राष्ट्रीय Safty क्या है?
राष्ट्रीय Safty से सम्बंधित All तथ्यों का आंकलन करके उसी के अनुकूल पर्याप्त सेनाओं को तैयार रखना होगा अन्यथा राष्ट्रीय हितों की Safty नहीं की जा सकेगी। राष्ट्रीय Safty And रक्षा संम्बधी नीतियों का निर्धारण सम्बंधित देश की विशेष परिस्थितियों के आधार पर होता है। न कि मनमाने तरीके से या किसी Second देश की नकल करके। उदाहरणार्थ, ब्रिटेन And जापान के लिए वायुसेना के साथ-साथ नौसेना की भी Need है जबकि जर्मनी और रूस के लिए वायुसेना के साथ-साथ थल सेना की Need है।
महत्वपूर्ण कारक
कारक भी देश की Safty नीति निर्धरित करने में कारक उत्तरदायी है-
भौगोलिक कारक
राष्ट्रीय Safty नीति निर्धरण में भौगोलिक कारकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह कारक स्थायी होता है। भूगोल में देश की अवस्थिति आकार और स्वReseller भू-पटल जलवायु तथा सीमाएँ और सीमान्त सम्मिलित होते हैं। किसी भी देश की Safty का अध्ययन करते समय उस देश के भू-राजनीतिक प्रभाव का अध्ययन करना अनिवार्य है। First जो Fight होते थे वे जल या थल पर होते थे परन्तु अब Fight थल, जल और नभ में समान Reseller से किये जा सकते हैं। इसलिए अब बाह्य क्षितिज का महत्व सैनिक दृष्टि से बढ़ गया है। भौगोलिक कारणों के प्रकारों का अध्ययन इस प्रकार Reseller जा सकता है।
- अवस्थिति: किसी देश की अवस्थिति के आधर पर ही उस देश की जलवायु आर्थिक शक्ति तथा राष्ट्रीय नीति का निर्धारण Reseller जाता है। भौगोलिक अवस्थिति के कारण ही आर्थिक नीति And रणनीति तैयार की जाती है। सामुद्रिक अवस्थिति के कारण ही ग्रेट ब्रिटेन द्वितीय विश्वFight में सम्पूर्ण विश्व में नौ शक्ति के Reseller में छाया रहा इसी कारण उसने लगभग All महाद्वीपों में अपने उपनिवेश स्थापित किये यूरोप के अन्य देश ब्रिटेन का मुकाबला करने में इसलिए सफल नहीं हुए क्योंकि उनको नौसेना के साथ-साथ बड़ी मात्रा में थल सेना भी रखनी होती थी। पाकिस्तान और बंग्लादेश Single-Single समुद से घिरे हुए हैं, भारत दो समुद्रों से घिरा है। रूस और अमरीका बहुसमुद्रीय अवस्थिति के देश है। अमरीका की रणनीति अवस्थिति इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि वह शक्तिशाली देशों से घिरा हुआ नहीं हैं। (अंतस्थ राज्य) की अवस्थिति भी महत्वपूर्ण होती है।
- आकार व स्वReseller: भौगोलिक कारकों में इनका अपना महत्व है। किसी देश का आकार उसकी शक्ति के निध्र्णरण में उपयोगी भी हो सकता है। ओर अनुपयोगी भी। राजनीतिक इकाइयों के विकास में अकार तत्व महतवपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि विशाल आकार के अभाव में कोई भी देश सैनिक शक्ति के Reseller में नही उभर सकता। आकार में जनसंख्या भी आ जाती है। परन्तु जनसंख्या संख्यात्मक के साथ-साथ गुणात्मक भी होनी चाहिए। उदाहरणार्थ नेपोलियन और हिटलर के आक्रमणों से सोवियत संघ अपने विशाल क्षेत्रपफल के आधर पर ही अपनी रक्षा कर सका। आण्विक हथियारों के इस तत्व की महता और भी अध्कि बढ़ गयी है क्योंकि शत्रु देश की First प्रहारक क्षकता की प्रतिरोdhii रणनीति के द्वारा समाप्त Reseller जा सकता है। परन्तु ब्रिटेन, प्रफांस ओर जापान जैसे देश इसके लाभ से वंचित रहेंगे क्योंकि उनकी रक्षा में गहनता नहीं है।
