पर्यावरण का Means, प्रकार And हानिकारक तत्व
पर्यावरण के अवयव
सौरमंडल का Earth ही Single ऐसा ग्रह है जिस पर कि Human जीवन वनस्पति जीवन और पशु जीवन विकसित हो सका। Earth पर Human सभ्यता और संस्कृति की प्रगति हुर्इ। Earth को भूमण्डल भी कहते है इसके चार मण्डल है:-
1. स्थल मण्डल-
Earth के सबसे ऊपर की ओर ठोस परत पार्इ जाती है यह अनेक प्रकार की चट्टानों मिट्टी तथा ठोस पदार्थो से मिलकर बनी होती है। इसे ही स्थल मंडल कहते है। स्थलमंडल में भूमि भाग व समुद्री तल दोनों की आते हैं। स्थल मंडल सम्पूर्ण Earth का केवल 3/10 भाग है शेष 7/10 भाग समुद्र ने ले लिया है।
2. जल मण्डल-
Earth के स्थल मण्डल के नीचे के भागों में स्थित जल से भरे हुए भाग को जल मण्डल कहते हैं जैसे झील, सागर व महासागर आदि। 97.3% महासागरों और सागरों में है। शेष 2.7% हिमनदो और बर्फ के पहाड़ों, मीठे जल की झीलों नदियों और भूमिगत जल के Reseller में पाया जाता है।
3. वायुमण्डल-
भूमण्डल का तीसरा मण्डल वायुमण्डल है। स्थल मण्डल व जल मण्डल के चारों और गैस जैसे पदार्थो का Single आवरण है। इसमें नार्इट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बनडाइआक्साइड व अन्य गैसें, मिट्टी के कण, पानी की भाप And अन्य अनेक पदार्थ, मिले हुए हैं। इन All पदार्थो के मिश्रण से बने आवरण को वायुमण्डल कहते है। वायुमण्डल Earth की रक्षा करने वाला रोधी आवरण है। यह Ultra site के गहन प्रकाश व ताप को नरम करता है। इसकी ओजोन (O3) परत Ultra site से आने वाली अत्याधिक हानिकारक पराबैंगनी किरणों केा सोख लेती है। इस प्रकार यह जीवों की विनाश होने से रक्षा करती है।
4. जैव मण्डल-
पर्यावरण के प्रकार
विभिन्न पर्यावरणविद ने पर्यावरण के विभिन्न-विभिन्न प्रकार दिए। वैसे मुख्य Reseller से पर्यावरण तीन Resellerों में पाया जाता है:-
1. भौतिक पर्यावरण या प्राकृतिक पर्यावरण :-
इसके अंतर्गत वायु, जल व खाद्य पदार्थ भूमि, ध्वनि, उष्मा प्रकाश, नदी, पर्वत, खनिज पदार्थ, विकिरण आदि पदार्थ शामिल हैं। मनुष्य इनसे लगातार सम्पर्क में रहता है इसलिए ये मनुष्य के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालते हैं।
2. जैविक पर्यावरण :-
- पौधों का वातावरण
- जीवों का वातावरण
3. जानवरों का वातावरण:- मनो-सामाजिक पर्यावरण:-
पर्यावरण के हानिकारक तत्व
1. हानिकारक गैसें-
- परम्परागत र्इंधन स्त्रोतों को छोड़ कर नवीन र्इंधन प्रणाली एल.पी.जी. गैस प्रणाली को अपनाना चाहिए।
- उद्योग And कारखानों के क्षेत्र में हरे वृक्ष And विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर प्रदूषण को कम Reseller जा सकता है।
2. जल प्रदूषण:-
जल प्रदूषण का प्रभाव विश्व के समस्त देशों को प्रभावित करता है। समुद्री प्रदूषण को खनिज तेलों को ले जाने वाले जहाजों के दुर्घटनाग्रस्त होने व नदियों के प्रदूषित जल का समुद्र में मिलना आदि बढ़ावा देते हैं। समुद्री जल के प्रदूषण से जीव-जन्तु व मनुष्य के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं और संक्रामक रोग हो जाते हैं। प्रदूषण को रोकने का भरसक प्रयास करना चाहिए। विश्व पर्यावरण सम्मेलन में समुद्र में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए राज्यों को ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे मनुष्य व समुद्री जीव-जन्तुओं के स्वास्थ्य को हानि न हो।
3. रेगिस्तानीकरण:-
Earth पर यदि मरूस्थल क्षेत्र बढ़ जाता है तो मनुष्य के लिए गम्भीर समस्या खड़ी हो जाती है। इसके मुख्य कारण Earth में पानी की कमी वन क्षेत्रों का मनुष्य द्वारा Reseller गया विनाश, संरक्षण प्रदान करने वाली पहाड़ियों की निर्जनता तथा जनसंख्या में वृद्धि होना। मरूस्थल का ताप 00C हो जाता है जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे बचने के लिए सबसे First वनों की कटार्इ रोकनी पड़ेगी।
4. विकरणीय प्रदूषण:-
पर्यावरण की Need
प्रकृति का क्षेत्र अधिक विस्तृत तथा रहस्यमय है जो कि पर्यावरण के साथ Added हुआ है। मनुष्य विकसित तथा सामाजिक प्राणी है इसलिए वह प्राकृतिक घटनाओं का ज्ञान व उसके कारण ढँूढ़ता है। खेत, बगीचे, नदी, झरने आदि व जन्तु आदि पर्यावरण को सुन्दर व स्वच्छ बनाते हैं। प्रकृति की गोद में बालक जाकर प्राकृतिक दृश्यों का बोध करता है और आँखों से देखकर हाथों से स्पर्श कर उन्हें समझ लेता है। यूनिसेफ ने प्राथमिक स्तर पर Single योजना पर्यावरणीय शिक्षा विद्यालयों में शुरू कर दी है। इसके द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षण दिया जाता है। जिससे वे पर्यावरण के प्रति जागरूक भी हो जाते है।