आधुनिकीकरण का Means, परिभाषा And क्षेत्र
आधुनिकीकरण का Means, परिभाषा And क्षेत्र
अनुक्रम
आधुनिकीकरण Word Single प्रक्रिया का बोध कराता है। आधुनिकीकरण से तात्पर्य सतत् And लगातार होने वाली क्रिया से है। साथ ही आधुनिकीकरण Single विस्तृत प्रक्रिया है। आधुनिकीकरण Word का प्रयोग First पश्चिमी समाजों से प्रारम्भ हुआ। तत्कालीन यूरोपीय समाज में पुनर्जागरण And औद्योगीकरण के कारण पश्चिमी समाजों में तीव्र परिवर्तन स्पष्ट होने लगे इससे समाज में भिन्नता दिखायी देने लगी Single तरफ परंपरागत समाज तथा दूसरी तरफ वे समाज जिनमें परिवर्तन हो रहे थे और आधुनिक समाज के Reseller में नयी पहचान प्राप्त कर रहे थे इस स्थिति ने आधुनिकीकरण को जन्म दिया। अंग्रेजीकरण, यूरोपीयकरण, पाश्चात्यकरण, तथा शहरीकरण को आधुनिकीकरण के पर्यायवाची के Reseller में प्रयोग Reseller जाता है। औद्योगीकरण, नगरीकरण आदि की तरह ही आधुनिकीकरण भी Single जटिल प्रक्रिया है। हमारे सम्मुख समस्या होती है कि वे कौन सी स्थितियाँ हैं जिन्हें हम आधुनिकीकरण के अन्तर्गत मानें।
आधुनिकीकरण : अवधारणा And परिभाषा
आधुनिकीकरण Single मूल्य निरपेक्ष अवधारणा है Meansात आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में इच्छित परिवर्तन नहीं होते वास्तव में आधुनिकीकरण Single बहुदिशा में होने वाला परिवर्तन है न कि किसी क्षेत्र विशेष में होने वाला परिवर्तन। वास्तव में जब हम परंपरागत समाजों में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करते हैं तो हम आधुनिकीकरण की अवधारणा का ही प्रयोग करते हैं जैसा कि बैनडिक्स (1967) कहते हैं- ‘‘आधुनिकीकरण से मेरा तात्पर्य 1760-1830 में इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रांति तथा 1784-1794 में फ्रांस की क्रांति के दौरान उत्पन्न हुए।’’ बैनडिक्स की परिभाषा के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि परंपरागत इंग्लैण्ड में औद्योगिकीकरण And फ्रांस में फ्रांस की क्रांति के कारण तत्कालीन समाज में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक तथा अन्य क्षेत्रों में Historyनीय परिवर्तन हुए। पश्चिमी देशों में होने वाले परिवर्तनों का अनुकरण यदि अन्य देश करते हैं तो इसे आधुनिकीकरण कहा जाएगा।
कुछ विद्वानों ने आधुनिकीकरण को Single प्रक्रिया, तो कुछ ने इसे प्रतिफल माना है। आइजनस्टैड (1969) ने आधुनिकीकरण को Single प्रक्रिया मानते हुए कहा है कि ‘‘ऐतिहासिक दृष्टि से आधुनिकीकरण उस प्रकार की सामाजिक, आर्थिक, And राजनीतिक व्यवस्थाओं की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया है जो कि 17वीं से 19वीं शताब्दी तक पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में और 20वीं शताब्दी तक दक्षिणी अमेरिका एशिया ई व अफ्रीकी देशों में विकसित हु ई।’’ गोरे (1971) ने आधुनिकीकरण को Single जटिल अवधारणा माना है। इस सम्बन्ध में उनका तर्क है कि जिन समाजों को हम आधुनिक कहते हैं उनमें भी पर्याप्त अन्तर देखने को मिलता है।
वस्तुत: आधुनिकीकरण से तात्पर्य परंपरागत समाजों में होने वाले परिवर्तनों से है। हालपर्न (1965) ने आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘‘आधुनिकीकरण Resellerान्तरण से संबंधित है। इसके अंतर्गत उन All पहलुओं, जैसे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, धार्मिक तथा मनोवैज्ञानिक आदि का Resellerान्तरण Reseller जाता है जिसे व्यक्ति अपने समाज के निर्माण में प्रयोग करता है।’’
एलाटास (1972) के According ‘‘आधुनिकीकरण Single ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सम्बद्ध समाज में अधिक अच्छे व संतोषजनक जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से आधुनिक ज्ञान को पहुचाया जाता है।’’
