चार्टिस्ट आंदोलन
- वार्शिक पार्लियामेटं ,
- वयस्क मताधिकार,
- गुप्त मतदान,
- संसद की सदस्यता के लिए सम्पित्त की योग्यता को समाप्त करना,
- समान निर्वाचन क्षेत्र,
- संसद के सदस्यों का वेतन देना।
इस प्रकार चार्टिस्टों द्वारा छह सूत्रीय मांगे पेश की गर्इ। इन मांगों का संबंध देश के मजदरूों में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक असंतोश से था।
आंदोलन के कारण
सामाजिक-कारण : इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रान्ति ब्रिटेन की सामाजिक व्यवस्था को परिवर्तित कर दिया। इसके कारण मध्यम वर्ग सम्पन्न होता गया जब कि मजदूर-वर्ग निर्धन। फलत: अमीर और गरीब की सामाजिक स्थिति में अंतर बढ़ता गया। इससे सामाजिक Singleता Destroy होती गयी। यह स्थिति देश के अंदर दो राश्ट्र होने जैसे अनुभव का आभास कराती थी, जिसमें विभिन्न वर्गों में आपस में कोर्इ सहानुभूति न थी।
आर्थिक-कारण
औद्योगिक-क्रान्ति के कारण देश में आर्थिक असमानताएँ भी बढ़ती गयी। देश में बड़े-बड़े उद्योगो की स्थापना और विकास के कारण संपित्त में वृद्धि तो हो रही थी, पर इसका लाभ कुछ लोगों को ही मिल रहा था। धन का समान वितरण न होने के कारण मध्यम-वर्ग ओर उद्योगपति ही धनी होता गया, जबकि मजदूरों को उनका उचित हिस्सा नहीं मिल पा रहा था। इस प्रकार औद्योगीकरण का दुश्परिणाम मजदूर-वर्ग को भुगतना पड़ रहा था।
राजनीतिक कारण
देश की राजनीति में भी मजदूरों का कोर्इ महत्व न था। सन् 1832 र्इ. का सुधार अधिनियम उनकी स्थिमि में सुधार लाने में असफल सिद्ध हुआ। ऐसी स्थिति में देश के मजदूरों ने राजनीतिक-अधिकार प्राप्त करना आवशयक समझा। वे यह मानते थे कि इसके बिना उनकी सामाजिक ओर आर्थिक स्थिति में सुधार लाना संभव न होगा, इसीलिए उन्होंने अपने आदं ाले नों द्वारा अनेक मांगें रखी। वे यह भी मानते थे कि संसद में जाने के बाद ही वे अपने अधिकारों को प्राप्त करने में समर्थ हो सकेगे । इसी कारण चार्टिस्ट-आन्दोलन ने राजनीतिक-आंदोलन का Reseller ले लिया था। राजनीतिक-अधिकार प्राप्त करने के बाद ही वे आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों के लिए कोशिश करना चाहते थे। इस प्रकार इस आंदोलन के अनेक कारण थे। विलियम जॉनेट और फर्गुस ओकानेर इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
आंदोलन की प्रगति
14 जून सन् 1839 र्इ. को चार्टिस्टों ने अपनी माँगों से संबंधित First आवेदन पत्र संसद के समक्ष पेश Reseller, जिस पर लाखांे लोगों के हस्ताक्षर थे। इपर संसद ने उस पर विचारकरने से इंकार कर दिए। अपना प्रार्थनापत्र अस्वीकार किए जाने के कारण चार्टिस्टों ने जो आंदोलन प्रारंभ Reseller, उसका नेतृत्व ओकानेर, ऐटबुड और ओब्रायन के हाथों में आ गया। मन्मथशायर में Single भयंकर विद्रोह Reseller गया। जब विद्रोहियों ने अपने नेता हेनरी विन्सेटं को छुड़ाने न्यूपाटेर् की जेल पर आक्रमण Reseller तब सैनिकों को Safty की दृष्टि से गोली चलानी पड़ी। इससे तीस लोग मारे गये और अनेक घायल हुए। इस घटना को ‘न्यूपोर्ट के Fight’ का नाम दिया गया। इस घटना के बाद चार्टिस्टों के अनेक नेता कैद कर लिए गए और कुछ को निर्वाचित कर दिया गया। इसके बावजूद चार्टिस्टों का आन्दोलन जारी रहा, लेकिन इसके पशचात उन्होंने शक्ति-प्रदशर्न का मार्ग छोड़ दिया।
