समुदाय का Means, प्रकार, प्रकृति And विशेषताएं
समुदाय Word लैटिन भाषा के (com) तथा ‘Munis’ Wordों से बना है। com का Means हैं Together Meansात Single साथ तथा Munis का Means Serving Meansात सेवा करना। इस प्रकार समुदाय का Means Single साथ मिलकर सेवा करना है। अन्य Wordों में हम कह सकते हैं कि व्यक्तियों का ऐसा समूह जिसमें परस्पर मिलकर रहने की भावना होती है तथा परस्पर सहयोग द्वारा अपने अधिकारों का उपयोग करता है, समुदाय कहलाता है। प्रत्येक समुदाय के सदस्य में मनोवैज्ञानिक लगाव तथा हम की भावना पार्इ जाती है समुदाय के Means को और अधिक स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों की परिभाषायें प्रस्तुत की जा रही हैं-
- मैकाइवर के According – समुदाय सामाजिक जीवन के उस क्षेत्र को कहते है, जिसे सामाजिक सम्बन्धता अथवा सामंजस्य की कुछ मात्रा द्वारा पहचाना जा सके।’’ आगबर्न एंव न्यूमेयर के According, ‘‘समुदाय व्यक्तियों का Single समूह है जो Single सन्निकट भौगोलिक क्षेत्र में रहता हो, जिसकी गतितिधियों And हितों के समान केन्द्र हों तथा जो जीवन के प्रमुख कायोर्ं में इकट्ठे मिलकर कार्य करते हों।’’
- बोगार्डस के According, ‘‘समुदाय Single सामाजिक समूह है जिसमें हम भावना की कुछ मात्रा हो तथा Single निश्चित क्षेत्र में रहता हो।’’
- आगबर्न And निमकॉफ के According, ‘‘ समुदाय किसी सीमित क्षेत्र के भीतर सामाजिक जीवन का पूर्ण संगठन हैं।
- एच0 मजूमदार के According, ‘‘समुदाय किसी निश्चित भू-क्षेत्र, क्षेत्र की सीमा कुछ भी हो पर रहने वाले व्यक्तियों के समूह है जो सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं’’।
- डेविस के According ‘‘समुदाय Single सबसे छोटा क्षेत्रीय समूह है जिसके अन्तगर्त सामााजिक जीवन के समस्त पहलुओं का समावेश हो सकता हैं’’।
समुदाय की प्रकृति And विशेषताएं –
समुदाय की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उसकी कुछ मुल विशेषताऐं बतार्इ जा सकती हैं जो हैं:-
- निश्चित भू-भाग का तात्पर्य यहां उन सीमा And घेरे से हैं जो किसी विशेष सामाजिक आर्थिक, धार्मिक And सांस्कृतिक विशेषताओं वाले नागरिकों को अपनी परिधि में सम्मिलित करता है Human जाति की Single परम्परागत विशेषता रही है कि जब Human परिवार किसी Single स्थान को छोड़कर Second स्थान पर चलने के लिए प्रयत्न करता है तो वह उस स्थान को प्राथमिकता देता है। जहाँ उसके समान सामाजिक-आर्थिक And धार्मिक विचारों वाले लोग निवास करते हैं।
- व्यक्तियों का समूह-समुदाय से यहाँ तात्पर्य Human जाति के समुदाय से है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक And सांस्कृतिक समResellerताओं के आधार पर Single निश्चित सीमा में निवास करते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि समुदाय में हम Humanीय सदस्यों को सम्मिलित करते हैं न कि पशु पक्षियों को।
- सामुदायिक भावना-का तात्पर्य यहाँ सदस्यों के आपसी मेल-मिलाप पारस्परिक सम्बन्ध से है। वैसे तो सम्बन्ध कर्इ प्रकार के होते हैं, लेकिन सदस्यों में Single Second की जिम्मेदारी महसूस करने तथा सार्वजनिक व सामुदायिक जिम्मेदारी को महसूस करने तथा निभाने से है।
