पत्रकारिता का Means, परिभाषा And क्षेत्र

पत्रकारिता : Means, परिभाषा And क्षेत्र‘ में ‘पत्रकारिता’ Word का Means, पत्रकारिता कार्य से आशय एव पत्रकारिता की परिभाषाओ की Discussion की गर्इ है। जैसा कि आप जानते हैं कि इस पाठयक्रम का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रो में प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रति जागरूकता लाना है। इस अध्याय में पत्रकारिता और पत्रकार के रिश्ते, पत्रकार के गुण, पत्रकार की योग्यता And उत्तरदायित्व पत्रकारिता के क्षेत्र की Discussion भी सविस्तार से की गर्इ है।

पत्रकारिता का सामान्य परिचय 

Human जीवन में पत्रकारिता अपने महत्वपूर्ण स्थान आरै उच्च आदर्शों के पालन के लिए सदैव अपनी पहचान बनाती आ रही है। भारत मे पत्रकारिता का History लगभग दो सौ वर्ष का है।

आज ‘पत्रकारिता’ Word हमारे लिए कोर्इ नया Word नहीं है। सुबह होते ही हमें अखबार की Need होती है, फिर सारे दिन रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट And सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार प्राप्त करते रहते हैं। साथ ही साथ रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया सुबह से लेकर रात तक हमारे मनारे जन के अतिरिक्त अन्य कइर् जानकारियो से परिचित कराते हैं। इसके साथ ही विज्ञापन ने हमे उपभेक्ता संस्‟ति से जोड  दिया है। कुल मिलाकर पत्रकारिता के विभिन्न माध्यम जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया ने व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर सारे विश्व को Singleसूत्र में बांध दिया है। इसके परिणाम स्वReseller पत्रकारिता आज राष्ट्रीय स्तर पर विचार, Means, राजनीति और यहां तक कि संस्‟ति को भी प्रभावित करने में सक्षम हो गर्इ है। तो आइए पत्रकारिता के Means, परिभाषा और क्षेत्र के बारे में विस्तार से जानें।

पत्रकारिता का Means 

अपने रोजमर्रा के जीवन की स्थिति के बारे में थोड़ा गौर कीजिए। दो लोग आसपास रहते हैं और कभी बाजार में, कभी राह चलते और कभी Single-Second के घर पर रोज मिलते हैं। आपस में जब वार्तालाप करते हैं उनका पहला सवाल क्या होता है? उनका पहला सवाल होता है क्या हालचाल है? या कैस े हैं? या क्या समाचार है? रोजमर्रा के एसे े सहज प्रश्नो में कोर्इ खास बात नहीं दिखार्इ देती है लेकिन इस पर थोड़ा विचार Reseller जाए तो पता चलता है कि इस प्रश्न में Single इच्छा या जिज्ञासा दिखार्इ देगी और वह है नया और ताजा समाचार जानने की। वे दोनो पिछले कुछ घंटे या कल रात से आज के बीच मे आए बदलाव या हाल की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि हम अपने मित्रों, पड़ोसियो, रिश्तेदारो और सहकर्मियो से हमेशा उनकी आसपास की घटनाओ के बारे में जानना चाहते हैं। मनुष्य का सहज प्रवृत्ति है कि वह अपने आसपास की चीजो, घटनाओ और लोगों के बारे में ताजा जानकारी रखना चाहता है। उसमे जिज्ञासा का भाव प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक Means मे पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की जरूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास के Reseller में हुआ है जो आज भी अपने मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती आ रही है।

इस जिज्ञासा से हमे अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश दुनिया के बारे मे बहुत कुछ सूचनाएँ प्राप्त हाते ी है। ये सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। ये सूचनाएँ हमारा अगला कदम क्या होगा तय करने में सहायता करती है। यही कारण है कि आधुनिक समाज में सूचना और संचार माध्यमो का महत्व बहुत बढ़ गया है। आज देश दुनिया में क्या घटित हा े रहा है उसकी अधिकांश जानकारियाँ हमे समाचार माध्यमो से मिलती है।

