समाचार का Means, महत्व And स्रोत
जानने की हमारी इस जिज्ञासा को आधुनिक Reseller में न्यूज या समाचार संतुश्ट करते हैं। अलग-अलग Resellerों में कभी रेडियो के जरिए, कभी अखबारों के जरिए और कभी टीवी या अन्य आधुनिक माध्यमों के जरिए। समाचार प्राप्त करने के तरीके आज लगातार बदल रहे हैं और नए-नए तरीके विकसित होते जा रहे हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं Reseller जा सकता कि समाचार अथवा न्यूज का वर्तमान स्वReseller छपे हुए अक्षरों और उन अक्षरों से पैदा हुए अखबारों की ही देन है। तरह – तरह की सूचनाओं, के मुंह से सुने यात्रा अनुभवों के description, किस्से कहानियों और व्यापार की जानकारियों से “ाुरू आधुनिक पत्रकारिता की यात्रा आज नेट पत्रकारिता तक जा पहुंची है। लेकिन इनफोटेनमेंट के इस युग में खबर यानी न्यूज का महत्व सबसे ऊपर है और समाचार की यही विषेशता उसे आज सूचना क्रांति के इस दौर में भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण बनाए हुए है।
समाचार की प्रकृति व Means
क्या कभी आपने समाचार की प्रकृति And उसके Means के बारे में में विचार Reseller है। देश And सारे विश्व में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति रेडियो सुनता है, टी. वीदेख् ाता है And अख़बार भी पढ़ता है। ऐसा आप क्यों करते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में आप यही कहेंगे कि ‘सूचनाऐं प्राप्त करने के लिए’। सूचनाओं के अभाव में आप शेष विश्व से अपने आपको अलग-थलग पाते हं।ै सूचनाओं की जानकारी के बिना आप अपने आप को समाज से नहीं जोड़ सकते हैं- न राजनैतिक Reseller से, न सामाजिक Reseller से और न आर्थिक Reseller से। प्राय: कोर्इ भी व्यक्ति सोमवार का समाचार शुक्रवार को पढ़ना पसन्द नहीं करता। क्यों ? हम किसी जानकारी या घटना को पुष्ट करने के लिए पुराने अखबार जरूर देखते हैं लेकिन सामान्य Reseller से हम ऐसा प्रतिदिन नहीं करते। अत: समाचार वह है जो नवीन है और साथ ही साथ समाचार वह भी है जो हमें पूरे विश्व से जोड़ता है।
समाचार की परिभाषा
समाचार Meansात खबर के बारे में Single निश्चित विचार नहीं मिलता। उसकी Single निश्चित परिभाषा नहीं दी जा सकती है। क्योंकि समाचार वस्तुत: Single भावजन्य अभिधारणा है जिसका Means Humanीय मूल्य व अभिरूचि के According बदलता है। इसलिए यह समझ लेना चाहिए कि समाचार सापेक्ष होते हैं पूर्ण नहीं। समाचार अपने से जुड़े कारकों And तथ्यों के परिवर्तित होने के साथ ही परिवर्तित होते रहते हैं। अत: समाचार की परिभाषा निम्न कारकों पर आधारित होती है।
- पाठक वर्ग के आकार पर।
- समाचार पत्र/पत्रिका की आवृत्ति (दैनिक/साप्ताहिक/पाक्षिक आदि) पर।
- पाठक वर्ग के सामाजिक व आर्थिक प्रकार पर।
- पाठक वर्ग की मांग के According (जैसे स्थानीयता और मुद्दों से जुड़ी वरीयता आदि)।
जौन बोगार्ट की प्रसिद्ध परिभाषा से All परिचित होंगे जिसमें वे कहते हैं कि ‘‘कुत्ते ने आदमी को काटा यह समाचार नहीं है बल्कि समाचार यह है कि आदमी ने कुत्ते को काटा’’। Meansात कुछ असामान्य या असाधारण ही समाचार का हिस्सा होता है या समाचार बन सकता है।
