Word की परिभाषा And Word के प्रकार

Word की परिभाषा And Word के प्रकार

अनुक्रम



ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्णसमुदाय को ‘Word’ कहते हैं। Word अकेले और कभी Second Wordों के साथ मिलकर अपना Means प्रकट करते हैं। इन्हें हम दो Resellerों में पाते हैं-Single तो इनका अपना बिना मिलावट का Reseller है, जिसे संस्कृत में प्रकृति या प्रतिपादिक कहते हैं और दूसरा वह, जो कारक, लिंग, वचन, पुरुष और काल बताने वाले अंश को आगे-पीछे लगाकर बनाया जाता है, जिसे पद कहते हैं। यह वाक्य में Second Wordों से मिलकर अपना Reseller झट सँवार लेता है। Wordों की Creation ध्वनि और Means के मेल से होती है। Single या अधि क वर्णों से बनी स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को Word कहते हैं जैसे-लड़की, आ, मै, धीरे, परन्तु इत्यादि। अत:, Word मूलत: ध्वन्यात्मक होंगे या वर्णात्मक। किन्तु, व्याकरण में ध्वन्यात्मक Wordों की अपेक्षा वर्णात्मक Wordों का अधिक महत्व है। वर्णात्मक Wordों में भी उन्हीं Wordों का महत्त्व है, जो सार्थक हैं, जिनका Means स्पष्ट और सुनिश्चित है। व्याकरण में निरर्थक Wordों पर विचार नहीं होता।

Word की व्युत्पत्ति

Word की व्युत्पत्ति के विषय में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। विद्वानों ने Word का संबंध Singleाधिक धातुओं से जोड़ा है।


डॉ. भोलानाथ तिवारी ने ‘भाषा-विज्ञान कोश’ में अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किए है- फ्Word का संबंध Word् धातु से है, जिसका Means है-Word करना। डॉ. केलाशचन्द्र भाटिया और रामचन्द्र वर्मा आदि ने भी यही व्युत्पत्ति मानी है। अपनी पुस्तक ‘हिंदी Word-समूह का विकास’ में Word की व्युत्पत्ति के संबंध में विस्तृत Discussion करते हुए विभिन्न विद्वानों के मंतव्यों को दो प्रमुख वर्गों में इस प्रकार विभक्त Reseller है- (क) कुछ भाषा वैज्ञानिकों ने शप् धतु से संबंध जोड़ते हुए Word की व्युत्पत्ति इस प्रकार की है-शप् (आक्रोशे) + दन = Word। (ख) भाषा वैज्ञानिकों का दूसरा वर्ग संस्कृत के Word धतु से Word का संबंध जोड़ता है-Word + घञ (प्रत्यय) = Word। मेरे विचार से Word का संबंध धतु से ही मानना चाहिए क्योंकि इसका मूल Means ध्वनि है।

भाषा वैज्ञानिक डॉ. भोलानाथ तिवारी द्वारा उनकी पुस्तक Word विज्ञान में विवेच्य Word की सटीक और संक्षिप्त परिभाषा है- भाषा की सार्थक लघुतम और स्वतंत्र इकाई को Word कहते हैं।

Word की परिभाषा

विश्व की समस्त भाषाओं के Wordों के संदर्भ से पूर्ण वैज्ञानिक परिभाषा बनाना असंभव है। Word की ऐसी परिभाषा पर विचार करते हुए पाश्चात्य ही नहीं Indian Customer विद्वानों ने भी असमर्थता व्यक्त की है। इस प्रकार के विचार व्यक्त करने वालों में येस्पर्शन, वैद्रियेज, डैनियल जोन्स, डाल्टन, डॉ. धीरेंद्र वर्मा, डॉ. उदयनारायण तिवारी, डॉ. कैलाशचंद्र भाटिया, आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा और आचार्य किशोरीदास वाजपेयी के नाम विशेष Historyनीय हैं। विभिन्न भाषाविदों ने समय-समय पर अपने चिंतन के According Word को इस प्रकार परिभाषित Reseller है-

