सींग खाद बनाने की विधि
सीग खाद बनाने के लिए प्रमुख Needएं
सींग खाद बनाने के लिए प्रमुख Need होगी- (क) ऐसी मृत गाय के सींग जो कम से कम Single-दो बार ब्याही हुर्इ हो; (ख) सीग पर रंग न हो तथा इसमें दरारें न हों; तथा (ग) दुधारू गाय का गोबर। यह गोबर ऐसी गाय का ही होना चाहिए जो स्वस्थ हों तथा गोबर प्राप्त करने से 15 दिन पूर्व तक इस गाय को कोर्इ औषधि न दी गर्इ हो। सींग के खोल में भरने के लिए सदा ताजा गोबर ही प्रयुक्त Reseller जाना चाहिए।
सींग खोल गाड़ने के लिए गड्ढा
सींग खोल गाड़ने के लिए अच्छी उपजाऊ जमीन में गड्ढा बना लिया जाना चाहिए। सींग गाड़ने के लिए Single से सवा फीट गहरा गड्ढा किसी ऐसी जगह पर खोद लिया जाना चाहिए जहां जल भराव न होता हो। गड्ढे की लंबार्इ-चौड़ार्इ उतनी होनी चाहिए जितनी मात्रा में इसमें सींग रखे जाने प्रस्तावित हों।
सींग खाद बनाने का उपयुक्त समय
सींग खाद बनाने का सर्वाधिक उपयुक्त समय अक्टूबर का महीना होगा। Indian Customer पंचांग के According कुंवार महीने की नवरात्रि में या शरदपूर्णिमा तक का समय सींग खाद बनाने के लिए सर्वाधिक उत्तम होता है। इस समय सींग खाद में चन्द्रमा की शक्तियों को काम करने का समय मिलता है। ठण्ड के दिनों में दिन छोटे होते हैं तथा Ultra site की गरमी भी कम होती है अत: चन्द्रमा की शक्तियों को अपना असर बढ़ाने के लिए काफी समय मिलता है। बायोडायनामिक पंचांग के According अक्टूबर माह में जब चन्द्रमा दक्षिणायन हो तो सींग खाद बनाया जाना चाहिए। अत: इस समय दूध दे रही गाय का गोबर नर्म करके सींग में अच्छी प्रकार से भरकर गड्ढे में गाड़ दिया जाना चाहिए। सींग इस प्रकार गाड़े जाने चाहिए कि उनका नुकीला सिरा ऊपर रहे।
गोबर से भरे सींग के खोलों को सामान्यतया छ: माह तक गड्ढे में रखा जाता है। चैत्र नवरात्रि में या मार्च-अप्रैल महीने में जब चन्द्रमा दक्षिणायन हो तो सींगों को जमीन से निकाल करके उनके ऊपर लगी मिट्टी को साफ कर लिया जाता है। तदुपरान्त Single पौलीथीन की शीट अथवा अखबार पर इन सींगों को झाड़ करके इनमें से पका हुआ गोबर (खाद) Singleत्रित कर लिया जाता है।
खाद का भण्डारण
सींगों से खाद निकाल लिए जाने के उपरान्त मिट्टी में उसके ढेले आदि तोड़कर अथवा मसलकर Single मिट्टी के मटके में संग्रहित कर लिया जाता है। मटके में नमी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि यह सूखे नहीं। इस घड़े को किसी ठंडे स्थान पर रखा जाता है तथा इसका ढक्कन थोड़ा ढीला रखा जाता है ताकि उसके अंदर हवा का आवागमन हो सके। इस समय जीवाणुओं के प्रभाव से सींग में से निकले हुए खाद बारीक खाद में परिवर्तित हो जाती हैं। इ. सींग खाद के उपयोग का समय सींग खाद का उपयोग फसल पर तीन बार करना चाहिए। पहली बार बोनी से Single दिन First सायंकाल में, दूसरी बार जब फसल बीस दिन की हो जाए तथा तीसरी बार तब जब फसल 50-60 दिन की हो जाए। क्योंकि इस खाद में चन्द्रमा का प्रभाव होता है अत: बेहतर परिणाम प्राप्त करने हेतु इसे शुक्ल पक्ष में पंचमी से पूर्णिमा के बीच प्रयुक्त Reseller जाना चाहिए। इस प्रकार जब भी चन्द्रमा दक्षिणायन हो तब इसका उपयोग Reseller जा सकता है। अमावस के आस-पास Reseller गया इसका उपयोग चन्द्रवल की कमी के कारण लाभप्रद नहीं रहता।
उपयोग की विधि
30 ग्राम सींग खाद 13 लीटर पानी में मिलाएं पानी कुएं अथवा ट्यूबवेल का होना चाहिए नल का नहीं। इस मिश्रण को Single बाल्टी में निकाल कर Single डंडे की मदद से गोल घुमाया जाता है ताकि उसमें भंवर पड़ जायें। Single बार भंवर पड़ जाने पर उसे उल्टी दिशा में घुमाया जाता है तथा तदुपरान्त पुन: उसे दिशा पलट कर घुमाया जाता है। इस प्रकार यह प्रक्रिया Single घंटे तक जारी रखी जाती है। पूरी तरह घुल जाने पर झाड़ू की मदद से इस मिश्रण को खेत में छिड़क दिया जाता है। इस मिश्रण का उपयोग Single घंटे के भीतर हो जाना चाहिए तथा इसका उपयोग शाम में ही Reseller जाना चाहिए जब भूमि में नमी हो। घोल अधिक हो तो बड़े बर्तन तथा स्प्रे पम्प का उपयोग भी Reseller जा सकता है। ऐसा स्प्रे पम्प साफ होना चाहिए ताकि इसमें किसी प्रकार का रासायनिक अवशेष नहीं होना चाहिए।
सींग खाद के लाभ
सींग खाद का दो-तीन साल तक नियमित उपयोग करने से जमीन में गुणात्मक सुधार आ जाते हैं। इससे जमीन में जीवाणुओं की संख्या के साथ-साथ केंचुओं तथा ह्यूमस बनाने वाले जीवों की संख्या भी बढ़ जाती है। इससे जमीन भुरभुरी हो जाती है, जड़ें ज्यादा गहरार्इ तक जाती हैं तथा मिट्टी अधिक समय तक नम रहती है इससे भूमि की नमी धारण की क्षमता चार गुना बढ़ जाती है तथा दलहनी फसलों की जड़ों में नोड्यूल्स की संख्या बढ़ जाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ जाती है।