प्रशिक्षण क्या है ?
- एडविन बी. फिलिप्पा के According ‘‘प्रशिक्षण किसी कार्य विशेष को करने के लिए Single कर्मचारी के ज्ञान And निपुणताओं में वृद्धि करने का कार्य है’’
- डेल एस. बीच के According’’ प्रशिक्षण Single संगठित प्रक्रिया है, जिसके द्वारा लोग किसी निश्चित उद्देश्य के लिए ज्ञान तथा/अथवा निपुणताओं को सीखने है।’’
- अरून मोनप्पा And मिर्जा एस. सैय्यदैन के According, ‘‘प्रशिक्षण सिखाने/सीखने के क्रियाकलापों से सम्बन्धित होता है, जो कि Single संगठन के सदस्यों को उस संगठन द्वारा अपेक्षित ज्ञान निपुणताओं, योग्यताओं तथा मनोवृत्तियों को अर्जित करने And प्रयोग करने के लिए सहायता करने में प्राथमिक उद्देश्य हेतु जारी रखी जाती है।’’
प्रशिक्षण के विशेषतायें
- प्रशिक्षण, Human संसाधन विकास की Single महत्वपूर्ण उप-प्रणाली तथा Human संसाधन प्रबन्धन के लिए आधारभूत संचालनात्मक कार्यों में से Single है
- प्रशिक्षण कर्मचारियो के विकास की Single व्यवस्थित And पूर्व नियोजित प्रक्रिया होती है।
- प्रशिक्षण Single सतत् जारी रहने वाली प्रक्रिया है।
- प्रशिक्षण सीखने का अनुभव प्राप्त करने की प्रक्रिया है।
- प्रशिक्षण किसी कार्य की व्यावहारिक शिक्षा का स्वReseller होता है।
- प्रशिक्षण के द्वारा कर्मचारियों के ज्ञान And निपुणताओं में वृद्धि की जाती हैं। तथा उनके विचारों, अभिरूचियो And व्यवहारों में परिर्वतन लाया जाता है।
- प्रशिक्षण से कर्मचारियो की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
- प्रशिक्षण Humanीय संसाधनों में उद्देश्यपूर्ण विनियोग है, क्योंकि यह संगठनात्मक लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक होता है।
- प्रशिक्षण प्रबन्धतन्त्र का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है।
अत: निष्कर्ष के Reseller में यह कहा जा सकता है कि प्रशिक्षण, कार्यों को सही And प्रभावपूर्ण ढंग से सम्पन्न करने के लिए कर्मचारियों को जानकारी प्रदान करने की प्रक्रिया है, जिससे कि उनकी कार्य के प्रति समझ, कार्यक्षमता तथा उत्पादकता में वृद्धि हो सके।
प्रशिक्षण And शिक्षा
प्रशिक्षण, शिक्षा से भिन्न होता है तथा दोनों के बीच भेद इस प्रकार के है:-
- प्रशिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी कार्य विशेष को सम्पन्न करने के लिए कर्मचारियों के ज्ञान And निपुणताओं में वृद्धि की जाती है, इसके विपरीत, शिक्षा ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के सामान्य ज्ञान तथा बोध-शक्ति में वृद्धि की जाती है।
- प्रशिक्षण का क्षेत्र Single कार्य विशेष तक ही सीमित होता है, जबकि शिक्षा का क्षेत्र अपेक्षाकृत व्यापक होता है जो कि विभिन्न पहलुओं के सम्बन्ध में सामान्य ज्ञान प्रदान करती है;
- प्रशिक्षण तकनीकी ज्ञान से सम्बन्धित होता है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा तकनीकी And सैद्धान्तिक दोनों ही प्रकार के ज्ञान से सम्बन्धित होती है;
- प्रशिक्षण व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित होता है, जबकि शिक्षा सैद्धान्तिक ज्ञान पर बल देती है; तथा
- प्रशिक्षण रोजगार-उन्मुख होता है, इसके विपरीत शिक्षा व्यक्ति-उन्मुख होती है। शिक्षा And प्रशिक्षण दोनों ही कर्मचारियों के ज्ञान, निपुणताओं तथा योग्यताओं के लिए आवश्यक है, साथ ही दोनो ही परस्पर घनिष्ट Reseller से सम्बन्धित होते है। अत’ यह कहा जा सकता है। कि प्रशिक्षण शिक्षा का भाग है।
प्रशिक्षण And विकास
प्रशिक्षण And विकास भी Single-Second से भिन्न होते है दोनों के बीच भिन्नता को इस प्रकार से समझा जो सकता है:-
- प्रशिक्षण कर्मचारियों को उनके कार्यों के सम्बन्ध में क्रियाओं तथा तकनीकी And सहायक क्षेत्रों के लिए प्रदान Reseller जाता है, जबकि विकास, प्रबन्ध, प्रशासन तथा संगठन आदि के सिद्धान्तों And तकनीकों के क्षेत्र में विकसित करने से सम्बन्धित होता है।
- प्राय: ‘प्रशिक्षण’ Word तकनीकी कर्मचारियों And गैर-प्रबन्धकीय व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त होता है वहीं दूसरी ओर ‘विकास’ Word का प्रयोग अधिकतर प्रबन्धकीय व्यक्तियों के सन्दर्भ में ही Reseller जाता है।
