सामुदायिक संगठन की प्रणालियां And कार्यविधियां
सामुदायिक संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति उन संस्थाओं द्वारा, जो सामुदायिक संगठन में लगी रहती है। विशेष प्रकार के क्रियाकलापों द्वारा की जाती है। क्रियाकलापों और विधि या प्रणाली के भेद को इस प्रकार स्पष्ट Reseller जा सकता है। क्रियाकलाप Single विशेष परियोजना या सेवा होती है जो प्रणली के प्रयोग होने के परिणामस्वReseller् की जाती है। क्रियाकलाप वह वस्तु है जो की जाती है। और विधि या प्रणाली वह तरीका है जिसके द्वारा कोर्इ भी क्रियाकलाप Reseller जाता है।
लेन ने सामुदायिक संगठन की निम्नलिखित विधियों या प्रणालियों का History Reseller है-
यदि प्रणाली को ज्ञान, सिद्धान्तों And निपुणताओं पर आधारित विशेष प्रकार की कार्यरीति माना जाये, तो समाज कार्य की All प्रणालियों, व्यक्तिगत समाज कार्य, समूह समाज कार्य और सामुदायिक संगठन की Single समान आधार-शिला है। परन्तु कार्यप्रणाली या कार्यरीति के Reseller में प्रणाली के Means, ज्ञान और सिद्वान्तों के समिश्रण से अधिक व्यापक हो जाते है। इसके मूल Means यह है: किसी Single क्रियाकलाप में ज्ञान और सिद्धान्तों का प्रयोग इस ढंग से करना कि बहुत ही प्रभावशाली तरीकों से परिवर्तन आ जाये। प्रणाली का Means होता है किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिचित कार्यविधियों का व्यवस्थित प्रयोग। समाज कार्य में सामुदायिक संगठन की प्रणालियों का विकास अभ्यासकर्त्ताओं के प्रयासों से हुआ। सामुदायिक संगठन की निम्नलिखित कार्यविधियों का History मेकनील ने Reseller है-
सामुदायिक विकास के Humanीय सम्बन्धों में इन प्रक्रियाओं की व्याख्या सर्वेक्षण द्वारा इस प्रकार की गर्इ है:-
- स्थानीय समुदाय का ज्ञान ग्रहण करना और इसकी स्वीकृति प्राप्त करना।
- स्थानीय समुदाय के विषय में सूचनाएँ Singleत्र करना। समुदाय के विषय में तथ्यात्मक सूचनाएँ जैसे जनसंख्या का आकार, आयु लिंग व्यवसाय, आर्थिक स्तर, आदि सम्बन्धी ज्ञान।
- स्थानीय नेता की पहचान।
- समुदाय को यह समझने के लिए उद्यीपन और प्रेरणा देना कि उसके सामने समस्याएँ हैं।
- व्यक्तियों को अपनी समस्याओं के विषय में विचार-विमर्श करने में सहायता देना।
- व्यक्तियों को अपनी सबसे अधिक महत्वपूर्ण समस्याओं को पहचानने में यहायता देना।
- आत्म-विश्वास की पालना।
- समाज कार्य का मौलिक उद्देश्य व्यिक्यों, समूहों और समुदाय में विश्वास का विकास करना, अपनी Need की पूर्ति के साधनों का प्रयोग करने में सहायता देना है।
- Single क्रियात्मक कार्यक्रम के विषय में निर्णय लेना।
- समुदायिक शक्तियों और साधनों की पहचान। व्यक्तियों को अपनी समस्याओं के समाधान में अपनी शक्तियों और साधनों को पहचानने और उन्हें गतिमान करने में सहायता देना।
- व्यक्तियों को अपनी समस्याओं के समाधान कायोर्ं में निरन्तर लगे रहने में सहायता देना।
- व्यक्तियों को अपनी सहायता आप करने की क्षमता में वृद्धि करना।
सामुदायिक संगठन के चरण
