बाबर का जीवन परिचय
बाबर का संक्षिप्त परिचय
नाम | जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर |
राजकाल | 1529-30 ई .तक |
जन्म स्थान | फरगना में रूसी तुर्किस्तान का करीब 80,000 वर्ग कि.मी. क्षेत्र |
पिता | उमर शेख मिर्जा, 1494 ई. में Single दुर्घटना में मृत्यु हो गयी, |
नाना | यूनस खां |
चाचा | सुल्तान मुहम्मद मिर्जा |
भाई | जहाँगीर मिर्जा, छोटा भाई नासिर मिर्जा |
पत्नी | चाचा सुल्तान मुहम्मद मिर्जा की पुत्री आयशा बेगम |
मृत्यु | 26 दिसम्बर, 1530 ई. (आगरा) 48 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई। |
उत्तराधिकारी | हुमायूं, |
Fight | पानीपत’ खानवा और घाघरा जैसी विजयों ने उसे Safty और स्थायित्व प्रदान Reseller। |
प्रधानमंत्री | निजामुद्दीन अली खलीफा |
बाबर के बचपन के विषय में बहुत कम सूचना मिलती है, क्योंकि उसने अपनी जीवन की घटनाओं का वर्णन बारह वर्ष की आयु से आरम्भ Reseller है, जबकि वह अपने पिता की मृत्यु पर फरगना के प्रदेशों का King बना। जब उसका जन्म हुआ तो Single संदेशवाहक को शीघ्रता के साथ उसके नाना यूनस खां मंगोल के पास भेजा गया। सत्तर वर्षीया सरदार ने फरगना आकर वहां के खुशी के समारोहों में भाग लिया। उसने व उसके साथियों ने उसके अरबी नाम का उच्चारण करने में कठिनाई का अनुभव Reseller और फलस्वReseller वे उसे बाबर कहकर पुकारने लगे। पांच वर्ष की आयु में बाबर को समरकंद ले जाया गया, जहां उसका विवाह उसके चाचा सुल्तान अहमद की पुत्री आयशा बेगम से कर दिया गया। उसके जीवन के अगले छ: वर्षों में उसकी शिक्षा दीक्षा का समुचित प्रबंधन Reseller गया। यद्यपि उसकी शिक्षा से संबंधित प्रबंधों का description प्राप्त नहीं हो सका, परन्तु उसके जीवन की उपलब्धियों से यह ज्ञात होता है कि उसके यह छ: वर्ष जीवन के अत्यन्त उपयोगी And विशेष महत्त्वपूर्ण क्षण थे। इस अवधि में उसने अपनी मातृभाषा तुर्की व एशिया की सांस्कृतिक भाषा फारसी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। घुड़सवारी,तलवार चलाने और आखेट करने में उसने निपुणता प्राप्त कर ली थी। 1 नागोरी, एल.एस., प्रणव देव नागोरी, मध्यकालीन भारत का History,(जयपुर, 2002), पृ. 144.
बाबर ने अपनी बाल्यावस्था में ही अपनी प्रतिभा का विशेष परिचय दिया था। अतएव उसके पिता ने अपने अंतिम अभियान में जाते समय अपनी राजधानी का शासन-प्रबन्ध बाबर को सौंप दिया था। उसकी सहायता And सहयोग के लिये उमर शेख ने कुछ विश्वास पात्रों को नियुक्त कर दिया था। 8 जून, 1494 ई. को अक्क्षी में उमर शेख मिर्जा की आकस्मिक मृत्यु हुई। यह समाचार शीघ्र ही बाबर को एंडिजान में पहुँचाया गया। बाबर के लिये यह Single संकटपूर्ण स्थिति थी।
उमर शेख ने अपने पुत्र को विरासत में Single ऐसा छोटा सा राज्य दिया था जिस पर तीन ओर से आक्रमण होने का खतरा था। इसके दोनों चाचा सुल्तान अहमद मिर्जा And महमूद मिर्जा की उमरशेख से नहीं बनती थी और वे काफी समय से फरगना को जीतने की लालसा रखते थे। तीसरी ओर काश्गर व खोतान का अमीर दुगलत भी फरगना के प्रदेशों पर अधिकार करने की महत्त्वाकांक्षा रखता था। 1 बाबरनामा (अनु.), भाग-1, पृ. 191; अकबरनामा (अनु.), भाग-1, पृ. 224.
यद्यपि समरकन्द व बुखारा के King सुल्तान अहमद मिर्जा और हिसार, बदख्शां व कुन्दुज के King सुल्तान महमूद मिर्जा ने उमरशेख मिर्जा के विरूद्ध उसके जीवन काल में कई बार संयुक्त कार्यवाही की थी, परंतु अब इन दोनों में मतभेद उत्पन्न हो गये थे। जब उन्हें फरगना पर विजय प्राप्त करना सुलभ दिखाई दिया तो उनमें आपस में ईष्र्या राग-द्वेष पैदा हो गई। यद्यपि उन्होंने फरगना पर आक्रमण कर दिया परंतु वे Single Second की हलचलों पर भी इस उद्देश्य से दृष्टि रखने लगे कि कहीं वह फरगना न जीत ले। ऐसी परिस्थिति में बाबर के व्यक्तित्व And चरित्र पर बहुत कुछ निर्भर था। सबके मन में यही प्रश्न था कि क्या यह बालक अपने दो अनुभवी संबंधियों के घृणित मंशा को असफल करने में समर्थ हो सकेगा?