- प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को किसी कार्य को करने के योग्य बनाना होता है, इसके विपरीत विकास का मुख्य उद्देश्य प्रबन्धकीय व्यक्तियों के ज्ञान And निपुणताओं के साथ-साथ व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करना होता है। तेजी से बदलते हुए प्रौद्योगिक तथा सामाजिक, आर्थिक And राजनैतिक वातावरण मे संगठनों के लिए प्रशिक्षण And विकास दोनों ही अत्यन्त आवश्यक हो गये है।
प्रशिक्षण के उद्देश्य
किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके उद्देश्यों का निर्धारण कितनी कुशलता से Reseller गया है। सामान्य: संगठनों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए जो उद्देश्य होते है, वे निम्नलिखित प्रकार से है:-
- कार्य And संगठन की वर्तमान तथा साथ ही परिवर्तित Needओं की पूर्ति के लिए नये तथा पुराने दोनों कर्मचारियों को तैयार करना
- किसी निश्चित कार्य के कुशलतापूर्ण निष्पादन के लिए नव-नियुक्त कर्मचारियों को आवश्यक आधारभूत ज्ञान And निपुणताओं को प्रदान करना।
- संगठन के All स्तरों पर योग्य And कुशल कर्मचारियों की व्यवस्था को बनाये रखना।
- कर्मचारियों को कार्य-दशाओं And संगठनात्मक संस्कृति के अनुकूल बनाना।
- न्यूनतम लागत, अपव्यय And बर्बादी तथा न्यूनतम पर्यवेक्षण पर कर्मचारियों से श्रेष्ठ ढंग से कार्य सम्पादन को प्राप्त करना।
- कर्मचारियों को दुर्घटनाओं से बचाव की विधियों से परिचित कराना।
- नवीन प्रौद्योगिकी And तकनीकी परिवर्तनों से कर्मचारियों को परिचित करवाने तथा बदलते हुए वातावरण के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए कर्मचारियों को विकसित करना।
- स्थानान्तरण And पदोन्नति के सम्बन्ध में नवीन कार्य-दशाओं में समायोजित करने के लिए कर्मचारियों को तैयार करना
- कर्मचारियों को नवीनतम अवधारणाओं, सूचनाओं And तकनीकों के विषय में जानकारी प्रदान करने तथा उन निपुणताओं, जिनकी उन्हें अपने-अपने विशेष क्षेत्रों मे Need है अथवा होगी, उनको विकसित करने के द्वारा उन्हें उनके वर्तमान पदों पर अधिक प्रभावपूर्ण Reseller से कार्य सम्पé करने के लिए सहायता प्रदान करना।
- संगठन के अन्तर्गत समस्त विभागों की कार्य-प्रणाली को सरल And प्रभावी बनाना।
- कर्मचारियों की कार्य सम्पादन सम्बन्धी आदतों में सुधार करना।
- कर्मचारियों की आत्म-विश्लेषण करने की योग्यता तथा कार्य सम्बन्धी निर्णय क्षमता का विकास करनां
- वैयक्तिक And सामूहिक मनोबल, उत्तदायित्व की अनुभूति, सहकारिता की मनोवृत्तियों तथा मधुर सम्बन्धों को बढ़ावा देना।
- संगठन द्वारा आपेक्षित स्तर के आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित करना।
- Human संसाधन विकास के लक्ष्यों की पूर्ति करना।
प्रशिक्षण की Need
प्रशिक्षण किसी कार्य विशेष को सम्पन्न करने हेतु कर्मचारियों को महत्वपूर्ण विशिष्ट निपुणताओं के प्रदान किये जाने से सम्बन्धित होता है। प्रशिक्षण, मुख्य Reseller से कार्य-उन्मुख होता है तथा इसका लक्ष्य वर्तमान कार्य-निष्पादन को बनाये रखना And उसमें सुधार करना होता है। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण निम्नलिखित कारणों से आवश्यक होता है:-
- शैक्षणिक संस्थानों And विश्वविद्यालयों की शिक्षा सैद्धान्तिक ज्ञान की ठोस नींव तो डाल सकती है, किन्तु विभिन्न कार्यों के सफल निष्पादन हेतु व्यावहारिक ज्ञान And विशिष्ट निपुणताओं की Need होती है, जो कि प्रशिक्षण द्वारा ही पूरा की जा सकती है।
- नव-नियुक्त कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक होता है, ताकि वे अपने कार्यों को प्रभावपूर्ण Reseller से सम्पन्न कर सके।
- वर्तमान कर्मचारियों को उच्चतर स्तर के कार्यों के लिए तैयार करने हेतु प्रशिक्षण अनिवार्य होता है।
- वर्तमान कर्मचारियों के लिए पुर्नअभ्यास प्रशिक्षण आवश्यक होता है, ताकि वे कार्य-संचालनों में होने वाले नवीनतम विकासों के साथ-साथ चल सकें। इसके अतिरिक्त तीव्र गाति से होने वाले प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों के लिए भी यह अत्यन्त आवश्यक होता है।
- कर्मचारियों को गतिशील And परिवर्तनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य होता है। इससे उन्हें संगठनात्मक Needओं के According विभिन्न कार्यों पर नियुक्त Reseller जाता सकता हैं।
- कर्मचारी के पास क्या है? तथा कार्य की Need क्या है, इन दोनों के बीच के अन्तर को दूर करने हेतु प्रशिक्षण अत्यन्त आवश्यक होता हैं। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को अधिक उत्पादक And दीर्घकालिक उपयोगी बनाने के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान Reseller जाना आवश्यक होता है।
