Indian Customer संविधान की प्रस्तावना And विशेषताएं
Indian Customer संविधान की Creation Single संविधान सभा द्वारा हुर्इ है। यह सभा Single अप्रत्यक्ष Reseller से निर्वाचित संस्था थी। इस सभा ने Indian Customer संविधान में शामिल किए जाने हेतु कुछ आदर्श सुनिश्चित किए। ये आदर्श थे- लोकतंत्र के प्रति कटिबद्धता, All भारतवासियों के लिए न्याय, समानता तथा स्वतंत्रता की गारंटी। इस सभा के द्वारा यह भी घोषणा की गर्इ कि भारत Single प्रभुसत्ता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य होगा। Indian Customer संविधान का प्रारंभ Single प्रस्तावना के साथ होता है। प्रस्तावना के अंतर्गत संविधान के आदर्श, उद्देश्य तथा मुख्य सिद्धांतों का History है। प्रस्तावना में दिए गए उद्देश्यों से ही प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष Reseller से संविधान की मुख्य विशेषताओं का विकास हुआ है।
संविधान सभा –
भारत का संविधान Single संविधान सभा द्वारा निर्मित Reseller गया है। इस सभा का गठन 1946 में हुआ। संविधान सभा के सदस्य तत्कालीन प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष Reseller से निर्वाचित हुए थे। इसके अतिरिक्त ऐसे सदस्य भी थे जो रियासतों के Kingों द्वारा मनोनित किए गए थे। भारत की आजादी के साथ ही संविधान सभा Single पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न संस्था बन गर्इ। 1947 में देश के विभाजन के पश्चात संविधान सभा में 31 दिसंबर 1947 को 299 सदस्य थे। इनमें से 229 सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभाओं ने Reseller था तथा शेष देशी रियासतों के Kingों ने मनोनित किए थे। संविधान सभा के अधिकांश सदस्य Indian Customer राष्ट्रीय कांग्रेस से थे। स्वतंत्रता आंदोलन All प्रमुख नेता के सदस्य सभा के सदस्य थे।
देशी रियासतें – ब्रिटिश शासन के समय भारत के कुछ भाग सीधे ब्रिटिश नियंत्रण में नहीं थे। ऐसे लगभग 560 क्षेत्र थे। भातरीय रियासतें देशी Kingों के अधीन थीं। कश्मीर, हैद्रराबाद, पटियाला, ट्रावनकोर, मैसूर, बड़ौदा आदि बड़ी देशी रियासतें थी।
संविधान सभा की कार्य प्रणाली –
संविधान सभा की अध्यक्षता सभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती थी। डा. राजेन्द्र प्रसाद इस संविधान सभ के अध्यक्ष के Reseller में निर्वाचित हुए। सभा अनेकों समितियों तथा उपसमितियों की मदद से कार्य करती थी। ये समितियाँ दो प्रकार की थीं – 1. कार्यविधि संबंधी 2. महत्वपूर्ण मुद्दों संबंधी।
इसके अतिरिक्त Single परार्मश समिति भी थी। इसमें सबसे महत्वपूण समिति प्राReseller समिति थी जिसके अध्यक्ष डा. भीम राव अम्बेडकर थे। इस समिति का कार्य संविधान को लेखबद्ध करना था। संविधान सभा की बैठकें 2 वर्ष 11 महिने तथा 18 दिन के अंतराल में 166 बार हुर्इ।
संविधान के उद्देश्य –
संविधान सभा, लगभग 200 वर्षों के औपनिवेशिक शासन, जन-आधारित स्वतंत्रता संघर्ष, राष्ट्रीय आंदोलन, देश के विभाजन, व राष्ट्र-व्यापी सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण कर रही थी। इसलिए संविधान निर्माता, जन आकांक्षाओं की पूर्ति, देश की Singleता व अखण्डता तथा लोकतांत्रिक समाज की स्थापना के प्रति सचेत थे। सभा के अंदर भी विभिन्न विचारधाराओं को मानने वाले सदस्य थे। कुछ सदस्यों का झुकाव समाजवादी सिद्धांतों के प्रति था जबकि अन्य गांधीवादी दर्शन से प्रभावित थे। परंतु अधिकांश सदस्यों का दृष्टिकोण उदार था। आम Agreeि बनाने के प्रयास होते रहते थे। ताकि संविधान बनने की प्रगति में बाधा न आए। उनका मुख्य लक्ष्य था भारत को Single ऐसा संविधान देना जो देश के लोगों के आदर्शों And विचारों को पूरा कर सकें।
विभिन्न मुद्दों तथा सिद्धांतों के प्रति आम Agreeि बनाने तथा अAgreeि से बचने के भरपूर प्रयास संविधान सभा में किए गए। यह आम Agreeि दिसम्बर 3, 1946 को ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ के Reseller में पं नेहरू द्वारा प्रस्तुत की गर्इ तथा जनवरी 22, 1947 को लगभग सर्वसम्मति से अपनार्इ गर्इ। इन उद्देश्यों के आधार पर पर सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपना कार्य पूरा Reseller तथा 26 जनवरी 1950 से संविधान लागू Reseller गया। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 31 दिसंबर, 1929 को लिए गए निर्णय के आधार पर 26 जनवरी, 1930 को मनाए गए First स्वाधीनता दिवस के ठीक 20 वर्ष बाद, 26 जनवरी 1950 को भारत Single गणराज्य बना।
