प्रधानमंत्री की Appointment, कार्य And शक्तियां
प्रधानमंत्री के कार्य And शक्तियां
1. संसदीय शासन –
संसदीय प्रणाली में शासन की वास्तविक शक्ति मंत्रीपरिषंद् में निहित होती है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करता है। प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है। प्रधानमंत्री को ‘‘मंत्रिमण्डल Resellerी नाव का मल्लाह कहा जाता है।’ ‘ प्रधानमंत्री की शक्तियों And कार्यो का वर्णन निम्नलिखित शीषर्कों के आधार पर Reseller जा सकता है –
- लोकसभा का नेता – प्रधानमंत्री लाके सभा के बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है और वही सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों की सदन में घोषणा करता है। वार्षिक बजट And अन्य समस्त सरकारी विधेयक उसी के निर्देशानुंसार तैयार किये जाते है आरै सदन में प्रस्तुत किये जाते है। इसके अतिरिक्त वह सरकारी वह राष्ट्रपति को लोक सभा भंग करने का परामर्श दे सकता है।
- मंत्रिपरिषद् व प्रधानमंत्री – प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद का निर्माण करता है, मंत्रियों में विभागों का बंटवारा करता है, विभागों मे परिवर्तन करना व मंत्रियों को पद से हटाना, मंत्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करना प्रधानमंत्री का प्रमुख कार्य है।
- मंत्रिपरिषद् और राष्ट्रपति के मध्य की कडी – प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् की समस्त कार्यवाहियों से राष्ट्रपति को अवगत कराता है। राष्ट्रपति भी मंत्रिपरिषद् को यदि कोर्इ परामर्श या निर्देश देना चाहे तो वह प्रधानमंत्री के माध्यम से ही देता है ।
- नियुंक्ति सम्बन्धी परामर्श- राष्ट्रपति को जो Appointmentयॉ करने का अधिकार पा्र प्त है व्यवहार में वे All Appointmentयॉ प्रधानमंत्री के परामर्श से ही राष्ट्रपति द्वारा Reseller जाता है।
- उपाधि वितरण में राष्ट्रपति को परामर्श- राष्ट्रपति ‘भारत रत्न’ पद्म-भूषण पद्मश्री तथा अन्य राष्ट्रीय परु स्कारों का वितरण प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता है ।
- सरकार का प्रधान प्रवक्ता – संसद में, देश और विदेशों में प्रधानमंत्री ही सरकार की नीतियां का अधिकृत प्रवक्ता होता है ।
- आपातकालीन शक्तियॉ – राष्ट्रपति को प्राप्त आपातकालीन शक्तियों का वास्तविक प्रयोग, प्रधानमंत्री ही करता हैं। यद्धु पा्ररम्भ करने के सम्बन्ध में निर्णय लेना, राष्ट्रीय Safty, विजय, पराजय का पूर्णResellerेण उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री का होता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत का प्रतिनिधित्व – प्रधानमंत्री अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। विदेश नीति सम्बन्धी निर्णय अंतिम Reseller से प्रधानमंत्री द्वारा ही लिये जाते है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेना, अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं And विवादों को सुलझाने विदेशों से सन्धियॉं – समझौते करने में भी प्रधानमत्री की भूि मका महत्वपूर्ण होती है ।
2. मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल –
मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल जैसे Wordों का प्रयोग, पा्रय: Single Secondं के लिए कर लिया जाता है।। वास्तविकता में ऐसा नहीें है। संविधान के 44 वें संशोधन से पूर्व मंत्रिमण्डल Word का प्रयोग संविधान में नहीे Reseller गया था। हम मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल में अंतर जाने जो इस प्रकार है : मंत्रिपरिषद् में All प्रकार के मंत्री होते है जैसे कैबिनेट मंत्री तथा राज्य मंत्री जबकि मंत्रिमण्डल में कवे ल वरिष्ठ मंत्री होते हैं। इसमें मंत्रियों की संख्या 15 से 20 के बीच होती है जबकि मंत्रीपरिषद में 70 से भी अधिक मंत्री हो सकते है। सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद की बैठक कभी-कभी ही होती है। दसू री आरे मंत्रीमण्डल की बठै क Needनुसार बार-बार होती रहती है। सरकार की नीतियों तथा कार्यक्रमों का निर्धारण मंत्रिमण्डल ही करता है न कि मंत्रिपरिषद्। इस प्रकार मंत्रिमण्डल मंत्रिपरिषद् के नाम से ही कार्य करता है तथा उसी की ओर कार्य करता है।
3. मंत्रिमण्डल के कार्य And शक्तियां –