सन् पत्रिका के सम्पादक समाचार को परिभाषित करते हुए लिखते हैं- ‘‘समाचार हर वह घटना है जो पर्याप्त Reseller से जनता का ध्यान आकर्षित करे और जनता से जुड़ी हो।’’ न्यूयार्क वल्र्ड के प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर के According- ‘‘समाचार मौलिक, स्पष्ट, नाटकीय, रोमांस से परिपूर्ण, अद्भुत, अनोखा, विलक्षण, हास्यपूर्ण, असामान्य And उत्तेजित करने वाला हो, जिसके बारे में Discussion हो सके। समाचार को विभिन्न विद्वानों ने अलग – अलग तरह से परिभाषित Reseller है।
- प्रो. विलियम जी ब्लेयर के According- अनेक व्यक्तियों की अभिरूचि जिन बात में होती है वह समाचार है। सर्वश्रेष्ठ समाचार वह है, जिसमें बहुसंख्यक लोगों की अधिकतम रूचि हो।
- जार्ज एच. मैरिस के According- समाचार जल्दी में लिखा गया History है। बूलस्ले और कैम्पवेल के According- समाचार किसी वर्तमान विचार, घटना या विवाद का ऐसा description है, जो उपभोक्ताओं को आकर्षित करे।
- ए. लाइल स्पेंसर के According- वह सत्य घटना या विचार समाचार है जिसमें बहुसंख्यक पाठकों की रूचि हो।
- न्यूयार्क टाइम्स के पूर्व प्रबन्ध सम्पादक के According- समाचार, जिसे आप अभी आज जान रहे हैं और जिसे आप First नहीं जानते थे।
- डॉ. नन्दकिशोर के According- समाचार पत्र का मौलिक कच्चा माल न कागज है, न स्याही- वह है समाचार। फिर चाहे प्रकाशित सामग्री ठोस संवाद के Reseller में हो या लेख के Reseller में, सबके मूल में वही तत्व रहता है जिसे हम समाचार कहते हैं।
- श्री खडिलकर के According- दुनिया में कहीं भी किसी समय कोर्इ भी छोटी-मोटी घटना या परिवर्तन हो उसका Wordों में जो वर्णन होगा, उसे समाचार या खबर कहते हैं।
- प्रवीण के According- पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित और रेडियो टेलीविजन जैसे इलैक्ट्रॉनिक जनसंचार माध्यमों में प्रसारित होने वाले समान महत्व के सार्वजनिक विचारों, घटनाओं और क्रियाकलापों के उस description को ‘समाचार’ कहते हैं जिससे हमें किसी तरह की शिक्षा, सूचना अथवा मनोरंजन प्राप्त होने की अनुभूति होगी।
समाचार के प्रमुख तत्व
- सामयिकता- किसी भी समाचार अथवा खबर को Singleदम नवीन होने के साथ-साथ सही समय से जनसामान्य तक पहुँचना चाहिए।
- स्थानीयता/निकटता- सामान्यतया पाठक वर्ग अपने आस-पास गाँव, कस्बे या देश की खबरों में रूचि रखता है, बजाय इसके कि खबर दूर की हो। साथ ही वह उन खबरों में ज्यादा रूचि लेता है जिसका उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और जिन खबरों से वह अपना तारतम्य कर सकता है। उदाहरणार्थ- पाठक वर्ग वर्ग को महंगार्इ का मुद्दा, रुपये के अवमूल्यन अथवा बैंक के राष्ट्रीयकरण की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित करता है।
- वैशिष्ट्य- विशिष्ट लोगों के साथ जब कुछ घटित होता है तो वह भी समाचार का अहम् हिस्सा बन जाता है। लोग इस तरह की घटनाओं के बारे में अधिक से अधिक जानने को आतुर हो जाते हैं।
- विवाद, हिंसा अथवा संघर्ष- जब कभी गली मुहल्लों अथवा विभिन्न सम्प्रदायों में विवाद होता है तो जनसामान्य स्वत: ही इन विवादों से जुड़ जाता है। अत: All प्रकार के विवाद, हिंसा या संघर्ष भी खबर बन जाते हैं।