बाबर को ज्यों ही अपने पिता की मृत्यु की खबर अपनी राजधानी एंडिजान के महल में मिली, वह घोड़े पर सवार होकर किले की ओर अपने साथियों सहित रवाना हुआ। उसके पिता के अमीरों ने उसका साथ देने का वचन दिया। फरगना के अन्य क्षेत्रों से भी बैग व सैनिक Singleत्रित होने लगे। बाबर ने शीघ्र ही दुर्ग व नगर की रक्षा And Safty-व्यवस्था को सुदृढ़ Reseller। इस कालावधि में अन्य क्षेत्रों में परिस्थिति गंभीर हो गई।
यद्यपि अक्क्षी में बाबर के नौ वष्र्ाीय छोटे भाई जहांगीर मिर्जा के नेतृत्व में उमरशेख के विश्वासपात्र बैगों ने स्थिति को संभाले रखा। परंतु दक्षिण में अहमद मिर्जा बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ने लगा। वह शीघ्र ही कई नगरों पर अधिकार करके बाबर की राजधानी के निकट काबा में पहुँच गया। अब उसकी सेना व राजधानी के मध्य नदी थी जिस पर केवल Single पुल था।
बाबर के कुछ अमीर इस मत के थे कि विरोध करना व्यर्थ है। Single बैग ने तो यह सुझाव दिया कि समरकन्द की फौजों को लौटाने के लिए बाबर को उन्हें सौंप देना चाहिए। इस अमीर को बाबर ने कत्ल कर दिया जिसके फलस्वReseller इस प्रकार की हलचल समाप्त हो गई। यह निश्चय करने के First कि शत्रु के घेरे का मुकाबला Reseller जाय अथवा नहीं बाबर ने यह प्रयत्न Reseller कि सुलतान अहमद के साथ मानपूर्ण समझौता हो जाय, परंतु बाबर के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए अहमद मिर्जा आगे बढ़ा।1 अहमद मिर्जा के मार्ग में Single नदी थी। इस नदी को पार करते समय पुल टूटने के कारण अहमद के सिपाही काफी संख्या में डूब गये। अहमद ने अब समझौते की बातचीत शुरू कर दी। प्रो. रश्बु्रक विलियम्स ने इसके अन्य कारण भी बताए हैं-
- अहमद की सेना में बीमारी फैल गई थी।
- बाबर के अुसार उसने बाबर के सैनिकों And प्रजा में दृढ़ निश्चय पाया।
अहमद मिर्जा शीघ्र ही अपनी राजधानी को लौट गया। परंतु बाबर की कठिनाई अभी समाप्त नहीं हुई थी। महमूद खां ने अक्क्षी का घेरा डाल रखा था। वहां के किलेदार अली दरवेश बेग ने उसका डटकर मुकाबला Reseller। सुल्तान अहमद के वापस लौट जाने की खबर सुनकर महमूद भी निराश होकर लौट गया। अब केवल अबा बिक्र डुगलत बाबर के विरूद्ध मैदान में रह गया था। बाबर ने शीघ्र ही उसे उजकेण्ट से भगा दिया। यद्यपि उस समय बाबर का संकट टल गया था, लेकिन अभी भी उसे अपने राज्य के खोये हुए हिस्सों को प्राप्त करना अवशेष था। बाबर के सामने यह उद्देश्य सदैव रहा, परंतु इस समय में उसने अपने अधीन प्रदेशों में ही अपनी सत्ता को दृढ़ करने का प्रयास Reseller। इसी प्रयोजन से उसने अपनी सेना को पुन: संगठित Reseller। स्वामी भक्त अमीरों And सैनिकों को भूमि पद अथवा नकद पुरस्कार देकर प्रसन्न कर अपनी तरफ मिला लिया।
बाबर के सौभाग्य से Single महत्त्वपूर्ण राजनैतिक परिवर्तन फरगना व समरकंद के क्षेत्रों में हुआ। बाबर के विरूद्ध अभियान में सुल्तान अहमद रूग्ण हो गया। समरकंद लौटते ही जुलाई, 1494 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। उसके पुत्रविहीन होने के कारण उसके छोटे भाई सुल्तान महमूद मिर्जा जो कि बदख्शां और हिन्दुकुश के पहाड़ी क्षेत्रों का King था, समरकद का सुल्तान बनाया गया। उसे कठोरता के साथ अपने राज्य का शासन व्यवस्थित करने का प्रयास Reseller। परंतु उसकी क्रूरता के कारण अमीर उसके विरूद्ध हो गये। उसने अमीरों को दबाकर रखने की कोशिश की। महमूद मिर्जा ने बाबर की युवावस्था व अनुभवहीनता का लाभ उठाना चाहा। महमूद ने षड्यंत्र रचकर बाबर के कुछ असंतुष्ट अमीरों को अपनी ओर मिला लिया तथा बाबर के छोटे भाई जहांगीर मिर्जा को उसके स्थान पर सुल्तान बनाने का निश्चय Reseller। बाबर की नानी ईशान दौलत ने स्थिति को अपने नियंत्रण में लिया। स्वामीभक्त अमीरों के सहयोग से उसने गद्दार अमीरों के नेता हसन के साथियों को गिरफ्तार कर लिया। हसन भी Single झड़प में मारा गया।1 बाबर का विचार अब सुल्तान महमूद से संघर्ष कर लेने का था। इसके पूर्व कि वह अपनी तैयारियां पूर्ण करता सुल्तान महमूद की मृत्यु जनवरी, 1495 ई. में हो गई। उसकी मृत्यु के साथ ही उसके पांचों पुत्रों में उत्तराधिकार के लिए संघर्ष छिड़ गया। द्वितीय पुत्र बैसानगर को अमीरों ने सिंहासनारूढ़ Reseller। कुछ अमीरों ने इसका विरोध Reseller। समरकन्द की राजनीतिक अशांति का लाभ उठाकर मंगोलों ने सीमान्त प्रदेशों पर आक्रमण कर दिया। बैसानगर ने उनको पराजित Reseller। इसी मध्य हिरात का सुल्तान हुसैन व महमूद के दो पुत्र हिसार व बुखारा से समरकन्द की ओर आगे बढ़ रहे थे। बाबर भी समरकन्द की बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों का गहनता से अध्ययन कर रहा था और समय पाकर अपने पिता के स्वप्नों को साकार करने का अवसर खोज रहा था। उसने अपने चचेरे भाई सुल्तान अली से समरकन्द पर आक्रमण करने हेतु समझौता Reseller। मई, 1497 ई. में बाबर समरकन्द की ओर बढ़ा। सुल्तान अली ने उसका साथ नहीं दिया। लेकिन इससे बाबर निराश हीं हुआ। बैसानगर ने उसका डटकर मुकाबला Reseller। अन्त में बाबर की विजय हुई। नवम्बर 1497 ई में बाबर की विजय हुई। नवम्बर, 1497 में बाबर ने समरकन्द में प्रवेश Reseller। First बार वह तैमूर के सिंहासन पर बैठा। इस प्रकार उसका व उसके पिता का स्वप्न साकार हुआ।