प ई (1963) ने आधुनिकीकरण को ‘‘व्यक्ति व समाज अनुसंधानात्मक व आविष्कारशील व्यक्तित्व का विकास माना है जो तकनीकी तथा मशीनों के प्रयोग में निहित होता है तथा नए प्रकार के सामाजिक संबंधों को प्रेरित करता है।’’ श्यामाचरण दुबे (1971) ने आधुनिकीकरण को स्पष्ट करते हुए कहा है कि ‘‘आधुनिकीकरण वह प्रक्रिया है जो परम्परागत या अर्द्धपरम्परागत अवस्था से प्रौद्योगिकी के किन्हीं इच्छित प्राResellerों तथा उनसे जुड़ी हु ई सामाजिक संCreation के स्वResellerों, मूल्यों, प्रेरणाओं And सामाजिक आदर्श नियमों की ओर होने वाले परिवर्तनों को स्पष्ट करती है।’’7 यदि इस दृष्टिकोण से देखा जाय तो हम कह सकते हैं कि आधुनिकीकरण Single समन्वित प्रक्रिया है, जो परम्परा की विरोधी है तथा जिसमें औद्योगीकरण, नगरीकरण, धर्म निरपेक्षता, लौकिकता, स्वतंत्रता तथा विवेक का समावेश होता है।
योगेन्द्र सिंह (1986) के According, जब परंपराओं के अन्तर्गत परिवर्तन सम-विकास के Reseller में न होकर विषम-विकास के Reseller में होता है, तो इस स्थिति को आधुनिकीकरण कहा जाता है।’’ सिंह ने आधुनिकीकरण को सांस्कृतिक अनुक्रिया के Single ऐसे Reseller में परिभाषित Reseller है, जिसमें मुख्य Reseller से सर्वव्यापकता तथा विकास के लक्षण विद्यमान होते हैं। ये लक्षण अति Humanता, सजातीयता से परे तथा औपचारिक Reseller में होते हैं।’’
श्रीनिवास (1956) ने आधुनिकीकरण को पश्चिमी मॉडल के आधार पर परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘‘आधुनिकीकरण किसी पश्चिमी देश के प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्पर्क के कारण किसी गैर पश्चिमी देश में होने वाले परिवर्तनों के लिए प्रचलित Word है।’’
ए0आर0 देसा ई (1971) ने आधुनिकीकरण को ‘‘Human जीवन के All क्षेत्रों में, विचारों में तथा क्रियाओं में होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया माना है’’, जबकि सक्सेना (1972) इसे मूल्यों से Added प्रत्यय मानते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि आधुनिकीकरण Single जटिल प्रक्रिया है, जिसमें उन All परिवर्तनों को शामिल Reseller जा सकता है जो जीवन के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कारिक, वैचारिक And धार्मिक पक्षों से सम्बद्ध हैं।
आधुनिकीकरण के क्षेत्र
वास्तव में हमारे चारों ओर जो घटनाएं And तथ्य हैं, उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, औद्योगिकीकरण, नगरीकरण, सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि, शिक्षा का प्रसार, जनशक्ति का Humanहित में उपयोग, अर्जित प्रस्थिति को महत्व व उसकी सक्रियता में वृद्धि, आधुनिक परिवहन और संचार के साधनों में वृद्धि, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, आजीविका उपार्जन के लिए नवीन प्रविधियों का उपयोग आदि वे विशेषताएं हैं, जो आधुनिकीकरण की प्रकृति तथा क्षेत्र को स्पष्ट करती हैं। आर्थिक क्षेत्र में मशीनीकरण, औद्योगीकरण और सर्वाधिक आर्थिक सम्पन्नता आधुनिकीकरण के लक्षण हैं। शिक्षा के क्षेत्र में परम्परागत शिक्षा के स्थान पर तकनीकी शिक्षा प्रदान करना, जिससे आत्मनिर्भर हुआ जा सके। आधुनिकीकरण का संकेत हैं। धर्म के क्षेत्र में पुराने कर्मकाण्डों, यज्ञ-हवन, तपस्वी का त्याग करके अधिक से अधिक बौद्धिक और नैतिक बनाना आधुनिकीकरण की ओर बढ़ना है। पारिवारिक और सामाजिक रीति-रिवाज तथा परम्परा से युक्त प्राचीन मूल्यों, आदर्शों व मान्यताओं के स्थान पर वर्तमान आधुनिक मूल्यों का पालन करना आधुनिकीकरण है। विवाह, खान-पान And पहनावे की प्राचीन परम्परा के स्थान पर जो क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, उन्हें स्वीकार करना तथा उनके आधार पर सामाजिक संCreation का निर्माण होना आधुनिकीकरण है। नगरीकरण, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण, पंथ-निरपेक्षीकरण जैसी प्रक्रियाएं आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत ही आती हैं।
