इंटरनेट का Means And History
अपने पारिभाषिक Reseller में इंटरनेट दुनिया भर में मौजूद कम्प्यूटर्स को Single-Second से जोड़ने वाली Single अंतर्जालीय जटिल संCreation है, जिसे कार्य करने के लिए धरती के आउटर स्पेस में अत्याधुनिक उपग्रह संचार प्रणाली और धरती पर फाइबर केबल्स की आवश्यता होती है, जिनमें आँकड़ों का संचरण लगभग प्रकाश की गति से होता है। हम तक यह संचरण टेलीफोन के तार और मोबाइल कनेक्शन के द्वारा पहुंचता है। इटंरनेट के द्वारा दुनिया भर में मौजूद करोड़ों कम्प्यूटर Single सेकेंड या उससे भी कम वक़्त में Single-Second संवाद कर सकते हैं और अपनी सूचनाओं को आपस में बाँट सकते हैं। इसके जरिए Single-Second की बोलती तस्वीरें आपस में बात करती हैं, भले ही दूरी हज़ारों किलोमीटर की क्यों न हो। आधुनिक उपग्रह प्रणाली और इंटरनेट तकनीक ने इसे सम्भव बनाया है। इस संचरण को और तीव्र बनाने की तकनीक पर शोध और प्रयोग लगातार जारी हैं, जिनके कारण इंटरनेट और संचार से जुड़े नए-नए उपकरण निरन्तर विकसित होते जा रहे हैं। इंटरनेट का सफर, 1970 के दशक में, विंट सर्फ (Vint Cerf) और बाबकाहन् (Bob Kanh) ने शुरू Reseller था। उन्होनें Single ऐसे तरीके का आविष्कार Reseller, जिसके द्वारा कंप्यूटर पर किसी सूचना को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जा सकता था और Second कम्प्यूटर में इस प्रकार से भेजा जा सकता था कि वे पैकेट Second कम्प्यूटर पर पहंचु कर पनु : उस सूचना की प्रतिलिपी बना सकें -अथार्त कंप्यूटरों के बीच संवाद करने का तरीका निकाला। इस तरीके को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल {Transmission Control Protocol (TCP)} कहा गया। सूचना का इस तरह से आदान प्रदान तब भी हो सकता है जब किसी नेटवर्क में दो से अधिक कंप्यूटर हों। क्योंकि किसी भी नेटवर्क में हर कम्प्यूटर का खास पता होता है। इस पते को इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता कहा जाता है। इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता वास्तव में कुछ नम्बर होते हैं जो Single Second से Single बिंदु के द्वारा अलग-अलग किए गए हैैं
सूचना को जब छोटे-छोटे पैकेटों में तोड़ कर Second कम्प्यूटर में भेजा जाता है तो यह पैकेट Single तरह से Single चिट्ठी होती है जिसमें भेजने वाले कम्प्यूटर का पता और पाने वाले कम्प्यूटर का पता लिखा होता है। जब वह पैकेट किसी भी नेटवर्क कम्प्यूटर के पास पहंचु ता है तो कम्प्यूटर देखता है कि वह पैकेट उसके लिए भेजा गया है या नहीं। यदि वह पैकेट उसके लिए नहीं भेजा गया है तो वह उसे आगे उस दिशा में बढ़ा देता है जिस दिशा में वह कंप्यूटर है जिसके लिये वह पैकेट भेजा गया है। इस तरह से पैकेट को Single जगह से दूसरी जगह भेजने को ही इण्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol (I-P) कहा जाता है।
अक्सर कार्यालयों के सारे कम्प्यूटर आपस में Single Second से जुड़े रहते हैं और वे Single Second से संवाद कर सकते हैैं इसको Local Area Network (LAN) लेन कहते हैैं लेन में Added कोर्इ कंप्यूटर या कोर्इ अकेला कंप्यूटर, Second कंप्यूटरों के साथ टेलीफोन लाइन या सेटेलाइट से Added रहता है। Meansात, दुनिया भर के कम्प्यूटर Single Second से जुड़े हैैं इण्टरनेट, दुि नया भर के कम्प्यूटर का ऐसा नेटवर्क है जो Single Second से संवाद कर सकता है। वास्तविकता तो यह है कि इंटरनेट अब Single विशाल नेटवर्क होने से कहीं आगे ख़्ाुद कर्इ सारे नेटवक्र्स का अन्तर्राष्ट्रीय नेटवर्क है। आज 200 से भी ज़्यादा देशों के लाखों नेटवर्क इसके सम्पर्क द्वारा Single-Second से जुड़े हैं। शिक्षा, विज्ञान, सरकार और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों से जुड़े करोड़ों लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। First जहाँ यह विशिष्टों का साध्य था, वहीं अब ये सामान्यजनों का साधन बन चुका है। अनगिनत लोगों को इसने रोज़गार दिया है। कम्प्यूटर्स के इस अनोखे त्वरित अंतर्जालीय Addedव को समझने के लिए सरल Reseller में इस तरह चित्रित Reseller जा सकता है –
