु के बाद 20 वर्ष की आयु में वह मकदूनिया (यूनान का Single राज्य) के सिंहासन पर आसीन हुआ । दो वर्ष बाद वह Single विशाल सेना लेकर विश्व विजय के लिये चल पड़ा । 331 र्इ.पू. में उसने विशाल मखमली साम्राज्य को Destroy कर डाला और 327 र्इ.पू. में बल्ख या बैक्ट्रियां पर अधिकार करके उसने Indian Customer द्वार पर दस्तक दी । सिकन्दर के भीतरी अभियान के दो चरण थे ।
- व्यास नदी तक सिकन्दर का अभियान
- सिकन्दर की वापसी
चौथी शताब्दी र्इ.पू. के दौरान यूनान और फारस पश्चिमी एशिया पर अधिकार के लिए लड़े । अन्तत: मकदूनिया के सिकन्दर के नेतृत्व में यूनानियों ने इखमनी साम्राज्य को Destroy कर दिया । उसने एशिया माइनर, र्इराक और र्इरान को जीता और फिर वह भारत की ओर बढ़ा । यूनानी Historyकार हिरोदोतम् के According सिकन्दर भारत की धन-सम्पदा से बहुत आकर्षित हुआ था । सिकन्दर के आक्रमण के समय उत्तर पश्चिम भारत छोटे-छोटे राजतंत्रों में बंटा हुआ था। Singleता के अभाव में यूनानियों को उन्हें Single के बाद Single जीतने में मदद की । उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण King थे- आंभी और पोरस । यदि वे अपने मतभेद भुलाकर संयुक्त मोर्चा लेते, तो शायद यूनानियों को हराया जा सकता था । इसके विपरित, तक्षशिला नरेश आंभी ने पोरस के खिलाफ सिकन्दर की मदद की । आंभी ने बिना कोर्इ विरोध किए सिकन्दर के सम्मुख समर्पण कर दिया। लेकिन बहादुर पोरस, जिसका राज्य झेलम के किनारे था, ने कड़ा विरोध प्रदर्शित Reseller । हालांकि वह हार गया, लेकिन सिकन्दर उसकी बहादुरी से प्रभावित हुआ और उसके साथ सम्मान जनक व्यवहार Reseller व उसका राज्य भी लौटा दिया ।
इसके बाद सिकन्दर व्यास नदी की ओर बढ़ा और उसने पंजाब के काफी राज्यों को हरा दिया । वह पूर्व दिशा में आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन उसके सैनिकों ने मगध के नंदा की विशाल सेना और शक्ति के बारे में सुना और हतोत्साहित होकर, उन्होंने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। यूनानी Historyकारों के According दस वर्षो के लंबे अभियान के बाद उन्हें घर की याद भी सताने लगी थी । सिकन्दर के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद सैनिकों ने पूर्व दिशा की ओर बढ़ने से इंकार कर दिया और सिकन्दर को लौटना पड़ा । इस तरह पूर्व में साम्राज्य स्थापित करने का उसका सपना पूरी तरह साकार नहीं हुआ ।
वापसी यात्रा में सिकन्दर ने अनेक छोटे-मोटे गणतंत्रों जैसे सिबि और शुद्रक को हराया । सिकन्दर भारत में 19 महीनों (326 र्इ.पू.-325 र्इ.पू.) तक रहा । इन महीनों में उसने Fight ही Fight किए । 323 र्इ.पू. में 32 वर्ष की अल्पायु में उसकी बेबीलोन (बगदाद के निकट) में मृत्यु हो गर्इ । सिकन्दर को अपनी विजयों को व्यवस्थित करने का समय नहीं मिला । ज्यादा राज्यों को उसके Kingों को, जिन्होंने उसकी सत्ता स्वीकार कर ली, लौटा दिया गया । उसने अपने अधिकृत क्षेत्र, जिनमें पूर्वी यूरोप के कुछ भाग और पश्चिमी एशिया का कुछ बड़ा भाग शामिल था, को तीन भागों में बांटा । उसके लिए सिकन्दर ने तीन राज्यपाल नियुक्त किए । उसके साम्राज्य का पूर्वी हिस्सा सेल्यूक्स निकेटर को मिला, जिसने अपने स्वामी सिकन्दर की मृत्यु के बाद, स्वयं को King घोषित कर दिया ।
