73वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएं
73वां संविधान संशोधन अधिनियम Meansात “नया पंचायती राज अधिनियम” प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र को जनता तक पहुंचाने का Single उपकरण है। गांधी जी के स्वराज के स्वप्न को साकार करने की पहल है। पंचायती राज स्थानीय जनता का, जनता के लिये, जनता के द्वारा शासन है।
वैदिक काल से चली आ रही पंचायत व्यवस्था देश में लगभग मृतप्राय हो चुकी थी, जिसे गांधी जी, बलवन्त राय मेहता समिति, अशोक मेहता रिपोर्ट, जी. के. राव. समिति, एल.एम.सिंघवी रिपोर्ट के प्रयासों ने नवजीवन दिया। जिसके फलस्वReseller 73वां संविधान संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति की जांच के बाद पारित हुआ। 73वें संविधान संशोधन से गांधी जी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को Single नर्इ दिशा मिली है। गांधी जी हमेषा से गांव की आत्मनिर्भता पर जोर देते रहे। गांव के लोग अपने संसाधनों पर निर्भर रह कर स्वयं अपना विकास करें, यही ग्राम स्वराज की सोच थी। 73वें सविधान संशोधन के पीछे मूलधारणा भी यही थी कि स्थानीय स्तर पर विकास की प्रक्रिया में जनसमुदाय की निर्णय स्तर पर भागीदारी हो। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम वास्तव में Single मील का पत्थर है जिसके द्वारा आम जन को सुशासन में भागीदारी करने का सुनहरा मौका प्राप्त हुआ है।
73वें संविधान संशोधन की सोच
पंचायतों को मजबूत, अधिकार सम्पन्न व स्थानीय स्वशासन की इकार्इ के Reseller में स्थापित करने हेतु संविधान में 73वां संशोधन अधिनियम Single क्रान्तिकारी कदम है। 73वें संविधान संशोधन के पीछे निम्न सोच है-
- निर्णय को विकेन्द्रीकृत करना तथा स्थानीय स्तर पर संवैधानिक And लोकतांत्रिक प्रReseller शुरू करना।
- स्थानीय स्तर पर पंचायत के माध्यम से निर्णय प्रक्रिया, विकास कार्यों व शासन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- ग्राम विकास प्रक्रिया के नियोजन, क्रियान्वयन तथा निगरानी में गांव के लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करना व उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराना।
- लम्बे समय से हासिये पर रहने वाले तबकों जैसे महिला, दलित And पिछड़ों को ग्राम विकास व निर्णय प्रक्रिया में शामिल करके उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ना।
- स्थानीय स्तर पर लोगों की सहभागिता बढ़ाना व लोगों को अधिकार देना।
73वां संविधान अधिनियम
स्वतन्त्रता पश्चात देश को सुचारू Reseller से चलाने के लिये हमारे नीति निर्माताओं द्वारा Indian Customer संविधान का निर्माण Reseller गया। इस संविधान में नियमों के अनुReseller व Single नियत प्रक्रिया के अधीन जब भी कुछ परिवर्तन Reseller जाता है या उसमें कुछ नया जोड़ा जाता है अथवा हटाया जाता है तो यह संविधान संशोधन अधिनियम कहलाता है। भारत में सदियों से चली आ रही पंचायत व्यवस्था जो कर्इ कारणों से काफी समय से मृतप्राय: हो रही थी, को पुर्नजीवित करने के लिये संविधान में संषोधन किये गये। ये संशोधन तिहत्तरवां व चौहत्तरवां संशोधन अधिनियम कहलाये। तिहत्तरवें संविधान संषोधन अधिनियम द्वारा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गर्इ। इसी प्रकार चौहत्तरवें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत के नगरीय क्षेत्रों में नगरीय स्वशासन की स्थापना की गर्इ। इन अधिनियमों के According भारत के प्रत्येक राज्य में नयी पंचायती राज व्यवस्था को आवश्यक Reseller से लागू करने के नियम बनाये गये। इस नये पंचायत राज अधिनियम से त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को सुचारू Reseller से चलाने व स्थानीय स्तर पर उसे मजबूत बनाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं। इस अधिनियम में जहां स्थानीय स्वशासन को प्रमुखता दी गइर् है व सक्रिय किये जाने के निदर्श्े ा हं,ै वहीं दूसरी ओर सरकारों को विकेन्द्रीकरण हेतु बाध्य करने के साथ-साथ वित्तीय ससांधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये वित्त आयोग का भी प्रावधान Reseller गया है।
73वां संविधान संशोधन अधिनियम Meansात “नया पंचायती राज अधिनियम” प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र को जनता तक पहँुचाने का Single उपकरण है। गांधी जी के स्वराज के स्वप्न को साकार करने की पहल है। पंचायती राज स्थानीय जनता का, जनता के लिये, जनता के द्वारा शासन है।
73वां संविधान संशोधन पंचायती राज से संबंधित है, जिसमें पंचायतों से संबंधित व्यवस्था का पूर्ण विधान Reseller गया है। इसकी निम्न लिखित विशेषताएं हैं।
