समाचार तथा जनमत के लिए लोगों का साक्षात्कार
28 मर्इ 2010 को पश्चिम बंगाल में नक्सलवादियों द्वारा रेल लार्इन में विस्फोट की घटनाओं के सन्दर्भ में देखें तो ज्ञानेश्वरी Single्सपे्रस के इस रेल हादसे में घटना स्थल पर मौजूद Single रेल यात्री ने सबसे First Single टीवी चैनल को अपने मोबाइल के जरिए घटना की सूचना दी। टेलीविजन चैनल ने उस यात्री से अनुरोध Reseller कि वह मौके पर घायलों की संख्या, बचे हुए लोगों की जानकारी आदि सूचनायें जुटाए और जब पांच मिनट बाद चैनल ने उस यात्री का उसी के मोबाइल फोन के जरिए साक्षात्कार लिया तो यह बात स्पष्ट हो गर्इ कि ट्रेन की कौन-कौन सी बोगियाँ पभ््राावित हुर्इ है। और किन-किन बोगियों के यात्री सकुशल है। । इस तीन मिनट के साक्षात्कार ने टे्रन में सफर कर रहे उन यात्रियों के हजारों परिजनों को तत्काल मानसिक राहत पहुंचार्इ जिनकी बोगियाँ दुर्घटना ग्रस्त नहीं हुर्इ थीं ।
इसी तरह मर्इ 2010 में उड़ीसा में आए समुद्री तूफान ‘लैला’ के मामले में भी मौसम विज्ञानियों के साक्षात्कार ने लोगों के खतरे की पूर्व सूचनाएं विस्तार से देकर First से ही सचेत कर दिया जिससे बहुत से लोग खतरों में फंसने से बच गए ।
आज साक्षात्कार जनसंचार का Single उपयोगी अंग तो हो ही चुका है लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में यह Single कलात्मक विधा भी है। साक्षात्कार में उत्तर देने वाले का महत्व जितना है उससे कहीं अधिक महत्व प्रश्न पूछने वाले का होता है। Single आदर्श पत्रकार के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह इस कला में पारंगत बनने का प्रयास करे क्योंकि आज इस कला में निपुणता के बिना पत्रकार का व्यक्तित्व अधूरा है।
साक्षात्कार की विकास यात्रा
पत्रकारिता की शुरूआत से ही साक्षात्कार इसका अभिन्न अंग रहा है। दुनिया के प्रारम्भिक समाचार पत्रों, लन्दन गजट (1666 र्इस्वी) और पब्लिक आकरेंसेज (अमेरिका में 1690 र्इस्वी में प्रकाशित) में भी लोगों और Kingीय प्रतिनिधियों से बातचीत के आधार पर जानकारियाँ छपती थीं । 29 जनवरी 1780 को प्रकाशित भारत के First अखबार बंगाल गजट (इसे इसके सम्पादक-प्रकाशक के नाम पर हिकीज गजट भी कहा जाता है।) में भी र्इस्ट इंण्डिया कंपनी के अधिकारियों से बातचीत के अंश प्रकाशित होते थे, जिनमें व्यापार की व्यवस्थाओं और सार्वजनिक जीवन के नियम-कानूनों की जानकारी दी जाती थी । विश्व की सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी रॉयटर ने भी अपनी शुरूआत, लम्बी समुद्री यात्राओं से आए समुद्री व्यापारियों और जहाजियों से बातचीत के बाद मिली जानकारियों को समाचार बनाकर ही की थी । First स्वाधीनता संग्राम के दौरान मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर का विश्वप्रसिद्व संदेश-’हिन्दुस्तान के हिन्दुओ और मुसलमानों! उठो, भाइयों उठो, खुदा ने इन्सान को जितनी बरकतें अता की उनमें सबसे कीमती बरकत आजादी है।’ यह संदेश ‘पयामे आजादी’ नामक Single तत्कालीन अखबार में छपा था और यह बहादुरशाह जफर की अपने Single दीवान से हुर्इ बातचीत पर आधारित था। उस दीवान ने इसे अन्य लोगों तक पहुंचाया और तब यह अखबार में भी प्रकाशित हुआ।
