संयुक्त राष्ट्र महासभा क्या है?
है। जैसा कि ई0पी0चेज ने लिखा है : “महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का केन्द्रबिन्दु है। यह न तो अपना स्थान त्याग सकती है और
न अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के लिए किसी दुसरे अंग को भागीदार बना सकती है। (“The General Assembly is the centre of the
United Nations. It can neither abdicate nor share its position” – E.P. Chase)। वह महासभा को संयुक्त राष्ट्रसंघ की संसद
कहता है। अन्य विचारकों ने भी इसकी तुलना किसी देश के विधानमण्डल अथवा संसद से की है। अन्तर केवल इतना है कि इसके
निर्णय बाध्यकारी नहीं होते। सिनेटर बेन्डेनबर्ग ने इसे ‘संसार की नगर सभा’ (The town meeting of the World) कहा है। कारण
यह कि महासभा ऐसा स्थल है जहाँ विश्व के विभिन्न राज्य विश्व-शांति और सुव्यवस्था से सम्बद्ध प्रश्न पर विचार-विमर्श करते
हैं। यह Single ऐसा मंच है जहाँ विश्व के राजनयिकों को Singleत्रित होने, विचार-विमर्श करने तथा अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुव्यवस्था
कायम रखने के लिए सुझाव देने का अवसर प्राप्त होता है। गुड्सपीड ने ठीक ही लिखा है : “इसके समक्ष प्रस्तुत होने वाली समस्याओं
का Reseller चाहे जो भी हो, महासभा Single वह स्थान है जहाँ छोटे-बड़े All सदस्य अपनी आलोचना तथा विचार व्यक्त कर सकते
हैं तथा किसी विषय पर वाद-विवाद कर सकते हैं।” इसलिए महासभा को ‘कान का खुला अन्त:करण’ कहा गया है।
महासभा का संगठन
महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रतिनिध्यात्मक अंग है। संघ के All सदस्य-राज्य इसके सदस्य होते हैं। इस प्रकार यह संयुक्त
राष्ट्रसंघ का अकेला अंग है जिसमें संघ के All सदस्य-राज्यों का प्रतिनिधित्व प्राप्त है। प्रत्येक सदस्य-राज्य 5 प्रतिनिधि और 5
वैकल्पिक प्रतिनिधि के अलावा सलाहकारों And विशेषज्ञों को Need के According नियुक्त Reseller जाता है। इस सम्बन्ध में चार्टर
में यह व्यवस्था है कि “किसी सदस्य-राज्य का प्रतिनिधि मंडल 5 प्रतिनिधियों तथा उतने ही सलाहकार And विशेषज्ञों को मिलाकर
गठित होगा जितना प्रतिनिधि-मण्डल के लिए आवश्यक हो।” जब संघ के र्चाटर पर सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विचार हो रहा था,
उस समय कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया था कि महासभा में प्रत्येक सदस्य-राज्य को सिर्फ Single-Single प्रतिनिधि भेजने का अधिकार
हो क्योंकि इससे दो फायदे होंगे। Single ओर तो इससे महासभा का आकार असंतुलित होने से बच जायेगा और दूसरी ओर उन
छोटे-छोटे राज्यों को भी भाग मिल जायेगा जो बड़ा प्रतिनिधित्व भेजने में असमर्थ हैं। परन्तु यह सुझाव स्वीकार नहीं Reseller गया।
और, प्रत्येक सदस्य के लिए 5 प्रतिनिधि, तथा Needनुसार सलाहकारों And विशेषज्ञों पर Agreeि हुई।
प्रतिनिधियों की Appointment उनकी सरकार द्वारा होती है। उनकी योग्यताओं तथा आवश्यक शर्तों का निर्धारण उनकी सरकार द्वारा
ही Reseller जाता है। प्रतिनिधिगण अपने राज्य के प्रधान अथवा विदेश मंत्री से प्रमाण-पत्र ग्रहण करते हैं। प्रतिनिधि मण्डल के सदस्यों
की सूची तथा उनका प्रमाण-पत्र महासभा के अधिवेशन प्रारम्भ होने के First ही महासचिव के पास जमा करना पड़ता है। महासभा
की प्रमाण-पत्र समिति प्रतिनिधियों के प्रमाण-पत्रों की जाँच करती है।
महासभा का अधिवेशन
संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में यह विधान है कि महासभा की बैठक वर्ष में कम-से-कम Single बार अवश्य होगी। आमतौर से यह
अधिवेशन सितम्बर के महीने में न्यूयार्क में होता है। अधिवेशन किसी अन्य स्थान पर भी हो सकता है यदि इस तरह की प्रार्थना
अधिवेशन होने के Single सौ बीस दिन दिन First की गई हो तथा उस पर बहुमत सदस्यों की स्वीकृति प्राप्त हो। इसके अधिवेशन
पेरिस में भी हो चुके हैं। प्राय: यह अधिवेशन सितम्बर महीने के तीरे मंगीवार का प्रारम्भ होता है और करीब दो महीने तक चलता
है। अगर, जैसा अब आमतौर पर होता है, लगभग दिसम्बर के Third सप्ताह तक काम समाप्त नहीं होता, तो आगमी बसंत में बैठक
फिर होती है। महासभा के अधिवेशन की अवधि पर चार्टर में किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं है। केल्सन के According “यदि कार्य सूची
के लिए आवश्यक हो तो महासभा अपना वार्षिक अधिवेशन Second वार्षिक अधिवेशन तक चालू रख सकती है।” परन्तु व्यवहार में यह
अधिवेशन लगभग दो महीने तक चलता है।
Need पड़ने पर महासभा के विशेष अधिवेशन भी बुलाये जा सकते हैं। विशेष अधिवेशन Safty परिषद् अथवा संयुक्त राष्ट्र
संघ के सदस्यों के बहुमत या अधिकतर सदस्यों की Agreeि से Single सदस्य की प्रार्थना पर बुलाया जा सकता है। असाधारण
परिस्थितियों में Safty परिषद् अथवा बहुमत सदस्यों के बहुमत या अधिकतर सदस्यों की Agreeि से Single सदस्य की प्रार्थना पर
बुलाया जा सकता है। असाधारण परिस्थितियों में Safty परिषद् अथवा बहुमत सदस्यों के अनुरोध पर 24 घंटे के भीतर महासचिव
के द्वारा सभा का संकटकालीन अधिवेशन भी बुलाया जा सकता है। ऐसे अधिवेशनों में सभा केवल उन्हीं विषयों पर विचार करती
है जिनके लिए अधिवेशन बुलाने की माँग की गई हो। अभी तक कई विशेष अधिवेशन ट्यूनिशिया की स्थिति पर विचार करने के
लिए 21 अगस्त, 1961 में हुआ था। जून 1967 में भी अब, इजराइल पर विचार करने के लिए Single विशेष अधिवेशन हुआ था। महासभा
का Sevenवाँ विशेष अधिवेशन 1 से 16 सितम्बर, 1975 तक न्यूयार्क में हुआ। नामीबिया की समस्या पर विचार करने हेतु 26 अपै्रल
से 3 मई, 1978 तक और निशस्त्रीकरण की समस्या पर विचार करने के लिए सन् 1978, 1982 और 1988 में तीन विशेष अधिवेशन
हुए। अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सैनिक कारवाई से उत्पन्न स्थिति पर विचार करने हेतु 10 जनवरी, 1980 को और फिलिस्तीन
के प्रश्न पर विचार करने के लिए 23 जुलाई, 1980 को महासभा के विशेष अधिवेशन हुए। महाभा के पूर्ण अधिवेशन की बैठक
पदाधिकारियों का चुनाव करने, कार्य-पद्धति सम्बन्ध अन्य मामले तय करने के लिए और लगभग पांच सप्ताह की सामान्य बहस के
लिए होती है।
महासभा के सभापति
अपने कार्यों को सुचारु Reseller से चलाने के लिए महासभा Single अध्यक्ष का चुनाव करती है। उसका चुनाव महासभा के प्रत्येक अधिवेशन
के लिए Reseller जाता है जो अधिवेशन के अन्त तक सभा की कार्रवाई का संचालन करता है। इस प्रकार उसका कार्यकाल उस
अधिवेशन तक ही सीमित रहता है जिसमें उसका निर्वाचन होता है। राष्ट्रसंघ की सभा की भांति महासभा का अध्यक्ष भी छोटे राष्ट्रों
में से चुना जाता है। यह परम्परा स्थापित हो चुकी है कि महासभा का अध्यक्ष किसी बड़ी शक्ति का प्रतिनिधि नहीं होगा। परन्तु
इससे पद की गरिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। इस पद को कुछ ऐसे लोगों ने सुशोभित Reseller है जो अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र के
ख्याति-प्राप्त व्यक्ति रहे हैं। जैसा कि निकोलास ने लिखा है, “महासभा के First सभापति बेल्जियम के हेनरी एम0 स्पॉक से लेकर
आज तक इस पद पर बैठने वालों ने इसके कार्य-भार को योग्यतापूर्वक संभाला है।” सभा के आठवें अधिवेशन का अध्यक्ष Indian Customer
प्रतिनिधि श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित को निर्वाचित Reseller गया था। अध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होता है। साधारणतया
अधिवेशन प्रारम्भ होने से पूर्व हर सम्भव प्रयास Reseller जाता है कि ऐसे व्यक्ति को ही अध्यक्ष-पद प्रत्याशी बनाया जाये जिस पर
प्रभावशाली बहुमत का समर्थन प्राप्त हो सके।
अध्यक्ष के अतिरिक्त आठ उपाध्यक्षों की भी Appointment की जाती थी। इनमें से पाँच आवश्यक Reseller से पाँच स्थायी सदस्यों के प्रतिनिधि
