Single्यूपंक्चर का Means, परिभाषा And History
Single्युप्रेशर And Single्युपंक्चर चिकित्सा पद्धति पुरातन भारत वर्श में पैदा हुर्इ, चीन में पली बढ़ी तथा पाश्चात्य जगत में आधुनिक काल में लोकप्रिय हुर्इ। भारत वर्श में जहाँ महिलायें बिन्दी लगाती हैं, जहाँ माँग भरती है, जहाँ नाक, कान छेदे जाते हैं, जहाँ बिछिया, अणत, चूड़ियाँ आदि पहने जाते हैं ये सब Single्युपंक्चर उपचार के महत्वपूर्ण बिन्दु हैं। महावत का छोटा सा लड़का विशालकाय हाथी का नियंत्रण अंकुश द्वारा हाथी के Acupoints को दबाकर करता है।
विगत पांच हजार वर्षों से चीन में Single्युप्रेशर And Single्युपंक्चर चिकित्सा पद्धति से सफलतापूर्वक उपचार Reseller जा रहा है। समय-समय पर Single्युपंक्चर के विद्वानों ने शोध ग्रन्थ लिखे। ये शोध ग्रन्थ आधुनिक Single्युपंक्चर चिकित्सा का आधार है। चीन में 2500 वर्शों पूर्व Huang Di नामक सम्राट हुए। सम्राट Huang Di Single्युपंक्चर के मर्मज्ञ थे। सम्राट अपने Court physian Bo से Single्युपंक्चर पर Discussion Reseller करते थे। ये Discussionएं अकबर बीरबल संवाद की तरह चीन में बहुत प्रसिद्ध हुर्इ। सम्राट Huang Di चीन में Yellow Emperor के नाम से विख्यात हुए And court physion Bo के संवादों को चीन की गीता रामायण के समान है। इसी प्रकार Single्युपंक्चर के विद्वानों ने समय-समय पर अपने अनुभवों को ग्रन्थ Reseller में लिखा। भारत वर्श में Ayurvedic Acupuncture पर चरक, सुश्रुत आत्रेय आदि विद्वानों ने महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी। वेदों में भी Single्युपंक्चर यानि मर्मभेदन का विस्तृत वर्णन मिलता है।Acupoints को आयुर्वेद में मर्म बिन्दु कहते हैं। ऊर्जा प्रवाह पथ (Meridian) को आयुर्वेद में नाड़ी कहते हैं।
चीन में 1950 के दशक में चेयरमैन माओं ने लाखों लोगों को Single्युपंक्चर का प्रशिक्षण दिलवाया तथा Single्युपंक्चर किट देकर चीन के गांव-गांव में उपचार करने को भेज दिया। इन Single्युपंक्चर के डाक्टरों के पास पहनने को जूते तक न थे। पाश्चात्य देशों के लोग इनको Bare footed doctors के नाम से पुकारते थे। 1962 में अमेरिका के राश्ट्रपति निक्सन ने चीन की यात्रा की। महामहिम राश्ट्रपति के साथ गये Single पत्रकार के पेट में appendicitis का भयंकर दर्द होने लगा। राश्ट्रपति के डाक्टरों ने पत्रकार के एपेन्डिक्स का तत्काल आपरेशन करने की सलाह दी। चीन के प्रधानमंत्री की सलाह पर पत्रकार को Single्युपंक्चर का उपचार दिया गया। St361/2 बिन्दु पर दाहिने पैर में Single सुर्इ डालते ही पत्रकार का एपेन्डिक्स का दर्द आश्चर्यजनक Reseller से ठीक हो गया। राश्ट्रपति निक्सन प्रभावित हुए। लेडी निक्सन ने यात्रा के बाकी तीन दिनों तक Single्युपंक्चर के बारे में विस्तृत जानकारी ली। अमेरिका लैटते समय राश्ट्रपति निक्सन कुछ Single्युपंक्चर विद्वानों को अमेरिका अपने साथ ले गये। इसके बाद धीरे-धीरे चीनी Single्युपंक्चर का ज्ञान पाश्चात्य देशों में फैल गया। अंग्रजी में Single्युपंक्चर की पुस्तकें लिखी जाने लगी। Single्युपंक्चर का विशेश साहित्य पाश्चात्य देशों के माध्यम से भारत में भी आने लगा।
प्राचीन काल से ही हमारे देश में Single्युप्रेशर, Single्युपंचर पद्धति का उपयोग स्वास्थ्य अर्जन हेतु किसी न किसी Reseller में सदियों से होता रहा है। ऋषि मुनियों द्वारा शरीर के विभिन्न बिन्दुओं पर दबाव देकर अथवा मालिश द्वारा उपचार Reseller जाता रहा है। इन बिन्दुओं का History हमारे प्रचीन ग्रंथ आयुर्वेद में ‘मर्म’ के Reseller में हुआ है। कालांतर में सुची भेदन के द्वारा भी उपचार होता रहा, बाद में यह पद्धति बौद्ध धर्म के अनुयायी द्वारा लंका, चीन व जापान ले जार्इ गर्इ और इसका सम्पूर्ण And सम्यक् विकास चीन देश में हुआ। आज विभिन्न देशों जैसे-अमेरिका में रिफलेक्सोलॉजी, जापान में शियात्सु, चीन में Single्युपंचर, जर्मनी में इलेक्ट्रो Single्युपंचर, कोरिया And रूस में सर पार्क जी द्वारा प्रतिपादित सुजोक Single्युपंचर के Reseller में।