- संविधान में ‘‘ग्राम सभा’’ को पंचाायती राज की आधारभूत इकार्इ के रुप में स्थान मिला है।
- पंचायतों की त्री-स्तरीय व्यवस्था की गयी है। ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, क्षेत्र स्तर पर (ब्लाक स्तर) क्षेत्र पंचायत व जिला स्तर पर जिला पंचायत की व्यवस्था की गयी है।
- प्रत्येक स्तर पर पंचायत के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा की जाने की व्यवस्था है। लेकिन क्षेत्र व जिला स्तर पर अध्यक्षों के चुनाव चुने हुए सदस्यों में से, सदस्यों द्वारा किये जाने की वयवस्था है।
- 73वें संविधान संशोधन में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या में उसके प्रतिशत के अनुपात से सीटों के आरक्षण की व्यवस्था है। महिलाओं के लिए कुल सीटों का Single तिहार्इ भाग प्रत्येक स्तर पर आरक्षित Reseller गया है। अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में ही आरक्षण की व्यवस्था है। प्रत्येक स्तर पर अध्यक्षों के कुल पदों का Single-तिहार्इ भाग महिलाओं के लिए आरक्षित Reseller गया है।
- अधिनियम में पंचायतों का कार्यकाल(पॉंच वर्ष) निश्चित Reseller गया है। यदि कार्यकाल से First ही पंचायत भंग हो जाय तो 6 माह के भीतर चुनाव कराने की व्यवस्था है।
- अधिनियम के द्वारा पंचायतों से संबंधित All चुनावों के संचालन के लिए राज्य चुनाव आयोग को उत्तरदायी बनाया गया है।
- अधिनियम के द्वारा प्रत्येक राज्य में राज्य वित्त आयोग का गठन Reseller गया है, ताकि पंचायतो के पास पर्याप्त साधन उपलब्ध हो। जिससे विभिन्न विकास कार्य किये जा सके।
73वें संविधान संशोधन अधिनियम की मुख्य बातें
- 73वें संविधान संशोधन के अन्र्तगत पंचायतों को पहली बार संवैधानिक दर्जा प्रदान Reseller गया है। Meansात पंचायती राज संस्थाएं अब संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाएं हैं।
- नये पंचायती राज अधिनियम के According ग्राम सभा को संवैधानिक स्तर पर मान्यता मिली है। साथ ही इसे पंचायत व्यवस्था का Single महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया है।
- यह तीन स्तरों – ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत पर चलने वाली व्यवस्था है।
- Single से ज्यादा गांवों के समूहों से बनी ग्राम पंचायत का नाम सबसे अधिक आबादी वाले गांव के नाम पर होगा।
- इस अधिनियम के According महिलाओं के लिये त्रिस्तरीय पंचायतों में Single तिहार्इ सीटों पर आरक्षण दिया गया है।
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिये भी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया गया है। आरक्षित वर्ग के अलावा सामान्य सीट से भी ये लोग चुनाव लड़ सकते हैं।
- पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्ष तय Reseller गया है तथा कार्यकाल पूरा होने से First चुनाव कराया जाना अनिवार्य Reseller गया है।
- पंचायत 6 माह से अधिक समय के लिये भंग नहीं रहेगी तथा कोर्इ भी पद 6 माह से अधिक खाली नहीं रहेगा।
- इस संशोधन के अन्र्तगत पंचायतें अपने क्षेत्र के Meansिक विकास और सामाजिक कल्याण की योजनायें स्वयं बनायेंगी और उन्हें लागू करेंगी। सरकारी कार्यों की निगरानी अथवा सत्यापन करने का भी अधिकार उन्हें दिया गया है।
- 73वें संशोधन के अन्र्तगत पंचायतों को ग्राम सभा के सहयोग से विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के अन्र्तगत लाभार्थी के चयन का भी अधिकार दिया गया है।
- हर राज्य में वित्त आयोग का गठन होता है। यह आयोग हर पांच साल बाद पंचायतों के लिये सुनिश्चित आर्थिक सिद्धान्तों के आधार पर वित्त का निर्धारण करेगा।
- उक्त संशोधन के अन्र्तगत ग्राम प्रधानों का चयन प्रत्यक्ष Reseller से जनता द्वारा तथा क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्षों का चयन निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाना तय है।
- पंचायत में जबाबदेही सुनिश्चित करने के लिये छ: समितियों (नियोजन And विकास समिति, शिक्षा समिति तथा निर्माण कार्य समिति, स्वास्थ्य And कल्याण समिति, प्रशासनिक समिति, जल प्रबन्धन समिति) की स्थापना की गयी है। इन्हीं समितियों के माध्यम से कार्यक्रम नियोजन And क्रियान्वयन Reseller जायेगा।
- हर राज्य में Single स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गर्इ है। यह आयोग निर्वाचन प्रक्रिया, निर्वाचन कार्य, उसका निरीक्षण तथा उस पर नियन्त्रण भी रखेगा।
कुल मिलाकर संविधान के 73वें संशोधन ने नवीन पंचायत व्यवस्था के अन्र्तगत न सिर्फ पंचायतों को केन्द्र And राज्य सरकार के समान Single संवैधानिक दर्जा दिया है अपितु समाज के कमजोर, दलित वर्ग तथा सदा से शोषित होती आर्इ महिला को विकास की मुख्य धारा से जुड़ने का भी अवसर दिया है।