- सरकारी And राजनैतिक गतिविधियाँ- समय-समय पर सरकारी गजट, कानून, बिल, Single्ट अध्यादेश नियमन आदि जिनसे आम जन प्रभावित होते हैं। अच्छी खबर बनते हैं। क्योंकि इन खबरों का सीधा असर लोगों के जीवन पर होता है और उनके निजी हानि-लाभ भी इससे जुड़े होते हैं।
- विकासशील परियोजनाएं And मुद्दे- विज्ञान के क्षेत्र में किसी अन्वेषण का समाचार जिनसे किसी समुदाय या समाज के किसी हिस्से की जीवनशैली में बदलाव आता हो अथवा किसी असाध्य रोग की कारगर दवा की खोज का समाचार भी समाचार का महत्वपूर्ण तत्व है।
- Humanीय अभिरूचि- ऐसी घटना जो साहस, शौर्य, हास्य, विजय, मनोरंजन, कौतूहल अथवा जिज्ञासा से भरपूर हो And ऐसा समाचार जो Human-हित में हो और अनुकरणीय हो, अच्छा समाचार बन जाता है। पाठक ऐसी घटना अथवा सूचना को कौतूहल से पढ़ते हैं जो अन्य लोगों पर घटित हो रहा हो जैसे- खाप पंचायतों ने Single ही गोत्र में शादी करने पर पति-पत्नी को सजा देने का फैसला Reseller।
- मौसम And खेल- चक्रवात, मानसून की पूर्व सूचना And खेल आदि भी समाचार के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
- प्रतिक्रियात्मकता- किसी घटना का समाचार के तौर पर आना फिर सिलसिलेवार उसकी ताजगी बनाए रखते हुए समाचार को सामयिक रखना समाचार की विशेषता बनता है।
समाचारों का वर्गीकरण
1. ठोस समाचार –
इस प्रकार के समाचार सीधे And सरल होते हैं ये वे समाचार होते हैं जिसमें घटना का सरल स्पष्ट और सही तथ्यात्मक description प्रस्तुत Reseller जाता है। इनमें तथ्यों को जैसे का तैसा प्रस्तुत Reseller जाता है, तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाता है। ऐसे समाचारों में दुर्घटनाएं दंगा, प्राकृतिक आपदाएं, आपराधिक घटनाएं, किसी महत्वपूर्ण खेल गतिविध की जीत-हार, लोकप्रिय व्यक्तियों के निजी जीवन की कोर्इ आकस्मिक घटना आदि विशय प्रमुख होते हैं। Meansात वे All घटना प्रधान समाचार जिनमें कोर्इ वैचारिक उलझाव नहीं होता। इन समाचारों को लिखते समय संवाददाता के लिए यह आवश्यक होता है कि वह घटनास्थल, समय, सत्यता और स्पष्टता का ध्यान रखे।
घटना का क्या, कब, कहाँ, कौन द्वारा प्रस्तुतिकरण Meansात यह इतने बजे यहाँ इसके साथ घटित हुआ, हार्ड अथवा ठोस समाचार का जरूरी हिस्सा है। कब, क्या, कहाँ (घटना के सम्बन्ध में) के साथ-साथ यदि क्या (what), कहाँ (where), कब (when), कौन (who) आदि का संतोषजनक उत्तर यदि संवाददाता नहीं दे रहा है तो समाचार अपने में पूर्ण नहीं है। क्या (what) का अभिप्राय है कि जो घटना घटी है और जिसकी जानकारी पाठक को दी जा रही है वह वास्तव में क्या है? यदि घटना का वर्णन स्पष्ट नहीं Reseller गया है या उसमें शाब्दिक उलझाव हं,ै तो यह समाचार की सबसे बड़ी असफलता होगी। दूसरा बिन्दु है कहाँ (where)। अनजाने में ही पाठक वैज्ञानिक तौर पर यह जानने का इच्छुक होता है कि जो घटना उसके सम्मुख लार्इ जा रही है वह कहाँ घटित हुर्इ है। यदि स्थान का description या घटनास्थल की निशानदेही स्पष्ट Reseller से नहीं