अखबारी पत्रकारिता के शुरूआती दिनों से चलकर ‘साक्षात्कार’ ने आज बड़ी दूरी तय कर ली है। आज टीवी के कारण साक्षात्कार खबरों का Single चमत्कारिक साधन बन गया है। इलेक्ट्रानिकी के विकास के कारण अब साक्षात्कार को ऑडियो अथवा वीडियो स्वReseller में रिकार्ड करना भी सम्भव हो गया है। लेकिन जब यह सिर्फ लिखकर रिकार्ड Reseller जाता था, उस दौर में इसकी विश्वसनीयता को लेकर कर्इ बार, सही या गलत, आरोप-प्रत्यारोप भी लग जाते थे। Single उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। लक्ष्मण नारायण गर्दे नामक नामी पत्रकार ने Single बार कोलकाता में देशबन्धु चितरजंन दास के निवास पर आए महात्मा गांधी का साक्षात्कार Reseller । तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर हुए इस साक्षात्कार के पूरा होने पर गर्दे ने बातचीत के दौरान जो प्रश्न उन्होंने पूछे थे और जो उत्तर महात्मा गांधी ने दिए थे उसका अपने हाथ से लिखा पूरा description गांधी जी के सामने रख दिया और उनसे अनुरोध Reseller कि अगर आपके उत्तरों को मैने सही-सही लिखा है तो आप कृपया इस पर अपने हस्ताक्षर कर दीजिए। गांधी जी ने हस्ताक्षर करवाने का प्रयोजन पूछा तो गर्दे ने कहा कि ‘भारत मित्र‘ के दिल्ली संवाददाता ने अभी हाल में मौलाना शौकत अली का Single इंटरव्यू लिया था । इसमें मौलाना ने कहा था कि मस्जिद के आगे बाजे का प्रश्न कोर्इ धार्मिक प्रश्न नहीं है। यह बात भारतमित्र के बाद अन्य कर्इ अखबारों में छपी और बाद में जब Single मुकदमे के दारौन नागपुर की Single अदालत में इसे Single नजीर के तौर पर पेश Reseller गया तो मौलाना ने सार्वजनिक तौर पर यह कह दिया कि भारत मित्र में मेरा जो इंटरव्यू छपा है वह गलत है। इस पर भारत मित्र को पुन: सफार्इ पेश करनी पड़ी और अनावश्यक विवाद हुआ । इसलिए इस घटना के बाद मैने यह निश्चय Reseller है कि इंटरव्यू पर, इंटरव्यू देने वाले का हस्ताक्षर करा लेना चाहिए ।
आज इंटरव्यू को रिकार्ड करने की तरह-तरह की सुविधाएं उपलब्ध है डिक्टाफोन और कैसेट रिकार्डर के बाद आज डिजिटल रिकार्डर, वीडियो कैमरा, एमपी 3-4 स्पाइकैम, मोबाइलफोन आदि तरह तरह के यंत्र और तकनीक है। जिनके जरिए साक्षात्कार को रिकार्ड Reseller जा सकता है। हालाँकि विवाद होने पर आज भी अनेक मामलों में साक्षात्कार देने वाला रिकार्डेड होने पर भी तथ्यों से मुकर जाता है लेकिन फिर भी आज रिकाडिंर्ग की सुविधा के कारण साक्षात्कार की विश्वसनीयता बहुत अधिक बढ़ गर्इ है।
समाचार तथा जनमत के लिए लोगों का साक्षात्कार : वर्गीकरण And प्रकार
साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य पाठकों, श्रोताओं अथवा दर्शकों के लिए समसामयिक विषयों, घटनाओं, समस्याओं या विवादों के बारे में विस्तृत And प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराना है। साक्षात्कार के जरिए किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति, विषय विशेषज्ञ, विशिष्ट अधिकारी या घटना के प्रत्यक्षदश्र्ाी से सूचनाएं Singleत्र की जा सकती हैं। साक्षात्कार के जरिए जनमत का अनुमान Reseller जा सकता है और जनमत के लिए लोगों का साक्षात्कार भी Reseller जाता है। हालाँकि आज साक्षात्कार का क्षेत्र बहुत विविधतापूर्ण हो गया है और इसकी सीमाएं बहुत व्यापक हो गर्इ हैं फिर भी मोटे तौर पर साक्षात्कार को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है ।
