ओजोन क्षरण के कारण, वितरण और इसके प्रभाव
Ultra site से आने वाली लघु तरंगिक हानिकारक पराबैगनी किरणों को ओजोन के विघटन में ही हृास हो जाता है, जिससे ये Earth की धरातल पर नहीं पहुँच पाती तथा जीवमंडल को Windows Hosting बनाये रखती है। इसलिए ओजोन परत को ‘ऊष्मा-सह छतरी’ या ‘जैवमंडल का Safty कवच’’ कहते हैं। वास्तव में सौर पराबैगनी प्रकाश के घातक प्रभाव से ओजोन हमारी रक्षा करती है।
ओजोन परत का वायुमंडलीय विस्तार कर्इ किमी. है किन्तु यदि इस परत को संपीड़ित कर Earth के वायु दाब पर मापी जाये तो यह केवल 3 मिलीमीटर मोटी होगी लेकिन समतापमंडलीय हवा के कम दाब पर यह 35 किमी तक फैली है। धरातल से ओजोन परत की ऊंचार्इ में मौसम And अक्षांश के According शीतकाल में नीचे तथा ग्रीष्मकाल में ऊंची हो जाती है। पराबैगनी किरणों के अवशोषण से ओजोन परत का तापमान बढ़कर 170 फारेनहाइट तक हो जाता है।
ओजोन का क्षरण
ओजोन परत के क्षरण का वैज्ञानिक व प्रामाणिक ज्ञान सबसे First अमेरिकी वैज्ञानिक शेरवुड रॉलैंड और मेरिओं मोलिका ने 1973 में बताया। उन्होंने कहा कि ओजोन परत को Human निर्मित गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) Destroy कर सकती है। 1983 और 1984 में अमेरिकी उपग्रह निम्बस ने ओजोन परत का काफी नजदीकी से अध्ययन Reseller। 1987 में शोध द्वारा यह सिद्ध हुआ कि क्लोरीन गैस ओजोन को Destroy करती है। वैज्ञानिकों ने इस सन्दर्भ में पाया कि क्लोरीन का Single परमाणु Single लाख ओजोन अणुओं को जब्त कर लेता है। अप्रैल 1991 में नासा ने बताया कि गत Single दशक में ओजोन परत का 4.5 से 5 प्रतिशत तक हृास हुआ है।
ओजोन क्षरण के कारण
प्राकृतिक कारक – प्राकृतिक कारकों में सौर क्रिया, नाइट्रस ऑक्साइड, प्राकृतिक क्लोरीन, वायुमंडलीय संरचरण, Earth के Creationत्मक प्लेट किनारों से निकलने वाली गैस तथा केन्द्रीय ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाली गैसें प्रमुख हैं।
- ओजोन को क्षति पहुँचाने वाली पेराबैंगनी किरणों की मात्रा सौर स्थिरांक द्वारा प्रभावित होती है। सौर स्थिरांक धरातल से 1000 किमी की ऊंचार्इ पर मापी गयी Ultra siteाभिताप की Earth के वायुमंडल में प्रवेश करने की मात्रा है जो सामान्य Reseller से 2 कैलोरी प्रति वर्ग सेमी प्रति मिनट होती है। सौर स्थिरांक, सौर क्रिया द्वारा प्रभावित होती है। सौर क्रिया के समय अधिक ऊर्जा निकलती है। Single सौर चक्र में कर्इ सौर क्रियायें होती हैं। इस समय 21वां सौर चक्र चल रहा है, जिसमें 170 सौर क्रियाऐं हो चुकी हैं। सौर क्रिया के समय सौर स्थिरांक सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे ओजोन का प्राकृतिक विनाश बढ़ जाता है।
- वायुमण्डल में आणविक नाइट्रोजन गैस प्राकृतिक Reseller में उपस्थित रहती है, जिसके साथ Ultra siteताप के संयोग से नाइट्रस ऑक्साइड बनता है, जिसे प्रकाश रसायन (Photo Chemical) कहा जाता है।
- वायुमंडल को त्रिकोशिकीय देशान्तरीय संचरण द्वारा शीतोष्ण कटिबन्धीय औद्योगिक देशों से विसर्जित ओजोन विनाशक तत्व 60-70 उत्त्ारी तथा दक्षिणी अक्षाशों के सहारे ऊपर उठाये जाते हैं, जो ओजोन का क्षरण करते हैं। इन गैसों को ऊपर विसर्जित करने में शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का हाथ होता है।
- वायुमण्डल में प्राकृतिक स्त्रोतों से विसर्जित क्लोरीन की मात्रा Human द्वारा विसर्जित क्लोरीन की मात्रा से हजारों गुना अधिक है।
- सोवियत शोधकर्ता डॉ. ब्लादीमीर साखे के According गैस हाइड्रेट रन्ध्रमय बर्फ की तरह होती है तथा ऊपरी वायुमण्डल में निर्मित होती है। यह गैस विरल होती जा रही है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन फ्रियन का दूसरा रासायनिक नाम है जो Single शीतलक गैस है। इसका विकास First 1930 में थॉमस मिडग्ले द्वारा Reseller गया। क्लोरोफ्लोरोकार्बन की Creation क्लोराइन, फ्लोराइन तथा कार्बन से हुर्इ जो Single कृत्रिम रसायन है। इसका भूमितल पर कोर्इ कुप्रभाव नहीं पड़ता लेकिन यह ओजोन से रासायनिक अभिक्रिया कर खतरनाक बन जाती है। इस रसायन का प्रयोग वातानुकूलक, रेफ्रिजरेटर, हेयर स्पे्र, फर्नीचर पॉलिस, अग्निशामक, भू-उपग्रह प्रक्षेपण तथा डिस्पेन्सर आदि में Reseller जाता है। इस रसायन के अलावा हैलन्स नाइट्रस ऑक्साइड तथा अन्य हैलोजनिक गैसे भी ओजोन परत के क्षरण में मुख्य भूमिका निभाती है। सुपरसोनिक जेट विमानों द्वारा निस्सृत नाइट्रस ऑक्साइड द्वारा 3 से 23 प्रतिशत तक ओजोन गैस का क्षरण होता है।
ओजोन क्षरण का वितरण
ओजोन क्षरण के वितरण को मुख्यतया दो भागों में बांटा जा सकता है :