होते थे। सन् 1953 में उपाध्यक्षों की संख्या अट्ठारह कर दी गयी। इन उपाध्यक्षों का विभाजन इस प्रकार Reseller गया है-(क) Seven
एशियाई-अफ्रीकी राज्यों से, (ख्र) Single पूर्व यूरोप के राज्यों से, (ग) तीन लैटिन अमरीकी राज्यों से, (घ) दो पश्चिमी यूरोप And अन्य
देशों से, (ड़) पाँच Safty परिषद् के स्थायी सदस्यों से। All उपाध्यक्षों का चुनाव भी प्रत्येक अधिवेशन के लिए ही Reseller जाता है।
राष्ट्रसंघ की सभा की तरह महासभा का अध्यक्ष सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदाधिकारी समझा जाता है। वह सभा की खुली बैठकों का
सभापतित्व करता है, वाद-विवादों का निर्देशन करता है। नियमों का पालन करवाता है तथा प्रतिनिधियों को बोलने का अवसर प्रदान
करता है। वह किसी प्रश्न पर मत लेता है और उसके निर्णयों की घोषणा करता है। वह प्रक्रियाओं पर नियंत्रण रखता है, समय-सीमा
का निर्धारण करता है And सभा अथवा बहस के स्थान या समाप्ति की घोषणा करता है। कुछ विचारक उसके अधिकारों की तुलना
कॉमन सभा के अध्यक्ष के साथ करते हैं। परन्तु दोनों पदाधिकारियों की स्थिति में काफी अन्तर है। यह ठीक है कि महासभा के
अध्यक्ष को कॉमन सभा के अध्यक्ष के कुछ अधिकार अवश्य प्राप्त हैं लेकिन उनके आधार पर हम यह नहीं कह सकते कि महासभा
का अध्यक्ष कॉमन सभा के अध्यक्ष की भाँति ही सशक्त है। यह बात महासभा के First अध्यक्ष हैनरी स्पॉक के निम्नलिखित कथन
से स्पष्ट हो जाती है : “सभापति के Reseller में मैं उस दिन का स्वप्न देखता हूँ जब मुझे वे सारे अधिकार प्राप्त होंगे जो कॉमन सभा
के अध्यक्ष को प्राप्त हैं…परन्तु अभी हम उस स्थिति में नहीं पहुँच पाये हैं।” वास्तव में महासभा के अध्यक्ष को वह गरिमा प्राप्त नहीं
है जो कॉमन सभा के अध्यक्ष को प्राप्त है। कॉमन सभा का अध्यक्ष अपने हस्तक्षेप से किसी भी सदस्य को शांत कर सकता है और
यदि वह बोलने के लिए खड़ा हो तो अन्य सदस्यों को बैठ जाना पड़ता है। महासभा के अध्यक्ष के सम्बन्ध में इस तरह की परम्परा
स्थापित नहीं हो पायी है। फिर भी, जैसा कि निकोलास ने लिखा है कि Single योग्य व्यक्ति न केवल सभा के अधिवेशन की कार्रवाइयों
को सुचारु Reseller से चला सकता है, वरन् अपने व्यक्तिगत प्रभाव से वह बहुत कुछ कर सकता है। यह उसकी योग्यता और क्षमता
पर निर्भर करता है।
समितियाँ
महासभा Single बड़ी संस्था है। इसके लिए उन All विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श कर सकना मुश्किल है जो इसके समक्ष
प्रस्तुत किये जाते हैं। अत: राष्ट्रीय विधायिका सभाओं की भाँति महासभा भी अपने कार्यों के सम्पादन के लिए समितियों का प्रयोग
करती है। कार्य-सूची के अधिकांश सादृभूत प्रश्नों पर, जिन पर बहस और निर्णय की Need होती है, First किसी-न-किसी
समिति में कार्य-पद्धति पूर्ण अधिवेशन की अपेक्षा कम औपचारिक होती है। प्रतिनिधि सामने किसी मंच पर खड़े होकर बोलने की
बजाय अपने स्थानों पर बैठे हुए ही बोलते हैं और मतदान में निर्णय सामान्य बहुमत से होता है। समितियों द्वारा स्वीकृत All
सिफारिशों पर बाद में पूर्ण अधिवेशन में विचार होता है जहाँ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की
Need होती है।
महासभा को अपने कार्य-संचालन के लिए Needनुसार समितियों तथा सहायक अंगों का गठन करने का अधिकार है। इस
अधिकार के अन्तर्गत महासभा ने चर प्रकार की समितियों की स्थापना की है। पहली श्रेणी में सभा की मुख्य समितियाँ आती हैं जिनका
कार्य महत्वपूर्ण मामलों पर विचार करना होता है। Second और Third वर्ग में क्रमश: प्रक्रिया-समितियाँ आती हैं। इनके अलावा तदर्थ
समितियाँ होती हैं जिनकी Appointment समय-समय पर कुछ विशिष्ट विषयों पर विचार करने के लिए होती है।
महासभा अपना कार्य छह मुख्य समितियों द्वारा चलाती हैं। ये समितियां हैं-(i) राजनीति And Safty समिति (Political and Security
Committee), (ii) आर्थिक और वित्तीय समिति (Economic and Financial Committee), (iii) सामाजिक, Humanीय और सांस्कृतिक
समिति (Social , Humanitarian and Cultural Committee), (iv) न्यास समिति (Trusteeship Committee), (v) प्रKingीय And
बजट समिति (Administrative and Budgetary Committee) तथा (vi) विधि-समिति। राजनीतिक और Safty समिति राजनीति और
Safty-सम्बन्धी मामलों पर विचार करती है, जैसे संघ के सदस्यों का प्रवेश, निलम्बन और निष्कासन, शस्त्रों का नियमन, विवादों
का शान्तिपूर्ण समाधान आदि। आर्थिक और वित्तीय समिति संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर के क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले आर्थिक और
वित्तीय विषयों पर विचार करती है। यह आर्थिक और वित्तीय सहयोग के प्रश्न पर विचार करती है। सामाजिक, Humanीय और
सांस्कृतिक समिति सामाजिक, Humanीय तथा सांस्कृतिक प्रश्नों पर विचार करती है। न्यास समिति न्यास-व्यवस्था से सम्बद्ध प्रश्नों
पर विचार करती है। प्रKingीय और बजट समिति का गठन प्रKingीय और बजट-सम्बन्धी मामलों पर विचार करने के लिए Reseller
गया है। विधि समिति को वैधानिक प्रश्नों पर विचार करने के लिए निर्मित Reseller गया है।
महासभा के कार्य-संचालन में सहायता देने हेतु दो प्रक्रिया समितियाँ नियुक्त की जाती हैं। ये हैं साधारण समिति और परिचय-पत्र
समिति। साधारण समिति में महासभा का अध्यक्ष, Sevenों उपाध्यक्ष तथा छह मुख्य समितियों के अध्यक्ष रहते हैं। इस समिति का कार्य यह
देखना है कि महासभा के अधिवेशन-काल में उनका कार्य सुचारु Reseller से चल रहा है अथवा नहीं। प्रक्रिया सम्बन्धी दूसरी समिति हैं-प्रमाण
पत्र समिति। प्रत्येक अधिवेशन में अध्यक्ष Single प्रमाण-पत्र समिति नियुक्त करता है जो प्रतिनिधियों के प्रमाण-पत्र की पुष्टि करती है।
महासभा की सहायता के लिए दो स्थायी समितियाँ भी हैं-Single प्रबन्ध और बजट सम्बन्धी प्रश्नों के लिए परामर्शदात्री समिति और
परिचय-पत्र समिति और दूसरी अनुदान समिति। साधारण समिति में महासभा का अध्यक्ष, Sevenों उपाध्यक्ष तथा छह मुख्य समितियों
के अध्यक्ष रहते हैं। इस समिति का कार्य यह देखता है कि महासभा के अधिवेशन-काल में उनका कार्य सुचारु Reseller से चल रहा
है अथवा नहीं। प्रक्रिया सम्बन्ध दूसरी समिति है-प्रमाण-पत्र समिति। प्रत्येक अधिवेशन में अध्यक्ष Single प्रमाण-पत्र समिति नियुक्त
करता है जो प्रतिनिधियों के प्रमाण-पत्र की पुष्टि करती है।
महासभा की सहायता के लिए दो स्थायी समितियाँ भी है-Single प्रबन्ध और बजट सम्बन्धी प्रश्नों के लिए परामर्शदात्री समिति और
दूसरी अनुदान समिति। प्रबन्ध और बजट समिति में 9 और अनुदान समिति में 10 सदस्य होते हैं। इन समितियों के सदस्य महासभा
द्वारा तीन साल के लिए व्यक्तिगत योग्यताओं और भौगोलिक स्थिति के आधार पर चुने जाते हैं। महासभा अपने सहायता के लिये
Needनुसार तदर्थ समितियों का भी गठन करती है। इसकी संख्या Needनुसार घटती-बढ़ती रहती है। महासभ के कुछ
अधिवेशनों में राजनीतिक और Safty-सम्बन्धी समिति का कार्यभार अधिक हो गया था, इसलिए Single तदर्थ राजनीतिक समिति
स्थापित की गयी जो First समिति के काम में हाथ बँटाती है। इस समिति को विशेष राजनीतिक समिति या 7वीं समिति कहते हैं।
All समितियाँ अपना सुझाव या सिफारिशें महासभा के खुले अधिवेशन में भेजती हैं। साधारणत: महासभा समितियों की सिफारिशों
को स्वीकार कर लेती है। परन्तु ऐसा करना अनिवार्य नहीं है। दिसम्बर, 1948 में स्पेनिश भाषा को महासभा ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की
तीसरी कार्य करने वाली भाषा बना दिया। समिति ने इस निश्चय के विरुद्ध सिफारिश की थी परन्तु यह स्वीकार नहीं की गयी।