1. व्यक्तिपरक
व्यक्तिपरक साक्षात्कार में जिस व्यक्ति का साक्षात्कार Reseller जाता है वह व्यक्ति सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसमें विषय भी उस व्यक्ति से Added हो सकता है। लेकिन साक्षात्कार का मुख्य फोकस व्यक्ति विशेष के जीवन, अभिरूचि, विचार, कार्य, उपलब्धि, प्रेरणा आदि पर केन्द्रित होता है। उदाहरणार्थ मर्इ 2010 में सबसे कम उम्र में एवरेस्ट विजय हासिल कर वापस लौटे Indian Customer छात्र अर्जुन वाजपेयी का एवरेस्ट विजय के बाद लिया गया साक्षात्कार। इस साक्षात्कार में एवरेस्ट विजय की उपलब्धि का description तो था ही, अर्जुन की जीवनशैली, उसकी मेहनत, लगन और उसके जीवन के भावी लक्ष्यों का भी History था।
2. विषयपरक :
विषयपरक साक्षात्कार में विषय को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है । इसमें जिस व्यक्ति का साक्षात्कार Reseller जाता है उसके व्यक्तित्व के स्थान पर उससे सम्बन्धित विषय को प्रमुखता दी जाती है और पूरा साक्षात्कार विषय केन्द्रित होता है। उदाहरण के लिए जून 2010 में कोलकाता और पश्चिम बंगाल के स्थानीय निकाय चुनावों में तृणमूल कांगे्रस की हैरतअंगेज जीत के बाद तृणमूल कांगे्रस की नेता ममता बनर्जी के व्यक्तित्व के बजाय चुनावी नतीजों के प्रभाव और पश्चिम बंगाल की राजनीति पर इसके दूरगामी असर का विश्लेषण Reseller गया था।
साक्षात्कार कर्इ प्रकार के हो सकते हैं। जैसे शैली के आधार पर साक्षात्कार – descriptionात्मक, वर्णनात्मक, विचारात्मक और भावनात्मक आदि हो सकते हैं। इसी तरह माध्यम के आधार पर साक्षात्कार भेंटवार्ता, पत्रवार्ता, या फोनवार्ता पर आधारित हो सकते हैं। साक्षात्कार के प्रमुख प्रकारों में पूर्व निर्धारित, आकस्मिक, अनौपचारिक और सर्वेक्षण साक्षात्कार शामिल हैं।
- पूर्व निर्धारित : इस तरह के साक्षात्कार में समय First से निर्धारित होता है । प्राय: विषय और स्थान भी पूर्व निर्धारित होते हैं । कभी-कभी इसमें साक्षात्कार देने वाले को विषय अथवा पूछे जाने वाले प्रश्नों की भी जानकारी दे दी जाती है। अति विशिष्ट व्यक्तियों, बड़े फिल्म कलाकारों, Creationकारों व अन्य कलाकारों, आदि के साक्षात्कार इस श्रेणी में आते हैं ।
- आकस्मिक साक्षात्कार : इस तरह के साक्षात्कार के लिए कुछ भी पूर्व निर्धारित नहीं होता । जैसे किसी घटना से सम्बन्धित कोर्इ व्यक्ति कहीं अचानक मिल जाए और उससे तत्काल विषय पर बातचीत कर ली जाए । उदाहरणार्थ मर्इ 2010 में कारगिल Fight के बारे में हुए Single अदालती फैसले के बाद सेना मुख्यालय में आ रहे Single वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का साक्षात्कार । कुछ टीवी चैनलों के पत्रकार राष्ट्रपति भवन की ओर जा रहे थे । इसी बीच उन्हें अदालती फैसले की जानकारी मिली और तभी उन्हें Single बड़े सैन्य अधिकारी की कार दिखार्इ दी । सेना मुख्यालय में उस अधिकारी के कार से उतरते ही टीवी पत्रकार वहां पहुंच गए और उस सैन्य अधिकारी से साक्षात्कार कर लिया । यह साक्षात्कार उस दिन खूब Discussion में रहा था।