- अधिसमय, कार्य-लागत, अनुपस्थितता तथा कर्मचारी-परिवर्तन में कमी लाने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
- दुर्घटनाओं की दरों में कमी लाने तथा उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए समय-समय पर कर्मचारियों को प्रशिक्षित Reseller जाना आवश्यक होता है।
प्रशिक्षण के क्षेत्र
प्राय: विभिन्न संगठन अपने कर्मचारियों को निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करते है:-
- ज्ञान: इसके अन्तर्गत प्रशिक्षाथ्र्ाी कार्यो, कर्मचारी-व्यवस्था तथा संगठन द्वारा उत्पादित वस्तुओं अथवा प्रदत्त सेवाओं के विषय में निर्धारित नियमों And विनियमों को सीखते है। इसका उद्देश्य नव-नियुक्त कर्मचारियों को इस सम्बन्ध में पूर्ण Reseller से अवगत कराना होता है कि संगठन के भीतर तथा बाहर क्या-क्या घटित होता है।
- तकनीकी निपुणतायें: इसमें कर्मचारियों को Single विशिष्ट निपुणता (जैसे-किसी यन्त्र का संचालन करना अथवा कम्प्यूटर का संचालन करना) को सिखाया जाता है, ताकि वे उस निपुणता को अर्जित कर सकें तथा संगठन के प्रति Meansपूर्ण Reseller से अपना योगदान दे सकें।
- सामाजिक निपुणतायें: इसके अन्तर्गत कर्मचारियों को कार्य-सम्पादन के लिए Single उचित मानसिक स्थिति का विकास करने तथा वरिष्ठों, सहकर्मियों And अधीनस्थों के प्रति आचरण के ढंगों को सिखाया जाता हैं। इसमें प्रमुख ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि Single कर्मचारी को कार्य-समूह के सदस्य के Reseller में किस प्रकार से समायोजित Reseller जाये।
- तकनीकें: इसमें कर्मचारियों को कार्य सम्पादन की विभिन्न स्थितियों में उनके द्वारा अर्जित ज्ञान And निपुणताओं के प्रयोग के विषय में जानकारी प्रदान की जाती है। कर्मचारियों के ज्ञान And निपुणताओं के सुधार करने के अतिरिक्त, प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों की मनोवृत्तियों को संगठनात्मक संस्कृ ति के अनुReseller ढालना भी होता है। जब Single प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रशासन समुचित ढंग से Reseller जाता है तो इससे संगठन के क्रियाकलापों के लिए कर्मचारियों की निष्ठा, लगाव And वचनबद्धता को स्थायी Reseller से प्राप्त Reseller जा सकता है।
प्रशिक्षण के सिद्धान्त
संगठनात्मक कार्यों की सफलता के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना अनिवार्य होता है। परन्तु कार्य-सम्बन्धी ज्ञान And निपुणताओं के लिए प्रशिक्षण प्रदान Reseller जाना Single जटिल प्रक्रिया है। विद्धानों ने विभिन्न शोधों And प्रयोगों पर आधारित कुछ सिद्धान्तों को विकसित Reseller है। इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों का अनुपालन प्रशिक्षण प्रक्रिया को सुलभ बना देता है तथा इससे प्रशिक्षण के उद्देश्यों को प्राप्त करना भी सम्भव होता है। इनसें से कुछ प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है।
- अभिप्रेरण : प्रशिक्षण कार्यक्रम इस प्रकार का होना चाहिये, जो कि प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अभिप्रेरित कर सके। प्रशिक्षार्थियों को अभिपे्िर रत करने के लिए प्रशिक्षण की उपयोगिता And प्रशिक्षार्थियों की Needओं के बीच Singleात्मकता स्थापित करना आवश्यक है। प्रशिक्षार्थियों की Needयें, सामाजिक आर्थिक And मनोवज्ञै ानिक हो सकती हैं। जब प्रशिक्षाथ्र्ाी यह अनुभव करते हैं। कि प्रशिक्षण उनकी Needओं की पूर्ति की सहायक हो सकता है, तो इसके प्रति उनमें रूचि And उत्साह का उत्पन्न हो जाना स्वाभाविक है।
- प्रगति प्रतिवेदन : प्रशिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाने तथा प्रशिक्षार्थियों के मनोबल को बनाये रखने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक हैं कि प्रशिक्षार्थियों को उनकी प्रगति के विषय में समय-समय पर जानकारी प्रदान की जाये। प्रशिक्षण काल के दौरान प्रशिक्षक द्वारा निरन्तर यह अनुमान लगाया जाना चाहिये कि प्रशिक्षार्थियों ने किन-किन क्षेत्रों में कितनी प्रगति कर ली हैं प्रगति प्रतिवेदन से प्रशिक्षण में नियमितता, तत्परता And प्रभावशीलता बनी रहती है।