- सर्वमान्य नियम-जैसा कि First ही बताया जा चुका है कि प्राथमिक Reseller से समुदाय का प्रशासन समुदाय के सदस्यों द्वारा बनाये गये नियमों पर निर्भर होता है औपचारिक नियमों के अतिरिक्त समुदाय को Single सूत्र में बाँधने, समुदाय में नियंत्रण स्थापित करने, सदस्यों को न्याय दिलाने, कमजोर सदस्यों को शोषण से बचाव तथा शोशितों पर नियंत्रण रखने या सामुदायिक व्यवहारों को नियमित करने के लिए प्रत्येक समुदाय अपनी सामुदायिक परिस्थितियों के According अनौपचारिक नियमों को जन्म देता है।
- स्वत: उत्पत्ति-वर्तमान समय में कार्यरत विभिन्न शहरीय आवसीय योजनायें आवास की सुविधा प्रदान कर समुदाय के निर्माण में अवश्य ही सहायक साबित हो रही है, लेकिन प्रारम्भिक काल में समुदाय की स्थापना And विकास में स्वत: उत्पत्ति की प्रक्रिया अधिक महत्वपूर्ण थी।
- विशिष्ट नाम-प्रत्येक समुदाय के स्वत: विकास के पश्चात उसे Single नाम मिलता है। लुम्ले के According, ‘‘ यह समरुपता का परिचायक है, यह वास्तविकता का बोध कराता है यह अलग व्यक्तित्व को इंगित करता है, वह बहुधा व्यक्तित्व का वर्णन करता है। कानून की दृश्टि में इसके कोर्इ अधिकार And कर्तव्य नहीं होते।
- स्थायित्व-बहुधा Single बार स्थापित समुदाय का संगठन स्थिर होता है। Single स्थिर समुदाय का उजड़ना आसान नहीं होता है। कोर्इ विशेष समुदाय किसी समस्या के कारण ही उजड़ता है, अन्यथा स्थापित समुदाय सदा के लिए स्थिर रहता है।
- समानता-Single समुदाय के सदस्यों के जीवन में समानता पार्इ जाती है। उनकी भाषा रीतिरिवाज, रूढ़ियों आदि में भी समानता होती है। All सामुदायिक परम्पराएं And नियम सदस्यों द्वारा सामुदायिक कल्याण And विकास के लिए बनायी जाती हैं। इसलिए समुदाय में समानता पाया जाना सवाभाविक है।
समुदाय के प्रकार
समुदाय के दो प्रकार बताये गये हैं :-
- ग्रामीण समुदाय
- नगरीय समुदाय
(1) ग्रामीण समुदाय-
प्रारम्भिक काल से ही Human जीवन का निवास स्थान ग्रामीण समुदाय रहा है। धीरे-धीरे Single ऐसा समय आया जब हमारी ग्रामीण जनसंख्या चरमोत्कर्श पर पहॅुच गयी। आज औधोगीककरण, शहरीकरण का प्रभाव Human को शहर की तरफ प्रोत्साहित तो कर रहा है लेकिन आज भी शहरीय दूषित वातावरण से प्रभावित लोग ग्रामीण पवित्रता And शुद्धता को देख ग्रामीण समुदाय में बसने के लिये प्रोत्साहित हो रहा है। आज ग्रामीण समुदाय के बदलते परिवेष में ग्रामीण समुदाय को परिभाशित करना कठिन है ।
ग्रामीण समुदाय की विशेषतायें –
ग्रामीण समुदाय की कुछ ऐसी विशेषतायें होती हैं। जो अन्य समुदाय में नहीं पार्इ जाती है ग्रामीण समदु ाय में पाये जाने वाला प्रतिमान Single विशेष प्रकार का होता है। जो आज भी कुछ सीमा तक नगर सुमदाय से भिन्न है ग्रामीण सुमदाय की विशेषताओं में प्रमुख हैं।
