सूफी आंदोलन क्या है ?
भारत मेंं सूफी सम्प्रदाय का विकास –
First अरब व्यापारी के साथ दक्षिण भारत में सुफी मत के लोग आये थे । भारत में अबुल हसन हूज सूफी मत का वास्तविक प्रचारक था । उसका जन्म गजनी में और शिक्षा बगदाद में हुर्इ । And उसका निधन लाहौर में हुआ था । सूफी सम्प्रदाय का उत्तरी भारत में 12वीं शताब्दी में मोर्इनुद्दीन चिश्ती ने प्रचार Reseller था । बाबा फखरूद्दीन ने दक्षिण भारत में तेरहवीं शताब्दी में सूफी मत का प्रचार Reseller था। इस्लाम का प्रचार धीरे-धीरे बढ़ने लगा।
इस्लाम धर्म की नींव पैगम्बर मुहम्मद ने डाली थी । इस्लाम ने अपने अंदर अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक आंदोलन का उदय देखा थ । यह आंदोलन मुख्य कुरान की व्याख्या के चारों ओर केन्द्रित थे । इस्लाम के मुख्यतया दो सम्प्रदायों की विशेष जानकारी मिलती है । जो इस प्रकार है 1. शिया 2. सुन्नी इन सम्प्रदायों का धार्मिक ही नहीं अपितु राजनीतिक क्षेत्रों में भी विभाजन हुआ है। मध्यकालीन भारत में उत्तरी भारत के King सुन्नी थे जबकि दक्षिण भारत के जैसे – बीजापुर, गोल कुण्डा, अहमदनगर के King शिया थे । सुन्नी मुसलमान के According इस्लामी विधान की चार विचार धारायें थी । जैसे – कुरान, हादीस, हनीकी, इनमें से हनीकी विचार धारा को तुर्को ने अपनाया वहीं तुर्क भारत में आये ।
सूफी सम्प्रदाय की विचारधारा उलेमाओं से विपरित थी । सूफी रहस्यवादी थे वे पवित्र धार्मिक लोग थे । सूफी दर्शन उलेमाओं से भिन्न था । भक्ति सन्तों की भांति सूफीयों ने धर्म को र्इश्वर से प्रेम और मनुष्य की सेवा मना है। सूफियों का गुरू पीर होता था जिसे ख्वाजा या शेख कहा जाता था । सूफी सम्प्रदाय के विकास हेतु वे धार्मिक सभा का आयोजन भी करते थे ।
सूफी मत के सिद्धांत –
सूफी मत के सिद्धांत भक्ति मार्ग के सिद्धांत से मिलते जुलते है । उनकी विशेषतायें निम्नानुसार है-
- Singleेश्वरवादी – सूफी मतावलम्बियों का विश्वास था कि र्इश्वर Single है आरै वे अहदैतवाद से प्रभावित थे उनके According अल्लाह और बन्दे में कोर्इ अन्तर नहीं है । बन्दे के माध्यम से ही खुदा तक पहुंचा जा सकता है।
- भौतिक जीवन का त्याग – वे भौतिक जीवन का त्याग करके र्इश्वर मे लीन हो जाने का उपदेश देते थे ।
- शान्ति व अहिंसा मेंं विश्वास – वे शान्ति व अहिसां में हमेशा विश्वास रखते थे ।
- सहिष्णुता – सूफी धर्म के लोग उदार होते थे वे All धर्म के लोगों को समान समझते थे ।
- प्रेम – उनके According पे्रम से ही र्इश्वर प्राप्त हो सकते हैं। भक्ति में डूबकर ही इसं ान परमात्मा को प्राप्त करता है।
- इस्लाम का प्रचार – वे उपदेश के माध्यम से इस्लाम का प्रचार करना चाहते थे ।
- प्रेमिका के Reseller मे कल्पना – सूफी संत जीव को प्रेमी व र्इश्वर को प्रेमिका के Reseller में देखते थे ।
- शैतान बाध – उनके According र्इश्वर की प्राप्ती में शैतान सबसे बाधक होते हैं ।
- हृदय की शुद्धता पर जोर – सूफी संत, दान, तीर्थयात्रा, उपवास को आवश्यक मानते थे।
- गुरू एव शिष्य का महत्व – पीर (गुरू) मुरीद शिष्य के समान होते थे ।
- बाह्य्य आडम्बर का विरोध – सूफी सतं बाह्य आडम्बर का विरोध व पवित्र जीवन पर विश्वास करते थे
- सिलसिलो से आबद्ध – सूफी सतं अपने वर्ग व सिलसिलो से सबंध रखते थे ।
सूफी सम्प्रदाय के प्रमुख संत –
- ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती – भारत में चिश्ती सम्प्रदाय के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती थे इनका जन्म र्इरान के सिस्तान प्रदेश में हुआ था । बचपन में उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया वे ख्वाजा उस्मान हसन के शिष्य बन गये और वे अपने गुरू के निर्देश में 1190 को भारत आ गये । वे अद्वैतवाद And Singleेश्वरवाद की शिक्षा देते हुए Human सेवा ही र्इैश्वर की सच्ची भक्ति है । हिन्दु के प्रति उदार थे ।
- निजामुदुदीन औलियों – निजामुदुदीन औलियां का जन्म बदॉयू में 1236 में हुआ था । 20 वर्ष की आयाु में वे शेख फरीद के शिष्य बन गये । उन्होंने 1265 में चिश्ती सम्प्रदाय का प्रचार प्रारंभ कर दिया था । वे All को र्इश्वर प्रेम के लए प्रेरित करते थे । जो लोग उनके यहां पहुंचते थे उन्हें वे संशारीक बन्धनों से मुक्ति दिलाने में सहायता करते थे ।
- अमीर खुसरो – अमीर खुसरों का जन्म 1253 में एटा जिले के पटियाली नामक स्थान में हअु ा था । वे Single महान सूफी संत थे । वे 12 वर्ष में ही कविता कहने लगे थे । उन्होंने अपने प्रयास से ‘‘तुगलक नामा’’ की Creation की वे महान साहित्यकार थे । वे संगीत के विशेषज्ञ थे । उन्होंने संगीत के अनेक प्रणालियों की Creation की वे संगीत के माध्यम से हिन्दू मुसलमानों में Singleता स्थापित Reseller ।
इस प्रकार सूफी मत के भारत में अनके सम्पद्राय थे ।
1. चिश्ती सम्प्रदाय, 2. सुहरावादियॉं सम्प्रदाय,
3. कादरिया सम्प्रदाय, 4. नक्शबदियॉं सम्प्रदाय,
5. अन्य सम्प्रदाय (शत्तारी सम्प्रदाय) आदि ।
सूफी मत का प्रभाव –
सूफी मत से भारत में हिन्दू मुस्लिम Singleता स्थापित हो गयी । King And शासित वर्ग के प्रति जन कल्याण के कार्यों की प्रेरणा दी गयी । संतों ने मुस्लिम समाज को आध्यात्मिक And नैतिक Reseller से संगठित Reseller गया ।