अत: 26 जनवरी 1950 की तिथि को ही संविधान के लागू होने की तिथि के Reseller में निश्चित Reseller गया।
प्रस्तावना –
जैसे कि आप जानते है Indian Customer संविधान की शुरूआत Single प्रस्तावना के साथ हुर्इ है। आइए जानें कि प्रस्तावना किसे कहते हैं। प्रस्तावना किसी पुस्तक की भूमिका के समान ही है। भूमिका के Reseller में प्रस्तावना संविधान के उपबंधों का भाग नहीं है, परंतु यह संविधान निर्माण का उद्देश्यों व लक्ष्यों की व्याख्ता करती है। Indian Customer संविधान की प्रस्तावना भी इसी Reseller में है। इस प्रकार से प्रस्तावना संविधान की मार्गदर्शिका होती है। इस प्रस्तावना को श्री के.एम.मुशी ने संविधान की ‘‘राजनीतिक जन्म कुण्डली’’ कहा है।
1976 में 42वां संवैधानिक संशोधन हुआ था। इस संशोधन के द्वारा भरतीय संविधान के मूल प्रस्तावना में तीन नये Word जोड़ा गया- समाजवादी, धर्मनिरपेक्षता और अखण्डता।
42 वें संवैधानिक संशोधन के बाद प्रस्तावना –
‘‘हम भारत के लोग, भारत को Single संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्मनिपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार-अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की Singleता तथा अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवबंर, 1949 (मिती मार्ग शीर्ष शुल्क सप्तमी, संवत् 2006 विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते है।’’
Indian Customer संविधान की प्रस्तावना के प्रमुख तत्व –
Indian Customer संविधान का यह प्रस्तावना बहुत अधिक श्रेष्ठ Reseller में संविधान निर्माताओं के मनोभावों को व्यक्त करती है, उच्चतम न्यायलय ने प्रस्तावना को ‘संविधान-निर्माताओं के उद्देश्य को प्रकट करने वाली कुंजी’ (Key to the Intention of the makers of the Act) कहा है। Indian Customer संविधान की प्रस्तावना के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं –
- हम भारत के लोग – इस वाक्य से तीन बातें स्पष्ट होती हैं First संविधान निर्माता Indian Customer ही हैं कोर्इ विदेशी नहीं, द्वितीय Indian Customer संविधान Indian Customer जनता की इच्छा का परिणाम है और Indian Customer जनता ने ही इसे राष्ट्र को समर्पित Reseller है और तृतीय अन्तिम प्रभुसत्ता जनता में ही निहित है।इसके अतिरिक्त ‘हम भारत के लोग’ वाक्यांश का अभिप्राय यह भी है कि Indian Customer जनता ने संविधान को बनाया है, इसलिए Indian Customer संघ को कोर्इ भी राज्य संविधान को न तो समाप्त कर सकता है और न ही संविधान द्वारा स्थापित संघ से अपना संबंध-विच्छेद कर सकता है। डॉ. अम्बेडकर के Wordों में – ‘‘यह प्रस्तावना इस सदन के प्रत्येक सदस्य की इच्छानुसार यह स्पष्ट कर देती है कि इस संविधान का आधार जनता है और इसमें निहित सत्ता व प्रभुता समस्त जनता के पास है’’
- संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न – 26 जनवरी 1950 से भारत की अधिराज्य की स्थिति समाप्त हो गयी और भारत Single ‘संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य’ हो गया है। ‘‘संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न’’ का Means है कि आंतरिक या बाह्य दृष्टि से भारत पर किसी विदेशी सत्ता का अधिकार नहीं है। भारत अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी इच्छानुसार आचरण कर सकता है और वह किसी भी देश से संधि या समझौता करने के लिए बाध्य नहीं है।
- समाजवादी राज्य – मूल संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ Word नहीं जोड़ा गया था, परंतु संविधान के 42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ Word जोड़कर भारत को Single ‘समाजवादी राज्य’ घोषित Reseller गया। यद्यपि समाजवादी Word से जो तात्पर्य Indian Customerों का है, वह है ‘प्रजातंत्रातत्मक समाजवाद’ से है। चीन या रूस के समाजवाद से नहीं। संविधान में समाजवादी Word को लिखने का मुख्य उद्देश्य सरकार को गरीबी मिटाने And आर्थिक व सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए निर्देशित करना है।