(क) संस्कृत के कई विद्वानों ने Word की परिभाषा की है। महर्षि पतंजलि ने स्फोट को महत्त्व देते हुए कहा है- स्फोट Word:। ध्वनि Word गुण:। उन्होंने Single अन्य स्थान पर Word की विस्तृत परिभाषा इस प्रकार की है- श्रोतोपलिब्ध्र्बुद्धनिगर्राह्यि प्रयोगेणाभिज्वलित: आकाशदेश: Word:। Meansात कान से प्राप्त, बुद्धि से ग्राह्य, प्रयोग से स्फफरित होने वाली आकाशव्यापी ध्वनि को Word कहते हैं। ‘Word कल्पद्रुम’ में Word की परिभाषा इस प्रकार की गई है- फ्श्रोतग्राह्य गुणपदार्थविशेष:। इन परिभाषाओं में ध्वनि के आधार पर होने वाली Means-प्रतीति को महत्त्व दिया गया है, जबकि Means की प्रतीति Word के अतिरिक्त पद तथा वाक्य आदि से भी होती है। इस प्रकार उत्तम परिभाषा होते हुए भी इन्हें पूर्ण वैज्ञानिक परिभाषा की कोटि में नहीं रख सकते हैं।

(ख) हिंदी के अनेक वैयाकरणों, कोशकारों तथा भाषाविदों ने समय-समय पर Word को परिभाषित Reseller है, जिनमें से कुछ प्रमुख परिभाषाएँ उद्धृत हैं। प्रसिद्ध हिंदी वैयाकरण प. कामताप्रसाद गुरु ने ‘हिंदी व्याकरण’ में Word की परिभाषा करते हुए कहा है- Single या अधिक अक्षरों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को Word कहते हैं।

डॉ. रामचन्द्र वर्मा ने ‘मानक हिंदी कोश’ में Word की परिभाषा इन Wordों में की है- अक्षरों, वर्णों आदि से बना और मुँह से उच्चरित या लिखा जाने वाला वह संकेत जो किसी कार्य या भाव का बोधक हो।

आचार्य श्यामसुंदर दास ने ‘हिंदी Word सागर’ में Word की परिभाषा इस प्रकार की है फ्वह स्वतंत्र, व्यक्त और सार्थक ध्वनि जो Single या अधिक वर्णों के संयोग से कंठ और तालु आदि के द्वारा उत्पन्न हो और जिससे सुनने वाले को किसी पदार्थ, कार्य या भाव आदि का बोध हो, उसे Word कहते हैं।

आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा ने ‘भाषा-विज्ञान की भूमिका’ में Word की परिभाषा करते हुए लिखा है- उच्चारण की दृष्टि से भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है और सार्थकता की दृष्टि से Word।

डॉ. सरयूप्रसाद अग्रवाल ने ‘भाषा विज्ञान और हिंदी’ में सरलतम परिभाषा इस प्रकार दी है- ध्वनियों का संयोजन Word …….. है।

डॉ. भोलानाथ तिवारी ने ‘Word-विज्ञान’ में Word की परिभाषा करते हुए उसका विशद विवेचन भी Reseller है उनके According भाषा की सार्थक, लघुतम और स्वतंत्र इकाई को Word कहते हैं।

(ग) संस्कृत के आचार्यों तथा हिंदी के विद्वानों के अतिरिक्त पाश्चात्य विद्वानों ने भी Word की परिभाषा दी है। पामर Word की परिभाषा करते हुए कहते हैं कि “The smallest speech unit capable of functioning as a complete utterance.” Meansात् भाषा की ऐसी लघुतम इकाई जो Single महत्त्वपूर्ण उच्चारण के Reseller में काम कर सके उसे Word कहते हैं।

उल्मैन की परिभाषा इस प्रकार है- “The smallest significant unit of language.” Meansात् Word को भाषा की लघुतम महत्त्वपूर्ण इकाई कहते हैं।

मैलेट Word के विषय में लिखते हैं- “A word is the result of the association of a given meaning with a given combination of sound capable of given grammatical use.” Meansात् Word Means और ध्वनि का वह योग है, जिसका व्याकरणिक प्रयोग Reseller जाता है।