विभिन्न समाचार माध्यमों के जरिए दुनियाभर के समाचार हमारे घरों तक पहुंचते हैं चाहे वह समाचार पत्र हो या टेलीविजन और रोड़ियो या इटं रनेट या सोशल मीडिया। समाचार संगठनों मे काम करनेवाले पत्रकार देश-दुनिया मे घटनेवाली घटनाओ को समाचार के Reseller में परिवर्तित कर हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज सूचनाओ का संकलन करते हैं और उन्हे समाचार के प्राReseller में ढालकर पेश करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही ‘पत्रकारिता’ कहते हैं।

व्यक्ति को, समाज को, देश-दुनिया को प्रभावित करनेवाली हर सूचना समाचार है। यानी कि किसी घटना की रिपोर्ट ही समाचार है। या यूँ कहें कि समाचार जल्दी मे लिखा गया History होता है।

पत्रकारिता Word अंग्रेजी के ‘जर्नलिज्म’ का हिन्दी Resellerांतर है। Wordार्थ की „ष्टि से ‘जर्नलिज्म’ Word ‘जर्नल’ से निर्मित है और इसका Means है ‘दैनिकी’, ‘दनै न्दिनी’, ‘रोजनामचा’ Meansात जिसमें दैनिक कार्यों का description हो। आज जर्नल Word ‘मैगजीन’, ‘समाचार पत्र‘, ‘दैनिक अखबार’ का द्योतक हो गया है। ‘जर्नलिज्म’ यानी पत्रकारिता का Means समाचार पत्र, पत्रिका से Added व्यवसाय, समाचार संकलन, लेखन, संपादन, प्रस्तुतीकरण, वितरण आदि होगा। आज के युग मे पत्रकारिता के अभी अनेक माध्यम हो गये हैं, जसैे-अखबार, पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता, सोशल मीडिया, इंटरनेट आदि।

हिन्दी में भी पत्रकारिता का Means भी लगभग यही है। ‘पत्र‘ से ‘पत्रकार’ और फिर ‘पत्रकारिता’ से इसे समझा जा सकता है। वृहत हिन्दी Wordकोश के According ‘पत्र‘ का Means चिट्ठी, कागज, वह कागज जिस पर कोर्इ बात लिखी या छपी हो, वह कागज या धातु की पट्टी जिस पर किसी व्यवहार के विषय में कोर्इ प्रामाणिक लेख लिखा या खुदवाया गया हो(दानपत्र, ताम्रपत्र), किसी व्यवहार या घटना के विषय का प्रमाणReseller लेख(पट्टा, दस्तावेज), यान, वाहन, समाचार पत्र, अखबार है। ‘पत्रकार’ का Means समाचार पत्र का संपादक या लेखक। और ‘पत्रकारिता’ का Means पत्रकार का काम या पेशा, समाचार के संपादन, समाचार इकट्ठे करने आदि का विवेचन करनेवाली विद्या। वृहत Wordकोश मे साफ है कि पत्र का Means वह कागज या साधन जिस पर कोर्इ बात लिखी या छपी हो जो प्रामाणिक हो, जो किसी घटना के विषय को प्रमाणReseller पेश करता है। और पत्रकार का Means उस पत्र, कागज को लिखनेवाला, संपादन करनेवाला। और पत्रकारिता का Means उसका विवेचन करनेवाली विद्या।

Historyनीय है कि इन All माध्यमो से संदशेा या सूचना का प्रसार Single तरफा होता है। सूचना के प्राप्तकर्ता से इनका फीडबैक नहीं के बराबर है। यानी All माध्यमो में प्रचारक या प्रसारक के संदश्े ा प्राप्तकर्ता में दाहे रा संपर्क नहीं स्थापित कर पाते हैं। प्राप्तकर्ता से मिलनेवाली प्रतिक्रिया, चिट्ठियों आदि के माध्यम से संपर्क नहीं के बराबर है। पिछले कुछ सालो मे जनसचार के अत्याधुनिक पद्धतियो के प्रचलन दाहे रा संपर्क राखा जाने लगा है।

पत्रकारिता की परिभाषा 

किसी घटना की रिपोर्ट समाचार है जो व्यक्ति, समाज And देश दुनिया को प्रभावित करती है। इसके साथ ही इसका उपरोक्त से सीधा संबंध होता है। इस कर्म से जुड़े मर्मज्ञ विभिन्न मनीषियो द्वारा पत्रकारिता को अलग-अलग Wordों में परिभाषित किए हैं। पत्रकारिता के स्वReseller को समझने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओ का History Reseller जा रहा है:-