नवम्बर, 1949 में महासभा ने न्यासिता समिति द्वारा किये गये Single प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस प्रस्ताव में इस समिति ने
अभिKing राष्ट्रों से उनके अधीन क्षेत्रों के सम्बन्ध में स्वतन्त्रता के विकास के लिए विस्तृत योजनाएँ तैयार करने को कहा था।
महासभा ने अपनी सहायता के लिये 4 और स्थायी अंगों की स्थापना की है-ऑडिटर बोर्ड, पूँजी-लागत से सम्बन्ध रखने वाली समिति,
संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी पैन्शन समिति, अन्तर्राष्ट्रीय विधि आयोग।
अन्तरिम समिति अथवा छोटी सभा
नवम्बर, 1949 में महासभा ने Single सर्वथा नवीन And महत्वपूर्ण समिति की स्थापना की जो अन्तरिक समिति अथवा छोटी All के
नाम से विख्यात हुई। अस समिति की स्थापना का अपना अलग History है। द्वितीय महाFight के बाद महाशक्तियों के बीच जो
शीतFight प्रारम्भ हुआ उसका प्रभाव संयुक्त राष्ट्रसंघ पर पड़े बिना नहीं रह सका। शीघ्र ही यह स्पष्ट होने लगा कि महाशक्तियाँ
किसी भी महत्वपूर्ण प्रश्न पर Singleमत नहीं हो सकती। अब यह आशंका की जाने लगी कि निषेधाधिकार के प्रयोग और महाशक्तियों
की आपसी खींचातानी के फलस्वReseller Safty परिषद् आक्रमण को रोकने अथवा शांति के शत्रुओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने में
समर्थ नही हो सकती। अत: उसकी जगह किसी नयी व्यवस्था की Need महसूस की गयी। अन्तरिक समिति की स्थापना इसी
अनुभूति का परिणाम थी। इस समिति की स्थापना 13 नवम्बर, 1947 को महासभा द्वारा की गयी। गुड्सपीड ने लिखा है कि “इस
समिति की स्थापना का प्रमुख कारण संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा ऐसे उपाय की खोज की इच्छा थी जिससे आम सभा सदा
अधिवेशन में बनी रही और Safty परिषद् की असफलता की स्थिति में आवश्यक कार्रवाई कर सके।”
यह समिति सदा अधिवेशन में रहने वाली संस्था थी। इसका यह उत्तरदायित्व था कि महासभा के अधिवेशन न होने के समय वह
शांति और Safty के प्रश्न पर अपना सुझाव प्रस्तुत करेगी। अपने कार्यों के समुचित निर्वहन के लिए इसे जाँच-पड़ताल आयोग नियुक्त
करने, आवश्यक खोज-बीन करने तथा महासचिव को महासभा का विशेष अधिवेशन बुलाने की सिफारिश करने का अधिकार था।
इस प्रकार इसकी स्थिति महासभा की स्थायी समिति के समान थी। यह सभा के अधिवेशनों के अन्तराल में भी कार्य करती थी और
शांति और Safty सम्बन्धी विषयों पर अपनी दृष्टि रखती थी। यह First शांति And Safty से सम्बद्ध समस्याओं को स्वयं सुलझाने
का प्रयास कर सकती थी लेकिन यदि इस कार्य में सफलता नहीं मिली तो वह महासभा की शीघ्र बैठक बुलाने की सिफारिश कर सकती
थी। इस प्रकार इस समिति को प्रभावी Reseller से वे ही अधिकार प्राप्त थे जो चार्टर के द्वारा Safty परिषद् को प्रदान किये गये थे।
महासभा की भाँति इस समिति के All सदस्य-राज्यों को प्रतिनिधित्य प्राप्त था। प्रत्येक सदस्य-राज्य को Single-Single प्रतिनिधि भेजने
का अधिकार था। इस दृष्टि से यह समिति महासभा का लघु संस्करण थी। निर्माण के समय इससे यह आशा की गयी थी कि यह
स्थायी संस्था महासभा के कार्यों और दायित्वों को अधिक गतिशील और प्रभावी बना सकती थी। प्रारम्भ में इसका निर्माण Single वर्ष
के लिए Reseller गया। बाद में इसका कार्यकाल Single वर्ष के लिये बढ़ा दिया गया। सन् 1949 में अपने Fourth अधिवेशन में महासभा
ने इस समिति का कार्यकाल अनिश्चितकाल के लिये बढ़ा दिया। प्ररम्भ में इस समिति ने कुछ समय तक कार्य Reseller। परन्तु बाद
में यह विफल रही क्योंकि रूस के गुट ने इसके कार्यों में सहयोग नहीं दिया। साम्यवादी राज्य इस समिति को चार्टर के सिद्धान्तों
के विरुद्ध बतलाते थे। उनके According इस समिति का ध्येय Safty परिषद की अवहेलना करना था। साम्यवादी राज्यों के प्रतिनिश्चिायों की अनुपस्थिति में यह समिति शांति और Safty की समस्याओं पर वास्तविक Reseller से विचार नहीं कर सकी फलत: यह लघु
सभा व्यावहारिक Reseller में बेकार साबित हुई। जैसा कि पामर और परकिन्स ने लिखा है, “सन् 1948 के बाद छोटी सभा ने कभी-कभी
काम Reseller है। परन्तु सन् 1950-51 के बाद से यह निर्जीव (Dead duck) हो गयी।” आगे चलकर इसका कार्य विभिन्न नियमित And
विशेष समितियों तथा आयोगों द्वारा संभाल लिया गया।
कार्य-सूची
अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की बैठकों में भाग लेने के लिए जब प्रतिनिधिगण Singleत्रित होते हैं तो उनके लिए प्रारम्भ में यह निर्णय करना
आवश्यक हो जाता है कि वे किन-किन विषयों पर विचार करेंगे। ऐसे विषयों के योग को कार्य-सूची कहा जाता है। महासभा के
समक्ष आने वाले विषय से सम्बन्धित कागज, सूचनाएँ और आँकड़े एंष कार्य सचिवालय तैयार करता है। महासभा के अधिवेशन के
लिए कार्य-सूची तैयार करना अपने आप में जटिल And कठिन काम है। इसके लिए Single अंतरिम कार्य-सूची (Provisional agenda)
महासचिव तैयार करता है। इसमें साधारणत: इन क्रम में विषय रखे जाते हैं :-
- संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्यों के सम्बन्ध में महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट,
- सदस्यों द्वारा प्रकाशित विषय,
- आगामी वित्तवर्ष का बजट तथा पिछले वित्तवर्ष की लेखा-रिपोर्ट, And
- महासचिव द्वारा प्रस्तुत विविध आवश्यक विषय।
बैठक प्रारम्भ होने से कम-से-कम साठ दिन पूर्व यह अनतरिक सूची All सदस्यों में वितरित कर दी जाती है। सदस्यों की ओर
से कार्य-सूची में कोई नया विषय जोड़ने की सूचना बैठक के कम-से-कम 25 दिन पूर्व तक दी जा सकती है। बैठक आहूत हो जाने
के बाद भी कार्य-सूची में नये विषयों को जोड़ा जा सकता है यदि बहुमत सदस्य उन पर अपनी Agreeि प्रदान कर देते हैं। महासभा
के परिनियमों के According कार्यसूची में शामिल किये जाने के बाद किसी भी नये विषय पर Seven दिनों तक वाद-विवाद नहीं हो सकता
जब तक दो-तिहाई सदस्य इस तरह का निर्णय नहीं लेते। महासभा की कार्य-सूची का आकार प्रत्येक वर्ष बढ़ता चला जाता है।
सिडनी डी0 बैली के मतानुसार “सदस्य संख्या में वृद्धि तथा नये सदस्यों के विविध हितों के कारा अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं की संख्या
तथा जटिलता में वृद्धि हुई है और महासभा को उन पर विचार-विमर्श करके होता है।
मतदान-प्रणाली And समूह
महासभा की मतदान प्रणाली चार्टर की धारा 18 से विनियमित होती है। इस धारा के According महासभा में प्रत्येक सदस्य-राज्य को
Single ही मत प्राप्त है। इसमें छोटे-छोटे या प्रतिनिधि-मंडल के सदस्यों की संख्या से कोई फर्क नहीं होता। अमरीका हो या क्यूबा,
चीन हो या हाइटी, All को Single ही मत देना है। महासभा की बैठकों मे प्रत्येक वषिय पर मतदान करने का तरीका Single ही नहीं
है। कुछ विषयों पर दो-तिहाई बहुमत की Need होती है। महत्वपूर्ण विषय कौन से हैं, इसका History कर दिया गया है।
ये विषय हैं-विश्वशांति And Safty सम्बन्धी अनुशंसाएं, Saftyपरिषद्, आर्थिक-सामाजिक परिषद् तथा संरक्षण परिषद् के लिए सदस्यों
का निर्वाचन, किसी राज्य को संयुक्त राष्ट्रसंघ का न्यास सदस्य बनाने के लिए मतदान, किसी सदस्य के अधिकारों And सुविधाओं
को निलम्बित करना, न्यास व्यवस्था सम्बन्धी समस्याएं और बजट-सम्बन्धी विषय। अन्य विषयों पर बैठक में उपस्थित बहुमत से
प्रस्ताव पारित होते हैं। परन्तु, महासभा सामान्य बहुमत से किसी विषय को महत्त्वपूर्ण घोषित करके उसे पारित होने के लिए
दो-तिहाई बहुमत आवश्यक कर दे सकती है।
महासभा में मतदान के लिए धारा 18 महत्वपूर्ण और गैर-महत्वपूर्ण विषयों में विभेद करती है। आलोचकों के According इस तरह
काविभेद उचित नहीं है। जैसा कि कैल्सन ने लिखा है, “धारा 18 की Wordावली दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी भी विषय को जिस पर महासभा
में विचार Reseller जा रहा हो, उसे गैर-महत्वपूर्ण कैसे कहा जा सकता है ?”
