पत्रकारिता के विविध आयाम
मुद्रण के आविष्कार के बाद संदेश और विचारों को शक्तिशाली और प्रभावी ढंग से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना मनुष्य का लक्ष्य बन गया। समाचार पत्र पढ़ते समय पाठक हर समाचार से अलग अलग जानकारी की अपेक्षा रखता है। कुछ घटनाओं के मामले में वह उसका description विस्तार से पढना चाहता है तो कुछ अन्य के संदर्भ में उसकी इच्छा यह जानने की होती है कि घटना के पीछे क्या है? उसकी पृष्ठभूमि क्या है? उस घटना का उसके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इससे उसका जीवन तथा समाज किस तरह प्रभावित होगा? समय, विषय और घटना के According पत्रकारिता में लेखन के तरीके बदल जाते हैं। यही बदलाव पत्रकारिता में कर्इ नए आयाम जोड़ता है। दूसरी बात यह भी है कि स्वतंत्र भारत में इंटरनेट और सूचना के आधिकार (आर.टी.आर्इ.) ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है। आज कोर्इ भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध करार्इ जा सकती है। मीडिया आज काफी सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहुँच हर क्षेत्र में हो चुकी है। लेकिन सामाजिक सरोकार And भलार्इ के नाम पर मिली आभिव्यक्ति की आजादी का कभी कभी दुरपयोग होने लगा है। पत्रकारिता के नए आयाम को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है।
सामाजिक सरोकारों की तुलना में व्यवसायिकता – अधिक संचार क्रांति तथा सूचना के आधिकार के अलावा आर्थिक उदारीकरण ने पत्रकारिता के चेहरे को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। विज्ञापनों से होनेवाली अथाह कमार्इ ने पत्रकारिता को काफी हद्द तक व्यावसायिक बना दिया है। मीडिया का लक्ष्य आज आधिक से आधिक कमार्इ का हो चला है। मीडिया के इसी व्यावसायिक दृष्टिकोण का नतीजा है कि उसका ध्यान सामाजिक सरोकारों से कहीं भटक गया है। मुद्दों पर आधारित पत्रकारिता के बजाय आज इन्फोटमेट ही मीडिया की सुर्खियों में रहता है।
समाचार माध्यमों का विस्तार – आजादी के बाद देश में मध्यम वर्ग के तेजी से विस्तार के साथ ही मीडिया के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। साक्षरता और क्रय शक्ति बढ़ने से भारत में अन्य वस्तुओं के अलावा मीडिया के बाजार का भी विस्तार हो रहा है। इस बाजार की जरूरतो को पूरा करने के लिए हर तरह के मीडिया का फैलाव हो रहा है। रेडियो, टेलीविजन, समाचारपत्र, सेटेलाइट टेलीविजन और इंटरनेट All विस्तार के रास्ते पर है। लेकिन बाजार के इस विस्तार के साथ ही मीडिया का व्यापारीकरण भी तेज हो गया है और मुनाफा कमाने को ही मुख्य ध्येय समझने वाली पूंजी ने भी मीडिया के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रवेश Reseller है।
जहां तक भारत में पत्रकारिता के नए आयाम की बात है इसके अन्तर्गत समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, तथा वबे पजे आदि आते हैं। यहां अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन 10 करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं।
पत्रकारिता खास से मास की ओर – व्यापारीकरण और बाजार होड़ के कारण हाल के वर्षों में समाचार मीडिया ने अपने ‘खास बाजार’ (क्लास मार्केट) को ‘आम बाजार’ (मास मार्केट) में तबदिल करने की कोशिश की है। कारण है कि समाचार मीडिया और मनोरंजन की दुनिया के बीच का अंतर कम होता जा रहा है और कभी-कभार तो दोनों में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है।
समाचार के नाम पर मनोरंजन की बिक्री – समाचार के नाम पर मनोरंजन बेचने के इस रुझान के कारण आज समाचारों में वास्तविक और सरोकारीय सूचनाओ और जानकारियों का अभाव होता जा रहा है। आज निश्चित Reseller से यह कहा जा सकता कि समाचार मीडिया लोगों के Single बडे हिस्से को ‘जानकार नागरिक’ बनने में मदद करने के बदले अधिकांश मौकों पर लोगों को ‘गुमराह उपभेक्ता’ अधिक बना रहा है। अगर आज समाचार की परंपरागत परिभाषा के आधार पर देश के अनेक समाचार चैनलों का मूल्यांकन करें तो Single-आध चैनलो को ही छोडकर अधिकांश इन्फोटेनमेंट के चैनल बनकर रह गए हैं।
समाचार अब उपभेक्ता वस्तु बनने लगा – आज समाचार मीडिया Single बड़ा हिस्सा Single ऐसा उद्योग बन गया है जिसका मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना है और समाचार पेप्सी-कोक जैसी उपभेग की वस्तु बन गया है और पाठको, दर्शकों और श्रोताओं के स्थान पर अपने तक सीमित उपभेक्ता बैठ गया है। उपभोक्ता समाज का वह तबका है जिसके पास अतिरिक्त क्रय शक्ति है और व्यापारीत मीडिया अतिरिक्त क्रय शक्ति वाले सामाजिक तबके में अधिकाधिक पैठ बनाने की होड़ में उतर गया है। इस तरह की बाजार होड़ में उपभोक्ता को लुभाने वाले समाचार उत्पाद पेश किए जाने लगे हैं और उन तमाम वास्तविक समाचारीय घटनाओं की उपेक्षा होने लगी है जो उपभोक्ता के भीतर ही बसने वाले नागरिक की वास्तविक सूचना Needएं थी और जिनके बारे में जानना उसके लिए आवश्यक है। इस दौर में समाचार मीडिया बाजार को हड़पने की होड़ में अधिकाधिक लोगों की ‘चाहत’ पर निर्भर होता जा रहा है और लोगों की ‘जरूरत’ किनारे की जा रही है।
समाचार पत्रों में विविधता की कमी – यह स्थिति हमारे लोकतंत्र के लिए Single गंभीर राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संकट पैदा कर रही है। आज हर समाचार संगठन सबसे अधिक बिकाऊ बनने की हाडे ़ में Single ही तरह के समाचारों पर टूट पड़ रहा है। इससे विविधता खत्म हो रही है और ऐसी स्थिति पैदा हो रही है जिसमें अनेक अखबार हैं और सब Single जैसे ही हैं। अनेक समाचार चैनल हैं। सिर्फ करते रहिए, बदलते रहिए और Single ही तरह के समाचार का Single ही तरह से प्रस्तुत होना देखते रहिए।