- कृषि व्यवसाय – ग्रामीण अचल में रहने वाले अधिकाधिक ग्रामवासियों का खेती योग्य जमीन पर स्वामित्व होता है, खेती करना और कराना उन्हें परिवार के वयोवृद्व सदस्यों द्वारा प्राप्त होता है यधपि Single ग्रामीण क्षेत्र में कुछ ऐसे भी परिवार होते हैं जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं होती वे लोहारी, सोनारी जैसे छोटे-छोटे उधोग धन्धों में लगे रहते हैं लेकिन उनके भी दिल मे कृशि के प्रति लगाव होता है तथा महसूस करते हैं कि काश उनके पास भी खेती योग्य जमीन होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि उनमें भूमि के प्रति अटूट श्रद्धा होती है
- प्राकृतिक निकटता – ग्रामवासियों का मुख्य व्यवसाय कृशि एंव उससे सम्बन्धित कार्य होता है। All जानते हैं कि खेती का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है ग्रामीण जीवन प्रकृति पर आश्रित रहता है।
- जातिवाद एंव धर्म का अधिक महत्व – रूढ़िवादिता एंव परम्परावाद ग्रामीण जीवन के मूल समाज शास्त्रीय लक्षण हैं। फलस्वरुप आज भी हमारे ग्रामीण समुदाय में अिधाकाधिक लोगों की जातिवाद, धर्मवाद में अटूट श्रद्धा है। देखा जाता है कि ग्रामीण निवासी अपने -2 धर्म And जाति के बड़पपन में ही अपना सम्मान समझते हैं। ग्रामीण समुदाय में जातियता पर ही पचायतों का निर्माण होता है। ग्रामीण समाज में छुआछुत व संकीर्णता पर विशेष बल दिया जाता है।
- सरल और सादा जीवन –ग्राामीण समुदाय के अधिकाधिक सदस्यों का जीवन सरल एंव सामान्य होता है। इनके ऊपर शहरीय चमक-दमक का प्रभाव कम होता है। उनका जीवन कृत्रिमता से दूर सादगी में रमा होता है। उनका भोजन, खान-पान एंव रहन-सहन, सादा एंव शुद्ध होता है। गांव का शिष्टाचार, आचार-विचार एंव व्यवहार सरल एंव वास्तविक होता है तथा अतिथि के प्रति अटूट श्रद्धा एंव लगाव होता है।
- संयुक्त परिवार – ग्रामीण समुदाय में संयुक्त परिवार का अपना विशेष महत्व है। इसीलिये ग्रामीण लोग पारिवारिक सम्मान के विशय में सर्वदा सजग रहते हैं। परिवार को टुटने से बचाना तथा पारिवारिक समस्याओं को अन्य परिवारों से गोपनीय रख निपटाने का वे भरसक प्रयास करते हैं पारिवारिक विघटन का सम्बन्ध उनकी सामाजिक परिस्थिति And सम्मान से Added होता है। इसलिए परिवार का मुखिया And बड़े-बूढ़े सदस्य इसे अपना सम्मान समझकर परिवार की Singleता को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
- सामाजिक जीवन मे समीपता – वास्तव में ग्रामीण जीवन में अत्यधिक समीपता पार्इ जाती है अधिकाधिक ग्रमीण समुदायों के केवल व्यवसायिक समीपता ही नहीं अपितु उनके सामाजिक आर्थिक And सांस्कृतिक जीवन में अत्यधिक समीपता पार्इ जाती है। इस समीपता का मुख्य कारण कृशि And उससे सम्बन्धित व्यवसाय है।
- सामुदायिक भावना – ग्रामीण समुदाय की Single महत्वपूर्ण विशेषता उनमें व्याप्त सामुदायिक भावना ग्रामीण समुदायों के सदस्यों में व्यक्तिगत निर्भरता के स्थान पर सामुदायिक निर्भरता अधिक पार्इ जाती है। इसलिए लोग Single Second पर आश्रित होते हैं ग्रामीण समुदाय के Single सीमित क्षेत्र में बसने के कारण सदस्यों की अपनी समीपता बढ़ जाती है उनमें स्वभाव हम भावना का विकास हो जाता है। जिसे सामुदायिक भावना का नाम लिया जाता है।