बाबर का व्यक्तित्व
बाबर का व्यक्तिगत जीवन अत्यन्त आदर्शमय था। अपनी बाल्यावस्था में वह अपने पिता का बहुत ही आज्ञाकारी और कर्त्तव्य परायण पुत्र था। मित्रों के साथ भी उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। अपने बचपन के साथियों को वह केवल याद ही नहीं करता था, अपितु उनकी मृत्यु पर आंसू भी बहाता था।
अपने परिवार And रिश्तेदारों के प्रति भी अच्छा स्नेह रखता था। जिन लोगों को सहायता की Need होती थी, उनकी वह पूर्ण सहायता करता था। Humanीय स्वभाव की मूल अच्छाइयों में वह पूर्ण विश्वास रखता था और उसका हृदय स्वयं इनसे भरा हुआ था। बाबर ने अपने व्यक्तिगत जीवन में उच्चकोटि की नैतिकता को स्थान दिया था; जो मातृभूमि और उसके युग विशेष में कठिनता से ही दिखाई देती है। उसने अपने जीवन में ऐश आराम और विलासिता को प्रश्रय नहीं दिया था। स्वभाव से ही साहसिक कृत्यों के प्रति अनुराग रखता था। जीवन की असामान्य और कठिन परिस्थितियों का सहर्ष मुकाबला करता था। धैर्य, साहस और सहनशीलता आदि विशेषतायें उसके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन गई थी।
बाबर के चरित्र की कोई भी विशेषता इतनी सराहनीय नहीं है, जितनी कि उसके स्वभाव की दयालुता। डॉ. आर.पी. त्रिपाठी के According बाबर असाधारण प्रतिभा तथा योग्य व्यक्ति था। उसमें जितने गुण थे, उतने शायद किसी अन्य तैमूरवंशी में नहीं थे। उसमें विशाल सहृदयता, उदारता, दानशीलता, दया, सहानुभूति और सरलता कूट-कूट कर भरी हुई थी।1 बाबरनामा (हिन्दी अनुवाद), श्री केशव कुमार ठाकुर, साहित्यागार, (जयपुर, 2005), प्रस्तावना, पृ. 5.
बाबर बड़ा निर्भीक था। वह Single उच्च कोटि का कवि And लेखक था।
लेनपूल का कथन है कि History में बाबर का स्थान अमर है और इसका आधार है, उसकी भारत विजय। इससे Single शाही वंश की स्थापना हुई। उसने अपने प्रारम्भिक काल में बहुत ही साहस और धैर्य के काम किए थे। उसने अपनी आत्मकथा बड़ी ही सरल और सरस शैली में लिखी है, इससे साहित्य में उसका उच्च स्थान है। वह Single भाग्यशाली सैनिक था, किंतु साहित्य के प्रति उसकी अभिरूचि विशेषतया प्रशंसनीय थी। वह सूक्ष्मदश्र्ाी था। उसने आजीवन Fight किए और बहुत शराब पी परंतु उसकी कविता के कारण इन दोनों कार्यों में Humanता आ गई थी।
प्रस्तुत ग्रंथ बाबरनामा पाठक को तत्कालीन परिवेश, सभ्यता, संस्कृति And शासन प्रणाली के बारे में ही नहीं अपितु हिन्दुस्तान की तमाम हालात से अवगत कराती है। बाबरनामा या तुजुक-ए-बाबरी मुगल साम्राज्य के संस्थापक जाहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर द्वारा मूल तुर्की भाषा में लिखी हुई दैनिकी के उद्धरणों के संकलन पर आधारित आत्मकथा है। जो साहित्यिक And ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टि से संसार की श्रेष्ठतम Creationओं में स्थान रखती है।
बाबर अत्यन्त बुद्धिमान King था। वह कला-प्रेमी था और जन्म से ही प्रकृति का ज्ञाता था। वह मनुष्यों और पदार्थों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखा करता था। उसने अपने ग्रंथ बाबरनामा में उन देशों के दृश्य, जलवायु, उपज और कला तथा उद्योग धंधों का description दिया है, जो उसने देखे थे। उसने बहुत ही थोड़े Wordों में पूर्ण और सत्य description लिखा है। बाबरनामा के According इस देश के पहाड़, यहाँ की नदियाँ, जंगल, नगर, खेत, पशु, वृक्ष, मनुष्य, भाषाएँ, मौसम, बरSeven और वायु All कुछ Second देशों की बातों से Single नयापन रखती हैं। काबुल राज्य में कुछ गरम स्थान ऐसे जरूर पाये जाते हैं; जो अपनी कुछ बातों में हिन्दुस्तान के साथ मेल-जोल रखते हैं और कुछ बातों में नहीं भी रखते। सिंध नदी को पार करने के बाद हिन्दुस्तान का Single नया वातावरण और नये प्रकार का जीवन आरम्भ हो जाता है। यहाँ की भूमि, यहाँ का जल, यहाँ के पेड़, यहाँ की चट्टान, यहाँ के आदमी, यहाँ के आचार-विचार और इस देश की प्रथाएँ – All कुछ संसार से निराली है।1 जिन परिस्थितियों में उसने यह वर्णन लिखा यदि उस पर विचार Reseller जाय तो हमें अवश्य ही आश्चर्यजनक प्रतीत होगा। वह संगीत And अन्य कलाओं में भी विशेष निपुण था।
नागोरी And प्रणव देव के According उसने अन्यान्य स्नानागार, बाग, सरोवर, कुएँ तथा फव्वारे निर्मित करवाये। वह उद्यान विद्या का पंडित था। उसने पानीपत की बड़ी मस्जिद And सम्भल की जामा मस्जिद बनवाईं।