दुनिया भर के कम्प्यूटर्स तक पहुँचने और वांछित फाइल ढूँढने की प्रमुख विधियाँ हं-ै गोफर्स, आर्ची, डब्लूएआइर्ए स और वल्र्ड वाइड वेब। डब्लूडब्लूडब्लू का ही पूर्ण Reseller वल्र्ड वाइड वेब है, जिसे वेबसाइट्स के पते में इस्तेमाल कर इंटरनेट पर दस्तावेज़ों की खोज की पद्धति के Reseller में प्रयोग Reseller जाता है। उपर्युक्त आरेख सीमित है, इस तरह के Addedव वस्तुत: अनगिनत होते है और हर वक़्त अस्तित्वमान होते हैं। डब्लूडब्लूडब्लू (www)से जब कोर्इ वेबपृष्ठ नहीं प्राप्त नहीं होता तो उसे हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल द्वारा प्राप्त Reseller जाता है, जिसका संक्षिप्त Reseller एचटीटीपी (http://) इस्तेमाल में आता है।
इंटरनेट का संक्षिप्त History
- 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवकिर्ंग करके इंटरनेट की संCreation की गर्इ। शुरू में इसे अर्पानेट (ARPANET) कहा गया। अमेरिका रक्षा विभाग ने सैन्य And नागरिक अनुसंधानकर्ताओं को रक्षा योजनाओं के बारे में सूचनाएँ भिजवाने के लिए इसकी स्थापना की।
- 1979 में ब्रिटिश डाकघर ने पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नर्इ प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ Reseller।
- 1980 में बिल गेट्स का आर्इबीएम के कंप्यूटर्स पर Single माइक्रोसॉफ्ट अॉपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ।
- 1983 में अर्पानेट को दो नेटवर्कों में बँट गया, जो आपस में जुड़ हुए थे – अर्पानेट और मिलनेट (MILNET)। यहीं से इंटरनेट की औपचारिक शुरूआत मानी जाती है।
- 1984 एप्पल ने पहली बार फाइलों और फोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त आधुनिक सफल कम्प्यूटर लांच Reseller।
- आरम्भिक काल में इंटरनेट का उपयोग केवल सेना से सम्बन्धित अनुसंघानों तथा क्रियाकलापों के लिए ही स्वीकृत था लेकिन 1986 में NSFNET(National Science Foundation Network) नामक Single नेटवर्क इंटरनेट से सम्बद्ध हो गया और धीरे-धीरे इसने दुनिया भर के लिए अपने द्वार खोल दिए।
- 1989 टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउजरों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वल्र्ड वाइड वेब बनाया।
- 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में Single अनुसंधान परियोजना शुरू Reseller जो कि दो साल बाद औपचारिक Reseller से काम करने लगा। · 2009 डॉ स्टीफन वोल्फरैम ने वाल्फैरम अल्फा लांच Reseller।
- भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया, जब एर्नेट (educational & research network) को सरकार, इलेक्ट्रानिकस विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला तथा सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।
इंटरनेट के सकारात्मक And नकारात्मक पक्ष
सकारात्मक पक्ष
- ज्ञान-विज्ञान व सूचनाओं का प्रसार-प्रचार।
- सम्पूर्ण विष्व का Single छोटे दायरे में आना, जिससे विष्व के समुदायों में नजदीकी बढ़ी है।
- कहीं भी, कभी भी, किसी भी वांछित सूचना, प्रकार व क्षेत्र-विशेष की जानकारी।
- उद्योगों, व्यापार, बैंको समाचार-पत्रों, संस्थानों आदि के दूर-दराज के कार्यालयों व व्यक्तियों का आपस में निकट सम्पर्क।
- दुनिया के प्रत्येक क्षेत्र पर घर बैठे Single माऊस के क्लिक से नजर व जानकारी।
- ग्लोबल वल्र्ड की अवधारणा का विकास व नौकरी, कैरियर आदि क्षेत्रों का त्वरित सम्पर्क व Addedव।
- टेलीफोनी व चैटिंग के माध्यम से सामाजिक सम्पर्क में बढ़ोत्तरी व व्यक्तित्व विकास के नवीन पहलुओं का योगदान।
नकारात्मक पक्ष
- किशोर And युवा पीढ़ी में अश्लीलता व भ्रम की स्थितियों का प्रचलन।
- राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों में नकारात्मक विचारों का प्रसार।
- धोखाधड़ी, व अनैतिक प्रयोग पर रोक के सटीक उपाय नहीं।
- देश की Safty के प्रति खतरा।
- मशीनी निर्भरता को बढ़ावा।
- बड़े संस्थानों व खुफिया तंत्रों में सेंधमारी व सिस्टम हैक कर देना या वायरस के हमले से अकल्पित नुकसान।
- सामान्य लोगों में Humanीयता की भावना का क्षरण व खाओ-पीओ, मौज करो की प्रवृत्ति को बढ़ावा।
- सरकारी, व्यापारी, घरेलू कम्प्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक घुसपैठ, सूचनाओं की चोरी।