Single्युपंचर दो Wordों के योग से बना है। Single्यु ¾ सूचिका And पंचर ¾ भेदन। Meansात शरीरस्थ विभिन्न बिन्दुओं का सूचिका भेदन द्वारा स्वास्थ्य अर्जित करना। इन बिन्दुओं पर अंगुलियों का प्रयोग करके पंचर के स्थान पर दबाव दिया जाना Single्युप्रेशर कहलाता है तथा इन्हीं बिन्दुओं पर केवल रंगों का प्रयोग कर उपचार करना ही रंग चिकित्सा है।
Single्यूपंक्चर की परिभाषा
डॉ. पार्क जे.वु. :- अपनी पुस्तक ‘सुक्ष्म अभिनव Single्युप्रेशर-Single्युपंचर’ में लिखते हैं कि प्रकृति ने हमारे हाथों And पैरों की संCreation इस ढ़ग से की है कि उनमें शरीर के All अंगों And अवयवों से सादृश्यता है। इन सादृश्य केन्द्रों पर दबाव देकर या अन्य माध्यमों से शरीर की ऊर्जा शक्ति को उद्वेलित करके शारीरिक असहजता का निवारण Reseller जा सकता है।
डॉ0 फिट्जजेराल्ट :- इनका मानना है कि पैरों के तलुवों और हथेलियों में स्थित ज्ञान तन्तु ढक जाते हैं जिससे शरीर की विद्युत चुम्बकीय शक्ति का भूमि से सम्पर्क नहीं हो पाता, किन्तु इस विधि के उपचार से ज्ञान तन्तुओं के छोर पर हुआ जमाव दूर हो जाता है और शरीर की विद्युत चुम्बकीय तरंगों का पुन: मुक्त संचरण होने लगता है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य :- शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जीवनी शक्ति Single विशेष अदृश्य रेखाओं से आती है जिसका सम्बन्ध सम्पूर्ण शरीर से है। उन बिन्दुओं पर सुर्इ का स्पर्श (Single्युपंचर) या थोड़ा सा दबाव (Single्युप्रेशर) से दर्द या रोग तुरंत समाप्त हो जाता है। जटिल शल्य चिकित्सा से उत्पन्न दर्द को भी इन दबाव से आराम मिल सकता है।
डॉ. जे. पी.अग्रवाल :- ‘Single्युप्रेशर/Single्युपंचर वह विधा है जिसमें शरीर के किसी बिन्दु पर उपचार देकर ऊर्जा का विनिमयन Reseller जा सके।’
एम.पी. खेमका जी :- शरीर के रक्त (Blood), व Body fluids के स्थानान्तरण की विधा को Single्युप्रेशर/Single्युपंचर कहते हैं।
शरीर के किसी निश्चित बिन्दुुओं पर उपचार देकर ऊर्जा के रुकावट को नियमित करना व ऊर्जा को सन्तुलित कर शरीर को ठीक करने की विधा को Single्युप्रेशर/Single्युपंचर कहते हैं।
Single्युपंक्चर का History –
जब से मनुष्य का सभ्य समाज के Reseller में विकास हुआ है तब से ही चिकित्सक लगातार इस कोशिश में हैं कि अधिक से अधिक प्रभावशाली चिकित्सा पद्धतियों तथा औशधियों की खोज की जाए ताकि मनुष्य लम्बे समय तक निरोग रह सके और अगर रोगग्रस्त हो भी जाए तो शीघ्र स्वस्थ हो सके।
पुरातन काल से लेकर आधुनिक समय तक शरीर के अनेक रोगों तथा विकारों को दूर करने के लिए जितनी चिकित्सा पद्धतियाँ प्रचलित हुर्इ है उनमें Single्युप्रेशर-Single्युपंक्चर सबसे पुरानी तथा सबसे अधिक प्रभावशाली पद्धति है।
Single्युप्रेशर/Single्युपंक्चर चिकित्सा पद्धति का उद्भव स्थल या First अविष्कारक भारतवर्ष ही है। प्राचीन काल से ऋषि-मुनि इस चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करते रहे हैं। Single्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति पूर्णतया प्राकृतिक चिकित्सा है। मर्म चिकित्सा या नाड़ी शास्त्र हमारी संस्कृति की अनुपम देन है, इनमें नाड़ियों या मर्म बिन्दुओं के अंतिम, मध्य तथा आरम्भिक बिन्दुओं पर दबाव डालकर नाड़ी तंत्र को उत्तेजित व अनुत्तेजित कर All प्रकार के रोगों का इलाज Reseller जाता था। मालिश चिकित्सा पद्धति का मूल आधार Single्युप्रेशर/Single्युपंक्चर चिकित्सा को ही माना जाता है। History विदों का मानना है