Fightप्रिय होते हुए भी उसने शांतिकालीन कलाओं की उपेक्षा नहीं की। अपने तूफानी-जीवन में सैनिक गतिविधियों से युक्त जो भी चन्द क्षण उसे प्राप्त हुए वे उसने अपने साम्राज्य के निरीक्षण And विकास व प्रजा की स्थिति सुधारने में लगा दिये। अपनी स्वाभाविक प्रतिभा के कारण वह All ललित कलाओं का विशेष Reseller से स्थापत्यकला And बागवानी का प्रेमी था। उसने विशाल प्रासाद बनवाये और अपने साम्राज्य के कई स्थानों में उद्यान लगवाये। फूलों और सुंदर दृश्यों को देखने में उसे बहुत आनन्द आता था। वह उद्यान-विज्ञान का भी पूर्ण ज्ञाता था और उसने बहुत कुछ क्षेत्रों में ऐसे फल व पौधे लगाने में सफलता प्राप्त की, जो उन इलाकों में नहीं होते थे। अब भी वे फल व पौधे उन इलाकों में उगते हैं। अपनी इस सफलता पर उसे उतना ही गर्व था जितना Fight क्षेत्र में विजय पर। यह सब कार्य उसने Fight And विप्लव के बीच Reseller।
जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में वह ईश्वर पर विश्वास रखता था। किसी भी समय की नमाज छोड़ता नहीं था और संकट से छुटकारा पाने के लिए वह ईश्वर से प्रार्थना करता था। लेकिन लड़ाई में हजारों को कत्ल करवा देने में उसको कभी संकोच नहीं होता था।
ईश्वर के प्रति बाबर में अपार भक्ति थी। इस्लाम के According वह Single ईश्वर को मानता था और उसी की आराधना करता था। उसका विश्वास था कि मनुष्य को जो सफलता मिलती है, वह ईश्वर की देन है। उसने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की थी, वह कहा करता था कि ईश्वर ने मुझे विजयी बनाया है।
वैसे तो बाबर Single कट्टरसुन्नी मुसलमान था, परन्तु अपने युग में सामान्यत: पाई जाने वाली धार्मिक कट्टरता की भावना इतने तीव्र Reseller में उसमें देखने को नहीं मिलती। बाबर को ईश्वर में असीम विश्वास था। वह कहा करता था कि ईश्वर की इच्छा के बिना कोई कार्य नहीं होता। उसको रक्षक मानकर हमको आगे बढ़ना चाहिए। उसको जो भी विजय प्राप्त हुई उसे वह भगवान का अनुग्रह मानता था। इब्राहीम लोदी को पराजित करने के बाद और राजधानी में प्रवेश करने के पूर्व वह दिल्ली के निकट श्रद्धा प्रकट करने के लिये मुसलमान फकीरों और वीरों की कब्रों पर गया। खानवां के Fight के पूर्व उसे मद्यपान त्याग दिया था। उसके लिये यह यश की बात है। परमात्मा के समक्ष उसने हृदय से पश्चाताप Reseller था। इस प्रकार स्पष्ट है कि बाबरे हर अवसर पर ईश्वर में विश्वास And श्रद्धा रखते हुए कार्य Reseller है और हर सफलता को ईश्वर की अनुकम्पा माना है। उसका यह दृढ़ विश्वास था कि ईश्वरीय इच्छा के बिना कोई कार्य सम्पादित नहीं हो सकता।
बाबर Single योग्य प्रKing नहीं था और उसे प्रचलित धार्मिक कट्टरता को जीवित रखते हुए ही शासन का कार्य आगे बढ़ाया।2 हिन्दुओं के प्रति बाबर की नीति अनुदार और असहिष्णुता की थी। वह हिन्दुओं को घृणा की दृष्टि से देखता था और उनके विरूद्ध जिहाद करना अपना परम कर्त्तव्य समझता था। खानवा के Fight में विजय प्राप्त करके उसे गाजी की उपाधि धारण की थी। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी धार्मिक नीति तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित थी। वह जानता था कि उत्तरी हिन्दुस्तान का वास्तविक स्वामी बनने के लिए अभी भी Single प्रबल शत्रु राणा सांगा (मेवाड़ का King) से मुकाबला करना है और उसी पर सब कुछ निर्भर करता है। इसलिए अपने सैनिकों की धार्मिक मनोभावनाओं को उभारना आवश्यक था।1 बाबरनामा (हिन्दी अनुवाद) नागोरी And प्रणवदेव के According धार्मिक दृष्टि से बाबर संकीर्ण था। उसने रणक्षेत्र में ‘गाजी’ की उपाधि धारण की तथा चंदेरी विजय के बाद मृत हिन्दुओं की खोपड़ियों की मीनार बनवायी। उसने राजपूतों से संघर्ष को ‘जिहाद’ की संज्ञा दी। उसने अयोध्या में Single ऐसे स्थान पर मस्जिद बनवायी, जिसे श्रीरामचन्द्र जी का जन्मस्थान मानकर हिन्दू पूजते थे। उसकी धार्मिक नीति के संदर्भ में एर्सकिन का अभिमत है कि वे क्रूरताएँ उस युग की द्योतक हैं, न कि व्यक्ति की।
उसने इस्लामी कानून का अनुसरण करते हुए मुसलमानों को स्टाम्प कर से मुक्त कर दिया और यह केवल हिन्दुओं पर ही लगाया। उसके शासन काल में हिन्दू मंदिरों का विध्वंस भी हुआ। बाबर के आदेशानुसार मीर बकी ने अयोध्या में श्रीरामचन्द्र जी का जन्मस्थान से संबंधित मंदिर के स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया। ग्वालियर के निकट उरवा की घाटी में स्थित जैन मूर्तियों को Destroy कर दिया। अन्यान्य हिन्दू स्त्रियों और बच्चों को दास बना लिया। हिन्दुओं का अकारण संहार भी हुआ।
प्रारम्भिक काल से लेकर मृत्यु पर्यन्त बाबर को अपने जीवन की Safty, सिंहासन प्राप्त करने और साम्राज्य विस्तार करने के लिए निरन्न्तर Fight लड़ने पड़े। इस प्रकार अपने बचपन से ही वह मुख्य Reseller से Single सैनिक बन गया था। शर्मा, श्रीराम, मुगल Kingों की धार्मिक नीति, पृ. 11.
