जन स्वास्थ्य की अवधारणा
मनुष्य के जीवन और उसकी खुशी के लिए स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण किसी अन्य वस्तु की कल्पना कर पाना कठिन है क्योंकि स्वास्थ्य Human जीवन की Single अनमोल सम्पत्ति है Human जीवन में स्वास्थ्य के महत्व को स्वीकारते हुए संविधान में इसे राज्य सूची में शामिल Reseller गया है। यहाँ राज्य का यह दायित्व है कि सार्वभीम स्वास्थ्य सेवाओं तक सबकी पहुँच हो तथा भुगतान असमर्थता की वजह से किसी को भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न होना पड़े।
सामान्यत: स्वास्थ्य से तात्पर्य बिमारियों से मुक्त होने से समझा जाता है, परंतु वैज्ञानिक दृष्टि से इसे स्वास्थ्य नहीं कहा जाता है। स्वास्थ्य होने का तात्पर्य शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक And सामाजिक Reseller से स्वस्थ व्यक्ति से है। स्वास्थ्य किसी भी समाज की आर्थिक प्रगति के लिए अनिवार्य है। ऋ शाब्दिक दृष्टि से जन स्वास्थ्य का आशय जनता के स्वास्थ्य से है। क्योंकि जन से आशय जनता से तथा ‘स्वास्थ्य’ का Means उसका शारीरिक-मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होने से है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के According – ‘‘स्वास्थ्य से आशय रोगों And शारीरिक दुर्बलताओं के अभाव मात्र से ही नहीं है वरन् शारीरिक मानसिक तथा सामाजिक Reseller से मनुष्य का पूरी तरह ठीक होना है।’’ का पूरी तरह ठीक होना है। Meansात् शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कल्याण की सम्पूर्ण अवस्था से है।
भारत में निम्न जन स्वास्थ्य स्तर के कारण
भारत में स्वास्थ्य स्तर बहुत निम्न है जो देश के आर्थिक, सामाजिक And सांस्कृतिक विकास में बाधक है। देश में हीन किस्म की Human पूँजी विकास में अवरोधक है। स्वास्थ्य अन्य अनेक गंभीर समस्याओं में से Single है जिसका समाधान आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। स्वास्थ्य स्तर गिरा होने के कारण ही Indian Customerों की उत्पादन क्षमता, कार्य क्षमता कार्य अवधि। जीवन में। औसत आयु विकसित देशों की तुलना में कम है तथा मृत्यु दर, शिशु, मृत्युदर मातृदर बहुत अधिक है। आज यहाँ संतुलित आहार की गंभीर समस्या है तथा महामारियों और बिमारियों का प्रकोप बना हुआ है। जनसंख्या की व्यापकता निर्धनता और प्रति व्यक्ति आय का कम होना कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारक है जिनसे स्वास्थ्य समस्या गहन Reseller से संबंधित है। भारत में जनस्वास्थ्य स्तर निम्न होने के अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक व आर्थिक कारण है, उनमें कुछ प्रमुख चरणों का History Reseller जा रहा है।
1. निर्धनता And प्रति व्यक्ति आय का कम होना:-
भारत Single निर्धन देश है। कहा जाता है कि ‘भारत Single सम्पन्न देश है जहाँ के निवासी निर्धन है। तात्पर्य यह है कि देश में प्राकृतिक साधनों की कमी नहीं है। साधनों की दृष्टि से भारत सम्पन्न है पर यहाँ के निवासी कर्इ कारणों से उसका पूर्ण और सद्-उपयोग नहीं कर पा रहा है और गरीब है। निर्धरता और प्रति व्यक्ति आय कम होने के कारण अधिकांश जनता को पेट भर दिन में दोनों समय भोजन नसीब नहीं है। जहाँ भरपेट भोजन ही नहीं मिलता हो वहाँ घी, दूध, फल व अन्य प्रोटीन युक्त पोष्टिक पदार्थ आवश्यक मात्रा में ग्रहण करने का प्रश्न ही नहीं उठता हे। निर्धनता के कारण न तो लोग पर्याप्त और पौष्टिक भोजन ही प्राप्त कर पाते है न रहने के लिए उचित वातावरण में मकान ही प्राप्त कर पाते है। यही कारण है कि यहाँ के नागरिकों का स्वास्थ्य स्तर बहुत ही गिरा हुआ है और मृत्युदर अधिक है।