जिस प्रकार व्यक्तिगत समाज कार्य के अभ्यास में चरणों के होने का विचार रखा गया है जैसे अध्ययन, निदान और उपचार तीन प्रमुख चरण है, उसी प्रकार सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया में भी चरणों की व्याख्या की गयी है। यही चरण सामुदायिक संगठन के अन्तर्गत किसी भी सामुदायिक संगठन परियोजना के संदर्भ में प्रमुख चरण माने जाते है। लिन्डमैन ने लगभग 700 सामुदायिक परियोजनाओं का अध्ययन करके 10 चरणों की व्याख्या की है। सामुदायिक संगठन में यह चरण निम्नलिखित है। इनके वर्गीकरण में समाजशास्त्रीय And मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता है:
- Need की चेतना : समुदाय के अन्दर या बाहर का कोर्इ व्यक्ति आवश्कता का प्रकटन करता है जो बाद में Single निश्चित परियोजना का Reseller ले लेती है।
- आवश्कता की चेतना का प्रसार समुदाय के अन्दर कोर्इ समूह या संस्था के अन्दर कोर्इ नेता अपने समूह या समूह के Single भाग को इस Need की वास्तविकता के विषय में विश्वास दिलाता है।
- Need की चेतना का प्रक्षेपण : समुदाय का जो समूह Need की पूर्ति में रूचि रखता है, वह Need की चेतना का समुदाय के नेताओं पर प्रक्षेपण करता है और उन्हें Need की पूर्ति के लिये तैयार करता है जिससे Need की चेतना Single सामान्य Reseller ग्रहण कर लेती है।
- Need को तुरन्त पूरा करने का भावनात्मक आवेग : Single भावानात्मक आवेग का उत्पन्न होना और उस Need को तुरन्त पूरा करने के लिये कुछ प्रभावशाली सहायता जुटार्इ जाती है।
- (Need की पूति के लिये) समाधानों का प्रस्तुतीकरण : Need की पूर्ति के लिये अन्य समाधानों को समुदाय के सामने रखा जाता है।
- (Need की पूर्ति के) समाधानों में संघर्श: विभिन्न प्रकार के विरोधी समाधान या सुझावों को प्रस्तुत Reseller जाता है और विभिन्न समूह इनमें किसी Single का समर्थन करते है।
- अन्वेशण या जॉच पड़ताल : विशेषज्ञों की सहायता से परियोजना या समस्या की जॉच की जाती है।
- समस्या के विषय में वाद-विवाद : Single विशाल सभा या कुछ व्यक्तियों के सम्मुख परियोजना या समस्या को प्रस्तुत Reseller जाता है और वह समूह जो अधिक प्रभाव रखते है अपनी योजनाओं की स्वकृति लेने का प्रयास करते है।
- समाधानों का Singleीकरण : जो भी समाधान सुझाव के Reseller में सामने रखे जाते है उनकी परीक्षा करके All के अच्छे पक्ष चुनकर Single नया समाधान निकाला जाता है।
- अस्थायी प्रगति के आधार पर समझौता: कुछ समूह अपनी-अपनी योजना का कुछ भाग त्याग देते है जिसके फलस्वReseller Single समझौता हो जाता है और उसी समझौते के आधार पर कार्य आरम्भ Reseller जाता है।
यह आवश्यक नही कि All परियोजनाएॅ इन्ही चरणों के According ही कार्य Reseller में आती है। क्रॉस के According सामुदायिक संगठन की प्रक्रिया में छ: प्रमुख चरण देखे जा सकते हैं, जैसे-
- सेवा के उद्देश्यों का Single निश्चित कथन And description।
- तथ्यों की खोज : समस्याग्रस्त व्यक्तियों की विशेषताओं, समुदायिक साधनों और सेवाओं की समर्थताएॅ आदि।
- साधनों और Needओं के बीच वांछित समायोजन के संदर्भ में प्रदान की जा सकने वाली सेवाओं की Resellerरेखा।
- अस्थायी योजना और चुनी गर्इ सेवाओं की वैधता का परीक्षण करने के लिये जनता के सामने उसे प्रस्तुत करना।
- मुख्य योजना का विकास जो अस्थायी योजना से अलग होती है और जो परीक्षण पर आधारित अनुभवों के कारण विकसित की जाती है।