- स्त्रियों की निम्न स्थिति – ग्रामीण समुदाय की अशिक्षा, अज्ञानता And रूढ़ि वादिता का सीधा प्रभाव ग्रामीण स्त्रियों की स्थिति पर पड़ता है। Indian Customer ग्रामीण समुदाय में अभी भी अशिक्षा काफी अधिक है। परिणाम स्वरुप ग्रामीण सदस्यों का व्यवहार रुढ़ियों And पुराने सामाजिक मूल्यों से प्रभावित होता है। लेकिन आज भी अधिकाधिक ग्रामीण समुदाय में वाल-विवाह, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, लड़कियों को शिक्षा And बाहर नौकरी से रोक लगाना, विधवाओं को पुर्नविवाह से वंचित करना आदि सर्वभौमिक दिखार्इ देती हैं। जो स्त्रियों की गिरी दशा के लिए उत्तरदायी है।
- धर्म And परम्परागत बातों में अधिक विश्वास – ग्रामीण लोग धर्म पुरानी परम्पराओं And रूढ़ियों में विश्वास करते हैं। तथा उनका जीवन सामुदायिक व्यवहार, धार्मिक नियमों And परम्पराओं से प्रभावित होता है। ग्रामीण समुदाय का सीमित क्षेत्र उसे बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त रखता है और इसी कारण उसमें विस्तृत दृश्टिकोण भी आसानी से नहीं पनप पाता है।
- भाग्यवादिता And अशिक्षा का बाहुल्य – ग्रामीण समुदाय में शिक्षा का प्रचार-प्रसार अभी भी कम है शिक्षा के अभाव में ग्रामवासी अनेक अन्ध विश्वासों And कु-संस्कारो का षिकार बने रहते हैं तथा भाग्यवादिता पर अधिक विश्वास करते हैं। इन उपर्युक्त ग्रामीण विशेषताओं से स्पष्ट है कि परम्परावादिता उनकी सर्वप्रमुख विशेषता है। जैसे-जैसे सरकार And स्वंयसेवी संगठनों के प्रयास से ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का कार्यान्वयन विकास बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे उनके जीवन में परिवर्तन आता जा रहा है।
(2) नगरीय समुदाय-
नगर के विकास के History से पता चलता है कि कुछ नगर तो नियोजित ढंग से बसाये गये हैे लेकिन कुछ ग्रामीण समुदाय के आकार के बढ़ने से नगर का रुप धारण कर गये हैं। नगरीय समुदाय का Means-नगरीय Word नगर से बना है जिसका Means नगरों से सम्बन्धित है। जैसे शहरी समुदाय को Single सूत्र में बांधना अत्यन्त कठिन है। यधपि हम नगरीय समुदाय को देखते हैं, वहां के विचारों से पूर्ण अवगत हैं लकिन उसे परिभाशित करना आसान नहीं है।
नगरीय समुदाय की विशेषतायें –
विभिन्न विद्वानों द्वारा व्यक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त नगरीय समुदाय को स्पष्ट करने के लिये आवष्यक है कि इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं की Discussion की जाये जिससे सम्बन्धित प्रत्येक पक्ष सामने आकर नगरीय समुदाय को चित्रित कर सके। इसकी कुछ प्रमुख विशेषतायें हैं।
- जनसंख्या का अधिक घनत्व – रोजगार की तलाश में गाँव से शिक्षित एंव अशिक्षित बेरोजगार व्यक्ति शहर में आते हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण आज सीमित जमीन में लोंगो को जीवन निवार्ह करना कठिन पड़ रहा है।
- विभिन्न संस्कृतियों का केन्द्र – कोर्इ नगर किसी Single विशेष संस्कृति के जन समुदाय के लिये अशिक्षित नहीं होता। इसलिये देश के विभिन्न गाँवो से लोग नगर में आते हैं और वहीं बस जाते है। ये लोग विभिन्न रीति रिवाजों में विश्वास करते हैं तथा उन्हें मानते हैं।