बाबर का साम्राज्य
बदख्शां से बंगाल तक और आक्सस नदी से गंगा नदी तक फैला हुआ था। बाबर ने Single शक्तिशाली King के Reseller में अपनी विशेषताओं का परिचय दिया –
- बाबर ने अपने साम्राज्य में शांति और अनुशासन की स्थापना की।
- अपने सुविस्तृत साम्राज्य में बाबर ने लुटेरों से अपनी प्रजा की जान माल की रक्षा की सुव्यवस्था की थी।
- सुविधा से आवागमन के लिए बाबर ने अपने साम्राज्य के मुख्य-मुख्य भागों में सड़कें Windows Hosting करवा दी थी। अपने राज्य के प्रमुख स्थानों के मध्य आवागमन के साधनों की भी व्यवस्था की। आगरे से काबलु तक जाने वाले मार्ग ‘ग्राट ट्रंक रोड’ का निर्माण उसी ने करवाया था। इस मार्ग पर पन्द्रह-पन्द्रह मील की दूरी पर चौReseller स्थापित की गई। प्रत्येक चौकी पर छह घोड़े तथा उपयुक्त अधिकारी नियुक्त थे।
- फरिश्ता का कथन है कि जब बाबर कूच करता था, तो वह मार्गों को नपवाता था। यह प्रथा हिन्दुस्तान के Kingों में आज भी प्रचलित है।
- जब बाबर हिन्दुस्तान में आया, तब यहां गज सिकन्दरी का प्रचलन था। बाबर ने इसको बन्द करके ‘बाबरी गज’ जारी Reseller। यह जहांगीर के शासनकाल के आरम्भ तक चलता रहा।
- बाबर को कला से अत्यधिक प्रेम था। सुंदर बाग, इमारतें और पुल आदि बनवाने का उसको शौक था। उसने लिखा है कि केवल आगरे में ही मेरे महलों में काम करने के लिए 680 आदमी नियुक्त थे और आगरा, सीकरी, बयाना, धौलपुर, ग्वालियर आदि स्थानों पर कुल मिलाकर 1491 संगतराश काम करते थे।
- बाबर इस बात का भी ध्यान रखता था कि स्थानीय अधिकारी जनता पर अत्याचार न करें।
- उसका दरबार संस्कृति का ही केन्द्र स्थल नहीं था, अपितु कठोर अनुशासन का भी केन्द्र था।
- Single King के Reseller में वह अपनी प्रजा के हित And सुख-सुविधाओं का पूर्ण ध्यान रखता था और उन्हें बाह्य आक्रमण तथा आन्तरिक अशांति से बचाने का पूर्ण प्रयास करता था। परंतु अपनी प्रजा की भौतिक और नैतिक स्थिति सुधारने का उसने कोई प्रयास नहीं Reseller और न ही उसमें तत्संबंधी योग्यता ही थी।
Single कुशल सैनिक, योग्य सेनानायक और विजेता के Reseller में बाबर ने महत्त्वपूर्ण सफलतायें अवश्य प्राप्त की, किन्तु वह Single प्रतिभा सम्पन्न King-प्रबंधक नहीं था। बाबर ने शासन-प्रबन्धन में विशेष सुधार नहीं Reseller। वह अफगानों की त्रुटिपूर्ण शासन प्रणाली को अपनाया। विजित प्रदेशों का शासन भार उसने सरदारों को सौंप दिया। फलत: शासन में SingleResellerता आ सकी। बाबर ने वित्तीय तथा न्यायिक सुधार भी नहीं Reseller। उसने खैरात, उपहार And दावतों आदि पर काफी धन व्यय Reseller, जिससे राजकोष रिक्त हो गया। यद्यपि बाबर ने अपने बेटे के लिए ऐसा राजतंत्र छोड़ा, जो केवल Fightकालीन परिस्थितियों में ही सुसंगठित रह सकता था, शांति काल के लिए तो वह निर्बल And निकम्मा था।
कुछ Historyकार इसका मुख्य कारण यह बताते हैं कि बाबर को भारतवर्ष पर शासन करने का अवसर बहुत अल्पकाल के लिए मिला और अधिकांशत: वह Fightों में व्यस्त रहा। इसलिए यद्यपि उसमें साम्राज्य के संचालन और व्यवस्थापना की योग्यता थी, किन्तु उसका प्रयोग करने के लिए उसे समय नहीं मिला।
इस परिप्रेक्ष्य में बाबर की धारणा है कि मेरे पास समय नहीं था कि मैं अन्यान्य परगनों और प्रदेशों की रक्षा करने के लिए उपयुक्त अधिकारी नियुक्त कर सकता। बाबर Fightों में और विजय प्राप्त करने में इतना व्यस्त रहा कि अपने विस्तृत राज्य की शासन-व्यवस्था को सुधारने की ओर वह अपना ध्यान आकर्षित नहीं कर सका। 1 तुजुक-ए-बाबरी, पृ. 281.
