सर्वोदय की अवधारणा And विशेषताएं
- सबके हित में ही व्यक्ति का हित निहित है।
- Single नार्इ का कार्य भी वकील के समान ही मूल्यवान है क्योंकि All व्यक्तियों को अपने कार्य से स्वयं की आजीविका प्राप्त करने का अधिकार होता है, और
- श्रमिक का जीवन ही Single मात्र जीने योग्य जीवन है।
गांधी जी ने इन तीनों कथन के आधार पर अपनी सर्वोदय की विचारधारा को जन्म दिया। सर्वोदय का Means है सब की समान उन्नति। Single व्यक्ति का भी उतना ही महत्व है जितना अन्य व्यक्तियों का सामूहिक Reseller से है। सर्वोदय का सिद्वान्त गांधी ने बेन्थम तथा मिल के उपयोगतिवाद के विरोध में प्रतिस्थापित Reseller। उपयोगितावाद अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख प्रदान करना पर्याय माना। उन्होने कहा कि किसी समाज की प्रगति उसकी धन सम्पत्ति से नहीं मापी जा सकती, उसकी प्रगति तो उसके नैतिक चरित्र से आंकी जानी चाहिये। जिस प्रकार इंग्लैण्ड में रस्किन तथा कार्लार्इल ने उपयोगितावादियों को विरोध Reseller, उसी प्रकार गांधी ने माक्र्स से प्रभावित उन लोगों के विचाारों का खण्डन Reseller जो Indian Customer समाज को Single औद्योगिक समाज में बदलना चाहते थे।
सर्वोदय की विशेषताएं
सर्वोदय समाज अपने व्यक्तियों को इस तरह से प्रशिक्षित करता है कि व्यक्ति बडी से बडी कठिनाइयों में भी अपने साहस व धैर्य कसे त्यागता नहीं है। उसे यह सिखाया जाता है कि वह कैसे जिये तथा सामाजिक बुराइयों से कैसे बचे। इस तरह सर्वोदय समाज का व्यक्ति अनुशासित तथा संयमी होता है। यह समाज इस प्रकार की योजनाएं बनाता है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी मिल सके अथवा कोर्इ ऐसा कार्य मिल सके जिससे उसकी Needओं की पूर्ति हो सके। इस समाज में प्रत्येक व्यक्ति को श्रम करना पडता है।
सर्वोदय समाज पाष्चात्य देशों की तरह भौतिक संम्पन्नता और सुख के पीछें नहीं भागता है और न उसे प्राप्त करने की इच्छा ही प्रगट करता है, किन्तु यह इस बात का प्रयत्न करता है कि सर्वोदय समाज में रहने वाले व्यक्तियों जिनमें रोटी, कपडा, मकान, षिक्षा आदि है कि पूर्ति होती रहे। ये वे सामान्य Needओं हैं जो प्रत्येक व्यक्ति की हैं और जिनकी पूर्ति होना आवश्यक है।
सर्वोदय की विचारधारा है कि सत्ता का विकेन्द्रकीकरण All क्षेत्रों में समान Reseller् में करना चाहिए क्योंकि दिल्ली का शासन भारत के प्रत्येंक गांव में नहीं पहंचु सकता। वे आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में सत्ता का विकेन्द्रीकरण करने के पक्षधर है। इस समाज में किसी भी व्यक्ति का “ाोशण नही होगा क्योंकि इस समाज में रहने वाले व्यक्ति आत्म संयमी,धैर्यवान, अनुशासनप्रिय तथा भौतिक सुखों की प्राप्ति से दूर रहते है। इस समाज के व्यक्ति भौतिक सुखों के पीछे नही भागते, इसलिए इनके व्यक्तित्व में न तो संद्यर्ष है और ही शोषणता की प्रवृति ही । यह अपने पास उतनी ही वस्तुओं का संग्रह करते हैं, जितनी इनकी Needएं है।
गांधी का मत था कि भारत के गांवों का संचालन दिल्ली की सरकार नहीं कर सकती। गांव का शासन लोकनीति के आधार पर होना चाहिए क्योंकि लोकनीति गांव के कण कण में व्यापत है। लोकनीति बचपन से ही व्यक्ति को कुछ कार्य करने के लिए पे्िर रत करती है और कुछ कार्य को करने से रोकती है। इस तरह व्यक्ति स्वत: अनुषासित बन जाता है। सर्वोदय का उदय किसी Single क्षेत्र में उन्नति करने का नहीहै बल्कि All क्षेत्रों में समानReseller से उन्नति करने का है। वह अगर व्यक्ति की Needओं की पूर्ति के लिए कटिबद्व है तो व्यक्ति को सत्य, अंिहंसा और पेम्र का पाठ पढाने के लिए भी दृढसंकल्प है।