सनसनीखेज या पेज-थ्री पत्रकारिता की ओर रूझान खत्म – इसमें कोर्इ संदहे नहीं कि समाचार मीडिया में हमेशा से ही सनसनीखेज या पीत पत्रकारिता और ‘पेज-थ्री’ पत्रकारिता की धाराएं मौजूद रही हैं। इनका हमेशा अपना स्वतंत्र अस्तित्व रहा है, जैसे ब्रिटेन का टेबलायड मीडिया और भारत में भी ‘ब्लिज’ जैसे कुछ समाचारपत्र रहे हैं। ‘पेज-थ्री’ भी मुख्यधारा पत्रकारिता में मौजूद रहा है। लेकिन इन पत्रकारीय धाराओं के बीच Single विभाजन रेखा थी जिसे व्यापारीकरण के मौजूदा रुझान ने खत्म कर दिया है।
समाचार माध्यमों का केन्द्रीकरण – समाचार माध्यमों विविधता समाप्त होने के साथ-साथ केन्द्रीकरण का रुझान भी प्रबल हो रहा है। हमारे देश में परंपरागत Reseller से कुछ चन्द बड़,े जिन्हें ‘राष्ट्रीय’ कहा जाता था, अखबार थे। इसके बाद क्षेत्रीय प्रेस था और अंत में जिला-तहसील स्तर के छोटे समाचारपत्र थे। नर्इ प्रौद्यौगिकी आने के बाद First तो क्षेत्रीय अखबारों ने जिला और तहसील स्तर के प्रसे को हड़प लिया और अब ‘राष्ट्रीय’ प्रसे ‘क्षेत्रीय’ में प्रवेश कर रहा है या ‘क्षेत्रीय’ प्रेस राष्ट्रीय का Reseller अख्तियार कर रहा है। आज चंद समाचारपत्रों के अनेक संस्करण हैं और समाचारों का कवरेज अत्यधिक आत्मकेन्द्रित, स्थानीय और विखंडित हो गया है। समाचार कवरेज में विविधता का अभाव तो है, ही साथ ही समाचारों की पिटी-पिटार्इ अवधारणों के आधार पर लोगों की रूचियो और प्राथमिकताओं को परिभाषित करने का रुझान भी प्रबल हुआ है। लेकिन समाचार मीडिया के प्रबंधक बहुत समय तक इस तथ्य की उपेक्षा नहीं कर सकते कि साख और प्रभाव समाचार मीडिया की सबसे बड़ी ताकत होते हैं। आज समाचार मीडिया की साख में तेजी से ह्रास हो रहा है और इसके साथ ही लोगों की सोच को प्रभावित करने की इसकी क्षमता भी कुन्ठित हो रही है। समाचारों को उनके न्यायोचित और स्वाभाविक स्थान पर बहाल कर ही साख और प्रभाव के ह्रास की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। इस तरह देखा जाए तो समय के साथ पत्रकारिता का विस्तार होता जा रहा है।
रेडियो पत्रकारिता
हमने देखा है कि मुद्रण के आविष्कार के बाद संदेश और विचारों को शक्तिशाली और प्रभावी ढंग से अधिक से अधिक लोगों तक पहुचं ाना मनुष्य का लक्ष्य बन गया है। यद्यपि समाचार पत्र जनसंचार के विकास में Single क्रांति ला चके थे लेकिन 1895 में मार्कोनी ने बेतार के तार का पता लगाया और आगे चलकर रेडियो के आविष्कार के जरिए आवाज Single ही समय में असख्ं य लोगों तक उनके घरों को पहुंचने लगी। इस प्रकार श्रव्य माध्यम के Reseller में जनसंचार को रेडियो ने नये आयाम दिए। आगे चलकर सिनेमा और टेलीविजन के जरिए कर्इ चुनौतियां मिली लेकिन रेडियो अपनी विशिष्टता के कारण इन चुनौतियो का सामना करता रहा है। भविष्य में भी इसका स्थान Windows Hosting है।
भारत में 1936 से रेडियो का नियमित प्रसारण शुरू हुआ। आज भारत के कोने-कोने में देश की लगभग 97 प्रतिशत जनसंख्या रेडियो सुन पा रही है। रेडियो मुख्य Reseller से सूचना तथा समाचार, शिक्षा, मनोरंजन और विज्ञापन प्रसारण का कार्य करता है। अब संचार क्रांति ने तो इसे और भी विस्तृत बना दिया है। एफएम चैनलों ने तो इसके स्वReseller ही बदल दिए हैं। साथ ही मोबाइल के आविष्कार ने इसे और भी नए मुकाम तक पहुंचा दिया है। अब रेडियो हर मोबाइल के साथ होने से इसका प्रयागे करने वालों की संख्या भी बढ़ी है क्योंकि रेडियो जनसंचार का Single ऐसा माध्यम है कि Single ही समय में स्थान और दूरी को लाघंकर विश्व के कोने-कोने तक पहुंच जाता है। रेडियो का सबसे बड़ा गुण है कि इसे सुनते हुए Second काम भी किए जा सकते हैं। रेडियो समाचार ने जहां दिन प्रतिदिन घटित घटनाओं की तुरंत जानकारी का कार्यभार संभाल रखा है वहीं श्राते ाओं के विभिन्न वर्गों के लिए विविध कार्यक्रमों की मदद से सूचना और शिक्षा दी जाती है। खास बात यह है कि यह हर वर्ग जोड़े रखने में यह Single सशक्त माध्यम के Reseller में उभरकर सामने आया है।
इलेक्ट्रानिक मीडिया
मुद्रण के आविष्कार के साथ समाचार पत्र ने जनसंचार के विकास में Single क्रांति ला दिया था। इसके बाद श्रव्य माध्यम के Reseller में रेडियो ने Single ही समय में असख्ं य लोगों तक उनके घरों को पहुचं ने का माध्यम बना दिया। इस प्रकार श्रव्य माध्यम के Reseller में जनसंचार को रेडियो ने नये आयाम दिए। इसके बाद टेलीविजन के आविष्कार ने दोनों श्रव्य And दृश्य माध्यम को Single और नया आयाम प्रदान Reseller है।
भारत में आजादी के बाद साक्षरता और लोगों में क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही अन्य वस्तुओं की तरह मीडिया के बाजार की भी मांग बढ़ी है। नतीजा यह हुआ कि बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर तरह के मीडिया का फैलाव हो रहा है। इसमें सरकारी टेलीविजन And रेडियो के अलावा निजी क्षेत्र में भी निवेश हो रहा है। इसके अलावा सेटेलार्इट टेलीविजन और इंटरनेट ने दो कदम और आगे बढ़कर मीडिया को फैलाने में सहयोग Reseller है। समाचार पत्र में भी पूंजी निवेश के कारण इसका भी विस्तार हो रहा है। इसमें सबसे खास बात यह रही कि चाहे वह शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र भारत में इलेक्ट्रोनिक मीडिया पिछले 15-20 वर्षों में घर घर में पहुँच गया है। शहरों और कस्बो में केबिल टीवी से सैकड़ों चैनल दिखाए जाते हैं। Single सरकारी रिपोर्ट के According भारत के कम से कम 80 प्रतिशत परिवारों के पास अपने टेलीविजन