धारा 19 में यह व्यवस्था है कि उस सदस्य को, जिसने संयुक्त राष्ट्रसंघ को अपना वित्तीय अनुदान अदा Reseller हो, महासभा में मतदान
का अधिकार नहीं रह जाता। किन्तु महासभा किसी ऐसे सदस्य को मत देने की अनुमति प्रदान कर सकती है। जिसकी तरफ से
उसको संतोष हो गया है कि चन्दे का भुगततान करना सदस्य-राष्ट्र के नियंत्रण से बहार है।
महासभा की मतदान-प्रणाली पर विचार करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि वह राष्ट्रसंघ की सभा की मतदान-प्रणाली से अधिक
उदार है। वैन्डेनबोश तथा होयन इसे राष्ट्रसंघ की पद्धति से अधिक सुधरी हुई तथा प्रगतिशील बतलाते हैं। राष्ट्रसंघ की सभा में निर्णय
के लिए सर्वसम्मत आवश्यक था यानी उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यो का Singleमत होना। इसका Means यह था कि सभा कोई
ाी सदस्य अपने निषेधाधिकार के बल पर उसके निर्णय को रोक सकता था। संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा में निर्णय लेने के लिए सर्वसम्मत
प्रणाली उठा दी गयी है। उसकी जगह कुछ विषय पर दो-तिहाई तथा कुछ पर सामान्य बहुमत से निर्णय लेने की व्यवस्था है।
जिस प्रकार राष्ट्र के अन्दर अधिक व्यापक लक्ष्यों के लिए इकट्ठे होकर काम करने के लिए जब व्यक्तियों ने छोटे-छोटे मतभेद
भुला दिये तो उससे राजनीतिक दलों का जन्म हुआ, उसी प्रकार राष्ट्र भी अपने सामान्य जितों की प्रापित के लिए इकट्ठा होकर
अलग-अलग गु्रप अथवा समूह बना लेते हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा में इस तरह के समूहों के अस्तित्व देखने को मिलता है।
महासभा की बैठक के पूर्व जब All प्रतिनििध्सा-मण्डल संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में पहुँच जाते हैं, तो विभिन्न प्रकार की
कूटनीतिक वार्तायें विभिन्न प्रतिनिधि मंडलों में शुरु हो जाती वार्तायें विभिन्न गुटों में तथा गोपनीय ढंग से होती है। इन वार्ताओं में
ही महासभा की बैठक में विभिन्न प्रश्नों पर मतदान किस प्रकार करना होगा, यह बहुत कुछ निण्र्ाीत होता है। इन वार्ताओं में ही
महासभा की बैठक में विभिन्न प्रश्नों पर मतदान किस प्रकार होगा, यह बहुत कुछ निर्णात होता है। विभिन्न स्थानों तथा पदों के लिए
किन सदस्य-राज्यों के प्रत्याशी निर्वाचित होंगे, यह भी अधिकतर इन्हीं वार्ताओं और सम्पर्कों में तय Reseller जाता है। महासभा के प्रस्तावों
में राज्यों की चार श्रेणियों का History होता रहता है। (क) लेटिन अमरीकी राज्य, (ख) अफ्रीकी And एशियाई राज्य, (ग) पूर्वी यूरोपीय राज्य,
तथा (घ) पश्चिमी यूरोपीय And Second राज्य। राज्यों की इन श्रेणियों के अलग-अलग अथवा Single Second से मिलकर समय-समच पर विभिन्न
सदस्यों की दृष्टि से विभिन्न समूह ;ळतवनचेद्ध पनपते रहते हैं। चुनाव तथा बहालियों के विषय में इन राज्य-समूहों ने बहुधा साथ-साथ मतदान
Reseller है। उदाहरणार्थ लैटिन अमरीकी गुट तथा एशियाई अफ्रीकी गुट ऐसा करते पाए गये हैं। आलोचकों के According इन संयोगों तथा समूहों
की गतिनिधियों के फलस्वReseller महासभा द्वारा किसी निष्पक्ष निर्णय पर पहुंचने की संभावना घट जाती है। यह आरोप यद्यपि Single हद तक
सही है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि महासभा कोई दार्शनिकों या वैज्ञानिकों का निकाय नहीं है और न न्याय की खेज करने वाला
कोई न्यायिक संस्थान ही है। यह तो Single राजनीतिक निकाय है जो विभिन्न समस्याओं का सम्भावित हल खोजने का प्रयास करता है और
यह देखता है कि किसी प्रकार समस्या के समाधान में सदस्यों का बहुमत प्राप्त Reseller जाये।
महासभा के अधिकार और कार्य
महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का Single प्रमुख And प्रभावशाली अंग है। संघ के चार्टर में संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों में इसको First
स्थान प्रदान Reseller गया है। इसके अधिकार तथा कार्य काफी व्यापक तथा विस्तृत है। चार्टर की धारा 10 से 17 तक इसके अधिकारों
तथा कार्यों का History है। धारा 10 उसके सामान्य अधिकारों से सम्बद्ध है। इसके According महासभा को चार्टर के अन्तर्गत आने
वाले सबअ विषयों पर विचार-विमर्श करने का अधिकार है। चार्टर में दिये गये अन्य अंगों से सम्बन्धित विषयों पर भी यह सभा
वाद-विवाद कर सकती है। विश्व-शान्ति और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के तत्कालिक प्रयोग And परम्परा
बनाने के हेतु हर सम्भव प्रयत्न करना इसका प्रयत्न करना इसका सर्वाधिक महत्वपूर्ण And First दायित्व है। इसके अनतर्गत
शस्त्रास्त्रों पर नियंत्रण And निरस्त्रीकरण की समस्याएं विशेष Reseller से सम्बद्ध है। परन्तु सभा के कार्यों की प्रकृति मुख्य Reseller से
निरीक्षणात्मक And अन्वेषणात्मक है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के अन्य अंग अपना प्रतिवेदन महासभा के पास ही प्रस्तुत करते हैं। आर्थिक
और सामाजिक परिषद् महासभा की देख-रेख से ही अपने कार्यों का सम्पादन करती है। महासभा का निर्वाचन, बजट तथा प्रशासन
सम्बन्धी अधिकार भी प्राप्त है। इस प्रकार उसके अधिकारों और कार्यों की लम्बी सूची है। वस्तुत: संयुक्त राष्ट्रसंघ की सफलता उनके
सफल कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। जैसा गुडस्पीड ने लिखा है, “महासभा के विभिन्न कार्य संयुक्त राष्ट्रसंघ की सफलता के
आधार हैं।” (All of its functions are fundamental to the working of the United nations Organisation.)। सुविधा के लिए
महासभा के कार्यों तथा अधिकारों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित Reseller जा सकता है :-
- विचारात्मक कार्य (Deliberative Functions),
- निरीक्षणात्मक कार्य (Supervisory Functions),
- वित्तीय कार्य (Financial functions),
- संगठनात्मक कार्य (Organisational Functions),
- संशोधन सम्बन्धी कार्य (Constitutional Function),
- विविध कार्य (Miscellaneous Functions)।
विचारात्मक कार्य –
संयुक्त राष्ट्रसंघ के निर्माताओं का उद्देश्य महासभा के Reseller में Single ऐसी संस्था
का निर्माण करना था जहाँ विश्व-शांति से सम्बद्ध किसी भी विषय पर विचार Reseller जा सके। जैसा कि केल्सन ने लिखा है, “उनकी
मंशा महासभा को विश्व की नगर सभा’ या ‘Human का उन्मुक्त अन्त:करण’ बनाने की थी Meansात् वे उसे आलोचना And विचार-विमर्श
करने वाला अंग बनाना चाहते थंे।” इसलिए चार्टर के अन्तर्गत उसे विश्व-शांति से सम्बद्ध किसी भी विषय पर विचार-विमर्श करने
के विस्तृत अधिकार प्राप्त हैं। अनुच्छेद 10 में कहा गया है कि “महासभा घोषणा-पत्र के अधिकार क्षेत्र में अपने वाले तथा उसके
द्वारा स्थापित विभिन्न निकायों के अधिकारों And कृत्यों से सम्बद्ध All प्रश्नों पर विचार कर सकती है तथा उसके सम्बद्ध में अपनी
सिफारिश पेश कर सकती है।” इस प्रकार अनुच्छेद 10 महसभा को किसी विषय पर विचार-विमर्श करने का सामांन्य अधिकार प्रदान
करता है। इसक द्वारा उसे चार्टर के अन्तर्गत आने वाले All विषयों तथा संघ के अन्य अंगों से सम्बन्धित विषयों पर वाद-विवाद
का अधिकार प्राप्त हो जाता है। वस्तुत: इस अनुच्छेद की भाषा इतनी लचीली है कि उसकी आड़ में महासभा किसी भी प्रश्न पर
वाद-विवाद कर सकती है। इस अनुच्छेद की व्यापकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ0 इवाट ने सेनफ्रांसिस्को सम्मेलन में कहा थ, “इस
अनुच्छेद के अन्तर्गत चार्टर के All पहलू तथा उसमें अन्तर्निहित सब कुछ आ जाते हैं, जैसे चार्टर की प्रस्तावना, उसमें निहित संघ
के महान उद्देश्य तथा सिद्धान्त And संघ के विभिन्न अंगों के कार्य शामिल हैं।” कैल्सन के According “संभवत: कोई भी अन्तर्राष्ट्रीय विषय
ऐसा नहीं है जिस पर यह सभा विचार या सिफारिश नहीं कर सकती हो।
शांति और सुव्यवस्था के मामले में आम सभा को व्यापक विचारात्मक अधिकार प्राप्त हैं। यद्यपि इस क्षेत्र में प्राथमिक जिम्मेदारी Safty
परिषद् को प्रदान की गयी है लेकिन महासभा को यह अधिकार है कि वह शांति और Safty बनाये रखने के लिए सहयोग के सामान्य
सिद्धान्त पर विचार कर सकती है तथा निर्णय लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्यों अथवा Safty परिषद् के सदस्यों अथवा दोनों
के पास ही िसाफारिश कर सकती है। अनुच्छेद 11 में महासभा के इस अधिकार की Discussion की गयी है। इस अनुच्छेद के According
महासभा विश्वशांति और Safty को स्थापित करने के सिद्धान्तों पर विचार कर सकती है। यह निरस्त्रीकरण और शस्त्रों के नियंत्रण
पर भी विचार कर सकती है। इन सिद्धान्तों के विषय में यह संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्यों या Safty परिषद् या दोनों से सिफारिश
कर सकती है। यहां पर यह भी कहा गया है कि विश्वशांति और Safty सम्बन्धी कोई भी प्रश्न संयुक्त राष्ट्रसंघ कके किसी सदस्य
Safty परिषद् या अन्य किसी राज्य के द्वारा, जो संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य नहीं है, महासभा के समक्ष विचारार्थ रखा जा सकता
