समाज का शिक्षा पर प्रभाव
1- समाज के स्वReseller का प्रभाव –
समाज के स्वReseller का शिक्षा की पकृति पर प्रभाव पड़ता है, जैसा समाज का स्वReseller होगा वह शिक्षा को वैसे ही व्यवस्थित करता है। भारत लोकतांत्रिक देश है तो शिक्षा की प्रकृति उद्देश्यों उसके संगठन And वातावरण में लोकतांत्रिक आदर्श प्रतीत होते हैं। तानाशाही समाज की शिक्षा में अनुशासन व आज्ञाकारिता, आदि पर बल दिया जाता है। समाजवादी देशों की शिक्षा में समाजवादी तत्व And स्वReseller दिखयी देता है।
2- सामाजिक परिवर्तन का प्रभाव –
समाज की प्रस्थिति And स्वReseller जैसे तैसे बदलता जाता है वैसे वैसे शिक्षा का Reseller भी बदलता जाता है। भारत में आदिकाल से धार्मिक शिक्षा दी जाती थी उसके बाद समय के साथ आधुनिक युग आया और देश ने राजतंत्र से प्रजातंत्र में प्रवेश Reseller और शिक्षा में लोकतंत्रीय आदर्श And मूल्य समावेशित हुये सामाजिक असमानता, कुरीतियों And आर्थिक असमानता को दूर कर वर्ग विशेष के लिये शिक्षा व्यवस्था से सबके लिये शिक्षा को मुख्य लक्ष्य माना गया और All को शिक्षा प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त कराया गया।
3- राजनैतिक दशाओं का प्रभाव –
किसी भी समजा की राजनैतिक दशा का शिक्षा पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि राजनीति को मजबूत आधार शिक्षा प्रदान करती है। अंग्रेज जब भारत आये तो उन्होनें अपने शासन को मजबूत आधार देने के लिय शिक्षा व्यवस्था को अपने According ढालने का प्रयास Reseller और इसके लिये निष्पन्दन का सिद्धान्त का अनुसरण कर Needनुसार शिक्षा देने का प्रयास Reseller कम्पनी के संचालकों का विश्वास था- कि ‘‘प्रगति उस समय हो सकती है, जब उच्च वर्ग के उन व्यक्तियों को शिक्षा दी जाये जिसके पास अवकाश है।’’ वैदिक युग में राजतंत्र था तो शिक्षा वर्ग विशेष के लिये थी परन्तु प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में All आयु वर्ग, लिंग, जाति And धर्म के लोगों को समान शिक्षा का अधिकार दिया गया है।
4- आर्थिक दशाओं का प्रभाव –
जिस समाज की आर्थिक दशा अच्छी हो ती है वहां की शिक्षा व्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ता है। अमेरिका जैसे देश विकसित हें तो वहां पर शिक्षा का प्रचार-प्रसार जल्दी हुआ और भारत जैसे देश में हमें शिक्षा की सुविधा देने में वर्षों लग रहे हैं। आर्थिक Reseller से सम्पन्न समाज अच्छे विद्यालय खोलने में सक्षम रहता है, इसके फलस्वReseller व्यावसायिक, प्राविर्थिाक, प्रौद्योगिक, वैज्ञानिक आदि पक्षों का अधिक से अधिक विकास हेतु संसाधन उपलब्ध रहता है। आर्थिक Reseller से विपन्न देशों व समाजों की शिक्षा में भी यह विपन्नता स्पष्ट दिखायी देती है।
5- सामाजिक आदर्शो, मूल्यो व Needओ का प्रभाव –
शिक्षा पर सामाजिक आदर्शों का प्रभाव पड़ता है जैसे भारत में शिक्षा का स्वReseller पर डा0 राधाकृष्णन ने लिखा कि- ‘‘शिक्षा को व्यक्ति और समाज दोनों का उत्थान करना चाहिये। तब हमारी शिक्षा व्यवस्था के उद्देश्यों, लक्ष्यों, शिक्षण विधियों पाठ्यक्रम And शिक्षार्थी, शिक्षक के गुणों की संकल्पना पर इसका प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।’’ इस प्रकार Indian Customer समाज की Need है, गरीबी, बेरोजगारी, को दूर करना असमानता की भावना दूर करना, और लोकतांत्रिक मूल्यों का समावेश Reseller जाये तब इन तथ्यों को शिक्षा व्यवस्था के विभिन्न पक्षों उद्देश्यों And पाठ्यक्रम में स्पष्ट समावेशित Reseller गया।
6- समाज के दृष्टिकोण का प्रभाव –
शिक्षा व्यवस्था में समाज के दृष्टिकोण का प्रभाव पड़ता है, जैसे यदि समाज रूढ़िवादी दृष्टिकोण का है तो शैक्षिक प्रशासन And अनुशासन व पाठ्यक्रम में इसका स्पष्ट छाप दिखायी देती है।समाज के उदार दृष्टिकोण का प्रभाव वहॉ की शिक्षा व्यवस्था में देखी जा सकती है। जैसे वैदिक युगीन समाज का दृष्टिकोण आध्यात्मिक था तब उस समय शिक्षा व्यवस्था धािर्मक थी। इसी प्रकार से जनतांत्रिक दृष्टिकोणएंव उदार शिक्षा का प्रभाव शिक्षा व्यवस्था में स्पण्ट दिखायी देता है। एच0ओड का कथन है- ‘‘समाज और शिक्षा का Single Second से पारस्परिक कारण और परिणाम का सम्बंध है। किसी भी समाज का स्वReseller उसकी शिक्षा व्यवस्था के स्वReseller को निर्धारित करता है,