मौलिक कर्त्तव्य –
मौलिक कर्त्तव्य
अनुक्रम
भारत में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान महात्मा गाँधी ने सदा कर्त्तव्यों की धारणा पर बल दिया। स्वतंत्र भारत के लिए गाँधीवादी संविधान (A Gandhism Constitution for free India) नामक लघु पुस्तिका में मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्त्तव्यों पर Single पूर्ण अध्याय शामिल Reseller गया। इस पुस्तक की भूमिका गाँधी जी ने स्वयं लिखी थी। गाँधी जी के According अधिकार का Means कर्त्तव्य का अच्छी तरह से पालन करना है अधिकार के साथ अनुवूफल दायित्व होता है। गाँधी जी अधिकारों और कर्त्तव्यों में आंगिक संबंध मानते थे। यदि अधिकार शरीर है तो कर्त्तव्य उसकी आत्मा है। उनका आपस में वही सम्बन्ध है जो चोली और दामन का होता है। वह Single ही सिक्के के दो पहलू हैं।
भारत के संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को तो स्थान दिया गया, परन्तु मौलिक कर्त्तव्यों का कहीं भी History नहीं Reseller गया। इसका कारण शायद यह था कि उस समय देश लम्बे काल के विदेशी शासन, राजनैतिक दमन और Human अधिकारों के अभाव से मुक्त हुआ था और संविधान-निर्माता पश्चिमी उदारवादी व्यक्तिवाद की विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित थे। उस समय राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करना था, परन्तु संविधान लागू होने के 26 वर्ष के बाद अखिल Indian Customer कांग्रेस ने यह अनुभव Reseller कि संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों की सूची भी होनी चाहिए। कार्य संवैधानिक सुधारों के लिए नियुक्त की गई स्वर्ण सिंह कमेटी को सौंपा गया। इस कमेटी की सिपफारिशों को ध्यान में रखते हुए। 42वें संवैधानिक संशोधन 1976 के अन्तर्गत Indian Customer संविधान में Single नया भाग IV जोड़ा गया है।
Indian Customer संविधान में दिए गए मौलिक कर्त्तव्य
Indian Customer संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 51A में दस मौलिक कर्त्तव्यों का वर्णन Reseller गया है-
- संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें: प्रत्येक नागरिक का पुनीत कर्त्तव्य है कि वह पूर्ण निष्ठा से संविधान का पालन करे क्योंकि यही देश का सर्वोच्च कानून है। इसके आदर्शों (लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता आदि), संस्थाओं (संसद कार्यपालिका आदि) का सम्मान करना भी नागरिक का परम कर्त्तव्य है। राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करना भी प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य निर्धारित Reseller गया है। अत: प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक तिरंगे ध्वज का आदर करके राष्ट्र के प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए। साथ ही राष्ट्रगान के समय सावधान की मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना प्रकट करनी चाहिए।
- भारत की प्रभुसत्ता, Singleता और अखण्डता को कायम रखना और रक्षा करना: देश की प्रभुता का समर्थन करना प्रत्येक नागरिक का परम कर्त्तव्य बताया गया है। इसका तात्पर्य यह है कि राज्य द्वारा निर्मित कानूनों का सही ढंग से पालन करना All नागरिकों का पवित्र कर्त्तव्य है।
- देश की रक्षा करें और आहान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें: देश की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का परम कर्त्तव्य है क्योंकि देश की रक्षा में ही नागरिकों की रक्षा निहित है। राष्ट्र पर संकट होने पर नागरिकों को अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को भुलाकर राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए। यदि देश को सैनिकों की Need हो तो नागरिक को स्वेच्छा से सेना में भर्ती हो जाना चाहिए।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें: प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों स्वतंत्रता, समानता, भ्रातृत्वद्ध को अपने हृदय में सदैव संजोए रखे और अपने दैनिक जीवन में उनका अनुसरण करें।
- भारत के All लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें: All नागरिकों का परम कर्त्तव्य है कि वे परस्पर भ्रातृत्व की भावना का विकास करें। न्याय, स्वतंत्रता And बन्धुत्व के आधार पर निर्मित इस नवीन राष्ट्र (भारत) के समस्त नागरिक यह अनुभव करें कि वे Single ही धारा के शिशु हैं, Single ही उनकी मातृभूमि है और उनका Single ही भ्रातृत्व है।
- सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझें और उसे बनाये रखें: प्रत्येक देश की अपनी Single प्राचीन सामाजिक संस्कृति होती है। हमारे देश की Single प्राचीन गौरवशाली संस्कृति है जो Singleता, विश्वबंधुत्व, सर्वधर्म समभाव आदि आदर्शों को अपने में समाहित किए हुए है भारत की इस गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा को समझना और इसे अक्षुण्ण बनाए रखना नागरिकों का मौलिक कर्त्तव्य निर्धारित Reseller गया है।
- जंगलों, झीलों, नदियों और जंगली जीवन सहित प्राकृतिक वातावरण की संभाल और सुधार तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना: हमारे प्राकृतिक वातावरण को प्रदूषण और अनैच्छिक शोषण से बचाने की Need अनुभव करते हुए संविधान के निर्माताओं ने नागरिकों का यह मौलिक कर्त्तव्य निर्धारित Reseller कि वे प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करें और उसमें सुधार करें।
- सार्वजनिक सम्पत्ति को Windows Hosting रखें और हिंसा से दूर रहें: All नागरिकों का यह कर्त्तव्य निर्धारित Reseller गया है कि वे सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करें। अत: उन्हें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे सार्वजनिक सम्पत्ति को हानि पहुँचे या उसके Destroy होने की आशंका हो। Second उन्हें हिंSeven्मक आंदोलनों And कार्यों से सदा दूर रहना चाहिए।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करें: विद्यमान बुराइयों और जड़ पड़ गये रीति-रिवाजों को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि लोग Single वैज्ञानिक मानसिकता विकसित करें। उनको प्रत्येक स्थिति में Single तक्रपूर्ण प्रवृत्ति और सीखने की इच्छा विकसित करनी चाहिए और अपने गुणों और साधनों को समाज के सुधार और विकास के लिए प्रयोग करना चाहिए। Humanीय विचारों And मूल्यों को समझना, उनका सम्मान करना और उनको अपनाना मनुष्य का Single सर्वोच्च कर्त्तव्य है।
- व्यक्तिगत And सामूहिक क्षेत्र में विविध विषयों में उन्नति की ओर अग्रसर हों: All नागरिकों का यह परम कर्त्तव्य है कि वे लगातार ज्ञानार्जन And क्षेत्रों में उन्नति की ओर बढ़ने का हमेशा प्रयास करें जिससे राष्ट्र के उत्थान के लिए किए जाने वाले निरन्तर प्रयास And उनके फलस्वReseller प्राप्त उपलब्धियाँ सर्वोच्च शिखर पर पहुँच सके।