साम्प्रदायिकता का Means, स्वReseller, सम्प्रदाय And साम्प्रदायिकता में अंतर
साम्प्रदायिक कहलाते हैं। इन अनुयायियों के क्रियाओं से ‘साम्प्रदायिकता’ जैसा Word दूषित हो जाता है। समाज में उसको All कलंकित समझने लगते हैं। ‘साम्प्रदायिकता’ ‘साम्प्रदायिक’ से बनता है।
साम्प्रदायिकता का स्वReseller
कोई Single विशेष सम्प्रदाय के अनुयायी, उसी सिद्धान्त का अनुगमन करने वाले, अन्य सम्प्रदाय के प्रति द्वेष रखने वाले, साम्प्रदायिक कहलाते हैं। इन अनुयायियों के क्रियाओं से ‘साम्प्रदायिकता’ जैसा Word दूषित हो जाता है। समाज में उसको All कलंकित समझते हैं। ‘साम्प्रदायिकता’ ‘साम्प्रदायिक’ से बनता है। विश्व सूक्ति कोश-खण्ड-पाँच में भी ‘साम्प्रदायिकता’ के दूषित तत्व को पाया जा सकता है।
लोग अपने सम्प्रदाय को श्रेष्ठ और दूसरों के सम्प्रदाय को निकृष्ट मानते हैं। Single सम्प्रदाय वाले Second सम्प्रदाय वाले से घृणा करते हैं। वे Single Second से अलग होकर रहना चाहते हैं। उसी का परिणाम है अलगाववाद। अत: अखण्ड भारत का विभाजन हुआ।
साम्प्रदायिकता के बारे में अच्छी तरह से जानने वाले जैन मालूम पड़ते हैं। भगवान महावीर साम्प्रदायिकता के खतरे को First से ही जानते थे। उन्होंने साम्प्रदायिकता को दूर करने के लिए बहुत कोशिश Reseller। महावीर ने असाम्प्रदायिक संस्कृति की स्थापना की कोशिश की। साम्प्रदायिक जैसी बुरी भावना के बारे में उपदेश दिये हैं। साम्प्रदायिकता के बारे में मुनि दुलहराज ने, अपनी किताब ‘जैन दर्शन मनन और मीमांसा’ में लिखते हैं।
“साम्प्रदायिकता Single उन्माद-रोग है। उसके आक्रमण का ज्ञान तीन लक्षणों से होते हैं :
- सम्प्रदाय और मुक्ति का अनुबन्ध :
मेरे सम्प्रदाय में आओ, तुम्हारी मुक्ति होगी अन्यथा नहीं होगी। - प्रशंसा और निंदा :
अपने सम्प्रदाय की प्रशंसा और Second सम्प्रदायों की निंदा। - ऐकान्तिक आग्रह :
दूसरों के दृष्टिकोण को समझने का प्रयत्न न करना। ”
इस प्रकार अपने सम्प्रदाय के प्रति कट्टरता का भाव बन जाता है और वे साम्प्रदायिक बन जाते हैं। तभी से साम्प्रदायिक Word भी बदनाम हो जाता है। साम्प्रदायिक Word का अंगे्रजी पर्याय ‘कम्यूनल’ है। कम्यूनल Word भी अपने उद्भव काल में किसी संगठन का सहभागी होने से ही है। कम्यूनल Word कम्यून Word से बनता है। कम्यूनल से कम्यूनलिज्म बनता है।
ईसाई मजहब में धार्मिक कार्यों में सहभागी होने के लिए ‘कम्यूनिअन’ Word का कई स्थलों पर प्रयोग हुआ है। कम्यूनिअन Word की व्युत्पत्ति भी कम्यून से ही है। लेकिन जहाँ कम्यून Word केवल सामाजिक जीवन में प्रयुक्त था, वही ‘कम्यूनियन’ Word ईसाई मत या मजहब या सम्प्रदाय में धार्मिक जीवन से सम्बद्ध हो गया।
Single सम्प्रदाय का अनुयायी अपने सम्प्रदाय को ही श्रेष्ठ और Second सम्प्रदाय को हीन मानता है। किसी भी सम्प्रदाय के अनुयायी होने से वे अपने सम्प्रदाय के प्रति साम्प्रदायिक होते हैं। अन्य सम्प्रदायों को दूषित करते हैं। अपनी सम्प्रदाय की प्रशंसा करते हैं। अपने ही हित के लिए सोचते हैं। जब अपनी ही सम्प्रदाय के ही हित के लिए सोचते हैं, तो कट्टर हो कर ही सोचते हैं। अत: साम्प्रदायिक बनकर साम्प्रदायिकता को फैलाते हैं
इस तरह के कट्टरपन केवल सम्प्रदायों में हीं नहीं अपितु समाज के हरेक स्तर पर देखने को मिलता है। यथा: जातियों के बीच, वगोर्ं के बीच, वर्णों के बीच, उपजातियों के बीच भी कट्टरता पाई जाती है। इन सबके बीच साम्प्रदायिकता की गन्दगी फैली हुई हैं।
“भारत में साम्प्रदायिकता के सबसे बड़े डिब्बे के अन्दर साम्प्रदायिकता के अनेक छोटे डिब्बे विद्यमान हैं, और फिर छोटे-छोटे डिब्बे के अन्दर और निचली साम्प्रदायिकता के
भी और अधिक छोटे डिब्बे क्रमश: विद्यमान हैं। धार्मिक संस्कृति पर आधारित जातिवादी, उपजातिवादी, भाषा वादी व क्षेत्र वादी इत्यादि साम्प्रदायिकताएं। इस प्रकार की अधिक छोटी साम्प्रदायिकताएं हैं। ”
सम्प्रदाय And साम्प्रदायिकता में अंतर
सम्प्रदाय किसी गुरु परम्परा का देन है। सम्प्रदाय किसी महापुरुष के द्वारा प्रस्थापित Reseller जाता है। सम्प्रदाय अनेक होते हैं। सम्प्रदाय अपने अपने देश, काल परिस्थिति के According जन्म लेते हैं। हर सम्प्रदाय का अपना विधि-विधान रहता है। हर सम्प्रदाय के अनुयायी होते हैं। जिसे उसके अनुयायी अपने सम्प्रदाय के विधि-विधान का अनुगमन करते हुए, उसकी रक्षा के लिए सोचते हैं, उसकी रक्षा करने में अपने आप की कुर्बानी देने के लिए तत्पर रहते हैं, वे ही साम्प्रदायिक कहलाते हैं। साम्प्रदायिक से साम्प्रदायिकता का उत्पन्न होता है। अत: सम्प्रदाय से साम्प्रदायिक, साम्प्रदायिक से साम्प्रदायिकता का जन्म होता है।