सेट हैं और मेट्रो शहरों में रहने वाले दो तिहार्इ लोगों ने अपने घरों में केबिल कनेक्शन लगा रखे हैं। अब तो सेट टाप बाक्स के जरिए बिना केबिल के टीवी चल रहे हैं। इसके साथ ही शहर से दूर-दराज के क्षेत्रो में भी लगातार डीटीएच-डायरेक्ट टु हामे सर्विस का विस्तार हो रहा है। प्रारम्भ में केवल फिल्मी क्षेत्रो से जुड़ े गीत, संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना And लंबे समय तक बना रहा, इससे ऐसा लगने लगा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया सिर्फ फिल्मी कला क्षेत्रो से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन के मंच तक ही सिमटकर रह गया है, जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन की अपेक्षा नकल को ज्यादा तवज्जो दी जाती रही है। कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रानिक मीडिया की यह नर्इ भूमिका अत्यन्त प्रशसंनीय और सराहनीय है, जो देश की प्रतिभाओ को प्रसिद्धि पाने और कला And हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है। इसके बावजूद यह माध्यम कभी कभी बहुत नुकसान भी पहुंचाता है।
सोशल मीडिया
संचार क्रांति के तहत इंटरनेट के आविष्कार ने पूरी दुनिया की दूरी मिटा दी है। पलक झपकते ही छोटी से लेकर बड़ी सूचना उपलब्ध हो जा रही है। दरअसल, इंटरनेट Single ऐसा तकनीक के Reseller में हमारे सामने आया है, जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय है। इंटरनेट का सोशल नेटवकिर्ंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया हैं, जिनके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते हैं। यहीं से सोशल मीडिया का स्वReseller विकसित हुआ है। इंटरनेट के सोशल मीडिया व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनाने का माध्यम बन गया है। इसका उपयोग सामाजिक संबंध के अलावा उपयोगकर्ता सामग्री के संशोधन के लिए उच्च पारस्परिक मंच बनाने के लिए मोबाइल और वेब आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के Reseller में भी देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया के प्रकार
इस सोशल मीडिया के कर्इ Reseller हैं जिनमें कि इन्टरनेट फोरम, वेबलाग, सामाजिक ब्लाग, माइक्रोब्लागिंग, विकीज, सोशल नेटवर्क, पाडकास्ट, फोटोग्राफ, चित्र, चलचित्र आदि All आते हैं। अपनी सेवाओं के According सोशल मीडिया के लिए कर्इ संचार प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं। जैसे- सहयोगी परियोजना (उदाहरण के लिए, विकिपीडिया) ब्लाग और माइक्रोब्लाग (उदाहरण के लिए, ट्विटर) सोशल खबर नेटवकिर्ंग साइट्स (उदाहरण के लिए याहू न्यूज, गूगल न्यूज) सामग्री समुदाय (उदाहरण के लिए, यूटîूब और डेली मोशन) सामाजिक नेटवकिर्ंग साइट (उदाहरण के लिए, फेसबुक) आभासी खेल दुनिया (जैसे, वर्ल्ड ऑफ वारक्राफ्ट) आभासी सामाजिक दुनिया (जैसे सेकंड लाइफ)
दो सिविलाइजेशन में बांट रहा है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया अन्य पारंपरिक तथा सामाजिक तरीकों से कर्इ प्रकार से Singleदम अलग है। इसमें पहुँच, आवृत्ति, प्रयोज्य, ताजगी और स्थायित्व आदि तत्व शामिल हैं। इंटरनेट के प्रयोग से कर्इ प्रकार के प्रभाव देखने को मिला है। Single सर्वे के According इंटरनेट उपयोगकर्ता अन्य साइट्स की अपेक्षा सोशल मीडिया साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं। इंटरनेट के इस आविष्कार ने जहां संसार को Single गांव बना दिया है वहीं इसका दूसरा पक्ष यह है कि दुनिया में दो तरह की सिविलाइजेशन का दौर शुरू हो चुका है। Single वर्चुअल और दूसरा फिजीकल सिविलाइजेशन। जिस तेजी से यह प्रचलन बढ़ रहा है आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से Single बहुत बड़ा हिस्सा इंटरनेट पर होगी।
विज्ञापन का सबसे बड़ा माध्यम
जन सामान्य तक इसकी सीधी पहुँच होने के कारण इसका व्यापारिक उपयागे भी बढ़ा है। अब सोशल मीडिया को लोगों तक विज्ञापन पहुँचाने के सबसे अच्छा जरिया समझा जाने लगा है। हाल ही के कुछ Single सालो से देखने में आया है कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मस पर उपभोक्ताओ का वर्गीकरण विभिन्न मानकों के According Reseller जाने लगा है जैस,े आयु, रूचि, लिगं, गतिविधियों आदि को ध्यान में रखते हुए उसके अनुReseller विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इस विज्ञापन के सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं साथ ही साथ आलोचना भी की जा रही है।
समाज पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव
जहाँ इंटरनेट के सोशल मीडिया ने व्यक्तियों और समुदायों के बीच सूचना आदान प्रदान में सहभागी बनाने का माध्यम बनकर समाज पर सकारात्मक प्रभाव ड़ाला है वहीं दूसरी ओर इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने में आया है। अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रखने की छूट ने ये साइट्स ऑनलाइन शोषण का साधन भी बनती जा रही हैं। ऐसे कर्इ केस दर्ज किए गए हैं जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का प्रयोग लोगों को सामाजिक Reseller से हानि पहुंचाया है। इसके साथ ही लोगों की खिचार्इ करने तथा अन्य गलत प्रवृत्तियों के लिए Reseller गया है। कुछ दिन First भद्रक में हुर्इ Single घटना ने सोशल मीडिया के खतरनाक पक्ष को उजागर Reseller था। वाकया यह हुआ था कि Single किशोर ने फेसबूक पर Single ऐसी तस्वीर अपलोड कर दी जो बेहद आपत्तिजनक थी, इस तस्वीर के अपलोड होते ही कुछ घंटे के भीतर Single समुदाय के सैकडों गुस्साए लोग सडकों पर उतार आए। जबतक प्राशासन समझ पाता कि माजरा क्या है, भद्रक में दंगे के हालात बन गए। प्रशासन ने हालात को बिगडने नहीं दिया और जल्द ही वह फोटो अपलोड करने वाले तक भी पहुँच गया। लोगों का मानना है कि परंपरिक मीडिया के आपत्तिजनक व्यवहार की तुलना में नए सोशल मीडिया के इस युग का आपत्तिजनक व्यवहार कर्इ मायने में अलग है। नए सोशल मीडिया के माध्यम से जहां गडबडी आसानी से फैलार्इ जा सकती है, वहीं लगभग गुमनाम रहकर भी इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।