- अन्तिम चरण में इस मुख्य योजना को सेवा में बदला जाता है या सेवा में कार्यन्वित Reseller जाता है। इसमें वर्तमान सेवाओं का पुन: संगठन, वर्तमान सेवाओं का स्तर ऊँचा करना या उनका विस्तार करना या बिल्कुल नर्इ सेवाओं का निर्माण करना सम्मिलित है।
सैन्डरसन और पौलसन के According सामुदायिक संगठन के Seven प्रमुख चरण है जो इस प्रकार है:-
- समुदाय का विश्लेषण And निदान : जिसमें समुदाय के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त की जाती है। समुदाय के ढांचे, जनसंख्या का आकार, व्यावहारिक विशेषताओं और प्रमुख सामाजिक शक्तियों के विषय में जानकारी प्राप्त की जाती है। सामुदायिक प्रथाओं, परम्पराओं जनरीतियों, मनोवृत्तियों, सम्बन्धों, संघर्शों नेताओं, परस्पर विरोधी शक्तियों आदि के विषय में ज्ञान प्राप्त Reseller जाता है।
- गतिकी : सामान्य Needओं के प्रति, सामान्य रूचि का विकास और समुदाय को क्रियाशील बनाने के लिये उनमें उन्नति की इच्छा और वर्तमान परिस्थिति से असन्तुश्टि विकसित की जाती है।
- परिस्थिति की परिभाषा : समुदाय के विश्लेषण और निदान और उसकी गतिकी को ध्यान में रखकर सामुदायिक परिस्थित की पुन: परिभाषा करके यह निश्चित Reseller जाता है कि समुदाय के लिये क्या वॉछित है और उसे किस प्रकार प्राप्त Reseller जा सकता है। व्यक्तियों, समूहों, संस्थाओं And संगठनों का मत मालूम Reseller जाता है और इन सब तथ्यों को सामने रखकर सामुदायिक परिस्थिति को पुन: परिभाशित Reseller जाता है।
- औपचारिक संगठन : समुदाय का संगठन समुदाय के आकार और वर्तमान संगठनों की जटिलता को देखकर बनाया जाता है। जब समुदाय बड़ा होता है और उसमें संगठनों की संख्या अधिक होती है तो जो संगठन बनाया जाता है वह समन्वयात्मक Reseller रखता है और उसमें उद्देश्य All संगठनों को संगठित Reseller जाना और उनमें समन्वय लाना होता है।
- सर्वेक्षण: औपचारिक संगठन के बाद सामुदायिक दशाओं को समझने के लिए सर्वेक्षण Reseller जाता है। इसका उद्देश्य समुदाय के विषय में तथ्यों को ज्ञात करना होतो है। आरम्भ में Single या दो समस्याओं पद ही ध्यान दिया जाना लाभदायक होता है। इन समस्याओं के सुलझाने के लिए सर्वेक्षण द्वारा तथ्य Singleत्रित किए जाते है।
- कार्यक्रम : जिन Needओं के पूरा करने में सदस्यों की सबसे अधिक रूचि होती है और जिनकी संतुष्टि में न्यूनतम संघर्श की सम्भावना हो, उसी की पूर्ति के लिये सबसे First कार्यक्रम बनाया जाता है। इस अनुभव से जब समुदाय संगठित हो जाता है तो लम्बी अवधि के कार्यक्रम बनाये जाते है। कार्यक्रम की निर्माण में समुदाय के All सदस्यों और समूहों को योजना के विषय में अपना मत प्रकट करने और विचार- की सुविधा दी जाती है।
- नेतृत्व : Single प्रभावशाली नेतृत्व के बिना कार्यक्रम का होना पर्याप्त नही होता। समुदाय में से ही नेतृत्व का उत्तरदायित्व स्वीकार करना आवश्यक माना जाता है। बाहर का व्यक्ति समुदाय में चेतना उत्पन्न कर सकता है परन्तु नेतृत्व प्रदान करने का उत्तरदायित्व समुदाय का अपना होता है। यूनाइटेड नेशन्स ने सामुदायिक विकास और सामुदायिक संगठन को Single Second की पूरक आवधाणाएॅ माना है। दोनों के सिद्धान्तों, विधियों और चरणों का विश्लेषण करने से दोनों के सिद्धान्तों, विधियों और चरणों में समानता देखी जा सकती है।