- जलवायु: भौगोलिक कारकों में जलवायु का भी महत्वपूर्ण स्थान है। विशाल आकार वाले देश की जलवायु में भिन्नता पायी जाती है। जिन क्षेत्रों में अधिक गर्मी, सर्दी, शुष्कता, वर्षा पड़ती है वहाँ पर अनेक कठिनायाँ पायी जाती हैं। ये कारक उस देश की प्रगति में बाधक सिद्ध हो सकते है। जलवायु का प्रभाव रणनीति पर भी पड़ता है क्योंकि वह All प्रकार के वातावरण में सामरिक कार्यवाहियों पर प्रतिबन्ध् लगाती है। जलवायु के According ही देश में फसलें पैदा होती है और देश की आर्थिक सम्पन्नता भी जलवायु पर ही निर्भर करती है।
आर्थिक कारक
राष्ट्रीय Safty And रक्षा सम्बन्धी कारकों में आर्थिक कारक भी महत्वपूर्ण है। आर्थिक कारक में प्राकृतिक संसाधन, उफर्जा संसाधन, परिवहन And यातायात क्षमता, औद्योगिक क्षमता तथा Meansव्यवस्था आती है। किसी भी देश की आर्थिक स्थिति पर ही उसकी सशस्त्र सेनाएँ निर्भर करती है। सेना के गठन, अस्त्र शस्त्र रणनीति And सामारिक स्थिति All कुछ Meansव्यवस्था पर निर्भर करती है। आर्थिक शक्ति से पिछड़ा होते हुए भी उसने अमरीका जैसे शक्तिशाली देश का सामना Reseller तथा अमरीका को अपने उद्देश्य में सफल नहीं होने दिया। इसके लिए उसने अपनी Fight प्रणाली को अपने सैन्य संगठन के अनुReseller बनाया और अपने आर्थिक संसाधनो का समुचित विकास Reseller। दूसरी और जापान ने उपलब्ध संसाधनों को समुचित विकास किये बिना ही द्वितीय विश्वFight छेड़ दिया। अत: कच्चे माल की आपूर्ति के लिए उसे अन्य देशों का मुँह देखना पड़ा। इसलिए दक्षिण-पूर्व एशिया पर उसकी विजय का स्वप्न पूरा नहीं हो सका जबकि ग्रेट ब्रिटेन को अपने उपनिवेशों से कच्चा माल प्रचुर मात्रा में मिल जाता था। अत: अन्त में उसकी नौसेना जापान की नौसेना से श्रेष्ठ सिद्ध हुई।
प्राकृतिक संसाधनों में खाद्यान्न और कच्चा माल भी आते हैं। कच्चे माल में खनिज पदार्थों का सर्वाधिक महत्व है। द्वितीय विश्वFight में जर्मनी की हार का Single कारण खनिजों का अभाव भी था। खनिज पदर्थों में कोयला, लोहा, तेल आदि महत्वपूर्ण हैं। अमरीका और सोवियत संघ को शक्ति बनाने में इन खनिजों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उर्जा संसाधनो में कोयला, तेल, जल, विद्युत, परमाणु शक्ति और सौर उर्जा को सम्मिलित Reseller जा सकता है। औद्योगिक विकास के लिए इन संसाधनों का विकास नितान्त आवश्यक है।
आर्थिक विकास में संचार-साध्नों और परिवहन संसाधनो का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। इनके अभाव में सेनाओं की आपूर्ति बाधित होती है और इनके विकसित होने से देश की सैनिक शक्ति का विकास होता है। औद्योगिक क्षमता भी आर्थिक कारकों में महत्वपूर्ण स्थिति लिए हुए है। विश्व में आज जो बड़ी शक्तियाँ हैं, उनका औद्योगिक विकास हो चुका है। वे आधुनिक हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं है। इन देशों में अमरीका, रूस, फांस, ब्रिटेन और चीन का नाम आता है। भारत अभी इस दौड़ में पीछे है यद्यपि वह भी परमाणु शक्ति-सम्पन्न देश बन गया है।