2. अज्ञानता, अंधविश्वास तथा अशिक्षा:-
भारत की अधिकांश जनता अशिक्षित है। आज भी भारत में साक्षरता का प्रतिशत 35: से अधिक नहीं है। अधिकांश जनता अशिक्षित होने के कारण अज्ञानता के अंधकार में डूबी है, जिसके कारण लोग स्वास्थ्य संबंधी नियमों से अनभिज्ञ हे, स्वास्थ्य व स्वच्छता के महत्व को नहीं समझते।
3. स्वच्छ पेयजल And सफार्इ की व्यवस्था का अभाव:-
स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल और साफ-सफार्इ का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन भारत में कुछ तो साधन और सुविधाओं के अभाव में और कुछ अशिक्षा और अज्ञानता के कारण इस संबंध में स्थिति अभी भी दयनीय है।
4. गंदी व अपर्याप्त आवास व्यवस्था:-
स्वास्थ्य पर आवास तृतसंबंधी वातावरण और सुविधाओं का बहुत अधिक प्रभाव होता है। दुर्भाग्य से हमारे देश में मकानों की दशा बहुत ही शोचनीय है। न तो उनमें रहने के लिए पर्याप्त स्थान है न ही प्रकाश, हवा व धुऑ गंदे जल की निकासी की उपयुक्त व्यवस्था है। गाँव में 85: से अधिक मकान मिट्टी न घास, फूस के बने होते है जिनमें स्थान, खिड़की, रोशनदान, मल-मूत्र के लिए पृथक व्यवस्था व अन्य सुविधाओं का बहुत अभाव है। गंदी व अपर्याप्त आवास व्यवस्था में स्वास्थ्य स्तर निम्न होना स्वाभाविक है।
5. कार्य-स्थल का अस्वस्थकर वातावरण:-
हर मनुष्य जीवन की Needओं को पूरा करने के लिए कोर्इ न कोर्इ कार्य या व्यवसाय करता है। उसके स्वास्थ्य पर कार्य की प्रकृति और कार्य करने के स्थल की दशाओं का भी प्रभाव होता है। भारतमें आज भी औद्योगिक कारखानों, खानों And दुकानों में जहाँ भारी मात्रा में लोग कार्य करते है वहाँ की दशाएँ बहुत ही अस्वास्थ्यकर है।
6. बाल विवाह:-
भारत में स्वास्थ्य-स्तर निम्न होने का Single कारण कम उम्र में विवाह होना भी है। कम व कच्ची उम्र में विवाह होने के कारण वर व वधू दोनों का स्वाथ्र्य पूर्ण विकास होने के पूर्व ही गिरना प्रारंभ हो जाता है।
7. पर्दा प्रथा:-
Indian Customer समाज में विशेष कर ग्रामीण व मुस्लिम समुदायों में स्त्रियों में पर्दा प्रथा का बहुत अधिक प्रचलन है जिसमें महिलाओं को खुली हवा और धूप से वंचित रहना पड़ता है और वे तरह-तरह की बिमारियों का शिकार होने के बावजूद भी पर्दा व सकोच के कारण उन्हें स्पष्ट नहीं कर पाती और उचित समय पर चिकित्सा सेवाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता जिससे स्त्रियों का स्वास्थ्य स्तर निम्न है।
8. विधवा पुनर्विवाह पर निषेध:-
भारत में आज भी सामाजिक व धार्मिक दृष्टि से विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति नहीं है। Single तो बाल-विवाह के कारण देश में बाल-विधावाओं की संख्या अधिक है Second पुन: विवाह की आज्ञा न होने के कारण उन्हें घुटन के वातावरण में अभिशप्त और कलंकित जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होना पड़ता है जिससे उनका स्वास्थ्य स्तर स्वाभाविक Reseller से गिर जाता है।
9. चिकित्सा विज्ञान का पिछड़पन व चिकित्सा सुविधाओं की कमी:-
भारत का चिकित्सा विज्ञान आज भी विकसित देशों की भांति पूर्ण विकसित नहीं है। साथ ही ग्रामों में रहने वाली 20: जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा सेवाएँ सस्ती-दर पर उपलब्ध नहीं है। इसका कारण चिकित्सा सेवाओं का पर्याप्त प्रसार न होना तथा जनता की निर्धनता है।
10. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी:-
भारत में जहाँ चिकित्सा And स्वास्थ्य की व्यवस्था की गर्इ है वहाँ उस प्रकार से अन्य सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गर्इ है जिससे स्वास्थ्य की समस्या उसी अवस्था में बनी रहती है और इसका प्रभाव Indian Customer Meansव्यवस्था प्रणाली पर पड़ती है।
11. बीमारियों की व्यापकता:-
भारत में स्वास्थ्य स्तर निम्न होने के उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त उपयोग संबंधी बुरी आदते, नशीली वस्तुओं का प्रयोग, गर्म जल वायु, दोषपूर्ण आनुवंशिकता, सामाजिक कुप्रथाएॅ And अंधविश्वास, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव, अश्रितों की अधिक संख्या, अविवेकपूर्ण मातृत्व तथा इससंदर्भ में शिक्षा व प्रशिक्षण का अभाव है। जब तक इन कारणों का दूर नहीं Reseller जायेगा तब तक Indian Customerों का स्वास्थ्य स्तर ऊपर उठाना संभव नहीं होगा।
भारत में जन स्वास्थ्य स्तर में सुधार के लिए सुझाव
भारत Single विकासशील देश है जो कल्याणकारी, समाजवादी समाज की स्थापना का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ने का प्रयत्न कर रहा है। देश में जो भी विकास, सुधार और निर्माण संबंधी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उनके मार्ग में तथा समाज में सर्वागीण विकास के मार्ग में जनसंख्या का निम्न स्वास्थ्य स्तर तक बहुत बड़ी कल्पना नहीं कर सकते। यहाँ हम संक्षेप में उन सुझावों की Discussion करेंगे। जिनके द्वारा देश में व्याप्त निम्न जनस्वास्थ स्तर की समस्या का स्थायी Reseller से समाधान संभव हो सकता है-
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाया जाये इसके लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रभावशाली ढंग से लागू करना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा को अध्ययन में अनिवार्य विषय के Reseller में प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर तक पढ़ाया जाना चाहिए।
- महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा, पोषण, प्रसूति व आहार संबंधी शिक्षा देने के साथ-साथ इनके प्रति जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए।
- पौष्टिक आहार संबंधी जानकारी की व्यवस्था की जानी चाहिए और शिक्षा संस्थाओं में बच्चों को पौष्टिक आहार का वितरण कराया जाए।
- देश में पौष्टिक और स्वास्थ्यर्वधक खादय पदार्थो का उत्पादन तेजी से हो तथा उनका समुचित वितरण Reseller जाना चाहिए।
- देश में व्याप्त निर्धनता की हर-संभव प्रयत्नों से दूर करना चाहिए।
- चिकित्सा विज्ञान को प्रगतिशील बनाने के साथ-साथ चिकित्सा सेवाओं में पर्याप्त विस्तार Reseller जाना चाहिए।
- जनस्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं में वृद्धि व विस्तार Reseller जाता है।
- पेयजल की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
- बीमारियों की रोकथाम के लिए हर दृष्टि से व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए।
- नियोजित नगरों का विकास भी स्वास्थ्य के सुधार की दिशा में उपयोगी होना।
- ऐसी समस्त सामाजिक, धार्मिक, कुप्रथाओं, रूढियों, और अंधविश्वाओं के विरूद्ध जीवन स्वास्थ्य की प्रगति में बाधक है जबर्दस्त आंदोलन चलाकर इन्हें शीघ्र दूर कर स्वास्थ्य के लिए अनुकूल सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण करना अनिवार्य है।