समकालीनता का Means And परिभाषा
समकालीनता का Means And परिभाषा
अनुक्रम
समकालीनता का Means :- हिन्दी में ‘समकालीनता’ Word आंग्ल भाषा के विशेषणपरक Contemporaneous अथवा Contemporaneity Wordों के Reseller में प्रचलित है। जिसका Means है- ‘Single ही समय में घटने वाला’ या ‘समान काल में विद्यमान’ (Existing or occurring at the same time)|
समकालीनता का सीधा Means है- ‘अपने समय के प्रति ईमानदार होना।’ डॉ. रविन्द्र भ्रमर ने ‘समकालीन’ Word के तीन Means दिए हैं-
- काल-विशेष से सम्बद्ध,
- व्यक्ति-विशेष के काल-यापन से सम्बद्ध,
- साहित्य, समाज अथवा प्रवृित्त विशेष से संश्लिष्ट काल-खण्ड।
डॉ. विश्वम्भर नाथ के According, ‘‘ ‘समकाल’ Word यह बताता है कि काल के इस प्राचीन खण्ड या प्रवाह में मनुष्य की स्थिति क्या है। इसे उलटकर कहें तो कहेंगे कि मनुष्य की वास्तविक स्थिति देखकर या उसे अंकित-चित्रित करके ही हम समकालीनता की अवधारणा को समझ सकते हैं। शर्त यही है कि लेखक आज के मनुष्य (देशकाल-स्थिति) के अंकन में वस्तुगत रहे, यानि उसके चित्रण की विधि कोई भी हो लेकिन उससे जो Human बिम्ब उभरता हो, वह वास्तविक जीवन के निकट हो।’’
समकालीनता की परिभाषाएँ
समकालीनता के बारे में हमारे महत्त्वपूर्ण कवियों, आलोचकों की क्या राय है? वे किस Reseller में समकालीनता को देखते हैं? इस पर भी विचार करना आवश्यक है। समकालीनता की परिभाषाएँ हैं-
धूमिल ने लिखा है कि,’’Reseller, रंग और Means के स्तर पर आजाद रहने की, सामने बैठे आदमी की गिरफ्त में न आने की तड़प, Single आवश्यक और समझदार इच्छा, जो आदमी को आदमी से जोड़ती है, मगर आदमी को आदमी की जेब या जूते में नहीं डालती। स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा और उसके लिए पहल तथा उस पहल के समर्थन में लिखा गया साहित्य ही समकालीन साहित्य है।’’
वरिष्ठ रघुवीर सहाय का भी समकालीनता के संबंध में दो टूक नजरिया है। वे कहते हैं- ‘‘समकालीनता Human-भविष्य के प्रति पक्षधरता का दूसरा नाम है। कविता में समकालीनता की पहचान वही नहीं हो सकती जो उदाहरण के लिए राजनीति में हो सकती है। सही पहचान के लिए हमें कवि की भाषा और उसके भावबोध के परस्पर संबंध को जानना चाहिए।’’
रघुवीर सहाय ने ‘समकालीनता’ को बहुत व्यापक Reseller से परिभाषित Reseller है- ‘‘मेरी दृष्टि में समकालीनता Human भविष्य के प्रति पक्ष-धरता का दूसरा नाम है। पुन: मनुष्य की प्रतिभा और सामथ्र्य की अनंत संभावनाओं के द्वार अपने अनुभव के लिए खुला रखकर सप्रयत्न उसके वर्तमान को बदलने में जो संलग्न होता है वही समकालीनता का धर्म निर्वाह करता है।’’
डॉ. प्रेमशंकर का कहना है कि, ‘‘जो कुछ लिखा जा रहा है वह सब समकालीन नहीं है। समकालीनता Single जीवन-दृष्टि है, जहाँ कविता अपने समय का आकलन करती है- तर्क और संवेदना की सम्मिलित भूमि पर। यह Single प्रकार से मुठभेड़ है, सर्जनात्मक धरातल पर जहाँ वस्तुओं के नाम, Means बदल रहे हैं। जीवन को Single नया विन्यास मिलता है कविता में।’’
विजेन्द्र के Wordों में, ‘‘समकालीनता का Means भौतिक Reseller से जो घटित हो रहा है मात्र उतना नहीं है बल्कि जो कुछ क्षतिग्रस्त है उनकी पुनर्Creation की सृजनशील चेष्टाएँ और जीवन को समुन्नत तथा सुंदर And मनोहारी बनाने की परिकल्पना ही उसी समकालीनता का Single महत्त्वपूर्ण पक्ष है।’’
डॉ. ए. अरविन्दाक्षन का कथन विशेष Historyनीय है,’’ समकालीन कविता वस्तुत: कविता की सहज परिणति है। वह आन्दोलन के तहत या सिद्धान्तों के अनReseller विकसित होने वाली कविता नहीं है।’’
डॉ. नामवर ने समकालीनता की कोई निश्चित परिभाषा नहीं दी है। चूँकि समकालीनता का दर्शन गतिशील दर्शन है इसलिए नामवर जी ने समकालीनता बोध को सूत्रीकरण और सैद्धान्तिकता से दूर ही रखा। ऐसा करने पर समकालीनता की अवधारणा के जड़ होने का खतरा था। हाँ, उन्होंने बदलते समकालीन परिदृश्य को निरंतर उद्घाटित Reseller, समकालीनता के विविध स्वResellerों की पहचान की। लेखन से लेकर भाषण, भाषण से लेकर संपादन में। यही Single सवाल उठता है कि क्या आज जो कुछ लिखा जा रहा है वह सब समकालीन है?