सिकन्दर के आक्रमण ने भारत में राजनीतिक Singleता का मार्ग प्रशस्त Reseller । सिकन्दर ने All छोटे और झगडालू राज्यों को जीत लिया था, और इस क्षेत्र में मोर्यो का विस्तार आसान हो गया । सिकन्दर 326 र्इ.पू. में भारत पर आक्रमण Reseller । उसने पंजाब को झेलम नदी तक जीत लिया था । लेकिन वह अपना साम्राज्य को व्यवस्थित नहीं कर पाया । सिकन्दर के आक्रमण ने राजनीतिक Singleता की प्रक्रिया में मदद की ।
छठी शताब्दी र्इ.पू. में भगवान बुद्ध के समय में सोलह महाजनपद या विस्तृत प्रादेशिक राज्य थे । उनमें से कुछ साम्राज्यवादी थे और कुछ लोकतंत्रात्मक । इन सोलह राज्यों में से मगध अन्तत: सर्वोच्च शक्ति बन गया । गमध के उत्थान में कुछ कारक उत्तरदायी थे । वहां प्राप्त लोहे की खानों से लोगों को मजबूत हथियार बनाने में मदद मिली । उपाजा़ऊ भूमि, अतिरिक्त अन्न और समुद्री मार्ग बनाने वाली नदियों ने व्यापार और वाणिज्य के विकास में मदद की । फलत: मगध सर्वाधिक उन्नतिशील और शक्तिशाली राज्य बन गया ।
बिम्बसार ऐसा पहला King था, जिसने मगध को बड़ा बनाया । उसने यह विजयों और वैवाहिक संबंधों के द्वारा Reseller । अजाजशत्रु के शासनकाल मगध में विशाल साम्राज्य बन गया । नदं काल में यह शिखर पर पहुंच गया । धीरे-धीरे मगध न े अनेक सीमावतीर् राज्या ें को अपने साथ मिला लिया । सिकन्दर ने जब उत्तर पश्चिमी भारत पर आक्रमण Reseller, तो नंद King थे । भारत में बहुत आगे बढ़ने के बजाय यूनानी नेता शीघ्र ही वापिस चला गया । संभवत: यूनानियों ने सोचा कि मजबूत मगध साम्राज्य के साथ मुकाबला बुद्धिमत्ता नहीं है ।
मगध की सर्वोच्चता – मुख्य कारक
मजबूत केंद्रिक सरकार के अन्र्तगत मगध Single बड़े राज्य के Reseller में विकसित हुआ, यह बिम्बसार, अजातशत्रु और महापद्म नंद जैसे अनेक महत्वाकांक्षी Kingओं की जीतोड़ मेहनत का नतीजा था, जिन्होंने साम्राज्यवादी नीति के तहत अपनी शक्ति को बढ़या । धार्मिक दृष्टि से भी मगध बहुत महत्वपूर्ण बन गया । जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों इसी क्षेत्र में विकसित हुए, जिन्होंने लोगों के सामाजिक जीवन को बहुत प्रभावित Reseller । कृषि और व्यापार के विकास से वैश्य समुदाय समृद्ध हो गया, लेकिन ब्राम्हणवाद समाज से उसे कोर्इ मान्यता नहीं मिली । इसलिए उन्होंने जैन धर्म और बौद्ध धर्म को स्वीकार करना अधिक अच्छा समझा, जो रूढ़ जाति पद्धति को मान्यता नहीं देते थे और साथ ही पशु बलि पर भी प्रतिबंध लगाते थे, जो कृषि Means व्यवस्था में अत्यन्त महत्वपूर्ण थे । जैसा कि First बताया जा चुका है, मगधवासियों ने इस क्षेत्र में उपलब्ध समृद्ध लोहे की खनों का इस्तेमाल मजबूत हथियार और कृषि औजार बनाने के लिए Reseller । इसने उन्हें राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से लाभ की स्थिति प्राप्त करने में मदद की । मगध को कुछ और सुविधाएं भी थी । मगध की दोनों राजधानियां First राजगीर और बाद में पाटलीपुत्र, सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति में थी । राजगीर का दुर्ग पांच पहाड़ियों से घिरा हुआ था । इसलिए इसे गिरिवज्र भी कहा जाता था । आक्रमणकारियों के लिए राजधानी से घुसना अत्यन्त कठिन था ।
