परम्परागत बजटिंग क्या है?
- बजट का राजस्व खाता
- बजट का पूँजी खाता
बजट के परम्परागत राजस्व खाते के अन्तर्गत किसी आर्थिक इकाई को चालू व्यय मदों की वित्तपूर्ति अपनी वर्तमान आय से ही की जाती है। इसकी वित्तपूर्ति के लिये परिसम्पत्तियों में कमी नहीं की जाती है तथा इसके साथ सरकार की देयदाताओं में भी वृद्धि नहीं की जाती है। इस मद की राशियाँ निवेशित राशियों से भिन्न हाती हैं। पूंजी खाते के अन्तर्गत वे प्राप्तियाँ शामिल की जाती हैं जिसको सम्बन्ध निवेशित राशियों से होता है तथा सरकार की देयताओं में वृद्धि होती है या सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी। इस मद की राशियों का सम्बन्ध चालू खर्चों के वित्त पोषण से नहीं होता है।
परम्परागत बजटिंग के अन्तर्गत चालू खाता तथा पूँजी खाते को आपस में संतुलित बनाये रखा जाता है।
परम्परागत बजटिंग की विशेषताएँ
परम्परागत बजटिंग की अवधारणा को स्पष्ट करने के बाद यहाँ पर इस बजटिंग की मुख्य विशेषताओं को समझाने का प्रयास Reseller गया है।
- परम्परागत बजट चालू खाता तथा पूँजी खाते में विभाजित होता है जिन्हें बजट के मुख्य भागों के Reseller में देखा जाता है।
- परम्परागत बजट सामान्य Reseller से सन्तुलित बजट के मुख्य आयाम पर आधारित Reseller गया है। पूँजी खातों तथा चालू खातों को आपस में संतुलित Reseller जाता है।
- परम्परागत बजट को संतुलित बनाये रखने के लिए Meansव्यवस्था की Need माना जाता है। इसके पीछे Meansशास्त्रियों का तर्क था कि संतुलित बजट सरकार की अपव्यय करने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखने में सहायक सिद्ध होता है।
- यह बजट Meansव्यवस्थाओं के अन्तर्गत आने वाले आर्थिक चक्रों/व्यापारिक चक्रों को नियंत्रित करने And रोकने के लिए अत्यन्त उपयोगी माना गया है।
- परम्परागत बजट में पिछली मदों And कार्यक्रमों पर सामान्य Reseller से धनराशियों का आवंटन Reseller जाता है तथा पिछली समयावधियों की योजनाओं को पूरा भी Reseller जाता है।
- यह बजट सामान्य Reseller से अधिकांश देशों द्वारा अपनाया जाता रहा है।