राबर्टसन तथा केसिडी Word की परिभाषा करते हुए कहते हैं- “The smallest independent unit with in the sentence.” Meansात् Word वाक्य में लघुतम स्वतंत्र इकाई है। स्वीट Word की परिभाषा इस प्रकार करते हैं- “An ultimate sense-unit.” Meansात् लघुतम Meansपूर्ण इकाई को Word कहते हैं।

उक्त All परिभाषाओं में किसी न किसी दृष्टिकोण की वैज्ञानिकता अवश्य है। मेरे विचार से Word की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है- भाषा की स्फोट-ध्वनि गुणयुक्त लघुतम स्वतंत्र महत्त्वपूर्ण इकाई Word है। इस परिभाषा में Word की All विशेषताएँ आ जाती हैं। विस्फोट Word की First महत्त्वपूर्ण विशेषता है, जिससे Means-बोध होता है। Means Word का अनिवार्य तत्त्व है। Means की दृष्टि से Word भाषा की लघुतम इकाई है। यदि मूल Word के दो या दो से अधिक खंड कर दिए जाएँ तो उन खंडों में Meansहीनता या अनर्थ का भाव प्रकट होता है। भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है, किंतु ध्वनि का सर्वत्र सार्थक होना अनिवार्य नहीं है। ध्वनि की अपेक्षा Word बड़ी इकाई है और इसका सार्थक होना भी अनिवार्य है। Word का स्वतंत्र होना भी अनिवार्य है, क्योंकि इसका स्वतंत्र अस्तित्व होता है। उसके साथ किसी सहायक तत्त्व का होना अनिवार्य नहीं है। ‘मधुर’, हिंदी का मूल Word है। मूलार्थ अभिव्यक्ति हेतु किसी सहायक तत्त्व उपसर्ग या प्रत्यय की Need नहीं है। यदि सहायक तत्त्व उपसर्ग या प्रत्यय का प्रयोग करेंगे, तो Means-परिवर्तन के साथ Word Reseller में भी परिवर्तन होगा हीऋ यथा-मधुर के साथ ‘सु’ उपसर्ग योग झ सुमधुर, मधुर के साथ ‘ता’ प्रत्यय होगा झ मधुरता। इस परिभाषा में Word की विशेषताएँ समाहित हैं-

  1. भाषा की लघुतम इकाई।
  2. स्फोट गुण-संपन्नता Meansात् सार्थकता।
  3. स्वतंत्र महत्त्वपूर्ण इकाई।

Word के प्रकार

सामान्यत: Word दो प्रकार के होते हें-सार्थक और निरर्थक। सार्थक Wordों के Means होते हैं। और निरर्थक Wordों के Means नहीं होते। जैसे-’पानी’ सार्थक Word है ‘नीपा’ निरर्थक Word, क्योंकि इसका कोई Means नहीं। भाषा की परिवर्तनशीलता उसकी स्वाभाविक र्Reseller है। समय के साथ संसार की All भाषाओं के Reseller बदलते हैं। हिन्दी इस नियम का अपवाद नहीं है। संस्कृत के अनेक Word पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आये हैं। इनमें कुछ Word तो ज्यों-के-त्यों अपने मूलReseller में हैं और कुछ देश-काल के प्रभाव के कारण विकृत हो गये हैं।

व्युत्पत्ति की दृष्टि से Wordों का वर्गीकरण

उत्पत्ति की दृष्टि से Wordों के चार भेद हैं- (1) तत्सम, (2) तद्भव, (3) देशज And, (4) विदेशी Word।

तत्सम

किसी भाषा के मूलWord को ‘तत्सम’ कहते हैं। ‘तत्सम’ का Means ही है-’उसके समान’ या ‘ज्यों-का-त्यों’ (तत्, तस्य = उसके-संस्कृत के, सम = समान)। यहाँ संस्कृत के उन तत्समों की सूची है, जो संस्कृत से होते हुए हिन्दी में आये हैं-