- प्रबलन : प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभावपूर्णता के लिए पुरस्कार And दण्ड के माध्यम से प्रशिक्षार्थियों का प्रबलन भी Reseller जाना चाहिये। इसका Means यह है कि प्रगति का मूल्यांकन करने पर अच्छे परिणामों के लिए पुरस्कार तथा खराब परिणामों के लिए दण्डित करने की भी व्यवस्था होना आवश्यक है। पदोन्नति, वेतन-वृद्धि, प्रशंसा And मान्यता आदि के द्वारा अच्छे परिणामों के लिए प्रशिक्षार्थियों को पुरस्कृत Reseller जा सकता हैं। परन्तु दण्ड के सम्बन्ध में प्रबन्धतन्त्र को अत्यन्त ही सावधानी बरतनी चाहिये।
- प्रतिपुष्टि : प्रगति प्रतिवेदन And प्रतिपुष्टि दोनों Single-Second के सहायक सिद्धान्त है। प्रतिपुष्टि को प्रगति प्रतिवेदन का पूरक कहा जा सकता है। इसका आशय यह है कि प्रशिक्षार्थियों को उनकी त्रुटियों And कमियों का ज्ञान प्रशिक्षण की अवधि में समय-समय पर प्राप्त होते रहना आवश्यक है, ताकि समय रहते वे त्रुटियों को सुधार सकें। प्रशिक्षक को भी चाहिए कि वह त्रुटियों के कारणों का पता लगाकर उन्हें सुधारने हेतु प्रयास करें
- वैयक्तिक भिéताये : प्राय: प्रशिक्षार्थियों को सामूहिक Reseller से प्रशिक्षण प्रदान Reseller जाता है, क्योंकि इससे समय And धन दोनों की बचत होती है। परन्तु प्रशिक्षार्थियों की बौद्धिक क्षमता And सीखने की तत्परता Single-Second से भिन्न होती है। अत; प्रशिक्षार्थियों की इन भिन्नताओं को ध्यान में रखकर प्रशिक्षण कार्यक्रम को तैयार Reseller जाना चाहिए।
- अभ्यास : किसी कार्य को भली-भाँति सीखने के लिए उसका वास्तविक अभ्यास अत्यन्त आवश्यक है। केवल व्याख्यान सुनने And चलचित्र आदि देखने से किसी कार्य को सम्पन्न करने की विधि सीखना कठिन होता है। अत:, प्रशिक्षण And सार्थक बनाने के लिए यह भी आवश्यक हैं कि प्रशिक्षाथ्र्ाी को कार्य के अभ्यास का पर्याप्त अवसर प्रदान Reseller जाये
विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण स्तर
प्राय:, किसी भी संगठन में विभिé श्रेणियों के कर्मचारी कार्य करते हैं। इन All कर्मचारियों को Single सा प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता, बल्कि इनके लिए अलग-अलग स्तर के प्रशिक्षण की Need होती है। कर्मचारियों की श्रेणी के आधार पर प्रशिक्षण के विभिé स्तरों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से Reseller जा सकता है:-
- पर्यवेक्षकों के लिए प्रशिक्षण: प्राय: पर्यवेक्षक कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षण करते हैं तथा उन्हें कार्यों के सम्बन्ध में आवश्यक सुझाव देते है। पर्यवेक्षक अधिकतर Single प्रबन्धक के निर्देशन में निरीक्षण And पर्यवेक्षण की सीखते है। इसलिए पर्यवेक्षकों के लिए कार्य पर प्रशिक्षण विधियों पर बल दिया जाना चाहिये। इन विधियों की कमी को विभिé कार्य से पृथक प्रशिक्षण विधियों के द्वारा पूरा Reseller जा सकता है। सामान्यत:, पर्यवेक्षक के प्रशिक्षण में उत्पादन-नियन्त्रण, कार्य And क्रियाकलाप नियन्त्रण, कार्य-पद्धति अध्ययन, समय संसाधन नीतियाँ अधीनस्थों का प्रशिक्षण, परिवेदना निवारण पद्धति, अनुशासनिक प्रक्रिया, सम्प्रेषण, प्रभावी निर्देशन करना, प्रतिवेदन बनाना, निष्पादन मूल्यांकन, कर्मचारी अभिलेख, अनुपस्थितता का निवारण, कर्मचारी-परिवर्तन, औद्योगिक And श्रमिक विधियाँ, नेतृत्व क्षमता तथा दुर्घटनाओं की रोकथाम आदि विषय सम्मिलित Reseller जाता है।
- विक्रय प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण : विक्रय प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण में कार्य पर प्रशिक्षण के साथ-साथ कार्य से पृथक प्रशिक्षण विधियों पर बल दिया जाना चाहिए। विक्रय प्रतिनिधियों को संगठनात्मक ज्ञान, संगठन के उत्पादन, ग्राहकों , प्रतिस्पर्धियों, विक्रय प्रशासन And प्रबन्ध प्रक्रियाओं, ग्राहकों के समक्ष प्रस्तुतीकरण के ढंगों, ग्राहकों की आपत्तियों को निपटाने के तरीकों, संगठन के प्रति निष्ठा तथा संगठन के उत्पादों के विषय में विश्वास सृजन आदि विषयों में प्रशिक्षित Reseller जाता है।
- लिपिकीय कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण : लिपिकीय कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण आावश्यक होता है। इन कर्मचारियों के प्रशिक्षण में कार्य से पृथक प्रशिक्षण विधियों को अपनाया जा सकता है। प्राय: लिपिकीय कर्मचारियों को संगठन की पृष्ठभूमि के विषय में ज्ञान, संगठन की नीतियों, प्रक्रियाओं And कार्यक्रमों, लिखित सम्प्रेषण की विधियों, लिपिकीय योग्यता तथा प्रतिवेदना , अभिलेखों And पत्रावलियों के रखरखाव आदि के विषय में प्रशिक्षित Reseller जाता है।