इस प्रकार बाबर के व्यक्तित्व में दोष थे –
- नवीन शासन-प्रणाली को व्यवहार में लाने का प्रयत्न नहीं Reseller,
- Creationत्मक बुद्धि का अभाव था,
- राज्य को सुसंगठित And सुव्यवस्थित करने का प्रयास नहीं Reseller,
- साम्राज्य में Single सी लगान-व्यवस्था स्थापित नहीं की,
- न्याय-प्रबन्धन भी अव्यवस्थित था,
- विशाल साम्राज्य के अन्यान्य भागों में राजनीतिक दृष्टि से असमानता विद्यमान थी,
- Means संबंधी समस्याओं को समझने की उसमें योग्यता न थी, सुदृढ़ आर्थिक-व्यवस्था कायम न कर सका,
- सूझ-बूझ, व्यवहार बुद्धि का अभाव था,
- ऐसी शासन-व्यवस्था स्थापित की जो Fightकालीनन परिस्थितियों में तो ठीक थी, परंतु शांतिकाल में उचित नहीं थी,
- उसमें इच्छा शक्ति और क्षमता का अभाव था कि कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित कर पाता,
- उसने नवीन राजत्व-सिद्धान्त लागू नहीं Reseller,
- सेना को भी ठीक से संगठित नहीं Reseller,
- उसने नवीन राजनीतिक पद्धति लागू नहीं की,
- सामन्तों को अधिक शक्तिशाली बना दिए।
इन सब बातों से अनुमान लगाया जा सकता है कि बाबर में प्रKingीय गुणों का सर्वथा अभाव था। बाबर Single कुशल विजेता और योग्य सेनापति अवश्य था, परंतु अच्छा प्रKing नहीं था। उसने भारत को Single विजेता की दृष्टि से ही देखा था।
रश्बु्रक विलियम्स महोदय का अभिमत है कि बाबर ने अपनी मृत्यु के बाद कोई सार्वजनिक या लोक-हितैषी संस्थायें नहीं छोड़ी, जो जनता की सद्भावना प्राप्त कर सकती हो। बाबर ने अपने पुत्र के लिए Single ऐसा राजतंत्र छोड़ा जो केवल Fightकालीन परिस्थितियों में ही जीवित रह सकता था। शांतिकाल के लिए तो यह निर्बल और निकम्मा था।
बाबर स्वयं बहुत बड़ा विजेता माना जाता था। इन प्रभावों के प्रकट होने के लिए भी समय चाहिए था और बाबर का शासनकाल बहुत अल्प था। इसलिए बाबर को तो अपनी भूलों के दुष्परिणाम नहीं भुगतने पड़े, किंतु Historyकारों की मान्यता है कि बाबर स्वयं अपने पुत्र हुमायूं की कठिनाइयों के लिए कम उत्तरदायी नहीं था।
Historyकारों की मान्यता है कि बाबर Single साम्राज्य निर्माता था और इसी उद्देश्य से उसने भारतवर्ष पर आक्रमण Reseller। अन्त में भारतवर्ष में राज्य स्थापित करने में सफल हुआ, परंतु डॉ. पी. सरन का कथन है कि बाबर को Single साम्राज्य निर्माता की संज्ञा नहीं दी जा सकती। वह Single कुशल सैनिक और सेनानायक अवश्य था, किन्तु Single साम्राज्य निर्माता में जो गुण होने चाहिए उसका उसमें अभाव था। बाबर अपने विजित प्रदेशों को स्थायित्व प्रदान नहीं कर सका और न ही उनमें सुदृढ़ शासन-प्रबन्धन स्थापित करने के लिए कोई प्रयत्न Reseller।
लेकिन यह सत्य है कि बाबर का उद्देश्य चंगेज खां या तैमूर के आक्रमणों के समान नहीं था। चंगेज खां और तैमूर ने भारत पर सफलतापूर्वक आक्रमण किए किन्तु लूटमार करके वापस स्वदेश लौट गए। इसके विपरीत बाबर के आक्रमण का उद्देश्य भारतवर्ष में स्थायी साम्राज्य की स्थापना करना था। यही कारण था कि राणा सांगा ने बाबर के साथ हुए समझौते के अनुReseller इब्राहीम के विरूद्ध आगरा की ओर से कूच नहीं Reseller, क्योंकि ऐसा करना सांप को दूध पिलाने के समान था।1 इस प्रकार बाबर को उसकी विजयों के आधार पर मुगल साम्राज्य के संस्थापक होने का सम्मान दिया जा सकता है।
रश्बु्रक विलियम्स का मन्तव्य है कि बाबर को Single प्रबन्धक के Reseller में नहीं अपितु Single विजेता के Reseller में मुगल साम्राज्य का संस्थापक समझना चाहिए। पानीपत और खानवा के Fight में विजय प्राप्त करके उसने अफगान और राजपूतों की शक्ति को कुचल दिया तथा स्वयं उत्तरी भारतवर्ष का स्वामी बन गया। कुछ विद्वानो की मान्यता है कि बाबर को राज्य निर्माण कार्य हेतु पर्याप्त अवसर नहीं मिला। भारतवर्ष में उसका शासन अल्पकाल के लिए ही रहा और इस अवधि में भी वह अधिकांशत: Fightों में ही व्यस्त रहा।
एस.एम. जाफर की मान्यता है कि जो कुछ उसने अल्पकाल में कर दिखाया उससे सिद्ध होता है कि यदि वह कुछ वर्ष और जीवित रहता तो Single श्रेष्ठ King सिद्ध हो सकता था। कुछ समय पूर्व Indian Customer ऐतिहासिक अभिलेख आयोग की Single सभा में भूतपूर्वक भोपाल सरकार ने विद्वानो के सम्मुख Single दस्तावेज रखा, जिसे बाबर की वसीयत बताया जाता है। इस वसीयतनामे में बाबर ने हुमायूं को सावधान Reseller है कि भारत में सफलतापूर्वक राज्य करने के लिए उसे धार्मिक पक्षपात से मुक्त रहना चाहिए, हिन्दुओं के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करना चाहिए और गौ हत्या नहीं करनी चाहिए। इन बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि बाबर में राज्य-प्रबन्ध की प्रतिभा थी और शासन-प्रबंध के ठोस सिद्धांतों से भली प्रकार परिचित थी। परंतु बाबर की मृत्यु तथा हुमायूं के सिंहासन पर बैठने संबंधी समस्त तथ्यों से इस दस्तावेज के प्रामाणिक होने की पुष्टि नहीं होती।1 मेवाड़ का संक्षिप्त History, पृ. 136; शर्मा, जी.एन., मेवाड़ एण्ड द मुगल एम्पायर्स, पृ. 21.