कि भगवान बुद्ध के समय में यह चिकित्सा पद्धति अपनी उन्नति के चरम पर थी। बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ इसका भी विस्तार चीन, जापान, कोरिया आदि पूर्वोत्तर देशों में हुआ तथा वे वहाँ के लोगों के रहन-सहन में रस बस गर्इ जो कि Single्युपंचर के नाम से प्रसिद्ध है। यही कारण है कि Single्युपंचर में उन्हीं बिन्दुओं का प्रयोग Reseller जाता है जो Single्युप्रेशर के मूल में विद्यमान है। विद्वानों का मत है कि लगभग 4000 वर्ष पूर्व यह चिकित्सा भारत वर्ष में अपने सर्वोत्तम विकास पर थी तथा यहाँ से इस चिकित्सा का विकास पूर्वोत्तर देशों में फैला जहाँ पर इसे आधुनिक विकास के साथ जोड़कर Single्युपंचर का नाम दे दिया गया ।
डॉ. एंटन जयUltra siteा के According इस चिकित्सा पद्धति के श्रीलंका तथा भारत में ऐसे शिलालेख तथा प्रमाण मिले हैं जो लगभग 2000 वर्ष से 4000 वर्ष पुराने हैं। ये शिलालेख विभिन्न Single्युपंचर बिन्दुओं को दर्शाते हैं तथा इन शिलालेखों के माध्यम से न केवल Human मात्र की चिकित्सा के प्रमाण मिलते हैं बल्कि पशुओं की चिकित्सा के भी प्रमाण मिलते हैं जिन्हें Fight में घायल हाथी, घोड़ों की चिकित्सा के लिए प्रयोग Reseller जाता था।
Single्युपंक्चर पद्धति कितनी पुरानी है तथा इसका किस देश में आविश्कार हुआ, इस बारे में अलग-अलग मत हैं। आयुर्वेद की पुरातन ग्रन्थों में प्रचलित Single्युपंक्चर पद्धति का वर्णन है, इसे आयुर्वेद में सुचिभेदन के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में चीन से जो यात्री भारतवर्श आए, उनके द्वारा इस पद्धति का ज्ञान चीन में पहुँचा जहाँ यह पद्धति काफी प्रचलित हुर्इ। चीन के चिकित्सकों ने इस पद्धति के आश्चर्यजनक प्रभाव को देखते हुए इसे व्यापक तौर पर अपनाया और इसको अधिक लोकप्रिय तथा समृद्ध बनाने के लिए काफी प्रयास Reseller। यही कारण है कि आज सारे संसार में यह चीनी चिकित्सा पद्धति के नाम से मशहूर है।
डॉ. आशिमा चटर्जी, भूतपूर्व एम.पी. ने 2 जुलार्इ 1982 को राज्य सभा में यह रहस्योद्घाटन करते हुए कहा था कि Single्युपंक्चर का अविश्कार चीन में नहीं अपितु भारतवर्श में हुआ था। इसी प्रकार 10 अगस्त, 1084 को चीन में Single्युपंचर सम्बन्धी हुर्इ Single राश्ट्रीय संगोश्ठी में बोलते हुए Indian Customer Single्युपंचर संस्था के संचालक डॉ. पी.के. सिंह ने तथ्यों सहित यह प्रमाणित करने की कोशिश की थी कि Single्युपंक्चर का अविश्कार निश्चय ही भारतवर्श में हुआ था। समय के साथ जहाँ इस पद्धति का चीन में काफी प्रचार बढ़ा, भारतवर्श में यह पद्धति लगभग लुप्तप्राय सी हो गयी। इसके कर्इ प्रमुख कारण थे। विदेशी शासन के कारण जहाँ भारतवासियों के सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक जीवन में काफी परिवर्तन आया वहाँ सरकारी मान्यता के अभाव के कारण Single्युपंक्चर सहित कर्इ अन्य प्राचीन Indian Customer चिकित्सा पद्धतियाँ पुिश्पत-पल्वित न हो सकी।
यद्यपि आधुनिक युग में चिकित्सा के क्षेत्र में कर्इ नर्इ पद्धतियाँ प्रचलित हो गर्इ है पर चीन में Single्युपंक्चर काफी लोकप्रिय पद्धति है। गत कुछ वर्शों में चीन से इस पद्धति का ज्ञान संसार के अनेक देशों में पहुँचा है। भारत सहित कर्इ देशों में चिकित्सक इस पद्धति का चीन से ज्ञान प्राप्त करके आए हैं।
ऐसा अनुमान है कि छठी शताब्दी में इस पद्धति का ज्ञान सम्भवत: बौद्ध भिक्षुओं द्वारा चीन से जापान में पहुँचा। जापान में इस पद्धति को शियात्सु (SHIATSU) कहते हैं। शियात्सु जापानी Word है जो दो अक्षरों ‘शि’ ‘SHI’ Meansात अँगुलि तथा ‘ATSU’ आतसु Meansात दबाव से बना है। शियात्सु पद्धति के According केवल हाथों के अँगूठों अथवा अँगुलियों के साथ ही विभिन्न मान्यता ‘शियात्सु’ केन्द्रों पर प्रेशर दिया जाता है।