है। ऐसे प्रश्न के सम्बन्ध में महासभ वाद-विवाद के First अथवा बाद में Safty परिषद् के समक्ष भेज सकती है। वह Safty परिषद्
का ध्यान ऐसी परिस्थितियों की ओर भी आकर्षित कर सकती है जिनसे अन्तर्राष्ट्रीय Safty और शांति को खतरे की सम्भावना हो।
स्पष्ट है कि विश्व-शान्ति And सुव्यवस्था बनाये रखने से सम्बन्धित कोई भी सम्बन्धित कोई भी समस्या महासभा के समक्ष पेश की
जा सकती है, केवल दो अपवादों को छोड़कर ‘ (1) समस्या Safty-परिषद् के विचाराधीन हो तथा (2) समस्या का सम्बन्ध किसी
देश के घरेलू मामलें से नहीं हो। अनुच्छेद 2(1) में स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई परिस्थिति या झगड़ा Safty परिषद् के विचाराधीन
है तो महासभा उस झगड़े और परिस्थिति के सम्बन्ध में तब तक सिफारिश नही करेगी जब तक Safty परिषद् उससे ऐसा करने
के लिए न कहें। Safty परिषद् के विचाराधीन मामलों के सम्बन्ध में यह व्यवस्ािा की गयी है कि महासचिव महासभा को ऐसे मामलों
की सूचना दे दिया करेगा। वैसा होने पर महासभा में उस पर तब तक विचार नहीं Reseller जायेगा जब तक कि Safty परिषद् की
कार्य-सूची से वह हटा नहीं दिया गया हो अथवा परिषद् स्वयं ही महासभा से उस पर विचार करने का अनुरोध नहीं करे। इस
प्रकार अनुच्छेद 12 महासभा की शक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाता है। दूसरा प्रतिबन्ध यह है कि महासभा उस समस्य पर विचार नहीं
कर सकती जिसका सम्बन्ध किसी देश के ‘घरेलू मामले’ से हो। ‘घरेलू मामला’ Single ऐसी आड़ है जिसमें दुनिया की अनेक सारी
समस्याएँ खींच ली जाती हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ में व्यवस्था का प्रश्न बनाया जा सकता था।
इस संदर्भ में यह Historyनीय है कि चार्टर के अन्तर्गत महासभा को निरोधात्मक या दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार नहीं प्राप्त
है। उसका काम है, विचार-विमर्श करना और उससे सम्बन्धित सिफारिश करना। अधिक-से-अधिक वह किसी समस्या की ओर
Safty परिषद् का ध्यान आकृष्ट कर सकती है, यदि उससे शांति भंग हुई हो अथवा होने का भय हो परन्तु यहाँ आकर उसका काम
समाप्त हो जाता है।
महासभा ने सन् 1950 में Single प्रस्ताव द्वारा अपने अधिकारों को बढ़ाने की चेष्टा की। यह प्रस्ताव ‘शांति के लिए Singleता’ (Unity for
Peace) के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रस्ताव के According शांति को खतरा, शांति-भंग अथवा आक्रमण की विभीषिका के सम्बन्ध में स्थायी
सदस्यों के Singleमत न होने के कारण यदि Safty परिषद् कार्य-संचालन में असफल रहे तो महासभा तूरन्त ही उस पर विवाद करा
सकती है और सामूहिक कदम उठाने के लिए उचित सिफारिशें कर सकती है ताकि अन्तर्रश्ट्रीय शांति और Safty कायम रहे।” प्रस्ताव
के According यदि महासभा का अधिवेशन न हो रहा हो तो Safty परिषद् के किन्हीं 9 सदस्यों के साधारण बहुमत से अथवा संघ के
सदस्यों के बहुमत से 24 घंटे के अन्दर महासभा का संकटकालीन अधिवेशन बुलाया जा सकता है। इस तरह के अधिवेशन सन् 1967
में पश्चिमी एशियाई संकट तथा सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान Fight के समय में हुए थे। अफगानिस्तान में सोवियत सैनिक कार्रवई
से उत्पन्न परिस्थिति पर विचार करने के लिए 1980 में तथा फिलिस्तीन के प्रश्न पर विचार करने के लिए जुलाई 1980 में महासभा
के विशेष अधिवेशन हुए हैं।
इस प्रकार ‘शांति के लिए Singleता प्रस्ताव’ से महासभा की स्थिति अधिक महत्वपूर्ण हो गयी। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि यदि
Safty परिषद् में निषेधाधिकार के कारण गतिरोध पैदा हो जाता है तो इस रिक्तता को महासभा अवश्य पूरी करे। इसका तात्पर्य
यह हुआ कि यदि महासभा जैसा आवश्यक समझे तो सैनिक अथवा सशस्त्र कार्रवाई करने के लिए भी सिफारिश कर सकती है।
स्पष्ट है कि इस प्रस्ताव से संघ के स्वReseller में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। हॉफमैन के According “यह प्रस्ताव चार्टर में क्रांतिकारी
तथ्यत: परिवर्तन का सूचक है और सामूहिक कार्रवाई के रास्ते को फिर से खोलने का प्रयास करता है।” व्यवहार में भी ऐसा देखा
गया है कि शांति और Safty के क्षेत्र में विचार-विमर्श और अनुशंसा करने वाली संस्था के Reseller में महासभा को जो अधिकार प्रदान
किये गये हैं, उसने उनका व्यापक प्रयोग Reseller है। जैसा कि गुडसपीड ने लिखा है, “अन्तर्राज्य सम्बन्धों के आचरण को निर्देशित
करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के सिद्धान्तों की सिफारिश करने में महासभा ने अपनी शक्ति का व्यापक प्रयोग Reseller है।” (“There
is hardly any international matter which the General Assembly is not competent to discuss and on which it is not
competent to make recommendations.”)। इसने Single ऐसे मंच का काम Reseller है जहाँ पर अन्तर्राष्ट्रीय शांति और Safty को खतरा
उत्पन्न करने वाले विवादों पर विचार Reseller गया है और उनके समाधान की सिफारिशें की गयी हैं। अभी तक सभा ने जिन महत्वपूर्ण
प्रश्नों पर विचार Reseller है उनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं :- फिलिस्तीन, ग्रीस, कोरिया, हंगरी, अल्जीरिया, स्वेज नहर तथा साईप्रस
के मामले, भारत-पाकिस्तान का प्रश्न, क्यूबा, कांगों, बर्लिन आदि के प्रश्न। सन् 1987 में अरब-इजरायल संघर्ष तथा सन् 1971 में
भारत-पाकिस्तान Fight से उत्पन्न परिस्थिति पर भी महासभा में विचार-विमर्श Reseller गया था। सारांश यह है कि शांति और
सुव्यवस्था से सम्बद्ध लगभग All मामलों पर महासभा ने विचार Reseller है। वेन्डेनबोश तथा होगन ने ठीक ही लिखा है, “महासभा
के अधिवेशनों की कार्य-सूची में described विषयों की सूची उन All कठिनाईयों और संघर्षों की परिगणना है जो द्वितीय
महाFight के बाद विश्व में उत्पन्न हुए हैं।
यहाँ इस बात का History कर देना आवश्यक है कि विश्व संसद नहीं होने के कारण महासभा के निर्णय तथा प्रस्ताव आदेशात्मक
नहीं होते। फिर भी इसके निर्णय कभी-कभी सदस्य-राज्यों पर काफी प्रभावकारी रहे हैं। सन् 1956 में स्वेज नही संकट के समय
महासभा की भूमिका से यह बात स्पष्ट हो जायेगी। 7 नवम्बर, 1956 को संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा ने एशियाई-अफ्रीकी देशों
द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव पारित Reseller कि ब्रिटिश, फ्रांसीसी और इजरायली सेनाएँ मिò से हटा ली जायें और स्वेज नहर-क्षेत्र में
अन्तर्राष्ट्रीय पुलिस की व्यवस्था की जाए। जब आक्रमणकारियों ने अपनी सेनाएं हटाने में देर की तो महासभा ने 24 नवम्बर को Single
दूसरा प्रस्ताव पास कर आक्रमणकारियों को यह आदेश दिया कि वे यथाशीघ्र अपनी सेनायें वापस बुला लें। ब्रिटेन और फ्रांस ने
शीघ्र ही सभा के आदेश का पालन Reseller पर इजरायल हटने का नाम नहीं लेता था। इस पर सभा ने Single और प्रस्ताव पास कर
सदस्य-राज्यों को आदेश दिया कि वे इजरायल को किसी प्रकार की आर्थिक और सैथ्नक सहायता न दें। इस पर इजरायल को
भी हटना पड़ा। इसी प्रकार कोरिया Fight के समय में महासभा के प्रस्तावों ने अमेरिका की कोरिया-सम्बन्धी नीति पर अवरोधक प्रभाव
डाला था। फिर भी यह स्वीकार करना पड़ेगा कि महासभा के निर्णयों को कोई कानूनी बाध्यता नहीं प्राप्त है। इसीलिए इसकी
सिफारिशों की अनेक अवसरों पर अवहेलना भी की गयी है। इस दृष्टिकोण से महासभा और Safty परिषद की स्थिति में पर्याप्त
अन्तर है। यदि Safty परिषद कोई निर्णय ले ले तो सदस्य-राज्यों पर उसका बन्धनकारी प्रभाव होगा। परन्तु इसका कदापि यह
Means नहीं है कि महासभा के सुझाव व्यर्थ हैं। महासभा को दुनिया की ‘नगर सभा’ कहा गया है फलत: इसके निर्णय विश्व जनमत
की अभिव्यक्ति माने जाते हैं। आदेशात्मक नहीं होते हुए भी उनका भारी नैतिक प्रभाव होता है। प्लानो तथा रिन्स के मतानुसार
“कभी-कभी ‘Manifestoes against sin’ कहे जाने वाले प्रसतावों के माध्यम से महासभा ऐसी भूमिका अदा करती है जिसे उसके
समर्थक चार्टर के सिद्धान्तों और Human-समाज की चेतना की Safty के Reseller में स्वीकार करते हैं और विरोधी केवल सनक के Reseller
में ठुकरा देते हैं।”
निरीक्षणात्मक कार्य –
महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ की केन्द्रीय संस्था है, अत: चार्टर के द्वारा इसके कुछ
निरीक्षणात्मक कार्य प्रदान किये गये हैं। इस कार्य के अन्तर्गत सहासभा को Safty परिषद् तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ के अन्य विभागों
से रिपोर्ट प्राप्त करने And उस पर विचार कर अपना मत प्रकट करने का अधिकार प्राप्त है। चार्टर के 15वें अनुच्छेद में महासभा को
संघ के Second अंगों से प्रतिवेदन प्राप्त करेगी और उस पर विचार करने के लिए अधिकृत करता है। विद्वानों से महासभा के इस कार्य
को काफी महत्व प्रदान Reseller है। उदाहरण के लिए गुड्सपीड ने लिखा है, “संयुक्त राष्ट्रसंघ के सफल कार्यान्वयन के लिए यह