डॉ. पी.सरन का विचार है कि बाबर वास्तव में केवल Single योद्धा था और शासन-प्रबन्ध का उसे ज्ञान नहीं था। यदि उसमें Creationत्मक प्रतिभा होती तो शेरशाह की भांति अल्पकाल में भी वह बहुत कुछ कर सकता था। बाबर अपने पुत्र के लिए विरासत में Single ऐसा साम्राज्य छोड़ गया जो असंगठित, अव्यवस्थित, दुर्बल और निराधार था। केवल Fightकालीन परिस्थितियों में ही ऐसा राज्य जीवित रह सकता था। इसके अतिरिक्त बाबर ने प्रचलित शासन प्रणाली में भी कोई नवीन परिवर्तन नहीं Reseller। उसने लोदी सुल्तानों की दोषपूर्ण शासन-पद्धति को ही अपने शासन का आधार बनाया। राज्य को अपने सरदारों में वितरित कर दिया और उन्हें शासन संबंधी बहुत से अधिकार प्रदान कर दिए। संपूर्ण साम्राज्य में Single समान शासन-व्यवस्था स्थापित करने हेतु बाबर ने कोई प्रयास नहीं Reseller। राज्य की न्याय-व्यवस्था में भी कोई सुधार नहीं Reseller। इससे भी बढ़कर उसने अपनी अनुचित उदार मनोवृत्ति से साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को विषम बना दिया जिसके कुपरिणाम उसके उत्तराधिकारी हुमायूं को भोगने पड़े। अस्तु Single विजेता के Reseller में बाबर को मुगल साम्राज्य का प्रवर्तक समझना ही श्रेयस्कर होगा। डॉ. पी.सरन का यह विचार विशेष समीचीन प्रतीत होता है।1 शर्मा, श्रीराम, मुगल Kingों की धार्मिक नीति, पृ. 11.
अत: हम यह कह सकते हैं कि बाबर साम्राज्य निर्माता नहीं था, किंतु इसके बाद भी उसे केवल वीर योद्धा मानना अनुचित है। उसमें सफल राज्य निर्माता के सस्ते गुण विद्यमान थे।
बाबर ने अपनी वीरता, साहस, सफल नेतृत्व-शक्ति और रण कुशलता से कई प्रदेश जीतकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की जिसे आगे चलकर उसके पौत्र अकबर ने और भी अधिक सुदृढ़, संगठित, सुव्यवस्थित And विस्तृत Reseller। भारत में मुगल साम्राज्य की शुरूआत करने का श्रेय बाबर को ही प्राप्त है। बाबर अपने धैर्य, पराक्रम, साहस और वीरता के कारण अपनी समस्त कठिनाइयों को पार करता हुआ, भारत में मुगल राजवंश की नींव डाने में सफल हुआ। यद्यपि अपनी प्रKingीय क्षमता और Creationत्मक प्रतिभा के अभाव में वह नव-निर्मित साम्राज्य को सुव्यवस्थित, सुसंगठित, सुदृढ़ता और स्थायित्व प्रदान नहीं कर सका तथापि साम्राज्य संस्थापन का विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य उसी के प्रयास का सुपरिणाम था।
बाबर की नीति और उसके कार्यों का Indian Customer History पर अमिट प्रभाव पड़ा।
तत्कालीन भारत के कतिपय Kingों का विचार था कि बाबर भी तैमूर And चंगेज खां की भांति भारत से लूटमार करके लौट जायेगा। किन्तु उसने उनकी महत्त्वाकांक्षाओं पर तुषारापात करते हुए भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। फलत: वह सोलहवीं शती का साम्राज्य निर्माता कहलाया।
डॉ. रश्बु्रक विलियम्स महोदय के According यदि मनुष्य के जीवन-निर्माण में पूर्वजों द्वारा प्रदत्त गुणों का कुछ भी महत्त्व होता है, तो प्रकृति ने बाबर को Single विजेता बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। 1 अस्तु हम यह कह सकते हैं कि ‘जो स्थान माला के First पुष्प का And गगन मण्डल में First नक्षत्र का होता है वही महत्त्व साम्राज्य संस्थापकों में बाबर का है। ‘जो महत्त्व यंत्र शास्त्र में पहिये का, विज्ञान में अग्नि का And राजनीति में मत का होता है, वही स्थान अपने युग के मुस्मि Kingों में सम्राट् बाबर का था।
बाबर के जीवन और शासनकाल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को जानने का सबसे अधिक विश्वसनीय ग्रंथ उसकी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ है। तुर्की भाषा का यह विशेष ग्रंथ है।
बाबरनामा की पाण्डुलिपि – बाबर के विशेष महत्त्वपूर्ण And रोचक ग्रंथ बाबरनामा में उसके 47 वर्ष तथा 10 मास के जीवनकाल में से लगभग 18 वर्ष का ही description उपलब्ध होता है और वह भी बीच-बीच में अधूरा मिलता है। बाबर की आत्मकथा में जिन वर्षों का History मिलता है, वे निम्न प्रकार हैं –
- सन् 1493-94 से 1502-03 ई. तक की घटनाओं का वृतान्त, परन्तु इसमें अंतिम घटनाओं का description उपलब्ध नहीं है।
- सन् 1504 से 1508 ई. तक की घटनाओं का History मिलता है।
- सन् 1508-09 ई की कुछ घटनाओं का History मिलता है
- सन् 1519 से जनवरी 1520 ई. तक की घटनाओं का History मिलता है।
- नवम्बर 1525 से 2 अप्रैल 1528 ई. तक की घटनाओं का History मिलता है। यह भाग भारत से सम्बन्धित है।
- सितम्बर 1528 से सितम्बर 7, 1529 ई. तक की घटनाओं का History मिलता है। परन्तु इसमें भी 1528 ई. के कुछ माह का description प्राप्त नहीं होता।