लेवी (1954) ने आधुनिकीकरण को प्रौद्योगिक वृद्धि के Reseller में परिभाषित Reseller है। लेवी का मत है कि ‘‘आधुनिकीकरण की परिभाषा शक्ति के जड़ स्रोतों और प्रयत्न के प्रभाव को बढ़ाने के लिए, उपकरणों के प्रयोग पर आधारित है व इन दो तत्वों में से प्रत्येक के Sevenत्य का आधार है।’’ डेनियल लर्नर (1958) ने आधुनिकीकरण के पश्चिमी मॉडल को अपनाते हुए इसमें निहित निम्नलिखित विशेषताओं का History Reseller है-
- बढ़ता हुआ नगरीकरण;
- बढ़ती हु ई साक्षरता;
- बढ़ती हु ई साक्षरता से अन्य साधनों, जैसे समाचार पत्रों, पुस्तकों, रेडियो आदि के प्रयोग द्वारा शिक्षित लोगों के मध्य Meansपूर्ण सहभागिता में वृद्धि होती है;
- इससे मनुष्य की ज्ञान क्षमता में वृद्धि होती है जो राष्ट्र की आर्थिक स्थिति And प्रति व्यक्ति आय को भी बढ़ाती है;
- यह राजनीतिक जीवन में विशेषताओं को उन्नत करती है।
भारत में राजनीतिक क्षेत्र में प्रजातंत्र, धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद को आधुनिकता का मॉडल माना गया है। दुबे (1971) का मानना है कि आधुनिकीकरण के फलस्वReseller समाज में तर्क, परानुभूति, गतिशीलता And सहभागिता बढ़ती है। वे इसमें मुख्य Reseller से तीन तथ्यों को शामिल करते हैं-
- Human समस्याओं के सामाधन के लिए जड़ शक्ति का प्रयोग (जैसे- पेट्रोल, डीजल, विद्युत And मशीनीकरण)
- जड़ शक्ति का प्रयोग सामूहिक Reseller से Reseller जाता है न कि व्यक्तिगत Reseller से, फलस्वReseller जटिल संगठनों का निर्माण होता है।
अत: जटिल संगठनों को गतिमान करने के लिए व्यक्तित्व में समाज और संस्कृति में परिवर्तन लाना आवश्यक हो जाता है। श्रीनिवास (1971) ने आधुनिकीकरण के तीन प्रमुख क्षेत्रों का विवेचन Reseller है-
- भौतिक संस्कृति का क्षेत्र (इसमें तकनीकि भी शामिल है।)
- सामाजिक संस्थाओं का क्षेत्र
- ज्ञान, मूल्य And मनोवृित्त्ायों का क्षेत्र। उपर्युक्त तीनों क्षेत्र भिन्न-भिन्न है, परन्तु इनके मध्य अंतर्निर्भरता And अंतर्संबद्धता का गुण पाया जाता है। Meansात Single क्षेत्र में होने वाला परिवर्तन Second क्षेत्र को भी प्रभावित करता है।
बी0वी0 शाह (1969) ने आधुनिकीकरण को बहुआयामी प्रक्रिया हुए इसे सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक आदि All क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित Reseller है। ए0आर0 देसा ई (1971) आधुनिकीकरण का प्रयोग सामाजिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं मानते, बल्कि आधुनिकीकरण को बौद्धिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, पारिस्थितिकीय, सांस्कृतिक आदि जीवन के All पहलुओं तक विस्तृत मानते हैं।
आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में शिक्षा भी Single सशक्त भूमिका निभाती है। यह मूल्यों तथा धारणाओं And विश्वासों को परिवर्तित करके आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त करती है। शरद कुमार (2008) ने भारत में आधुनिकीकरण के चार आयामों- वैयक्तिक, सामाजिक, आर्थिक And राजनैतिक की Discussion की है।
लर्नर (1958) के According आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तीन स्तरों- नगरीकरण, साक्षरता And भाग लेने के साधनों से पूर्ण होती है। इसी तरह कॉनेल (1965) ने भी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के तीन स्तरों का History Reseller है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आधुनिकीकरण Single ऐसी अति व्यापक प्रक्रिया का संकेत है जिसके द्वारा Single समाज पारम्परिक या अविकसित संस्थाओं से ऐसी विशेषताओं जैसे औद्योगीकरण, लौकिकीकरण, नगरीकरण, विशेषीकरण परिष्कृत And उन्नत संचार And यातायात व्यवस्था, आधुनिक शिक्षा की ओर अग्रसर होता है।