आवश्यक है कि उसके विभिन्न विभागों के कार्य-करण से संघ के All सदस्यों को अवगत रखा जाये और उन्हे उस पर विचार
करने का अवसर प्रदान Reseller जाये। यह कार्य केवल महासभा में ही सम्भव हो सकता है क्योंकि संघ के इसी अंग में All
सदस्य-राष्ट्रों को प्रतिनिधित्व प्राप्त होता।” इसी उद्देश्य हेतु यह व्यवस्था की गयी है कि संघ के All अंग अपना-अपना प्रतिवेदन
महासभा के समक्ष प्रस्तुत करे।
महासभा के समक्ष आने वाले प्रतिवेदनों में महत्व की दृष्टि से महासचिव का वार्षिक प्रतिवेदन Historyनीय है। इसने सम्पूर्ण संघ की
कार्रवाइयों And समान्य हित के विषयों का description रहता है। इसके अलावा अनुच्छेद 15 और 24 के अन्तर्गत Safty परिषद् को महासभा
के समझा अपना वार्षिक प्रतिवेदन पेश करना होता है। इसमें Safty परिषद् की साल भर तो कार्रवाई का description होता है। चार्टर
में इस बात को स्पष्ट करने का प्रयास नहीं Reseller गया है कि Safty परिषद् कब अपना प्रतिवेदन पेश करेगी। ऐसा लगता है कि
चार्टर के निर्माताओं ने इस सम्बन्ध में Safty परिषद् को काफी स्वतंत्रता देनी चाही थी। संघ के Secondं अगों के भी महासभा का प्रतिवेदन
प्राप्त करने का अधिकार है। इन प्रतिवेदनों पर महासभा में खुलकर वाद-विवाद तथा आलोचना अथवा अभिस्तवन Reseller जाता है।
महासभा Safty परिषद् या सम्बद्ध सदस्य-देशों को अपने विचार And अनुशंसा से अवगत करा सकती है।
चार्टर के अनुच्छेद 13 के According राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सोंस्कृतिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय
सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए महासभा प्रारम्भिक अध्ययन द्वारा जांच-पड़ताल की व्यवस्था कर सकती है तथा इस विषय में
अपनी सिफारिशें भी प्रस्तुत कर सकती है। अनुच्छेद 57 के अन्तर्गत अन्त: सरकारी समंझौते द्वारा विस्तृत अन्तर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों
से सम्पन्न आर्थिक, समाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक And स्वास्थ्य सम्बन्धी क्षेत्रों में विशेष माध्यम खोले जाने के लिए महासभा को आदेश
देने का अधिकार दिया गया है। आर्थिक और सामाजिक परिषद् इनमें से किसी भी माध्यम के साथ समझौता करके उसे संयुक्त
राष्ट्रसंघ से सम्बन्धित बना सकती है। ऐसे समझौते के प्रति महासभा का अनुमोदन आवश्यक है। उसे इन माध्यमों की नीतियाँ और
कृत्यों में समन्वय लाने के लिए सिफारिशें करने का अधिकार है। इस प्रकार आर्थिक और सामाजिक परिषद् महासभा के अधीक्षण
में कार्य करती है। इतना ही नहीं, न्यास परिषद् के सम्बन्ध में भी महासभा को कुछ अघीक्षण सम्बन्धी अधिकार प्राप्त हैं। अनुच्छेद
85 में यह कहा गया है कि सामरिक महत्व के लिए नामोद्दिष्ट न किये गये All क्षेत्रों के लिए न्यास समझौतों से सम्बद्ध संयुक्त् राष्ट्रसंघ
के कार्यों, जिनमें न्यास-समझौतों की शर्तों का अनुमोदन उनमें परिवर्तन अथवा संशोधन भी सम्मिलित है, का प्रयोग महासभा द्वारा
Reseller जायेगा। Meansात् न्यास-परिषद् जी महासभा की सत्ता के अन्तर्गत कार्य करती है, महासभा इन कार्यों को पूर्ण करने में सहायता
प्रदान करती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि संघ के दो प्रमुख अंग-आर्थिक और सामाजिक परिषद् तथा न्यास परिषद्-को महासभा
के अधीक्षण में ही कार्य करना पड़ता है। जैसा कि लियोनार्ड ने लिखा है कि संयुक्त राष्ट्रसंघके ये दोनों अंग महासभा के निर्देशन में
ही कार्य करते हैं। संघ के विभिन्न अंगों के कार्यों पर निरीक्षण रखने के कारण समासभा की स्थिति काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
वित्तीय कार्य –
महासभा का Single अन्य महत्वपूर्ण कार्य संयुक्त राष्ट्रसंघ की वित्तीय व्यवस्था से सम्बद्ध
है। यह कार्य राष्ट्रीस व्यवस्थापिका के पारम्परागत धन-सम्बन्धी कार्यों से मिलता-जुलता है। साधारण तथा सरकार में वित्त पर
नियन्त्रण रखने का अधिकार प्रतिनिधि सभा को प्रदान Reseller जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में भी लगभग ऐसी ही व्यवस्था पायी
जाती है। उदाहरणार्थ, राष्ट्रसंघ में यह कार्य असेम्बली के द्वारा सम्पादित Reseller जाता था। प्रारम्भ में जिस समिति को बजट पर
नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया था, उसकी संCreation राष्ट्रसंघ की कौंसिल करती थी। परन्तु बाद में सन् 1928 में यह अधिकार
सभा ने अपने हाथों में ले लिया। तब से राष्ट्रसंघ के बजट पर असेम्बली का अधिकार हो गया। संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में भी
यह अधिकार महासभा को प्रदान Reseller गया। अनुच्छेद 17 यह उपबंधित करता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट पर विचार करना
तथा उसे स्वीकार करना महासभा का ही दायित्व है। इस प्रकार संघ कीा आर्थिक व्यवस्था का संचालन महासभा के हाथों में चला
जाता है। यह संघ के बजट को स्वीकार करती है और सदस्य राज्यों में व्यय-बंटवारा करती है। संघ का व्रत्येक अंग अपने अनुमानित
खर्च का ब्यौरा महासभा के समक्ष पेश करता है। यह उस पर विचार करके यह निश्चित करती है कि किस अंग को खर्च के लिए
कितना मिलना चाहिए। संघ के बजट की तैयारी तथा स्वीकृति की प्रक्रिया लगभग वही है जैसी किसी भी आधुनिक विकसित देश
में होती है। संघ का बजट First सचिवालय में तैयार होता है और इसके बाद उसे महासचिव की स्वीकृति मिलने पर महासभा के
प्रशासन तथा बजट सलाहकार समिति के विचारार्थ भेज दिया जाता है। यहाँ उसके प्रत्येक कार्यक्रम पर विस्तार के साथ
विचार-विमर्श Reseller जाता है। इसके बाद अनुशंसाएँ स्वीकृत करके प्राReseller बजट को महासभा के समक्ष प्रस्तुत Reseller जाता है अब
महासभा की पाँचवीं समिति उस पर विचार करती है। इस प्रकार अन्तिम Reseller से तैयार होने पर बजट को महासभा की स्वीकृति
के लिए प्रस्तुत Reseller जाता है। महासभा में उसके Single-Single मद पर घंटों बहस होती है। “अपेक्षाकृत इतने छोटे बजट पर शायद
ही कहीं इतने महत्वपूर्ण लोक इतना समय लगाते हैं।” सारांश यह है कि संघ के बजट को स्वीकार करना महासभा का Single महत्वपूर्ण
कार्य है। संघ के खर्च के लिए प्रत्येक सदस्य-राज्य को कितना अनुदान देना है, यह निणर्य महासभा करती है। अन्य शाखा-संस्थाओं,
एजेन्सियों के वित्तीय तथा बजट-व्यवस्था की स्वीकृति महासभा को ही देनी होती है।
तात्पर्य यह है कि विश्व-संस्था की वित्तीय व्यवस्था पर निर्णायक अधिकार होने से महासभा का महत्त्व सर्वाधिक होना स्वाभाविक
है। गुड्सपीड के According, “ये उपबन्ध, जो संघ के बजट तथा वित्त पर नियन्त्रण का अधिकार महासभा को प्रदान करते हैं, सम्पूर्ण
संगठन पर उसके नियंत्रण को और भी दृढ़ बना देते हैं।” वेन्डेनबोश तथा होगन के Wordों में “अपने इस अधिकार के चलते सम्पूर्ण
संगठन के प्रशासन में महासभा की स्थिति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाती है।” वास्तव में इन कथनों में बहुत कुछ सच्चाई है। कहा भी
जाता है कि जिसके पास वित्तीय होती है, वास्तविक शक्ति उसी के पास होती है।
संगठनात्मक कार्य –
महासभा को कुछ संगठनात्मक कार्य भी सम्पादित करने होते हैं। इस कार्य
के अन्तर्गत वह दोहरे निर्वाचन-सम्बन्धी अधिकार को प्रयोग करती है। First, महासभा Safty परिषद् की सलाह पर संघ में नये
सदस्यों को सदस्यता प्रदान करती है। परन्तु संघ में महासभा की अनुमति पर अब तक प्रवेश सम्भव नहीं है। जब तक Safty परिषद्
का समर्थन नहीं प्राप्त हो जाता। इस दृष्टिकोण से यदि देखा जाये तो महासभा की शक्ति राष्ट्रसंघ की असेम्बली से भी कम है।
असेम्बली को दो-तिहाई बहुमत से बिना परिषद् की सिफारिश के ही नये सदस्यों के प्रवेश की पुष्टि कर देने का अधिकार था।
चार्टर के सिद्धान्तों की अवहेलना करने पर Safty परिषद् के किसी भी सदस्य को निष्कासित भी कर सकती है। अनुच्छेद 5 में यह
भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के वैसे किसी भी सदस्य, जिनके विरुद्ध बाध्यकारी कदम उठाये जा चुके हैं, सदस्यता की सुविधा
And अपने अधिकारों के उपयोग करने से महासभा अथवा Safty परिषद् द्वारा वंचित किये जा सकते हैं।
महासभा का दूसरा संगठनात्मक कार्य-संघ के अंगों के निर्वाचित सदस्यों के चयन से सम्बन्धित है। महासभा Safty परिषदृ के उस
अस्थायी सदस्यों का चुनाव करती है। निर्वाचन महासभा के दो-तिहाई मतों से होता है। कुछ विद्वानों की दृष्टि से Safty परिषद्
के अस्थायी सदस्यों के निर्वाचन करने का अधिकार महासभा को शांति And Safty के कार्यों में महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है।
इससे महासभा को परिषद् पर किंचित अप्रत्यक्ष Reseller से ही सही, नियंत्रण-सूत्र मिल जाता है। महासभा आर्थिक और सामाजिक
परिषद् के गठन में महासभा का पूरा हाथ होता है। न्यास परिषद् के कुछ सदस्यों का चुनाव भी महासभा के द्वारा ही होता है। न्यास