- कुशल श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण : किसी भी संगठन के कुशल श्रमिक अधिकतर विभिन्न तकनीकी संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित व्यक्ति होते है। फिर भी, कार्य And संगठन की Need तथा संगठनात्मक परिस्थितियों के अनुकूल उन्हें ढालने के लिए प्रशिक्षण प्रदान Reseller जाना आवश्यक होता है। प्राय:, कुशल श्रमिकों को कार्य करने के तरीकों, उत्तरदायित्वों, वरिष्ठ अधिकारियों, अधीनस्थ श्रमिकों, वेतन भुगतान के तरीकों, छुट्टियों And अवकाशों, विभिé कल्याण सुविधाओं तथा अनुशासन के सम्बन्ध में प्रशिक्षित Reseller जाता है।
- अर्द्ध-कुशल श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण : चूँकि, अर्द्ध-कुशल श्रमिकों को तकनीकी ज्ञान First से ही होता है, अत: इनके प्रशिक्षण में अधिक श्रम नहीं करना पड़ता है। फिर भी, इन्हें प्रशिक्षित Reseller जाना आवश्यक होता है। ऐसे श्रमिकों को प्रशिक्षण, विशेषज्ञों द्वारा कार्य पर अथवा प्रशिक्षशालाओं में दिया जाना चाहिये। प्राय:, ऐसे श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण उनकी प्रशिक्षण सम्बन्धी Need पर निर्भर करता है।
- अकुशल श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण : अकुशल श्रमिकों केा उनके कार्यों के आधार पर ही उनके पर्यवेक्षकों द्वारा कार्य स्थल पर ही तथा कार्य करते समय ही प्रशिक्षित Reseller जाना चाहिए। अकुशल श्रमिकों के प्रशिक्षण में कार्य-पद्धति का सुधार करना तथा यन्त्रों, उपकरणों And वस्तुओं का मितव्यतापूर्ण प्रयोग कर उत्पादन लागत में कमी करना आदि को सम्मिलित Reseller जाता है।
प्रशिक्षण के प्रकार
विभिé संगठनों द्वारा अपने उद्देश्यों And Needओं के आधार पर भिé-भिé प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने हेतु Reseller जाता है। उनमें से कुछ प्रमुख का description निम्नलिखित प्रकार से है:-
- कार्य-परिचय अथवा अभिमुखीकरण प्रशिक्षण : इस प्रकार के प्रशिक्षण के उद्देश्य नव-नियुक्त कर्मचारियों को उनके कार्य And संगठन से परिचित कराना होता है। इसके द्वारा नव-नियुक्त कर्मचारियों को संगठन की नीतियों, उद्देश्यों, संगठन की सरंचना, उत्पादन-प्रणालियों तथा कार्य-दशाओं आदि की जानकारी प्रदान की जाती है। यह प्रशिक्षण नव-नियुक्त कर्मचारियों में संगठन के प्रति निष्ठा, रूचि And विश्वास उत्पन्न करने तथा संगठन के साथ Singleात्मकता स्थापित करने के लिए आवश्यक होता है।
- कार्य प्रशिक्षण : कार्य प्रशिक्षण, कर्मचारियों को उनके कार्यों में दक्ष And निपुण बनाने तथा कार्यों की बारीResellerँ समझाने के लिए प्रदान Reseller जाता है, ताकि वे अपने कार्यों का कुशलतापूर्वक सम्पादन कर सकें। इसमें कर्मचारियों को कार्य के विभिन्न पहलुओं, उसमें प्रयुक्त यन्त्रों And उपकरणों तथा कार्यविधियों की जानकारी प्रदान की जाती है। इस प्रकार के प्रशिक्षण से कर्मचारियों की कार्यकुशलता And उत्पादकता में वृद्धि होती है। यह प्रशिक्षण नये तथा पुराने दोनों प्रकार के कर्मचारियों को दिया जाता सकता है।
- पदोéति प्रशिक्षण : संगठन में जब कर्मचारियों को पदोéत Reseller जाता है तो उन्हें उच्च पद के कार्य का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक होता है, ताकि वे अपने नवीन कर्तव्यों And उत्तरदायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वाह कर सकें। सामान्यत: संगठन द्वारा उच्च पदों की भावी रिक्तियों का अनुमान लगाकर सम्भावित प्रत्याशियों को First से ही प्रशिक्षित करने की व्यवस्था की जाती है। कर्इ बार कर्मचारियों को पदोéति के तुरन्त बाद भी प्रशिक्षण प्रदान Reseller जाता है इसमें कर्मचारियों को नये पदों के कर्तव्यों, उत्तरदायित्वों, अधिकारों तथा अन्य कार्यों से सम्बन्धों आदि का ज्ञान करवाया जाता है।
- पुनअभ्यास प्रशिक्षण : वर्तमान परिवर्तनशील वातावरण And तीव्र प्रौद्योगिकीय विकास के परिणामस्वReseller इस प्रकार के प्रशिक्षण का महत्व बढ़ गया है। अत: कर्मचारियों को केवल Single बार प्रशिक्षित कर देना ही पर्याप्त नहीं होता है। उत्पादन में नवीन तकनीकों And यन्त्रों का प्रयोग किये जाने तथा नवीतम कार्य-प्रणालियों को अपनाये जाने की दशा में पुराने कर्मचारियों को पुन: प्रशिक्षित किये जाने की Need उत्पन्न हो जाती है पुराने कर्मचारियों के ज्ञान को तरा-ताजा करने उनकी मिथ्या धारणाओं को दूर करने, उन्हें नवीन कार्य-पद्धतियों And नये सुधारों से परिचित करवाने तथा उन्हें नवीन परिवर्तन से अवगत कराने की दृष्टि से यह प्रशिक्षण आवश्यक है। इस प्रकार ज्ञान का नवीनीकरण एंव विकास सूचनाओं का प्रसार, कार्य-शैलियों में परिवर्तन तथा वैयक्तिक विकास आदि इस प्रशिक्षण के प्रमुख उद्देश्य हैं।