टेलर ने सामुदायिक विकास के निम्नलिखित चरणों और विधियों की व्याख्या की है जो समुदाय संगठन के चरणों और विधियों से मेल खाती है:
- सामुदायिक विकास का पहला चरण समुदाय के सदस्यों द्वारा समान अनुभूत Needओं के विषय में व्यवस्थित विचार विमर्श करना।
- समुदायिक विकास का दूसरा चरण समुदाय द्वारा चयन की गर्इ First स्वयं-सहायता परियोजना को पूरा करने के लिए व्यवस्थित नियोजन करना है।
- सामुदायिक विकास का तीसरा चरण स्थानीय सामुदायिक समूहों की भौतिक, आर्थिक And सामाजिक समर्थताओं को जुटाना और उन्हें गतिमान करना है।
- सामुदायिक संगठन का चौथा चरण समुदाय में आकांक्षाओं का सृजन और समुदाय के सुधार हेतु अतिरिक्त परियोजनाओं को चलाने के लिए निर्णय लेना है।
सामुदायिक कल्याण नियोजन
नियोजन सामुदायिक संगठन का Single महत्वपूर्ण पक्ष है। स्वास्थ्य और कल्याण के लिये नियोजन Single ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति, समूह And समुदाय चेतन Reseller् से उन दशाओं, कार्यक्रमों और सुविधाओं को निर्धारित करने, उनकी स्थापना और उन्हें बनाये रखने का प्रयास करते हैं जो उनकी दृष्टि में वैयक्तिक And सामूहिक जीवन को भंग होने से बचा सकते हैं और All व्यक्तियों के लिए Single उच्च स्तर के कल्याण को सम्भव कर सकते हैं। सामुदायिक नियोजन की परिभाषा में जनता द्वारा समर्थन को जुटाना, आवश्यक सूचनाआं का प्रसार, उपयुक्त कमेटियों की Appointment, विरोधी भावों का सुना जाना, उनका विश्लेषण और विरोधी भावों में समझौता All कुछ सम्मिलित हैं। सामुदायिक नियोजन में उन्हीं प्रणालियों का प्रयोग होता है जिनका प्रयोग सामुदायिक संगठन में होता है और जैसा समाज कार्य इन्हें समझता और इनका प्रयोग करता है। स्वास्थ्य और समाज कल्याण के ठोस नियोजन में समुदाय के मौलिक तथ्यों और शक्तियों का प्रयोग होता है। समुदायिक नियोजन छोटे स्थानीय क्षेत्रों, नगरों, जनपदों और क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर Reseller जाता है। नियोजन का Means है कि भविश्य में जो प्रयास किये जाने हैं, उनका First से ही प्रतिपादन Reseller जाना। नियोजन का Means है कि समाज कल्याण के कार्यक्रम किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किये जाने हैं, उन्हें स्पष्ट Reseller जाना है और उसे कैसे Reseller जाना है Meansात् उसे करने के लिये किस प्रणाली या विधि का प्रयोग Reseller जाएगा। वह क्रियाकलाप कितना अच्छा Reseller जाना है, Meansात् प्रणाली या करने की विधि में किस स्तर की गुणता और विशेषज्ञता होगी। किस प्रकार क्रियाकलाप का समर्थन Reseller जायेगा। इन सबको Single साथ First से ही निर्धारित कर लिया जाता है।