- धर्मनिपेक्ष राज्य – धर्मनिपेक्षता Word 42वें संशोधन (1976) द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया है, क्योंकि इसका उद्देश्य भारत को Single ‘‘धर्मनिरपेक्ष राज्य’’ के Reseller में प्रतिष्ठित करना है, इसीलिए भारत का कोर्इ अपना ‘‘राजर्धम’’ घोषित नहीं Reseller गया है, ‘‘धर्मनिरपेक्ष राज्य’’ का Means यह है कि भारत धर्म के विषय में पूर्णत: तटस्थ है, वह All धर्मों के साथ समान व्यवहार करता है, उन्हें समान संरक्षण प्रदान करता है। देश के समस्त नागरिकों को अपनी आस्था के According किसी भी धर्म को मानने, उपासना करने, प्रचार-प्रसार करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की गयी है। राज्य न तो किसी धर्म को प्रोत्साहन देगा और न धार्मिक नीतियों में हस्तक्षेप करेगा।
- लोकतंत्रात्मक गणराज्य – भारत Single ‘लोकतंत्रात्मक’ राज्य है, जिसका Means यह है कि शासन की सर्वोच्च शक्ति जनता में निहित है, परंतु जनता राजसत्ता या शक्ति का प्रयोग प्रत्यक्ष Reseller से स्वयं न करके, अप्रत्यक्ष Reseller में अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से करती है।‘गणराज्य’ Word का Means है कि Indian Customer संघ का प्रधान Meansात् राष्ट्रपति निर्वाचित होगा, वंशानुगत आधार पर नहीं होगा। इस प्रकार भारत के राष्ट्रपति के पद पर निर्धारित योग्यताधारी देश का कोर्इ भी नागरिक निर्वाचित हो सकता है, भारत अमेरिका की तरह गणराज्य है, किन्तु ब्रिटेन गणराज्य नहीं है, वरन् राजतंत्र है, क्योंकि वहां राज्य का पद वंशानुगत है।
- स्वत्रंता समानता और बंधुत्व – स्वत्रंता का Means देश के All नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक स्वत्रंता का अधिकार प्रदान करना है। समानता का Means देश के All नागरिकों को उनकी उन्नति And विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के समान अवसर प्रदान करना है And बंधुत्व का Means देश के समस्त नागरिकों में आपसी भार्इचारे की भावना का विकास करना है।
- Singleता और अखण्डता – Indian Customer संविधान देश की Singleता और अखण्डता को अक्षुण्य बनाये रखने के उद्देश्य से 42वें संविधान संशोधन के द्वारा प्रस्तावना में Singleता के साथ अखण्डता Word और जोड़ा गया है।
हरिविष्णु कामथ के According –‘‘हमें इस बात पर गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे विशालकाय संविधान है’’
Indian Customer संविधान की विशेषताएं –
संविधान अपने आप में Single अनूठा संविधान है। संविधान बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगाकर संविधान का प्राReseller तैयार Reseller परंतु Indian Customer संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू Reseller गया। संविधान निर्माताओं ने Second देशों में संविधानों से भी कर्इ विचार ग्रहण किये तथा इसे मौलिकता प्रदान की। Indian Customer संविधान की प्रमुख विशेषतांए निम्नलिखित है –
- निर्मित And लिखित संविधान – Indian Customer संविधान का निर्माण Single विशेष समय और निश्चित योजना के According संविधान सभा द्वारा Reseller गया था अत: यह निर्मित संविधान है इसमें सरकार के सगं ठन के लिए सिद्धातं , व्यवस्थापिका कार्यपालिका, न्यायपालिका आदि के गठन And कार्य नागरिकों के अधिकार And कत्र्तव्य आदि के विषय में स्पष्ट Reseller से History Reseller गया है।
- विस्तृत And व्यापक संविधान –Indian Customer संविधान विश्व के All संविधानों से व्यापक है इसमें 395 अनुच्छेद And 22 भागों में विभक्त है जबकि अमेरिका के संशोधित संविधान में केवल 21 अनुच्छेद, चीन में 106 अनुच्छेद है।
- सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य – इसका अभिप्राय यह है कि भारत अपने आंतरिक And बाह्य नीतियों के निर्धारण में पूर्णReseller से स्वतंत्र है And राज्य की सर्वोच्च शक्ति जनता में निहित है। हमारे देश का प्रमुख राष्ट्रपति वंशानुगत न होकर Single निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होता है।