बहुत संभव है कि बाबर ने दो पुस्तकें तैयार की होगी। First पुस्तक दैनिक डायरी के Reseller में रही होगी, जिसमें वह दैनिक घटनाओं का description उसी रात्रि में अथवा शीघ्र ही जब कभी उसे अवसर मिता होगा, लिखता गया होगा। तत्बाद उसने दैनिक डायरी के प्रारम्भिक भाग में उचित संशोधन करके प्रत्येक वर्ष का description लेखों के Reseller में लिखना प्रारम्भ कर दिया होगा। इस प्रकार उसके ग्रंथ की कम से कम दो प्रतियां रही होंगी। परंतु अब दोनों ग्रंथों का पता नहीं है। संभवत: दोनों ही प्रतियां Destroy हो गई होंगी।
बाबरनामा से यह ज्ञात नहीं होता है कि बाबर ने अपने इस ग्रंथ का नाम क्या रखा था। ख्वाजा कलां को इस ग्रंथ की हस्तलिपि भेजते समय भी उसने इस ग्रंथ का कोई नाम नहीं लिखा। परंतु गुलबदन बेगम के ‘हुमायूंनामा’ में ‘वाकेआनामा’ Word का प्रयोग हुआ है।
इसी प्रकार ‘अकबरनामा’ तथा अन्य फारसी के ग्रंथों में भी इस संदर्भ में ‘वाकेआत’ Word का प्रयोग हुआ है। परंतु इससे यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि इस ग्रंथ का नाम ‘वाकेआते बाबरी’ रहा होगा। ‘हुमायूनामा’ ‘अकबरनामा’ तथा ‘पादशाहनामा’ आदि ग्रंथों के अनुवाद में इस ग्रंथ का नाम कुछ पांडुलिपियों में ‘बाबरनामा’ लिखा हुआ मिलता है। अन्य ग्रंथों में इसका नाम ‘तुजुके बाबरी’ लिखा हुआ प्राप्त होता है। निष्कर्ष तौर पर यह कहा जा सकता है कि मध्यकाल में यह ग्रंथ हिन्दुस्तान में ‘वाकेआते बाबरी’ के नाम से ख्यात रही होगी। परंतु अब अधिकांशत: इस ग्रंथ को ‘बाबरनामा’ अथवा ‘तुजुके बाबरी’ के नाम से पुकारा जाता है।
बाबरनामा की भाषा – बाबर ने अपने ग्रंथ बाबरनामा की Creation अपनी मातृभाषा Meansात् चगताई तुर्की में की है। Creation-शैली – बाबरनामा में दो प्रकार की Creation शैली देखने को मिलती है।
बाबरनामा के अनुवाद – अन्यान्य भाषाओं में बाबरनामा के अनुवाद हो चुके हैं जिनके कारण बाबरनामा को काफी ख्याति प्राप्त हुई है। मुख्य अनुवादों का description है –
- फारसी अनुवाद – बाबर के सद्र शेख जैन बफाई ख्वाफी ने बाबरनामा के हिन्दुस्तान से संबंधित भाग का काव्यमय फारसी भाषा में अनुवाद Reseller। बाबरनामा का दूसरा फारसी अनुवाद सन् 1586 ई. में मिर्जा पायन्दा हसन गजनवी ने प्रारम्भ Reseller। किन्तु वह इसे पूर्ण नहीं कर सका। बाद में मुहम्मद कुली मुगुल हिसारी ने इसे पूर्ण Reseller।1 किन्तु बाबरनामा का सबसे प्रसिद्ध फारसी अनुवाद मिर्जा अब्दुर्रहीम खानेखाना बिन बैरमखां खानेखानां का है। इसे अबुल फजल के अकबरनामा के लिए अकबर के आदेशानुसार प्रारम्भ Reseller गया। उसने इसे नवम्बर 1589 ई. के अंतिम सप्ताह में पूर्ण कर अकबर को काबुल में समर्पित Reseller।
- अंग्रेजी अनुवाद – (1) विलियम एर्सकिन ने फारसी भाषा से अंग्रेजी भाषा में Resellerान्तर Reseller।3 (2) ले ईडेन ने अपना अंग्रेजी अनुवाद तुर्की से तैयार Reseller था। (3) श्रीमती बेवरिज ने बाबरनामा का तुर्की भाषा में हस्तलिखित ग्रंथ के आधार पर अंग्रेजी भाषा में अनुवाद Reseller। यही कारण है कि बेवरिज का अनुवाद अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय माना जाता है। बाद के लेखकों ने अधिकांशत: इसी ग्रंथ को अपना आधार बनाया है।1 बाबरनामा (हिन्दी अनुवाद), केशव कुमार, प्रस्तावना,प.ृ 11.
- फ्रेंच भाषा में अनुवाद – पावेत दी कार्तले ने स् 1871 ई. में बाबरनामा का अनुवाद फ्रेंच भाषा में Reseller।
- हिन्दी भाषा में अनुवाद – विलियम एर्सकिन के अंग्रेजी अनुवाद का हिन्दी Resellerान्तर श्री केशवकुमार ने Reseller है।
इस प्रकार विभिन्न भाषाओं में बाबरनामा का Resellerान्तर इस ग्रंथ की लोकप्रियता का विशेष परिचायक है।
बाबर की मृत्यु
26 दिसम्बर, 1530 को 48 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई। मृत्यु से पूर्व उसने अमीरों को बुलाकर हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने और उसके प्रति वफादार रहने का आदेश दिया। हुमायूं को भी अपने भाइयों के प्रति अच्छा व्यवहार रखने की चेतावनी दी। अंत में जब बाबर की मृत्यु हो गई तो उसका पार्थिक शरीर चार बाग अथवा आराम बाग में दफना दिया गया। ‘शेरशाह के राज्यकाल में बाबर की अस्थियों को उसकी विधवा पत्नी बीबी मुबारिका काबुल ले गई और वहां शाहे काबुल के दलान पर जो मकबरा बाबर ने Single उद्यान में बनवाया था, वहां दफनवा दिया।’ हुमायूं 29 दिसम्बर, 1530 ई. को सिहासनारूढ़ हुआ।1 वन्दना पाराशर, बाबर : Indian Customer संदर्भ में, पृ. 90-91.