नियोजन तो Single सुस्थापित तथ्य होता है। Single सामूहिक और परस्पर निर्भर समाज अपने सदस्यों को अच्छा जीवन प्रदान करने के लिये, अन्तिम Reseller से, अपनी नियोजन प्रक्रियाओं पर निर्भर रहता है। नियोजन का Means है सामुदायिक जीवन के क्षेत्रों में क्रमबद्ध चिन्तन लाना क्योंकि नियोजन चिन्तन का चेतन और सोद्देष्य निर्देशन होता है जिससे उन उद्देश्यों, जिन पर समुदाय में समझौता हो, की पूर्ति के लिये तर्कपूर्ण साधनों का सृजन Reseller जा सके। नियोजन में सदैव और अनिवार्य Reseller से प्राथमिकताएँ निर्धारित की जाती हैं और मूल-निर्णय लेने पड़ते हैं। नियोजन उन Humanीय समस्याओं से निपटने का मौलिक और प्रधान तरीका है जो हमारे सामने आती हैं। नियोजन Single दृष्टिकोण होता है, Single मनोवृत्ति है और ऐसी मान्यता है जो हमें यह बताती है कि हमारे लिए क्या संभव है कि हम अपने भाग्य के विषय में अनुमान लगा सकते हैं भविश्यवाणी कर सकते हैं उसे निर्देशित कर सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं। जब हम सामुदायिक नियोजन की धारणा को स्वीकार की लेते हैं तो हम अपने दर्शनशास्त्र की व्याख्या करते हैं या व्यक्तियों और उनके द्वारा अपने भविश्य को नियंत्रित करने की क्षमता के विषय में अपना पूर्ण मत प्रगट करते हैं। नियोजन के लिये व्यावसायिक कार्यकर्त्ता और विशेष निपुणताओं की Need पड़ती है और इस निपुणता का प्रयोग नियोजन के पांच पक्ष दर्शाता है :-
- व्यावसायिक निपुणता Single निरन्तर प्रक्रिया की स्थापना के लिये आवश्यक है जिसके द्वारा सामुदायिक समस्याओं को पहचाना जाता है।
- व्यावसायिक निपुणता तथ्यों के संकलन हेतु Single प्रक्रिया की स्थापना के लिये आवश्यक होती है जिससे समस्या से संबंधित All सूचनाओ का सरला से प्रसार Reseller जा सके।
- योजना के प्रतिपादन के लिये Single कार्यात्यक प्रणाली का सृजन करने के लिये व्यावसायिक निपुणता का प्रयोग Reseller जाना आवश्यक होता है।
- योजना का प्रतिपादन सामुदायिक संगठन की सम्पूर्ण प्रक्रिया में Single बिन्दु-मात्र ही होता है। इस प्रतिपादन के First और बाद में क्या होता है वह अधिक महत्वपूर्ण होता है।
- योजना के कार्यान्वयन में कार्यविधियों के निर्धारित करने में व्यावसायिक निपुणत की Need पड़ती है।
नियोजन शून्य में नहीं Reseller जाता। इसके लिए उद्देश्य चाहिये। योजना के परिणामस्वReseller कुछ उपलब्धियां होनी चािहेये। उद्देश्य तो Single मानचित्र होते हैं जो हमें यह दिखाते हैं कि हमें कहां जाना है और हम किन रास्तों से जा सकते है। हमें उस समुदाय का पूरा ज्ञान होना चाहिये जहाँ हम सामुदायिक संगठन के अभ्यास के लिये जाते हैं। समाज कार्य के कार्य, समुदाय में संस्था या अभिकरण की भूमिका, समूह की विशिष्ट Needएँ और व्यक्तियोंकी विशिष्ट Needएँ चार प्रमुख क्षेत्र हैं जो उद्देश्यों के निर्धारण में हमारी सहायता करते हैं।
समुदाय में मनोवैज्ञानिक तत्परता का सृजन करने और उसमें नियोजन करने की इच्छा का सृजन करने के लिये सहायता दी जानी चाहिये। यह समझना आवश्यक है कि नियोजन Single सकारात्मक प्रक्रिया है न कि Single नकारात्मक प्रक्रिया। नियोजन के प्रति यह भय नहीं चाहिये कि इसमें Single परम नियंत्रण होता है। आंशिक नियोजन करना सही नहीं होता।
नियोजन के सिद्धान्त
नियोजन के सिद्धान्तों में प्रशासन के जिन निम्न महत्वपूर्ण सिद्धान्तों का History टे्रकर ने Reseller है वह सामुदायिक संगठन के अभ्यास में भी उतनी ही महत्ता रखते हैं।
- प्रभावशाली होने के लिये नियोजन उन व्यक्तियों की अभिरूचियों और Needओं से, जिनसे संस्था बनती है, उत्पन्न होना चाहिए।