- अनौपचारिक साक्षात्कार : इस तरह के साक्षात्कार में औपचारिकताएं नहीं होती। किसी खास मामले पर किसी व्यक्ति विशेष या विषय विशेषज्ञ के पास जाकर उससे साक्षात्कार का प्रस्ताव Reseller जाता है और उसके राजी होने पर बातचीत शुरू हो जाती है । इसमें समय सीमा का ध्यान रखा जाता है और प्राय: यह विषय केन्द्रित होता है ।
- सर्वेक्षण साक्षात्कार : इस तरह के साक्षात्कार Single प्रकार से जनमत संग्रह का काम भी करते है । पश्चिमी देशों में इस तरीके का प्रयोग अधिक Reseller जाता है। इसमें विषय तो पूर्व निर्धारित होता है लेकिन प्रश्नों के उत्तर या तो तीन चार सम्भावित उत्तरों में से Single को चुनकर अथवा प्रश्न का विस्तृत उत्तर प्राप्त कर जनमत का रूझान तय Reseller जाता है। सर्वेक्षण साक्षात्कार का इस्तेमाल रेडियो और टीवी में अधिक होता है । चुनावों के नतीजों, मंहगार्इ, खेलों में जीत-हार, भ्रष्टाचार आदि हर तरह के मामलों में इस तरह के साक्षात्कार पूरे देश की भावनाओं को समझने में उपयोगी होते हैं । सर्वेक्षण साक्षात्कार पर आधारित समाचार अधिक पढ़े, सुने अथवा देखे जाते हैं ।
- पत्रकार सम्मेलन : पत्रकार सम्मेलन भी Single प्रकार का साक्षात्कार ही है । लेकिन समान्य प्रकार के साक्षात्कार में जहाँ Single प्रश्न पूछने वाला और Single उत्तर देने वाला होता है, पत्रकार सम्मेलन में सवाल पूछने वालों की संख्या बहुत अधिक होती है और उत्तर देने वालों की Single-दो या तीन । इसमें साक्षात्कार देने वाला तय करता है कि उसे किस विषय पर और क्या बात करनी है । हालाँकि प्रश्न पूछने वालों को भी अपनी सुविधा और जरूरत के मुताबिक प्रश्न पूछने का अवसर मिलता है।
साक्षात्कार हेतु पूर्व तैयारी
साक्षात्कार Single ऐसी विधा है जिसमें प्रश्न पूछने वाले की चतुरार्इ, उसकी व्यावहारिकता, विषय की जानकारी और उसका धैर्य बहुत महत्वपूर्ण होता है । लेकिन अच्छे साक्षात्कार के लिए जो बात सबसे अधिक जरूरी होती है वह है साक्षात्कार की तैयारी । साक्षात्कार करने वाले ने किस तरह की तैयारी की है उसी पर साक्षात्कार की सफलता निर्भर होती है।
सबसे पहली बात जो जरूरी है वह है साक्षात्कार के लिए व्यक्ति का चयन। जिस विषय पर साक्षात्कार होना है उस विषय के सबसे अधिक जानकार और बात को साफ तरह से कह सकते वाले व्यक्ति का चयन साक्षात्कार को सफल बनाने के लिए पहला कदम है। व्यक्तिपरक साक्षात्कार के मामले में साक्षात्कार देने वाले का चयन तो स्वत: ही हो जाता है इसलिए इस तरह के साक्षात्कार में साक्षात्कार करने वाले को अपनी तैयारी की शुरूआत साक्षात्कार देने वाले के बारे में जरूरी जानकारी Singleत्र करके करनी चाहिए।