माइरन वीनर (1967) ने आधुनिकीकरण को सम्भव बनाने वाले शिक्षा, संचार, राष्ट्रीयता पर आधारित विचारधारा, चमत्कारी नेतृत्व, And अवपीड़क सरकारी सत्ता आदि कारकों की व्याख्या की है।
योगेन्द्र सिंह ने आधुनिकीकरण के लिए सबसे प्रमुख उपकरण के Reseller में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित शिक्षा को माना है।
भारत में आधुनिकीकरण
रेडफील्ड ने भारत में सांस्कृतिक परिवर्तनों की प्रक्रिया को समझाने के लिए ‘परम्परा’ की अवधारणा का प्रयोग Reseller है। रेडफील्ड का मानना है कि प्रत्येक संस्कृति का निर्माण परम्पराओं से होता है, जिन्हें दो भागों में बाँटकर समझा जा सकता है। इन दोनों परम्पराओं में पहली श्रेणी की परम्परा को हम वृहद् परम्परा और दूसरी श्रेणी की परम्परा को लघु परम्परा कहते हैं।
वास्तव में हमारे व्यवहारों के तरीकों को परम्परा कहा जाता है। समाज में प्रचलित विचार, रूढ़ियाँ, मूल्य, विश्वास, धर्म, रीति-रिवाज, आदतों आदि के संयुक्त Reseller को ही मोटे तौर पर परम्परा कहा जा सकता है। जेम्स ड्रेवर (1976) ने परम्परा को कानून, प्रथा, कहानी तथा किवदन्तियों के उस संग्रह को परम्परा कहा है जो मौलिक Reseller से Single पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित Reseller जाता है। इसी तरह जिन्सबर्ग (1921) ने भी उन All विचारों, आदतों और प्रभावों के योग को परम्परा कहा है, जो व्यक्तियों के Single समुदाय से सम्बन्धित होता है और Single पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता रहता है। योगेन्द्र सिंह (1965) ने किसी समाज की उस संचित विरासत को परम्परा कहा है, जो सामाजिक संगठन के समस्त स्तरों पर छा ई रहती है, जैसे- मूल्य-व्यवस्था, सामाजिक संCreation तथा वैयक्तिक संCreation।
प्राचीन काल से ही भारत में संयुक्त परिवार की परम्परा विद्यमान थी, परन्तु वर्तमान समय में परिवार के All सदस्यों का साथ रहना सम्भव नहीं है। नौकरी, व्यापार तथा अन्य कारणों से पारिवारिक सदस्य अलग-अलग रहते हैं, लेकिन Indian Customer परिवारों में ‘Singleल परिवार’ होने के बाद भी परम्परागत प्रवृित्त्ा याँ दिखा ई देती हैं। यथा, Singleल बच्चे को उसके दादा-दादी, चाची-चाचा, बुआ-फूफा, मामा-मामी व उनके बच्चों से लगातार सम्पर्क में रखना, उनके जन्मदिवस, त्यौहारों पर All का Singleत्रित होकर छुट्टियों को प्रसन्नता से मनाना।
Indian Customer परम्परा में पुत्र का परिवार में होना अति आवश्यक माना जाता था। पुत्र के अभाव में यज्ञ, तप, दान को भी व्यर्थ माना जाता था। साथ ही पिता का अंतिम संस्कार करने, व श्राद्धकर्म करने का अधिकार भी पुत्रों को ही प्राप्त था। परन्तु आधुनिकता के प्रभाव ने इस परम्परागत सोच को चुनौती दे दी है। अब पुत्र और पुत्री में को ई भेद नहीं Reseller जाता, यद्यपि हर गाँव या समाज में समान आधुनिक दृष्टिकोण दिखा ई नहीं देता। अब छोटे परिवारों में 1 या 2 बच्चे होते हैं। चाहे वह पुत्र हो या पुत्रियाँ। अब तो लड़Resellerँ पुरातन रूढ़ियों को तोड़कर पिता का अंतिम संस्कार व श्राद्धकर्म भी कर रही हैं।
मातृदेवी की पूजा सिन्धुकाल से ही Indian Customer समाज में प्रचलित थी, जिसे वैदिक काल में माता, Earth, अदिति आदि नामों से जाना गया। पुराणकाल में इसे पार्वती, दुर्गा, काली, महिषमर्दिनी भवानी आदि नामों से विभूषित Reseller गया। वर्तमान में क ई नये नामों से (संतोष माता, वैभव माता आदि) इस मातृदेवी की पूजा की जा रही है। इसी तरह व्रत, त्योहार आदि मनाने की पद्धति में बदलते समय के अनुReseller अनेक सुविधाजनक परिवर्तन हो गये हैं, लेकिन इनका प्रचलन बदस्तूर जारी है। यही नहीं शादी-विवाह अन्य क ई अवसरों पर फिजूलखर्ची और शानोशौकत का प्रदर्शन करने वाले Indian Customer Need पड़ने पर राष्ट्र के लिए, निजी और सरकारी संस्थाओं के लिए या व्यक्तिगत Reseller से भी असहाय लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि हम आधुनिकता के इस दौर में भी पारम्परिक विचारों के ही पोषक हैं। वर्तमान हकीकत यही है कि हम All आधुनिक समय, विचारों, पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति से प्रभावित हैं। फिर भी हमने अपनी परम्पराओं को उनके परिवर्तित स्वReseller में जीवित रखा है।