मंत्रिमण्डल की शक्तियां विशाल तथा जिम्मेदारियां अनेक है। राष्ट्रपति की All कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमण्डल करता है। मंत्रिमण्डल देश की आंतरिक And विदेशी नीति के निर्धारण संबंधी All प्रमुख निर्णय लेता है। लोगों को बेहतर जीवन की परििस्थ्ंतियां उपलब्ध कराने के लिए भी मंत्रिमण्डल नीतियां निर्धारित करता है। यह राष्ट्रीय वित्त पर नियंत्रण रखता है। सरकार द्वारा किए जाने वाला सारा खर्च तथा आवश्यक राजस्व जुटाना इसकी जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति द्वारा ससं द में दिए जाने वाले अभिभाषण की विषय वस्तु भी मंत्रिमण्डल तैयार करता है। जब संसद का अधिवेशन से न हो रहा हो, तो राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करवाने का दायित्च भी इसी पर है। प्रधानमंत्री के माध्यम से मंत्रिमण्डल की सलाह पर राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन बुलाता है। संसद के कार्यक्रम की Reseller रेखा भी मंत्रिमण्डल द्वारा तैयार की जाती है।
4. मंत्रियों का उत्तरदायित्व
हम First पढ चुके हैं कि राष्ट्रपति को परामर्श तथा सहयोग देने के लिए Single मंत्रिपरिषद होती है। जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करता है। संविधान के According मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद काल तक अपने पद पर बने रहते हैं। परन्तु वास्तव में वे लोक सभा के प्रति उत्तदायी है और लोक सभा ही उन्हें हटा सकती है। वस्तुत: यह संविधान में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् केवल लोक सभा के प्रति उत्तदायी है, दोनो सदनों के प्रति नहीं। मंत्रिपरिषद् उत्तरदायित्व संसदात्मक सरकार का Single आवश्यक लक्षण है। मंत्रिपरिषद्ीय दायित्व के सिद्धांत के दो आयाम है: सामूहिक उत्तरदायित्च तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्च ।
5. सामूहिक उत्तरदायित्व
हमारे संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् सामूहिक Reseller में लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी। इस का वास्तव Means यह है कि मंत्री लोक सभा के प्रति व्यक्तिगत Reseller से ही उत्तरदायित्व नही अपितु सामूहिक Reseller से भी हैं। सामूिहक उत्तरदायित्व के दो निहित Means हैं। पहला यह कि मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य मंत्रीमण्डल के प्रत्येक निर्णय की जिम्मेदारी स्वीकार करता है। प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद Resellerी मेहराब की आधारशीला कहा जाता है यदि वह Single शीला न रहे तो समूचा मंत्रिपरिषद ध्वस्त हो जाता है। प्रधानमंत्री की स्थिति उस नाविक के समान होती है जिसके सहारे मंत्रिपरिषद् के All सदस्य इकट्ठे तैरते हैं तथा इकठ्ठे डूबते हैं। जब मंत्रीमण्डल द्वारा कोर्इ निर्णय से मंत्री को बिना किसी झिझक के उसका समर्थन करना होगा। यदि कोर्इ मंत्री, मंत्रिमण्डल के निर्णय से Agree नहीं है तो उसके लिए कवे ल Single विकल्प बचता है कि वह मंत्रीपरिषद् से त्यागपत्र दे। सामूहिक उत्तरदायित्व का स्तर यह है कि मंत्री सरकार के साथ मतदान करें, यदि प्रधानमंत्री आग्रहपूर्वक कहे तो उसका समर्थन करें और बाद में ससंद में या अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपने निर्णय की आलोचना को इस आधार पर रद्द न करें कि वह इस निर्णय से Agree नहीं था। दूसरा यह कि प्रधानमंत्री के विरूद्ध अविश्वास का पारित होना समूचे मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास है। इसी प्रकार, लोक सभा में किसी सरकारी विधेयक या बजट के विरूद्ध बहुमत होना, सारे मंत्रिमण्डल के विरूद्ध अविश्वास है न कि केवल विधेयक प्रस्तावित करने वाले के विरूद्ध़।
व्यक्तिगत उत्तरदायित्च
यघपि मंत्री लाके सभा के प्रति सामूहिक Reseller से उत्तरदायी होते हैं तथापि वे लोक सभा के प्रति व्यक्तिगत Reseller से भी उत्तरदायी है। प्रधानमंत्री अथवा मंत्रिमण्डल की Agreeि के बिना, यदि किसी मंत्री द्वारा किए गए किसी कार्य की आलोचना होती है और उसे संसद द्वारा स्वीकार नहीं Reseller जाता, तो व्यक्तिगत उत्तरदायित्व लागू होता है। इसी प्रकार यदि किसी मंत्री का व्यक्तिगत व्यवहार अभ्रद्र तथा प्रश्नात्मक हो तो सरकार पर कोर्इ प्रभाव पड़े बिना, उसे त्याग पत्र देना होगा। यदि कोर्इ मंत्री सरकार पर बोझ बन जाता है अथवा प्रधानमंत्री के लिए सिरदर्द बन जाता है तो उसे पद छोड़ने के लिए कहा हा सकता है।