- प्रभावशाली होने के लिये नियोजन में वह लोग जो नियोजन से प्रत्यक्ष Reseller से प्रभावित होगें योजना के बनाये जाने में भागीदार होने चाहिये।
- अधिक प्रभावशाली होने के लिये, नियोजन का Single पर्याप्त तथ्यात्मक आधार होना चािहेये।
- अधिक प्रभावशाली योजनाएँ उस प्रक्रिया से जन्मती हैं जिसमें आमने-सामने सम्पर्क की प्रणालियों और अधिक औपचारिक कमेटी कार्य की प्रणालियों की मिश्रण होता है।
- परिस्थतियों की भिन्नता के कारण नियोजन प्रक्रिया का व्यक्तिकरण और विशिष्टीकरण Reseller जाना चाहिए। Meansात् स्थानीय परिस्थिति के According ही योजनाएँ बनायी जानी चाहिये।
- नियोजन में व्यावसासिक नेतृत्व की Need पड़ती है।
- नियोजन मे स्वयंसेवकों, अव्यावसायिक व्यक्तियों, सामुदायिक नेताओं के साथ-साथ व्यावसायिक कार्यकत्र्ताओं के प्रयासों की भी Need पड़ती है।
- नियोजन में दस्तावेजों को रखने और पूर्ण अभिलेखन की Need पड़ती है जिससे विचार-विमर्श के परिणामों को निरंतरता और निर्देशन के लिये Windows Hosting रखा जा सके।
- नियोजन में विद्यमान योजनाओं और साधनों का प्रयोग Reseller जाना चाहिये और हर बार प्रत्येक नर्इ समस्या को लेकर आरम्भ से ही कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिये।
- नियोजन क्रिया के पूर्व चिन्तन पर निर्भर करता है।
नियोहन में सहभागिता/भागीदारी के महत्व को कम नहीं समझना चाहिये। समुदाय के सदस्यों को नियोजन की प्रक्रिया में और योजना के कार्यान्वयन के All चरणों पर भाग लेना चाहिये। केन्द्रीकरण और विशेषज्ञता के कारण व्यक्ति भाग लेने में कठिनार्इ अनुभव करते हैं। यह सब सहभागिता में बाधाएँ हैं। इन्हें दूर Reseller जाना चाहिये। नियंत्रण केन्द्र और कार्यस्थल में निकट सम्र्पक होना चाहिये। समुदाय के सदस्यों द्वारा नियोजन और योजनाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए संचार की All विधियों का प्रयोग Reseller जाना चाहिए। जनता में निश्क्रियता की भावना को समाप्त Reseller जाना चाहिए। यह तभी हो सकता है जब यह समझने का प्रयास Reseller जाए कि किस सीमा तक समुदाय के सदस्य समुदाय की प्रकृति और उसकी विशेषताओं और समस्याओं को समझते हुए उनके समाधान के प्रयासों में भाग लेने के उरदात्वि को समझते है; किस सीमा तक समुदाय संचार के माध्यम स्थापित करता है जिसस विचारों, मतों, अनुभवों, योगदानों को दूसरों तक पहुंचाया जा सके; किस सीमा तक समुदाय के सदस्य और कार्यकारिणी के सदस्य आदि सरलता और प्रभावशाली तरीके से All कार्यों में भाग लेते हैं; किस सीमा तक भाग लेने से सदस्यों को आत्म-संतुष्टि होती है और किस प्रकार कार्यकर्त्ता इस भागीदारी की प्रक्रिया का निर्देशन करते हैं।
सामुदायिक परिशद तथा सामुदायिक दानपेटी
अमरीका के नगरों तथा महानगरों में सामुदायिक परिशदें तथा सामुदायिक दान पेटियां सामुदायिक संगठन की प्राथमिक And प्रमुख इकाइयां मानी जाती है। सामुदायिक कल्याण परिशदें बहुत अच्छा कार्य कर रही है। ये तीन प्रकार की है:-
- परम्परागत सामाजिक संस्थाओं की परिशदें
- सामुदायिक कल्याण परिशदें
- विशेषीकृत परिशदें।