- औपचारिक सम्बन्ध – नगरीय समुदाय में औपचारिक सम्बन्ध का बाहुल्य होता है। देखा जाता है कि सदस्यों का व्यस्त जीवन आपसी सम्बन्ध औपचारिक होता है।
- अन्ध विश्वासों में कमी – नगरीय समुदाय में विकास के साधन And सुविधाओं की उपल्ब्धता के साथ-साथ यहां शिक्षा और सामाजिक बोध ग्रामीण समुदाय से अधिक पाया जाता है। अतएव स्पष्ट है कि यहां के लोगो का पुराने अन्धविश्वासों एंव रुढ़ियों में कम विश्वास होगा।
- अनामकता – नगरीय समुदाय की विशालता And उसके व्यस्त जीवन के कारण लोगों को पता ही नहीं होता कि पड़ोस में कौन रहता है और क्या करता है। बहुधा देखा गया कि लोग Single-Second के विशय में जानने तथा उनसे ताल-मेल रखने में कम रुचि रखते हैं। जब तब की उनका कोर्इ विशेष लाभ नहीं या उनका पारिवारिक सम्बन्ध न हो।
- आवास की समस्या – आप विभिन्न कार्यकारी योजनाओं के बावजूद भी बड़े-बड़े नगरों मे आवास की समस्या अति गम्भीर होती जा रही हैं। अनेक गरीब And कमजोर लोग अपनी रातें सड़क की पटिटयों, बस अडड्े और रेलवे स्टेशनों पर व्यतीत करते हैं। अधिकाधिक मध्यमवर्गीय व्यक्तियों के पास औसतन केवल Single या दो कमरे के मकान होते हैं। कारखाने वाले नगरों में नौकरी की तलाश में श्रमिकों की संख्या बढ़ जाती है। जिसके कारण उनके रहने के लिये उपयुक्त स्थान नहीं मिल पाता है और झुग्गी झोपडी जैसी बस्तियां बढ़ने लगती हैं।
- वर्ग अतिवाद – नगरीय समुदय में धनियों के धनी और गरीबों में गरीब वर्ग के लोग पाये जाते हैं Meansात यहाँ भव्य कोठियों के रहने वाले, ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले तथा Second तरफ मकानों के आभाव में गरीब And कमजोर सड़क की पटरियों पर सोने वाले, भरपेट भोजन न नसीब होने वाले लोग भी निवास करते हैं।
- श्रम विभाजन – नगरीय समुदाय में अनेक व्यवसाय वाले लोग होते हैं। जहाँ ग्रामीण समुदाय में अधिकाधिक लोगों का जीवन कृशि एव उससे सम्बन्धित कार्यो पर निर्भर होता है वहीं दूसरी तरफ नगरीय समुदाय में व्यापार-व्यवसाय, नौकरी, अध्ययन् आदि पर लोगो का जीवन निर्भर करता है।
- Singleाकी परिवार की महत्ता – नगरीय समुदाय में उच्च जीवन स्तर की आकांक्षा के फलस्वReseller संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियाँ वहन करना कठिनतम साबित होता है। अतएव शहरी समुदाय में Singleाकी परिवार का बाहुल्य होता है। इन परिवार में लगभग स्त्री And पुरूशों की स्थिति में समानता पायी जाती है।
- धार्मिक लगाव की कमी – शहरी जीवन में व्याप्त शिक्षा And भौतिकवाद उन्हें धार्मिक पूजा-पाठ And अन्य सम्बन्धित कर्म काण्डों से दूर कर देते हैं इसलिये यहाँ धर्म को कम महत्व दिया जाता है।
- सामाजिक गतिशीलता – शहरी जीवन में अत्यधिक गतिशीलता पायी जाती है। जहाँ गाँव का जीवन Single शांत समुद्र की तरह होता है। वहीं शहर का जीवन उबाल खाते पानी की तरह होता है।
- राजनैतिक लगाव – नगरीय जीवन की बढ़ती शिक्षा, गतिशीलता And परिवर्तित सभ्यता राजनैतिक क्षेत्र में लेागों की रूचि बढ़ा देती है। इनको अपने अधिकारों कर्तव्यों And राजनैतिक गतिविधि का ज्ञान होने लगता है और इससे राजनैतिक क्षेत्र में झुकाव बढ़ जाता है।