हुर्इ है, तो इससे पाठक को संतुष्टि नहीं होगी और उसके मन में जिज्ञासा बनी रहेगी। उदाहरण के तौर पर अगर कोर्इ समाचार लेखक खबर का आरम्भ करते हुए जनपद का नाम लिखता है और यह History करते हुए कि अमुक जनपद के Single गाँव में अमुक घटना हुर्इ यह अच्छी पत्रकारिता का उदाहरण नहीं है। तीसरा प्रमुख बिन्दु है कब (when)। यह सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है क्योंकि अगर संवाददाता यह नहीं बताता कि जिस घटना की वह जानकारी दे रहा है वह कब घटित हुर्इ तो यह नितांत अधूरा समाचार होगा। संवाददाता को तिथि और दिन ही नहीं, जहाँ तक सम्भव हो घटना का समय भी बताना चाहिए क्योंकि प्रत्येक पाठक सूचना या समाचार को जल्दी से जल्दी प्राप्त करना चाहता है। यदि रात के दस बजे घटित घटना उसे सुबह 6 बजे मिल जाती है तो यह उसकी संतुष्टि का करण बनता है। अत: यह जरूरी है कि कब का जवाब समाचार में मौजूद हो। इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए यह परिभाशाएं कुछ अलग हो जाती है। क्योंकि घटनास्थल के सजीव चित्र बहुत कुछ खुद ही कह देते हैं। ऐसे में वहां पत्रकार को घटना की और अधिक बारीकी से छानबीन कर नए तथ्यों के सामने लाना जरूरी हो जाता है।
अगला प्रमुख बिन्दु है कौन (who) Meansात घटना किसके साथ घटित हुर्इ। जरूरी नहीं कि घटना से प्रभावित व्यक्ति या व्यक्तियों से पाठक परीचित हो लेकिन फिर भी उसकी पाठक या दर्षक की इच्छा होती है कि उसे यह पता चले कि यह घटना किसके साथ घटी है। अगर यह जानकारी उसे नहीं मिलती तो यह समझ लेना चाहिए कि समाचार अधूरा है। अत: क्या (what), कहाँ (where), कब (when), कौन (who) ये कुछ बिन्दु हैं जो समाचार का निर्माण करते हैं।
2. व्याख्यात्मक समाचार –
लेकिन पाठक मात्र क्या, कहाँ, कब, कौन से ही संतुष्ट नहीं होता उसे घटना के पीछे विद्यमान कारकों क्यों (why), कैसे (how) की जानकारी या विश्लेषण भी चाहिए। प्रत्येक पाठक अप्रत्यक्ष Reseller से यह जिज्ञासा बनाए रखता है कि जो घटना उसके सामने लार्इ जा रही है वह क्यों और कैसे घटित हुर्इ। यही विश्लेषण विवेचना सौफ्ट न्यूज अथवा व्याख्यात्मक खबर बन जाती है। व्याख्यात्मक खबर (Soft News) वह समाचार है जिसमें घटना की गहन खोजबीन की जाती है, उस पर समग्र Reseller से प्रकाश डाला जाता है।
समाचार लेखन की शैली
1. विलोम पिरामिड –
पिरामिड दरअसल प्राचीन मिस्र के वे स्मारक हैं जो वहाँ के तत्कालीन Kingओं को दफनाने के लिए बनाए जाते थे। इन पिरामिडों की चोटी पतली होती है और ज्यों-ज्यों नीचे आते जाते हैं ये पिरामिड अपना आकार बढ़ाते जाते हैं। यदि हम इस पिरामिड को उल्टा कर दें Meansात इसकी चोटी नीचे और आधार ऊपर तो यह Single विलोम पिरोमिड टाइप समाचार लिखने की शैली बन जायेगी। इस शैली के अन्तर्गत संवाददाता प्रमुख घटना का सारांश पहली पंक्तियों में देगा और शेष विस्तृत जानकारी तए पैराग्राफ से आरम्भ कर नीचे तक देता चला जाएगा। इस शैली के अन्तर्गत पाठक First दृष्टि में मुख्य घटना का सारांश First जान लेता है और बाद में वह पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिया गया ब्यौरा पढ़ता है। अधिकतर घटनाओं के समाचार इसी विलोम पिरामिड प्रणाली के अन्तर्गत दिए जाते हैं।
