उपभोक्ता फोरम क्या है ?
उपभोक्ता फोरम का गठन –
संरक्षण अधिनियम की धारा 10 के अन्तर्गत प्रत्येक जिले में Single उपभोक्ता फोरम का गठन करने का प्रावधान है। त्रिस्तरीय न्याय व्यवस्था की यह First संस्था है। इस फोरम का अध्यक्ष वह व्यक्ति हो सकता है, जो जिला जज हो या रह चुका हो। इसके अलावा इसमें दो सदस्य (Single महिला सहित) और होंगे जो योग्य विश्वसनीय तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होंगे और जिन्हें Meansशास्त्र, कानून, वाणिज्य, लेखाकर्म, उद्योग, सार्वजनिक मामलों या प्रशासन के क्षेत्र से संबंधित समस्याओं के निराकरण का पर्याप्त अनुभव, ज्ञान तथा क्षमता होगी। ये Appointmentयॉं राज्य सरकार द्वारा चयन समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखकर की जाएगी।
उपभोक्ता फोरम का कार्यकाल And वेतन –
जिला फोरम के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल या तो पॉंच वर्ष का होगा अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक (जो भी First हो)। यदि कोर्इ सदस्य त्यागपत्र दे देता है तो उसके स्थान पर इसी प्रकार की योग्यता वाले Second व्यक्ति को नियुक्त Reseller जा सकता है। सदस्यों के वेतन या सम्मान राशि, भत्ते आदि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किये जायेंगे। अन्य श्शर्तें भी राज्य सरकार निर्धारित करेंगी।
उपभोक्ता फोरम का क्षेत्राधिकार –
जिला फोरम पॉंच लाख रू. तक के दावों की सुनवार्इ कर सकेगा। शिकायत वहॉं दर्ज करार्इ जायगी, जहॉ प्रतिवादी पक्ष वास्तव में रहता है या व्यवसाय चलाता है अथवा लाभार्जन के लिए व्यक्तिश: कार्य करता है अथवा जहॉं वाद उत्पन्न होता है। जिला फोरम को दीवानी न्यायावलय के सरे अधिकार रहेंगे।
शिकायत किसके द्वारा की जा सकती है? –
बेचे गये या बेचे जाने वाले माल अथवा की गर्इ या की जाने वाली सेवा के संबंध में शिकायत जिला फोरम को के द्वारा की जा सकती है-
- माल अथवा सेवा का उपभोक्ता।
- मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संघ, जिसका वह उपभोक्ता सदस्य हो।
- Single ही बात में अनेक उपभोक्ताओं का हित निहित हो, तो ऐसी दशा में Single या अधिक उपभोक्ता उन सबकी ओर से शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।
- केन्द्र या राज्य सरकार।
शिकायत प्राप्त होने पर जिला फोरम द्वारा कार्यवाही –
जेसे ही जिला फोरम को किसी माल के संबंध में कोर्इ शिकायत प्राप्त होती है, तो वह शिकायत की Single प्रति प्रतिवादी पक्ष को तीस दिन के भीतर या बढ़ार्इ गर्इ (15 दिन से अधिक नहीं) अवधि में भेजेगा। यदि प्रतिवादी पक्ष शिकायत की प्रति मिलने पर शिकायत में लगाये गये आरोपों को मानने से इन्कार करता है अथवा निर्दिष्ट अवधि में जिला फोरम के समक्ष अपना पक्ष नहीं रखता है या उसमें आनाकानी करता है, तो जिला फोरम निर्दिष्ट रीति से निराकरण कर देगा। यदि शिकायत माल में किसी दोष या खराबी से संबंधित है और इसका सत्यापन करने क े लिए उचित विश्लष्े ाण या परीक्षण जरूरी है, तो जिला फोरम ऐसे माल का नमूना लेकर उस पर अपनी सील लगाकर पैक करके किसी सक्षम प्रयोगशाला में जॉंच हेतु भेज देगा तथा जॉंच के संबंध में अपने निर्देश भी जारी कर देगा। प्रयोगशाला अपनी छानबीन की रिपोर्ट 45 दिनों के भीतर जिला फोरम को दे देगी। जिला फोरम शिकायत कर्ता या वादी पक्ष से प्रयोगशाला की जॉंच का श्शुल्क भी जमा कराने का निर्देश दे सकता है। जॉंच की रिपोर्ट आ जाने पर जिला फोरम प्रतिवादी पक्ष को रिपोर्ट के संबंध में लिखित में आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है। इसके बाद जिला फोरम वादी तथा प्रतिवादी पक्ष को प्रकरण की यथार्थता के बारे में सुनवार्इ का उचित अवसर देगा। जिला फोरम उपयुक्त आदेश जारी करेगा।
कार्यवाही के बाद आदेश जारी करना –
उपर्युक्त कार्यवाही के बाद जिला फोरम यदि इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि शिकायत वाले माल में दोष है या सेवा के संबंध में की गर्इ शिकायत सही है, तो वह प्रतिवादी पक्ष को निम्न के संबंध में आदेश जारी कर सकता है-
- प्रयोगशाला द्वारा बतलार्इ गर्इ माल की खराबी दूर की जाए।
- खराब माल के बदले उसी प्रकार का नया माल दे, जिसमें किसी प्रकार का दोष न हो।
- शिकायतकर्ता को माल की कीमत या चुकार्इ गर्इ राशि वापिस कर दें।
- प्रतिवादी पक्ष की उपेक्षा के कारण उपभोक्ता को यदि कोर्इ क्षति या चोट पहुॅंची हो, तो उसे इसके संबंध में क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान करे।
- सेवा में कमी या दोष को दूर करे।
- अनुचित व्यापारिक व्यवहार यसा अवरोधक व्यापारिक व्यवहार समाप्त कर दें या उनकी पुनरावृत्ति नहीं होने दें।
- खतरनाक माल विक्रय हेतु।
- बेचने के लिए पस््र तुत Reseller गया खतरनाक माल वापिस मॅंगवाले
- पक्षकार को पयार्प् त रकम का भुगतान करे, जो उसे वहन करनी पडी़ हो।
अपील –
जिला फोरम द्वारा जारी किये गये आदेश के विरूद्ध प्रान्तीय आयोग (राज्य आयोग) को ऐसे आदेश जारी करने की तिथि के तीस दिन के भीतर अपील की जा सकती है। यह अपील तीस दिन के बाद भी स्वीकार की जा सकती है, यदि राज्य आयोग को ऐसा प्रतीत हो कि निर्दिष्ट अवधि में अपील नहीं कर सकने का कोर्इ पर्याप्त कारण था।