इस प्रकार Indian Customer संदर्भ में यदि आधुनिकीकरण को देखा जा तो ज्ञात होगा कि ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के फलस्वReseller की Indian Customer समाज का संपर्क आधुनिक पश्चिमी सभ्यता के साथ व्यापक Reseller से संभव हुआ। फलत: भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का प्रारंभ औपनिवेशिक शासन के प्रमुख प्रभाव के Reseller में देखा जा सकता है। तत्कालीन समय में न ई मशीनों का प्रयोग करके आधुनिकीकरण की स्थापना तथा नगरीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया गया। शनै: शनै: परम्परागत Indian Customer समाज में परिवर्तन के दौर का प्रारंभ हुआ व आधुनिकीकरण को जोर मिला। तत्समय विद्यमान पश्चिमी सभ्यता समानता, स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय, व्यक्तिवादिता, विवेकशीलता व Humanवाद दृष्टिकोण पर आधारित थी, जिसका प्रभाव पूर्ण Resellerेण Indian Customer सामाजिक स्थिति पर पड़ा। तत्कालीन आधुनिकीकरण में जो कमियाँ थीं, उन्हें आजाद भारत में Indian Customer समाज सुधारकों व नेतृत्वशील लोगों के माध्यम से दूर करने का प्रयास Reseller गया। यदि वर्तमान समय का अध्ययन Reseller जाए तो स्पष्ट होगा कि आधुनिकीकरण के परिणामस्वReseller Indian Customer समाज पूर्ण Resellerेण परिवर्तन के बहाव में है। योगेन्द्र सिंह (1994) ने कहा है कि ‘भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया ने संCreationत्मक व सांस्कृतिक विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न कर दी है।’ Indian Customer सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों में विशेष परिवर्तन देखने को मिलता है। जैसा कि विदित है, सामाजिक मूल्यों का प्रमुख कार्य होता है, समाज में लोगों के पारस्परिक संबंधों को निर्देशित And परिभाषित करना। ये सामाजिक मूल्य समाज के ही उपज होते हैं इनका संबंध किसी व्यक्तिगत विशेष से न होकर सम्पूर्ण समाज से होता है। आधुनिकीकरण के प्रभाव के परिणामस्वReseller सम्पूर्ण समाज को परिवर्तन के दौर से गुजरना पड़ता है। अत: स्वाभाविक है कि परम्परागत सामाजिक मूल्यों पर, जो कि Human को Single विशेष ढंग से व्यवहार करने को प्रेरित और बाध्य करते हैं, भी आधुनिकीकरण का विशिष्ट Reseller से प्रभाव पड़ा है। विभिन्न नियोजित कार्यक्रमों के संचालन के फलस्वReseller अब तक जो Indian Customer सामाजिक मूल्य परम्परागत तरीके से स्वचालित थे And जो कुछ हद तक समाज की उन्नति में बाधक समझे जा रहे थे, उन्हें त्यागकर देश परम्परावादिता से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। Indian Customer समाज में क्रियाशील परिवर्तन And निरंतरता की प्रवृित्त्ायों के संदर्भ में यदि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर दृष्टि डाली जाए तो निश्चित ही यह स्पष्ट होगा कि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से जहाँ आज Indian Customer समाज परिवर्तन And प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है And इसके तहत इसने विशिष्ट उपलब्धियाँ भी प्राप्त की है किन्तु यह भी दृष्टव्य है कि आधुनिकीकरण की इस प्रक्रिया ने भले ही पूर्ण Reseller से न सही किन्तु कुछ मात्रा में परम्परा व सामाजिक मूल्यों की परिवर्तित अवश्य Reseller है।
संदर्भ
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