विलोम पिरामिड शैली का प्रचलन उस समय शुरू हुआ जब संवाददाताओं को प्रमुख घटनाओं का समाचार टेलीग्राम द्वारा भेजने का मार्ग अपनाना पड़ा। टेलीग्राम के माध्यम से भेजे जाने वाले समाचारों के लिए यह आवश्यक था कि घटना का प्रमुख सारांश सबसे First दर्ज Reseller जाए, ताकि यदि तार की लाइन खराब भी है तब मुख्य कार्यालय तक घटना का प्रमुख सारांश पहुँच जाए।
2. सीधे पिरामिड –
समाचारों की यह शैली सीधे पिरामिड की तरह अपनार्इ जाती है जो विलोम पिरामिड की शैली से बिल्कुल उलट है। इसमें समाचार के सबसे महत्वपूर्ण तत्व को सबसे First न देकर मध्य या अन्त में दिया जाता है। समाचार के प्रारम्भ में कम महत्व के ऐसे तत्व दिए जाते हैं, जो पाठक की अभिरूचि जागृत कर सकते हैं। यह शैली अधिकता फीचर समाचारों, रिपोटोर्ं तथा Humanीय संवेदना से सम्बन्धित समाचारों में प्रयोग में लार्इ जाती है।
समाचार के स्रोत
पत्रकार/संवाददाता की सफलता के लिए आवश्यक है कि उसके सम्पर्क सूत्र विश्वसनीय और उच्चस्तरीय हो जिनके द्वारा प्राप्त सूचना उपयोगी और विष्वसनीय हो। समाचार में प्रयुक्त कुछ ऐसे स्रोत सर्वसुलभ भी होते हैं जैसे जनसभा, रेडियो, टी0वी0 कार्यक्रम, प्रेस कान्फ्रेंस, गोष्ठियाँ आदि। पर रिपोर्टर जब आम लीक से हटकर कोर्इ खबर अपने विश्वसनीय संम्पर्क स्रोत की मदद से सामने रखता है तो उसका प्रभाव विशिष्ट हो जाता है। ऐसा सम्पर्क स्रोत कहीं भी और कोर्इ भी हो सकता है। सरकारी तन्त्र में निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्र में या व्यापार में कभी-कभी मन्त्री या किसी विषिश्ट अतिथि के ड्राइवर या किसी स्थान के चौकीदार आदि से मिली सूचनाएं भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। समाचार प्राप्त करने के मुख्य स्रोत हैं –
- सरकारी स्रोत
- पुलिस विभाग And अदालत
- व्यक्तिगत स्रोत
- अस्पताल
- भेंटवार्ता
1. सरकारी स्रोत-
संवाददाता के लिए सूचनाएँ प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन सरकारी स्रोत हैं। राजधानी दिल्ली के अलावा विभिन्न राज्यों की राजधानियाँ और महत्वपूर्ण जिला मुख्यालयों पर सराकरी सूचना विभाग के कार्यालय कार्य करते हैं। इन कार्यालयों से सरकारी गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सरकारी विभागों से भी समय-समय पर सूचनाएं और समाचार जारी किए जाते हैं। विभिन्न सरकारी विभागों से भी समय-समय पर सूचनाएं और समाचार जारी किए जाते हैं। इन सूचनाओं और आंकड़ों की छानबीन कर पत्रकार Single अलग और जनोपयोगी खबरें बना सकता है।
2. पुलिस विभाग And अदालत-
संवाददाताओं के लिए खबरों का सबसे बड़ा भण्डार होता है पुलिस विभाग। किसी भी आपराधिक घटना हत्या अथवा मारपीट के मामले, नशाबंदी और यातायात के उल्लंघन आदि के मामलों की जानकारी पुलिस विभाग के सम्पर्क में रहकर ही मिल सकती है। पुलिस के उच्चाधिकारियों से व्यक्तिगत सम्पर्क बना कर विश्वसनीय जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती है।