तत्सम हिन्दी तत्सम हिन्दी
आम्र आम गोमल, गोमय गोबर
उष्ट्र उँट घोटक घोड़ा
चुल्लि: चूल्हा शत सौ
चतुष्पादिक चौकी सपत्नी सौत
शलाका सलाई हरिद्रा हल्दी, हरदी
चंचु चोंच पर्यक पलंग
त्वरित तुरत, तुरन्त भक्त भात
उद्वर्तन उबटन सूचि सुई
खर्पर खपरा, खप्पर  सक्तु  सक्तु

तद्भव

ऐसे Word, जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिन्दी में आये हैं, ‘तद्भव’ कहलाते हैं। तत्+भव का Means है-उससे (संस्कृत से)। ये Word संस्कृत से सीधे न आकर पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिन्दी में आये हैं। इसके लिए इन्हें Single लम्बी यात्रा तय करनी पड़ी है। All तद्भव Word संस्कृत से आये हैं, परन्तु कुछ Word देश-काल के प्रभाव से ऐसे विकृत हो गये हैं कि उनके मूलReseller का पता नहीं चलता। फलत:, तद्भव Word दो प्रकार के हैं-(1) संस्कृत से आनेवाले और (2) सीधे प्राकृत से आनेवाले। हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होनेवाले बहुसंख्य Word ऐसे तद्भव हैं, जो संस्कृत-प्राकृत से होते हुए हिन्दी में आये हैं। हिन्दी में Wordों के सरलतम Reseller बनाये रखने का फराना अभ्यास है। निम्नलिखित उदाहरणों से तद्भव Wordों के Reseller स्पष्ट हो जायेंगे-

संस्कृत प्राकृत तद्भव हिन्दी
अग्नि अग्गि आग
मया मई मैं
वत्स वच्छ बच्चा, बाछा
चतुर्दश चोद्दस, चउद्दह Fourteen
पुष्प पुप्फ फूल
चतुर्थ चउट्ठ, चडत्थ चौथा
प्रिय प्रिय पिय, पिया
कूत: कओ Reseller
मध्य मज्झ में
मयूर मउफर मोर
वचन वअण बैन
नव नअ नौ
चत्वारि चतारि चार
अद्धतृतीय अड्ढतइअ अढ़ाई, ढाई

देशज

‘देशज’ वे Word हैं, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नहीं चलता। ये अपने ही देश में बोलचाल से बने हैं, इसलिए इन्हें देशज कहते हैं। हेमचन्द्र ने उन Wordों को ‘देशी’ कहा है, जिनकी व्युत्पत्ति किसी संस्कृत धतु या व्याकरण के नियमों से नहीं हुई। लोकभाषाओं में ऐसे Wordों की अधिकता है। जैसे-तेंदुआ, चिड़िया, कटरा, अण्टा, ठेठ, कटोरा, खिड़की, ठुमरी, खखरा, चसक, जूता, कलाई, फनगी, खिचड़ी, पगड़ी, बियाना, लोटा, डिबिया, डोंगा, डाब इत्यादि। विदेशी विद्वान् जॉन बीम्स ने देशज Wordों को मुख्यReseller से अनार्यस्त्रोत से सम्बद्ध माना है।

व्युत्पत्तिक Wordों का दूसरा नाम देशज Word है।

विदेशी

Word विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आये Wordों को ‘विदेशी Word’ कहते है। इनमें फारसी, अरबी, तुर्की, अँगरेजी, पुर्तगाली और र्कांसीसी भाषाएँ मुख्य हैं। अरबी, फारसी और तुर्की के Wordों को हिन्दी ने अपने उच्चारण के अनुReseller या अपभ्रंश Reseller में ढाल लिया है। हिन्दी में उनके कुछ हेर-फैर इस प्रकार हुए हैं-