वेब पत्रकारिता
वर्तमान दौर संचार क्रांति का दौर है। संचार क्रांति की इस प्रक्रिया में जनसचं ार माध्यमों के भी आयाम बदले हैं। आज की वैश्विक अवधारणा के अंतर्गत सूचना Single हथियार के Reseller में परिवर्तित हो गर्इ है। सूचना जगत गतिमान हो गया है, जिसका व्यापक प्रभाव जनसचांर माध्यमों पर पड़ा है। पारंपरिक संचार माध्यमों समाचार पत्र, रेडियो और टेलीविजन की जगह वेब मीडिया ने ले ली है।
वेब पत्रकारिता आज समाचार पत्र-पत्रिका का Single बेहतर विकल्प बन चुका है। न्यू मीडिया, आनलाइन मीडिया, साइबर जर्नलिज्म और वेब जर्नलिज्म जैसे कर्इ नामों से वबे पत्रकारिता को जाना जाता है। वबे पत्रकारिता प्रिंट और ब्राडकास्टिंग मीडिया का मिला-जुला Reseller है। यह टेक्स्ट, पिक्चर्स, आडियो और वीडियो के जरिये स्क्रीन पर हमारे सामने है। माउस के सिर्फ Single क्लिक से किसी भी खबर या सूचना को पढ़ा जा सकता है। यह सुविधा 24 घंटे और Sevenों दिन उपलब्ध होती है जिसके लिए किसी प्रकार का मूल्य नहीं चुकाना पड़ता।
वेब पत्रकारिता का Single स्पष्ट उदाहरण बनकर उभरा है विकीलीक्स। विकीलीक्स ने खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में वेब पत्रकारिता का जमकर उपयोग Reseller है। खोजी पत्रकारिता अब तक राष्ट्रीय स्तर पर होती थी लेकिन विकीलीक्स ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग Reseller व अपनी रिपोर्टों से खुलासे कर पूरी दुनिया में हलचल मचा दी।
भारत में वबे पत्रकारिता को लगभग Single दशक बीत चुका है। हाल ही में आए ताजा आंकड़ों के According इंटरनेट के उपयोग के मामले में भारत Third पायदान पर आ चुका है। आधुनिक तकनीक के जरिये इंटरनेट की पहुंच घर-घर तक हो गर्इ है। युवाओं में इसका प्रभाव अधिक दिखार्इ देता है। परिवार के साथ बैठकर हिदीं खबरिया चैनलों को देखने की बजाए अब युवा इंटरनेट पर वेब पोर्टल से सूचना या आनलाइन समाचार देखना पसंद करते हैं। समाचार चैनलों पर किसी सूचना या खबर के निकल जाने पर उसके दोबारा आने की कोर्इ गारंटी नहीं होती, लेकिन वहीं वेब पत्रकारिता के आने से ऐसी कोर्इ समस्या नहीं रह गर्इ है। जब चाहे किसी भी समाचार चैनल की वेबसाइट या वेब पत्रिका खोलकर पढ़ा जा सकता है।
लगभग All बड़े छोटे समाचार पत्रों ने अपने र्इ-पेपर यानी इटंरनेट संस्करण निकाले हुए हैं। भारत में 1995 में सबसे First चेन्नर्इ से प्रकाशित होने वाले ‘हिंदू’ ने अपना र्इ-संस्करण निकाला। 1998 तक आते-आते लगभग 48 समाचार पत्रों ने भी अपने र्इ संस्करण निकाल।े आज वबे पत्रकारिता ने पाठकों के सामने ढेरों विकल्प रख दिए हैं। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में जागरण, हिन्दुस्तान, भास्कर, नवभारत, डेली Single्सप्रेस, इकोनामिक टाइम्स और टाइम्स आफ इंडिया जैसे All पत्रों के र्इ-संस्करण मौजूद हैं।
भारत में समाचार सेवा देने के लिए गूगल न्यूज, याहू, एमएसएन, एनडीटीवी, बीबीसी हिंदी, जागरण, भड़ास फार मीडिया, ब्लाग प्रहरी, मीडिया मंच, प्रवक्ता, और प्रभासाक्षी प्रमुख वेबसाइट हैं जो अपनी समाचार सेवा देते हैं।
वेब पत्रकारिता का बढ़ता विस्तार देख यह समझना सहज ही होगा कि इससे कितने लोगों को राजे गार मिल रहा है। मीडिया के विस्तार ने वबे डेवलपरो And वेब पत्रकारो की मांग को बढ़ा दिया है। वबे पत्रकारिता किसी अखबार को प्रकाशित करने और किसी चैनल को प्रसारित करने से अधिक सस्ता माध्यम है। चैनल अपनी वेबसाइट बनाकर उन पर बे्रकिंग न्यूज, स्टोरी, आर्टिकल, रिपोर्ट, वीडियो या साक्षात्कार को अपलोड और अपडेट करते रहते हैं। आज All प्रमुख चैनलो (आर्इबीएन, स्टार, आजतक आदि) और अखबारों ने अपनी वेबसाइट बनार्इ हुर्इं हैं। इनके लिए पत्रकारों की Appointment भी अलग से की जाती है। सूचनाओं का डाकघर कही जाने वाली संवाद समितियां जैसे पीटीआर्इ, यूएनआर्इ, एएफपी और रायटर आदि अपने समाचार तथा अन्य All सेवाएं आनलाइन देती हैं।
कम्प्यूटर या लैपटाप के अलावा Single और ऐसा साधन मोबाइल फोन Added है जो इस सेवा को विस्तार देने के साथ उभर रहा है। फोन पर ब्राडबैंड सेवा ने आमजन को वेब पत्रकारिता से जोडा़ है। पिछले दिनों मुंबर्इ में हुए सीरियल ब्लास्ट की ताजा तस्वीरें और वीडियो बनाकर आम लोगों ने वबे जगत के साथ साझा की। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेद्रं मोदी द्वारा डिजिटल इंडिया का शुभारंभ Reseller गया। इसके जरिए गांवों में पंचायतों को ब्राडबैंड सुविधा मुहैया करार्इ गर्इ है। इससे पता चलता है कि भविष्य में यह सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंचेंगी।
वेब पत्रकारिता ने जहां Single ओर मीडिया को Single नया क्षितिज दिया है वहीं दूसरी ओर यह मीडिया का पतन भी कर रहा है। इंटरनेट पर हिंदी में अब तक अधिक काम नहीं Reseller गया है, वबे पत्रकारिता में भी अंग्रेजी ही हावी है। पर्याप्त सामग्री न होने के कारण हिंदी के पत्रकार अंग्रेजी वबे साइटो से ही खबर लेकर अनुवाद कर अपना काम चलाते हैं। वे घटनास्थल तक भी नहीं जाकर देखना चाहते कि असली खबर है क्या?
यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने Single नर्इ मीडिया संस्‟ति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी Single नर्इ गति मिली है युवाओं को नये राजे गार मिले हैं। अधिक से अधिक लोगों तक इटंरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य बेहतर है। आने वाले समय में यह पूर्णतरू विकसित हो जाएगी।
विज्ञापन और पत्रकारिता
चूंकि जनसचं ार माध्यम अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचता है तो विज्ञापन का प्रयोग इन माध्यमों में प्रचार के लिए Reseller जाता है। वर्तमान संसार में ग्लोबल विलेज की कल्पना की जा रही है। इस गांव में रहनेवाले Single Second को अपनी वस्तुओं की जानकारी पहुंचाने के लिए विज्ञापनों की Need होती है। इसलिए विज्ञापन की Need पड़ रही है। दूसरी बात यह कि तकनीक And औद्योगिक विकास के साथ ही उत्पादन की अधिकता And उसकी बिक्री ने भी विज्ञापन बाजार को बढ़ा दिया है। तीसरी बात यह है कि जैसे जैसे लोगों का आय बढ़ा है लोगों में क्रय करने की शक्ति बढ़ी है। उनकी मांगों को परू ी करने के साथ उत्पादक अपना उत्पाद के बारे में बताने के लिए इसका सहारा ले रहे हैं। उत्पादक कम खर्च पर उसके उत्पादन सामग्री की खुबी बताने अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम है जनसचांर माध्यम। इसलिए विज्ञापनों की विकास यात्रा में जनसचं ार माध्यमों के विकास का बहुत बड़ा योगदान है। चौथी बात यह होती है कि जनसंचार माध्यम के खर्च की भरपार्इ इन्हीं विज्ञापन के जरिए होती है। लेकिन पिछले कुछ सालो ं से बाजारवाद के कारण विज्ञापन जनसचांर माध्यम की कमार्इ का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। माध्यम के आधार पर विज्ञापन के तीन प्रकार होते हैं-„श्य, श्रव्य और दृश्य-श्रव्य। विज्ञापनों की भाषा अलग प्रकार की होती है। सरकारी विज्ञापन की भाषा व्यापारिक विज्ञान की तुलना में जटिल होती है।
प्रमुख पत्र पत्रिकाएँ
Indian Customer पत्रकारिता का Historyि लगभग दो सौ वर्ष पुराना है। भारतवर्ष में आधुनिक ढंग की पत्रकारिता का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में कोलकाता, मुंबर्इ और चेन्नर्इ में हुआ। 1780 र्इ. में प्रकाशित हिके का ‘कलकत्ता गजट’ कदाचित इस ओर पहला प्रयत्न था। हिंदी के First पत्र उदंत मार्तण्ड (1826) के प्रकाशित होने तक इन नगरों की ऐंग्लोइंडियन अंग्रेजी पत्रकारिता काफी विकसित हो गर्इ थी।
आज की स्थिति में भारत के विभिन्न भाषाओं में 70 हजार समाचार पत्रों का प्रकाशन होता है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन 10 करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। जहां तक हिंदी समाचार पत्र की बात है 1990 में हुए राष्ट्रीय पाठक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती थी कि पांच अगुवा अखबारों में हिन्दी का केवल Single समाचार पत्र हुआ करता था। लेकिन पिछले 2016 सर्वे ने साबित कर दिया कि हम कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बार 2016 सबसे अधिक पढ़े जाने वाले पांच अखबारों में शुरू के चार हिदीं के हैं। देश में सबसे अधिक पढ़जे ानेवाले दस समाचार पत्र निम्नलिखित हैं-
- दैनिक जागरण:- कानपुर से 1942 से प्रकाशित दैनिक जागरण हिंदी समाचार पत्र में वर्तमान में सर्वाधिक प्रसारित समाचार पत्रों में शुमार है। इसके 11 राज्यो में दर्जनों संस्कारण हैं। इसकी प्रसार संख्या जून 2016 तक 3,632,383 दर्ज की गर्इ थी।
- दैनिक भास्कर:- भेपाल से 1958 में आरंभ यह समाचार पत्र वर्तमान में 14 राज्यो में 62 संस्करण में प्रकाशित हो रहे हैं। हिदी के साथ इसके अंगे्रजी, मराठी And गुजराती भाषा में भी कर्इ सस्ं करण हैं। इसकी प्रसार संख्या जनू 2016 तक 3,812,599 थी।
- अमर उजाला:- आगरा से 1948 से प्रारंभ अमर उजाला के वर्तमान Seven राज्यों And Single केद्रीं शासित प्रदेश में 19 संस्करण हैं। इसके जनू 2016 तक प्रसार सख्ंया 2,938,173 होने का रिकार्ड Reseller गया है।
- टाइम्स ऑफ इंडिया:- अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया 1838 को सबसे First प्रकाशित हुआ था। यह देश का चैथा सबसे अधिक प्रसारित समाचार पत्र है। इसके साथ ही यह विश्व का छठा सबसे अधिक प्रसारित दैनिक समाचार पत्र है। दिसंबर 2015 तक इसकी प्रसार संख्या 3,057,678 थी। भारत के अधिकांश राज्य के राजधानी में इसके संस्करण हैं।
- हिंदुस्तान:- दिल्ली से 1936 से प्रकाशित हिदुंस्तान के वर्तमान 5 राज्यों में 19 संस्करण हैं। इसकी प्रसार संख्या जून 2016 तक 2,399,086 थी।
- मलयाला मनोरमा:- मलयालम भाषा में प्रकाशित यह समाचार पत्र 1888 में कोट्टायम से प्रकाशित हुआ। यह केरल का सबसे पुराने समाचार पत्र है। यह केरल के 10 शहरों सहित बैंगलोर, मैंगलोर, चेन्नर्इ, मुंबइ, दिल्ली, दुबर्इ And बहरीन से प्रकाशित है। इसकी दिसंबर 2015 तक प्रसार संख्या 2,342,747 थी।
- र्इनाडु:- तेलगू भाषा में प्रकाशित र्इनाडु समाचार पत्र 1974 में प्रकाशन प्रारंभ हुआ। आंध्रप्रदेश And तेलेगं ानामें इसके कर्इ संस्करण हैं। दिसंबर 2015 तक इसकी प्रसार संख्या 1,807,581 थी।
- राजस्थान पत्रिका:- 1956 से दिल्ली में प्रारंभ राजस्थान पत्रिका वर्तमान 6 राज्यो में दर्जनो संस्कारण में प्रकाशित हो रहे हैं। जनू 2016 तक इसकी प्रसार संख्या 1,813,756 थी।
- दैनिक थेथीं:- तमिल भाषा में प्रकाशित दैनिक थेंथी ने First 1942 में प्रकाशित हुआ। वर्तमान विदेशों सहित 16 शहरों में इसके संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं। जून 2016 तक इसकी प्रसार संख्या 1,714,743 थी।
