सारणी क्या है?
‘‘Single विद्यालय में 50 विज्ञान के, 50 कला के और 50 वाणिज्य विषय के विद्याथ्र्ाी है। All पाठ्यक्रमों में निम्नआय वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या समान है तथा इनकी कुल संख्या 30 है। यद्यपि उच्च आय वर्ग में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या वाणिज्य तथा विज्ञान विषय में समान है परन्तु कला विषय में इनकी संख्या दुगुनी है। कुल मिलाकर उच्च आय वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या 40 है। मध्य आय वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या विज्ञान तथा वाणिज्य में समान है परंतु कला विषय में इनकी संख्या 20 है। मध्य आय वर्ग से आने वाले विद्याथ्र्ाी की कुल संख्या 80 है। आइये इन सूचनाओं को सारणीबद्ध करते है। देखिए सारणी 5.3.1 All पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या 150 है।
वर्ग | विज्ञान | कला | वाणिज्य | योग |
उच्च आय वर्ग | 10 | 20 | 10 | 40 |
मध्य आय वर्ग | 30 | 20 | 30 | 80 |
निम्न आय वर्ग | 10 | 10 | 10 | 30 |
योग | 50 | 50 | 50 | 150 |
उद्देश्य –
Single सारणी का उद्देश्य आंकड़ों को सरल ढंग से प्रस्तुत करना होता है। ताकि इच्छित सूचनाओं का आसानी से पता चल सके। उदाहरण के लिये सारणी 5.3.2 का उद्देश्य यह बताना है कि 1995-96 में देश । ने अन्य देशों के साथ कितना आयात व निर्यात Reseller।
सारणी 5.3.2
1995-96 में देश । का आयात व निर्यात
(करोड़ रू.)
देश आयात निर्यात
1. B 80 70
2. C 65 70
3. D 40 42
4. E 10 8
पंक्ति में दिये गये आंकड़े को हम बायें से दायें पढ़ते हैं। जैसे पंक्ति 1 में देश । का देश B से आयात (80) तथा निर्यात (70) दिखाया गया है। कालम को हम ऊपर से नीचे पढ़ते है। जैसे कालम 2 में देश । का देश B, C, D तथा E से आयात क्रमश: 80, 65, 40 तथा 10 है।
सारणी के प्रकार :-
सारणी दो प्रकार की होती है :(1) सामान्य उद्देश्य सारणी तथा (2) विशिष्ट उद्देश्य सारणी।
- सामान्य उद्देश्य सारणी :यह सारणी प्राय: बड़े आकार की होती है। जितमे काफी आंकड़े दिये गए होते हैं। यह Single प्रकार से आंकड़ों का भण्डार होती है। भारत सरकार तथा इसके विभागों द्वारा प्रस्तुत सारणियां सामान्य उद्देश्य प्रकार की होती है। ऐसी सारणी से हम छोटी-छोटी सारणियां प्राप्त कर सकते है।
- विशिष्ट उद्देश्य सारणी :यह सारणी छोटी होती है तथा इसे हम सामान्य उद्देश्य से प्राप्त कर सकते हैं। इसका उद्देश्य किसी विशेष पहलू को उजागर करना होता है। इनकी सहायता से हम किसी पहलू पर कोर्इ विशेष उत्तर पाते है।
सारणी के भाग:-
किसी भी सारणी का स्वReseller उसके उद्देश्यों पर निर्भर करता है। लेकिन फिर भी प्रत्येक सारणी में कुछ समानताएं होती है। लेकिन फिर भी प्रत्येक सारणी में कुछ समानताएं होती है। देखिए Single नमूना सारणी 5.3.3
- सारणी संख्या-यदि Single ही स्थान पर Single से अधिक सारणियों का प्रयोग Reseller गया है तो सारणियों को क्रम संख्या देना हमेशा अच्छा होता हैं इससे इनका आगे कहीं प्रसंग देना आसान हो जाता है। इसे सारणीमें सबसे ऊपर दिखाते है।
- शीर्षक-निबंध के लिये शीर्षक का जो महत्व होता है वही सारणी के लिये भी होता है। शीर्षक सारणी संख्या के बाद लिखा जाता है। इससे यह पता चलता है कि सारणी में क्या-क्या दिया गया है। शीर्षक स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। यदि शीर्षक मोटे अक्षरों में लिखा हो तो ज्यादा उपयुक्त रहता है क्योंकि इससे तुरंत पाठकों का ध्यान आकर्षित होता है।
- शीर्षक नोट (या प्रारंभिक नोट)-यह शीर्षक के नीचे लिखा जाता है। यह सारणी की विषय-वस्तु को स्पष्ट करता है और मापन इकार्इ जैसे ‘‘करोड़ रू. में’’ या ‘‘लाख टनों में’’ या ‘‘हजार गांठो में’’ (कपास या पटसन की) आदि को शीर्षक के नीचे सारणी के उपर दांयी तरफ कोष्टक में लिखना चाहिए। उदाहरण के लिये सारणी 5.3.2 में मापन इकार्इ करोड़ रू. दिया गया है।
- पंक्ति शीर्षक-इसके अंतर्गत पंक्तियों के शीर्षक व पंक्तियों में की गर्इ प्रविष्टियां आती हैं। पंक्ति शीर्षक इसके नीचे की गर्इ पंक्ति प्रविष्टियों का वर्णन करता है और प्रत्येक प्रविष्टि अपनी पंक्ति में रखे गये व दिये हुए आंकड़ों का History करती है। पंक्ति शीर्षक और पंक्ति प्रविष्टियां दोनों ही सारणी मे बायें हाथ के कॉलम में दिखार्इ जाती है। इसके अतिरिक्त पंक्ति प्रविष्टियां कॉलम शीर्षक का वर्णन करती है।
- मुख्य भाग –यह सारणी का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इस भाग में वे All आंकड़े होते हैं जिसके बारे में शीर्षक में बताया गया है। उदाहरण के लिये सारणी 5.3.2 के मुख्य भाग में देश । के आयात व निर्यात के बारे में आंकड़े दिए गए है।
- टिप्पणी –यदि आंकड़ों के बारे में अलग से कोर्इ टिप्पणी करनी हो तो सारणी के सबसे नीचे लिख देते है। उदाहरण के लिये यदि किसी विशेष वर्ष के लिये आंकडे उपलब्ध न हो तो सारणी के सबसे नीचे लिख देते हैं ‘‘उपलब्ध नहीं’’।
- आंकड़ों का स्रोत-सारणी में दिये गये आंकड़ों का स्रोत भी बताना आवश्यक है। इसमें प्रकाशन का नाम, संस्करण वर्ष, पृष्ठ संख्या आदि बतानी चाहिए। इससे आंकड़ों का अध्ययन करने वाला इसकी आगे और जांच कर सकता है।