- कालिक वितरण-Ultra site के उत्तरायण व दक्षिणायन होने से दोनों गोलार्द्धो में ग्रीष्मकाल में समयान्तर होता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में सितम्बर-अक्टूबर के बीच ओजोन क्षरण की स्थिति देखी जाती है जबकि गोलार्द्ध में मार्च-अप्रैल में ओजोन की कमी देखी जाती है।
- स्थानीय वितरण-600-700 उत्तरी व दक्षिणी अक्षाशों के सहारे ओजोन की क्षरण की स्थिति पायी जाती है। उसके अंतर्गत अर्जेन्टीना, चिली, ब्राजील, उरूग्वे, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस, कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के क्षेत्र आते हैं। ओजोन परत को Windows Hosting रखने हेतु विश्वव्यापी प्रयास हुए जिनमें 1985 में ओजोन Destroy करने वाले पदार्थों (ओ0डी0एस0) पर वियना समझौता और 1997 में मॉट्रियल संधि पारित हुर्इ। भारत 1992 में इस संधि में सम्मिलित हुआ। संधि प्रस्ताव के तहत ओजोन Destroy करने वाले पदार्थों को क्रमबद्ध ढंग से समाप्त करने और ओजोन तथा ऐसे पदार्थों से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए मंत्रालय द्वारा ओजोन प्रकोष्ठ की स्थापना की गर्इ।
वायु प्रदूषण के कारण Earth 20-25 किमी0 की ऊंचार्इ पर स्थित ओजोन परत की क्षति हो रही है। ओजोन परत को क्षीण करने वाले विभिन्न हानिकारक रसायनों की वायुमण्डल में निरंतर वृद्धि हो रही है। सुपर वायुयानों द्वारा अधिक ऊॅचार्इ पर जो प्रदूषण पदार्थ विसर्जित होते है, उससे भी ओजोन परत प्रभावित होती है। वैज्ञानिकों के अनुमान According ओजोन परत की मोटार्इ में 2 प्रतिशत की कमी आर्इ है, जिससे पराबैंगनी किरणों के Earth पर पहुँचने की संभावना बढ़ गर्इ है। इसके दूरगामी परिणाम हम भुगत रहे हैं। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में लोग त्वचा केंसर आदि बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। घातक पराबैंगनी किरणों मनुष्य में आनुवांशिक परिवर्तन लाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटाती है। परिणामस्वReseller Earth के जीव जन्तुओं की अनेक प्रजातियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।
ओजोन क्षरण के प्रभाव
ओजोन स्तर के क्षरण के कारण निम्नलिखित प्रभाव पाये जाते है :
- मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएॅ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाने से निमोनिया, ब्रोन्काइटिस, अल्सर नामक रोग हो जाते हैं।
- ओजोन स्तर के क्षरण के कारण Ultra site से आने वाली पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से त्वचा का कैंसर हो जाता है।
- ओजोन स्तर के क्षरण से आनुवांशिक विसंगतियाँ, विकृतियाँ तथा चिरकालिक रोग उत्पन्न होंगे।
- Ultra site से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से आँखों के घातक रोग-सूजन, मोतियाबिन्द, घाव हो जाते हैं।
- ओजोन के क्षरण से तापमान में वृद्धि हो रही है।
- ओजोन स्तर के क्षरण के कारण सूक्ष्म जीवों And वनस्पतियों में प्रोटीन खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। उत्पादक-शैवाल Destroy हो जाते हैं। शैवालों (Algae) के Destroy हो जाने पर जलीय जीव जात-मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी प्राणी व्हेल, सील और Human भी प्रभावित होता है।
ओजोन क्षरण पर नियंत्रण के प्रयास
First 1974 में प्रो0 शेरवुड रॉलेण्ड (Prof. Sherwood Rawlamd) ने ओजोन क्षरण की और ध्यान आकर्षित करने के बाद CFC And हैलोन यौगिकों पर प्रतिबंध की माँग की।
1985 में ओजोन स्तर के क्षय को रोकने के लिए वियना में First भूमण्डलीय संगोष्ठी का आयोजन Reseller गया, जिसमें CFCs के उत्पादन तथा हैलोन गैसों की खपत समाप्त करने संबंधी विषय पर Discussion हुर्इ।
वर्ष 1987 में कनाडा के मान्ट्रियल शहर में महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें CFC को चरणबद्ध Reseller में नियंत्रित करना तथा CFC का उत्पादन बन्द करना, इसका उत्पादन वर्ष 1998 तक कम कर 50 प्रतिशत करना, आदि विषयों पर निर्णय लिया गया।
वर्ष 1990 में ओजोन स्तर Safty के नाम से लन्दन में Single संगोष्ठी आयोजित हुर्इ जिसमें All देशों को CFC रहित करना है।
वर्ष 1992 में कोपेनहेगेन में आयोजित संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि CFC का उपयोग पूर्णत: बन्द कर दिया जावे। उपरोक्त संगोष्ठियों के निर्णयों के उपरान्त भी वैज्ञानिक विकास के लिए यह कहना कठिन है कि मनुष्य अपनी संतुलित And Windows Hosting स्थिति में लौट पायेंगे या नहीं।