- मातृभूमि मलयालम:- भाषा में प्रकाशित मातृभाषा का First प्रकाशन 1923 को हुआ था। करे ल के 10 शहरों सहित चेन्नर्इ, बैंगलोर, मुबंर्इ और नर्इदिल्ली से प्रकाशित हो रहे हैं। दिसंबर 2015 तक इसकी प्रसार संख्या 1,486,810 थी।
देश में सर्वाधिक प्रसारित दस हिदीं दैनिक में दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, पत्रिका, प्रभात खबर, नवभारत टाइम्स, हरिभूमि, पंजाब केसरी शामिल हैं। अंगे्रजी के दस सर्वाधिक प्रसारित समाचार पत्रों में टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदस्तुन टाइम्स, दि हिंदु, मुंबर्इ मिरर, दि टेलिग्राफ, दि इकोनोमिक्स टाइम्स, मिड डे, दि ट्रिब्यून, डेकान हेरल्ड, डेकान क्रानिकल्स शामिल हैं। क्षेत्रीय भाशाओं के समाचार पत्रों में मलयालयम मनोरमा(मलयालम), दैनिक थेथीं(तमिल), मातृभूमि(मलयालम), लोकमत(मराठी), आनंदबाजार पत्रिका(बंगाली), र्इनाडु(तेलगू), गुजरात समाचार(गुजराती), सकल(मराठी), संदेश(गुजराती), साक्षी(मराठी) शामिल हैं।
पत्रिकाओं में दस सर्वाधिक प्रसारित हिंदी पत्रिकाओं में प्रतियोगिता दर्पण, इंडिया टुडे, सरस सलील, सामान्य ज्ञान दर्पण, गृहशोभा, जागरण जोश प्लस, क्रिकेट सम्राट, डायमंड क्रिकेट टुडे, मेरी सहेली And सरिता शामिल हैं। अंग्रेजी के सर्वाधिक दस पत्रिकाओं में इंडिया टुडे, प्रतियोगिता दर्पण, जेनेरल नालेज टुडे, दि स्टपोटर्स स्टार, कंपिटिशन सक्सेस रिवियू, आउटलूक, रिडरर्स डायजेस्ट, फिल्मफेयर, डायमंड क्रिकेट टुडे, फेमिना शामिल हैं। दस क्षेत्रीय पत्रिकाओं में थेंथी(मलयालम), मातृभूमि आरोग्य मासिक(मलयालम), मनोरमा तोझीविधि(मलयालम), कुमुद(तमिल), कर्म संगठन(बंगाली), मनोरमा तोझीवर्थ(मलयालम), गृहलक्ष्मी(मलयालयम), मलयालम मनोरमा(मलयालम), कुंगुमम(तमिल) And कर्मक्षेत्र(बंगाली) शामिल हैं।
देश में सर्वाधिक प्रसारित साप्ताहिक समाचार पत्र में हिंदी के रविवासरीय हिंदुस्तान, अंग्रेजी का दि संडे टाइम्स ऑफ इंडिया, मराठी का रविवार लोकसत्ता, अंग्रेजी का दि स्वीकिंग ट्री, बंगाली का कर्मसंगठन शामिल है। इसके अलावा देश में अलग अलग भाषाओ में हजारो की संख्या में साप्ताहिक समाचार पत्र प्रकाशित हाते े हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में पत्रिकाएँ प्रकाशित होती है।
हिंदी के प्रमुख पत्रकार
समाचार पत्र And पत्रिकाओं की Discussion में हमने देखा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता का History लगभग दो सौ वर्ष पुराना है। पहला हिंदी समाचार पत्र होने का श्रेय चूंकि ‘उदंत मार्तण्ड’ (1826) को जाता है तो इसके संपादक को भी हिंदी के First पत्रकार होने का गौरव प्राप्त है, क्योंि क उस समय संपादक ही पत्रकार की भूमिका निर्वाह करते होंगे। इसके बाद इन दो सौ सालो में अनगिनत पत्रकार हुए हैं जिन्होनें अपनी कलम से सामाजिक सरोकारों को पूरी र्इमानदारी से निभाया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत का स्वतंत्रता आंदोलन है। स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने में पत्रकारिता ही सबसे बड़ा अस्त्र बना था। पत्रकारिता ने अंग्रेजी सत्ता के दमन नीति, लोगों के प्रति किए जा रहे अन्याय, अत्याचार And कुशासन के खिलाफ निरंतर विरोध का स्वर उठाया जिसके परिणाम स्वReseller देश में Singleजुटता आर्इ। इसका नतीजा यह रहा कि पूरे देश में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ स्वर उठा और आखिर अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया। लोगों में स्वतंत्रता का अलख जगाने की कोशिश में न जाने कितने संपादक-सह-पत्रकार शहीद हुए हैं तो न जाने कितनों की आवाज भी दबा दी गर्इ हो गर्इ फिर भी पत्रकारो ने सामाजिक सरोकारों को नहीं छोडा़ । दूसरा उदाहरण था हिदीं भाषा को स्थापित करना। हिदीं भाषा साहित्य जगत में कुछ एसे े महान साहित्यकार हुए हैं जो संपादक-पत्रकार ही थे। उनका जिक्र किए बगैर हम हिंदी भाषा के किसी भी Reseller की Discussion को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। उस समय हिंदी साहित्य और पत्रकारिता And साहित्कार And पत्रकार दोनों Single Second के पर्यायवाची बने हुए थे। उन्होनें अंग्रेजी भाषा के खिलाफ आंदोलन छेडा़ था जब अंग्रेजी King अंग्रेजी को ही देश की भाषा बनाने चाहता था। इन लेखक-पत्रकारों ने अंग्रेजी भाषा के मुकाबले हिंदी किसी भी विधा में कमजोर नहीं है साबित करने के लिए ही पद्य And गद्य विधा के All Resellerों में लेखनी चलार्इ है और साबित कर दिया कि हिंदी भाषा में चाहे वह कविता हो या गद्य और गद्य में चाहे वह उपन्यास हो, कहानी हो, निबंध हो, आलोचना हो, जीवनी हो या अन्य कोर्इ विधा All में लिखा जा सकता है। इस तरह इन लेखक-साहित्यकार-पत्रकार-संपादको ने साहित्यिक पत्रकार के Reseller में अंग्रेजी भाषा के खिलाफ लड़ार्इ लड़ी। आज भारत आजाद हो चुका है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हिंदी पत्रकार तथा पत्रकारिता को इस अंग्रेजी भाषा के खिलाफ आज भी लड़ार्इ जारी है क्योंि क आज भी हिंदी भाषा को देश में वह स्थान And सम्मान नहीं मिल पाया है जितना मिलना चाहिए।