पुलिस थानों में दर्ज मामले चलते-चलते अदालतों में पहुँच जाते हैं। संवाददाता को इन मामलों में गहरी जानकारी प्राप्त करने के लिए अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सामान्य Reseller से तो अदालतों में कर्इ छोटे-छोटे दीवानी और फौजदारी मुकदमे चलते ही रहते हैं लेकिन ये All मुकदमे अखबार की खबर बनने की योग्यता नहीं रखते हैं। इनमें से जनसामान्य की अभिरूचि के मामले कौन से हो सकते हैं इसका निर्णय संवाददाता को अपनी चतुरार्इ से करना चाहिए।
3. व्यक्तिगत स्रोत-
व्यक्तिगत सम्पर्क भी समाचार प्राप्त करने का प्रमुख साधन होता है। सांसद, मन्त्री, सचिव और निजी सहायकों से अच्छे सम्बन्ध बनाने वाला संवाददाता कर्इ बार गोपनीय और महत्वपूर्ण समाचार दूसरों से First ही ले आता है और लोगों को चौंका देता है।
4. अस्पताल व अन्य सार्वजनिक स्थान-
संवाददाताओं को प्रतिदिन के समाचारों को Singleत्रित करने के लिए कुछ खास स्थानों की कवरेज करनी पड़ती है। अस्पताल भी ऐसा ही Single क्षेत्र है। शहर में जितनी भी हत्याएं, दंगे, दुर्घटनाएं या आत्महत्या आदि होती हैं उन सब की जानकारी अस्पताल से मिल सकती है। इसी तरह नगर निगम कार्यालय, आवास विभाग, प्रमुख बाजार, घटना स्थल, स्कूल, कालेज और विष्वविद्यालय, प्रमुख क्षेत्रीय संस्थान आदि इस तरह के अन्य स्थान हैं जहां से नियमित Reseller से महत्वपूर्ण समाचार खोजे जा सकते हैं।
5. भेंटवार्ता-
भेंटवार्ता समाचार संकलन का ही Single माध्यम है। कभी-कभी भेंटवार्ता से नये समाचार निकल आते हैं। उदाहरणार्थ जब किसी महत्वपूर्ण नेता का साक्षात्कार लिया जाता है और वह अपनी भविष्य की कार्य योजना को बताता है तो ऐसे साक्षात्कार महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
कभी-कभी सम्पर्क स्रोत स्वयं को आगे रखना चाहता है और कर्इ बार सम्पर्क स्रोत मुसीबत में भी पड़ जाता है ऐसे में पत्रकार के लिए उसका ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। कभी-कभी स्रोत अपनी बात से पलट भी जाता है। इसलिए समाचार की विश्वसनीयता के लिए संवाददाता के पास स्रोत द्वारा कही या बतार्इ गर्इ बात के सबूत जरूर होने चाहिए। जिससे Need पड़ने पर समाचार की सत्यता को िसेद्ध Reseller जा सके।
समाचार Singleत्र करने में विशेषतया खोजी पत्रकारिता के दौरान सरकार/शासन से टकराव की स्थिति बनी रहती है। कोर्इ भी राजनेता अपने जिन कायोर्ं को सही समझता है Single पत्रकार जब उसकी असलियत जनता के समक्ष रख देता है और जनता राजनेता की नीतियों व कायोर्ं की आलोचना करने लगती है और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देती है। तो पत्रकार के लिए ऐसे राजनेता से सीधे टकराव की स्थिति आ जाती है। पत्रकार को ऐसी स्थिति में विवेक से काम करना चाहिए और खबर की सत्यता पर दृढ़ रहकर स्थिति का मुकाबला करना चाहिए।
प्राय: पत्रकार के लिए अपने सूचना स्रोत को बचाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं। कर्इ बार न्यायपालिका और कार्यपालिका ऐसे स्रोत का खुलासा चाहते हैं। लेकिन अपने स्रोतों की Safty पत्रकारिता के मूल्य में शमिल है इसलिए पत्रकार को स्त्रोत की Safty का खास ध्यान रखना चाहिए।