  1. क, ख़्, ग़्, फ, जैसे नुक्तेदार उच्चारण और लिखवट को हिन्दी में साधरणतया बिना नुक्ते के उच्चरित Reseller और लिखा जाता है। जैसे-कीमत (अरबी) – कीमत (हिन्दी), खूब (फारसी) = खूब (हिन्दी), आगा (तुर्की) = आगा हिन्दी, फैसला (अरबी) = फैसला (हिन्दी)।
  2. Wordों के अन्तिम विसर्ग की जगह में आकार की मात्रा लगाकर लिखा या बोला जाता है। जैसे-आईन: और कमीन: (फारसी) = आईना और कमीना (हिन्दी), हैज: (अरबी) = हैजा (हिन्दी), चम्च: (तुर्की) = चमचा (हिन्दी)।
  3. Wordों के अन्तिम हकार की जगह हिन्दी में आकर की मात्रा कर दी जाती है। जैसे-अल्लाह (अरब) = अल्ला (हिन्दी)। 
  4. Wordों के अन्तिम आकार की मात्रा को हिन्दी में हकार कर दिया जाता है। जैसे-परवा (फारसी) ¾ परवाह (हिन्दी)।
  5. Wordों के अन्तिम अनुनासिक आकार को ‘आन’ कर दिया जाता है। जैसे-दुका! (फारसी) = दुकान (हिन्दी), ईमाँ (अरबी) = ईमान (हिन्दी)।
  6. बीच के ‘इ’ को ‘य’ कर दिया जाता है। जैसे-काइद: (अरबी) = कायदा (हिन्दी)।
  7. बीच के आधे अक्षर को लुप्त कर दिया जाता है। जैसे-नश्श: (अरबी) = नशा (हिन्दी)।
  8. बीच के आधे अक्षर को पूरा कर दिया जाता है। जैसे-अल्सोस, गर्म, बेरहम, विफश्मिश, जह, (फारसी) = अफसोस, गरम, जहर, किशमिश, बेरहम (हिन्दी)। तर्क, नह्र, कस्त्रात (अरबी) = तरफ, नहर, कसरत (हिन्दी)। चम्च: तम्गा (तुर्की) = चमचा, तमगा (हिन्दी)। 
  9. बीच की मात्रा लुप्त कर दी जाती है। जैसे-आबोदान: (फारसी) = आबदाना (हिन्दी), ज्वाहिर, मौसिम, वापिस (अरबी) = जवाहर, मौसम, वापस (हिन्दी), चुगुल (तुर्की) = चुगल (हिन्दी)।
  10. बीच में कोई “स्व मात्रा (खासकर ‘इ’ की मात्रा) दे दी जाती है जैस-आतशबाजी (फारसी) = आतिशबाजी (हिन्दी)। दुन्या, तक्य: (अरबी) = दुनिया, तReseller (हिन्दी)। 
  11. बीच की “स्व मात्रा को दीर्घ में, दीर्घ मात्रा को “स्व में या गुण में, गुण मात्रा को “स्व में और “स्व मात्रा को गुण में बदल देने की परम्परा है। जैस-खुराक (फारसी) = खूराक (हिन्दी) (“स्व के स्थान में दीर्घ), आईन: (फारसी) = आइना (हिन्दी) (दीर्घ के स्थान में “स्व) उम्मीद (फारसी) = उम्मेद (हिन्दी) (दीर्घ ‘इ’ के स्थान में गुण ‘ए’)ऋ देहात (फारसी) = दिहात (हिन्दी) (गुण ‘ए’ के स्थान में ‘इ’) मुग़ल (तुर्की) = मोगल (हिन्दी) (‘उ’ के स्थान में गुण ‘ओ’)।
  12. अक्षर में सवर्गी परिवर्तन भी कर दिया जाता है। जैसे-बालाई (फारसी) = मलाई (हिन्दी) (‘ब’ के स्थान में उसी वर्ग का वर्ण ‘म’)।

हिन्दी के उच्चारण और लेखन के According हिन्दी-भाषा में घुले-मिले कुछ विदेशी Word आगे दिये जाते हैं।