आज देश आजाद हो गया लेकिन पत्रकारो की भूमिका कम नहीं हुर्इ। अब लक्ष्य बदल गया। First लड़ार्इ अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ थी जो अब बदलकर देश में जारी अशिक्षा, उपेक्षा, बेरोजगारी, किसान की समस्या, नारी की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या, भोजन की समस्या के खिलाफ जंग जारी है। समाज में सबसे नीचे जीनेवाले लोगों को न्याय दिलाने तथा मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना ध्येय बन गया है। दूर संचार क्रांति के बाद तो इलेिक्ट्रानिक्स मीडिया और अब इंटरनेट के आविष्कार के साथ सोशल And वेब मीडिया ने तो इसे और धार दे दिया है। आज समय के साथ ऐसा बदलाव आया कि पत्रकारिता को समाज ने पेशा के Reseller में स्वीकार कर लिया गया है। आज की स्थिति में भारत के विभिन्न भाषाओं में 70 हजार समाचार पत्रों का प्रकाशन होता है तो निश्चित Reseller से लाखो पत्रकार भी होगें आज स्थिति चाहे जो भी हो जैसा भी हो हमारे से First पत्रकारों ने कुछ आदर्श स्थापित Reseller था जो आज भी यथावत है। शायद उनके कारण ही आज पत्रकार को समाज में सम्मान की नजर से दख्े ाा जाता है। उनमें से कुछ निम्न हैं-
स्वतंत्रता पूर्व हिंदी के प्रमुख पत्रकार
भारतेंदु हरिश्चंद्र(कवि वचन सुधा, हरिश्चंद्र मैगजीन), प्रताप नारायण मिश्र(ब्राह्मण, हिंदोस्तान), मदनमोहन मालवीय(हिन्दोस्तान, अभ्युदय, महारथी, सनातन धर्म, विश्वबंधु लीडर, हिन्दुस्तान टाइम्स), महावीर प्रसाद द्विवेदी(सरस्वती), बालमुकुंद गुप्त(मथुरा अखबार सहित अनेक पत्र-पत्रिका), श्याम सुंदर दास(नागरी प्रचारिणी, सरस्वती), प्रेमचंद(माधुरी, हंस, जागरण), बाबूराव विष्णु पराड़कर(हिंदी बगंवासी, हितवार्ता, भारत मित्र, आज), शिव प्रसाद गुप्त(आज, टु डे,), चंद्रधर शर्मा गुलेरी(जैनवैद्य, समालोचक, नागरी प्रचारिणी), बाबू गुलाबराय(संदेश), डा. सत्येद्रं (उद्धारक, आर्यमित्र, साधना, ब्रजभारती, साहित्य संदेश, Indian Customer साहित्य, विद्यापीठ, आगरा का त्रैमासिक)
स्वतंत्रता के बाद के पत्रकार
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय(बिजली, प्रतीक, वाक, थाट, दिनमान, नवभारत टाइम्स), अरविंद कुमार(सरिता, टाइम्स ऑफ इंडिया, माधुरी, सुचित्रा),कृष्णचंद्र अग्रवाल(विश्वमित्र), बालेश्वर प्रसाद अग्रवाल(प्रवर्तक, हिंतुस्तान समाचार), डोरीलाल अग्रवाल(उजाला, अमर उजाला, दिशा भारती), राजेद्रं अवस्थी(सारिका, नंदन, कादंबिनी, साप्ताहिक हिंतुस्तान), महावीर अधिकारी(विचार साप्ताहिक, हिंस्तुस्तान, नवभारत टाइम्स, करंट), कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना(कमलेश्वर) (कामरेड, सारिका, गंगा, दैनिक जागरण), कर्पूरचंद कुलिश(राष्टकृदूत, राजस्थान पत्रिका), धर्मवीर गांधी(हिंतुस्तान समाचार, साथी, समाचार भारती, देश दुनिया), पूर्णचंद्र गुप्त(स्वतंत्र, दैनिक जागरण, Single्शन, कंचन प्रभा), मन्मथनाथ गप्ुता(बाल भारती, योजना, आजकल), सत्येद्रं गुप्त(आज, ज्ञान मंडल), जगदीश चतुर्वेदी(मधुकर, नवभारत टाइम्स, लोक समाचार समिति, आज), प्रेमनाथ चतुर्वेदी(विश्वमित्र, नवभारत टाइम्स), बनारसी दास चतुर्वेदी(विशाल भारत, मधुकर), युगल किशोर चतुर्वेदी(जागृति, राष्ट्रदूत, लोकशिक्षक), कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी(नवज्योति), अभय छाजलानी(नर्इ दुनिया दैनिक), अक्षय कुमार जैन(अर्जुन, वीणा, दैनिक सैनिक, नवभारत टाइम्स), आनंद जैन(विश्वमित्र, नवभारत टाइम्स), यशपाल जैन(मिलन, जीवन साहित्य, जीवन सुधा), मनोहर श्याम जोशी(आकाशवाणी, दिनमान, साप्ताहिक हिंदुस्तान), रतन लाल जोशी(भारत दूत, आवाज, नवनीत, सारिका, दैनिक हिंदुस्तान), शीला झुनझुनबाला(धर्मयुग, अंगजा, कादंबिनी, साप्ताहिक हिंदुस्तान), विश्वनारायण सिंह ठाकुर(नवभारत लोकमान्य, हिंदुस्तान समाचार, युगधर्म, यूएनआर्इ, आलोक, नयन रश्मि), डा.रामचंद्र तिवारी(विश्वमित्र, नवभारत टाइम्स, ग्लोब एजेंसी, दैनिक जनसत्ता, Indian Customer रेल पत्रिका), रामानंद जोशी(दैनिक विश्वमित्र, दैनिक हिंदुस्तान, साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादंबिनी), कन्हैयालाल नंदन(धर्मयुग, पराग, सारिका, दिनमान), कुमार नरेंद्र(दैनिक वीर अर्जुन,प्रताप जो), नरेद्रं मोहन(दैनिक जागरण), नारायण दत्त(हिंदी स्क्रीन, भारती, नवनीत, पीटीआर्इ), सतपाल पटाइत(राजहंस, ब्राह्मण सर्वस्व, गढ़देश, विकास), राहुल बारपते(इंदौर समाचार, जयभारत, प्रजा मंडल, नर्इ दुनिया), बांके बिहारी भटनागर(माधुरी, दैनिक हिंतुस्तान), यतींद्र भटनागर(आपबीती, दैनिक विश्वमित्र, भारत वर्ष, अमर भारत, जनसत्ता, दैनिक हिंदुस्तान), जय प्रकाश भारती(दैनिक प्रभात, नवभारत टाइम्स, साप्ताहिक हिंदुस्तान, नंदन), धर्मवीर भारती(अभ्युदय, धर्मयुग), राजेद्रं माथुर(नर्इदुनिया, नवभारत टाइम्स), रामगोपाल माहेश्वरी(नव राजस्थान, नवभारत), सुरजन मायाराम(नवभारत, एमपी क्रानिकल, नर्इ दुनिया, देशबंधु), द्वारिक प्रसाद मिश्र(सारथी, लोकमत, अमृत बाजार), भवानी प्रसाद मिश्र(महिलाश्रम, गांधी मार्ग), गणेश मंत्री(धर्मयुग), रघुवीर सहाय(दैनिक नवजीवन, प्रतीक, आकाशवाणी, कल्पना, जनसत्ता, Meansात), रमेशचंद्र(जालंधर, दैनिक पंजाब केसरी), जंगबहादुर सिंह राणा(द कामरेड,द नेशन, द ट्रिब्यून, दैनिक नवभारत, टाइम्स ऑफ इंडिया), मुकुट बिहारी वर्मा(कर्मवीर, राजस्थान केसरी, प्रणवी, माधुरी, दैनिक आज, स्वदेश, दैनिक हिंदुस्तान), लक्ष्मीशंकर व्यास(आज, विजय, माधुरी, कमला), भगवतीधर वाजपेयी(स्वदेश, दैनिक वीर अर्जुन, युगधर्म), पुरुषोत्तम विजय(अंकुश, साप्ताहिक राजस्थान, नव राजस्थान, दैनिक सैनिक, दैनिक इंदौर), डा.