परिषद् के कुछ सदस्यों का चुनाव भी महासभा के द्वारा ही होता है। इसके अलावा Safty परिषद् की अनुशंसा अथवा उससे मिलकर
वह कुछ सर्वोच्च पदाधिकारियों की Appointment या निर्वाचन भी करती है। उदाहरणार्थ महासचिव की Appointment Safty परिषद् की
अनुशंसा पर महासभा ही करती है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के लिए न्यायधीशों की Appointment महासभा और Safty परिषद् मिलकर
करती है। इतना ही नहीं, सचिवालय द्वारा की जाने वाली बहालियों के लिए निर्देश भी महासभा ही देती है।
संशोधन सम्बन्धी कार्य –
अनुच्छेद 108 के According महासभा को चार्टर में संशोधन लाने की शक्ति
प्रदान की गयी है। इसके According महासभा को Safty परिषद् के साथ मिलकर चार्टर पर विचार करने के लिए सामान्य सम्मेलन
बुलाने का अधिकार प्रदान Reseller गया है। इस सम्मेलन द्वारा लाया गया कोई भी संशोधन दो-तिहाई सदस्यों द्वारा संविधानिक प्रक्रिया
से पारित होने पर लागू हो जाता है। चार्टर में यह भी व्यवस्था की गयी है कि यदि महासभा के दसवें वार्षिक अधिवेशन के First
ऐसा सम्मेलन नहीं होता तो सम्मेलन करने का प्रस्ताव महासभा के उसी अधिवेशन की कार्यावली पर रखा जायेगा और यदि महासभा
के बहुमत से और Safty परिक्षद् में किन्हीं 9 सदस्यों के मत से यह स्वीकार कर लिया जाता है तो ऐसा सम्मेलन होगा। परन्तु अभी
तक इस तरह का कोई सम्मेलन नहीं हो पाया है। परन्तु इसका Means यह नहीं है कि चार्टर में कोई दूसरी विधि से संशोधन नहीं
हो सकता। महासभा को अपनी दो-तिहाई बहुमत से चार्टर में संशोधन लाने की सिफारिश करने का अधिकार है। परन्त इस तरह
का संशोधन तब तक लागू नहीं होगा जब तक उस पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के दो-तिहाई सदस्यों, जिनमें Safty परिषद् की पाँच
महाशक्तियों का Single मत शामिल हो, का समर्थ प्राप्त नहीं हो जाता। इस व्यवस्था के अन्तर्गत अभी तक तीन धाराओं धारा 23, 27,
61.में संशोधन हो चुक हैं। 17 दिसम्बर 1963 को इन संशोधनों पर महासभा का अनुमोदन प्राप्त हुआ और 31 अगस्त, 1965 से ये
लागू हुए जब सदस्यय-राज्योंं की आवश्यक संख्या द्वारा इन पर अनुमति प्राप्त हो गयी। चार्टर में संशोधन के सम्बन्ध में Single बात
याद रखने योग्य है कि कोई भी संशोधन तब तक नहीं हो सकता जब तक उस पर Safty परिषद् की पाँच बड़ी शक्तियों की स्वीकृति
प्राप्त नही हो जाती। उनकी स्वीकृति के अभाव में महासभा के अनुमोदन का व्यवहार में कोई महत्व नहीं होता।
विविध कार्य –
उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त महासभा को कुछ अन्य कार्य भी करने पड़ते हैं। वह
अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में सुधार लाने के हेतु अनेक प्रकार की अनुशंसा कर सकती है। इसमें मौजूदा संधियों में उपर्युक्त परिवर्तन करने
की अनुशंसा भी शामिल है। द्वितीय विश्वFight के बाद जो संधियाँ हुई हैं, उनमें परिवर्तन करने की अनुशंसा महासभा कर सकती
है। अन्य अन्तर्राज्य समझौतों में उपर्युक्त परिवर्तन अथवा उन्हें खत्म करने की सिफारिश कर सकती है। राज्यों के वर्तमान सीमांतों
में भी परिवर्तन करने की अनुशंसा महासभा के कार्य-क्षेत्र के अन्तर्गत है। महासभा का Single महत्वपूर्ण कार्य अन्तर्राष्ट्रीय कानून का
विकास तथा संहिताकरण करना तथा Human अधिकारों और आधारभूत स्वतन्त्रताओं की रक्षा करना है। अपनी इस भूमिका के निर्वाह
में महासभा अनेक ऐसे प्रस्ताव पारित करती है। (जैसे जातिबद्ध समझौता) जिनके द्वारा राष्ट्रीय जातीय अथवा धार्मिक समूहों की
सामूहिक हत्या को अवैध करार दिया जाता है और जो सदस्य राज्यों द्वारा अनुसमर्थित किये जाने के बाद अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में Single
कानून की भांति प्रभावी हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून के क्रमिक विकास और संहिताकरण के क्षेत्र में इसका Single महत्वपूर्ण कार्य
यह है कि वह इस बात का अध्ययन करती रहती है कि ऐसे कौन से कानून हो सकते हैं जिन्हें All राष्ट्रों द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो
जायेगी। यह महासभा का अन्वेषणात्मक कार्य कहा जा सकता है। इस कार्य का सर्वोत्तम उदाहरण महासभा का अन्तर्राष्ट्रीय विधि
आयोग है जो सन् 1948 से ही अन्तर्राष्ट्रीय कानून के विकास और संहिताकारण की दिशा में कार्यरत है। यह आयोग संहिताबद्ध
होने योग्य विषय के सम्बन्ध में अपनी सिफारिशें महासभा के सम्मुख प्रस्तुत करता है। उसको यह भी कार्य दिया गया है कि वह
औपचारिक अन्तर्राष्ट्रीय कानून का प्रतिपादन करने वाली सामग्री को संकलित और प्रकाशित करे। जाति, लिंग, भाषा अथवा धर्म
का भेदभाव किये बिना सबको महान् अधिकार और मूल स्वतन्त्रता सुलभ कराने में सहायता प्रदान करना महासभा का कर्त्तव्य है।
महासभा के कार्यों का मूल्यांकन तथा उसका बढ़ता हुआ महत्त्व
महासभा के विभिन्न कार्यों तथा अधिकारों का अध्ययन करने के बाद हम पाते हैं कि इसके अधिकार काफी व्यापक हैं पर चार्टर
के द्वारा इन अधिकारों को काफी सीमित कर दिया गया है। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्माताओं का विचार था कि Safty
परिषद् संयुक्त राष्ट्र का प्रधान कार्यकारी अंग होगी और महासभा Single वाद-विवाद के मंच के Reseller में कार्य करेगी। इसीलिये Safty
परिषद् को बाध्यकारी शक्ति प्रदान की गई जबकि महासभा को केवल सिफारिशें करने का अधिकार दिया गया। अमरीकी सचिव
स्टेटीनिब्स ने ने कहा था, “महासभा का कार्य केवल विचारात्मक है तथा यह प्रस्ताव पारित करने वाली संस्था है।
परन्तु Safty परिषद् अन्तर्राष्ट्रीय शांति और Safty कायम करने के लिए कार्य करती है।” चार्टर के निर्माण हेतु बुलाये गये डम्बार्टन
ओक्स तथा सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन में छोटे राज्यों ने महासभा को शक्तिशाली बनाने का प्रयास Reseller था किन्तु उनका यह प्रयास
सफल नहीं हो सका। बड़े देश महासभा को सौतेले की तरह उपेक्षा भरी नजर से देख रहे थे। चूँकि उनका इसमें बहुमत नहीं था।
अत: वे इसे न तो प्रभावकारी अंग बनाना चाहते थे और न ऐसा अंग ही जो Safty-समस्याओं से सम्बन्धित हो। मध्यम और छोटे
राज्यों की उनके समक्ष आखिर विSeven ही क्या थी ? अत: डम्बार्टन ओक्स सम्मेलन में शक्ति-पृथक्करण के सिद्धांत को अपनाया
गया। प्रस्ताव और अनुशंसा करने का अधिकार महासभा को And निर्णय लेने का अधिकार Safty परिषद् को दिया गया। परन्तु सेन
फ्रांसिस्को में मध्यम तथा छोटे राज्यों ने महासभा के अधिकार के लिये काफी प्रयास Reseller। अन्त में Single रास्ता निकाला गया। Safty
परिषद् को मुख्यत: शांति और Safty बनाये रखने का कार्य दिया गया परन्तु धारा 10 के According महासभा को भी इस क्षेत्र में विस्तृत
अधिकार दिये गये। इसके अधिकार क्षेत्र को इतना अधिक व्यापक बनाया गया कि वह अणु बम से लेकर आर्थिक सहायता तक
के प्रश्न पर विचार कर सकती है। केवल Single अपवाद को छोड़ कर इसे शांति और Safty के सम्बन्ध में विचार करने का अधिकार
दिया गया। परन्तु इसके बावजूद महासभा Safty परिषद् के मुकाबले में Single कमजोर संस्था ही बनी रही। इसके प्रतिकुल Safty
परिषद् को अनेक प्रकार के अधिकार दिये गये। यह शांतिमय ढंग से विवादों को सुलझानपे का आदेश दे सकी है, पाबन्दियां लगा
सकती है। Need पड़ने पर सैनिक कार्रवाई भी कर सकती है। इसकी सहायता के लिए सैनिक स्टॉफ समिति भी है। इसके
निर्णय को All राज्यों को मानना पड़ता है, परन्तु महासभा के प्रस्ताव को मानने के लिस All स्वतंत्र है। इस प्रकार आकर्षण का
केन्द्र Safty परिषद् थी, न कि महासभा।
लेकिन कालान्तर में परिस्थितियों के चलते यह स्थिति बदल गई और महासभा का महत्व निरन्तर बढ़ता गया। इसके विपरीत Safty
परिषद् का प्रभाव घटा। विगत वर्षों में संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्य-करण के अवलोकन से यह बात स्पष्ट हो जाती है। शुरु-शुरु में
– सन् 1946 में Safty परिषद् ने आठ राजनीतिक प्रश्नों पर विचार Reseller था। वहाँ सभा ने केवल दो प्रश्नों पर। इस प्रकार परिषद्
ने राजनीतिक कार्रवाई करने वाले प्रमुख अंग के Reseller में अपना जीवन शुरु Reseller। किन्तु बाद में स्थिति बदल गयी। जून, 1952 से
जून, 1953 तक बारह महीनों में महासभा ने 11 मामलों पर विचार Reseller जबकि Safty परिषद् ने सिर्फ पांच पर। Safty परिषद् के
घटते हुए प्रभाव का पता हमें उसी बैठकों की घटती हुई संख्या से भी लगता है। 16 जुलाई, 1947 से लेकर 15 जुलाई, 1949 तक
जहाँ Safty परिषद् की 180 बैठकें हुई। वहाँ 1952.53 में सिर्फ 26 ही। ऐसा लगता है कि 1948 के बाद Safty परिषद् की जगह
महासभा ने ले ली। यद्धपि यह सत्य है कि महासभा कालान्तर में यह Safty परिषद् के निर्णयों के विरुद्ध Single अपीलीय संस्था
के Reseller में परिणत हो गयी। जैसा कि क्लॉड ने लिखा है, “वास्तव में संयुक्त राष्ट्रसंघ के अन्तर्गत Only राजनीतिक उत्तरदायित्व
वहन करने वाली संस्था के Reseller में महासभा ने Safty परिषद् की जगह अपने आपको पुन: स्थापित कर दिया है।” इसने संयुक्त