अत: इन परिभाषाओं में देखा गया है कि उनमें Human-जाति की मुक्ति-कामना, उसके लिए संघर्ष और उसे बेहतर बनाने की तीव्र आकांक्षा अभिव्यक्त हुई है। उपर्युक्त कवियों में से किसी ने स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा और उसके लिए पहल, किसी ने जीवन दृष्टि, किसी ने जीवन को सुन्दर And समुन्नत बनाने की परिकल्पना, किसी ने Human भविष्य के प्रति पक्षधरता, किसी ने सहजता, किसी ने जीवन में जो सबसे नया है उसे समकालीनता कहा है।
मेरी दृष्टि में, ‘‘समकालीनता वह है जो अपने समय के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, दार्र्शनिक, नैतिक समस्याओं और सरोकारों का यथार्थ दर्पण है। जो हमें हमारे युग का सम्पूर्ण दर्शन कराती है और साथ ही हमें हमारे समाज के प्रति जागरूक बनाती है।’’
समकालीनता और समसामयिकता
कई बार ‘समकालीनता’ Word के स्थान पर ‘समसामयिकता’ Word का प्रयोग दिखाई देता है। वास्तव में ये दोनों Word पर्यायवाची हैं। आंग्ल भाषा में इन दोनों Wordों के लिए Single ही Word Contemporary प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त ‘समय’ और ‘काल’ दो समानाथ्र्ाी Word हैं। इसलिए स्पष्टत: ‘समकालीनता’ और ‘समसामयिकता’ से समान Means का ही बोध होता है। इन्हें भिन्नार्थक Word नहीं समझा जाना चाहिए।
डॉ. रमेश कुंतल मेघ अपनी राय यह देते हैं कि, ‘‘समकालीनता और समसामयिकता समयगत चेतना या बोध है, जबकि आधुनिकता का समय-संदर्भ होने के साथ-साथ प्रवृित्तगत Means भी है।’’
समकालीनता And आधुनिकता
समकालीनता की Discussion करते समय यह स्पष्ट Reseller जा चुका है कि समकालीनता से आधुनिकता का प्रक्रियात्मक रिश्ता है। आधुनिकता से समकालीनता संस्कार ग्रहण करती है। इसलिए समकालीनता को आँकने के लिए आधुनिकता Word महत्त्वपूर्ण है। ‘समकालीनता’ ‘आधुनिकता’ की पीठ पर स्थित कालखण्ड है जो आधुनिकता के साथ होकर भी आधुनिकता से अलग, अपनी पहचान रखता है।
डॉ. आदित्य प्रचण्डिया ने आधुनिकता के तीन आधार बिन्दु माने हैं-
- देशकाल के साथ जीवन्त And सचेतन सम्बन्ध,
- विवेक से परिपूर्ण वैज्ञानिक जीवन-दृष्टि,
- प्रगतिशील परम्परा का प्रदर्शन।
‘आधुनिकता का प्रश्न साहित्य के सन्दर्भ में’ नामक आलोचनात्मक निबन्ध में डॉ. नगेन्द्र ने साहित्य के परिप्रेक्ष्य में ‘आधुनिकता’ स्वReseller निर्धारित करते हुए उसे काल, युग और विचारपरक तीन Meansों में रखा है।
लक्ष्मीकान्त वर्मा ने ‘समकालीनता’ And ‘आधुनिकता’ के स्पष्ट अन्तर को इन Wordों में रेखांकित Reseller है- ‘‘ ‘आधुनिक’ युग-विशेष का गुण है, ‘समसायिकता’ स्थिति विशेष का आयाम है। ‘आधुनिकता’ Single ऐतिहासिक विश्लेषण है, जो देशकाल के बोध के साथ-साथ सक्रियता भी पुष्ट करती है। आधुनिकता काल-बोध, युग-बोध की द्योतक है। विचार में आधुनिक होते हुए भी हम समसामयिक नहीं हो सकते, क्योंकि समसामयिकता का परिवेश इतना विस्तृत नहीं होता।’’
समकालीनता और आधुनिकता के अंत:सम्बन्धों पर समकालीनता और आधुनिकता की परस्पर सम्बन्ध स्थितियाँ हैं, परन्तु वे Single ही नहीं हैं। काल के केन्द्र से जुड़ी होने पर भी उन दोनों की अलग-अलग अस्मिता है, अलग पहचान है।
स्पेंगलर ने लिखा है कि, ‘‘जो घटनाएं चारों ओर घटित होती हैं, उनका प्रतिबिम्ब नया प्रतिफलन समकालीनता है परन्तु उसका विरोध करना आधुनिकता है।’’