मानसिक तनाव – कारण, लक्षण And समाधान
तनाव के Means को मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से स्पष्ट Reseller है। वस्तुत: तनाव Single मानसिक रोग न होकर मानसिक रोगों का मूल कारण है। तनाव को यदि हम कुछ सटीक Wordों में स्पष्ट करना चाहें तो कह सकते हैं कि मन:स्थिति And परिस्थिति के बीच संतुलन का अभाव ही तनाव की आवस्था है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब व्यक्ति के सामने कोर्इ ऐसी समस्या या परिस्थिति आ जाती है। जब उसे लगे कि यह समस्या या परिस्थिति उसकी क्षमताओं के नियंत्रण से बाहर है Meansात् उस परेशानी परिस्थिति से निपटने में उसकी सामथ्र्य कम पड़ रहीं है। स्वयं को निर्बल And असमर्थ पा रही है तो व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के शरीर And मन को समय-समय पर मिलने वाली चुनौतियाँ, जिनका सामना करने में वह स्वयं को असहाय And असमर्थ मानता है। उसमें तनाव को जन्म देता है। वभिन्न विद्वानों द्वारा दी गर्इ तनाव की अनेक परिभाषायें निम्नानुसार हैं-
- ‘‘तनाव Single ऐसी बहुआयामी प्रक्रिया है जो हम लोग में वैसी घटनाओं के प्रति अनुक्रियाओं के Reseller में उत्पन्न होती है, जो हमारे दैहिक And मनोवैज्ञानिक कार्यो को विघटित करता है या विघटित करने की धमकी देता है।’’
- ‘‘हम लोग तनाव को Single आन्तरिक अवस्था के Reseller में परिभाषित करते हैं, जो शरीर की दैहिक माँगों (बीमारी की अवस्थायें, व्यायाम, अत्यधिक तापक्रम इत्यादि) या वैसे पर्यावरणी And सामाजिक परिस्थितियाँ जिसे सचमुच में हानिकारक, अनियंत्रण योग्य तथा निबटने के मौजूद साधनों को चुनौती देने वाला के Reseller में मूल्यांकित Reseller जाता है। से उत्पन्न होता है।’’
- ‘‘तनाव से तात्पर्य शरीर द्वारा Needनुसार किये गये अविशिष्ट अनुक्रिया से होता है।’’
परिभाषाओं का विश्लेषण या तनाव की प्रमुख विशेषतायें- यदि हम तनाव की विभिन्न परिभाषाओं का विश्लेषण करें तो इसकी निम्न प्रमुख विशेषतायें सामने आती हैं-
- तनाव Single अनुक्रिया है।
- तनाव उत्पन्न होने के अनेक कारण हो सकते हैं। अत: यह Single बहुआयामी प्रक्रिया है।
- तनाव में परिस्थितियाँ व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होती है।
- तनाव उत्पन्न होने पर व्यक्ति को शारीरिक And मानसिक दोनों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- तनाव की स्थिति की कोर्इ निश्चित समयाविधि नहीं है। यह थोड़े समय के लिये भी रह सकता है और लम्बे समय तक भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि तनाव किस कारण से उत्पन्न हुआ है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि तनाव Single ऐसी बहुआयामी प्रक्रिया है, जो तनाव उत्पन्न करने वाली घटना होती है, जिससे व्यक्ति के न केवल शारीरिक वरन् मानसिक कार्य भी विघटित हो जाते हैं।
तनाव के प्रकार
तनाव के मुख्यत: दो भेद किये जा सकते हैं – (अ) सकारात्मक तनाव (ब) नकारात्मक तनाव
(अ) सकारात्मक तनाव –
इस तनाव की स्थिति में व्यक्ति तनावजनक घटना से परेशासन And चिन्तित नहीं होता वरन् साधन के साथ उसका सामना करने के लिये उठ खड़ा होता है तथा उस परिस्थिति को Single चुनौती के Reseller में लेता है, जिससे तनाव के क्षणों का भी वह सदुपयोग कर पाता है। उसकी सोच सकारात्मक बनी रहती है तथा वह अपेक्षाकृत अधिक सजग And जागरूक होकर अपने क्षमताओं के बलबूते उस घटना से निपटता है। इस प्रकार सकारात्मक तनाव की स्ििाति में व्यक्ति कार्य करने के लिये सामान्य से अधिक सक्रिय हो जाता है।
(ब) नकारात्मक तनाव –
यह सकारात्मक तनाव के ठीक विपरीत है। इसमें व्यक्ति का दृष्टिकोण उसका नजरिया नकारात्मक हो जाता है। नकारात्मक सोने के कारण वह तनाव उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से निपटने में स्वयं को असमर्थ और असहाय पाता है जिससे उसमें दुश्चिन्ता उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।