विषय की व्यापक जानकारी, साक्षात्कार की तैयारी का दूसरा महत्वपूर्ण चरण है। जिस व्यक्ति या विषय के विशेषज्ञ से साक्षात्कार Reseller जाना हो उसके बारे में साक्षात्कारकर्ता को जितनी अधिक जानकारी होगी, उतने ही बेहतर तरीके से वह साक्षात्कार ले सकेगा। विषय की जानकारी न होने पर साक्षात्कारकर्ता अच्छे प्रश्न पूछ ही नहीं सकता और ऐसे में साक्षात्कार के नतीजे भी बेहतर नहीं हो सकते । मसलन अगर शास्त्रीय संगीत की किसी बड़ी हस्ती का साक्षात्कार लेना है तो उस व्यक्ति की जीवन यात्रा, उसकी उपलब्धियाँ, उसकी खूबियां- खासियतें, उसकी कमजोरियाँ, संगीत की उस विद्या की जानकारी आदि सब विषयों के बारे में साक्षात्कारकर्ता को ज्ञान होना जरूरी है। ऐसा ही मौसम, विज्ञान, खेल, राजनीति अथवा आर्थिक मामलों के साक्षात्कार में भी होना चाहिए।
विषय के बाद साक्षात्कार का स्थान भी तैयारी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। खास कर रेडियो और टीवी के लिए होने वाले साक्षात्कारों में साक्षात्कार की सफलता का दारोमदार काफी हद तक स्थान पर निर्भर होता है। किसी संगीतकार के साक्षात्कार के लिए स्टूडियों Single अच्छा स्थान हो सकता है जबकि Single खिलाड़ी का साक्षात्कार मैदान या खेल की पृष्ठभूमि में हो तो वह बेहतर हो सकता है। बहुत महत्वपूर्ण विषय पर किसी Single्सक्लूसिव साक्षात्कार के लिए स्थान ऐसा होना चाहिए जहां बातचीत की निरन्तरता भंग न हो और आने-जाने वालों की वजह से व्यवधान न हो । कर्इ बार व्यवधान से साक्षात्कार की लय बिगड़ जाती है और महत्वपूर्ण सवालों के उत्तर छूट जाते हैं या गड़बड़ा जाते हैं।
साक्षात्कार की तैयारी का अंतिम चरण है साक्षात्कार के साधन। पत्र-पत्रिकाओं के साक्षात्कार के लिए पैन-नोटबुक के अलावा रिकाडिंर्ग के लिए उपयुक्त उपकरण जरूरी हैं तो रेडियो और टेलीविजन के साक्षात्कारों के लिए ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग के उपकरण, माइक आदि को First से जांच-परख लिया जाना जरूरी है ताकि ऐन मौके पर चूक न हो जाए। टेप या रिकार्डिंग की अन्य जरूरी सामग्री को भी साक्षात्कार से पूर्व भलीभांति जांच लेना जरूरी है।
साक्षात्कार की तकनीक
साक्षात्कार जनसंचार की Single महत्वपूर्ण विधा है तो यह पत्रकारिता का Single कलाReseller भी है। Single अच्छे साक्षात्कारकर्ता की तुलना Wordों, भावनाओं और जानकारियों के Single कलाकार से की जा सकती है जो अपनी कला द्वारा साक्षात्कार देने वाले के काम और व्यक्तित्व को निखार सकता है।
साक्षात्कार की तकनीक का सबसे अहम पहलू यह है कि उसमें प्रश्न पूछने वाले का व्यक्तित्व हावी न हो । साक्षात्कारकर्ता को बेहद सहज होना चाहिए । उसे इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उसकी अपनी विचारधारा या मान्यता अथवा स्थापना साक्षात्कार देने वाले पर थोपी न जाए । उसे जवाब देने वाले को पूरा अवसर देना चाहिए । इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि साक्षात्कार प्रश्न-उत्तर के Reseller में ही हो न कि बहस के Reseller में । प्रश्न भी छोटे और स्पष्ट होने चाहिए ताकि उनके उत्तर भी स्पष्ट मिल सकें । बहुत लम्बा प्रश्न होने से या प्रश्न के साथ विषय की व्याख्या होने से असल प्रश्न गुम हो जाते हैं और निरर्थक उत्तर मिलने लगते हैं । इसी तरह प्रश्न अगर ऐसे हों कि उनका जवाब हाँ या ना में ही दिया जा सकता हो तो वह भी साक्षात्कार के लिहाज से अधिक लाभप्रद नहीं होता । इस तरह के प्रश्न सिर्फ सर्वेक्षण साक्षात्कार में ही उपयोगी होते हैं ।