- कठोर And लचीलेपन का साम्मिश्रण – हमारे संविधान में संशोधन की तीन विधियां दी गर्इ है। इसके कुछ अनुच्छेद संसद के विशेष बहुमत द्वारा परिवर्तित किये जा सकते है, जो लचीलापन का उदाहरण है And कुछ अनुच्छेद को आधे से अधिक राज्यों के विशेष बहुमत के साथ ही संसद में उपस्थित दोनो सदनों के दो तिहार्इ बहुमत के द्वारा ही संशोधन परिवर्तन संभव ही जो संविधान की कठोरता का उदाहरण है।
- संघात्मक होते हुए भी Singleात्मक –भारत का संविधान संघात्मक होते हुए Singleात्मकता के गुण लिए हुए हैं यथा लिखित संविधान, केन्द्र एंव राज्यों के मध्य शक्ति विभाजन, संविधान की सर्वोच्चता जहां संघात्मक के लक्षण हैं वहीं दूसरी ओर इकहरी नागरिकता Single सी न्याय व्यवस्था Singleात्मकता के लक्षण है।
- इकहरी नागरिकता –संधात्मक शासन प्रणाली में नागरिकों को दोहरी नागरीकता प्राप्त होती है जैसा कि अमेरिका में है, जबकि भारत में केवल इकहरी नागरिकता है इसका अभिप्राय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक है चाहे वह किसी भी स्थान पर निवास करता हो या किसी भी स्थान पर उसका जन्म हुआ हो।
- सार्वभौम वयस्क मताधिकार – Indian Customer संविधान के द्वारा 18 वर्ष से ऊपर प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, लिंग, प्रजाति या संपत्ति के आधार पर बिन किसी भेदभाव के निर्वाचन में मत देने का अधिकार प्रदान Reseller है।
- स्वतंत्र न्यायपालिका – Indian Customer न्यायपालिका स्वतंत्र है। न्यायाधीशों की Appointment उनकी योग्यता के आधार पर होती है And उन्हें आसानी से नहीं हटाया जा सकता है।
- मौलिक अधिकारों की व्यवस्था – मौलिक अधिकार Indian Customer संविधान की Single महत्वपूर्ण विशेषता है संविधान में छ: मौलिक अधिकार दिये गये है।
- मौलिक कर्त्तव्यों की व्यवस्था – Indian Customer संविधान के 42वें संशोधन के द्वारा नागरिकों के 10 मौलिक कर्त्तव्य जोड़ दिये गये है।
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत- नीति निर्देशक सिद्धांत हमारे संविधान में आयरलैण्ड के संविधान से लिए गए हैं। लोगों को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के उद्देश्य से राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को संविधान में शामिल Reseller गया है।
- Singleीकृत न्याय व्यवस्था – Indian Customer संविधान की Single महत्वपूर्ण विशेषता Singleीकृत न्याय व्यवस्था है। जिस के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि अदालत है इसके आधीन उच्च न्यायालय है। इस प्रकार Indian Customer न्यायपालिका Single पिरामिड की तरह है।
- आपात काल की व्यवस्था – संकट काल (आपातकाल) का सामना करने के लिए संविधान में कुछ आपातकालीन प्रावधानों की व्यवस्था की गर्इ है। आपातकालीन घोषणा निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में की जा सकती है। Fight या बाह्य आक्रमण अथवा आंतरिक अशांति उत्पन्न होने पर (अनुच्छेद 352) राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था असफल होने पर (अनुच्छेद 356) वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर (अनुच्छेद 360)
- लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना – Indian Customer संविधान में Single लोकल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित Reseller गया है। जिसमें समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिलेगा All को बिना भेदभाव के समान अवसर प्राप्त होंगे।
- अस्पृश्यता का अन्त – Indian Customer संविधान के अनुच्छेद 17 के According अस्पृश्यता का अंत Reseller गया है और उसका किसी भी Reseller आचरण निबंद्ध Reseller जाता है।
उरोक्त विशेषताओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि Indian Customer संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है। इस संबंध डॉ. अम्बेडकर का यह कथन Historyनीय है – ‘‘हमने भारत को सर्वश्रेष्ठ संविधान दिया है। मैं यह कहना चाहूगा कि यदि नये संविधान के अंतर्गत स्थिति बुरी होती है तो इसका कारण यह नहीं होगा की हमारा संविधान बुरा है वरन् हमको यह कहना होगा कि हम लोग ही बुरे है।’’