पांचवी शताब्दी र्इ.पू. मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थानांतरित हो गर्इ, जिसे अजातशत्रु के पुत्र उदयिन ने बनाया था । पाटलिपुत्र तीन नदियों, गंगा, गंडक और सोन के संगम पर स्थित था । चौथी नदी सरयू भी पाटलीपुत्र के निकट गंगा में मिलती थी । चारों ओर से इसे नदियों ने घेरा हुआ था, जिसने इसे वस्तुत: ‘‘जलदुर्ग’’ बना दिया था जहां शत्रुओं की पहुंच प्राय: असंभव थी। इन नदियों को राज मार्ग, की तरह इस्तेमाल करके मगध के King अपने सैनिकों को किसी भी दिशा में भेज सकते थे ।
गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा लार्इ गर्इ उपजाऊ कछारी मिट्टी ने मगध क्षेत्र को बहुत अधिक समृद्ध बना दिया । लोहे के औजारों और उपकरणों से जंगलों को साफ करके अधिकाधिक भूमि पर खेती की जाने लगी । उष्ण वातावरण और भारी वर्षा से किसान बिना किसी खास कठिनार्इ के भारी फसल उगा पाते थे । बौद्ध ग्रंथों में आया है कि मगध के किसान चावलों की अनेक किस्में उगाते थे । अतिरिक्त उपज का इस्तेमाल King अपने सैनिकों और अधिकारियों को वेतन देने के लिए कर सकते थे । अतिरिक्त अन्न के कारण व्यापार भी फला फूला । मगध के जल मार्गो ने पूर्व भारत के व्यापार और वाणिज्य को नियंत्रित Reseller । इन नदियों के किनारे अनेक महत्वपूर्ण नगर, महत्वपूर्ण व्यापार केन्द्रों के Reseller में विकसित हुए, जिस ने मगध के Kingओं को वस्तुओं की बिक्री पर मार्ग कर लगाने की अभिप्रेरणा दी । इससे उन्हें अपार संपदा Singleत्रित करने और विशाल सेना रखने में मदद हुर्इ ।
Fight हाथी मगध की सेना का विशेष अंग थे । मगध पहला राज्य था, जिसने Fight में हाथियों का इस्तेमान बड़े पैमाने पर Reseller । बाकी अन्य राज्य प्राय: रथों और, घोड़रों पर निर्भर थे । दुर्गो को गिराने और दलदल में चलने में हाथी उपयोगी थे । युनानी स्त्रोतां से हमें पता चलता है कि मगध की सेना में 6,000 हाथी थे, जिन्होंने सिकन्दर के नेतृत्व में पंजाब पर कब्जा कर चुके सैनिकों के मन में दहशत पैदा कर दी थी । संभवत: यह उन कारणों में से Single था, जिनकी वजह से मगध साम्राज्य पर आक्रमण करने के स्थान पर वह यूनान वापस लौट गए । मगध के समाज के गैर रूढिवादी चरित्र ने भी अप्रत्यक्ष Reseller से इसके विकास में मदद की। कुछ प्रमुख Historyकारों का मत है कि शक्तिशाली राज्य के Reseller में मगध के उदय का प्रमुख कारण इस क्षेत्र के लोगों का जातीय मिश्रण था । अनेक समुदायों का मिला-जुला Reseller मगध में था, जिससे Single मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ, जो प्रकृति में रूढिवादी वैदिक समाज से बहुत भिन्न थी ।
मगध की भौगोलिक स्थिति ने इसके History को बहुत प्रभावित Reseller । इसने इसे विदेशी आक्रमणों से बचाया और वहां के निवासियों के हित में व्यापार और खेती को बढ़ाया । इसकी लोहे की समृद्ध खानों ने मगध के लोगों को लोहे के हथियार व औजार बनाने में मदद की । मगध के लोगों के जातीय मिश्रण ने उन्हें गैर रूढ़िवादी बनाया ।