वेद प्रताप वैदिक(दैनिक जागरण, अग्रवाही, नर्इ दुनिया, धर्मयुग, दिनमान, नवभारत टाइम्स, पीटीआर्इ, भाषा), राधेश्याम शर्मा(दैनिक संचार, इंडियन Single्सप्रेस, युगधर्म, यूएनआर्इ), भानुप्रताप शुक्ल(पांचजन्य, तरुण भारत, राष्ट्रधर्म), क्षेमचंद्र सुमन(आर्य, आर्यमित्र, मनस्वी, मिलाप, आलोचना) राजेद्रं यादव(हंस) विद्यानिवास मिश्र(नवभारत टाइम्स), मृणाल पांडे(दैनिक हिंदुस्तान)। इसके अलवा वर्तमान समय में राहुल बारपुते (नर्इ दुनिया), कर्पूरचंद्र कुलिश (राजस्थान पत्रिका), अशोक जी (स्वतंत्र भारत), प्रभाष जोशी (जनसत्ता), राजेन्द्र अवस्थी (कादम्बिनी), अरुण पुरी (इण्डिया टुडे), जयप्रकाश भारती (नन्दन), सुरेन्द्र प्रताप सिंह (रविवार And नवभारत टाइम्स), उदयन शर्मा (रविवार And सण्डे आब्जर्वर)। इसके अलावा डा. नंदकिशोर त्रिखा, दीनानाथ मिश्रा, विष्णु खरे, महावीर अधिकारी, प्रभु चावला, राजवल्लभ ओझा, जगदीशप्रसाद चतुर्वेदी, चंदूलाल चंद्राकर, शिव सिंह सरोज, घनश्याम पंकज, राजनाथ सिंह, विश्ववाथ, बनवारी, राहुल देव, रामबहादुर राय, भानुप्रताप शुक्ल, तरुण विजय, मायाराम सुरजन, रूसी के करंजिया, नंदकिशोर नौटियाल, आलोक मित्र, अवध नारायण मुद्गल, डा. हरिकृष्ण देवसरे, गिरिजाशंकर त्रिवेदी, Ultra siteकांत बाली, आलोक मेहता, रहिवंश, राजेन्द्र शर्मा, रामाश्रय उपाध्याय, अच्युतानंद मिश्र, विश्वनाथ सचदेव, गुरुदेव काश्यप, रमेश नैयर, बाबूलाल शर्मा, यशवंत व्यास, नरेन्द्र कुमार सिंह, महेश श्रीवास्तव, जगदीश उपासने, मुजफ्फर हुसैन, अश्विनी कुमार, रामशरण जोशी, दिवाकर मुक्तिबोध, ललित सुरजन, मधुसूदन आनंद, मदनमोहन जोशी, बबन प्रसाद मिश्र, रामकृपाल सिंह आदि का नाम लिया जा सकता है। इसके अलावा और बहुत से पत्रकार हुए हैं जो हिंदी पत्रकारिता को इस मुकाम तक लाने में सहयोग Reseller।
समाचार एजेंसियाँ
समाचार एजेसीं या संवाद समिति पत्रकारों की ऐसी समाचार संकलन संस्थान है जो अखबारो, पत्रिकाओ, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट साइटो जैसे समाचार माध्यमों को समाचार उपलब्ध कराते हैं। आमतौर पर हर देश की अपनी Single आधिकारिक संवाद समिति होती है। समाचार एजेसं ी में अनेक पत्रकार काम करते हैं जो खबरे अपने मुख्यालय को भेजते हैं जहां से उन्हे संपादित कर जारी Reseller जाता है। समाचार एजेंि सया सरकारी, स्वतंत्र व निजी हर तरह की होती हैं।
भारत की प्रमुख एजेंिसयो में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया(पीटीआर्इ), इंडो-एसियन न्यूज सर्विस(आर्इएएनएस), एसियन न्यूज इंटरनेशनल(एएनआर्इ), जीएनए न्यूज एजेसीं(जीएनए), समाचार भारती, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंिडया(यूएनआइर्), हिदुंस्तान समाचार. ये एजेंिसयां First सैटेलाइट के जरिए समाचार भेजती थीं तब टिकर प्रणाली पर काम होता था। अब कंप्यूटर ने चीजे ं आसान कर दी हैं और र्इमेल स े काम चल जाता है।
पत्रकारिता की अन्य प्रासंगिताएँ
समाचारपत्र पढ़ते समय पाठक हर समाचार से विभिन्न तरह तरह की जानकारी हासिल करना चाहता है। कुछ घटनाओं के मामले में वह उसका description विस्तार से पढ़ना चाहता है तो कुछ अन्य के संदर्भ में उसकी इच्छा यह जानने की होती है कि घटना के पीछे का रहस्य क्या है? उसकी पृष्ठभूमि क्या है? उस घटना का उसके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़गे ा और इससे उसका जीवन तथा समाज किस तरह से प्रभावित होगा?
जहां तक पत्रकारिता की बात है अन्य विषय की तरह पत्रकारिता में भी समय, विषय और घटना के According लेखन के तरीके में बदलाव देखा गया है। यही बदलाव पत्रकारिता में कर्इ नए आयाम को जोडा़ है। समाचार के अलावा विचार, टिप्पणी, संपादकीय, फोटो और कार्टून पत्रकारिता के अहम हिस्से बन गए हैं। समाचारपत्र में इनका विशेष स्थान और महत्व है। इनके बिना कोर्इ भी समाचारपत्र स्वयं को संपूर्ण नहीं कहला सकता है।
संपादकीय
संपादकीय पृष्ठ को समाचापत्र का सबसे महत्वपूर्ण पन्ना माना जाता है। यह समाचार पत्र का प्राण होता है। संपादकीय में किसी भी समसामयिक विषय को लेकर उसका बबे ाक विश्लेषण करके उसके विषय में संपादक अपनी राय व्यक्त करता है। इसे संपादकीय कहा जाता है। इसमें विषया का गंभीर विवेचन होता है। संपादकीय पृष्ठ पर अग्रलेख के अलावा लेख भी प्रकाशित होते हैं। ये आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक या इसी तरह के किसी विषय पर कुछ विशेषज्ञ विभिन्न मुद्दो पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। इन लेखो में लेखको का व्यक्तित्व व शैली झलकती हैं। इस तरह के लेख व्याख्यात्मक और विश्लेषणात्मक शैली के होते हैं।
संपादक के नाम पत्र
आमतौर पर ‘संपादक के नाम पत्र‘ भी संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किए जाते हैं। वह घटनाओं पर आम लोगों की टिप्पणी होती है। समाचारपत्र उसे महत्वपूर्ण मानते हैं। यह अन्य All स्तंभें से अधिक रुचिकर तथा पठनीय होने के साथ साथ लोकोपयोगी भी हाते हैं। संपादक के नाम पत्र स्तंभ में पाठक अपने सुझाव, शिकवे शिकायत ही नहीं अपितु कभी कभी ऐसे विचार भी प्रकट कर देते हैं कि समाज के लिए प्रश्न चिà के Reseller में खड़े हो जाते हैं और समाज विवश हो जाता है उसका समाधान खोजन के प्रयन्त में।
फोटो पत्रकारिता
छपार्इ तकनीक के विकास के साथ ही फोटो पत्रकारिता ने समाचार पत्रों में अहम स्थान बना लिया है। कहा जाता है कि जो बात हजार Wordों में लिखकर नहीं कही जा सकती, वह Single तस्वीर कह देती है। फोटो टिप्पणियों का असर व्यापक और सीधा होता है।
कार्टून कोना
कार्टूनकोना लगभग हर समाचारपत्र में होता है और उनके माध्यम से की गर्इ सटीक टिप्पणियां पाठक को छूती हैं। Single तरह से कार्टून First पन्ने पर प्रकाशित होने वाले हस्ताक्षरित संपादकीय हैं। इनकी चुटीली टिप्पणियां कर्इ बार कड़े और धारदार संपादकीय स े भी अधिक प्रभावी होती हैं।
रेखांकन और कार्टोग्राफ
रेखांकन और कार्टोग्राफ समाचारों को न केवल रोचक बनाते हैं बल्कि उन पर टिप्पणी भी करते हैं। क्रिकेट के स्कोर से लेकर सेसेंक्स के आंकड़ो तक-ग्राफ से पूरी बात Single नजर में सामने आ जाती है। कार्टोग्राफी का उपयागे समाचारपत्रों के अलावा टेलीविजन में भी होता है।