तनाव के कारण –
व्यक्ति में किन-किन कारकों से तनाव उत्पन्न होता है, इस विषय पर मनोवैज्ञानिकों द्वारा अत्यधिक गहन अध्ययन Reseller गया। इस अध्ययन के आधार पर तनाव उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं –
1. जीवन की तनावपूर्ण घटनायें –
व्यक्ति की दिन – प्रतिदनि की उलझनें तथा जिन्दगी में दु:खद घटनाओं का घटित होना तनाव का Single प्रमुख कारण है।
2. अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा युक्त जीवन –
आधुनिक भौतिकवादी जीवन शैली ने व्यक्तियों में पैसा और नाम कमाने की होड़ को अत्यधिक बढ़ावा दिया है जिसके कारण उसमें दूसरों के साथ प्रतिस्पर्द्धा And र्इष्र्या की गलत भावना बढ़ती ही जा रही है। परिणामस्वReseller व्यक्ति अपने दु:ख के कम दु:खी और दूसरों के दसुख से स्व्यं अधिक तनावग्रस्त रहने लगा है।
3. सकारात्मक दृष्टिकोण का अभाव –
आज का व्यक्ति आत्मबल And प्राणशक्ति की दृष्टि से अत्यधिक दुर्बल हो गया है, जिसके कारण जब उसके सामने कोर्इ भी समस्या आती है तो वह बहुत जल्दी हैरान-परेशान हो जाता है और विवेकपूर्ण ढंग से न सोच पाने के कारण उसमें नकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते हैं। परिणामस्वReseller वह कुछ प्रयास करने से First ही स्वयं को असमर्थ महसूस कर परिस्थितियों के सामने अपने हथियार डाल देता है।
4. समय प्रबन्धन का अभाव –
वर्तमान समय में तनाव को उत्पन्न करने वाला Single प्रमुख कारक समय की कीमत को न पहचानना है। व्यक्ति अपनी आलस्य की प्रबृद्धि के कारण समय रहते काम नहीं पूरा करता और जब परिस्थिति उसके नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो वह तनावग्रस्त हो जाता है। अत: समय प्रबंधन का प्रभाव भी तनाव का Single प्रमुख कारण है।
5. अपनी क्षमताओं का ठीक-ठीक मूल्यांकन न कर पाना –
आज की भागदौड़ की जिन्दगी में प्रय: अधिकांश व्यक्तियों के पास स्वंय के लिये सुकून के दो पल भी नहीं है, जिसमें शांति से बैठकर वह स्वयं के बारे में गहरार्इ से सोच सके। व्यक्ति को यह ही नहीं माूलम होता कि वह क्या-क्या कर सकता है और उसमें क्या-क्या कमियां हैं, जिससे कि वह स्वयं का सुधार कर सके। अत: आत्म-मूल्यांकन का अभाव भी तनाव का Single प्रमुख कारण है।
6. दूसरों पर निर्भर रहने की आदत –
जीवन में तनावयुक्त And खुश रहने का सबसे अच्छा उपाय है – आत्म निर्भर रहना And दूसरों से किसी भी प्रकार की अच्छा करने या होने की अपेक्षा न करना लेकिन यथार्थ जिन्दगी में ऐसा हो नहीं पाता। आज व्यक्तियों पर स्वयं पर कम और अपने काम के लिये दूसरों पर निर्भर होने की प्रबृद्धि बढ़ती जा रही है। अत: जब दूसरों से अपनी अपेक्षा के अनुReseller परिणाम प्राप्त नहीं होता है तो व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है।
7. स्वार्थ And अहंकार की भावना –
वर्तमान समय में व्यक्तियों में बढ़ती हुयी स्वार्थ And अहंकार की भावना ने भी तनाव को बढ़ावा दिया है।
8. भगवान् पर श्रद्धा And विश्वास न होना –
आज व्यक्ति प्रत्येक कार्य And घटना के लिये कर्ता स्वयं को ही मानता है। अत: इसके कारण Single तो उसमें अहंकार And कत्र्तापन का भाव बढ़ता जा रहा है, दूसरी ओर वह उस सवर्वोच्च परमात्यसत्ता पर विश्वास ही नहीं करता है। अत: जैसे ही कोर्इ भी विपरीत परिस्थिति उसके सामने आती है तो इसका दोषारोपण या तो दूसरों पर या स्वयं पर करता है और उसमें इतनी सहनशक्ति होती नहीं है कि वह उस घटना के दबाव को झेल पाये। परिणामस्वReseller तनाव उत्पन्न हो जाता है।
9. आत्म संवेदनाओं की कमी –