(1) पाश्चात्य चिन्तन 

  1. न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी : प्रकाशन, सम्पादन, लेखन And प्रसारणयुक्त समाचार माध्यम का व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 
  2. विल्वर श्रम :जनसंचार माध्यम दुनिया का नक्शा बदल सकता है। 
  3. सी.जी. मूलर :सामयिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमे तथ्यो की प्राप्ति उनका मूल्यांकन And ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है। 
  4. जेम्स मैकडोनल्ड : पत्रकारिता को मैं रणभूमि से ज्यादा बड़ी चीज समझता हूँ। यह कोर्इ पेशा नहीं वरन पेशे से ऊँची कोर्इ चीज है। यह Single जीवन है, जिसे मैंने अपने को स्वेच्छापूर्वक समर्पित Reseller। 
  5. विखेम स्टीड : मैं समझता हूँ कि पत्रकारिता कला भी है, वृत्ति भी और जनसेवा भी । जब कोर्इ यह नहीं समझता कि मेरा कर्तव्य अपने पत्र के द्वारा लोगो का ज्ञान बढ़ाना, उनका मार्गदर्शन करना है, तब तक से पत्रकारिता की चाहे जितनी ट्रेनिंग दी जाए, वह पूर्ण Resellerेण पत्रकार नहीं बन सकता । 

इस प्रकार न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी में उस माध्यम को जिसमें समाचार का प्रकाशन, संपादन And प्रसारण विषय से संबंधित को पत्रकारिता कहा गया है। विल्वर श्रम का कहना है कि जनसंचार माध्यम उसे कहा जा सकता है जो व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर विश्व तक को विचार, Means, राजनीति और यहां तक कि संस्‟ति को भी प्रभावित करने में सक्षम है। सीजी मूलर ने तथ्य And उसका मूल्यांकन के प्रस्तुतीकरण और सामयिक ज्ञान से जुड़े व्यापार को पत्रकारिता के दायरे में रखते हैं। जेम्स मैकडोनल्ड के विचार According पत्रकारिता दर्शन है जिसकी क्षमता Fight से भी ताकवर हैं। विखेम स्टीड पत्रकारिता को कला, पेशा और जनसेवा का संगम मानते हैं।

(2) Indian Customer चिन्तन 

  1. हिन्दी Word सागर :पत्रकार का काम या व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 
  2. डा. अर्जुन :ज्ञान आरै विचारो को समीक्षात्मक टिप्पणियो के साथ Word, ध्वनि तथा चित्रो के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें All प्रकार के पत्रकारो के कार्यों, कर्तव्यो और लक्ष्यो का विवेचन हातेा है। पत्रकारिता समय के साथ साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है। 
  3. रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर :ज्ञान और विचार Wordो तथा चित्रो के Reseller में Second तक पहुंचाना ही पत्रकला है । छपने वाले लेख-समाचार तैयार करना ही पत्रकारी नहीं है । आकर्षक शीर्षक देना, पृष्ठों का आकर्षक बनाव-ठनाव, जल्दी से जल्दी समाचार देने की त्वरा, देश-विदेश के प्रमुख उद्योग-धन्धो के विज्ञापन प्राप्त करने की चतुरार्इ, सुन्दर छपार्इ और पाठक के हाथ में सबसे जल्दी पत्र पहुंचा देने की त्वरा, ये सब पत्रकार कला के अंतर्गत रखे गए । 
  4. डा.बद्रीनाथ  : पत्रकारिता पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख आदि Singleत्रित करने, सम्पादित करने, प्रकाशन आदेश देने का कार्य है । 
  5. डा. शंकरदयाल  : पत्रकारिता Single पेशा नहीं है बल्कि यह तो जनता की सेवा का माध्यम है । पत्रकारो को केवल घटनाओ का description ही पश्े ा नहीं करना चाहिए, आम जनता के सामने उसका विश्लेषण भी करना चाहिए । पत्रकारों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा करने और शांति And भार्इचारा बनाए रखने की भी जिम्मेदारी आती है । 
  6. इन्द्रविद्यावचस्पति : पत्रकारिता पांचवां वेद है, जिसके द्वारा हम ज्ञान-विज्ञान संबंधी बातों को जानकर अपना बंद मस्तिष्क खोलते हैं । 