साक्षात्कार देने वाले का सम्मान भी जरूरी है। उसका सम्मान होने से Single तरह का विश्वास बढ़ता है और प्रश्नों के सहज उत्तर मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है । कभी भी साक्षात्कार का आरम्भ कठिन प्रश्नों से नहीं होना चाहिए । व्यक्तिपरक साक्षात्कार में इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस व्यक्ति के व्यक्तित्व के अधिक से अधिक पहलू उजागर हो सकें । कर्इ बार किसी अभियुक्त या किसी घाघ राजनेता के साक्षात्कार में प्रश्नों को घुमा फिरा कर पूछने से भी मनमुताबिक उत्तर प्राप्त किए जा सकते हैं लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि जवाब पूरे धैर्य से सुने जांए । कर्इ बार उत्तरों से ही बात आगे बढ़ जाती है, लेकिन साक्षात्कारकर्ता के दिमाग में प्रश्नों का खाका Singleदम साफ होना चाहिए ताकि प्रश्नों के अभाव में साक्षात्कार के तारतम्य गड़बड़ा न जाए । साक्षात्कारकर्ता का व्यक्तित्व, प्रश्न पूछने की विनम्र शैली, उसकी सतर्क दृष्टि, व्यवहार कुशलता और वााक पटुता से साक्षात्कार देने वाले के मन के गूढ़ रहस्य भी आसानी से बाहर आ जाते हैं । रेडियो और टीवी के साक्षात्कारों में जहां समय सीमा बेहद महत्वपूर्ण होती है, वहीं यह बात भी बहुत जरूरी है कि प्रश्नकर्ता के प्रश्न विषय पर Singleदम केन्द्रित हों, ताकि अनावश्यक Reseller से समय व्यर्थ न हो और जरूरत के मुताबिक सही उत्तर “ाीघ्र मिल सकें। यदि जवाब देने वाला व्यक्ति विषय से भटक रहा हो और बातचीत की दिशा गड़बड़ा रही हो, तब भी प्रश्न करने वाले में यह क्षमता होनी चाहिए कि वो तत्काल बातचीत का सूत्र अपने हाथ में लेकर हस्तक्षेप करे और पुन: साक्षात्कार को पटरी पर ले जाए।
साक्षात्कार की तकनीक का सबसे अहम पहलू यह है कि उसमें प्रश्न पूछने वाले का व्यक्तित्व हावी न हो । साक्षात्कारकर्ता को बेहद सहज होना चाहिए । उसे इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उसकी अपनी विचारधारा या मान्यता अथवा स्थापना साक्षात्कार देने वाले पर थोपी न जाए । उसे जवाब देने वाले को पूरा अवसर देना चाहिए । इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि साक्षात्कार प्रश्न-उत्तर के Reseller में ही हो न कि बहस के Reseller में । प्रश्न भी छोटे और स्पष्ट होने चाहिए ताकि उनके उत्तर भी स्पष्ट मिल सकें ।
यह भी जरूरी है कि साक्षात्कारकर्ता स्वयं अधिक न बोले । उसका प्रयोजन यह होना चाहिए कि जिस व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जा रहा है वह विषय और प्रश्नों में दिलचस्पी ले । साक्षात्कार की तकनीक का मूल मंत्र यह है कि प्रश्नकर्ता Single उत्पे्ररक की तरह काम करे और साक्षात्कार देने वाले को इस तरह मंत्र मुग्ध कर ले कि वह सारी जरूरी जानकारी संगीत की लहर की तरह सिलसिलेवार देता चला जाए । ।