(अ) फारसी Word

अफसोस, आबदार, आबरू, आतिशबाजी, सदा, आराम, आमदनी, आवारा, आफत, आवाज, आईना, उम्मीद, कद, कबूतर, कमीना, कुश्ती, कुश्ता, किशमिश, कमरबन्द, किनारा, कूचा, खाल, खुद, खामोश, खरगोश, खुश खुराक, खूब, गर्द, गज, गुम, गल्ला, गोला, गवाह, गिरफ्रतार, गरम, गिरह, गुलूबन्द, गुलाब, गुल, गोश्त, चाबूक, चादर, चिराग, चश्मा, चरखा, चूँकि, चेहरा, चाशनी, जंग, जहर, जीन, जोर, जबर, जिन्दगी, जादू, जागीर, जान, जुरमाना, जिगर, जोश, तरकश, तमाशा, तेज, तीर, ताक, तबाह, तनख्वाह, ताजा दीवार, देहात, दस्तूर, दुकान, दरबार, दगल, दिलेर, दिल, दवा, नामर्द, नाव, नापसन्द, पलंग, पैदावार, पलक, फल, पारा, पेशा, पैमाना, बेवा, बहरा, बेहूदा, बीमार, बेरहम, मादा, माशा, मलाई, मुफ्रत, मोर्चा मीना, मुर्गा, मरहम, याद, यार, रंग, रोगन, राह, लश्कर, लगाम, लेकिन, वर्ना, वापिस, शादी, शोर, सितारा, सरासर, सुर्ख, सरदा, सरकार, सूद, सौदागर, हफ्रता, हजार, इत्यादि।

(आ) अरबी Word

अदा अजब, अमीर, अजीब, अजायब, अदावत, अक्ल, असर, अहमक, अल्लाह, आसार, आखिर, आदमी, आदत, इनाम, इजलास, इज्जत, इमारत, इस्तीफा, इलाज, ईमान, उम्र, एहसान, औसत, औरत, औलाद, कसूर, कदम, कब्र, कसर, कमाल, कर्ज, किस्त, किस्मत, किस्सा, किला, कसम, कीमत, कसरत, कुर्सी, किताब, कायदा, कातिल, खबर, खत्म, खत, खिदमत, खराब, खयाल, गरीब, गैर, जाहिल, जिस्म, जलसा, जनाब, जवाब, जहाज, जालिम, जिर्क, जेहन, तमाम, तकाजा, तारीख, तReseller, तमाशा, तरफ, तै, तादाद, तरक्की, तजुरबा, दाखिल, दिमाग, दवा, दाबा, दावत, दफ्रतर, दगा, दुआ, दफा, दल्लाल, दुकान, दिक, दुनिया, दौलत, दान, दीन, नतीजा, नशा, नाल, नकद, नहर, फकीर, फायदा, फैसला, बाज, बहस, बाकी, मुहावरा, मदद, मुद्दई, मरजी, माल मिसाल, मजबूर, मुंसिफ, मामूली, मुकदमा, मुल्क, मल्लाह, मवाद, मौसम, मौका, मौलवी, मुसाफिर, मशहूर, मजमून, मतलब, मानी, मात, यतीम, राय, लिहाज, लफ्रज, लहजा, लिफाफा, लियाकत, लायक, वारिस, वहम, वकील, शराब, हिम्मत, हैजा, हिसाब, हरामी, हद, हज्जाम, हक, हुक्म, हाजिर, हाल, हािश्या, हाकिम, हमला, हवालात, हौसला, इत्यादि।

(इ) तुर्की Word

आगा, आका, उजबक, उर्दू, कालीन, काबू, कज्जाक, काबू, कज्जाक, केची, कुली, कुर्की, चिक, चेचक, चमचा, चुगुल, चकमक, जाजिम, तमगा, तोप, तलाश, बेगम, बहादुर, मुगल, लफंगा, लाश, सौगात, सुराग इत्यादि।

(ई) अँग्रेजी Word

(अँग्रेजी) तत्सम तद्भव (अँग्रेजी) तत्सम तद्भव
ऑफीसर अफसर थियेटर थेटर, ठेठर
एंजिन इंजन टरपेण्टाइन तारपीन
डॉक्टर डाक्टर माइल मील
लैनटर्न लालटेन बॉटल बोतल
स्लेट सिलेट केप्टेन कप्तान