हिन्दी Word सागर में पत्रकार के कार्य And उससे जुड़े व्यवसाय को पत्रकारिता कहा गया है। डा. अर्जुन  के According ज्ञान और विचार को कलात्मक ढंग से लोगो तक पहुंचाना ही पत्रकारिता है। यह समाज का मार्गदर्शन भी करता है। इससे जुड़े कार्य का तात्विक विवेचन करना ही पत्रकारिता विद्या है। राम‟ष्ण रघुनाथ खाडिलकर मानते हैं कि यह Single कला है जिसके माध्यम से पत्रकार ज्ञान और विचारों को Word And चित्रों के माध्यम से आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करता है। डा.बद्रीनाथ कपूर का कहना है कि समाचार माध्यमो के लिए किए जानेवाले कार्य समाचार संकलन, लेखन And संपादन, प्रकाशन कार्य ही पत्रकारिता है। डा.शंकर दयाल शर्मा मानते हैं कि यह सेवा का माध्यम है। यह Single एसे ी सेवा है जो घटनाओ की विश्लेषण करके लोकतांत्रिक परंपराओ की रक्षा करने के साथ ही शांति एव भाइर्चारा कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करती है। इंद्र विद्या वाचस्पति का मानना है कि पत्रकारिता वेदो की तरह जो ज्ञान-विज्ञान के जरिए लोगो की मस्तिष्क को खोलने में काम करता है। इन All परिभाषाओ के आधार पर पत्रकारिता को निम्नलिखित Wordां े में परिभाषित Reseller जा सकता है :

यह Single एसे ा कलात्मक सेवा कार्य है जिसमें सामयिक घटनाओ को Word And चित्र के माध्यम से जन जन तक आकर्षक ढंग से पेश Reseller गया हो और जो व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर विश्व तक के विचार, Means, राजनीति और यहां तक कि संस्‟ति को भी प्रभावित करने में सक्षम हो। उस कला का विवेचन ही पत्रकारिता है।

पत्रकारिता के मूल्य 

चूंकि यह Single ऐसा कलात्मक सेवा कार्य है जिसमें सामयिक घटनाओ को Word And चित्र के माध्यम से पत्रकार रोज दर्ज करते चलते हैं तो इसे Single तरह से दैनिक History लेखन कहा जाएगा। यह काम ऊपरी तौर पर बहुत आसान लगता है लेकिन यह इतना आसान होता नहीं है। अपनी पूरी स्वतंत्रता के बावजदू पत्रकारिता सामाजिक और नैतिक मूल्यो से जुड़ी रहती है। उदाहरण के लिए सांप्रदायिक दंगो का समाचार लिखते समय पत्रकार प्रयास करता है कि उसके समाचार से आग न भड़के। वह सच्चार्इ जानते हुए भी दंगों में मारे गए या घायल लोगो के समुदाय की पहचान नहीं करता। बलात्कार के मामलो में वह महिला का नाम या चित्र नहीं प्रकाशित करता है ताकि उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को कोर्इ धक्का न पहुंच।े पत्रकारो से अपेक्षा की जाती है कि वे पत्रकारिता की आचार संहिता का पालन करें ताकि उनके समाचारो से बवे जह और बिना ठासे सबतू के किसी की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान न हो और न ही समाज मे अराजकता और अशांि त फैले सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियो तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है। इसने लोकतंत्र में यह महत्चपूर्ण स्थान अपने आप हासिल नहीं Reseller है बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियो के प्रति पत्रकारिता के दायित्वो के महत्व को देखते हुए समाज ने ही यह दर्जा दिया है। लोकतंत्र तभी सशक्त होगा जब पत्रकारिता सामाजिक जिम्मदेारियो के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निर्वाह करे। पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच Single महत्वपूर्ण कड़ी की भूमिका निर्वाह करे।

समय के साथ पत्रकारिता का मूल्य बदलता गया है। History पर नजर ड़ाले तो स्वतंत्रता के पवूर् की पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति ही लक्ष्य था। स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम मे पत्रकारिता ने अहम और सार्थक भूमिका निभाइर् है। उस दौर मे पत्रकारिता ने परे देश को Singleता के सूत्र मे बांधने के साथ साथ पूरे समाज को स्वाधीनता की प्राप्ति के लक्ष्य से जोड़े रखा।

