शिक्षा क्या है?
शिक्षा विकास का मूल साधन है। शिक्षा के जरिए मनुष्य के ज्ञान And कला कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके व्यवहार को परिमार्जित Reseller जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की बुद्धि, बल और विवेक को उत्कृष्ट बनाती है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति का जीवन पशु के समान प्रतीत होता है इसी कारण भारत में शिक्षा के लोकव्यापीकरण का लक्ष्य रखा है।
शिक्षा का Means
आधुनिक संदर्भ में शिक्षा Word की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Word Educatum से हुई है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद Education है। Education का Means शिक्षण की कला। इसी का समानार्थी Word Educare है To bring up उठाना To bring forth सामने लाना To lead out नेतृत्व देना इत्यादि All Means शिक्षा की क्रिया या प्रतिक्रिया का संकुचित या व्यापक आधार प्रस्तुत करते है। Second अथोर्ं में Eductaion दो Wordों से मिलकर बना है। E+Duco E का Means आन्तरिक Duco का Means बाहर की आरै ले जाना। अन्त: शक्तियों क्षमताओं का बाहर की ओर विकास करना शिक्षा जीवन भर चलती रहती है। यह Single स्वाभाविक सामाजिक, दार्शनिक, राजनैतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो निरन्तर ज्ञान कौशल में वृद्धि के साथ व्यवहार में परिवर्तन करती रहती है। शिक्षा के व्यापक Means के According शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। Second Wordों में व्यक्ति जीवन से लेकर मत्यु तक के बीच की जीवन यात्रा में जो कुछ सीखता है तथा अनुभव करता है। वह सब व्यापक Means में शिक्षा हैं। जे. एस. मेकेन्जी ने शिक्षा का व्यापक Means बताते हुए कहा है कि ‘‘व्यापक Means में शिक्षा Single ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन भर चलती रहती है तथा जीवन के प्रत्येक अनुभव से उसके भंडार मे वृद्धि होती है। शिक्षा को जीवन का साध्य भी कहा जा सकता है।
शिक्षा की परिभाषा
- जैन दर्शन के According:- ‘‘शिक्षा वह है जो मोक्ष की प्राप्ति कराए’’।
- बौद्ध दर्शन के According:– ‘‘शिक्षा वह है जो निर्वाण दिलाए ‘‘।
- स्वामी विवेकानन्द के According :-’’मनुष्य की आत्मा में ज्ञान का अक्षय भंडार है। उसका उदघाटन करना ही शिक्षा है’’।
- टेगोर के According:- ‘‘उच्चतम शिक्षा वह है, जो हमे केवल सूचना ही नहीं देती वरन् हमारे जीवन के समस्त पहलुओं को सम तथा सुडोैल बनाती है’’।
- महात्मा गॉधी के According:-’’शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक And मनुष्य के शरीर मस्तिष्क And आत्मा के सर्वोतम अंश की अभिव्यक्ति है।’’
- रूसों के According:- ‘‘जीवन ही शिक्षा है।’’
- फ्राबेल के According :-’’शिक्षा Single प्रक्रिया है, जो की बालक की अन्त: शक्तियों को बाहर प्रकट करती है’’।
- महात्मॉ गाँधी के According :-’’शिक्षा का अभिप्राय बालक And मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा में निहित सर्वोतम शक्तियों के सर्वागीण प्रकटीकरण से है।’’
- टी. पी. नन के According :- ‘‘शिक्षा बालक के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास है जिसके द्वारा वह यथा शक्ति Human जीवन को मौलिक योगदान कर सकें।’’
- पेस्तालॉजी के According :- ‘‘शिक्षा मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों का स्वभाविक सर्वागपूर्ण तथा प्रगतिशील विकास है।’’
- ब्राउन के According :- ‘‘शिक्षा चैतन्य Reseller में Single अनियन्त्रित प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाये जाते है।’’
- प्रो. हार्नी के According :-’’शिक्षा शारीरिक And मानसिक Reseller से विकसित सचेतन Human का अपने बौद्धिक, उद्वेगात्मक तथा इच्छात्मक वातावरण से सर्वोतम अनुकूलन हैं।’’
- अरस्तू के According ‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निमार्ण करना ही शिक्षा है।।’’
- हरबर्ट स्पेन्सर के According ‘‘अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।’’
- ट्रो के According ‘‘शिक्षा नियन्त्रित वातावरण में Human विकास की प्रक्रिया है।’’
- युनीवर्सल डिक्शनरी ऑफ इंग्लिश लैग्वेज ‘‘पालना, प्रशिक्षण देना विषय विकास मस्तिष्क का प्रशिक्षण चरित्र तथा शक्तिया ही शिक्षा है। विशेष अथोर्ं में छोटे बच्चों को प्रचलित निर्देश देना ही शिक्षा है। किसी राज्य में प्रचलित निर्देश प्रणाली शिक्षा कहलाती है’’ ।
शिक्षा का महत्व
शिक्षा किसी भी व्यक्ति और समाज के लिए विकास की धुरी है और यह किसी भी राष्ट्र की प्राणवायु है। बिना इसके All बातें अधूरी साबित होती है। शिक्षा का संबंध सिर्फ साक्षरता से नहीं है, बल्कि चेतना और उत्तरदायित्वों की भावना को जागृत करने वाला औजार भी है। किसी राष्ट्र का भविष्य उसके द्वारा हासिल किए गए शैक्षिक स्तर पर निर्भर करता है। इस तरह प्रत्येक राष्ट्र के लिए शिक्षा वह पहली सीढ़ी है जिसे सफलतापूर्वक पार करके ही कोई अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है। शिक्षा देश गाँव समाज के विकास के लिए आवश्यक है। शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। जो चरित्र और अंतर्निहित क्षमताओं का विकास करके व्यक्ति की प्रकृति को पूर्णता की और ले जाती है। शिक्षा से व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का विकास होता हैं तो भौतिक कल्याण की, आशा भी की जाती है।
देश में आर्थिक विकास के लिए उदारवादी नीति अपनाई जाएं, विज्ञान And आधुनिकीकरण का उपयोग Reseller जाए या छोटे गृह कुटीर उद्योगों की दिशा में पहल की जाएं अथवा कृषि प्रौद्योगिकी के विकास की कल्पना को सार्थक Reseller जाएं, जरूरत शिक्षा की ही होगी। भूखे पेट भजन नहीं हो सकता और पेट भर जाने भोजन मात्र से ही विकास नहीं हो सकता इसलिए क्षमताओं और सभावनाओं के विकास हेतू शिक्षा अति महत्वपपूर्ण है।
शिक्षा के माध्यम से ही भारत के गाँवो को सामाजिक परिवर्तन और ग्राम विकास की विभिन्न योजनाओं से जोड़ सकते है। शिक्षा आरै मूल्य का गहरा सम्बन्ध है। मूल्यहीन शिक्षा वास्तव मे शिक्षा है ही नहीं। मूल्यों की शिक्षा प्रदान कर बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित किये जा सकते है। उनकी सुप्त चेतना को जगाया जा सकता है जिससे की वे अपने विकास के साथ-साथ अपने समाज और देश के विकास में योगदान कर सकता है।