पहली प्रकार की परिशदें समाज कल्याण विभाग से सम्बन्धित है। सामुदायिक कल्याण परिशदें सामान्य तथा समाज कल्याण से सम्बन्धित है तथा वे प्राय: सामाजिक क्रिया में लगी रहती है। वे सामाजिक संस्थाओं को समन्वित भी करती है। साथ ही साथ ये परिशदें स्वास्थ्य परिशदें And कल्याण कार्यक्रमों में सुधार भी लाती है। विशेषीकृत कौन्सिलें इन दोनों परिवार And बाल कल्याण, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक Safty And स्वास्थ्य, पुनर्वासन, युवा सेवाओं जैसे सुधारात्मक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
परिशदें ऐच्छिक संस्थायें होती है जिनका कार्य तथ्यों का पता लगाना, नियोजन करना, वार्तालाप को प्रारम्भ करना तथा बढ़ाना, टोली भावना को प्रोत्साहन देना, संस्थाओं की कार्यात्मकता को बढ़ाना, जन सम्बन्धों को अधिक उपयोगी बनाना तथा सामाजिक क्रिया को प्रोत्साहन देना होता है। सामुदायिक दानपेटियां आज के वित्तीय संगठनों का प्रतिReseller है। इनका महत्वपूर्ण कार्य संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने के लिए धनराशि Singleत्रित करना है। इसके अतरिक्त ये दानपेटियां जनता से सामाजिक कल्याण की संस्थाओं को सहायता करने की अपील भी करती है।
सामुदायिक विकास तथा सामुदायिक संगठन
सामुदायिक विकास Single प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामान्य Reseller से आर्थिक तथा सामाजिक उन्नति करने का प्रयास Reseller जाता। समुदाय स्वयं इन उपायों को करता है ताकि इसकी आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके। सामुदायिक विकास में Human कल्याण के लिए दो प्रकार की शक्तियों का Singleीकरण होना आवश्यक होता है। ये शक्तियां है :
- सहयोग, आत्म सहायता, आत्मSeven करने की योग्यता, तथा शक्ति।
- सामुदायिक तथा आर्थिक क्षेत्र से सम्बन्धित तकनीकी ज्ञान की उपलब्धता।
सामुदायिक विकास Single प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता के प्रयासों को Kingीय सत्ता के साथ Singleीकृत कर समुदाय की सामाजिक, आर्थिक And सांस्कृतिक दशाओं में सुधार लाया जाता है। सामुदायिक विकास के निम्न तत्व Historyनीय है: –
- कार्यकलाप समुदाय की मूल Needओं से सम्बन्धित हो। काय्र का सीधा सम्बन्ध लोगों की अनुभूत Needओं से सम्बन्धित हो।
- बहुउद्देशीय कार्यक्रम अधिक प्रभावी होते है।
- जनसमुदाय की मनोवृत्तियों में बदलाव लाना आवश्यक होता है।
- स्थानीय नेतृत्व को प्रोस्साहन दिया जाना चाहिए।
- महिलाओं तथा युवकों की कार्यक्रम में सहभागिता सफलता की ओर ले जाता है।
- स्वेच्छिक संस्थाओं के स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग Reseller जाना चाहिए।
सामुदायिक विकास तथा सामुदायिक संगठन में अन्तर है। सामुदायिक विकास कार्यक्रम सरकार द्वारा आर्थिक विकास के लिए जनता के बीच चलाये जाते है। यहॉ पर लोगों की आर्थिक दशा को सुधारने पर अधिक बल दिया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा दक्ष सेवायें प्रदान की जाती है। सामुदायिक संगठन द्वारा समुदाय की अनुभव की जाने वाली Needओं And सामुदायिक संसाधनों में समायोजन स्थापित करने का प्रयास Reseller जाता है। सामुदायिक Singleीकरण तथा परस्पर सहयोग पर अधिक बल दिया जाता है।