प्रशिक्षण की विधियाँ
विभिé संगठनों द्वारा प्रशिक्षण के लिए अनेक विधियों का प्रयोग Reseller जाता है। प्रत्येक संगठन अपनी Needओं के अनुReseller इनमें से उपयुक्त विधि का चयन करता है। सामान्यत:, ये प्रशिक्षण विधियाँ प्रचालनात्मक तथा पर्यवेक्षकीय कर्मचारियों के लिए प्रयोग की जाती है। प्रशिक्षण की इन विधियों को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित करके समझाा जा सकता है।
- कार्य पर प्रशिक्षण विधियाँ
- कार्य से पृथ्क प्रशिक्षण विधियाँ
कार्य पर प्रशिक्षण विधियाँ
सामान्यत: कार्य पर प्रशिक्षण विधियाँ अत्यधिक प्रयोग में लायी जाती है। इन विधियों में प्रशिक्षार्थियों को संगठन के नियमित कार्यों पर नियुक्त करके उन्हें उन कार्यों को सम्पन्न करने हेतु अनिवार्य निपुणताओं को सिखाया जाता है। प्रशिक्षाथ्र्ाी योग्य कर्मचारियों अथवा प्रशिक्षकों के पर्यवेक्षण And निर्देशन में कार्य सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करते है। कार्य पर प्रशिक्षण, वास्तविक कार्य-दशाओं में प्रत्यक्ष Reseller से ज्ञान प्राप्त करते है। कार्य पर प्रशिक्षण, वास्तविक कार्य-दशाओं में प्रत्यक्ष Reseller से ज्ञान And अनुभवों को प्रदान करने में अत्यन्त उपयोगी होते हैं। प्रशिक्षाथ्र्ाी, कार्य के विषय में सीखने के दौरान, नियमित Reseller से संगठन के कर्मचारी भी होते हैं, जो कि अपनी सेवायें संगठन को देते हैं तथा जिसके लिए उन्हें संगठन द्वारा परिश्रमिक का भुगतान भी Reseller जाता है। इससे प्रशिक्षार्थियों के स्थानान्तरण की समस्या भी समाप्त हो जाती है, क्योंकि वे अपने कार्य पर ही प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते है। इन विधियों के अन्तर्गत कार्यों को किस प्रकार से सम्पादित Reseller जाये इसे सिखाने की अपेक्षा प्रशिक्षार्थियों की सेवाओं को अत्यधिक प्रभावपूर्ण Reseller से प्राप्त करने पर अधिक बल दिया जाता है। कार्य पर प्रशिक्षण विधियों में सम्मिलित है:-
- कार्य परिवर्तन : इस विधि के अन्तर्गत प्रशिक्षाथ्र्ाी का Single कार्य से Second कार्य पर प्रतिस्थापन सम्मिलित होता है। प्रशिक्षाथ्र्ाी, विभिé निर्दिष्ट कार्यों में से प्रत्येक में अपने पर्यवेक्षक अथवा प्रशिक्षक से कार्य का ज्ञान प्राप्त करता है। तथा अनुभवों को अर्जित करना है। यद्यपि, यह विधि प्राय: प्रबन्धकीय पदों के लिए प्रशिक्षण में सामान्य होती हैं। परन्तु कर्मचारी- प्रशिक्षार्थियों को भी कार्यशाला कार्यों में Single कार्य से Second कार्य पर परिवर्तित Reseller जा सकता है। यह विधि प्रशिक्षाथ्र्ाी को Second कार्यों पर नियुक्त कर्मचारियों की समस्याओं को समझने तथा उनका सम्मान करने का अवसर प्रदान करती है।
- कोचिगं : इस विधि में प्रशिक्षाथ्र्ाी को Single विशेष पर्यवेक्षक के अधीन नियुक्त कर दिया जाता है, जो कि उसके प्रशिक्षण में शिक्षक की भाँति कार्य करता है। पर्यवेक्षक प्रशिक्षाथ्र्ाी को उसके कार्य-निष्पादन पर त्रुटियों And कमियों के विषय में बताता है तथा उसे उनके सुधार के लिए कुछ सुझावों को भी प्रस्तुत करता है। प्राय: इस विधि में प्रशिक्षाथ्र्ाी, पर्यवेक्षक के कुछ कर्तव्यों And उत्तरदायित्वों में भागीदार बनता है तथा उसे उसके कार्य-भार से कुछ मुक्ति प्रदान करता है। प्रशिक्षण की इस विधि में जो दोष होता है वह यह कि प्रशिक्षाथ्र्ाी को कार्य सम्पन्न करने में किसी प्रकार की न तो स्वंतंत्रता होती है तथा न ही उसे अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है।
- समूह निर्दिष्ट कार्य : समूह निर्दिष्ट कार्य प्रशिक्षण विधि के अन्तर्गत, प्रशिक्षार्थियों के Single समूह को कोर्इ वास्तविक संगठनात्मक समस्या दी जाती है। तथा उनसे उसका समाधान करने को कहा जाता है। प्रशिक्षाथ्र्ाी संयुक्त Reseller से समस्या का समाधान करते हैं। इस विधि से उनमें दलीय-भावना का विकास होता है।
कार्य से पृथ्क प्रशिक्षण विधियाँ