राष्ट्रसंघ के समक्ष आये महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रश्नों पर सक्रिय और प्रभावशाली निर्णय भी लिये हैं। इन प्रश्नों में कुछ हैं-फिलििस्तीन,
ग्रीस, स्पेन, स्वेज नहर, कांगो आदि के प्रश्न।
सारांश यह है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के निर्माताओं की इच्छा के विपरीत महासभा की प्रतिष्ठा में निरन्तर वृद्धि होती रही है । इसके
कारण हैं :-
(i) महासभा में विश्व के प्राय: All देशों का प्रतिनिधित्व होता है और इस प्रकार लोकतंत्र के युग में यह विश्व लोकमत का प्रतीक
बन गई है यहाँ पर लिये गये निर्णयों का कोई भी राष्ट्र सामान्यत: उपेक्षा नहीं कर सकता।
(ii) महासभा की बढ़ती प्रतिष्ठा का Single महत्वपूर्ण कारण यह रहा है कि इसकी सदस्य-संख्या में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है। संसार
के इने-गिने कुछ राष्ट्र ही इसकी सदस्यता से अब वंचित रह गये हैं। इसकी तुलना में Safty परिषद् में केवल 15 सदस्य हैं।
इद दृष्टिकोण से वह सच्चे Means में विश्व की प्रतिनिधि संस्था नहीं कही जा सकती। वास्तव में महासभा ने अब Human-जाति
की संसद का Reseller धारण कर लिया है जिसमें सदस्य-राज्य शांतिपूर्ण परिवर्तन की अनेक समस्याओं पर विचार करने का साधन ढूंढ़ते हैं और वह भी कानूनत: संसदीय प्रक्रिया के ढाँचे में। सितम्बर के Third सप्ताह में जब महासभा का वार्षिक अधिवेशन
शुरु होता है तो उसमें भाग लेने के लिए विश्वस के प्रमुख राजनीतिज्ञ न्यूयार्क में Singleत्र होते हैं। यहाँ वे स्वतन्त्र Reseller से अपनी
शिकायतें, प्रस्ताव ओर सुझाव आदि प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार महासभा Single ऐसे मंच के Reseller में काम करती है जहाँ संसार की
All समस्याओं-राजनीतिक ओर गैर-राजनीतिक पर विचार Reseller जाता है। इससे भी महासभा की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।
(iii) महासभा की प्रतिष्ठा की वृद्धि में अफ्रीकी-एशियाई देशों का भी सक्रिय योगदान है। आज संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्योंं का
सबसे बड़ा समूह अफ्रीकी-एशियाई समूह है जिसके सदस्यों की संख्या आधी शर्तों से भी अधिक बढ़ गई हैं। इसमें से केवल
ग्यारह संयुक्त राष्ट्रसंघ के संस्थापक सदस्य हैं। ये नवोदित तथा विकासशील देश महासभा के सदस्य होने के नाते इसकी
ओर अधिक भरोसे के साथ देखते हैं। उनके लिए महासभा ही संघ का ऐसा अंग है जहाँ वे अपनी संख्या के बहुमत के बल
पर अपने पक्ष को बड़ी शक्तियों के विरुद्ध दृढ़ता के साथ प्रस्तुत कर सकते हैं तथा निर्णय ले सकते हैं। अत: संयुक्त राष्टसंघ
में महासभा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण And उचित भूमिका दिलाने के लिए वे प्रयत्नशील रहे हैं।
(iv) Single अन्य महत्वपूर्ण कारण है – सस्थायी सदस्यों में मतभेद और उनके निषेधाधिकार के प्रयोग के कारण Safty परिषद् की
क्षमता में निरन्तर कमी। निषेधाधिकार के अनुचित और अधिक प्रयोग के कारण Safty परिषद् अधिक लाभकारी नहीं रही है।
यह कोई भी निर्णय नहीं ले पाती और न किसी झगड़े को सुलझा पाती है। अत: संकटकालीन स्थिति में सदस्य राज्य इस
पर पूरा भरोसा नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में उनके लिए यह आवश्यक था कि वे संघ के किसी अंग को शक्तिशाली बनावें
जिससे कि वह Safty-परिषद् में निषेधाधिकार के कारण गतिरोध पैदा हो जाने पर उस रिक्तता को पूरा कर सके। इसी स्थिति
में 3 नवम्बर, 1950 को ‘शांति के लिए Singleता प्रस्ताव’ को जन्म दिया। इस प्रस्ताव ने महासभा की शक्तियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन
ला दिया। इसके According यदि Safty परिषद् आपसी मतभेदों के कारण शांति-भंग की अथवा आक्रमण की आशंका या
आक्रमण को रोकने में अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं करती, तो सुरक्ष परिषद् के निषेधाधिकार विहिन कोई सदस्य अथवा संयुक्त
राष्ट्रसंघ के सदस्यों के बहुमत से 24 घंटे के सूचना पर महासभा का विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है। महासभा ऐसे
विषय पर तुरन्त विचार कर ‘सामूहिक कार्रवाई’ के लिए सिफारिशें कर सकती है और अन्तर्राष्ट्रीय शांति और Safty बनाये
रखने के लिए फौजी कार्रवाई का भी निर्देश कर सकती है। वस्तुत: इस प्रस्ताव ने संयुक्त राष्ट्र क विधान में क्रांतिकारी परिवर्तन
ला दिया। न केवल इसने Safty परिषद् की अपेक्षा महासभा के कार्य और अधिकार क्षेत्र को ही बढ़ा दिया वरन् निषेधाधिकार
से उत्पन्न गतिरोध दूर करने का हल निकाल लिया। इसने सभा को Safty के मामलों में निषेधाधिकार विहीन अधिकार प्रदान
Reseller। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद Safty परिषद् की तुलना में महासभा का महत्व उत्तरोत्तर बढ़ा है। यही कारण
है कि निरस्त्रीकरण, राजनीतिक विवादों का निबटारा और सामूहिक Safty सम्बन्धी विषयों पर जहाँ Safty परिषद् को प्रमुख
भूमिका निभानी थी, वहाँ महासभा को महत्वपूर्ण कार्य करने व निर्णय लेने पड़े हैं। नवम्बर, 1956 में मिò पर इजरायल, इंग्लैंड
और फ्रांस द्वारा आक्रमणात्मक कार्रवाई करने पर महासभा के विशेष अधिवेशन ने इस प्रस्ताव के According कार्य करते हुए
सफलतापूर्वक शांति स्थापित की थी। इस प्रकार हम देखते हैं कि बड़े राष्ट्रों के मतभेद के कारण वहाँ Safty परिषद् की क्षमता
घटती गयी वहाँ महासभा की शक्ति बढ़ती गई। जैसा कि पामर और परकिन्स ने कहा है, “अपनी असमर्थता के कारण Safty
परिषद् अपना काार्य सुचारु Reseller से करने में सफल नहीं हो सकी है। इस कारण सभा की शक्ति व महत्व बढ़ गया है।”
गुड्सपीड इस विकास को आवश्यक मानते हैं। उनके According महाशक्तियों के आपसी मतभेद से उत्पन्न अन्तर्राष्ट्रीय तनाव
के वातावरण में यह स्वाभाविक ही था कि महासभा Single ऐसे अंग के Reseller में कार्य करना शुरु करे जहाँ अधिक से अधिक
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक प्रश्नों पर विचार Reseller जा सके। एल0एम0 गुडरीच ने भी उक्त मत का समर्थन Reseller है। उसके
According शीतFight से ग्रस्त Safty परिषद् की अकर्मण्यता की स्थिति में सभा को Single मनोरम ‘प्लेटफॉर्म’ होना स्वाभाविक ही
कहा जायेगा।
(v) संयुक्त राष्ट्र संघ में छोटे राज्यों की बहुलता ने भी महासभा को Single शक्तिशाली संस्था बनाने में योगदान Reseller है। इन राज्यों
के पास सैन्य या आर्थिक शक्ति अधिक नहीं है। उनकी Means-व्यवस्था में अधिकांश का आधार मात्र जीवन-यापन करने योग्य
खेती है। उनका निर्यात-व्यापार कभी-कभी Single ही वस्तु तक सीमित होता है। शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं अपर्याप्त
हैं। इन देशों के लिए जो अपनी भौतिक दुर्बलता के प्रति सचेत हैं, महासभा Single ऐसा मंच हे, जहाँ दुर्बलता से कोई विशेष
हानि नहीं होती। महासभा ही Single ऐसा अंग है जहाँ वे अपनी बहुमत के आधार पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्यान्वयन को प्रभावित
कर सकते हैं और अपने हित में निर्णय कराने में सफल हो सकते हैं। यही कारण है कि महासभा ऐसे राज्यों में अधिक लोकप्रिय
है। उन्होंने सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन में ही महासभा की शक्तिशाली बनाने का प्रयास Reseller था। परन्तु वहाँ सफल नहीं हो
सके। बाद की घटनाओं ने उसका साथ दिया। महाशक्तियों के मतभेद तथा निषेधाधिकार के प्रयोग के कारण Safty-परिषद्
बिल्कुल नाकामयाब साबित हुई। छोटे राज्यों ने परिषद् की कमजोरियों से लाभ उठाया और महासभा के प्रभाव में वृद्धि के
लिए निरन्तर दबाव डालना शुरु Reseller। यही संस्था उनकी बड़ी उम्मीदों और महासभा के Reseller में है। उनके प्रयास से शक्ति
का हस्तान्तरण परिषद् से सभा के हाथों में हुआ। गुडसपीड का विचार है कि यदि शीतFight की स्थिति न भी रहती तब भी
ये छोटे राज्य महासभा को ऊँचे पद पर लाने का अवश्य ही प्रयास करते। वे ऐसे किसी भी उपाय का सहारा लेने से नहीं
चूकते, जिससे महासभा की रीढ़ मजबूत होती।
उपर्युक्त कारणों के चलते अपने संस्थापकों की इच्छा के विपरीत महासभा Single बड़ा अंग बन गयी, और इसकी कोई संभावना नहीं
कि उसकी यह स्थिति कभी बदल भी पायेगी। व्यवहार में भी महासभा ने केवल विश्व-मंच के Reseller में ही कार्य Reseller है, वरन् महत्वपूर्ण
प्रश्नों पर विचार कर निर्णय भी लिया है। इसने नकारात्मक और सकारात्मक दोनों दिशाओं में कार्य Reseller है। नकारात्मक कार्य
के द्वारा इसने राजनीतिक आग बुझाने में मदद की है तथा सकारात्मक कार्यों के द्वारा इसने आग लगने की गुजाइश कम की है।
कुछ इने-गिने यूरोपीय राज्यों से शुरु होने वाली यह संस्था आज ‘विश्वजीत’ कहलाने का दावा करने लगी है। यहाँ अणुबम से लेकर
Humanीय कल्याण, भोजन, कपड़ों, आवास तक की All समस्याओं पर विचार होता है, अत: इसे विश्व का उन्मुक्त अन्त:करण ठीक
ही कहा जाता है।