शैक्षिक निदान का Means और महत्व
जैसे किए कक्षा के कुछ विद्याथ्री भाषा संबंधी अशुद्धियाँ करते हैं ये अशुद्धि वर्ण, अक्षर, मात्रा, छंद, वर्णक्रम और बनावट इन में से किसी भी प्रकार की हो सकती है। इसके कारणों में सुनने, पढ़ने, लिखने समझने की समस्या या दुरभ्यास हाथों पर अनियंत्रण, चिन्ता और तनाव जैसे विविध कारणों में से कोर्इ Single या अनेक कारण हो सकते है, उनका अनुमान और वर्गीकरण नहीं Reseller जा सकता है। जैसा की हम जानते है, कि प्रत्येक विद्याथ्री अलग होता है इस कारण उनकी समस्याएं भी अलग होती हैं। इस कारण All विद्यार्थियों पर Single प्रकार की विधि का प्रयोग नहीं हो सकता है। इसलिए शिक्षक विद्यार्थियों को समूह में बांटकर उनकी समस्या का समाधान करते हैं। विभिन्न विद्वानों ने शैक्षिक निदान को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित Reseller है –
- कार्टर गुड के Wordों में – निदान का Means है अधिगम संबंधी कठिनार्इयाँ और कमियों के स्वरुप का निर्धारण।
- मरसेल के Wordों में – जिस शिक्षण में (विद्यार्थियों) की विशिष्ट त्रुटियों का निदान करने का विशेष प्रयास Reseller जाता है उसको बहुधा शैक्षिक निदान कहा जाता है।
- योकम व सिम्पसन के Wordों में – निदान किसी कठिनार्इ का उसके चिन्हों या लक्षणों से ज्ञान प्राप्त करने की कला या कार्य है यह तथ्यों के परीक्षण पर आधारित कठिनार्इ का स्पष्टीकरण है।
- गुड व ब्राफी के Wordों में निदानात्मक शिक्षण अधिगम में छात्रों की कठिनार्इ के विशिष्ट स्वरुप का निदान करने के लिए उनके उत्तरों की सावधानी से जाँच करने की प्रक्रिया का History करता है।
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं, कि निदान का Means है शिक्षक के द्वारा विद्यार्थियों की अधिगम संबंधी कमियों और कठिनार्इयों की जानकारी प्राप्त कर लेना।
शैक्षिक निदान का महत्व
शैक्षिक निदान आधुनिक शिक्षण प्रक्रिया का अभिन्न अंग है, स्कूल चाहे शहरी हो या ग्रामीण, प्राथमिक हो या माध्यमिक, निजी हो या Kingीय; शैक्षिक निदान की महत्वता सदा अनुभव की जाती है।शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कठिनार्इ होना कोर्इ नर्इ बात नहीं है। विषय वस्तु, शिक्षण-प्रक्रिया और विद्याथ्री की अभिरुचिगत भिन्नता के चलते अधिगम मूल्यांकन के परिणाम अनापेक्षित हो सकते हैं।
इन कारणों को जानने और सामाधान के प्रयासों का अध्ययन ही शैक्षिक निदान का क्षेत्र है। जैसा कि हम जानते है कि शैक्षिक निदान शिक्षण साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है। विद्यार्थियों में सामान्य प्रकार की कठिनार्इयों का सामन्य सर्वेक्षण परीक्षणों के माध्यम से पता Reseller जा सकता है। लेकिन विशेष प्रकार की कमियों और उनके कारणों का पता नैदानिक परीक्षणों से लगता है। विद्यार्थियों की कमजोरियों, कठिनार्इयों एंव समस्याओं का समय पर निदान आवश्यक है। निदान के अभाव में विद्यार्थियों को अपनी कमजोरियों का पता नहीं लग पाता हैं, जिससे विद्याथ्री अपने दोषों को दूर नहीं कर पाते हैं और उनका प्रदर्शन दिन-प्रतिदिन गिरता जाता है। विद्यार्थियों की कठिनार्इयों का समय के रहते शैक्षिक निदान कर दिया जाये तो विद्याथ्री शैक्षिक उपलब्धी प्राप्त कर सकेगे। अत: आज शैक्षिक निदान उपचारात्मक तथा निवारण दोनों के आधार के रुप में महत्वपूर्ण हो गया है।