कार्य से पृथक प्रशिक्षण विधियों के अन्तर्गत प्रशिक्षार्थियों को उनके कार्य की परिस्थितियों से अलग करके केवल उनके भावी कार्य निष्पादन से सम्बन्धित सीखने की विषय-वस्तु And सामग्री पर ही उनका ध्यान केन्द्रित करवाया जाता है। चूँकि इनमें प्रशिक्षार्थियों के कार्य से पृथक रहने से उनके कार्य की Needओं द्वारा उनकी Singleाग्रता भंग नहीं होती है, इसलिए वे अपना सारा ध्यान कार्य सम्पé करने में समय बिताने की अपेक्षा कार्य सीखने में लगा सकते है।
- वेस्टिब्यूल टे्रनिंग : इस विधि में प्रशिक्षण, कार्य स्थल से पृथक Single विशेष प्रशिक्षणशाला में प्रदान Reseller जाता है, जिसमें यन्त्र, उपकरण,कम्प्यूटर तथा अन्य साज-सामान आदि जो कि सामान्यत: वास्तविक कार्य निष्पादन में प्रयुक्त होते हैं, वे भी उपलब्ध होते हैं तथा जहाँ लगभग कार्य स्थल जैसा वातावरण स्थापित Reseller जाता है। सामान्यत: इस प्रकार का प्रशिक्षण लिपिकीय तथा अद्धकुशल कार्यों के कर्मचारियों के लिए प्रयोग Reseller जाता है। यह प्रशिक्षण कुशल पर्यवेक्षकों अथवा फोरमैन द्वारा प्रदान Reseller जाता है। इस विधि के अन्तर्गत सिद्धान्तों को अभ्यास के साथ सम्बद्ध करते हुए प्रशिक्षण दिया जा सकता है। जब प्रशिक्षाथ्र्ाी अपना प्रशिक्षण पूर्ण कर लेते है तो उन्हें कार्य पर नियुक्त कर दिया जाता है।
- रोल प्लेइंग : इस विधि को Humanीय अन्त:क्रिया की Single पद्धति के Reseller में पारिभाषिति Reseller जा सकता है, जिसमें अधिकल्पित परिस्थितियों में वास्तवित व्यवहार सम्मिलित होता है। प्रशिक्षण की इस विधि में कार्य, क्रियाशीलता तथा अभ्यास सम्मिलित होते है। इसमे प्रशिक्षार्थियों को विभिन्न पद काल्पनिक Reseller से सांपै े जाते हैं। तथा उन्हैं। उन पदों की भूमिकाओं का निर्वाह करने को कहा जाता है। उदाहरणार्थ, प्रशिक्षार्थियों में से किसी को विक्रय अधिकारी, किसी को क्रय पर्यवेक्षक तथा किसी को विक्रेता की भूमिका सांपै कर किसी संगठनात्मक समस्या को हल करने के लिए कहा जाता है। प्रशिक्षार्थियों द्वारा भूमिका निर्वाह के समय प्रशिक्षक उनका गम्भीरतापूर्वक अवलोकन करता है तथा बाद में उन्हें उनकी त्रुटियों And कमियों के विषय में जानकारी देता है, ताकि वे वास्तविक कार्य निष्पादन के समय उन्हें दूर कर सकें। इस विधि का अधिकतर प्रयोग अन्तवैंयक्तिक अन्त: क्रियाओं And सम्बन्धों के विकास के लिए Reseller जाता है।
- व्याख्यान विधि : यह Single परम्परागत विधि है, जिसके अन्तर्गत Single अथवा अधिक प्रशिक्षक, प्रशिक्षार्थियों के समूह को व्याख्यान देकर किसी विषय-वस्तु के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करते हैं। प्रशिक्षक को व्याख्यान कला And विषय-वस्त ु का अच्छा ज्ञान होता है। व्यख्यान को प्रभावशाली बनाने के लिए, प्रशिक्षर्थियों को अभिप्रेरित करना तथा उनमें रूचि उत्पन्न करना अनिवार्य होता है। व्याख्यान विधि का Single लाभ यह हैं कि यह Single प्रत्यक्ष विधि है, जिसे कि प्रशिक्षार्थियों के Single बड़े समूह के लिए प्रयोग Reseller जा सकता है। अत: इससे समय And धन, दोनों की बचत होती है। इस विधि का प्रमुख दोष यह है कि इसके द्वारा केवल सैद्धान्तिक ज्ञान की प्रदान Reseller जा सकता है, व्यवाहारिक ज्ञान नहीं ।
- सम्मेलन अथवा विचार-विमर्श विधि: इस विधि के अन्तर्गत, सामूहिक विचार-विमर्श द्वारा सूचनाओं And विचारों का आदान-प्रदान Reseller जाता है। इसके उद्देश्य Single समूह के ज्ञान And अनुभव से All को लाभान्वित करना होता है। इस विधि के अन्तर्गत भाग लेने वाले प्िरशक्षाथ्र्ाी विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को प्रस्ततु करते हैं, तथ्यों, विचारों And आँकडों का आदान-प्रदान And परीक्षण करते हैं, मान्यताओं की जाँच करते हैं, निष्कर्षों को निकालते है तथा परिणामस्वReseller कार्यों के निष्पादन में सुधार हेतु योगदान देते है।
- प्रोग्राम्ड इन्स्ट्रक्शन : हाल ही के वर्षों में यह विधि काफी लोकप्रिय हुर्इ है। इस विधि में जो भी विषय-वस्तु सिखायी जानी होती है, उसे सावधानीपूर्वक नियोजित कर क्रमिक इकाइयों के Single अनुक्रम में प्रस्तुत Reseller जाता है। ये इकाइयाँ अनुदेशक के सरल से जटिल स्तर की ओर व्यवस्थित की गयी होती हैं। इन इकाइयों को प्रशिक्षाथ्र्ाी प्रश्नों के उत्तर देकर अथवा रिक्त स्थानों को भरकर पर करते है। तथा आगे बढ़ जाते हैं। इस विधि का प्रमख्ु ा लाभ यह हैं। कि प्रशिक्षाथ्र्ाी अपने सीखने का समायोजन अपनी सुविधानुसार किसी भी स्थान पर कर सकते है। आज सांख्यिकी विज्ञान And कम्प्यूटर के क्षेत्र में अनेक प्रोग्राम्ड बुक उपलब्ध हैं। यह विधि समय And धन के हिसाब से खर्चीली होता है।