वर्तमान भौतिकवादी युग में व्यक्ति सुबह से लेकर रातभार तक पैसे और नाम की अन्धी दौड़ में Single मशीन की भांति काम कर रहा है। ये धन की अन्धी दौड़ पता नहीं उसे कहां लेकर जायेगी। परिणामस्वReseller व्यक्ति इतना स्वाथ्र्ाी हो गया है कि स्वयं के हित के लिये वह किसी भी हद तक जाकर दूसरों की खुशियों का गला घोंट सकता है, क्योंकि इसमें इतनी संवेदना ही नहीं रह गयी है कि वह अपने या दूसरों के भांवों को समझकर उन संवेदनाओं का सम्मान कर सकें। परिणामत: स्वयं भी तनावग्रस्त रहता है और दूसरों के लिये भी तनाव का कारण बनता है।
10. आत्मसम्मान And आत्मविश्वास का अभाव –
लक्षण –
जैसा कि आप जानते हैं कि तनाव के दौरान व्यक्ति में दैहिक And मानसिक दोनों ही प्रकार का विघटन होता है Meansात् इसमें न केवल शरीर वरन् मन भी बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। अत: तनाव के लक्षणों का विवेचन निम्न दो बिन्दुओं के अन्तर्गत Reseller जा सकता है –
- शारीरिक लक्षण
- मानसिक लक्षण
(क) शारीरिक लक्षण –
- उच्च रक्तचाप
- हृदय गति का बढ़ जाना
- नाड़ी गति And श्वांस की गति का बढ़ना
- कब्ज, अजीर्ण
- सिर दर्द
- सम्पूर्ण शरीर में तनाव
- शारीरिक थकान
- नींद न आना
- भूख न लगना
- वजन घटना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी इत्यादि।
(ख) मानसिक लक्षण –
- मानसिक असंतुलन
- बैचेनी And चिड़चिड़ापन
- आत्मविश्वास And आत्म सम्मान का अभाव
- नकारात्म सोच
- भय
- चिन्ता
- स्वयं को निर्बल मानना।
- दूसरों के साथ संतोषजनक सम्बन्ध न बनाये रख पानां।
- समायोजन की कमी इत्यादि।
इस प्रकार स्पष्ट है कि तनाव को नकारात्मक ढंग से लेने पर यह शरीर And मन को बुरी तरह तोड़कर रख देता है तथा चिन्ता And अवसाद तथा अनेक प्रकार के गंभीर मनोकायिक रोगों को जन्म देता है।
समाधान –
तनाव की बबढ़ती हुयी समस्या के कारण आज प्रत्येक व्यक्ति हैरान परेशान है ताकि इसके समाधान की दिशा में बहुत प्रयासरत है। आधुनिक एलोपैथी चिकित्सा के पास तनाव को दूर करने के कोर्इ स्थायी समााधान नहीं है। किन्तु यौगिक जीवन शैली के कुछ ऐसे सूत्र And विधियां हैं, जिनको यदि अपने जीवन में उतारने की कोशिश की जाये तो बहुत कुछ हद तक तनाव को नियंत्रित Reseller जा सकता है। कुछ प्रमुख यौगिक उपाय निम्नानुसार हैं –
1. स्वयं को परम सत्ता परमात्मा का अभिन्न अंग समझना –
तनाव को दूर करने का सबसे कारगर उपाय है स्वयं को दीन-हीन न समझकर भगवान का अभिन्न अंश समझना और इस सत्य पर विश्वास करना कि वह सर्वसमर्थ सत्ता हर पल हमारा ध्यान रख रहा है। हम अकेले नहीं, उनके सान्निध्य में हैं। उनकी नजर हर पल हम पर है। हमारे साथ जो कुछ हो रहा है, वह भगवान् के संरक्षण में हो रहा है और वे हमारे साथ बुरा नहीं होने देंगे।
2. समय की मर्यादा का पालन –
इसके साथ ही यदि हम समय की महत्ता को समझते हुए जिस समय पर जो कार्य करना है, प्राथमिकता के आधार पर तय करके, उसे समय पर पूरा करन की आदत डालें तो हमसे भी हम बहुत कुछ हत तक तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं।
3. सकारात्मक दृष्टिकोण –
तनाव को दूर करने के लिये हम घटनाओं के सकारात्मक ढंग से लेने की आदत डालती चाहिये, क्योंकि कोर्इ भी कार्य या घटना भगवान की इच्छा से ही होती है। किन्तु साथ ही हमें उचित समय पर अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी करना चाहिए।
4. भविष्य की चिन्ता न करना –
अक्सर भविष्य की व्यर्थ की चिन्ता के कारण भी व्यक्ति तनावग्रस्त रहता है। अत: हमें भविष्य की चिन्ता को छोड़कर वर्तमान में जीने की आदत डालनी चाहिये।
5. प्रार्थना –
तनाव मुक्त रहने का Single अत्यन्त प्रभावी उपाय है सुख And दुख दोनों ही स्थितियों में तड़पकर उस परमात्मा को पुकारना।
6. प्रात:कालीन भ्रमण –
प्रात:काल वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है। अत: तनावमुक्त रहने के लिये नियमित Reseller से Ultra siteोदय से पूर्ण प्रात:काल भ्रमण की आदत डालनी चाहिये।