आजादी के बाद निश्चित Reseller से इसमें बदलाव आना ही था। आज इंटरनेट और सूचना अधिकार ने पत्रकाकारिता को बहु आयामी और अनंत बना दिया है। आज कोर्इ भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध करार्इ जा सकती है। पत्रकारिता वर्तमान समय मे First से कर्इ गुना सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। अभिव्यक्ति की आजादी और पत्रकारिता की पहुंच का उपयोग सामाजिक सरोकारों और समाज की भलार्इ के लिए हो रहा है लेकिन कभी कभार इसका दुरुपयोग भी होने लगा है।

आर्थिक उदारीकरण का प्रभाव भी पत्रकारिता पर खूब पड़ा है। विज्ञापनो से होनवे ाली अथाह कमार्इ ने पत्रकारिता को Single व्यवसाय बना दिया है। और इसी व्यवसायिक „ष्टिकोण का नतीजा यह हो चला है कि उसका ध्यान सामाजिक जिम्मेदारियों से कहीं भटक गया है। आज पत्रकारिता मुद्दा के बदले सूचनाधर्मी होता चला गया है। इंटरनेट And सोशल मीडिया की व्यापकता के चलते उस तक सार्वजनिक पहुंच के कारण उसका दुष्प्रयोग भी होने लगा है। इसके कुछ उपयोगकर्ता निजी भड़ास निकालने और आपत्तिजनक प्रलाप करने के लिए इस माध्यम का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं। यही कारण है कि इस पर अंकुश लगाने की बहस छिड़ जाती है। लोकतंत्र के हित मे यही है कि जहां तक हा े सके पत्रकारिता को स्वतंत्र और निर्बाध रहने दिया जाए। पत्रकारिता का हित में यही है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग समाज और सामाजिक जिम्मेदारी निर्वाह के लिए र्इमानदारी से निर्वहन करती रहे।

पत्रकारिता और पत्रकार 

अब तक हमने जान लिया है कि पत्रकारिता Single ऐसी कला है जिसे Word और चित्र के माध्यम से पेश Reseller जाता है। इसे आकार देनेवाला पत्रकार होता है। ऊपर से देखने से यह Single आसान काम लगता है लेकिन यह उतना आसान नहीं होता है। उस पर कर्इ तरह के दबाव हो सकते हैं। अपनी पूरी स्वतंत्रता के बावजदू उस पर सामाजिक और नैतिक मूल्यो की जवाबदेही होती है।

लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है। इस हिसाब से न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका जैसे तीन स्तंभ को बांधे रखने के लिए पत्रकारिता Single कड़ी के Reseller मे काम करती है। इस कारण पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उसके सामने कर्इ चुनौतियाँ होती है और दबाव भी। सामाजिक सरोकारो को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियो तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचल े तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वहन करना पत्रकार और पत्रकारिता का कार्य है।

Single समय था भारत में कुछ लोग प्रतिष्ठित संस्था And व्यवस्था को समाज के विकास मे सहायक नहीं समझते थे यह लोग अपने नए विचारो के प्रचार प्रसार के लिए पत्र-पत्रिकाओ का प्रकाशन करते थे यह उनकी प्र‟ति एव प्रवृत्ति को लोगो तक पहुंचाने का माध्यम बना था। तकनीकी विकास And उद्योग And वाणिज्य के प्रसार के कारण Single दिन यह Single कमाऊ व्यवसाय में परिवर्तित हो जाएगा की बात उन्होने सपनों में भी नहीं सोचा था। समाज के कल्याण, नए विचार के प्रचार प्रसार के लिए पत्रकारिता को समर्पित माना जाता था। यह Single दिन पेशा मे बदला जाएगा और इसके लिए डिग्री, डिप्लोमा के पैमाने पर योग्यता And दक्षता मापा जाएगा यह कोर्इ सोचा भी नहीं होगा।

लोकतंत्र व्यवस्था मे पत्रकारिता भाव की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक माध्यम के Reseller मे स्वी‟त है। इसलिए पत्रकारिता या मीडिया को राश्ट्र का चौथा स्तंभ कहा जा रहा है। लेकिन खुली हवा के अभाव मे इसका विकास भी अवरूद्ध हो सकता है।

आजादी के बाद लोकतांत्रिक राष्ट्र के Reseller में भारत आगे बढ़ने के कारण समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन, प्रसारण मे वृद्धि हुर्इ है। इसका सामाजिक सरोकार होने के बावजदू यह Single उद्योग के Reseller मे परिवर्तित हाे चुकी है। पत्रकारिता ने Single विकसित पेशा के Reseller में शिक्षित युवाओं को आकर्षित Reseller है। देष मे जिन कुछ क्षेत्रो में प्रवृत्ति एव वृत्ति यानी पेशा में मिलान And Addedव की Need है उनमें से पत्रकारिता अन्यतम है।

पत्रकारिता के लिए किताबी ज्ञान की तुलना में कुशल साधना की जरूरत अधिक होती है। क्योंिक यह Single कला है। साधना के बल पर ही कुशलता हासिल Reseller जा सकता है। किताब पढ़कर डिग्री तो हासिल की जा सकती है लेकिन कुशलता के लिए अनुभव की जरूरत होती है। इसके बावजूद चूंकि यह अब पेशे में बदल चुकी है इसलिए योग्यता का पैमाना विचारणीय है। उस प्राथमिक योग्यता And सामान्य ज्ञान के लिए इस विषय मे कुछ सामान्य नीति नियम जानना और समझना अत्यंत जरूरी है।

Single बात और अतीत में जितने भी पत्रकारो ने श्रेष्ठ पत्रकार के Reseller मे ख्याति प्राप्त की है उन्होंने किसी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता विषय में कोर्इ डिग्री या डिप्लोमा हासिल नहीं Reseller है। उन्होने प्रवृत्ति के आधार पर साधना के बल पर पत्रकारिता के क्षेत्र में शीर्ष मे पहुचे हैं। कक्षाओं में कुछ व्याख्यान सुननकर या पाठîपुस्तक पढ़ने से पत्रकार के Reseller में जीवन आरंभ करने के लिए यह सहायक हो सकता है। इसे Single पेशा के Reseller मे अपनाने में क्या सुविधा, असुविधा है उस पर उन्हे मार्गदर्शन मिल सकता है। पत्रकारिता को नए पेशा के Reseller में अपनानेवाले युवाओ को पत्रकार की जिम्मदेारी एव समस्या पर जानकारी हासिल हो सकती है।

पत्रकारिता कर्म 

प्रारंभिक अवस्था में जब पत्रकारिता को Single उद्योग के Reseller में नहीं गिना जाता था तभी पत्रकारिता को Single पेशा या कर्म के Reseller में नहीं समझा जाता था। जब डाक And तार, परिवहन व्यवस्था में विकास नहीं हुआ था, विज्ञापन से सामान्य आय हुआ करता था, शिक्षा का प्रसार नहीं हुआ था तब Single सप्ताह मे या पंद्रह दिन मे Singleबार Single समाचार पत्र एव पत्रिकाओं का Single संस्करण प्रकाशित करने का कुछ लोगो में जुनून था। कुछ खास नीति And आदर्श के प्राचार हेतु And सीमित लक्ष्य हासिल के लिए पत्रकारिता को Single माध्यम समझकर कुछ लोग इसके लिए असीम शक्ति And समय लगा देते थे। उन लोगो ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका जुनून Single दिन कमाऊ व्यवसाय बन जाएगा। तकनीकी विकास, परिवहन व्यवस्था मे विकास, उद्योग And वाणिज्य के प्रसार के कारण आज यह Single उद्योग बन चुका है। पत्रकारिता आज की स्थिति मे केवल प्रवृत्ति या जुनून न होकर Single पेशा बन गया है। जिसके हृदय में समाज के प्रति संवेदना का भाव है और समाज का कल्याण चाहता है और नए विचार का प्रचार प्रसार करना चाहता है तो वह इस पेशे से जुड़ सकता है। दूसरी बात यह कि आज की स्थिति मे हर क्षेत्र मे चुनौती है। पत्रकारिता में भी पत्रकार को कर्इ चुनाैि तयो का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके वर्तमान मे पत्रकारिता Single पेशा या कर्म बन चुका है। यह Single पेशा मे बदला चुका है और इसके लिए विभिन्न विश्वविद्यालयो द्वारा औपचारिक डिग्री, डिप्लोमा प्रदान Reseller जा रहा है।

पत्रकार की योग्यता और उत्तरदायित्व 

समाचार पत्र-पत्रिकाएँ हो या अन्य माध्यम में कार्य कर रहे पत्रकारों को दुहरी भूमिका निर्वाह करनी पड़ती है। उसे अपने स्तर पर समाचार भी संकलन करना हातेा है और उसे लिखना भी पड़ता है। समाचारो के संकलन, व्याख्या और प्रस्तुतीकरण के लिए पत्रकार मे गुप्तचर, मनावेैज्ञानिक और वकील के साथ साथ Single अच्छे लेखक के गुण होने चाहिए। प्रत्येक पत्रकार को अपने समाचार का क्षेत्र निर्धारित कर लेना चाहिए ताकि विशेषता हासिल होने पर वह समाचार को सही ढंग से पेश कर सकता है। पत्रकार में कुछ गुण ऐसे होने चाहिए जो उसे सफल पत्रकार बना सकता है उसमें सक्रियाता, विश्वासपात्रता, वस्तुनिष्ठता, विश्लेषणात्मक क्षमता, भाषा पर अधिकार।

सक्रियता 

Single सफल पत्रकार के लिए अत्यंत जरूरी है कि वह हर स्तर पर सक्रिय रहे। यह सक्रियता उसे समाचार संकलन और लेखन दोनो में „ ष्टिगोचार होनी चाहिए। सक्रियता होगी ताे समाचार मे नयापन और ताजगी आएगी। अनुभवी पत्रकार अपने परिश्रम और निजी सूत्रो से सूचनाएँ प्राप्त करते हैं और उन्हें समाचार के Reseller में परिवर्तित करते हैं। वह पत्र और पत्रकार सम्मानित होते हैं जिसके पत्रकार जासूसो की तरह सक्रिय रहते हैं और अपने संपर्क सूत्रो को जिदा रखते हैं।

विश्वासपात्रता 

विश्वासपात्रता पत्रकार का ऐसा गुण है जिसे प्रयत्नपूर्वक प्राप्त Reseller जा सकता है। संपर्क सूत्र से पत्रकार को समाचार प्राप्त होते हैं। पत्रकार को हमेशा उसका विश्वासपात्र बने रहने से ही समाचार नियमित Reseller से मिल सकता है। संपर्क सूत्र हमेशा यह ध्यान रखता है कि उसका जिस पत्रकार के साथ संबंध है वह उसके विश्वास को कायम रखता है या नहीं। अगर सूत्र का संकेत देने से उस व्यक्ति का नुकसान होता है तो उसे कभी भी उससे संपर्क नहीं रखना चाहेगा।

वस्तुनिष्ठता 

वस्तुनिष्ठता का गुण पत्रकार के कर्तव्य से Added है। पत्रकार का कर्तव्य है कि वह समाचार को ऐसा पेश करे कि पाठक उसे समझते हुए उससे अपना लगाव महसूस करे। चूंकि समाचार लेखन संपादकीय लेखन नहीं होता है तो लेखक को अपनी राय प्रकट करने की छूट नहीं मिल पाती है। उसे वस्तुनिष्ठता होना अनिवार्य है। लेकिन यह ध्यान रखना होता है कि वस्तुनिष्ठता से उसकी जिम्मेदारी भी जुड़ी हुर्इ है। पत्रकार का उत्तरदायित्व की परख तब होती है जब उसके पास कोर्इ विस्फोटक समाचार आता है। आज के संदर्भ मे दंगे को ही ले। किसी स्थान पर दो समुदायो के बीच दंगा हो जाता है और पत्रकार सबकुछ खुलासा करके नमक-मिर्च लगाकर समाचार पेश करता है तो समाचार का परिणाम विध्वंSeven्मक ही हागे ा। एसेी स्थिति मे अनुभवी पत्रकार अपने विवेक का सहारा लेते हैं और समाचार इस Reseller से पेश करते हैं कि उससे दंगाइयो को बल न मिले। ऐसे समाचार के लेखन मे वस्तुनिष्ठता और भी अनिवार्य जान पड़ती है।

विश्लेषणात्मक क्षमता 

पत्रकार में विश्लेषण करने की क्षमता नहीं है तो वह समाचार को रोचक ढंग से पेश नहीं कर पाता है। आज के पाठक केवल तथ्य पेश करने से संतुष्ट नहीं होता है। समाचार का विश्लेषण चाहता है। पाठक समाचार की व्याख्या चाहता है। समाचार के साथ विश्लेषण दूध में पानी मिलाने की तरह गुंथा हुआ रहता है। लेकिन व्याख्या में भी संतुलन होना चाहिए। पत्रकार की विश्लेषण क्षमता दो स्तर पर होता है – समाचार संकलन के स्तर पर और लेखन के स्तर पर। समाचार संकलन में पत्रकार की विश्लेषण क्षमता का उपयागे सूचनाओ और घटनाओ को Singleत्र करने के समय हाते ा है। इसके अलावा पत्रकार सम्मेलन, साक्षात्कार आदि में भी उसका यह क्षमता उपयोग में आता है। दूसरा स्तर लेखन के समय दिखार्इ देती है। जो पत्रकार समाचार को समझने और प्रस्तुत करने में जितना ज्यादा अपनी विश्लेषण क्षमता का उपयोग कर सकेगा, उसका समाचार उतना ही ज्यादा दमदार होगा। इसे व्याख्यात्मक रिपोटिर्ंग भी कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, सीधी खबर है कि भारत सरकार ने किसानो का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया है। योजना लागू करने की तिथि की घोषणा अभी नहीं की गर्इ है। किंतु पत्रकार अपने स्रोतो से पता करता है कि यह कर्ज माफी किस दबाव के तहत Reseller जा रहा है और इससे देश की Means व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। समाचार का यह Reseller व्याख्यात्मक रिपोटिर्ंग का Reseller होगा।

चुनावी वादा निभाने किसानो का कर्ज माफ
भारत सरकार ने किसानों के विकास का ध्यान रखते हुए उनका कर्ज माफ करने का निर्णय लिया है। इससे राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सूत्रो के According यह निर्णय पार्टी द्वारा चुनाव के समय किए गए वायदे को पूरा करने के लिए लिया गया है।

भाषा पर अधिकार 

समाचार लेखन Single कला है । ऐसे में पत्रकार को लेखन कला मे माहिर होना होगा। उसे भाषा पर अधिकार होना चाहिए। इसके साथ ही पत्रकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि उसके पाठक वर्ग किस प्रकार के हैं। समाचारपत्र मे अलग अलग समाचार के लिए अलग अलग भाषा दिखाइर् पड़ते हैं। जैसे कि अपराध के समाचार, खेल समाचार या वाणिज्य समाचार की भाषा अलग अलग होती है। लेकिन उन सबमें Single समानता होती है वह यह है कि All प्रकार के समाचारो में सीधी, सरल और बोधगम्य भाषा का प्रयोग Reseller जाता है। इसमें Single बात और है कि पत्रकार को Single क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता निर्धारित कर लेना चाहिए। इससे उससे संबंधित Wordावली से पत्रकार परिचित हा े जाता है और जरूरत पड़ने पर नए Wordों का निर्माण करना आसान हो जाता है। इसबारे में विस्तृत Reseller से आगे Discussion की गर्इ है।

पत्रकारिता के क्षेत्र 

आज की दुनिया में पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत व्यापक हो गया है। शायद ही कोर्इ क्षेत्र बचा हो जिसमें पत्रकारिता की उपादेयता को सिद्ध न Reseller जा सके। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि आधुनिक युग में जितने भी क्षेत्र हैं सबके सब पत्रकारिता के भी क्षेत्र हैं, चाहे वह राजनीति हो या न्यायालय या कार्यालय, विज्ञान हो या प्रौद्योगिकी हो या शिक्षा, साहित्य हो या संस्‟ति या खेल हो या अपराध, विकास हो या ‟षि या गांव, महिला हो या बाल या समाज, पर्यावरण हा े या अंतरिक्ष या खोज। इन All क्षेत्रो में पत्रकारिता की महत्ता And उपादेयता को सहज ही महसूस Reseller जा सकता है। दूसरी बात यह कि लोकतंत्र में इसे चौथा स्तंभ कहा जाता है। ऐसे मे इसकी पहुंच हर क्षेत्र में हो जाता है।

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