प्रशिक्षण की प्रक्रिया
प्रशिक्षण Single ऐसी प्रक्रिया हैं। जिसके द्वारा संगठनों के कर्मचारियों के ज्ञान, निपुणताओं तथा रूचियों में वृद्धि की जाती है। विभिन्न संगठनों की परिवर्तित Needओं को ध्यान में रखते हुए यह अत्यन्त आवश्यक है कि कर्मचारियों के लिए उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायें। Single आदर्श प्रशिक्षण प्रक्रिया के महत्वपूर्ण चरण निम्नलिखित प्रकार से है-
- प्रशिक्षण Needओं की निर्धारण: प्रशिक्षण प्रक्रिया चरण में प्रशिक्षण की Needओं का निर्धारण Reseller जाता है। प्रशिक्षण Needओं की निर्धारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण चरण होता है, क्योंकि इसी के आधार पर हीे प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण की विधियों तथा प्रशिक्षण की विषय-वस्तु को निर्धारित Reseller जाता है। प्रशिक्षण Needओं का निर्धारण निम्नलिखित प्रकार के विश्लेषणों के माध्यम से Reseller जा सकता है।
- संगठनात्मक विश्लेषण: इसमें संगठन के उद्देश्य, विभिन्न क्षेत्रों में संगठनात्मक वातावरण का गहन अवलोकन जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में संगठनात्मक क्षमताओं And कमजोरियों, जैसे- दुर्घटनाओ, बार-बार यन्त्रों की टूट-फूट, अत्याधिक कर्मचारी-परिवर्तन बाजार अंश And बाजार सम्बन्धी अन्य क्षेत्रों, उत्पादन की गुणवत्ता And मात्रा उत्पादन-सारणी, कच्चा माल तथा वित्त आदि का विश्लेषण सम्मिलित है।
- विभागीय विश्लेषण: इसमें विभिन्न विभागों की विशेष समस्याओं अथवा उन विभागों के कर्मचारियों के Single समूह की सामान्य समस्या, जैसे-ज्ञान And निपुणताओं को प्राप्त करने की समस्या सहित, विभिन्न विभागीय क्षमताओं And कमजोरियों आदि का विश्लेषण सम्मिलित है।
- कार्य And भूमिका विश्लेषण: इसमे विभिन्न कार्यों And उनकी भूमिकाओं, परिवर्तनों के परिणामस्वReseller किये गये कार्य अभिकल्पों, कार्य-विस्तार तथा कार्य समृद्धिकरण आदि का विश्लेषण सम्मिलित है।
- Humanीय संसाधन विश्लेषण : इसमें कार्यों के ज्ञान And निपुणताओं के क्षेत्रों में संगठन के कर्मचारियों की क्षमताओं And कमजोरियों का विश्लेषण सम्मिलित है।
- प्रशिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण: प्रशिक्षण की प्रक्रिया का अगला चरण इसके उद्देश्य का निर्धारण करना होता है Single बार प्रशिक्षण की Need का निर्धारण कर लेने से इसके उद्देश्यों को इंगित करना सरल हो जाता है। प्रशिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण अत्यन्त ही सावधानीपूर्वक Reseller जाना चाहिए क्योंकि सम्पूर्ण प्रशिक्षण की सफलता इसके उद्देश्यों द्वारा ही निर्देशित होती है।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम का संगठन: प्रशिक्षण Needओं And उद्देश्यों का निर्धारण हो जाने के बाद अगला चरण प्रशिक्षण कार्यक्रम का संगठन अथवा नियोजन करना होता है। यह अत्यन्त ही महत्वपूर्ण चरण होता है। क्योंकि इसके द्वारा सम्पूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम की Resellerरेखा तैयार की जाती है। इसके अन्तर्गत संगठन का प्रबन्धतन्त्र विचार-विमर्श के द्वारा इन बातों के विषय में निर्णय करता है कि:
- किन-किन कर्मचारियों को प्रशिक्षित Reseller जाना है।
- प्रशिक्षण की विषय-वस्तु क्या होगी ।
- किन-किन विधियों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान Reseller जायेगा।
- प्रशिक्षण का समय, अवधि And स्थान क्या होगा।
- कौन-कौन से व्यक्ति प्रशिक्षक होंगे, आदि।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्याकंन
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तिम चरण में उसका मूल्यांकन Reseller जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन प्रशिक्षण के उद्देश्यों And लक्ष्यों से प्रत्यक्ष Reseller से सम्बन्धित होता है। इसमें प्रशिक्षण की Need And उद्देश्यों के परिपेक्ष््र य में प्रशिक्षण कार्यक्रम के परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन Reseller जाता है तथा यह ज्ञात Reseller जाता है। कि प्रशिक्षण कार्यक्रम कितना सफल रहा है। साथ ही प्रशिक्षण के बाद संगठन के उत्पादन, अनुपस्थितता, कर्मचारी-परिवर्तन, दुर्घटनाओं तथा कर्मचारी मनोबल आदि पर पड़ने वाले प्रभाव का भी मूल्यांकन Reseller जाता हैं।