 इनके अतिरिक्त, हिन्दी में अँगरेजी के कुछ तत्सम Word ज्यों-के-त्यों प्रयुक्त होते है। इनके उच्चारण में प्राय: कोई भेद नहीं रह गया है। जैसे-अपील, आर्डर, इंच, इण्टर, इयरिंग, एजेन्सी, कम्पनी, कमीशन, कमिशनर, केम्प, क्लास, क्वार्टर, र्किकेट, काउन्सिल, गार्ड, गजट, जेल, चेयरमैन, ट्यूशन, डायरी, डिप्टी, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड, ड्राइवर, पेन्सिल, फाउण्टेन पेन, नम्बर, नोटिस, नर्स, थर्मामीटर, दिसम्बर, पार्टी, प्लेट, पार्सल, पेटोल, पाउडर, प्रेस, पे्रफम, मीटिंग, कोर्ट, होल्डर, कॉलर इत्यादि। 

(उ) पुर्तगाली Word

हिन्दी पुर्तगाली अलकतरा Alcatrao अनन्नास Annanas आलपीन Alfinete आलमारी Almario बाल्टी Balde किरानी Carrane चाबी Chave फीता Fita तम्बाकू Tobacco इसी तरह, आया, इस्पात, इस्तिरी, कमीज, कनस्टर, कमरा, काजू, र्किस्तान, गमला, गोदाम, गोभी, तौलिया, नीलाम, परात, पादरी, पिस्तौल, फर्मा, बुताम, मस्तूल, मेज, लबादा, साया, सागू, आदि, पुर्तगाली, तत्सम के तद्भव Reseller भी हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं।

उपर जिन Wordों की सूची दी गयी है उनसे यह स्पष्ट है कि हिन्दी भाषा में विदेशी Wordों की कमी नहीं है। ये Word हमारी भाषा में दूध-पानी की तरह मिले हैं। निस्सन्देह, इनसे हमारी भाषा समृद्ध हुई है।

Creation अथवा बनावट के आधार पर Wordों का वर्गीकरण

Wordों अथवा वर्णों के मेल से नये Word बनाने की प्रर्Reseller को ‘Creation या बनावट’ कहते हैं। कई वर्णों को मिलाने से Word बनता है और Word के खण्ड को ‘Wordांश’ कहते हैं। जैसे-’राम’ में Word के दो खण्ड हैं-’रा’ और ‘म’। इन अलग-अलग Wordांशों का कोई Means नहीं है। इसके विपरीत, कुछ ऐसे भी Word हैं, जिनके दोनों खण्ड सार्थक होते हैं। जैसे-विद्यालय। इस Word के दो अंश हैं-’विद्या’ और ‘आलय’। दोनों के अलग-अलग Means हैं। इस प्रकार, बनावट के विचार से Word के तीन प्रकार हैं-(1) रूढ़, (2) यौगिक और (3) योगरूढ़।

रूढ़ Word

जिन Wordों के खण्ड सार्थक न हों, उन्हें रूढ़ कहते हैं जैसे-नाक, कान, पीला, झट, पर। यहाँ प्रत्येक Word के खण्ड-जैसे, ‘ना’ और ‘क’, ‘का’ और ‘न’-Meansहीन हैं।

यौगिक Word

ऐसे Word, जो दो Wordों के मेल से बनते हैं और जिनके खण्ड सार्थक होते हैं, यौगिक कहलाते हैं। दो या दो से अधिक रूढ़ Wordों के योग से यौगिक Word बनते है जैसे-आग-बबूला, पीला-पन, दूध-वाला, छल-छन्द, घुड़-सवार इत्यादि। यहाँ प्रत्येक Word के दो खण्ड हैं और दोनों खण्ड सार्थक हैं।

योगरूढ़

Word ऐसे Word, जो यौगिक तो होते हैं, पर Means के विचार से अपने सामान्य Means को छोड़ किसी परम्परा से विशेष Means के परिचायक हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। मतलब यह कि यौगिक Word जब अपने सामान्य Means को छोड़ विशेष Means बताने लगें, तब वे ‘योगरूढ़’ कहलाते हैं जैसे-लम्बोदर, पंकज, चर्कपाणि, जलज इत्यादि। ‘पंक+ज’ Means है ‘कीचड़ से (मैं) उत्पन्नऋ पर इससे केवल ‘कमल’ का Means लिया जायेगा, अत: ‘पंकज’ योगरूढ़ है इसी तरह, अन्य Wordों को भी समझना चाहिए।

Related posts

No related posts

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *