शिक्षा मनोविज्ञान का Means, कार्यक्षेत्र And महत्व
अंग्रेजी का Psychology Word दो Wordों ‘Psyche’ और ‘logus’ से मिलकर बना है। Psyche का Means है ‘आत्मा’ और सवहने का Means है ‘विचार विमर्श’। Meansात आत्मा के बारे में विचार-विमर्श या अध्ययन मनोविज्ञान में Reseller जाता है। Aristotle ने इस विषय को यथार्थ बनाया और कहा कि आत्मा शरीर से अलग नही है। विचार मनुष्य की क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। शरीर क्रिया विज्ञान ने मनोविज्ञान के अध्ययन में शरीर विशेष Reseller से मस्तिष्क की क्रिया-प्रतिक्रिया को महत्व दिया। 1879 में वुन्ट ने विश्व की First मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की। इस प्रयोगशाला में व्यक्ति के चेतन मन का अध्ययन Reseller गया। 20वीं शताब्दी में फ्रायड ने मन को तीन भागों में बांटा – चेतन, अवचेतन और अचेतन। मनोविज्ञान में चेतन के साथ-साथ अचेतन मन का अध्ययन भी Reseller जाने लगा। इसके पश्चात व्यवहारवादियों ने मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करने की बात कही। मनोविज्ञान वास्तव में Human व्यवहार के समस्त पहलुओं का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की Single शाखा है। शिक्षा के All पहलुओं जैसे शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधि, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, अनुशासन आदि को मनोविज्ञान ने प्रभावित Reseller है। बिना मनोविज्ञान की सहायता के शिक्षा प्रक्रिया सुचारू Reseller से नही चल सकती।
- First Pestalozzi ने शिक्षा की मनोवैज्ञानिक परिभाषा दी- शिक्षा मनोविज्ञान से तात्पर्य शिक्षण And सीखने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने से है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है।
- Skinner (1958) के According – शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण And अधिगम से सम्बन्धित है।
- Crow And Crow (1973) के According -शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का description And व्याख्या देता है। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं And अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में Reseller जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं And अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण And सीखने की प्रक्रिया को सुधारने में प्रयासरत है।
शिक्षा मनोविज्ञान का विषय क्षेत्र
शिक्षा की महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान में मनोविज्ञान मदद करता है और यही सब समस्याएं व उनका समाधान शिक्षा मनोविज्ञान का कार्य क्षेत्र बनते है –
- शिक्षा कौन दे ? Meansात् शिक्षक कैसा हो। मनोविज्ञान शिक्षक को अपने छात्रों को समझने में सहायता प्रदान करता है साथ ही यह भी बताता है कि शिक्षक को छात्रों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। शिक्षक का व्यवहार पक्षपात रहित हो। उसमें सहनशीलता, धैर्य व अर्जनात्मक शक्ति होनी चाहिए।
- विकास की विशेषताएं समझने में सहायता देता है। प्रत्येक छात्र विकास की कुछ निश्चित अवस्थाओं से गुजरता है जैसे शैशवास्था (0-2 वर्ष) बाल्यावस्था (3-12 वर्ष) किशोरावस्था (13-18 वर्ष) प्रौढ़ावस्था (18-21 वर्ष)। विकास की दश्ष्टि से इन अवस्थाओं की विशिष्ट विशेषताएं होती है। यदि शिक्षक इन विभिन्न अवस्थाओं की विशेषताओं से परिचित होता है वह अपने छात्रों को भली प्रकार समझ सकता है और छात्रों को उसी प्रकार निर्देशन देकर उनको लक्ष्य प्राप्ति में सहायता कर सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक को सीखने की प्रक्रिया से परिचित कराता है। ऐसा देखा जाता है कि कुछ शिक्षक कक्षा में पढ़ाते समय अधिक सफल साबित होते है तथा कुछ अपने विषय पर अच्छा ज्ञान होने पर भी कक्षा शिक्षण में असफल होते है। प्रभावपूर्ण ढंग से शिक्षण करने के लिए शिक्षक को सीखने के विभिन्न सिद्धान्तों का ज्ञान, सीखने की समस्याओं And सीखने को प्रभावित करने वाले कारणों और उनको दूर करने के उपायों की जानकारी होनी चाहिए। तभी वह छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्तिगत भिन्नता का ज्ञान कराता है। संसार के कोर्इ भी दो व्यक्ति बिल्कुल Single से नही होते है। प्रत्येक व्यक्ति अपने में विशिष्ट व्यक्ति है। Single कक्षा में शिक्षक को 30 से लेकर 50 छात्रों को पढ़ाना होता है जिनमें अत्यधिक व्यक्तिगत भिन्नता होती है। यदि शिक्षक को इस बात का ज्ञान हो जाए तो वह अपना शिक्षण सम्पूर्ण All छात्रों की Needओं को पूर्ण करने वाला बना सकता है।
- व्यक्ति के विकास पर वंशानुक्रम And वातावरण का क्या प्रभाव पड़ता है यह मनोविज्ञान बताता है। वंशानुक्रम किसी भी गुण की सीमा निर्धारित करता है और वातावरण उस गुण का विकास उसी सीमा तक करता है। अच्छा वातावरण भी गुण को उस सीमा के आगे विकसित नहीं कर सकता।
- पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता – विभिन्न स्तरों के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम बनाते समय मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त सहायता पहुंचाते है। छात्रों की Needओं, उनके विकास की विशेषताओं, सीखने के तरीके व समाज की Needएं यह सब पाठ्यक्रम में परिलक्षित होनी चाहिए। पाठ्यक्रम में व्यक्ति व समाज दोनों की Needओं को सम्मिश्रित Reseller में रखना चाहिए।
- विशिष्ट बालकों की समस्याओं And Needओं का ज्ञान मनोविज्ञान शिक्षक को देता है। जिससे शिक्षक इन बच्चों को अपनी कक्षा में पहचान सकें। उनको Needनुसार मदद कर सकें। उनके लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन कर सके व परामर्श दे सकें।
- मानसिक स्वास्थ्य का ज्ञान भी शिक्षक के लिए लाभकारी होता है। मानसिक Reseller से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षणों को पहचानना तथा ऐसा प्रयास करना कि उनकी इस स्वस्थता को बनाए रखा जा सकें।
- मापन व मूल्यांकन के मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का ज्ञान भी मनोविज्ञान से मिलता है। वर्तमान की परीक्षा प्रणाली से उत्पन्न छात्रों में डर, चिन्ता, नकारात्मक प्रवश्त्ति जैसे आत्महत्या करने से छात्रों के व्यक्तित्व का विघटन साथ ही समाज का भी विघटन होता है। अत: सीखने के परिणामों का उचित मूल्यांकन करना तथा उपचारात्मक शिक्षण देना शिक्षक का ध्येय होना चाहिए।
- समूह गतिकी का ज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान कराता है। वास्तव में शिक्षक Single अच्छा पथ-प्रदर्शक, निर्देशक व कुशल नेता होता है। समूह गतिकी के ज्ञान से वह कक्षा Resellerी समूह को भली प्रकार संचालित कर सकता है और छात्रों के सर्वांगीण विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान बच्चों को शिक्षित करने सम्बन्धी विभिन्न विधियों के बारे में अध्ययन करता है और खोज करता है कि विभिन्न विषयों जैसे गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषा, साहित्य को सीखने से सम्बन्धित सामान्य सिद्धान्त क्या है।
- शिक्षा मनोविज्ञान विभिन्न प्रकार के रूचिकर प्रश्नों जैसे बच्चे भाषा का प्रयोग करना कैसे सीखते है ? या बच्चों द्वारा बनायी गयी ड्राइंग का शैक्षिक महत्व क्या होता है ? पर भी विचार करता है। Kelley ने शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यो का निम्न प्रकार विश्लेषण Reseller है –
- बच्चें की प्रकृति के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
- शिक्षा की प्रकृति And उद्देश्यों को समझने में सहायता प्रदान करता है।
- ऐसे वैज्ञानिक विधियों व प्रक्रियाओं को समझाता है जिनका शिक्षा मनोविज्ञान के तथ्यों And सिद्धान्तों को निकालने में उपयोग Reseller जाता है।
- शिक्षण And अधिगम के सिद्धान्तों And तकनीकों को प्रस्तुत करता है।
- विद्यालयी विषयों में उपलब्धि And छात्रों की योग्यताओं को मापने की विधियों में प्रशिक्षण देता है।
- बच्चों के वृद्धि And विकास के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
- बच्चों के अच्छे समायोजन में सहायता प्रदान करता है और कुसमायोजन से बचाता है।
- संवेगों के नियन्त्रण And उसके शैक्षिक निहितार्थ का अध्ययन करता है।
मनोविज्ञान का शिक्षा में योगदान
शिक्षा की समस्याएं उसके उद्देश्यों, विषय वस्तु, साधनों And विधियों से सम्बन्धित है। मनोविज्ञान इन चारों क्षेत्रों में समस्याओं को सुलझाने में सहायता प्रदान करता है।
1. उद्देश्य-
मनोविज्ञान शिक्षा के उद्देश्यों को अच्छी तरह से समझने में सहायता प्रदान करता है।
- उद्देश्यों को परिभाषित करके – उदाहरणार्थ – शिक्षा का Single उद्देश्य है अच्छे नागरिक के गुणों का विकास करना। इसमें अच्छे नागरिक से क्या तात्पर्य है। अत: अच्छे नागरिक को व्यवहारिक Reseller में परिभाषित करना चाहिए।
- उद्देश्यों को स्पष्ट करके – उपयर्क्ुत उदाहरण के According व्यक्ति के कौन से व्यवहार अथवा लक्षण अच्छे नागरिक में होने चाहिए। Meansात् ऐसे कौन से व्यवहार है या लक्षण हैं जो अच्छे नागरिक में नही पाए जाते और इसके विपरीत जिनकों हम अच्छा नागरिक कहते है उनमें वे व्यवहार पाए जाते है।
- उद्देश्यों प्राप्ति की सीमा निर्धारित करके – वतर्मान परिस्थिति में शिक्षा देते समय Single कक्षा के शत प्रतिशत विद्यार्थियों को शत प्रतिशत अच्छे नागरिक बनाना असंभव हो जाता है। अत: इसकी सीमा निर्धारित करना जैसे 80 प्रतिशत विद्यार्थियों के 80 प्रतिशत व्यवहार अच्छे नागरिक को परिलक्षित करेगे।
- उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्या करना है अथवा क्या नही ? प्राथमिक स्तर पर अच्छे नागरिक के गुणों को विकास करने के लिए शिक्षक को भिन्न व्यवहार करना होगा और उच्च स्तर पर इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भिन्न व्यवहार करना होगा।
- नए पहेलुओ पर सुझााव देना – उदाहरणार्थ – मनोवैज्ञानिक दृष्टि से मूल्याकंन में All छात्रों को Single समान परीक्षण क्यों दिया जाए जब Single ही कक्षा में भिन्न योग्यता और क्षमता वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।
2. विषयवस्तु-
शिक्षा की विषयवस्तु को समझने व उसका निर्धारण छात्र के विकास के अनुReseller करने में मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। किस कक्षा के छात्रों के लिए विषयवस्तु क्या हो ? अप्रत्यक्ष पाठ्यक्रम (विद्यालय का सामान्य वातावरण) किस प्रकार का हो जिससे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों का समाधान मनोविज्ञान करता है। मनोविज्ञान की सहायता से Humanजाति को विश्व के कल्याण हेतु प्रयुक्त कर सकते है।
3. साधन-
मनोविज्ञान शिक्षा के साधनों को समझने में सहयोग प्रदान करता है। क्योकि
- अभिभावको, शिक्षकों And मित्रों की बुद्धि And चरित्र उनको शिक्षित करने का महत्वपूर्ण साधन होती है।
- शिक्षा के अन्य साधनों जैसे पुस्तक, मानचित्र, उपकरणों का प्रयोग तभी सफल होता है जब जिनके लिए इनका प्रयोग Reseller जाता है, उनकी प्रकश्ति समझ में आए।
4. विधि-
मनोविज्ञान शिक्षण की विधियों के बारे में ज्ञान तीन प्रकार से देता है –
- Human प्रकश्ति के नियमों के आधार पर शिक्षण विधि निर्धारित करना
- स्थूल से सूक्ष्म की ओर
- ज्ञात से अज्ञात की ओर
- सरल से जटिल की ओर
- करके सीखना
- स्वयं के शिक्षण अनुभव के आधार पर विधि का चयन करना
- शिक्षक-छात्र अनुपात 1 अनुपात 5 या 1 अनुपात 60 की तुलना में 1 अनुपात 25 ज्यादा उपयुक्त होता है।
- छात्र के चरित्र निर्माण में विद्यालयी वातावरण से ज्यादा पारिवारिक जीवन का प्रभाव पड़ता है।
- विदेशी भाषा को हू-बहू की तुलना में वार्तालाप से ज्यादा अच्छा सीखा जा सकता है।
- छात्र के ज्ञान व कौशल को मापने के तरीके इस प्रकार बताता है –
- किस विधि से किस विषयवस्तु के अर्जन को मूल्यांकित करना है जैसे गद्य (संज्ञानात्मक) And पद्य (भावात्मक)।
- मूल्यांकन का उद्देश्य छात्र को सिर्फ सही अथवा गलत प्रतिक्रिया बताना नही है वरन् उसकी प्रतिक्रियाओं का निदान करना व उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करना है।
Davis ने शिक्षा मनोविज्ञान के महत्व की इस प्रकार विवेचना की है – मनोविज्ञान ने छात्रों की अभिक्षमताओं And उनमें पाए जाने वाले विभिन्नताओं का विश्लेषण करके शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने विद्यालयी वर्षो में छात्र की वृद्धि And विकास के ढंग के बारे में ज्ञान प्रदान करके भी योगदान दिया है।
Blair ने शिक्षा मनोविज्ञान के महत्व को निम्न Wordों में बताया है – वर्तमान समय में यदि शिक्षक को अपने कार्य में सफल होना है तो उसे बाल मनोविज्ञान का ज्ञान जैसे उनकी वृद्धि, विकास, सीखने की प्रक्रिया व समायोजन की योग्यता के बारे में समझ होनी चाहिए। वह छात्रों की शिक्षा सम्बन्धी विशिष्ट कठिनार्इयों को पहचान सके तथा उपचारात्मक शिक्षण देने की कुशलता रखता हो। उसको आवश्यक शैक्षिक And व्यवसायिक निर्देशन देना आना चाहिए। इस प्रकार कोर्इ भी व्यक्ति यदि मनोविज्ञान के सिद्धान्तों व विधियों के बारे में शिक्षित नही है तो वह शिक्षक के दायित्व को भली भांति नहीं निभा सकता।