1841 र्इ. में चार्टिस्टों ने अपना दूसरा आवेदन पत्र प्रस्तुत Reseller, पर संसद ने उस पर भी विचार नहीं Reseller। 1848 र्इ. में जब फ्रासं में तीसरी क्रान्ति हइुर् तब उससे प्रोत्साहित होकर चार्टिस्टों ने पुन: आन्दोलन छेड़ दिया। उन्होंने इस बार 50 लाख लोगों के हस्ताक्षरपूर्ण तीसरी आवदे न पत्र संसद के समक्ष प्रस्तुत करने का निशचय Reseller। उसे उन्होंने Single बड़े जुलूस के साथ संसद तक ले जाने का निशचय Reseller, पर उन्हें एसे ा करने से राके दिया गया। संसद ने इस आवदे न पत्र पर विचार करने करने के लिए Single समिति की Appointment की। जाँच से यह ज्ञात हुआ कि उनमें से अनेक हस्ताक्षर जाली थे। उस समय वे चॉर्टिस्टों का महत्व घट गया और लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। धीरे-धीरे नैतिक हृास हो गया। इस प्रकार Single अच्छे उद्देशय के बावजूद यह आंदोलन असफल रहा।
असफलता के कारण
चार्टिस्ट-आंदोलन की असफलता के निम्न प्रमुख कारण थे-
- चार्टिस्ट-आंदोलन से संबंधित लोग आपस में विभाजित थे। उनमें से कुछ लोग हिंसक तरीके अपनाना चाहते थे, जबकि कुछ लोग शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाना चाहते थे। इस मतभेद के कारण उनकी शक्ति कम हुर्इ।
- उनके साधन और तरीके अपर्याप्त और अनुचित थे। उन्होंने जिस प्रकार से विद्रोह Reseller और जाली हस्ताक्षर से युक्त आवेदन-पत्र तैयार Reseller, इससे वे जन-सहानुभूति से वंचित हो गए। अभीश्ट जन-समर्थन के अभाव में उनका आंदोलन कुछ समय के पशचात महत्वहीन हो गया।
- ब्रिटिश-सरकार ने अपनी ओर से एसे ा कानून पारित Reseller, जिससे देश के मजदूरों की स्थिति में सुधार आया। फैक्ट्री और श्रम कानूनों के निर्माण से चार्टिस्ट आन्दोलन को शक्ति और उपयाेि गता में कमी आयी।
- कृशि, व्यापार की उन्नति और अनाज कानून के समाप्त हो जाने से देश की आर्थिक स्थिति में पूर्व की अपेक्षा सुधार हुआ तथा वस्तुओं के मूल्यों में कमी आयी। इन उपायों के कारण आंदोलन के समर्थकों की संख्या कम होती गयी।
- याग्ेय नेतृत्व के अभाव के कारण भी यह आन्दोलन सफल न हो सका। चार्टिस्टों ने All मजदूरों को संगठित नहीं Reseller था। इस कारण उन्हें संपूर्ण मजदूरों का सहयोग प्राप्त नहीं हो सका। उनके लक्ष्य स्पश्ट और निर्धारित नहीं थे।
- हिंसा, दंगों और हड़ताल के कारण चार्टिस्टों ने जन-समथर्न खो दिया, क्यों वहां की जनता शान्तिपूर्ण तरीके से ही परिवर्तन लाने में विशवास करती थी। झूठे हस्ताक्षर के कारण भी उनकी असलियत सामने आ गयी थी, इसलिए उनका आंदोलन हंसी-मजाक से समाप्त हो गया।
- उक्त कारणों के परिणामस्वReseller यद्यपि चार्टिस्ट-आंदोलन असफल रहा, परंतु उसका अपना महत्व हैं। आंदोलन के असफल होने के बावजूद उसके उद्देशय जीवित रहे। इस संदर्भ में कार्लायल ने लिखा है, ‘‘ उसके सिद्धांत मौलिक और व्यापक थे। उनमें ऐसी बातें न थीं, जो कल ही आरंभ हुर्इ हों और आज या कल समाप्त गो जाए’ ‘। इसी कारण उनकी All मांगे धीरे-धीरे स्वीकार कर ली गयीं। गुप्त मतदान, व्यस्क मताधिकार, संसद के सदस्यों को वेतन देने आदि बातें स्वीकार कर ली गयीं।
- यह पहला श्रमिक-आंदोलन था, जिसकी ओर देश की जनता और सरकार का ध्यान आकृश्ट हुआ। इसने देश में भावी सुधारों के लिए मार्ग प्रशस्त Reseller। इस प्रकार असफल होने के बावजूद यह आंदोलन काफी उपयोगी और महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।
- 19वीं सदी का साहित्य भी इस आंदोलन से प्रभावित हुआ तभी तो कार्लायल जैसे विद्वान ने इससे संबंधित साहित्य की Creation की।